एनबीएफसी - फैक्टर
A link to ATS has been provided in the RBI website http://www.rbi.org.in.
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हाँ, शोधन के समय समायोजित मूलधन और अंकित मूल्य (एफ़वी) से ज्यादा भुगतान करके पूंजीगत सुरक्षा उपलब्ध कराई जाएगी।
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यदि अपस्फीति के कारण एफ़वी समायोजित मूलधन से कम हो जाता है, तो एफ़वी का शोधन पर भुगतान किया जाएगा, इस प्रकार पूंजी को सुरक्षा प्राप्त होगी।
उत्तर: एनईएफटी लेनदेन का चरणबद्ध प्रवाह निम्नलिखित है।
चरण-1: कोई व्यक्ति/फर्म/कॉर्पोरेट जो एनईएफटी के माध्यम से निधि अंतरण करने का इच्छुक है, ऑनलाइन धन अंतरण अनुरोध शुरू करने के लिए अपने बैंक द्वारा प्रदान की जाने वाली इंटरनेट/मोबाइल बैंकिंग सुविधा का उपयोग कर सकता है। प्रेषक को लाभार्थी का विवरण जैसे लाभार्थी का नाम, बैंक शाखा का नाम जहां लाभार्थी का खाता है, लाभार्थी बैंक शाखा का आईएफएससी , खाता प्रकार और खाता संख्या, उनका इंटरनेट / मोबाइल बैंकिंग मॉड्यूल आदि लाभार्थी को अपने खाते में जोड़ने के लिए प्रदान करना होगा। लाभार्थी को सफल रूप से जोड़ने पर, प्रेषक अपने खाते में डेबिट को अधिकृत करके ऑनलाइन एनईएफटी फंड ट्रांसफर शुरू कर सकता है। वैकल्पिक रूप से, प्रेषक शाखा/ऑफ-लाइन मोड के माध्यम से एनईएफटी फंड ट्रांसफर शुरू करने के लिए अपनी बैंक शाखा में भी जा सकता है। ग्राहक को बैंक शाखा में उपलब्ध एनईएफटी आवेदन पत्र में लाभार्थी का विवरण भरना होगा और एनईएफटी आवेदन पत्र में अनुरोधित राशि की सीमा तक शाखा को उसके खाते से डेबिट करने के लिए अधिकृत करना होगा।
चरण-2: मूल बैंक एक संदेश तैयार करता है और अपने पूलिंग केंद्र, जिसे एनईएफटी सेवा केंद्र भी कहा जाता है, को संदेश भेजता है।
चरण-3: पूलिंग सेंटर अगले उपलब्ध बैच में शामिल करने के लिए आरबीआई द्वारा संचालित एनईएफटी क्लियरिंग सेंटर को संदेश भेजता है।
चरण-4: समाशोधन केंद्र लाभार्थी के बैंक-वार धन हस्तांतरण लेनदेन को छाँटता है और मूल बैंकों (डेबिट) से धन प्राप्त करने के लिए लेखांकन प्रविष्टियाँ तैयार करता है और लाभार्थी बैंकों (क्रेडिट) को धन देता है। इसके बाद, लाभार्थी बैंकों को उनके पूलिंग सेंटर (एनईएफटी सेवा केंद्र) के माध्यम से बैंक-वार प्रेषण संदेश भेजे जाते हैं।
चरण-5: लाभार्थी बैंक समाशोधन केंद्र से आवक प्रेषण संदेश प्राप्त करते हैं और लाभार्थी ग्राहकों के खातों में क्रेडिट भेजते हैं।
उत्तर: नीचे (ए) तथा (बी) में उल्लिखित देशों से इतर सभी देशों की यात्रा पर जा रहे यात्रियों को प्रतियात्रा 3000 अमरीकी डालर तक के विदेशी मुद्रा नोट / सिक्के खरीदने की अनुमति है। शेष राशि को स्टोर वैल्यू कार्ड, यात्रा चेकों अथवा बैंकर्स ड्राफ्ट के रूप में ले जा सकते हैं। इस के अपवाद हैं: (ए) इराक या लीबिया को जा रहे यात्री, जो विदेशी मुद्रा नोटों तथा सिक्कों के रूप में प्रतियात्रा 5000 अमरीकी डालर या उसके बराबर से अनधिक राशि आहारित कर सकते हैं; (बी) इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान, रशियन फेडरेशन तथा स्वतंत्र देशों के कामनवैल्थ के अन्य गणतंत्र की यात्रा करने वाले यात्री जो विदेशी मुद्रा नोटों तथा सिक्कों के रूप में पूरी विदेशी मुद्रा (250,000 अमरीकी डॉलर) आहारित कर सकते हैं
