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एनबीएफसी - फैक्टर

उ : कंपनी अधिनियम 1956 की धारा 3 के तहत पंजीकृत प्रत्येक कंपनी जो एनबीएफसी-फैक्टर के रूप में पंजीकरण की मांग कर रही है, उसके पास न्यूनतम निवल स्वाधिकृत निधि (एनओएफ) रु 5 करोड़ होनी चाहिए। मौजूदा कंपनियां जो एनबीएफसी-फैक्टर के रूप में पंजीकरण चाहती हैं, लेकिन एनओएफ मानदंड रुपये 5 करोड़ को पूरा नहीं करती हैं, आवश्यकता का अनुपालन करने के लिए अधिक समय मांगते हुए बैंक से संपर्क कर सकते हैं।

A link to ATS has been provided in the RBI website http://www.rbi.org.in.

यदि स्‍वर्ण का बाज़ार भाव कम हो जाता है तो पूंजीगत हानि होने का जोखिम हो सकता है। लेकिन स्‍वर्ण की जितनी मात्रा के लिए निवेशक ने पैसे दिए हैं उस मात्रा में कोई कमी नहीं आती।
  • हाँ, शोधन के समय समायोजित मूलधन और अंकित मूल्य (एफ़वी) से ज्यादा भुगतान करके पूंजीगत सुरक्षा उपलब्ध कराई जाएगी।

  • यदि अपस्फीति के कारण एफ़वी समायोजित मूलधन से कम हो जाता है, तो एफ़वी का शोधन पर भुगतान किया जाएगा, इस प्रकार पूंजी को सुरक्षा प्राप्त होगी।

उत्तर: एनईएफटी लेनदेन का चरणबद्ध प्रवाह निम्नलिखित है।

चरण-1: कोई व्यक्ति/फर्म/कॉर्पोरेट जो एनईएफटी के माध्यम से निधि अंतरण करने का इच्छुक है, ऑनलाइन धन अंतरण अनुरोध शुरू करने के लिए अपने बैंक द्वारा प्रदान की जाने वाली इंटरनेट/मोबाइल बैंकिंग सुविधा का उपयोग कर सकता है। प्रेषक को लाभार्थी का विवरण जैसे लाभार्थी का नाम, बैंक शाखा का नाम जहां लाभार्थी का खाता है, लाभार्थी बैंक शाखा का आईएफएससी , खाता प्रकार और खाता संख्या, उनका इंटरनेट / मोबाइल बैंकिंग मॉड्यूल आदि लाभार्थी को अपने खाते में जोड़ने के लिए प्रदान करना होगा। लाभार्थी को सफल रूप से जोड़ने पर, प्रेषक अपने खाते में डेबिट को अधिकृत करके ऑनलाइन एनईएफटी फंड ट्रांसफर शुरू कर सकता है। वैकल्पिक रूप से, प्रेषक शाखा/ऑफ-लाइन मोड के माध्यम से एनईएफटी फंड ट्रांसफर शुरू करने के लिए अपनी बैंक शाखा में भी जा सकता है। ग्राहक को बैंक शाखा में उपलब्ध एनईएफटी आवेदन पत्र में लाभार्थी का विवरण भरना होगा और एनईएफटी आवेदन पत्र में अनुरोधित राशि की सीमा तक शाखा को उसके खाते से डेबिट करने के लिए अधिकृत करना होगा।

चरण-2: मूल बैंक एक संदेश तैयार करता है और अपने पूलिंग केंद्र, जिसे एनईएफटी सेवा केंद्र भी कहा जाता है, को संदेश भेजता है।

चरण-3: पूलिंग सेंटर अगले उपलब्ध बैच में शामिल करने के लिए आरबीआई द्वारा संचालित एनईएफटी क्लियरिंग सेंटर को संदेश भेजता है।

चरण-4: समाशोधन केंद्र लाभार्थी के बैंक-वार धन हस्तांतरण लेनदेन को छाँटता है और मूल बैंकों (डेबिट) से धन प्राप्त करने के लिए लेखांकन प्रविष्टियाँ तैयार करता है और लाभार्थी बैंकों (क्रेडिट) को धन देता है। इसके बाद, लाभार्थी बैंकों को उनके पूलिंग सेंटर (एनईएफटी सेवा केंद्र) के माध्यम से बैंक-वार प्रेषण संदेश भेजे जाते हैं।

