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इंडो-नेपाल रेमिटेंस फैसिलिटी स्कीम

उत्तर: यदि प्रेषण करने वाला ग्राहक भारत में किसी बैंक शाखा में खाता रखता है, तो किसी अतिरिक्त जानकारी, दस्तावेज़ या पहचान की कोई आवश्यकता नहीं है। अन्यथा, प्रेषक को पहचान के प्रमाण के लिए दस्तावेज जैसे पासपोर्ट / स्थायी खाता संख्या / ड्राइविंग लाइसेंस / टेलीफोन बिल / अपने नियोक्ता द्वारा जारी पहचान का प्रमाण पत्र, फोटोग्राफ और अन्य विवरण के साथ प्रस्तुत करना होगा। यह जानकारी, अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) आवश्यकताओं के अनुपालन के हिस्से के रूप में, एनईएफटी प्रणाली में दर्ज की जाएगी। नेपाल में लाभार्थी का पूरा पता और टेलीफोन / मोबाइल नंबर भी आवश्यक होगा।

पारंपरिक तंत्र की तुलना में सीटीएस ग्राहकों को तेजी से और सस्ते में धन प्राप्ति में सक्षम बनाता है। ग्रिड-आधारित सीटीएस समाशोधन के तहत, ग्रिड क्षेत्राधिकार में आने वाली बैंक शाखाओं पर आहरित सभी चेकों को स्थानीय चेकों के रूप में माना और समाशोधित किया जाता है। यदि संग्रहणकर्ता बैंक और भुगतानकर्ता बैंक एक ही सीटीएस ग्रिड के अधिकार क्षेत्र में स्थित हैं, भले ही वे अलग-अलग शहरों में स्थित हों, तो कोई बाहरी चेक संग्रहण शुल्क नहीं लगाया जाएगा।

सीटीएस चेक जारी करने वालों को भी लाभ पहुंचाता है। यदि आवश्यक हो तो कॉरपोरेट्स को उनके बैंकरों द्वारा आंतरिक आवश्यकताओं, यदि कोई हो, के लिए चेकों की छवियाँ प्रदान की जा सकती है।

उ. माइकर (चुंबकीय स्याही चिह्न पहचान) एक आदिवर्णिक शब्द है. माइकर कोड अंकीय कोड है जो ईसीएस क्रडिट योजना में भाग लेने वाले बैंक की शाखा को विशिष्ट रूप से चिन्हित करता है यह बैंक शाखा के स्थान को चिन्हित करने के लिए 9 अंकीय कोड है, पहले 3 अक्षर शहर का प्रतिनिधित्व, अगले 3 अक्षर बैंक और आखिरी 3 अक्षर शाखा को प्रदर्शित करते है. बैंक शाखाओं द्वारा जारी चेक के माइकर बैंड पर बैंक शाखाओं एवं उनको आवंटित माइकर कोड (बैंक शाखा को आवंटित माइकर कोड अंकित रहता है) की सूची भारतीय रिजर्व बैंक की वेवसाइट http://www.rbi.org.in/Scripts/bs_viewcontent.aspx?Id=2051 पर उपलब्ध है.
The Banking Ombudsman can receive and consider any complaint relating to the following deficiency in banking services:non-payment or inordinate delay in the payment or collection of cheques, drafts, bills etc.;non-acceptance, without sufficient cause, of small denomination notes tendered for any purpose, and for charging of commission in respect thereof;non-acceptance, without sufficient cause, of coins tendered and for charging of commission in respect thereof;non-payment or delay in payment of inward remittances ;failure to issue or delay in issue of drafts, pay orders or bankers’ cheques;non-adherence to prescribed working hours ;failure to provide or delay in providing a banking facility (other than loans and advances) promised in writing by a bank or its direct selling agents;delays, non-credit of proceeds to parties' accounts, non-payment of deposit or non-observance of the Reserve Bank directives, if any, applicable to rate of interest on deposits in any savings, current or other account maintained with a bank ;complaints from Non-Resident Indians having accounts in India in relation to their remittances from abroad, deposits and other bank related matters;refusal to open deposit accounts without any valid reason for refusal;levying of charges without adequate prior notice to the customer;Non-adherence to the instructions of Reserve Bank on ATM / Debit Card and Prepaid Card operations in India by the bank or its subsidiariesNon-adherence by the bank or its subsidiaries to the instructions of Reserve Bank on credit card operationsNon-adherence to the instructions of Reserve Bank with regard to Mobile Banking / Electronic Banking service in India by the bankNon-disbursement or delay in disbursement of pension (to the extent the grievance can be attributed to the action on the part of the bank concerned, but not with regard to its employees);Refusal to accept or delay in accepting payment towards taxes, as required by Reserve Bank/Government;Refusal to issue or delay in issuing, or failure to service or delay in servicing or redemption of Government securities;Forced closure of deposit accounts without due notice or without sufficient reason;Refusal to close or delay in closing the accounts;Non-adherence to the fair practices code as adopted by the bank;Non-adherence to the provisions of the Code of Bank's Commitments to Customers issued by Banking Codes and Standards Board of India and as adopted by the bank ;Non-observance of Reserve Bank guidelines on engagement of recovery agents by banks;Non-adherence to Reserve Bank guidelines on para-banking activities like sale of insurance / mutual fund /other third party investment products by banksAny other matter relating to the violation of the directives issued by the Reserve Bank in relation to banking or other services.A customer can also lodge a complaint on the following grounds of deficiency in service with respect to loans and advancesnon-observance of Reserve Bank Directives on interest rates;delays in sanction, disbursement or non-observance of prescribed time schedule for disposal of loan applications;non-acceptance of application for loans without furnishing valid reasons to the applicant; andnon-adherence to the provisions of the fair practices code for lenders as adopted by the bank or Code of Bank’s Commitment to Customers, as the case may be;non-observance of any other direction or instruction of the Reserve Bank as may be specified by the Reserve Bank for this purpose from time to time.The Banking Ombudsman may also deal with such other matter as may be specified by the Reserve Bank from time to time.
Yes. The reserved amount will be within the notified amount.
In terms of GOI notification No.SO.301(E) dated March 30, 2001, banks are free to allow remittance for maintenance of close relatives abroad not exceeding net salary (after deduction of taxes, contribution to provident fund and other deductions) of a person who is resident but not permanently resident in India and is a citizen of a foreign state other than Pakistan. Therefore, independent of QA 22 procedure, they may allow remittance of net salary.
Remittance of partly paid invoices is permissible, subject to total remittance not exceeding the amount indicated in the invoice. In terms of the extant guidelines, although the advertisement charges can be accepted in advance, along with the text of the advertising matter, by the Indian channel agent, the remittance can be made by the AD, only after the advertisements are telecast abroad and invoices raised thereafter, and subject to submission of the requisite documents as stated at (4) above such as invoice, tax declaration/deduction certificate, certificate from Chartered Accountant regarding foreign exchange earning in the past 2 years.
An application for repatriation of balance may be made on plain paper to the concerned Regional Office of Reserve Bank.
  1. Any clarification in respect of specific cases could be obtained from the Reserve Bank’s Central office at the following address:

Overseas Investment Division,
Exchange Control Department,
Central office,
Reserve Bank of India,
Mumbai 400001.
or
e-mail: oid@rbi.org.in

Person going abroad for employment can draw foreign exchange upto US$5,000 from any authorised dealer in India.

उत्तर: कोई निवासी व्यष्टि निम्नलिखित मामलों में भारत से बाहर किसी बैंक में विदेशी मुद्रा खाता खोल सकता है:

1) कोई निवासी छात्र जो विदेश में अध्ययन हेतु वहाँ रहने गया हो,ऐसे मामलों में इन खातों में भारत से किए जाने वाले सभी निक्षेप फेमा और उसके तहत बनाए गए नियमों और विनियमों के अनुसार किए जाने चाहिए। पढ़ाई पूरी करने के बाद उस छात्र के भारत लौटने पर, ऐसे खाते को उदारीकृत विप्रेषण योजना (LRS) के तहत खोला गया खाता माना जाएगा।

2) कोई निवासी यदि निश्चित अवधि के लिए विदेश में रहने के उद्देश्य से विदेश यात्रा पर गया हो, ऐसे मामलों में खाताधारक के भारत लौटने पर खाते में शेष राशि भारत में संप्रत्यावर्तित की जाएगी।

3) किसी प्रदर्शनी / व्यापार मेले में भाग लेने के लिए विदेश गया कोई व्यक्ति वहाँ अपने माल की बिक्री से प्राप्त हुई आय को जमा करने हेतु खाता खोल सकता है। ऐसी प्रदर्शनी/ व्यापार मेले के बंद होने की तिथि से एक माह के भीतर शेष राशि भारत में संप्रत्यावर्तित कर दी जाए।

4) निम्नलिखित व्यक्ति भारत में उसे देय अपना संपूर्ण वेतन विप्रेषित करने/ प्राप्त करने के लिए खाता खोल सकता है:

(ए) भारत में निवासी कोई विदेशी नागरिक, जो किसी विदेशी कंपनी का कर्मचारी है और भारत में उस कंपनी के कार्यालय/ शाखा/ अनुषंगी/ संयुक्त उद्यम/ समूह कंपनी में प्रतिनियुक्ति पर है;

(बी) कोई ऐसा व्यक्ति जो भारतीय नागरिक है और किसी विदेशी कंपनी का कर्मचारी है और भारत में उस कंपनी के कार्यालय / शाखा / अनुषंगी / संयुक्त उद्यम / समूह कंपनी में प्रतिनियुक्ति पर है; तथा

