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अनुसंधान अनुसंधान

बाह्य अनुसंधान योजनाएं

विकास अनुसंधान समूह के माध्यम से रिज़र्व बैंक द्वारा समर्थित बाह्य अनुसंधान गतिविधियाँ

रिजर्व बैंक (एतदोपरांत ‘बैंक’) में विकास अनुसंधान समूह (डीआरजी) का गठन नवंबर 1991 में आर्थिक और नीति अनुसंधान विभाग (डीईपीआर) के हिस्से के रूप में किया गया था जिसका उद्देश्य वर्तमान रुचि के विषयों पर दृढ़ विश्लेषणात्मक और अनुभवजन्य निरूपणों द्वारा समर्थित नीति-उन्मुख त्वरित और प्रभावी अनुसंधान करना था। अर्थशास्त्र, बैंकिंग, वित्त और बैंक की रुचि के अन्य विषयों में सैद्धांतिक और गुणात्मक/आँकड़ापरक (क्वान्टिटेटिव) अनुसंधान और शिक्षण/प्रशिक्षण को बढ़ावा देने के लिए डीआरजी के माध्यम से बैंक व्यक्तिगत अनुसंधानकर्ताओं/ विशेषज्ञों और विश्वविद्यालयों/अनुसंधान संस्थाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करता है। बैंक निम्नलिखित अनुसंधान गतिविधियों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करता है:

I. RBI Professorial Chairs and Corpus Fund

I.आरबीआई पेशेवर पीठ और आधारभूत निधि

रिज़र्व बैंक ने भारत के प्रमुख विश्वविद्यालयों और शोध संस्थाओं में आरबीआई पेशेवर पीठ (प्रोफेसनल चेयर्स) स्थापित किए हैं जिसका प्रमुख उद्देश्य बैंक के कार्य से संबंधित क्षेत्रों में अनुसंधान व ज्ञानार्जन में उत्कृष्टता को बढ़ावा देना है। योजना के अंतर्गत संबंधित विश्वविद्यालय/शोध संस्था में बैंक कानूनन लागू करार के साथ एक आधारभूत निधि (कॉर्पस फ़ंड) तैयार करता है। आरबीआई पीठों की स्थापना के लिए संबंधित संस्थाओं के साथ बैंक द्वारा हस्ताक्षरित करार से उस संस्था/पीठ प्रोफेसरों को दैनिक कार्य में स्वायत्तता मिलती है। संबंधित संस्था को उस कॉर्पस फ़ंड के लिए एक अलग खाता (अकाउंट) मेंटेन करना होगा तथा करार के दिशा निर्दशों के अनुसार उसके द्वारा मैनेज की जा रही आधारभूत निधि की राशि के निवेश के लिए एक निवेश समिति बनानी होगी। आधारभूत निधि (कॉर्पस फ़ंड) के ब्याज से होने वाली आय को अनुसंधान व शिक्षण की गतिविधियों में लगाना होगा न कि बुनियादी व्यवस्थाओं (इन्फ़्रास्ट्रक्चर) के विकास के लिए। संबंधित संस्था को कॉर्पस फ़ंड के आय व व्यय का विवरण देते हुए एक लेखापरीक्षित ‘उपयोग प्रमाणपत्र’ जमा करना होगा।

आरबीआई पेशेवर पीठ (प्रोफेशनल चेयर) की मंजूरी के मानदंड मोटे तौर पर इस प्रकार हैं:

नियमित पीठ (चेयर) प्रोफेसर्स अपनी विशेषज्ञता के क्षेत्रों में, देश में छात्रों को पढ़ाकर ज्ञान प्रदान करने के अलावा, शोध आलेख, वर्किंग रिसर्च पेपर्स और पुस्तकों के रूप में प्रकाशित शोध कार्यों, सरकार / सार्वजनिक क्षेत्र के निकायों के लिए परियोजना रिपोर्ट तैयार करने व सम्मेलनों के आयोजन द्वारा अनुसंधान व नीति निर्माण में योगदान देते रहे हैं।

II. Financial support for Publication of Research Journals

II. अनुसंधान पत्रिकाओं (रिसर्च जर्नल्स) के प्रकाशन के लिए वित्तीय सहायता

रिज़र्व बैंक अलाभार्थ पेशेवर समाजों (सोसायटियों) / अनुसंधान संघों को अर्थशास्त्र, अर्थमिति और संबंधित विषयों पर पत्रिकाओं के प्रकाशन में आने वाली लागत का एक अंश देकर वित्तीय सहायता प्रदान करता है। जनसांख्यिकी, कृषि अर्थशास्त्र, कृषि विपणन, स्वास्थ्य अर्थशास्त्र, अर्थमिति, विकास अर्थशास्त्र, मौद्रिक अर्थशास्त्र आदि जैसे विविध क्षेत्रों में प्रकाशनों के लिए भी वित्तीय सहायता दी जाती है।

