FAQs on Non-Banking Financial Companies
Credit Rating
देशी जमा
III. अग्रिम
फेमा 1999 के तहत विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों (एफएलए) पर वार्षिक रिटर्न
कुछ उपयोगी परिभाषाएँ
उत्तर: किसी भी घरेलू देनदारी या संपत्ति (भले ही वह विदेशी मुद्रा में हो) को एफ़एलए रिटर्न में रिपोर्ट नहीं किया जाना चाहिए।
भारतीय मुद्रा
घ) गंदे तथा कटे-फटे बैंकनोट
सभी बैंकों को पूर्ण मूल्य हेतु गंदे बैंकनोटों को बदलने तथा स्वीकार करने के लिए प्राधिकृत किया गया है । उन्हें गंदे/कटे-फटे नोटों के बदलने की सुविधा अपने ग्राहकों से इतर व्यक्तियों के लिए भी विस्तारित करना है।
वाणिज्यिक बैंकों की सभी शाखाओं को, भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) संशोधित नियमावली, 2018 के अनुसार, कटे-फटे बैंकनोटों (जो वैध मुद्रा हैं) का अधिनिर्णय करने तथा इसके लिए मूल्य का भुगतान करने हेतु प्राधिकृत किया गया है ।
छोटे वित्त बैंक तथा भुगतान बैंक अपने विकल्प पर कटे-फटे तथा अपूर्ण/दोषपूर्ण नोटों को बदल सकते हैं।
भारत में विदेशी निवेश
उत्तर: हां। भारतीय कंपनी के लिए एफ़सी-टीआरएस भी भरना आवश्यक है।
कोर निवेश कंपनियां
कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)
उत्तर: न तो एलएलपी और न ही भागीदार कंपनियां इनमें शामिल हैं और इसलिए जानबूझकर समूह कंपनी की परिभाषा से इन्हें बाहर रखा गया है। इसके अलावा, इन संस्थाओं की ढीली संरचना और विनियामक ढांचे को देखते हुए, यह महसूस किया जाता है कि उन्हें परिभाषा में शामिल नहीं किया जाना चाहिए।
देशी जमा
III. अग्रिम
भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका
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FAQs on Non-Banking Financial Companies
Credit Rating
फेमा 1999 के तहत विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों (एफएलए) पर वार्षिक रिटर्न
कुछ उपयोगी परिभाषाएँ
उत्तर: यदि रिपोर्टिंग भारतीय कंपनी भारत के विदेशी प्रत्यक्ष निवेश योजना के तहत विदेशी कंपनी के इक्विटी और/या भाग लेने वाले वरीयता शेयरों में, अर्थात संयुक्त उद्यम या विदेश में पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनियों में निवेश करती है तो इसे भारतीय कंपनी का विदेश में प्रत्यक्ष निवेश माना जाता है।
नोट: एफएलए रिटर्न दाखिल करने के लिए आगे के मार्गदर्शन के लिए पंजीकरण दिशानिर्देश और अनुभाग-वार अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न फ्लेयर पोर्टल (https://flair.rbi.org.in/fla/faces/pages/login.xhtml) के एफएक्यू अनुभाग में उपलब्ध है।
भारत में विदेशी निवेश
उत्तर: फॉर्म एफ़सीटीआरएस फेमा 20(आर) के अनुसार निम्नलिखित के बीच बिक्री के माध्यम से पूंजीगत लिखतों के अंतरण के लिए फ़ाइल किया जाएगा
i. भारत के बाहर निवास करने वाला व्यक्ति जिसने प्रत्यावर्तनीय आधार पर किसी भारतीय कंपनी में पूंजीगत लिखत धारण किए हैं, से भारत के बाहर निवास करने वाला व्यक्ति जिसने अप्रत्यावर्तनीय आधार पर पूंजीगत लिखत धारण किए हैं को;
ii. भारत के बाहर निवास करने वाला व्यक्ति जिसने अप्रत्यावर्तनीय आधार पर पूंजीगत लिखत धारण किए हैं से भारत के बाहर निवास करने वाला व्यक्ति जिसने प्रत्यावर्तनीय आधार पर किसी भारतीय कंपनी में पूंजीगत लिखत धारण किए हैं को;
iii. भारत के बाहर निवास करने वाला व्यक्ति जिसने प्रत्यावर्तनीय आधार पर किसी भारतीय कंपनी में पूंजीगत लिखत धारण किए हैं से भारत में निवास करने वाले व्यक्ति को;
iv. भारत में निवास करने वाला व्यक्ति जिसने किसी भारतीय कंपनी में पूंजीगत लिखत धारण किए हैं से भारत के बाहर निवास करने वाला व्यक्ति जिसने प्रत्यावर्तनीय आधार पर किसी भारतीय कंपनी में पूंजीगत लिखत धारण किए हैं को
फेमा 20(आर) के विनियम 10(3) में निर्धारित किए गए अनुसार भारत के बाहर के निवासी व्यक्ति द्वारा किसी मान्यताप्राप्त स्टॉक एक्स्चेंज पर पूंजीगत लिखतों की बिक्री को ऐसे व्यक्ति द्वारा फॉर्म एफ़सी-टीआरएस में रिपोर्ट किया जाना चाहिए।
एफ़सी-टीआरएस निम्नलिखित के लिए आवश्यक नहीं है:
i. अप्रत्यावर्तनीय आधार पर शेयर धारित करने वाले अनिवासी द्वारा भारतीय कंपनी के शेयरों का किसी निवासी को अंतरण तथा इसके विपरीत