चरण-5: लाभार्थी बैंक समाशोधन केंद्र से आवक प्रेषण संदेश प्राप्त करते हैं और लाभार्थी ग्राहकों के खातों में क्रेडिट भेजते हैं।

हाँ। विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 की धारा 10 के तहत रिज़र्व बैंक द्वारा प्राधिकृत संस्थाएं ही मुद्रा परिवर्तन का कारोबार कर सकती हैं। कोई भी व्यक्ति जिसके पास रिज़र्व बैंक द्वारा जारी वैध लाइसेंस नहीं है, वह मुद्रा परिवर्तन का कारोबार नहीं कर सकता । कोई भी व्यक्ति जो वैध लाइसेंस के बिना मुद्रा परिवर्तन का कारोबार करता हुआ पाया जाता है, वह उक्त अधिनियम के तहत दंड का पात्र होगा।

उत्तर: नीचे (ए) तथा (बी) में उल्लिखित देशों से इतर सभी देशों की यात्रा पर जा रहे यात्रियों को प्रतियात्रा 3000 अमरीकी डालर तक के विदेशी मुद्रा नोट / सिक्के खरीदने की अनुमति है। शेष राशि को स्टोर वैल्यू कार्ड, यात्रा चेकों अथवा बैंकर्स ड्राफ्ट के रूप में ले जा सकते हैं। इस के अपवाद हैं: (ए) इराक या लीबिया को जा रहे यात्री, जो विदेशी मुद्रा नोटों तथा सिक्कों के रूप में प्रतियात्रा 5000 अमरीकी डालर या उसके बराबर से अनधिक राशि आहारित कर सकते हैं; (बी) इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान, रशियन फेडरेशन तथा स्वतंत्र देशों के कामनवैल्थ के अन्य गणतंत्र की यात्रा करने वाले यात्री जो विदेशी मुद्रा नोटों तथा सिक्कों के रूप में पूरी विदेशी मुद्रा (250,000 अमरीकी डॉलर) आहारित कर सकते हैं

एफ़एफ़एमसी / एडी बैंकों द्वारा हज / उमराह की तीर्थयात्रा पर जा रहे यात्री – पात्रता की पूरी (250,000 अमरीकी डॉलर) राशि नकदी में या भारत की हज समिति द्वारा विनिर्दिष्ट सीमा तक नकदी जारी कर दी जाए।

उत्तर: निवासी अर्थात वह व्यक्ति जिसकी परिभाषा फेमा, 1999 की धारा (v)2 में की गई है। साथ ही यदि कियाई प्राधिकरण द्वारा उसकी आवासीय स्थिति पर सवाल उठाया जाता है तो अपनी आवासीय स्थिति को साबित करने का दायित्व उस व्यक्ति का है।

सरकारी खाते में जमा करने संबंधी सभी राशि‍याँ जैसे कर और अन्य विप्रेषण की राशियाँ, संबंधि‍त सरकार/वि‍भाग के निर्धारित चालान भरकर जमा की जाती हैं। करदाताओं को संबंधित सरकारी पोर्टल में लाग इन करके इलेक्ट्रानिक रूप में सरकारी देय राशियों का भुगतान करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। तथापि यदि वे देय राशियों का नकद, चेक, मांग ड्राफ्ट से भुगतान करने के इच्छुक हैं, तो इस संबंध में निर्धारित चालान के साथ इन्हें प्राधिकृत एजेंसी बैंक की शाखाओं में प्रस्तुत करना अपेक्षित है।
Ans The remitting bank transmits the funds transfer message to RBI so as to reach NCC, before the cut off time for the settlement, the receiving bank’s account is credited by RBI at the destination centre and beneficiary gets credit on the same day.
बैंक के लाइसेंस रद्द करने/परिसमापन की तारीख तक अथवा समामेलन/विलय/पुनर्निर्माण स्कीम लागू होने की तारीख तक, प्रत्येक जमाकर्ता को किसी बैंक में समान अधिकार एवं क्षमता में रखे गए मूलधन और ब्याज दोनों के लिए अधिकतम रु 5,00,000 (पांच लाख रुपए) तक बीमा प्रदान किया जाता है।
An authorized dealer is normally a bank specifically authorized by the Reserve Bank under Section 10(1) of FEMA,1999, to deal in foreign exchange or foreign securities.

