कोर निवेश कंपनियां
कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)
उत्तर: 500 करोड़ रुपये से कम की आस्ति वाले पंजीकृत सीआईसी गैर-प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण गैर-बैंकिंग वित्तीय (जमाराशि स्वीकार नहीं करने या धारण करने वाली) कंपनी विवेकपूर्ण मानदंड (रिज़र्व बैंक) निर्देश, 2015 में निर्दिष्ट आस्ति वर्गीकरण मानदंडों का पालन करेंगे और आस्ति>= 500 करोड़ रुपये वाले एनबीएफसी > = 500 करोड़ रुपये पर लागू आस्ति वर्गीकरण मानदंड का पालन करेंगे जो प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण गैर-बैंकिंग वित्तीय (जमाराशि स्वीकार नहीं करने वाली या धारण करने वाली) कंपनी विवेकपूर्ण मानदंड (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2015 में निर्दिष्ट के अनुसार अनुसरण करेंगे।
FAQs on Non-Banking Financial Companies
Liquid Asset requirement
भारत में विदेशी निवेश
III. अन्य प्रतिभूतियों में निवेश
उत्तर: निवेश माध्यम’ का अर्थ है ऐसी एंटीटी से है जो भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अथवा इस प्रयोजन के लिए नामित किसी अन्य प्राधिकारी द्वारा निर्मित संबन्धित विनियमों के तहत पंजीकृत और विनियमित है। फेमा 20(आर) की अनुसूची 8 के प्रयोजन के लिए निवेश माध्यम भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (REITs) विनियमावली, 2014 द्वारा प्रशासित रियल इस्टेट निवेश ट्रस्ट (REITs), भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (InvIts) विनियमावली, 2014 द्वारा प्रशासित इन्फ्रास्ट्रक्चर निवेश ट्रस्ट और भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (AIFS) विनियमावली, 2012 द्वारा प्रशासित अल्टरनेटिव निवेश निधियाँ इसमें शामिल हैं । इसमें भूतपूर्व सेबी (उद्यम पूंजी निधि) विनियमावली, 1996 के अंतर्गत पंजीकृत उद्यम पूंजी निधि शामिल नहीं है।
भारतीय मुद्रा
घ) गंदे तथा कटे-फटे बैंकनोट
महात्मा गांधी (नई) शृंखला सहित सभी बैंकनोट जिन पर कुछ लिखा हो अथवा रंग लगा हुआ हो तो वे वैध मुद्रा जारी रहेंगे, बशर्ते कि वे सुपाठ्य हों । इस प्रकार के नोटों को किसी भी बैंक शाखा में जमा किया जा सकता है या उन्हें बदला जा सकता है ।
यद्यपि, बैंक नोट में राजनैतिक अथवा धार्मिक स्वरूप का संदेश देने अथवा इस तरह के संदेश देने की क्षमता हो, की नीयत से लिखे गए अनावश्यक शब्दों या दृश्य निरूपण हों अथवा उनके किसी व्यक्ति या संस्था के हितों को पूरा करने में सहायक होने पर बैंकनोटों के संबंध में ऐसे दावे को भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली, 2009 [जैसा कि भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) संशोधित नियमावली, 2018] के अनुसार निरस्त कर दिया जाएगा ।
कोर निवेश कंपनियां
कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)
उत्तर: पंजीकृत सीआईसी जिनकी आस्ति <रु 500 करोड़ है ऐसे गैर-प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण गैर-बैंकिंग वित्तीय (जमाराशि स्वीकार नहीं करने वाली या धारण करने वाली) कंपनी विवेकपूर्ण मानदंड (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2015 के अनुसार 0.25% के मानक आस्ति प्रावधान को बनाए रखेंगे और >= रु 500 करोड़ आस्ति वाले मामले में विनिर्दिष्ट के अनुसार 0.40% के मानक आस्ति प्रावधान को बनाए रखेंगे जो प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण गैर-बैंकिंग वित्तीय (जमाराशि स्वीकार नहीं करने वाली या धारण करने वाली) कंपनी विवेकपूर्ण मानदंड (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2015 में निर्दिष्ट के अनुसार लागू होगा।