ii. भारत के बाहर निवास करने वाला व्यक्ति जिसने प्रत्यावर्तनीय आधार पर किसी भारतीय कंपनी में पूंजीगत लिखत धारण किए हैं द्वारा भारत के बाहर निवास करने वाला व्यक्ति जिसने प्रत्यावर्तनीय आधार पर पूंजीगत लिखत धारण किए हैं।
iii. उपहार के रूप में शेयरों का अंतरण
रिपोर्टिंग का दायित्व निवासी (अंतरणकर्ता/ अंतरिती) अथवा अप्रत्यावर्तनीय आधार पर पूंजीगत लिखत धारण करने वाले भारत के बाहर निवास करने वाले व्यक्ति, जैसी स्थिति हो, का होगा। एडी बैंक के पास फॉर्म एफ़सी-टीआरएस निधियों की प्राप्ति/ विप्रेषण अथवा पूंजीगत लिखतों के अंतरण, इनमें से जो भी पहले हो, के साठ दिन के भीतर फ़ाइल किया जाना है।
फेमा 1999 के तहत विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों (एफएलए) पर वार्षिक रिटर्न
नोट: एफएलए रिटर्न दाखिल करने के लिए आगे के मार्गदर्शन के लिए पंजीकरण दिशानिर्देश और अनुभाग-वार अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न फ्लेयर पोर्टल (https://flair.rbi.org.in/fla/faces/pages/login.xhtml) के एफएक्यू अनुभाग में उपलब्ध है।
भारतीय मुद्रा
घ) गंदे तथा कटे-फटे बैंकनोट
भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) नियमावली, 2009 [भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) संशोधित नियमावली, 2018, यथा संशोधित] के भाग III में विनिर्दिष्ट नियमों के तहत अपूर्ण नोट के मूल्य के पूर्ण मूल्य/आधे मूल्य का भुगतान किया जा सकता है, जो हमारी वेबसाइट www.rbi.org.in → प्रकाशन → सामयिक खंड के तहत उपलब्ध है ।
कोर निवेश कंपनियां
कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)
उत्तर: 10 वर्ष की अवधि को एक विवेकपूर्ण उपाय के रूप में निर्दिष्ट किया गया था जो जरूरी नहीं कि कंपनी अधिनियम के प्रावधान के अनुरूप हो। इसके अलावा, यहां मुद्दा सार्वजनिक जमा नहीं बल्कि बाहरी देनदारियों का है।
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भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका
प्राथमिक व्यापारियों की सूची |
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(क) |
बैंक पीडी |
फोन नं. |
1. |
सिटि बैंक एनए., मुंबई शाखा |
(022) 40015453/40015378 |
2. |
स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक |
(022) 622303/22652875/22683695 |
3. |
बैंक ऑफ अमरीका एन.ए. |
(022) 66323040/3140/3192 |
4. |
जे.पी. मॉरगन चेज़ बैंक एन.ए. |
(022) 6639 3084/66392944 |
5. |
एचएसबीसी बैंक |
(022) 22623329/22681031/34/33 |
6. |
बैंक ऑफ बड़ौदा |
(022) 66363682/83 |
7. |
केनरा बैंक |
(022) 22800101-105/22661348 |
8. |
कोटक महिद्रा बैंक लिमि. |
(022) 67836107 & 66596235/ 6454 |
9. |
कार्पोरेशन बैंक |
(022) 22832429/22022796/ 22871054 |
10. |
एचडीएफसी बैंक |
(022) 66521372/9892975232 |
11. |
एबीएन अमरो बैंक एन.वी. |
(022) 66386132/128 |
(ख) |
स्वतंत्र पीडी |
|
1. |
आडीबीआइ गिल्ट्स |
(022) 66177900/911 |
2. |
आसीआसीआइ सिक्यू. पीडी लिमि. |
(022) 66377421/22882460/70 |
3. |
पीएनबी गिल्ट्स लिमि. |
(022) 22693315/17 |
4. |
एसबीआइ डीएफएचआइ लिमि. |
(022) 22610490/66364696 |
5. |
एसटीसीआइपीडी लिमि. |
(022) 66202261/2200 |
6. |
ड्यूश सिक्यूरिटीज़ (इं.) प्रा. लिमि. |
(022) 67063068/3066/67063115 |
7. |
मॉरगन स्टेनले प्राइमरी डीलर प्रा. लिमि. |
(022) 22096600 |
8. |
नोमुरा फिक्स्ड इंकम सिक्यूरिटीज़ प्रा. लिमि. |
(022) 67855111/ 67855118 |
* |
बैंक पीडी वे हैं जो बैंक के भाग के रूप में पीडी कारोबार विभागीय रूप से करते हैं । |
|
** |
स्वतंत्र पीडी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ (एनबीएफसी) हैं जो केवल पीडी करोबार ही करते हैं । |
भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट
http://www.rbi.org.in/commonman/English/Scripts/PrimaryDealers.aspx पर प्राथमिक व्यापारियें की अद्यतनसूची उपलब्ध है ।
देशी जमा
III. अग्रिम
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भारत में विदेशी निवेश
II. विदेशी संविभाग (पोर्टफोलियो) निवेश