(सी) कोई विदेशी नागरिक, जो भारत में निवासी है और किसी भारतीय कंपनी में कार्यरत है।

5) उदारीकृत विप्रेषण योजना के तहत राशि विप्रेषित करने के लिए ।

लोक ऋण अधि‍नि‍यम, 1944 उन सरकारी प्रति‍भूति‍यों पर लागू नही होगा जि‍न पर सरकारी प्रतिभूति अधिनियम लागू होता है । जबकि भारतीय प्रति‍भूति‍ अधि‍नि‍यम, 1920 नि‍रस्त कि‍या गया है ।

अधिकांश देशों की तरह, भारत में बैंकों को भी चेकों के संग्रहण से संबंधित अपनी व्यक्तिगत नीति/प्रक्रियाओं को विकसित करने की आवश्यकता होती है। ग्राहक बैंक के दायित्वों और ग्राहकों के अधिकारों पर बैंक से देय प्रकटीकरण प्राप्त करने का हकदार है।

मोटे तौर पर, बैंकों द्वारा बनाई गई नीतियों में निम्नलिखित क्षेत्रों को शामिल किया जाना चाहिए:

स्थानीय/बाहरी चेकों के लिए तत्काल क्रेडिट, स्थानीय/बाहरी लिखतों की वसूली के लिए समय सीमा और विलंबित वसूली के लिए देय मुआवजा।

विभिन्न बैंकों के संबंधित सीसीपी बैंक की वेबसाइट पर उपलब्ध कराए गए हैं।

बैंक स्वयं द्वारा निर्धारित मानकों का पालन न करने के लिए देरी के कारण मुआवजे/ब्याज भुगतान के माध्यम से ग्राहकों को अपनी देयता का खुलासा करने के लिए बाध्य हैं। ग्राहक को मुआवजा/ब्याज का भुगतान दिया जाना चाहिए, भले ही इस के लिए कोई औपचारिक दावा दर्ज न किया गया हो।

जीएएच की ओर से, प्राथमिक सदस्‍य द्वारा सीसीआइएल को एक एक्‍सेस रिक्‍वेस्‍ट फार्म प्रस्‍तुत करना होता है। यह अनुरोध औपचारिक तौर पर रिज़र्व बैंक को संबोधित किया जाएगा। लेकिन, सीसीआइएल को सीधे ही प्राथमिक सदस्‍य से प्राप्‍त एक्‍सेस रिक्‍वेस्‍ट फार्म को प्राप्‍त करने और उस पर कार्रवाई करने के लिए प्राधिकृत किया गया है।  इस बारे में विस्‍तृत जानकारी अनुबंध-1 में दी गयी है।

उत्तर: 'ऋण सुविधा' शब्द का अर्थ है एक सावधि ऋण, परियोजना वित्त पैकेज के एक भाग के रूप में अधिग्रहीत परियोजना कंपनी में बांड/डिबेंचर/वरीयता शेयरों/इक्विटी शेयरों के लिए परियोजना ऋण सदस्यता जैसे कि इस तरह की सदस्यता राशि "अग्रिम की प्रकृति में" या किसी अन्य प्रकार की दीर्घकालिक वित्त पोषित सुविधा है जो एक उधारकर्ता कंपनी को प्रदान की जाती है जो बुनियादी सुविधाओं के विकास / संचालन और रखरखाव / विकास, संचालन और रखरखाव में लगी हुई है, जो किसी भी उप-क्षेत्र में एक परियोजना है जैसा कि अवसंरचना ऋण की परिभाषा में विनिर्दिष्ट है।

उत्तर: आईडीएफ-एमएफ को प्रायोजित करने के इच्छुक एनबीएफसी को निम्नलिखित आवश्यकताओं का पालन करना आवश्यक है:

  • एनबीएफसी के पास 300 करोड़ रुपये का न्यूनतम निवल स्वाधिकृत फंड (एनओएफ) होना चाहिए; और जोखिम भारित आस्तियों के लिए पूंजी (सीआरएआर) 15%;

  • इसका निवल एनपीए निवल अग्रिम के 3% से कम होना चाहिए;

  • यह कम से कम 5 साल के लिए अस्तित्व में होना चाहिए था;

  • इसे पिछले तीन वर्षों से लाभ अर्जित करना चाहिए और इसका प्रदर्शन संतोषजनक होना चाहिए;

  • आईडीएफ-एमएफ में निवेश के बाद एनबीएफसी का सीआरएआर इसके लिए निर्धारित विनियामक न्यूनतम से कम नहीं होना चाहिए;

  • एनबीएफसी को प्रस्तावित आईडीएफ में निवेश के लिए लेखांकन के बाद एनओएफ के आवश्यक स्तर को बनाए रखना जारी रखना चाहिए और