उत्तर: केवल बीओ/ एलओ/ पीओ खोलने के इच्छुक बांग्लादेश, श्रीलंका, अफगानिस्तान, ईरान, चीन, हांगकांग, मकाऊ या पाकिस्तान के आवेदकों को राज्य पुलिस प्राधिकारियों के पास पंजीकरण कराना होगा। प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक को इन देशों के "व्यक्तियों" को दिया जाने वाला अनुमोदन-पत्र गृह मंत्रालय, आंतरिक सुरक्षा प्रभाग-I, भारत सरकार, नई दिल्ली को आवश्यक कार्रवाई एवं अभिलेख हेतु भेजना होगा। अन्य सभी देशों को राज्य पुलिस प्राधिकारियों के पास पंजीकरण करने से छूट दी गई है।

हाँ। अमेरिकी डॉलर में मूल्यांकित चेकों की वसूली (उगाही) के तरीके अलग-अलग हैं। बैंकों (प्रस्तुतकर्ता बैंक) द्वारा अपनायी जाने वाली वसूली प्रक्रिया उनके द्वारा स्थापित संस्थागत व्यवस्था पर निर्भर करते हुए अलग-अलग होती है। बैंकों द्वारा मूल रूप से तीन प्रकार की व्यवस्थाएं अपनायी गयी हैं -

i. नगद पत्र व्यवस्था (सीएलए): भारत में प्रस्तुतकर्ता बैंक चेक के घरेलू समाशोधन के लिए इसे संयुक्त राज्य अमेरिका में अपने प्रतिनिधि बैंक (सीबी) को भेजता है। प्रतिनिधि बैंक निधि की उगाही करता है और अमेरिका में रखे गए प्रस्तुतकर्ता बैंक के खाते में इसे जमा कर देता है। ऐसे खाते नोस्ट्रो खाते कहलाते हैं। प्रतिनिधि बैंक नकद पत्र व्यवस्था (सीएलए) के तहत भेजे गए चेकों पर बैंक को पूर्व-निर्धारित तारीख पर (जो प्रतिनिधि बैंक के पास चेक प्रस्तुत करने के बाद 7 से 9 दिन तक होती है) अनंतिम क्रेडिट देता है। हालांकि, अनंतिम क्रेडिट एक विराम अवधि (कूलिंग पीरियड) के अधीन होगा। विराम अवधि के बाद, ग्राहक का खाता जो भारत में प्रस्तुतकर्ता बैंक में होता है, में निधि डाल दी जाती है। सुरक्षित वसूली सुविधा की स्थिति में, प्रतिनिधि बैंक कुछ अतिरिक्त लागत पर गारंटीकृत क्रेडिट उपलब्ध कराता है।

(विराम अवधि वह समय है जब तक बैंक ग्राहक के खाते में निधि डालने से पहले, अमेरिकी कानून के प्रावधानों के तहत चेक के संभावित प्रतिफल हेतु अपने नॉस्ट्रो खाते में अदाकर्ता बैंक द्वारा चेक की राशि के अनंतिम क्रेडिट प्राप्त होने के बाद प्रतीक्षा करता है। विस्तृत विवरण प्रश्न संख्या 9 में दिए गए हैं।)

(सुरक्षित वसूली प्रतिनिधि बैंक द्वारा दी गई एक सुविधा है। इस सुविधा के तहत, प्रतिनिधि बैंक सामान्य वसूली सेवा से भिन्न एक निश्चित समय अवधि के भीतर दायित्व रहित गारंटीकृत अंतिम क्रेडिट उपलब्ध कराता है। इस प्रकार, इस सुविधा में वसूली समय अवधि बेहतर होती है। यह सुविधा प्रदान करने वाले प्रतिनिधि बैंक, सामान्यतया, इस व्यवस्था के तहत वसूल किए गए वैयक्तिक चेकों की राशि पर एक उच्चतम सीमा तय कर देते हैं। प्रतिनिधि बैंक, अमेरिका के कानून के अनुसार अदाकर्ता बैंक द्वारा भुगतान वापस होने पर इसे स्वयं पर ले लेते हैं। ऐसी सेवाएं देने वाले बैंक दायित्व रहित क्रेडिट सुविधा प्रदान करने के लिए कुछ अतिरिक्त राशि लेते हैं।