उत्तर: सेबी (एफ़पीआई) विनियमावली के अनुसार पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक तथा अनिवासी / प्रवासी भारतीय, फेमा 20(आर) की अनुसूची क्रमशः 2 तथा 3 में निर्धारित व्यक्तिगत तथा कुल सीमाओं के अधीन भारत में स्टॉक एक्स्चेंज पर निवेश कर सकते हैं।
भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका
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भारतीय मुद्रा
घ) गंदे तथा कटे-फटे बैंकनोट
यह विवरण हमारी वेबसाइट के इस लिंक पर उपलब्ध है : www.rbi.org.in>>Issuerofcurrency>>Notifications
पुराने (2009) तथा संशोधित एनआरआर (2018) का सारांश निम्नानुसार है :
नोट वापसी नियमावली – संशोधित
क्र. | पुराने एनआरआर (2009) के अनुसार | संशोधित एनआरआर (2018) के अनुसार |
1 | रु. 20 मूल्यवर्ग तक के नोट
|
कोई परिवर्तन नहीं |
2 | रु. 50/- तथा इससे अधिक मूल्यवर्ग के नोट
|
रु. 50/- तथा इससे अधिक मूल्यवर्ग के नोट
|
कोर निवेश कंपनियां
कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)
उत्तर: सीआईसी-एनडी-एसआई के दिशा-निर्देशों ने उन्हें विदेशी निवेश करने से प्रतिबंधित नहीं किया है। इस तरह के निवेश मास्टर निदेश-कोर इन्वेस्टमेंट कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016 के अध्याय VII के प्रावधानों द्वारा अभिशासित होंगे। इसी तरह, वर्तमान में सीआईसी-एनडी-एसआई ईसीबी के माध्यम से निधि जुटा सकते हैं। यह रिज़र्व बैंक के विदेशी मुद्रा विभाग द्वारा जारी ईसीबी नीति में निहित अनुदेशों द्वारा अभिशासित होगा। बैंकों द्वारा एनबीएफसी / सीआईसी को उधार देना बैंकों पर लागू प्रावधानों द्वारा नियंत्रित होगा और विशेष रूप से रिजर्व बैंक के बैंकिंग विनियमन विभाग द्वारा जारी 'एनबीएफसी को बैंक वित्त' पर निर्देशों में निहित है।
देशी जमा
III. अग्रिम
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Liquid Asset requirement
भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका
बॉण्ड संबंधी गणना के लिए महत्वपूर्ण एक्सेल कार्य
कार्य |
रचनाक्रम |
1. वर्तमान मूल्य |
पीवी (रेट एनपीईआर, पीएमटी, एफवी, टाइप) |
यह फंक्शन बट्टे की दी हुई दर से भविष्य में किए जाने वाले भुगतानों की श्रृंखला के वर्तमान मूल्य जानने के लिए प्रयोग में लाया जाता है ।
रेट - प्रत्येक अवधि की ब्याज दर है ।
एनपीईआर - एक वर्ष में भुगतान अवधियों की कुल संख्या है ।
पीएमटी - प्रत्येक अवधि में किया गया भुगतान है तथा वार्षिकी की अवधि में परिवर्तित नहीं हो सकती ।
एफवी - भविष्य में होने वाला मूल्य है अथवा अंतिम भुगतान के बाद आप नकदी शेष लेना चाहें । यदि एफवी को हटा दिया जाए तो उसे 0 माना जाएगा (उदाहरणार्थ किसी ऋण का भविष्य में होने वाला मूल्य 0 है) ।
टाइप - 0 अथवा 1 संख्या है और ये निर्दिष्ट करते हैं कि भुगतान कब देय है ।
टाइप का अर्थ |
यदि भुगतान देय है |
0 अथवा छोड़ दिया |
अवधि के अंत में |
1 |
अवधि के आरंभ में |
उदाहरण - तीन वर्ष के लिए प्रत्येक वर्ष के बाद 100 रु. के वर्तमान मूल्य को 9% की ब्याज दर से, इसका मूल्य निम्नानुसार होगा ।
रेट - 9% अथवा 0.09; एनपीईआर-3 (3 वर्ष); पीएमटी-100; एफवी-0 क्योंकि तीन वर्ष के बाद शेष शून्य होगा ; टाइप-0 (अवधिके अंत में) उत्तर - 253.13 होगा ।
2. भविष्य में होने वाला मूल्य |
एफवी (रेट, एनपीईआर, पीएमटी, पीवी, टाइप) |
इस फंक्शन का प्रयोग दी गई ब्याज दर पर किए गए निवेशों की श्रृंखला के भविष्य में मूल्य की गणना के लिए किया जाता है ।
दर - प्रत्येक अवधिक के लिए ब्याज दर है ।
एनपीईआर - एक वर्ष में भुगतान अवधियों की कुल संख्या है ।
पीएमटी - प्रत्येक अवधि में किया गया भुगतान है तथा वार्षिकी की अवधि में परिवर्तित नहीं हो सकती । विष्टि रूप से पीएमटी में मूलधन और ब्याज होता है पर अन्य कोई शुल्क या कर नहीं होते । यदि पीएमटी को हटा दिया जाए तो पीवी तर्क को शामिल किया जाना चाहिए ।
पीवी - वर्तमान मूल्य है या एकमुश्त राशि है अर्थात अभी भविष्य में किए जाने वाले भुगतानों की श्रृंखला। यदि पीवी को हटा दिया जाए तो उसे 0 माना जाएगा(जीरो) और पीएमटी तर्क को शामिल किया जाना चाहिए ।
टाइप - 0 अथवा 1 संख्या है और ये निर्दिष्ट करते हैं कि भुगतान कब देय है । यदि टाइप हटा दिया जाए तो यह 0 माना जाए ।