एफ़एफ़एमसी / एडी बैंकों द्वारा हज / उमराह की तीर्थयात्रा पर जा रहे यात्री – पात्रता की पूरी (250,000 अमरीकी डॉलर) राशि नकदी में या भारत की हज समिति द्वारा विनिर्दिष्ट सीमा तक नकदी जारी कर दी जाए।
उत्तर: निवासी अर्थात वह व्यक्ति जिसकी परिभाषा फेमा, 1999 की धारा (v)2 में की गई है। साथ ही यदि कियाई प्राधिकरण द्वारा उसकी आवासीय स्थिति पर सवाल उठाया जाता है तो अपनी आवासीय स्थिति को साबित करने का दायित्व उस व्यक्ति का है।
उत्तर: केवल बीओ/ एलओ/ पीओ खोलने के इच्छुक बांग्लादेश, श्रीलंका, अफगानिस्तान, ईरान, चीन, हांगकांग, मकाऊ या पाकिस्तान के आवेदकों को राज्य पुलिस प्राधिकारियों के पास पंजीकरण कराना होगा। प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक को इन देशों के "व्यक्तियों" को दिया जाने वाला अनुमोदन-पत्र गृह मंत्रालय, आंतरिक सुरक्षा प्रभाग-I, भारत सरकार, नई दिल्ली को आवश्यक कार्रवाई एवं अभिलेख हेतु भेजना होगा। अन्य सभी देशों को राज्य पुलिस प्राधिकारियों के पास पंजीकरण करने से छूट दी गई है।
हाँ। अमेरिकी डॉलर में मूल्यांकित चेकों की वसूली (उगाही) के तरीके अलग-अलग हैं। बैंकों (प्रस्तुतकर्ता बैंक) द्वारा अपनायी जाने वाली वसूली प्रक्रिया उनके द्वारा स्थापित संस्थागत व्यवस्था पर निर्भर करते हुए अलग-अलग होती है। बैंकों द्वारा मूल रूप से तीन प्रकार की व्यवस्थाएं अपनायी गयी हैं -
i. नगद पत्र व्यवस्था (सीएलए): भारत में प्रस्तुतकर्ता बैंक चेक के घरेलू समाशोधन के लिए इसे संयुक्त राज्य अमेरिका में अपने प्रतिनिधि बैंक (सीबी) को भेजता है। प्रतिनिधि बैंक निधि की उगाही करता है और अमेरिका में रखे गए प्रस्तुतकर्ता बैंक के खाते में इसे जमा कर देता है। ऐसे खाते नोस्ट्रो खाते कहलाते हैं। प्रतिनिधि बैंक नकद पत्र व्यवस्था (सीएलए) के तहत भेजे गए चेकों पर बैंक को पूर्व-निर्धारित तारीख पर (जो प्रतिनिधि बैंक के पास चेक प्रस्तुत करने के बाद 7 से 9 दिन तक होती है) अनंतिम क्रेडिट देता है। हालांकि, अनंतिम क्रेडिट एक विराम अवधि (कूलिंग पीरियड) के अधीन होगा। विराम अवधि के बाद, ग्राहक का खाता जो भारत में प्रस्तुतकर्ता बैंक में होता है, में निधि डाल दी जाती है। सुरक्षित वसूली सुविधा की स्थिति में, प्रतिनिधि बैंक कुछ अतिरिक्त लागत पर गारंटीकृत क्रेडिट उपलब्ध कराता है।
(विराम अवधि वह समय है जब तक बैंक ग्राहक के खाते में निधि डालने से पहले, अमेरिकी कानून के प्रावधानों के तहत चेक के संभावित प्रतिफल हेतु अपने नॉस्ट्रो खाते में अदाकर्ता बैंक द्वारा चेक की राशि के अनंतिम क्रेडिट प्राप्त होने के बाद प्रतीक्षा करता है। विस्तृत विवरण प्रश्न संख्या 9 में दिए गए हैं।)