ii. सीधी वसूली व्यवस्था (डीसीए) : भारत में स्थित बैंकों द्वारा चेक, यूएसए स्थित अदाकर्ता बैंकों को वसूली के लिए सीधे भेजे जाते हैं। आम तौर पर वसूली सेवाओं के अंतर्गत समाशोधित निधियों की प्राप्ति निश्चित रूप से हो जाती है अर्थात् इसमें वापसी का जोखिम न के बराबर है। अत: सामान्य रूप से बड़े मूल्य के चेकों को वसूली के अंतर्गत भेज दिया जाता है, यद्यपि उसमें समय अधिक लग सकता हे।

iii. अंतिम क्रेडिट सेवाएं (एफसीएस) : कुछ प्रतिनिधि बैंक ये सेवाएं उपलब्ध कराते हैं। जो प्रतिनिधि बैंक यह सेवा प्रदान करता है वह लिखत पर निश्चित रूप से धन-राशि जमा किए जाने की गारंटी देता है। इस व्यवस्था के अंतर्गत बैंकों को उनके अपने नोस्ट्रो खातों में बिना किसी विकल्प के अंतिम क्रेडिट मिल जाता है। साधारणतया इस सेवा में कोई कूलिंग अवधि नहीं होती है, क्योंकि इस कूलिंग अवधि को प्रतिनिधि बैंक समाशोधित राशि की विमोचन से पहले फैक्टरिडग करते हैं।

उत्तर. सीपीएस तक पहुंच वाली गैर-बैंक संस्थाएं स्टैंडअलोन प्राथमिक डीलर, स्टॉक एक्सचेंजों के समाशोधन निगम, केंद्रीय प्रतिपक्षकार (सीसीआईएल), खुदरा भुगतान प्रणाली संगठन (एनपीसीआई), चुनिंदा वित्तीय संस्थान (नाबार्ड, एक्जिम बैंक) और डीआईसीजीसी हैं।

हां। तथापि केवल ऐसी जमाराशियाँ, जिन्हें परिपक्वता पर न्यूनतम तीन वर्ष की अवधि के लिए नवीकृत किया गया है और एक वर्ष की लॉक-इन अवधि है, आरबीआई के पास स्वैप करने के लिए पात्र जमाराशियों के रूप में अर्हक होंगी।

उत्तर: लीवरेज अनुपात एनबीएफसी-पी2पी प्लेटफॉर्म की बैलेंस शीट पर प्राप्त बाहरी देयताओं को उसके स्वाधिकृत निधियों द्वारा विभाजित करके प्राप्त होता है। प्लेटफॉर्म का उपयोग करके ऋण दिये गए /लिए गए ग्राहकों की निधि को प्लेटफॉर्म के बाहरी देयता के रूप में नहीं गिना जाएगा।

उत्तर: यदि प्रेषक का भारत में किसी भी एनईएफटी सक्षम बैंक-शाखा में खाता है तो प्रेषण की कोई सीमा नहीं है। वॉक-इन/गैर-ग्राहकों को ₹50,000 प्रति प्रेषण की सीमा के साथ एक वर्ष में 12 प्रेषण भेजने की अनुमति है।

उत्तर: उक्त निदेशों के पैरा 18 के अनुसार आईएफसी ऋण मानदंडों के संकेंद्रण को पार कर सकते हैं:

i. उधार देने में

ए) किसी एकल उधारकर्ता को उसके स्वामित्व वाली निधि का दस प्रतिशत, (अर्थात स्वामित्व वाली निधि के 25% पर) और

बी) उधारकर्ताओं के एक समूह के लिए उसके स्वामित्व वाली निधियों का पंद्रह प्रतिशत (अर्थात स्वामित्व वाली निधियों का 40%)

ii. निम्न द्वारा उधार और निवेश में (ऋण/निवेश एक साथ लिया गया)

ए) एक पार्टी को अपने स्वामित्व वाले फंड का पांच प्रतिशत, (यानी स्वामित्व वाले फंड का 30%); तथा

बी) पार्टियों के एक समूह को अपने स्वामित्व वाले फंड का दस प्रतिशत, (यानी स्वामित्व वाले फंड का 50%)

iii. एकल पार्टी और पार्टियों के एकल समूह दोनों के लिए निवेश के मौजूदा मानदंड वही रहेंगे जो निदेश के पैरा 18 में हैं, अर्थात...

