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वर्ष 2013 में भारतीय बैंकों की अंतर्राष्ट्रीय देयताओं में एफसीएनआर(बी) निधियों के कारण वृद्धि हुई

30 मई 2014

वर्ष 2013 में भारतीय बैंकों की अंतर्राष्ट्रीय देयताओं में
एफसीएनआर(बी) निधियों के कारण वृद्धि हुई

भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर मार्च, जून, सितंबर और दिसंबर 2013 को समाप्त तिमाहियों के लिए भारत की अंतर्राष्ट्रीय बैंकिंग सांख्यिकी(आइबीएस) से संबंधित आंकड़े जारी किए।

अंतर्राष्ट्रीय बैंकिंग सांख्यिकी पर जारी आंकड़ों में स्थानिक बैंकिंग सांख्यिकी(एलबीएस)* और समेकित बैंकिंग सांख्यिकी(सीबीएस)* दानों पर आधारित विवरण शामिल हैं। स्थानिक बैंकिंग सांख्यिकी लिखत/घटकों के प्रकार, मुद्रा, निवासी के देश और प्रतिपक्ष/लेनदेन यूनिट के क्षेत्र तथा रिपोर्टिंग बैंकों की राष्ट्रीयता के अनुसार अंतर्राष्ट्रीय आस्तियों और देयताओं पर आंकड़े प्रस्तुत करती है। समेकित बैंकिंग सांख्यिकी अवशिष्ट परिपक्वता और तात्कालिक उधारकर्ता के देश द्वारा एक्सपोजर सहित उधारकर्ता के क्षेत्र तथा अंतिम जोखिम वाले देश के लिए दावों के पुनर्आवंटन (अर्थात जोखिम अंतरण) पर आंकड़े शामिल करती है। ये आंकड़े भारतीय रुपए और अमरीकी डॉलर दोनों के अनुसार प्रस्‍तुत किए गए हैं।

मुख्य-मुख्य बातें :

  • विदेशी मुद्रा अनिवासी (बैंक) एफसीएनआर(बी) जमाराशियों और विदेशी मुद्रा उधारों के माध्‍यम से पूंजीगत निधियों में वृद्धि के कारण अंतर्राष्ट्रीय देयताओं में (भारतीय रुपए के अनुसार) भारत में स्थित बैंकों के स्थानिक बैंकिंग सांख्यिकी के आधार पर दिसंबर 2013 में 35.8 प्रतिशत (वर्ष-दर-वर्ष) की वृद्धि दर्ज की गई।

  • अंतर्राष्ट्रीय आस्तियों(एलबीएस) में भी पिछले वर्ष के पहले के एक वर्ष की 1.4 प्रतिशत की गिरावट की तुलना में 23.4 प्रतिशत की ठोस वृद्धि दर्ज की गई।

  • 2013 के दौरान अमरीका, इंग्‍लैड, संयुक्‍त अरब अमीरात, सिंगापुर, जर्मनी और हांगकांग के प्रति एक्‍सपोज़र में वृद्धि के कारण अंतर्राष्ट्रीय देयताओं और आस्तियों(एलबीएस) दोनों में वृद्धि हुई।

  • दिसंबर 2013 के अंत में अंतर्राष्ट्रीय देयताओं(एलबीएस) में अमरीकी डॉलर का हिस्‍सा एक वर्ष पहले के 34.0 प्रतिशत की तुलना में 40.5 प्रतिशत तक बढ़ा।

  • अन्‍य सभी देशों पर तत्‍काल जोखिम आधार (सीबीएस) पर भारतीय बैंकों के अंतर्राष्ट्रीय दावे दिसंबर 2013 के अंत में एक वर्ष पहले के 15.0 प्रतिशत की तुलना में 17.4 प्रतिशत की उच्‍च दर से बढ़े। तथापि बैंकिंग क्षेत्र के प्रति एक्‍सपोज़र निचले दर (15.6 प्रतिशत) से बढ़ा जबकि गैर- बैंकिंग क्षेत्र के प्रति उच्‍चतर वृद्धि (18.4 प्रतिशत) दर्ज की गई।

  • अंतिम जोखिम आधार पर भारतीय बैंकों के समेकित दावे (सीबीएस) दिसंबर 2013 के अंत में एक वर्ष पहले के 11.2 प्रतिशत की तुलना में हांगकांग, संयुक्‍त अरब अमीरात और कनाडा के प्रति दावों के कारण 14.0 प्रतिशत तक बढ़े।

स्थानिक और समेकित बैंकिंग सांख्यिकी के अंतर्गत व्यापक प्रवृत्तियों का विश्लेषण करने वाला आलेख रिज़र्व बैंक बुलेटिन के जुलाई 201 4 अंक में प्रकाशित किया जाएगा।

*अवधारणाएं

अंतर्राष्‍ट्रीय निपटान बैंक (बीआईएस) अंतर्राष्ट्रीय बैंकिंग सांख्यिकी (आईबीएस) के अंतर्गत त्रैमासिक सांख्यिकी के निम्‍नलिखित दो अलग सेट संकलित करता है :

1. स्‍थानिक बैंकिंग सांख्यिकी(एलबीएस)

  • इंटरनैशनल बैंकिंग लोकेशनल बाई रेसिडेंस (आईबीएलआर) : इस सेट में रिपोर्टकर्ता बैंकों और काउंटरपार्टियों के निवास स्‍थान के आधार पर बैंकों की अंतर्राष्‍ट्रीय आस्तियों और देयताओं की रिपोर्ट की जाती है।

  • इंटरनैशनल बैंकिंग लोकेशनल बाई नेशनैलिटी (आईबीएलएन) : इस सेट में रिपोर्टकर्ता बैंकों के निवास स्‍थान और रिपोर्टकर्ता बैंकों के स्‍वामित्‍व की राष्‍ट्रीयता के आधार पर बैंकों की अंतर्राष्‍ट्रीय आस्तियों और देयताओं की रिपोर्ट की जाती है।

आईबीएलआर और आईबीएलएन सांख्यिकियों को मिलाकर स्‍थानिक बैंकिंग सांख्यिकी (एलबीएस) कहा जाता है।

2. समेकित बैंकिंग सांख्यिकी(सीबीएस)

रिपोर्टकर्ता संस्‍थाओं के तत्कालिक और अंतिम जोखिम दोनों आधार के विश्‍व भर के समेकित अंतर्राष्‍ट्रीय दावों को व्‍यापक रूप से समेकित बैंकिंग सांख्यिकी (सीबीएस) कहा जाता है। सांख्यिकी में वैश्विक समेकित आधार पर देशी बैंक के मुख्‍य कार्यालयों के अंतर्राष्‍ट्रीय वित्‍तीय दावों की जानकारी रिपोर्ट की जाती है अर्थात अपने विदेशी कार्यालयों के एक्‍सपोज़र को शामिल किया जाता है परंतु अंतर-‍कार्यालयीन स्थितियों को शामिल नहीं किया जाता है।

अजीत प्रसाद
सहायक महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2013-2014/2327

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