उदाहरण - प्रत्येक वर्ष अदा किए गए 100 रु. के भविष्य मूल्य की तीन वर्ष के लिए 9% की ब्याज दर गणना करने पर मूल्य निम्नानुसार होगा :
दर - 9% अथव 0.09, एनपीईआर-3 (3 वर्ष); पीएमटी-100; पीवी-0; क्योंकि शुरु में कोई एकमुश्त भुगतान नही है; टाइप-1 (अवधि के शुरु होने पर) उत्तर 357.31 होगा ।
3. कूपन दिवस |
COUPDAYBS (समायोजन, परिपक्वता, अवधिकता, आधार) |
यह फंक्शन कूपन अवधि के शुरु से अंत तक दिनों की संख्या की गणना के लिए प्रयोग किया जाता है, जिसमें समायोजन तारीख होती है ।
समायोजन प्रतिभूति की समायोजन तारीख होती है । प्रतिभूति समायोजन तारीख, जारी की तारीख के बाद की तारीख होती है जब प्रतिभूति क्रेता को बेची जाती है ।
परिपक्वता प्रतिभूति की परिपक्वता की तारीख होती है । परिपक्वता तारीख वह होती है जिस दिन प्रतिभूति की अवधि समाप्त होती है ।
आवधिकता का अर्थ प्रति वर्ष कूपन भुगतानों की संख्या है । वार्षिक भुगतान के लिए आवधिकता=1; अर्धवार्षिकी के लिए, आवधिकता=2; तिमाही के लिए आवधिकता=4 ।
आधार प्रयोग के लिए गणना के आधार पर दिनों की गिनती होगा । दिवस की गणना की परंपरा नीचे दर्शाए अनुसार उपलब्ध कराई जाए ।
आधार |
दिनों की गिनती का आधार |
आधार |
दिनों की गिनती का आधार |
0 अथवा हटाया गया |
यूएस (एनएएसडी) 30/360 |
3 |
वास्तविक 365 |
1 |
वास्तविक/वास्तविक |
4 |
यूरोपियन 30/360 |
2 |
वास्तविक/360 |
|
|
उदाहरण - 2 फरवरी 2019 को परिपक्व होने वाली प्रतिभूति जिसकी समायोजन तारीख 27 मई 2009; फार्मूला मूल्य निम्नानुसार होगा :
परिपपक्वता 2/2/2019; समायोजन-25/5/2009/आवधिकता-2 (छमाही कूपन) और आधार 4 (दिन गिनने की परंपरा 30/360)
परिणाम 180 होगा (कूपन अवधि में कूपन दिनें की सं.)
4. ईयरप्रैक |
ईयरप्रैक (आरंभ-तारीख, समाप्ति-तारीख, आधार) (अवशेष परिपक्वता प्राप्त करने के लिए) |
इस फंक्शन का प्रयोग प्रतिभूति की अवशिष्ट परिपक्वता वर्षों में जाने के लिए किया जाता है ।
आरंभ - तारीख वह तारीख हे जो आरंभ की तारीख बताती है ।
समाप्ति - तारी वह तारीख है जो अंत की तारीख बताती है ।
आधार प्रयोग के आधार पर दिनों की संख्या का स्वरूप है ।
उदाहरण - 6 फरवरी 2019 को परिपक्व होने वाली प्रतिभूति के लिए 27 मई 2009 को वर्षों में अवशिष्ट परिपक्वता की गणना निम्नानुसार होगी :
आरंभ की तारीख - 27 मई 2009, अंत की तारीख 2/2/2019, आधार-4
परिणाम 9.68 वर्ष होगा ।
5. मूल्य |
मूल्य (समायोजन, परिपक्वता, दर, प्रतिफल, शोधन, आवधिकता, आधार) |
इस फंक्शन का प्रयोग आवधिक ब्याज देने वाली प्रतिभूति का मूल्य जानने के लिए किया जाता है ।
समायोजन प्रतिभूति की समायोजन तारीख है ।प्रतिभूति समायोजन की तारीख वह तारीख होती है जिस तारीख को निधि और प्रतिभूति का आदान-प्रदान होता है ।
परिपक्वता प्रतिभूति की परिपक्वता की तारीख है । परिपक्वता तारीख वह तारीख है जब प्रतिभूति की अवधि समाप्त होती है ।
दर प्रतिभूति की वार्षिक कूपन दर है ।
प्रतिफ्ल प्रतिभूति की वार्षिक प्रतिफल है ।
शोधन प्रत्येक 100 रु. के अंकित मूल्य पर प्रतिभूति का शोधन मूल्य है ।
आवधिकता का अर्थ प्रति वर्ष कूपन भुगतानों की संख्या है । वार्षिक भुगतान के लिए आवधिकता=1; अर्धवार्षिकी के लिए, आवधिकता=2; तिमाही के लिए आवधिकता=4 ।
आधार प्रयोग के आधार पर दिन गिनने का स्वरूप है ।
उदाहरण - 6.05% 2019, 2 फरवरी 2019 को परिपक्व होने वाली प्रतिभूति है । 1 जून 2009 को द्वितीयक बाजार में इसकी प्रतिफल 6.68% है । समायोजन तारीख 2 जून 2009 है । मूल्य फार्मूला में इसका मूल्य निम्नानुसार होगा ।
समायोजन - 2/6/2009; परिपक्वता-2/2/2009; दर 6.05%; प्रतिफल-6.68%; शोधन-100 (अंकित मूल्य); आवधिकता - 2 (छमाही कूपन); आधार-4
परिणाम 95.55 प्रतिशत होगा ।
6. प्रतिफल |
प्रतिफल (समायोजन, परिपक्वता, दर, पीआर, शोधन, आवधिकता, आधार) । |
इस फंक्शन का प्रयोग प्रतिभूति का मूल्य दिए जाने पर प्रतिभूति की परिपक्वता पर प्रतिफल निकालने के लिए किया जाता है ।
समायोजन - प्रतिभूति की समायोजन तारीख है । प्रतिभूति समायोजन की तारीख वह तारीख होती है जिस तारीख को निधि और प्रतिभूति का अदान-प्रदान होता है ।