देशी जमा
IV. शेयरों और डिबेंचरों की जमानत पर अग्रिम
FAQs on Non-Banking Financial Companies
Liquid Asset requirement
भारतीय मुद्रा
ड़) जाली नोट/जालसाजी
जिस किसी नोट में असली भारतीय करेंसी नोट की विशेषताएँ नहीं पाई जाती हैं वह संदिग्ध जाली नोट, प्रतिरूपित नोट अथवा नकली नोट वह नोट होता है ।
कोर निवेश कंपनियां
कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)
उत्तर: हाँ, सीआईसी के वर्तमान निर्देशों के अनुसार, उन्हें मनी मार्केट म्यूचुअल फंड सहित मनी मार्केट लिखत में निवेश करने की अनुमति है। चूंकि लिक्विड फंड भी म्यूचुअल फंड हैं, जिनमें अंतर्निहित मनी मार्केट लिखत हैं; सीआईसी को अपने अधिशेष धन को लिक्विड फंड योजनाओं में भी निवेश करने की अनुमति है।
देशी जमा
IV. शेयरों और डिबेंचरों की जमानत पर अग्रिम
भारत में विदेशी निवेश
III. अन्य प्रतिभूतियों में निवेश
उत्तर: किसी निवेश माध्यम जिसका प्रयोजक अथवा प्रबंधक अथवा निवेश प्रबंधक का (i) निवासी भारतीय नागरिकों के पास स्वामित्व तथा नियंत्रण नहीं है अथवा (ii) उसका स्वामित्व तथा नियंत्रण भारत के बाहर निवास करने वाले व्यक्तियों के पास है द्वारा भारतीय कंपनी अथवा एलएलपी में किया गया निवेश निवेश प्राप्त कर्ता कंपनी अथवा एलएलपी, जैसी स्थिति हो, के लिए अप्रत्यक्ष विदेशी निवेश होगा।
FAQs on Non-Banking Financial Companies
Extent of regulations over NBFCs accepting public deposits and not accepting public deposits
भारत में विदेशी निवेश
III. अन्य प्रतिभूतियों में निवेश
उत्तर: वैकल्पिक (अल्टरनेटिव) निवेश निधि श्रेणी III जिसे कोई विदेशी निवेश प्राप्त हुआ है वो केवल उन सिक्युरिटीज अथवा लिखतों में ही पोर्टफोलियो निवेश कर सकती हैं जिनमें अधिनियम तथा उसके अंतर्गत बनाए गए नियमों अथवा विनियमों के अधीन निवेश करने की अनुमति है।
भारतीय मुद्रा
ड़) जाली नोट/जालसाजी
जाली नोट की पहचान असली भारतीय करेंसी नोट में मौजूद सुरक्षा विशेषताओं के आधार पर की जा सकती है । नोट को देखने, छूने तथा झुकाने से ये विशेषताएँ आसानी से पहचानी जा सकती हैं ।
कोर निवेश कंपनियां
कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)
उत्तर: हां, कंपनी जो एक सीआईसी है और जिसने अपने पिछले लेखापरीक्षित वार्षिक वित्तीय विवरण के अनुसार 100 करोड़ रुपये का तुलनपत्र आकार हासिल किया है, को सीआईसी-एसआई के रूप में पंजीकरण के लिए बैंक में आवेदन करना आवश्यक है, बशर्ते प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण सीआईसी के रूप में पहचाने जाने के लिए अन्य शर्तों को पूरा किया गया हो।
देशी जमा
IV. शेयरों और डिबेंचरों की जमानत पर अग्रिम
FAQs on Non-Banking Financial Companies
Extent of regulations over NBFCs accepting public deposits and not accepting public deposits
भारत में विदेशी निवेश
IV. रिपोर्टिंग में विलंब