आवेदन जमा करना

कोई भी अलाभार्थ शैक्षणिक / शोध संस्था प्रकाशन हेतु वित्तीय अनुदान के लिए एक वित्तीय वर्ष में केवल एक बार बैंक को आवेदन करने का पात्र है।

आवेदन में प्रस्तुत किए जाने वाले विवरण

अनुसंधान पत्रिकाओं के प्रकाशन के लिए धन का आवेदन करने वाले संस्थान बैंक को जाँच के लिए निम्नलिखित विवरण दें:

  •  संस्था का नाम

  • अलाभार्थ संस्था है या नहीं

  • पत्रिका (जर्नल) का नाम

  • प्रकाशन का दिनांक

सह-प्रायोजकों की सूची

  • प्रकाशन के लिए सटीक बजट अनुमान (विभिन्न प्रमुख शीर्षों, और अन्य प्रायोजकों द्वारा वचनबद्ध राशि का विवरण देते हुए)।

सह प्रायोजक के बारे में

चूँकि बैंक जाँच के बाद प्रकाशन की लागत का केवल एक अंश ही देता है, किन्हीं सह-प्रायोजकों या प्रकाशक द्वारा अपने स्रोतों से पैसा खर्च करने की प्रतिबद्धता या संकेत के बिना किसी भी आवेदन पर विचार नहीं किया जाएगा।

अनुपालन

  • संस्था को उक्त प्रकाशन जारी होने की तारीख से एक महीने के भीतर इसकी दो प्रतियों के साथ किसी चार्टर्ड एकाउंटेंट द्वारा जारी किया गया उपयोग प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना आवश्यक है।

  • अनुपालन न होने पर, बैंक को भविष्य के अनुरोधों को अस्वीकार करने का अधिकार है।

III. Financial Support for Conferences/Seminars/Workshops

III. सम्मेलनों/ सेमिनारों/कार्यशालाओं के लिए वित्तीय सहायता

रिज़र्व बैंक पेशेवर निकायों/ शोध संगठन और विश्वविद्यालयों/ शोध संस्थाओं को भी बैंक के लिए प्रासंगिक क्षेत्रों में सम्मेलनों/ सेमिनारों/ कार्यशालाओं (एतदोपरांत कार्यक्रम/ इवेंट)के लिए वित्तीय सहायता देता है।
  • कोई भी अकादमिक शोध संस्था अनुदान के लिए एक वित्तीय वर्ष (अप्रैल-मार्च) में केवल एक बार बैंक को आवेदन प्रस्तुत करने के लिए पात्र है।

  • सभी अनुरोध कार्यक्रम/ इवेंट के कम-से-कम दो महीने पहले प्रस्तुत किए जाएं।

बैंक अनुदान पर विचार के लिए संस्था से निम्नलिखित जानकारी माँग सकता है:

  • सेमिनार/ कार्यशाला/सम्मेलन का आयोजन करने वाली संस्था का नाम।

  • कार्यक्रम (इवेंट) का नाम।

  • प्रस्तावित कार्यक्रम के विषय व उद्देश्य।

  • आमंत्रितों/ विशेषज्ञों/ पैनलिस्टों की प्रत्याशित संख्या।

  • कार्यक्रम की तिथि/ अवधि।

  • कार्यक्रम (इवेंट) का स्थान (वेन्यू)।

  • सह-प्रायोजकों की सूची।

  • कार्यक्रम के लिए विस्तृत बजट अनुमान (विभिन्न प्रमुख शीर्षों, और अन्य प्रायोजकों द्वारा वचनबद्ध राशि का विवरण देते हुए)

चूँकि बैंक इवेंट को अंशत: ही प्रायोजित करता है, बिना किसी (किन्हीं) सह-प्रायोजक(कों) के किसी भी आवेदन पर विचार नहीं किया जाएगा।

  • उक्त कार्यक्रम (इवेंट) की समाप्ति के दिनांक से एक महीने के भीतर कार्यक्रम की कार्यवाही के साथ किसी सनदी लेखाकर (चार्टर्ड एकाउंटेंट) द्वारा जारी किया गया उपयोग प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना आवश्यक है।

  • उक्त अवधि में अनुपालन न होने पर, बैंक संबंधित संस्था से प्राप्त होने वाले भविष्य के अनुरोधों को अस्वीकार करने का अधिकार रखता है।

IV. Scholarship Scheme for Faculty Members from Academic Institutions

IV. Scholarship Scheme for Faculty Members from Academic Institutions

The scholarship scheme for faculty members aims at bringing on board scholars, who would be able to take up and successfully pursue critical projects thereby contributing to the Bank’s research universe. The Reserve Bank invites full-time faculty members teaching economics or finance in any UGC-recognised institution in India to undertake short-term research in the areas of monetary and financial economics, banking, real sector issues and other areas of interest to the Bank.