परिपक्वता - प्रतिभूति की परिपक्वता की तारीख है । परिपक्वता तारीख वह तारीख है जब प्रतिभूति की अवधि समाप्त होती है ।
दर - प्रतिभूति की वार्षिक कूपन दर है ।
पीआर - प्रति 100 रु. के अंकित मूल्य का प्रतिभूति मूल्य
शोधन - प्रत्येक 100 रु. के अंकित मूल्य पर प्रतिभूति का शोधन मूल्य है ।
आवधिकता का अर्थ प्रति वर्ष कूपन भुगतानों की संख्या है । वार्षिक भुगतान के लिए आवधिकता=1; अर्धवार्षिकी के लिए, आवधिकता=2; तिमाही के लिए आवधिकता=4 ।
आधार - प्रयोग के आधार पर दिन गिनने का स्वरूप है ।
ऊपर दिए गए उसी उदाहरण को लेते हुए तथा 95.55 रु. के मूल्य पर प्रतिफल का परिणाम 6.68% होगा ।
7. अवधि |
अवधि (समायोजन, परिपक्वता, कूपन, प्रतिफल, आवधिकता, आधार) । |
इस फंक्शन का प्रयोग प्रतिभूति की अवधि वर्षों की संख्या में जानने के लिए किया जाता है ।
समायोजन प्रतिभूति की समायोजन तारीख है । प्रतिभूति समायोजन की तारीख वह तारीख होती है जिस तारीख को निधि और प्रतिभूति का अदान-प्रदान होता है ।
परिपक्वता - प्रतिभूति की परिपक्वता की तारीख है । परिपक्वता तारीख वह तारीख है जब प्रतिभूति की अवधि समाप्त होती है ।
कूपन - प्रतिभूति की वार्षिक कूपन दर है ।
प्रतिफल - प्रतिभूति की वार्षिक प्रतिफल है ।
आवधिकता का अर्थ प्रति वर्ष कूपन भुगतानों की संख्या है । वार्षिक भुगतान के लिए आवधिकता=1; अर्धवार्षिकी के लिए, आवधिकता=2; तिमाही के लिए आवधिकता=4 ।
आधार प्रयोग के आधार पर दिन गिनने का स्वरूप है ।
उदाहरण - 6.05% 2019, 2 फरवरी 2019 को परिपक्व होने वाली प्रतिभूति है । 1 जून 2009 को द्वितीयक बाजार में इसकी प्रतिफल 6.68% है । समायोजन तारीख 2 जून 2009 है । अवधि फार्मूला में मूल्य निम्नानुसार होगा । समायोजन-2-6-2009; परिपक्वता-2-2-2019; दर-6.05%; प्रतिफल-6.68%; आवधिकता-2 (छमाही कूपन); आधार-4
परिणाम 7.25 वर्ष होगा ।
8. संशोधित अवधि |
संशोधित अवधि (समायोजन, परिपक्वता, कूपन, प्रतिफल, आवधिकता, आधार) । |
इस फंक्शन का प्रयोग प्रतिभूति की संशोधित अवधि जानने के लिए किया जाता है ।
समायोजन - प्रतिभूति की समायोजन तारीख है । प्रतिभूति समायोजन की तारीख वह तारीख होती है जिस तारीख को निधि और प्रतिभूति का अदान-प्रदान होता है ।
परिपक्वता - प्रतिभूति की परिपक्वता की तारीख है । परिपक्वता तारीख वह तारीख है जब प्रतिभूति की अवधि समाप्त होती है ।
कूपन - प्रतिभूति की वार्षिक कूपन दर है ।
प्रतिफल - प्रतिभूति की वार्षिक प्रतिफल है ।
आवधिकता का अर्थ प्रति वर्ष कूपन भुगतानों की संख्या है । वार्षिक भुगतान के लिए आवधिकता=1; अर्धवार्षिकी के लिए, आवधिकता=2; तिमाही के लिए आवधिकता=4 ।
आधार - प्रयोग के आधार पर दिन गिनने का स्वरूप है ।
ऊपर दिए अनुसार वही उदाहरण लेते हुए एक्सेल फंक्शन में उक्त अवधि और मूल्य देते हुए फार्मूले का परिणाम 7.01 होगा ।
भारतीय मुद्रा
घ) गंदे तथा कटे-फटे बैंकनोट
भुगतान योग्य नहीं पाए जाने पर बैंकनोटों को प्राप्तकर्ता बैंक अपने पास रखते हैं तथा उन्हें भारतीय रिज़र्व बैंक को भेजा जाता है जहां इन्हें नष्ट कर दिया जाता है ।
कोर निवेश कंपनियां
कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)
उत्तर: जैसा कि पहले ही अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों में स्पष्ट किया गया है, कोई सीआईसी जो सार्वजनिक निधि का उपयोग नहीं करता है, उसे समूह में अन्य सीआईसी होने के बावजूद उस पंजीकरण से छूट दी गई है जो सार्वजनिक निधि का उपयोग करते हैं। उदाहरण के लिए, यदि क एक सीआईसी है और ख और ग भी है और क की समूह कंपनियां हैं, बशर्ते क किसी भी प्रकार के सार्वजनिक निधि का उपयोग नहीं करता है, जिसमें ख और ग सहित किसी भी समूह की कंपनी से कोई निधि शामिल है, तो उसे सीआईसी के रूप में पंजीकरण करने की आवश्यकता नहीं होगी। यदि क, ख और ग किसी भी रूप में सार्वजनिक निधि का उपयोग नहीं करते हैं, तो उनमें से किसी को भी सीआईसी के रूप में पंजीकरण करने की आवश्यकता नहीं होगी।
भारत में विदेशी निवेश
III. अन्य प्रतिभूतियों में निवेश