  • एनबीएफसी के संबंध में कोई पर्यवेक्षी चिंता नहीं होनी चाहिए

अमरीकी डॉलर में इस प्रकार के मूल्यांकित चेकों की वसूली के लिए बैंक ग्राहकों द्वारा चुनी गई वसूली व्यवस्था की किस्म और उस वसूली प्रक्रिया में संबद्ध बिचौलियों (प्रतिनिधि बैंकों) की संख्या के अनुरूप प्रभार लगाते हैं। प्रत्येक प्रतिनिधि बैंक वसूली प्रक्रिया को संपन्न करने के लिए अपने-अपने हिसाब से प्रभार लेता है। उसके बाद भारत में स्थित वसूलीकर्ता बैंक, ये सभी प्रभार अपने ग्राहकों से ले लेते हैं। ग्राहक के खाते में वसूली प्रभारों को घटाकर धन-राशि जमा कर दी जाती है (वसूली प्रभार को घटाने के बाद शेष प्राप्त-राशियां)।

उत्तर : नहीं । विशेष आर्थिक क्षेत्र की इकाईयां विदेशी मुद्रा अर्जक विदेशी मुद्रा खाता नहीं खोल सकती हैं। तथापि दिनांक 21 जनवरी 2016 की विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत में निवास करने वाले व्यक्ति के विदेशी मुद्रा खाते) विनियमावली, 2016 के विनियम-4 (डी) में निर्धारित शर्तों के अधीन विशेष आर्थिक क्षेत्र में स्थित कोई इकाई भारत में किसी प्राधिकृत व्यापारी के पास विदेशी मुद्रा खाता खोल सकती है।

उत्‍तर: नकदी निकालने के अलावा एटीएम/डबल्यूएलए ग्राहकों को कई अन्य सेवाएं/सुविधाएं उपलब्ध कराते हैं। इनमें से कुछ सेवाएँ निम्नलिखित हैं:

  • खाता संबंधी जानकारी

  • नकद जमा (डबल्यूएलए में नकदी जमा को स्वीकार करने की अनुमति नहीं है)

  • नियमित बिल भुगतान (डबल्यूएलए में अनुमति नहीं है)

  • मोबाइलों के लिये रीलोड वाउचरों की खरीद (डबल्यूएलए में अनुमति नहीं है)

  • छोटा / लघु विवरण

  • पिन परिवर्तन

  • चेक बुक के लिए अनुरोध

पात्रता मानदंडों को पूरा करने वाले सभी ऋण, जब तक कि समाधान ढांचे के अनुबंध के पैरा 2 के विशिष्ट अपवर्जन सूची मे शामिल नहीं हैं, उक्त क्र सं 2 के स्पष्टीकरण के तहत समाधान ढांचे के दायरे के अधीन होंगे। ये ऋण, यदि समाधान ढांचे के अनुबंध के पैराग्राफ 2 में उल्लिखित श्रेणियों में से किसी के अंतर्गत नहीं आते हैं, तो वे दिनांक 4 जनवरी 2018 को एक्सबीआरएल विवरणी – बैंकिंग सांख्यिकी को सुसंगत बनाना विषय पर जारी परिपत्र बैंविवि.सं.बीपी.बीसी.99/08.13.100/2017-18 में परिभाषित "व्यक्तिगत ऋण" के दायरे में आने पर अनुबंध के भाग ए के तहत समाधान के लिए पात्र हैं, भले ही वे स्पष्ट रूप से किसी भी विनियामकीय/पर्यवेक्षी रिपोर्टिंग में, या अनुबंध के भाग बी के तहत स्पष्ट रूप से वर्गीकृत नहीं किए गए हैं।

उत्तर. आरटीजीएस 14 दिसंबर 2020 से 24x7x365 उपलब्ध है।

उत्तर. पीपीआई जारीकर्ताओं द्वारा इस प्रकार एकत्र किए गए धन का उपयोग उन व्यापारियों को भुगतान करने के लिए किया जाना है जो स्वीकृति व्यवस्था का हिस्सा हैं और जिनका उपयोग पीपीआई धारकों की ओर से निधियों के अंतरण/विप्रेषण सेवाओं की सुविधा के लिए किया जाना है।
जी हां, व्‍यक्ति जिस बैंक में उसका 'बुनियादी बचत बैंक जमा खाता' हो वहां पर मीयादी / सावधि जमा, आवर्ती जमा आदि खाते रख सकता है।