(सुरक्षित वसूली प्रतिनिधि बैंक द्वारा दी गई एक सुविधा है। इस सुविधा के तहत, प्रतिनिधि बैंक सामान्य वसूली सेवा से भिन्न एक निश्चित समय अवधि के भीतर दायित्व रहित गारंटीकृत अंतिम क्रेडिट उपलब्ध कराता है। इस प्रकार, इस सुविधा में वसूली समय अवधि बेहतर होती है। यह सुविधा प्रदान करने वाले प्रतिनिधि बैंक, सामान्यतया, इस व्यवस्था के तहत वसूल किए गए वैयक्तिक चेकों की राशि पर एक उच्चतम सीमा तय कर देते हैं। प्रतिनिधि बैंक, अमेरिका के कानून के अनुसार अदाकर्ता बैंक द्वारा भुगतान वापस होने पर इसे स्वयं पर ले लेते हैं। ऐसी सेवाएं देने वाले बैंक दायित्व रहित क्रेडिट सुविधा प्रदान करने के लिए कुछ अतिरिक्त राशि लेते हैं।
ii. सीधी वसूली व्यवस्था (डीसीए) : भारत में स्थित बैंकों द्वारा चेक, यूएसए स्थित अदाकर्ता बैंकों को वसूली के लिए सीधे भेजे जाते हैं। आम तौर पर वसूली सेवाओं के अंतर्गत समाशोधित निधियों की प्राप्ति निश्चित रूप से हो जाती है अर्थात् इसमें वापसी का जोखिम न के बराबर है। अत: सामान्य रूप से बड़े मूल्य के चेकों को वसूली के अंतर्गत भेज दिया जाता है, यद्यपि उसमें समय अधिक लग सकता हे।
iii. अंतिम क्रेडिट सेवाएं (एफसीएस) : कुछ प्रतिनिधि बैंक ये सेवाएं उपलब्ध कराते हैं। जो प्रतिनिधि बैंक यह सेवा प्रदान करता है वह लिखत पर निश्चित रूप से धन-राशि जमा किए जाने की गारंटी देता है। इस व्यवस्था के अंतर्गत बैंकों को उनके अपने नोस्ट्रो खातों में बिना किसी विकल्प के अंतिम क्रेडिट मिल जाता है। साधारणतया इस सेवा में कोई कूलिंग अवधि नहीं होती है, क्योंकि इस कूलिंग अवधि को प्रतिनिधि बैंक समाशोधित राशि की विमोचन से पहले फैक्टरिडग करते हैं।
उत्तर. सीपीएस तक पहुंच वाली गैर-बैंक संस्थाएं स्टैंडअलोन प्राथमिक डीलर, स्टॉक एक्सचेंजों के समाशोधन निगम, केंद्रीय प्रतिपक्षकार (सीसीआईएल), खुदरा भुगतान प्रणाली संगठन (एनपीसीआई), चुनिंदा वित्तीय संस्थान (नाबार्ड, एक्जिम बैंक) और डीआईसीजीसी हैं।
उत्तर: लीवरेज अनुपात एनबीएफसी-पी2पी प्लेटफॉर्म की बैलेंस शीट पर प्राप्त बाहरी देयताओं को उसके स्वाधिकृत निधियों द्वारा विभाजित करके प्राप्त होता है। प्लेटफॉर्म का उपयोग करके ऋण दिये गए /लिए गए ग्राहकों की निधि को प्लेटफॉर्म के बाहरी देयता के रूप में नहीं गिना जाएगा।
उत्तर: उक्त निदेशों के पैरा 18 के अनुसार आईएफसी ऋण मानदंडों के संकेंद्रण को पार कर सकते हैं:
i. उधार देने में
ए) किसी एकल उधारकर्ता को उसके स्वामित्व वाली निधि का दस प्रतिशत, (अर्थात स्वामित्व वाली निधि के 25% पर) और
बी) उधारकर्ताओं के एक समूह के लिए उसके स्वामित्व वाली निधियों का पंद्रह प्रतिशत (अर्थात स्वामित्व वाली निधियों का 40%)
ii. निम्न द्वारा उधार और निवेश में (ऋण/निवेश एक साथ लिया गया)
ए) एक पार्टी को अपने स्वामित्व वाले फंड का पांच प्रतिशत, (यानी स्वामित्व वाले फंड का 30%); तथा
बी) पार्टियों के एक समूह को अपने स्वामित्व वाले फंड का दस प्रतिशत, (यानी स्वामित्व वाले फंड का 50%)
iii. एकल पार्टी और पार्टियों के एकल समूह दोनों के लिए निवेश के मौजूदा मानदंड वही रहेंगे जो निदेश के पैरा 18 में हैं, अर्थात...