उत्तर: विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक(एफ़पीआई), अनिवासी भारतीय(एनआरआई), प्रवासी भारतीय(ओसीआई), विदेशी केंद्रीय बैंक,बहुदेशीय विकास बैंक दीर्घकालिक निवेशक, जैसे, सोवरिन वेल्थ फंड (एसडब्ल्यूएफ), बहुदेशीय एजंसियां, एन्डाउमन्ट फंड, इन्श्योरन्स फंड तथा पेंशन फंड, जो भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड दीर्घकालिक निवेशक में पंजीकृत हैं, अधिसूचना सं. फेमा 20 की अनुसूची 5 में विनिर्दिष्ट किए गए अनुसार अन्य प्रतिभूतियों में निवेश कर सकते हैं।
देशी जमा
III. अग्रिम
FAQs on Non-Banking Financial Companies
Liquid Asset requirement
भारत में विदेशी निवेश
III. अन्य प्रतिभूतियों में निवेश
उत्तर: “विदेशी जोखिम पूंजी निवेशक (FVCI)” अर्थात ऐसा निवेशक जो भारत से बाहर स्थापित और निगमित है और वह भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (विदेशी जोखिम पूंजी निवेशक) विनियमावली, 2000 के तहत भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) में पंजीकृत है।
भारतीय मुद्रा
घ) गंदे तथा कटे-फटे बैंकनोट
कटे-फटे/फटे हुए नोटों को बदलने के लिए दिशानिर्देश “नोटों व सिक्कों को बदलने की सुविधा” के संबंध में दिनांक 01 जुलाई 2019 के हमारे मास्टर परिपत्र डीसीएम (एनई) सं.जी-2/08.07.18/2019-20 में उपलब्ध हैं जो हमारी वेबसाइट www.rbi.org.in में अधिसूचना > मुद्रा निर्गमकर्ता के अंतर्गत उपलब्ध हैं । भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) संशोधित नियमावली, 2018 के अनुसार कटे-फटे नोटों को सभी बैंक शाखाओं में बदला जा सकता है ।
कोर निवेश कंपनियां
कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)
उत्तर: समायोजित निवल मूल्य (एएनडब्ल्यू) पूंजी की आवश्यकता के समान एक अवधारणा है जिसमें एएनडब्ल्यू जोखिम भारित आस्तियों (आरडब्ल्यूए) के 30% से कम नहीं होना चाहिए। ऐसे मामलों में जहां आस्ति का आकार समग्र किया जाता है, तो समूह के भीतर सभी सीआईसी को सीआईसी-एनडी-एसआई एएनडब्ल्यू के रूप में पंजीकृत किया जाएगा जो व्यक्तिगत रूप से लागू होंगे।
भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका
देशी जमा
III. अग्रिम
FAQs on Non-Banking Financial Companies
Liquid Asset requirement
भारत में विदेशी निवेश
III. अन्य प्रतिभूतियों में निवेश
उत्तर: सेबी में पंजीकृत विदेशी जोखिम पूंजी निवेशक(एफ़वीसीआई) फेमा 20 (आर) की अनुसूची 7 में निर्धारित शर्तों के अनुसार निवेश कर सकते हैं।
Government Securities Market in India – A Primer
भारतीय मुद्रा
घ) गंदे तथा कटे-फटे बैंकनोट
भारतीय रिज़र्व बैंक (नोट वापसी) संशोधित नियमावली, 2018 के तहत क्षतिग्रस्त बैंकनोट के मूल्य का आकलन करते समय क्रम संख्या अथवा अन्य विनिर्दिष्ट विशेषता की उपस्थिति अथवा अनुपस्थिति निर्धारक कारक नहीं होती है ।
कोर निवेश कंपनियां
कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)
उत्तर: भले ही सार्वजनिक निधि में सामान्य रूप से सार्वजनिक जमा शामिल हैं, यह ध्यान दिया जा सकता है कि सीआईसी सार्वजनिक जमा स्वीकार नहीं कर सकते हैं। यह भी दोहराया जा सकता है कि कोई भी एनबीएफसी बैंक की विशिष्ट अनुमति के बिना सार्वजनिक जमा स्वीकार नहीं कर सकता है, भले ही उसके पास बैंक से सीओआर हो।
देशी जमा
IV. शेयरों और डिबेंचरों की जमानत पर अग्रिम
भारत में विदेशी निवेश
III. अन्य प्रतिभूतियों में निवेश
उत्तर: एफ़वीसीआई द्वारा किए गए सभी निवेश के लिए प्रतिफल राशि बैंकिंग चैनलों के जरिए विदेश से किए गए आवक विप्रेषण से प्राप्त अथवा एफ़सीवीआई द्वारा भारत में एडी बैंक में बनाए रखे गए विदेशी मुद्रा खाते और/ अथवा विशेष अनिवासी रुपया (एसएनआरआर) खाते में धारित निधियों में से अदा की जा सकेगी। विदेशी मुद्रा खाते और विशेष अनिवासी रुपया (एसएनआरआर) खाते का उपयोग केवल संबंधित अनुसूची के अंतर्गत लेनदेन के लिए ही किया जाएगा।
Government Securities Market in India – A Primer
Glossary of Important Terms and Commonly Used Market Terminology
Accrued Interest
The accrued interest on a bond is the amount of interest accumulated on a bond since the last coupon payment. The interest has been earned, but because coupons are paid only on coupon dates, the investor has not gained the money yet. In India day count convention for G-Secs is 30/360.