ए) किसी अन्य कंपनी के शेयरों में निवेश उसके स्वामित्व वाले फंड के 15% से अधिक नहीं हो सकता

बी) कंपनियों के एकल समूह के शेयरों में निवेश उसके स्वामित्व वाले फंड के 25% से अधिक नहीं हो सकता।

उत्तर

नहीं, एक व्यक्ति एक बैंक में केवल एक 'आधारभूत बचत बैंक जमा खाता' रखने के लिए पात्र है।

उत्तर: यदि किसी व्यक्ति को रिज़र्व बैंक अथवा अन्य किसी सांविधिक प्राधिकारी अथवा लेखा-परीक्षक से अथवा किसी अन्य प्रकार से फेमा, 1999 के प्रवधानों के उल्लंघन के बारे में ज्ञात होता है, तो वह कंपाउंडिंग के लिए आवेदन कर सकता/सकती है। कोई व्यक्ति उल्लंघन के बारे में ज्ञात होने पर स्वतः भी कंपाउंडिंग के लिए आवेदन कर सकता है।
  • ब्याज दर में दो भाग होंगे। एक 1.5% प्रति वर्ष की नियत दर और दूसरा मूद्रास्फीति दर।

  • उदाहरण के लिए, यदि छह माह के दौरान मंहगाई दर 5% है, तो इन छह माह का ब्याज दर 5.75% होगा। (उदाहरण नियत दर- 0.75% और मुद्रास्फीति दर -5%)।

प्रतिक्रिया: पात्र जमाकर्ता केवाईसी संबंधी मानदंडों को पूरा करने के पश्चात किसी भी पदनामित बैंक में स्वर्ण जमा खाता खोल सकता है। आम तौर पर, योजना के तहत जमा सीपीटीसी/जीएमएस मोबिलाइजेशन, कलेक्शन एंड टेस्टिंग एजेंट (जीएमसीटीए) में किया जाएगा, जो ग्राहकों की उपस्थिति में उनके सोने की शुद्धता का परीक्षण करेगा और और जमाकर्ता को 995 शुद्धता के मानक सोने की जमा रसीदें जारी करेंगे और साथ ही, जमा की स्वीकृति के संबंध में ग्राहक के संबन्धित बैंक को सूचित करेगा। नामित बैंक जमाकर्ता द्वारा जमा रसीद प्राप्त करने के उसी दिन या सीपीटीसी/जीएमसीटीए में सोना जमा होने के 30 दिनों के भीतर (चाहे जमाकर्ता रसीद प्रस्तुत करता है या नहीं), जो भी पहले आता है, ग्राहक के अल्पकालिक बैंक जमा (एसटीबीडी) या मध्यम / दीर्घकालिक सरकारी जमा (एमएलटीजीडी) खाते, जैसा कि लागू है, में जमा करेगा।

उसके बाद, जमा किए गए सोने को व्यापार योग्य सोने की बिस्कुटों में बदलने की तारीख से या सीपीटीसी/जीएमसीटीए में सोने की प्राप्ति के 30 दिन बाद, जो भी पहले आता है, से जमा पर ब्याज मिलना शुरू हो जाएगा।

उत्तर. कम आय वाले परिवार अर्थात ₹3,00,000 तक की वार्षिक आय वाले परिवार से संबंधित व्यक्ति/ व्यक्तियों को दिये गए सभी संपार्श्विक-मुक्त ऋण सूक्ष्मवित्त ऋण माने जाएंगे।
उत्तर: हां, विशेष रुपया वोस्ट्रो खाता खोलने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व अनुमोदन की आवश्यकता होगी। साझेदार देश के बैंक हेतु विशेष रूपया वोस्ट्रो खाता खोलने के इच्छुक बैंक की वित्तीय स्थिति अच्छी होनी चाहिए और वह कारोबारी तौर पर समुत्थानशील भी होना चाहिए। दूसरा, उनके पास व्यापार/ निवेश लेनदेन को सुविधा प्रदान करने का अनुभव और इससे संबंधित अन्य वित्तीय सेवाएं प्रदान करने की क्षमता होनी चाहिए। तीसरा, संबंधित साझेदार देश के बैंकों के साथ उस एडी बैंकों के अच्छे कॉरिस्पॉण्डेंट रिलेशन भी होने चाहिए।
जी हां, मूल एनबीएफसी/एचएफसी ऋण वृद्धि की पेशकश कर सकते हैं। हालांकि, इस तरह की ऋण वृद्धि के लिए, उन्हें बैंक द्वारा एनबीएफसी/एचएफसी के लिए निर्धारित पूंजी आवश्यकताओं के अनुसार पूंजी बनाए रखने की आवश्यकता है।