पात्रता मानदंडों को पूरा करने वाले सभी ऋण, जब तक कि समाधान ढांचे के अनुबंध के पैरा 2 के विशिष्ट अपवर्जन सूची मे शामिल नहीं हैं, उक्त क्र सं 2 के स्पष्टीकरण के तहत समाधान ढांचे के दायरे के अधीन होंगे। ये ऋण, यदि समाधान ढांचे के अनुबंध के पैराग्राफ 2 में उल्लिखित श्रेणियों में से किसी के अंतर्गत नहीं आते हैं, तो वे दिनांक 4 जनवरी 2018 को एक्सबीआरएल विवरणी – बैंकिंग सांख्यिकी को सुसंगत बनाना विषय पर जारी परिपत्र बैंविवि.सं.बीपी.बीसी.99/08.13.100/2017-18 में परिभाषित "व्यक्तिगत ऋण" के दायरे में आने पर अनुबंध के भाग ए के तहत समाधान के लिए पात्र हैं, भले ही वे स्पष्ट रूप से किसी भी विनियामकीय/पर्यवेक्षी रिपोर्टिंग में, या अनुबंध के भाग बी के तहत स्पष्ट रूप से वर्गीकृत नहीं किए गए हैं।

बैंक द्वारा आम तौर पर निम्नलिखित ऋण विकल्पों में से किसी एक की पेशकश की जा सकती हैं: फ्लोटिंग रेट (अस्थायी दर) होम लोन और फिक्स्ड रेट (निश्चित दर) आवास ऋण। फिक्स्ड रेट लोन के लिए, ब्याज की दर या तो ऋण की पूरी अवधि के लिए या ऋण की अवधि के एक निश्चित हिस्से के लिए तय होती है। शुद्ध निश्चित ऋण के मामले में, बैंक की ईएमआई स्थिर रहती है। यदि कोई बैंक ऋण की पेशकश करता है जो केवल ऋण की अवधि की एक निश्चित अवधि के लिए निर्धारित है, तो कृपया बैंक से जानकारी प्राप्त करने का प्रयास करें कि क्या अवधि के बाद दरें बढ़ाई जा सकती हैं (पुनर्स्थापना खंड)। आप एक लॉक-इन पर बातचीत करने का प्रयास कर सकते हैं जिसमें वह दर शामिल होनी चाहिए जिस पर आपने शुरुआत में सहमति दी थी और लॉक-इन की अवधि भी शामिल होनी चाहिए।

इसलिए फिक्स्ड रेट वाले लोन की ईएमआई पहले से पता होती है। यह वह नकद बहिर्प्रवाह है जिसकी योजना ऋण की शुरुआत में बनाई जा सकती है। यदि मुद्रास्फीति और अर्थव्यवस्था में ब्याज दर वर्षों में बढ़ती है, तो एक निश्चित ईएमआई आकर्षक रूप से स्थिर होती है और इसकी योजना बनाना आसान होता है। हालांकि, अगर आपने ईएमआई तय कर रखी है तो बाजार में ब्याज दरों में किसी तरह की कटौती से आपको कोई फायदा नहीं होगा।

फ्लोटिंग रेट के निर्धारक:

फ्लोटिंग रेट लोन की ईएमआई बाजार की ब्याज दरों में बदलाव के साथ बदलती है। यदि बाजार दर बढ़ती है, तो आपकी चुकौती (पुनर्भुगतान) बढ़ जाती है। जब दरें गिरती हैं, तो आपकी बकाया राशि भी गिर जाती है। फ्लोटिंग ब्याज दर दो भागों से बनी होती है: इंडेक्स और स्प्रेड (सूचकांक और फैलाव)। सूचकांक आम तौर पर ब्याज दरों का एक उपाय है (सरकारी प्रतिभूतियों की कीमतों के आधार पर), और प्रसार एक अतिरिक्त राशि है जिसे बैंकर क्रेडिट जोखिम, लाभ मार्क-अप आदि को कवर करने के लिए जोड़ता है। प्रसार की राशि एक ऋणदाता से दूसरे में भिन्न हो सकती है, लेकिन यह आमतौर पर ऋण के जीवन पर स्थिर होती है। अगर सूचकांक दर ऊपर जाती है, तो अधिकांश परिस्थितियों में आपकी ब्याज दर भी बढ़ती है और आपको अधिक ईएमआई का भुगतान करना होगा। इसके विपरीत, अगर ब्याज दर घटती है, तो आपकी ईएमआई राशि कम होनी चाहिए।

साथ ही, कभी-कभी बैंक कुछ समायोजन (एडजस्टमेंट) करते हैं ताकि आपकी ईएमआई स्थिर रहे। ऐसे मामलों में, जब कोई ऋणदाता फ्लोटिंग ब्याज दर बढ़ाता है, तो ऋण की अवधि बढ़ जाती है (और ईएमआई स्थिर रहती है)।