उत्तर: 7 नवंबर 2017 को अथवा उसके बाद किए गए लेनदेन के मामलों में रिपोर्टिंग करने में विलंब होने पर रिपोर्टिंग पर मास्टर निदेश के भाग IV में दिए गए अनुसार रिपोर्टों को फ़ाइल करने के लिए जिम्मेदार व्यक्ति/ एंटीटी पर विलंब से प्रस्तुति के लिए लगाए गए शुल्क का भुगतान करने का दायित्व होगा। एलएसएफ़ का भुगतान करना कंपाउंडिंग क्रियाविधि से गुजरे बिना रिपोर्टिंग में हुए विलंब को नियमित करने का एक अतिरिक्त विकल्प है।
भारतीय मुद्रा
ड़) जाली नोट/जालसाजी
बैंकनोटों की जालसाजी/जाली तथा नकली नोटों का असली नोटों के रूप में उयपयोग करना/जाली या नकली बैंकनोट रखने/बैंक नोटों की जालसाजी अथवा नकली बनाने के लिए उपकरणों या सामग्री को रखना/ बैंकनोट के समान दिखने वाले दस्तावेज़ का उपयोग करना अथवा बनाना भारतीय दंड संहिता की धारा 489ए से 489ई के तहत अपराध है तथा इसके लिए न्यायालयों द्वारा जुर्माना लगाया जा सकता है या सात साल से लेकर आजीवन कारावास दिया जा सकता है अथवा दोनों सजाएं दी जा सकती हैं, जो किए गए अपराध पर निर्भर होंगी ।
भारत सरकार ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए), 1967 के तहत उच्च गुणवत्ता वाली प्रतिरूपित भारतीय करेंसी संबंधी अपराधों संबंधी अन्वेषण नियम, 2013 तैयार किया है । अधिनियम की तीसरी अनुसूची में उच्च गुणवत्ता वाले प्रतिरूपित भारतीय करेंसी नोट को परिभाषित किया गया है । उच्च गुणवत्ता वाले प्रतिरूपित भारतीय नोट के उत्पादन, तस्करी करने या संचरण की गतिविधि को यूएपीए, 1967 के दायरे में लाया गया है ।
देशी जमा
IV. शेयरों और डिबेंचरों की जमानत पर अग्रिम
FAQs on Non-Banking Financial Companies
Repayment of matured deposits
भारत में विदेशी निवेश
IV. रिपोर्टिंग में विलंब
उत्तर: एलएसएफ़ का भुगतान करना कंपाउंडिंग क्रियाविधि से गुजरे बिना रिपोर्टिंग में हुए विलंब को नियमित करने के लिए एक अतिरिक्त सुविधा है। तथापि इसका यह अर्थ नहीं है कि आवेदक कंपाउंडिंग के लिए आवेदन नहीं कर सकता है। 7 नवंबर 2017 को अथवा उसके बाद किए गए लेनदेन के लिए आवेदक को दोनों विकल्प उपलब्ध हैं।
भारतीय मुद्रा
ड़) जाली नोट/जालसाजी
जाली नोट रखने मात्र से सजा नहीं होती है । किसी बैंक नोट के जाली अथवा प्रतिरूपित होने के बारे में जानकारी होने या ऐसा मानने के पीछे कारण होने, और उसे असली नोट की तरह प्रयोग करने का इरादा होने या उसे असली नोट की तरह प्रयोग किया जा सकने की जानकारी के साथ जाली या प्रतिरूपित बैंकनोट रखना भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 489सी के तहत दंडनीय है ।
देशी जमा
IV. शेयरों और डिबेंचरों की जमानत पर अग्रिम
FAQs on Non-Banking Financial Companies
Repayment of matured deposits
भारत में विदेशी निवेश
IV. रिपोर्टिंग में विलंब
उत्तर: विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 के अंतर्गत रिपोर्टिंग संबंधी मास्टर निदेश में रिपोर्टिंग अपेक्षाओं को निर्धारित किया गया है।
भारतीय मुद्रा
ड़) जाली नोट/जालसाजी
भारतीय रिज़र्व बैंक काफी मात्रा में नकद राशि संभालने वाले व्यक्तियों, जैसे बैंकों/उपभोक्ता मंचों/व्यापारिक संगठनों/शैक्षणिक संस्थानों/पुलिस पेशेवरों, के लिए बैंकनोटों की सुरक्षा विशेषताओं की प्रामाणिकता संबंधी प्रशिक्षण सत्र आयोजित करता है । इन प्रशिक्षण सत्रों के अतिरिक्त, बैंकनोटों की सुरक्षा विशेषताओं से संबंधित जानकारी बैंक की वेबसाइट पर भी उपलब्ध है ।
देशी जमा
IV. शेयरों और डिबेंचरों की जमानत पर अग्रिम