ए) किसी अन्य कंपनी के शेयरों में निवेश उसके स्वामित्व वाले फंड के 15% से अधिक नहीं हो सकता
बी) कंपनियों के एकल समूह के शेयरों में निवेश उसके स्वामित्व वाले फंड के 25% से अधिक नहीं हो सकता।
उत्तर
नहीं, एक व्यक्ति एक बैंक में केवल एक 'आधारभूत बचत बैंक जमा खाता' रखने के लिए पात्र है।
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ब्याज दर में दो भाग होंगे। एक 1.5% प्रति वर्ष की नियत दर और दूसरा मूद्रास्फीति दर।
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उदाहरण के लिए, यदि छह माह के दौरान मंहगाई दर 5% है, तो इन छह माह का ब्याज दर 5.75% होगा। (उदाहरण नियत दर- 0.75% और मुद्रास्फीति दर -5%)।
प्रतिक्रिया: पात्र जमाकर्ता केवाईसी संबंधी मानदंडों को पूरा करने के पश्चात किसी भी पदनामित बैंक में स्वर्ण जमा खाता खोल सकता है। आम तौर पर, योजना के तहत जमा सीपीटीसी/जीएमएस मोबिलाइजेशन, कलेक्शन एंड टेस्टिंग एजेंट (जीएमसीटीए) में किया जाएगा, जो ग्राहकों की उपस्थिति में उनके सोने की शुद्धता का परीक्षण करेगा और और जमाकर्ता को 995 शुद्धता के मानक सोने की जमा रसीदें जारी करेंगे और साथ ही, जमा की स्वीकृति के संबंध में ग्राहक के संबन्धित बैंक को सूचित करेगा। नामित बैंक जमाकर्ता द्वारा जमा रसीद प्राप्त करने के उसी दिन या सीपीटीसी/जीएमसीटीए में सोना जमा होने के 30 दिनों के भीतर (चाहे जमाकर्ता रसीद प्रस्तुत करता है या नहीं), जो भी पहले आता है, ग्राहक के अल्पकालिक बैंक जमा (एसटीबीडी) या मध्यम / दीर्घकालिक सरकारी जमा (एमएलटीजीडी) खाते, जैसा कि लागू है, में जमा करेगा।
उसके बाद, जमा किए गए सोने को व्यापार योग्य सोने की बिस्कुटों में बदलने की तारीख से या सीपीटीसी/जीएमसीटीए में सोने की प्राप्ति के 30 दिन बाद, जो भी पहले आता है, से जमा पर ब्याज मिलना शुरू हो जाएगा।
उत्तर: रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किए गए विस्तृत प्रक्रियागत अनुदेश दिनांक 17 मार्च 2020 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं.22 तथा समय-समय पर संशोधित माल तथा सेवाओं के निर्यात पर जारी 1 जनवरी 2016 के मास्टर निदेश सं.16/2015-16 में निहित हैं।
उत्तर: ट्रेड्स में विक्रेता के रूप में केवल एमएसएमई ही भाग ले सकते हैं।
उ. जो उपयोगकर्ता ईसीएस क्रेडिट के माध्यम से भुगतान करना चाहते हैं उन्हें किसी अनुमोदित ईसीएस केन्द्र में हिताधिकारी का विवरण जैसे (नाम, बैंक / शाखा / हिताधिकारी का खाता संख्या, गंतव्य बैंक शाखा का माइकर कोड, आदि), तथा वह तारीख जिस में हिताधिकारी को क्रेडिट दिया जाना है, को एक निर्धारित प्रारूप (इनपुट फाइल) में अपने प्रायोजक बैंक को भेजना होता है. भारतीय रिजर्व बैंक की वेबसाइट में http://www.rbi.org.in/scripts/ECSUser.aspx. पर ईसीएस क्रेडिट की सुविधा प्रदान करने वाले केंद्रों की सूची उपलब्ध है.