कुछ ऋणदाता अपनी फ्लोटिंग दरें अपने बेंचमार्क प्राइम लेंडिंग रेट्स (बीपीएलआर) पर भी आधारित करते हैं। आपको पूछना चाहिए कि फ्लोटिंग रेट को सेट करने के लिए किस इंडेक्स का उपयोग किया जाएगा, यह आमतौर पर अतीत में कैसे उतार-चढ़ाव करता है, और यह कहां प्रकाशित/खुलासा होता है। हालांकि, किसी भी इंडेक्स का पिछला उतार-चढ़ाव उसके भविष्य के व्यवहार की गारंटी नहीं है।

ईएमआई में लचीलापन:

कुछ बैंक अपने ग्राहकों को लचीले पुनर्भुगतान विकल्प भी प्रदान करते हैं। यहां ईएमआई असमान हैं। स्टेप-अप लोन में, शुरुआत में ईएमआई कम होती है और जैसे-जैसे साल बीतते जाते हैं (बैलून रीपेमेंट) बढ़ती जाती है। स्टेप-डाउन लोन में, ईएमआई शुरू में अधिक होती है और जैसे-जैसे साल बीतते जाते हैं, घटती जाती है।

स्टेप-अप विकल्प उन उधारकर्ताओं के लिए सुविधाजनक है जो अपने करियर की शुरुआत में हैं। स्टेप-डाउन ऋण विकल्प उन उधारकर्ताओं के लिए उपयोगी है जो अपनी सेवानिवृत्ति के वर्षों के करीब हैं और वर्तमान में अच्छा पैसा कमा रहे हैं।

उत्तर : बैंकों द्वारा सब्सक्राइब किए गए और 23 अप्रैल 2010 के परिपत्र में निर्दिष्ट मानदंडों को पूरा करने वाले बांडों को एचटीएम श्रेणी के अंतर्गत वर्गीकृत किया जाना जारी रहेगा।

हां, खरीदे जा सकते हैं।
परिपत्र के पैरा 2 के अनुसार, सीसीओ का चयन उपयुक्त 'फिट एंड प्रॉपर' मूल्यांकन/चयन मानदंडों के आधार पर उपयुक्त प्रक्रिया के माध्यम से किया जाना है। 'फिट एंड प्रॉपर' मानदंडों की जांच और रिपोर्ट योग्यता,अखंडता एवं दूसरों के मध्य हितों के टकराव के परिप्रेक्ष्य में की जा सकती है।
For redressal of grievance, the complainant must first approach the System Participant (as defined in the Scheme) concerned. If the System Participant does not reply within a period of one month after receipt of the complaint, or rejects the complaint, or if the complainant is not satisfied with the reply given, the complainant can file the complaint with the Ombudsman for Digital Transactions within whose jurisdiction the branch or office of the System Participant complained against, is located. For complaints arising out of services with centralized operations, the same shall be filed before the Ombudsman for Digital Transactions within whose territorial jurisdiction the billing / declared address of the customer is located.

उत्तर: एसएनआरआर खाते का उपयोग 22 नवंबर 2019 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 09 के तहत अनुमत लेनदेन के लिए किया जा सकता है। ये लेनदेन केवल तभी किए जाने चाहिए जब फेटर्स के तहत ऐसे लेनदेन का अभिलेखीकरण और रिपोर्टिंग अन्य फेमा अनुपालनों के अलावा की जा सकती है। यह ध्यान दिया जाए कि उदारीकृत विप्रेषण योजना (एलआरएस) के तहत लेनदेन को एसएनआरआर खाते के माध्यम से मार्गस्थ (रूट) करने की अनुमति नहीं है।

परिपत्र किसी लेखापरीक्षा फर्म को संस्था के एससीए/एसए के रूप में नियुक्त होने से किसी भी बड़े एक्सपोजर वाली कंपनी/संस्था का लेखापरीक्षा करने से प्रतिबंधित नहीं करता है। यह केवल यह निर्धारित करता है कि लेखा परीक्षक की स्वतंत्रता का आकलन करते समय इस पहलू को भी स्पष्ट रूप से शामिल किया जाना चाहिए। इस संबंध में, बोर्ड/एसीबी/एलएमसी यह देखेगा कि हितों का कोई टकराव नहीं है और लेखा परीक्षकों की स्वतंत्रता सुनिश्चित है।
  1. A first time user should register through ATS using his/her valid email id.

  2. A system generated Password will be forwarded to the applicant’s email id.

  3. Thereafter, the applicant can login and submit his/her application and track the same.

  4. As soon as an application is submitted through ATS, a unique application number is generated and forwarded to the applicant by the system.

  5. A mail is sent by the system automatically when the application is disposed of or transferred from one office / department / section to another.