The broad objectives of the scheme are:

  • To increase awareness about the activities of the Bank amongst faculty members and student community; and
  • To provide exposure to faculty members teaching economics and/or finance in different areas/activities in the Bank.

The eligibility criteria for the scheme are as follows:

  • Full-time faculty teaching economics and/or finance in any UGC-recognised academic institution in India.
  • Indian nationals.
  • Age below 55 years.
  • Preference will be given to the candidates who have not been awarded the scholarship earlier.

The major themes of research for the visiting faculty will be decided by the Bank.

  • The scheme would be operated every year.
  • The completed applications should reach the Bank within one month from the date of advertisement.
  • Interview of short-listed candidates would be held within a month after listing the eligible candidates.
  • Commencement of the scholarship scheme would be within three months from the date of selection of candidates.

The Bank reserves the right to choose the mode of communication to public, in any/all of the following ways:

  • Publishing advertisements in leading newspapers across India, including vernacular press.
  • Displaying the advertisement on the RBI website.
  • Sensitisation of full-time faculty of colleges/universities/other academic institutions through our Regional Directors.
  • Information sent directly to select universities/research institutions.
  • The application in hard copy should be forwarded to the Director, Development Research Group, Department of Economic and Policy Research, 7th Floor, Central Office Building, Reserve Bank of India, Fort, Mumbai - 400 001. The application should be sent along with detailed curriculum vitae (CV) and Research proposal of not more than 1000 words.
  • The application can also be sent in a soft version at email.

A maximum of five faculties would be considered each financial year. The Bank, at its discretion, may vary the number of faculty for any year.

The duration of the project is maximum three months.

The main facilities that will be made available includes:

  • Economy class return airfare from place of work in India and RBI Central Office, Mumbai.
  • Payment of monthly allowance for a period of three months. In addition to the monthly remuneration, on completion of the project/research paper and on acceptance of the same by the Bank, payment of honorarium will be made.
  • The scheme would be mainly operational at Central Office Departments of RBI, Mumbai. In certain cases, the Reserve Bank may ask the selected candidate to conduct research at select Regional Offices of RBI also. However, Bank may provide the option to the candidates to work from their institution for the Study during the period of 2 to 3 months.

The selected scholar will have the following responsibilities:

  • The scholar would be required to submit a research paper/project report that contributes to RBI research activities.
  • The scholar should make a presentation of his/her work in a Seminar at Reserve Bank, Mumbai.
  • The scholar, if he/she desires to publish his/her research work elsewhere, may do so with prior permission of the Reserve Bank.

After completion of the project and subsequent submission of the final report, if the scholar desires to publish the study outside RBI, the following guidelines are to be followed by the scholar –

  • The paper should be published with the disclaimer that - “the views expressed in the study/paper are solely of the author and not of Reserve Bank of India”.
  • In case the scholar wants to acknowledge any names from Reserve Bank of India, it may be done only after seeking prior permission.
  • The said study should not be considered as a ‘RBI funded project’.

V. Programme Funding Scheme

V. कार्यक्रम निधीयन योजना (प्रोग्राम फ़ंडिंग स्कीम)

कार्यक्रम निधीयन (कार्यक्रम फ़ंडिंग) योजना उन दीर्घावधि शोध परियोजनाओं के लिए है जो बैंक के लिए विशिष्ट महत्व रखती हैं। बैंक उभरते क्षेत्रों जैसे डिजिटल अर्थव्यवस्था, बिग डेटा एनलिटिक्स, ई-कॉमर्स, जलवायु परिवर्तन, नवीकरणीय ऊर्जा, फिनटेक, आपूर्ति शृंखला और वैश्विक स्पिलओवर में शोध संबंधित कार्यकलाप को भी प्रोत्साहित करता है। योजना की निम्नलिखित विशेषताएं होंगी:

a. विश्वविद्यालयों/ शोध संस्थानों से प्राप्त शोध कार्यक्रमों की वार्षिक योजना (विस्तृत बजट सहित) को डीआरजी प्रोसेस करेगा और विचार/ अनुमोदन के लिए शीर्ष प्रबंध तंत्र को प्रस्तुत करेगा।
b.योजना के तहत निधीयन (फ़ंडिंग) अधिकतम तीन वर्षों के लिए होगा।
c.अनुदान प्राप्त करने वाले विश्वविद्यालयों/ शोध संस्थानों को योजना के नियमों और शर्तों को स्वीकार करना होगा।
d.बैंक वार्षिक कार्य निष्पादन समीक्षा करेगा।
e.शोध रिपोर्ट का प्रतिलिप्यधिकार (कॉपीराइट) बैंक के पास रहेगा।

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VI. RBI Visiting Fellow Programme

VI. आरबीआई अतिथि अध्येता/सदस्य (विज़िटिंग फेलो) कार्यक्रम

भारतीय रिज़र्व बैंक ने विदेशी केंद्रीय बैंकों, अंतरराष्ट्रीय संगठनों, विदेशी विश्वविद्यालयों और अन्य अनुसंधान निकायों के विशेषज्ञों के लिए “आरबीआई अतिथि अध्येता कार्यक्रम” प्रारंभ की है। कार्यक्रम की प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं :

  1. अतिथि अध्येता के पास किसी मान्यताप्राप्त विदेशी विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र या वित्त में एक पीएच.डी डिग्री हो और आदर्शत: विशेषज्ञ समीक्षित विद्वतापूर्ण पत्रिकाओं में प्रकाशन के रिकॉर्ड के साथ विदेश में तीन वर्षों का अनुसंधान अनुभव हो।
  2. भावी अतिथि अध्येता अधिकतम 1000 शब्दों का अनुसंधान प्रस्ताव और विस्तृत जीवन-वृत्त (सीवी) भेजे।
  3. सीवी, अनुशंसा पत्रों और अनुसंधान प्रस्ताव की गुणवत्ता को मिलाकर किए जाने वाले मूल्यांकन के आधार पर चयन होगा। जरूरत हुई तो चुनिंदा अतिथि अध्येताओं का साक्षात्कार वीडियो कॉन्फ़रेंसिंग/ कॉल द्वारा संपन्न किया जा सकता है।
  4. सफल अतिथि अध्येता स्वतंत्र रूप से या आरबीआई केंद्रीय कार्यालय में अनुसंधानकर्ताओं के साथ भारत व उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं के लिए प्रासंगिक समष्टिअर्थशास्त्र पूर्वानुमान व विश्लेषण, मौद्रिक नीति, बैंकिंग/ वित्तीय अंतरमध्यस्थता, वित्तीय स्थिरता और अन्य समष्टि व संरचनात्मक विषयों पर भी परियोजना पूरी कर सकेंगे।
  5. आरबीआई भारत में इकोनॉमी क्लास वापसी हवाई किराया, मुंबई में रहने के दौरान उपयुक्त आवास, दैनिक निर्वाह भत्ता और परियोजना की सफल समाप्ति के बाद देय मानदेय देगा।
  6. अतिथि अध्येता (वीज़िटिंग फेलो) को 2 से 3 महीनों में प्रोजेक्ट को पूरा करना होगा जिसके लिए यह जरूरी नहीं कि वे मुंबई में रहें। वे कम से कम आधी अवधि केंद्रीय कार्यालय मुंबई में अधिकतम दो बार में व्यतीत करें।
  7. परियोजना प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद अतिथि अध्येता भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) में एक सेमिनार में अनुसंधान (रिसर्च) को प्रस्तुत करेंगे जिसे आरबीआई वर्किंग पेपर और अंतत: आरबीआई ओकेज़नल पेपर्स में प्रकाशित किया जाएगा।
  8. एक वित्तीय वर्ष (जुलई-जून) में चार अतिथि अध्येताओं तक पर विचार किया जा सकता है। आरबीआई अपने निर्णयानुसार किसी वर्ष अतिथि अध्येताओं (विज़िटिंग फेलो) के संख्या को बदल सकता है।
  9. आई. आरबीआई अतिथि अध्येता कार्यक्रम (विज़िटिंग फेलो प्रोग्राम) के लिए आवेदन वर्ष भर लिए जाएंगे और समयसूची पारस्परिक सुविधानुसार तय की जा सकती है। सीवी व अनुसंधान प्रस्ताव सहित आवेदन ईमेल से भेजे जा सकते हैं