उत्तर: रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किए गए विस्तृत प्रक्रियागत अनुदेश दिनांक 17 मार्च 2020 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं.22 तथा समय-समय पर संशोधित माल तथा सेवाओं के निर्यात पर जारी 1 जनवरी 2016 के मास्टर निदेश सं.16/2015-16 में निहित हैं।

उत्तर: ट्रेड्स में विक्रेता के रूप में केवल एमएसएमई ही भाग ले सकते हैं।

बैंकों में सीबीएस के साथ, यह महसूस किया गया है कि नियमित लेन-देन संबंधी गतिविधियों के अलावा, एमआईएस, एडीएफ, आदि जैसी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सीबीएस प्रणाली क्षमताओं का उपयोग करने का समय आ गया है।
The Scheme has been made applicable to System Participants as defined in Clause 3 (11) of the Scheme.
जी हाँ। ₹2000/- बैंकनोट का वैध मुद्रा का दर्जा बना रहेगा।
बैंकों को 30 सितंबर 2012 से केवल सीटीएस 2010 मानक के अनुरूप चेक जारी करने की सलाह दी गई है। पहले, गैर-सीटीएस चेकों के लिए अलग-अलग समाशोधन सत्र होते थे। हालांकि, उन्हें 31 दिसंबर 2018 से बंद कर दिया गया था। वर्तमान में, सीटीएस में गैर-सीटीएस चेक प्रस्तुत नहीं किए जा सकते हैं। बैंक को ग्राहकों से गैर-सीटीएस चेक वापस लेने की सलाह दी गई है। हालांकि, गैर-सीटीएस चेक परक्राम्य लिखत के रूप में मान्य रहेंगे।

उ. जो उपयोगकर्ता ईसीएस   क्रेडिट के माध्यम से भुगतान करना चाहते हैं उन्हें किसी अनुमोदित ईसीएस    केन्द्र में हिताधिकारी का विवरण जैसे (नाम,  बैंक / शाखा / हिताधिकारी का खाता संख्या, गंतव्य बैंक शाखा का माइकर कोड, आदि), तथा वह तारीख जिस में हिताधिकारी को क्रेडिट दिया जाना है, को एक  निर्धारित प्रारूप (इनपुट फाइल) में अपने प्रायोजक बैंक को भेजना होता है. भारतीय रिजर्व बैंक की वेबसाइट में http://www.rbi.org.in/scripts/ECSUser.aspx.  पर ईसीएस   क्रेडिट की सुविधा प्रदान करने वाले केंद्रों की सूची उपलब्ध है.

ईसीएस   केंद्र का प्रबंधन करने वाला बैंक तब प्रायोजक बैंक का खाता निर्धारित दिन को डेबिट करता है और गंतव्य बैंक का खाता क्रेडिट करके गंतव्य बैंक शाखाओं के माध्यम से अन्तिम हिताधिकारी का खाता क्रेडिट करता है.

भारतीय रिजर्व बैंक की वेबसाइट में ईसीएस   क्रेडिट योजना के बारे में अधिक जानकारी भारतीय रिजर्व बैंक की वेवसाइट http://www.rbi.org.in/scripts/ECSUser.aspx पर प्राप्त कर सकते हैं.