ईसीएस केंद्र का प्रबंधन करने वाला बैंक तब प्रायोजक बैंक का खाता निर्धारित दिन को डेबिट करता है और गंतव्य बैंक का खाता क्रेडिट करके गंतव्य बैंक शाखाओं के माध्यम से अन्तिम हिताधिकारी का खाता क्रेडिट करता है.
भारतीय रिजर्व बैंक की वेबसाइट में ईसीएस क्रेडिट योजना के बारे में अधिक जानकारी भारतीय रिजर्व बैंक की वेवसाइट http://www.rbi.org.in/scripts/ECSUser.aspx पर प्राप्त कर सकते हैं.
These guidelines have been notified by Reserve Bank of India in its Notification FEMA No.19 dated 3rd May 2000 as amended from time to time which can be accessed at the Reserve Bank’s website fema.rbi.org.in.
उत्तर: जब तक कि खाते के स्वरूप में विशेष रूप से उल्लेख न किया गया हो, और जहां खाताधारक भारत में निवासी व्यष्टि हो, तब ऐसे मामलों में वह भारत में किसी प्राधिकृत व्यापारी के पास विदेशी मुद्रा खाता चालू या बचत या सावधि जमा खाते के रूप में खोल सकता है, रख सकता है अथवा उसे धारित कर सकता है। इसके अलावा अन्य सभी मामलों में ऐसे खाते चालू या सावधि जमा खाते के रूप में होंगे। इस तरह के खाते को खोलने, रखने और धारित करने हेतु पात्र व्यक्ति के नाम पर ऐसा खाता अकेले या संयुक्त रूप से धारित किया जा सकता है।
कोई भी बैंक वसूली के लिए जमा किए गए बाहरी चेकों को स्वीकार करने से इंकार नहीं कर सकता है या अपने उत्पादों को ग्राहकों को प्रस्तुत करने से इनकार नहीं कर सकता है।
उत्तर: कंपाउंडिंग के लिए आवेदन करने हेतु दिनांक 1 जनवरी 2016 (18 सितंबर 2019 की स्थिति के अनुसार अद्यतन किया गया) के “मास्टर निदेश – विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 के अंतर्गत रिपोर्टिंग” में सूचीबद्ध रिपोर्टिंग तथा अन्य फॉर्मों का उपयोग किया जा सकता है। उक्त मास्टर निदेश रिज़र्व बैंक की वेबसाइट अर्थात /hi/web/rbi/-/notifications/master-direction-reporting-under-foreign-exchange-management-act-1999-updated-as-on-may-12-2023-lt-span-gt-10202 लिंक पर डाउनलोड हेतु उपलब्ध है। उसमें उल्लिखित यथा लागू दस्तावेज भी आवेदनपत्र के साथ संलग्न किए जाने चाहिए।
उत्तर: किसी के द्वारा अर्जित विदेशी मुद्रा की 100 प्रतिशत राशि विदेशी मुद्रा अर्जक विदेशी मुद्रा खाते में जमा की जा सकती है बशर्ते उक्त खाते में कैलेण्डर माह के दौरान उपचित कुल राशि में से अनुमोदित प्रयोजनों या वायदा प्रतिबध्दताओं की राशि को समायोजित कर बची हुई शेष राशि अनुवर्ती माह के अंतिम दिन या उससे पूर्व रुपए में परिवर्तित की जाए ।
कोविड-19 से संबंधित दबाव के लिए समाधान ढांचे पर 6 अगस्त 2020 को जारी परिपत्र के तहत समाधान के लिए पात्र उधारकर्ताओं हेतु, यदि परिपत्र के तहत समाधान प्रक्रिया लागू की जाती है तो 6 अगस्त 2020 का परिपत्र लागू होगा। अन्य सभी उधारकर्ताओं के लिए मौजूदा निर्देश जैसा कि अन्यथा लागू है, अभी भी लागू होंगे। हालांकि, यदि कोई संस्था अन्यथा समाधान ढांचे के तहत समाधान के लिए पात्र है, तो महामारी से उत्पन्न दबाव के समाधान के लिए केवल समाधान ढांचे का ही उपयोग किया जा सकता है।
पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: दिसंबर 11, 2022