VII. Development Research Group Study Series

VII. विकास अनुसंधान समूह (डीआरजी) अध्ययन श्रृंखला

डीआरजी अध्ययन श्रृंखला बाहर के विशेषज्ञों और बैंक में कार्यरत अनुसंधानकर्ताओं के सहयोगी प्रयास का परिणाम हैं। इनको वृहद दायरे में जारी किया जाता है ताकि सामयिक महत्व के विषयों पर पेशेवर अर्थशास्त्रियों और नीति निर्माताओं के बीच रचनात्मक चर्चा हो।

  • डीआरजी अध्ययन श्रृंखला के सचिवालय के रूप में, डीआरजी अध्ययन श्रृंखला (स्टडीज़ सिरीज़) के सभी प्रस्ताव डीआरजी द्वारा प्राप्त और प्रोसेस किए जाएंगे।
  • डीआरजी अध्ययन बाहरी विशेषज्ञों को सौंपे जाते हैं ताकि सुदृढ़ विश्लेषणात्मक व यथार्थपरक निरुपण के आधार पर, मुख्यत: बैंक को पेश आ रही चुनौतियों के विषयों पर स्पष्टता व समाधान देने वाले, अल्पकालिक आवधिकता के त्वरित व प्रभावी नीति-परक अनुसंधान किए जा सकें।

  • अध्ययन की अवधि सामान्यत: छह महीनों से अधिक नहीं होनी चाहिए।

  • अध्ययन का उत्तरदायित्व पूरी तरह बाहरी विशेषज्ञ पर ही रहता है।

  • डीआरजी अध्ययन की अनुदान राशि बैंक द्वारा निर्धारित सांकेतिक दायरे के भीतर फाइनल की जाए। बैंक द्वारा अध्ययन रिपोर्ट के स्वीकारे जाने के बाद ही मानदेय की राशि जारी की जाएगी।

  • अध्ययन के सिलसिले में डीआरजी, केंद्रीय कार्यालय, मुंबई आने पर बाह्य विशेषज्ञ को बैंक द्वारा निर्धारित एक भत्ता दैनिक भत्ते के रूप में दिया जाएगा।

  • केद्रीय कार्यालय, मुंबई आने (विज़िट) के लिए बैंक सीमित इकनॉमी घरेलू हवाई-किराया टिकट दे सकता है।

  • उनके मुंबई आगमन पर ठहरने की व्यवस्था, जैसा बैंक तय करे।

  • मुंबई में ठहरने के दौरान /आगमन पर उनकी इच्छानुसार (एट डिस्पोज़ल) वाहन की सुविधा उनको दी जा सकती है।

  • बैंक बाह्य विशेषज्ञों द्वारा दो से अधिक विजिट प्रोत्साहित नहीं करता, जो कि आवश्यकतानुसार हो और प्रत्येक ट्रिप एक बार में दो से तीन दिन से अधिक का न हो।

  • डीआरजी अध्ययन विशेषज्ञ समीक्षित (रेफरीड) प्रकाशन (रेफरीड पब्लिकेशन) होते हैं।

  • विशेषज्ञ (रेफरी) की टिप्पणी बाह्य विशेषज्ञ को उनके विचारार्थ भेजी जाएगी।

अध्ययन प्रारंभ होने के तीन महीने के बाद आंतरिक टीम को, रिज़र्व बेंक केंद्रीय कार्यालय में इस अध्ययन पर एक सेमिनार प्रस्तुत करने को कहा जाए जिससे आंतरिक प्रगति रिपोर्ट का पता चले।

ऊपर जो कहा गया है उसके अलावा, प्रोजेक्ट की मध्यावधि में एक सेमिनार के अतिरिक्त, बैंक को प्रस्तुत किए जाने के पहले डीआरजी उस अध्ययन के फाइनल सेमिनार की व्यवस्था कर सकता है। प्राप्त फ़ीडबैक के आधार पर, अध्ययन टीम उस अध्ययन को अंतिम रूप दे सकती है।

अनुसंधान अध्ययन का प्रतिलिप्यधिकार (कॉपीराइट) बैंक के पास रहता है।

संपन्न हो चुके डीआरजी अध्ययन

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विकास अनुसंधान समूह,

आर्थिक और नीति अनुसंधान विभाग,
7वां तल, केंद्रीय कार्यालय भवन,
भारतीय रिज़र्व बैंक,
फ़ोर्ट, मुंबई – 400 001.

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+91-22-2260 1000 (Extn. 2246/2528/2239)

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पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: जनवरी 16, 2023