FAQs on Non-Banking Financial Companies
Repayment of matured deposits
भारत में विदेशी निवेश
IV. रिपोर्टिंग में विलंब
उत्तर: फेमा, 1999 के तहत जारी की गई अधिसूचना के आधार पर विदेशी निवेश किया जा सकता है।
भारतीय मुद्रा
च) सिक्के
वर्तमान में भारत में 50 पैसे, एक रुपया, दो रुपये, पाँच रुपये, दस रुपये तथा बीस रुपये के मूल्यवर्ग के सिक्के जारी किए जा रहे हैं । 50 पैसे तक के सिक्कों को “छोटे सिक्के” कहा जाता है तथा एक रुपया और इससे अधिक के सिक्कों को “रुपया सिक्का” कहा जाता है । सिक्का निर्माण अधिनियम, 2011 के तहत ₹1000 तक के मूल्यवर्ग के सिक्के जारी किए जा सकते हैं ।
देशी जमा
IV. शेयरों और डिबेंचरों की जमानत पर अग्रिम
FAQs on Non-Banking Financial Companies
Prudential Norms
भारतीय मुद्रा
च) सिक्के
30 जून 2011 से पच्चीस (25) पैसे के सिक्कों को संचलन से बाहर कर दिया गया है और इसलिए ये अब ये वैध मुद्रा नहीं हैं । 25 पैसे से कम मूल्यवर्ग के सिक्के बहुत पहले संचलन से वापस ले लिए गए थे । सिक्का निर्माण अधिनियम, 2011 के तहत भारत सरकार द्वारा ढाले गए तथा समय-समय पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा संचलन के लिए जारी अन्य सभी मूल्यवर्गों के विभिन्न आकार, विषय-वस्तु (थीम) तथा रूपरेखा (डिजाइन) के सिक्के वैध मुद्रा के रूप में जारी हैं ।
देशी जमा
IV. शेयरों और डिबेंचरों की जमानत पर अग्रिम
FAQs on Non-Banking Financial Companies
Prudential Norms
- Each category of quoted investments is to be valued scrip-wise. Category of investment means the different types of securities under each head viz. equity shares, preference shares, debentures, bonds and Government securities. Only quoted investments can be classified as long term or current investments. The long term investments are allowed to be valued as per AS-13 of the ICAI but the current investments are required to be valued at their market price. However, the NBFCs have been permitted under Prudential Norm Directions, the facility of block valuation method for accounting for the investments. The net of depreciation and the appreciation in the value of the current quoted investments, is only required to be charged to the Profit and Loss Account of the current year. The appreciation in the value of current investments in any category cannot be booked as profit. The concept of block valuation is explained below :
Example No. 1
Name of the scrip |
Market value |
Book value |
Difference (+)/(-) |
|
A |
200 |
150 |
(+) 50 |
|
B |
210 |
180 |
(+) 30 |
|
C |
180 |
240 |
(-) 60 |
|
D |
240 |
300 |
(-) 60 |
Total appreciation Rs. 80/-
Total depreciation Rs. 120/-
Net depreciation Rs. 40/- to be charged to Profit and Loss |
|
Account as per provisions for |
Example No. 2
Name of the scrip |
Market value |
Book value |
Difference (+)/(-) |
|
A |
150 |
200 |
(-) 50 |
|
B |
180 |
210 |
(-) 30 |
|
C |
240 |
180 |
(+) 60 |
|
D |
300 |
240 |
(+) 60 |
Total appreciation Rs. 120/-
Total depreciation Rs. 80/-
Net appreciation Rs. 40/- to be ignored.