All Scheduled Commercial Banks, Regional Rural Banks and Scheduled Primary Co-operative Banks are covered under the Scheme.
15 लाख रुपये और उससे अधिक की एकल मीयादी जमाराशि पर भिन्न ब्याज दर दी जा सकती है, लेकिन यदि अलग-अलग जमाराशियों को मिलाकर कुल राशि 15 लाख रुपये से अधिक हो, तो उस स्थिति में भिन्न ब्याज दर नहीं दी जा सकती ।
Non-competitive bids will be allowed upto 5 percent of the notified amount in the specified auctions of dated securities.
Yes. But ADs (banks) should ensure that the funds to be repatriated outside India were either received from abroad or are of repatriable in nature or are permissible in terms of RBI notification No.FEMA.13/2000 dated 3rd May 2000.
Authorised dealers are free to decide the documentation, as also any other information (including declaration), required by them, to satisfy themselves, before effecting the remittance. They should, however, call for the following documents viz. A certificate from a Chartered Accountant certifying that the applicant exporter satisfies the criteria of having export earning of at least Rs.10 lakhs, during each of the preceding two years, The C.A. certificate as at (a) above is not necessary, in case the export earnings prescribed (i.e. minimum Rs.10 lakhs in each of the previous two years), have been realised through the same authorised dealer, through whom the remittance is sought to be made. A Chartered Accountant’s certificate should also be obtained, certifying that the remittance represents advertisement charges incurred by the advertiser towards telecast in foreign countries and not in India alone. The certificate will have to be obtained for each remittance. Authorised dealers should, before allowing the remittances, obtain from the remitter an undertaking and a C.A. certificate in the format as prescribed in the CBDT circular No.10/2002 dated October 9, 2002. [c.f. A.P. (DIR Series) Circular No.56 dated November 26, 2002).
Banks have been allowed to convert the balance in the account at the time of departure of the tourists into foreign currency provided the account has been maintained for a period not exceeding six months and the account has not been credited with any local funds, other than interest accrued thereon.

These guidelines have been notified by Reserve Bank of India in its Notification FEMA No.19 dated 3rd May 2000 as amended from time to time which can be accessed at the Reserve Bank’s website fema.rbi.org.in.

In connection with private visits abroad, viz., for tourism purposes, etc., foreign exchange up to US$10,000, in any one calendar year may be obtained from an authorised dealer. The ceiling of US$10,000 is applicable in aggregate and foreign exchange may be obtained for one or more than one visits provided the aggregate foreign exchange availed of in one calendar year does not exceed the prescribed ceiling of US$10,000 {The facility was earlier called B.T.Q or F.T.S.}. This US$10,000 (BTQ) can be availed of by a person alongwith foreign exchange for travel abroad for any purpose, including for employment or immigration or studies. However, no foreign exchange is available for visit to Nepal and/or Bhutan for any purpose.

उत्तर: जब तक कि खाते के स्वरूप में विशेष रूप से उल्लेख न किया गया हो, और जहां खाताधारक भारत में निवासी व्यष्टि हो, तब ऐसे मामलों में वह भारत में किसी प्राधिकृत व्यापारी के पास विदेशी मुद्रा खाता चालू या बचत या सावधि जमा खाते के रूप में खोल सकता है, रख सकता है अथवा उसे धारित कर सकता है। इसके अलावा अन्य सभी मामलों में ऐसे खाते चालू या सावधि जमा खाते के रूप में होंगे। इस तरह के खाते को खोलने, रखने और धारित करने हेतु पात्र व्यक्ति के नाम पर ऐसा खाता अकेले या संयुक्त रूप से धारित किया जा सकता है।

कोई भी बैंक वसूली के लिए जमा किए गए बाहरी चेकों को स्वीकार करने से इंकार नहीं कर सकता है या अपने उत्पादों को ग्राहकों को प्रस्तुत करने से इनकार नहीं कर सकता है।