Auction –Multiple price and Uniform Price
In a Multiple Price auction, the successful bidders are required to pay for the allotted quantity of securities at the respective price / yield at which they have bid. On the other hand, in a Uniform Price auction, all the successful bidders are required to pay for the allotted quantity of securities at the same rate, i.e., at the auction cut-off rate, irrespective of the rate quoted by them.
Bid Price/ Yield
The price/yield being offered by a potential buyer for a security.
Big Figure
When the price is quoted as ₹102.35, the portion other than decimals (102) is called the big figure.
Competitive Bid
Competitive bid refers to the bid for the stock at the price stated by a bidder in an auction.
Coupon
The rate of interest paid on a debt security as calculated on the basis of the security’s face value.
Coupon Frequency
Coupon payments are made at regular intervals throughout the life of a debt security and may be quarterly, semi-annual (twice a year) or annual payments.
Discount
When the price of a security is below the par value, it is said to be trading at a discount. The value of the discount is the difference between the FV and the Price. For example, if a security is trading at ₹ 99, the discount is ₹ 1.
Duration (Macaulay Duration)
Duration of a bond is the number of years taken to recover the initial investment of a bond. It is calculated as the weighted average number of years to receive the cash flow wherein the present value of respective cash flows are multiplied with the time to that respective cash flows. The total of such values is divided by the price of the security to arrive at the duration. Refer to Box IV under question 27.
Face Value
Face value is the amount that is to be paid to an investor at the maturity date of the security. Debt securities can be issued at varying face values, however in India they typically have a face value of ₹100. The face value is also known as the repayment amount. This amount is also referred as redemption value, principal value (or simply principal), maturity value or par value.
Floating-Rate Bond
Bonds whose coupon rate is re-set at predefined intervals and is based on a pre-specified market based interest rate.
Gilt/ G-Secs
G-Secs are also known as gilts or gilt edged securities. “G-Sec” means a security created and issued by the Government for the purpose of raising a public loan or for any other purpose as may be notified by the Government in the Official Gazette and having one of the forms mentioned in the G-Secs Act, 2006.
Market Lot
Market lot refers to the standard value of the trades that happen in the market. The standard market lot size in the G-Secs market is ₹ 5 crore in face value terms.
Maturity Date
The date when the principal (face value) is paid back. The final coupon and the face value of a debt security is repaid to the investor on the maturity date. The time to maturity can vary from short term (1 year) to long term (30 years).
Non-Competitive Bid
NCB means the bidder would be able to participate in the auctions of dated G-Secs without having to quote the yield or price in the bid. The allotment to the non-competitive segment will be at the weighted average rate that will emerge in the auction on the basis of competitive bidding. It is an allocating facility wherein a part of total securities are allocated to bidders at a weighted average price of successful competitive bid. (Please also see paragraph no.4.3 under question no.4).
Odd Lot
Transactions of any value other than the standard market lot size of ₹ 5 crore are referred to as odd lot. Generally, the value is less than the ₹ 5 crore with a minimum of ₹10,000/-. Odd lot transactions are generally done by the retail and small participants in the market.
Par value
Par value is nothing but the face value of the security which is ₹ 100 for G-Secs. When the price of a security is equal to face value, the security is said to be trading at par.
Premium
When the price of a security is above the par value, the security is said to be trading at premium. The value of the premium is the difference between the price and the face value. For example, if a security is trading at ₹102, the premium is ₹ 2.
Price
The price quoted is for per ₹ 100 of face value. The price of any financial instrument is equal to the present value of all the future cash flows. The price one pays for a debt security is based on a number of factors. Newly-issued debt securities usually sell at, or close to, their face value. In the secondary market, where already-issued debt securities are bought and sold between investors, the price one pays for a bond is based on a host of variables, including market interest rates, accrued interest, supply and demand, credit quality, maturity date, state of issuance, market events and the size of the transaction.
Primary Dealers
In order to accomplish the objective of meeting the Government borrowing needs as cheaply and efficiently as possible, a group of highly qualified financial firms/ banks are appointed to play the role of specialist intermediaries in the G-Sec market between the issuer on the one hand and the market on the other. Such entities are generally called Primary dealers or market makers. In return of a set of obligations, such as making continuous bids and offer price in the marketable G-Secs or submitting reasonable bids in the auctions, these firms receive a set of privileges in the primary/ secondary market.