No. The requirement is that not less than 51 per cent of the voting equity shares of the NOFHC shall be held by companies in the Promoter Group, in which the public hold not less than 51 percent of the voting equity of such companies. If 10 independent individuals form a Group, then such a Group cannot satisfy the above criteria laid down for holding the NOFHC. Additionally, such newly formed Promoter Group would not be able to meet one of the ‘Fit and Proper’ criteria, which requires Promoters/Promoter Groups to have a successful track record of running their business for at least 10 years. Essentially, the intention is that existing groups should set up banks and not groups set up for this purpose. However, it is clarified that individuals belonging to the Promoter Group can participate in the voting equity shares of NOFHC. While any such individual along with his relatives (as defined in Section 6 of the Companies Act 1956) and along with entities in which he and / or his relatives hold not less than 50 per cent of the voting equity shares, can hold voting equity shares not exceeding 10 per cent of the total voting equity shares of the NOFHC, all such individuals (along with their relatives and companies as specified above) irrespective of their numbers, cannot hold more than 49 per cent of the voting equity shares of the NOFHC (since the companies forming part of the Promoter Group whereof companies in which the public hold not less than 51 per cent of the voting equity shares shall hold not less than 51 per cent of the total voting equity shares of the NOFHC).[ para 2 ( C ) (ii) (a) and (b) of the guidelines]

अधिकृत बैंकों की शाखाओं में जमा हेतु आवेदन उपलब्ध होगा। आवेदन भारतीय रिज़र्व बैंक के वेबसाईट पर भी उपलब्ध है।

उत्तर: एसटीबीडी (1-3 वर्ष), एमटीजीडी (5-7 वर्ष), और एलटीजीडी (12-15 वर्ष) के तहत जमा केवल निर्दिष्ट समय सीमा के लिए किया जा सकता है। इन जमाराशियों को बाद में परिपक्वता पर नवीनीकृत किया जा सकता है।

उत्तर

हाँ। जिस बैंक में 'आधारभूत बचत बैंक जमा खाता' है, उस बैंक में कोई भी सावधि/सावधि जमा, आवर्ती जमा आदि खाते रख सकता है।

स्प्रेड के घटक यानी व्यापार रणनीति और क्रेडिट जोखिम प्रीमियम का या तो पोसिटिव मूल्य होगा या शून्य होगा। दूसरे शब्दों में स्प्रेड के घटक नेगटिव नहीं हो सकते।

उत्तर: आवेदक को प्रायोजकों की सूची और 2 करोड़ रुपये की न्यूनतम पूंजी के लिए निधि के स्रोत का विवरण देना होगा। सीओआर जारी करने से पहले पूंजी डाल दे जानी चाहिए। इस दौरान प्रायोजकों में बदलाव की अनुमति नहीं है।

For redressal of grievance, the complainant must first approach the concerned NBFC. If the NBFC does not reply within a period of one month after receipt of the complaint, or the NBFC rejects the complaint, or if the complainant is not satisfied with the reply given by the NBFC, the complainant can file the complaint with the NBFC Ombudsman under whose jurisdiction the branch/ registered office of the NBFC falls.

  • सूचकांक अनुपात (आईआर) निर्गम तारीख पर संदर्भित डबल्यूपीआई के साथ निपटान तारीख पर संदर्भित डबल्यूपीआई के विभाजन द्वारा गणना की जाएगी।

  • उक्त के लिए फॉर्मूला निम्न है:

I1
घरेलू वाणिज्यिक बैंकों, 20 और उससे अधिक शाखाओं वाले विदेशी बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और लघु वित्त बैंकों के लिए समग्र प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार के तहत सूक्ष्म (माइक्रो) उद्यमों को उधार देने के लिए समायोजित निवल बैंक ऋण (एएनबीसी) या तुलनपत्र वाह्य एक्सपोजर के समतुल्य ऋण (सीईओबीई), जो भी अधिक हो, का 7.5 प्रतिशत का उप-लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
उ : हाँ। एक इकाई जो बैंक के साथ पंजीकृत नहीं है, वह फैक्टरिंग का व्यवसाय नहीं कर सकती है, जब तक कि वह अधिनियम की धारा 5 में उल्लिखित एक इकाई नहीं है, अर्थात संसद या राज्य विधानमंडल के अधिनियम के तहत स्थापित कोई बैंक या कोई निगम, या कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 617 के तहत परिभाषित एक सरकारी कंपनी।
उत्तर: हाँ। कंपाउंडिंग के लिए अनुरोध करते समय आवश्यक दस्तावेजों के साथ विनिर्दिष्ट फॉर्मेट में आवेदन पत्र और "भारतीय रिज़र्व बैंक" के पक्ष में आहरित रु.5000/- (पांच हजार रुपए मात्र) का डिमांड ड्राफ्ट भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रेषित किया जाना चाहिए।
एडीएफ प्राप्त करने के लिए किसी विशिष्ट प्रौद्योगिकी, विक्रेता, सेवा प्रदाता या प्रक्रिया की सिफारिश नहीं की गई है और आंतरिक आवश्यकताओं के आधार पर इन मुद्दों पर निर्णय लेना बैंकों पर छोड़ दिया गया है।