This appreciation in the value of equity shares cannot be adjusted against the depreciation in the value of any other category of securities.
भारतीय मुद्रा
च) सिक्के
भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंकों में ग्राहकों द्वारा सिक्के जमा करवाने के लिए कोई सीमा निर्धारित नहीं किया है । बैंक अपने ग्राहकों से कितनी भी राशि के सिक्के स्वीकार करने के लिए स्वतंत्र हैं ।
देशी जमा
V. दान
भारतीय मुद्रा
च) सिक्के
मुद्रा अध्यादेश, 1940 के तहत जारी किए गए एक रुपया के नोट वैध मुद्रा हैं तथा भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के सभी उद्देश्यों के लिए रुपया सिक्का की अभिव्यक्ति में ये शामिल हैं । चूंकि सरकार द्वारा जारी रुपया सिक्कों में सरकार की देयता होती है, इसलिए एक रुपया का नोट भी भारत सरकार की देयता होता है ।
देशी जमा
V. दान
FAQs on Non-Banking Financial Companies
Prudential Norms
A. Earning Value : |
Average Profit after tax (net of |
||
dividend on preference shares |
|||
and extra ordinary items ) for |
|||
the last three years |
Capitalisation |
||
X |
factor |
||
Number of equity shares |
Hypothetically, the profit after tax for the last three |
} |
Rs. 100.00 lakhs, |
financial years net of dividend on preference shares } |
Rs. 120.00 lakhs |
|
and net of extra ordinary items |
} & |
Rs. 140.00 lakhs |
No. of equity shares of the company |
10,00,000 shares |
|
The investee company is a predominantly manufacturing |
||
company and the capitalisation factor would be |
: 8 per cent |
|
The earning value will be worked out as under : |
(100.00+120.00+140.00) |
100 |
||
X |
--- |
= Rs.150/- |
|
3 X 10,00,000 |
8 |
- The Prudential Norms have prescribed that the unquoted shares should be valued at break up value. However, an NBFC can also value these shares at fair value, if it so desires.
Break up value and fair value are to be calculated as per the formula given in the Directions. The formula is illustrated as under :
If the paid equity capital of the company is = Rs. 1,00,00,000
The free reserves net of intangible assets
and deferred revenue expenditure = Rs. 3,20,00,000
Number of equity shares = 10,00,000 shares
The break up value will be : |
1,00,00,000 + 3,20,00,000 |
= Rs. 42/- |
10,00,000 |
If we take the earning value worked out in the previous question, and since we know that the fair value is the mean of the break up value and the earning value, the fair value will be |
150+42 |
= Rs.96/- |
2 |
In the given case, the company may value its shares at fair value viz, Rs.96/- which is higher than the break up value at Rs.42/- or cost, whichever is lower.