सरकारी प्रति‍भूति अधि‍नि‍यम और सरकारी प्रति‍भूति वि‍नि‍यम 1 दि‍सम्बर 2007 से लागू हुए है । सरकारी प्रतिभूति अधिनियम केंद्रीय सरकार या राज्य सरकार द्वारा निर्मित और जारी की गई प्रति‍भूतियों पर लागू होता है, चाहे वह इस अधि‍नि‍यम को लागू करने के पहले या बाद में जारी की गई हो । सरकारी प्रतिभूति अधिनियम सभी सरकारी प्रति‍भूति‍यां, जो 1 दि‍संबर 2007 के पूर्व निर्मित और जारी की है, पर भी लागू होता है ।
एनडीएस-ओएम के संभावित उपयोगकर्ता वे जीएएच है जिन्‍हें रिज़र्व बैंक द्वारा एनडीएस-ओएम वेब आधारित माड्युल का एक्‍सेस करने की अनुमति दी गयी है। अभी तक तो, एनडीएस-ओएम में अपने आर्डर/बिड देने के लिए सीएसजीएल रूट के माध्‍यम से जीएएच को केवल अप्रत्‍यक्ष एक्‍सेस मिला हुआ है। अब, अप्रत्‍यक्ष एक्‍सेस के अलावा, पीएम द्वारा निर्धारित नियंत्रणों के अधीन, अनुमत जीएएच सीधे ही एनडीएस-ओएम वेब प्रणाली पर सौदे कर सकते हैं। एनडीएस-ओएम वेब आधारित माड्युल में जीएएच को एक्‍सेस उसकी ओर से उसके प्राथमिक सदस्‍य द्वारा अनुरोध करने पर दिया जाता है।
नोस्ट्रो खाते का मतलब विदेश में मौजूद उस बैंक खाते से है जिसे आम तौर पर लेनदेनों को अंजाम देने की दृष्टि से उसी देश की मुद्रा में रखा जाता है। उदाहरणार्थ, अधिकांश प्रतिनिधि बैंक अमरीकी डॉलर में अंतर-बैंक लेनदेन और ग्राहकों के लेनदेनों के निपटान के लिए यूएसए स्थित अपने प्रतिनिधि बैंकों के पास अमरीकी डॉलर में खाते रखते हैं।

उत्तर: कंपाउंडिंग के लिए आवेदन करने हेतु दिनांक 1 जनवरी 2016 (18 सितंबर 2019 की स्थिति के अनुसार अद्यतन किया गया) के “मास्टर निदेश – विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 के अंतर्गत रिपोर्टिंग” में सूचीबद्ध रिपोर्टिंग तथा अन्य फॉर्मों का उपयोग किया जा सकता है। उक्त मास्टर निदेश रिज़र्व बैंक की वेबसाइट अर्थात /hi/web/rbi/-/notifications/master-direction-reporting-under-foreign-exchange-management-act-1999-updated-as-on-may-12-2023-lt-span-gt-10202 लिंक पर डाउनलोड हेतु उपलब्ध है। उसमें उल्लिखित यथा लागू दस्तावेज भी आवेदनपत्र के साथ संलग्न किए जाने चाहिए।

उत्तर: किसी के द्वारा अर्जित विदेशी मुद्रा की 100 प्रतिशत राशि विदेशी मुद्रा अर्जक विदेशी मुद्रा खाते में जमा की जा सकती है बशर्ते उक्त खाते में कैलेण्डर माह के दौरान उपचित कुल राशि में से अनुमोदित प्रयोजनों या वायदा प्रतिबध्दताओं की राशि को समायोजित कर बची हुई शेष राशि अनुवर्ती माह के अंतिम दिन या उससे पूर्व रुपए में परिवर्तित की जाए ।

कोविड-19 से संबंधित दबाव के लिए समाधान ढांचे पर 6 अगस्त 2020 को जारी परिपत्र के तहत समाधान के लिए पात्र उधारकर्ताओं हेतु, यदि परिपत्र के तहत समाधान प्रक्रिया लागू की जाती है तो 6 अगस्त 2020 का परिपत्र लागू होगा। अन्य सभी उधारकर्ताओं के लिए मौजूदा निर्देश जैसा कि अन्यथा लागू है, अभी भी लागू होंगे। हालांकि, यदि कोई संस्था अन्यथा समाधान ढांचे के तहत समाधान के लिए पात्र है, तो महामारी से उत्पन्न दबाव के समाधान के लिए केवल समाधान ढांचे का ही उपयोग किया जा सकता है।

उत्तर: गैर–बैंक संस्थाओं को व्हाइट लेबल एटीएम की स्थापना करने की अनुमति देने के पीछे कारण था कि बढ़ी हुई / विस्तृत ग्राहक सेवा के लिए एटीएम के भौगोलिक विस्तार को बढ़ाया जाए।

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पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: दिसंबर 11, 2022

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