उत्तर: भारत की यात्रा कर रहे गैर-भारतीय मूल के विदेशी नागरिक बैंकिंग चैनल के माध्यम से भारत के बाहर से विप्रेषित निधियों या उसके द्वारा भारत में लाई गई विदेशी मुद्रा की बिक्री से एनआरओ (चालू/ बचत) खाता खोल सकता है। भारत से प्रस्थान करते समय एनआरओ खाते में शेष जमाराशि का भुगतान खाताधारक को किया जा सकता है, बशर्ते कि खाता छह माह से अनधिक की अवधि के लिए रखा गया है और खाते में उस पर उपचित ब्याज से इतर कोई स्थानीय निधियां जमा नहीं की गई हैं।

उत्तर: एनईएफटी योजना में भाग लेने वाली सभी बैंक-शाखाओं के पास आईएफएससी की बैंक-वार सूची उपलब्ध है। एनईएफटी और उनके आईएफएससी में भाग लेने वाली बैंक-वार शाखाओं की सूची आरबीआई की वेबसाइट /en/web/rbi/-/list-of-neft-enabled-bank-branches-bank-wise-indian-financial-system-code-updated-as-on-june-30-2023-2009-1 पर भी उपलब्ध है। सभी सदस्य बैंकों को भी सलाह दी गई है कि वे अपने ग्राहकों को जारी किए गए चेक पर शाखा का आईएफएसई प्रिंट करें।

आवेदक को निर्धारित फॉर्म (Application in the prescribed form) (जैसा कि फेमा 1999 के तहत रिपोर्टिंग पर एफईडी मास्टर निर्देश संख्या 18/2015-16 के भाग I: अनुबंध-I में दिया गया है) में अपना आवेदन अपेक्षित दस्तावेजों के साथ भारतीय रिज़र्व बैंक के विदेशी मुद्रा विभाग के उस क्षेत्रीय कार्यालय में प्रस्तुत करना चाहिए जिसके क्षेत्राधिकार में उसका पंजीकृत कार्यालय आता हो।

उत्तर: विदेश से भारत में आनेवाला व्यक्ति अपने साथ किसी सीमा के बिना विदेशी मुद्रा ले आ सकता है। तथापि यदि आए मुद्रा नोटों, बैंक नोटों, अथवा यात्री चेकों के रूप में साथ ले आए विदेशी मुद्रा का कुल मूल्य 10,000 अमरीकी डॉलर अथवा उसके समतुल्य से अधिक है तथा/ अथवा केवल विदेशी मुद्रा का मूल्य 5,000 अमरीकी डॉलर अथवा उसके समतुल्य से अधिक है तो भारत में आगमन पर मुद्रा घोषणा फॉर्म (सीडीएफ़) में एयर पोर्ट पर कस्टम्स प्राधिकारियों को उसे घोषित किया जाना चाहिए।

उत्तर: आरबीआई का अनुमोदन तब आवश्यक है जब:

(i) प्रति वित्तीय वर्ष 10,00,000 अमरीकी डालर (एक मिलियन अमरीकी डालर) से अधिक के विप्रेषण हैं:

(ए) भारत से बाहर का निवासी जो किसी अन्य देश का नागरिक है, उसे विरासत, वसीयत अथवा उत्तराधिकार के कारण;

(बी) अनिवासी भारतीय अथवा भारतीय मूल का व्यक्ति (PIO) उसके अनिवासी साधारण खाते (NRO Account) में धारित शेष राशियों से / परिसंपत्तियों / उत्तराधिकार / विरासत के तौर पर अधिग्रहीत परिसंपत्तियों की बिक्री से आगम राशि के कारण;

(ii) यदि भारत से विप्रेषण न किया गया तो ऐसे व्यक्ति को बहुत कठिनाइयां झेलनी पड़ेंगी ।

Ans The primary modes of funds transfer at present are demand draft, mail transfer and telegraphic transfer. The demand draft facility is paper based. The remitter, after purchasing demand draft from a bank branch, dispatches the same by post/courier to the beneficiary. The beneficiary, in turn, lodges the draft to his/her bank for collection and clearing. The time taken for completing the process is about 10 days. In the case of telegraphic transfer, fund reaches the beneficiary either on the same day or the next; but both the remitter and the beneficiary would have to be account holders of the same bank. If they are customers of different banks, a good deal of paper processing is required. On the other hand, RBI EFT system is an inter-bank oriented system. RBI acts as an intermediary between the remitting bank and the receiving bank and effects inter-bank funds transfer. The customers of banks can request their respective branches to remit funds to the designated customers irrespective of bank affiliation of the beneficiary.

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पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: दिसंबर 11, 2022

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