भारतीय मुद्रा
च) सिक्के
हाँ, वर्तमान में ₹10 के विभिन्न रूपरेखा (डिजाइन) के सिक्के संचलन में हैं । भारत सरकार द्वारा समय-समय पर ढाले गए ₹10 मूल्यवर्ग के सभी सिक्के (रुपया के प्रतीक के साथ/बिना) वैध मुद्रा हैं । अधिक विवरण के लिए कृपया इस संबंध में जारी हमारी प्रेस प्रकाशनी देखें जो निम्न लिंक पर उपलब्ध है : www.rbi.org.in >> मुद्रा निर्गमकर्ता >> प्रेस प्रकाशनी >>17 जनवरी 2018
देशी जमा
V. दान
FAQs on Non-Banking Financial Companies
Prudential Norms
भारतीय मुद्रा
च) सिक्के
विभिन्न मूल्यवर्गों में सिक्कों की ढलाई तथा रूपरेखा (डिजाइन) तैयार करने के लिए भारत सरकार जिम्मेदार है ।
देशी जमा
VI. परिसर ऋण
FAQs on Non-Banking Financial Companies
Prudential Norms
देशी जमा
VII सेवा प्रभार
भारतीय बैंक संघ ने बैंकों द्वारा दी जाने वाली विभिन्न सेवाओं के लिए सेवा प्रभार निर्धारित करने की प्रथा बंद कर दी है। सितंबर 1999 से भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंकों को यह स्वतंत्रता दी है कि वे अपने निदेशक मंडल के अनुमोदन से सेवा प्रभार निर्धारित कर सकते हैं।
भारतीय मुद्रा
च) सिक्के
भारतीय रिज़र्व बैंक से वार्षिक आधार पर प्राप्त होने वाले मांगपत्र (इंडेंट) के आधार पर ढाले जाने वाले सिक्कों की मात्रा का निर्धारण भारत सरकार करती है।
रिज़र्व बैंक ने सभी बैंकों को उनकी सभी शाखाओं में लेन-देन तथा बदलने के लिए सिक्के स्वीकार करने हेतु निर्देशित किया है । जनता भी बिना किसी झिझक के सभी सिक्कों को उनके सभी लेन-देन में वैध मुद्रा के रूप में स्वीकार करना जारी रख सकती है । इस संबंध में प्रेस प्रकाशनी निम्नसूचित लिंक में देखी जा सकती है : /en/web/rbi/-/press-releases/public-can-continue-to-accept-all-the-coins-as-legal-tender-rbi-47414
FAQs on Non-Banking Financial Companies
Depositor Awareness
भारतीय मुद्रा
च) सिक्के
स्मारक सिक्कों हेतु आप एसपीएमसीआईएल की वेबसाइट http://www.spmcil.com देखें अथवा एसपीएमसीआईएल से संपर्क कर सकते हैं ।
FAQs on Non-Banking Financial Companies
Depositor Awareness
भारतीय मुद्रा
च) सिक्के
किसी विशिष्ट बैंक के विरुद्ध शिकायत होने पर, संबंधित बैंक शाखा में शिकायत दर्ज की जा सकती है । उनके उत्तर से संतुष्ट नहीं होने पर, शिकायत निवारण के लिए बैंकिंग लोकपाल योजना, 2006 के तहत बैंक शाखा के नियंत्रक कार्यालय / प्रधान कार्यालय में नियुक्त नोडल अधिकारियों / प्रधान नोडल अधिकारियों के पास शिकायत दर्ज की जा सकती है । यदि एक माह के भीतर शिकायत का निवारण नहीं होता है तो, बैंकिंग लोकपाल योजना, 2006 के तहत बैंकिंग लोकपाल को शिकायत दर्ज की जा सकती है । प्रस्तुत किए गए सिक्कों को बिना पर्याप्त कारण के स्वीकार नहीं करना और उनके संबंध में कमीशन लेना बैंकिंग लोकपाल योजना 2006 के तहत किसी बैंक के खिलाफ शिकायत करने के लिए वैध आधार होता है । बैंकिंग लोकपाल योजना का विवरण भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट www.rbi.org.in. पर उपलब्ध है । बैंकों के नोडल अधिकारियों के नाम तथा संपर्क विवरण उनकी संबन्धित आधिकारिक वेबसाइट में उपलब्ध हैं ।
भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित संस्थाओं द्वारा ग्राहक सेवा में कमी के बारे में बैंकिंग लोकपाल योजना 2006 के तहत नहीं आने वाली शिकायतों के लिए, शिकायतकर्ता अपनी शिकायत के साथ संबंधित क्षेत्र के उपभोक्ता शिक्षण एवं संरक्षण कक्ष, भारतीय रिज़र्व बैंक से (cms.rbi.org.in पर) संपर्क कर सकते हैं ।
FAQs on Non-Banking Financial Companies
Depositor Awareness
RNBCs
Nomination facility
पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: दिसंबर 10, 2022