Real Time Gross Settlement (RTGS) system
RTGS system is a funds transfer mechanism for transfer of money from one bank to another on a “real time” and on “gross” basis. This is the fastest possible money transfer system through the banking channel. Settlement in “real time” means payment transaction is not subjected to any waiting period. The transactions are settled as soon as they are processed. “Gross settlement” means the transaction is settled on one to one basis without bunching with any other transaction. Considering that money transfer takes place in the books of the Reserve Bank of India, the payment is taken as final and irrevocable.
Repo Rate
Repo rate is the return earned on a repo transaction expressed as an annual interest rate.
Repo/Reverse Repo
Repo means an instrument for borrowing funds by selling securities of the Central Government or a State Government or of such securities of a local authority as may be specified in this behalf by the Central Government or foreign securities, with an agreement to repurchase the said securities on a mutually agreed future date at an agreed price which includes interest for the fund borrowed.
Reverse Repo means an instrument for lending funds by purchasing securities of the Central Government or a State Government or of such securities of a local authority as may be specified in this behalf by the Central Government or foreign securities, with an agreement to resell the said securities on a mutually agreed future date at an agreed price which includes interest for the fund lent.
Residual Maturity
The remaining period until maturity date of a security is its residual maturity. For example, a security issued for an original term to maturity of 10 years, after 2 years, will have a residual maturity of 8 years.
Secondary Market
The market in which outstanding securities are traded. This market is different from the primary or initial market when securities are sold for the first time. Secondary market refers to the buying and selling that goes on after the initial public sale of the security.
Tap Sale
Under Tap sale, a certain amount of securities is created and made available for sale, generally with a minimum price, and is sold to the market as bids are made. These securities may be sold over a period of day or even weeks; and authorities may retain the flexibility to increase the (minimum) price if demand proves to be strong or to cut it if demand weakens. Tap and continuous sale are very similar, except that with Tap sale the debt manager tends to take a more pro-active role in determining the availability and indicative price for tap sales. Continuous sale are essentially at the initiative of the market.
Treasury Bills
Debt obligations of the Government that have maturities of one year or less are normally called Treasury Bills or T-Bills. Treasury Bills are short-term obligations of the Treasury/ Government. They are instruments issued at a discount to the face value and form an integral part of the money market.
Underwriting
The arrangement by which investment bankers undertake to acquire any unsubscribed portion of a primary issuance of a security.
Weighted Average Price/ Yield
It is the weighted average mean of the price/ yield where weight being the amount used at that price/ yield. The allotment to the non-competitive segment will be at the weighted average price/yield that will emerge in the auction on the basis of competitive bidding.
Yield
The annual percentage rate of return earned on a security. Yield is a function of a security’s purchase price and coupon interest rate. Yield fluctuates according to numerous factors including global markets and the economy.
Yield to Maturity (YTM)
Yield to maturity is the total return one would expect to receive if the security is being held until maturity. Yield to maturity is essentially the discount rate at which the present value of future payments (investment income and return of principal) equals the price of the security.
Yield Curve
The graphical relationship between yield and maturity among bonds of different maturities and the same credit quality. This curve shows the term structure of interest rates. It also enables investors to compare debt securities with different maturities and coupons.
भारतीय मुद्रा
घ) गंदे तथा कटे-फटे बैंकनोट
भारतीय रिज़र्व बैंक आम जनता को अच्छी गुणवत्ता वाले बैंकनोट उपलब्ध कराने के लिए निरंतर प्रयास करता रहा है । भारतीय रिज़र्व बैंक तथा बैंकिंग प्रणाली के इस उद्देश्य को पूरा करने में मदद हेतु आम जनता से निम्नलिखित सुनिश्चित करने का अनुरोध किया जाता है :
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बैंकनोटों को स्टैपल नहीं करें ।
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बैंकनोटों पर कुछ लिखें नहीं / कोई रबर स्टैम्प अथवा अन्य कोई निशान नहीं लगाएँ।
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बैंकनोटों का उपयोग माला/खिलौने बनाने, पंडाल तथा पूजास्थल को सजाने के लिए अथवा सामाजिक आयोजनों में व्यक्तियों पर बरसाने आदि के लिए नहीं करें ।
कोर निवेश कंपनियां
कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)
उत्तर: नहीं। परिपत्र के तहत समूह में सीआईसी को एक समूह में कई एनबीएफसी की आस्तियों को समग्र करने के लिए नहीं माना जाएगा। इस संबंध में दिनांक 5 जनवरी 2011 के कोर निवेश कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2011 में निहित अनुदेश सीआईसी पर लागू होंगे।
देशी जमा
IV. शेयरों और डिबेंचरों की जमानत पर अग्रिम
FAQs on Non-Banking Financial Companies
Liquid Asset requirement
भारत में विदेशी निवेश
III. अन्य प्रतिभूतियों में निवेश
उत्तर: बिक्रीगत/ परिपक्वतागत आगम राशि (करों का निवल) का विप्रेषण भारत के बाहर किया जा सकता है अथवा विदेशी जोखिम पूंजी निवेशक के विदेशी मुद्रा खाते अथवा विशेष अनिवासी रुपया (एसएनआरआर) खाते में जमा किया जा सकता है।
देशी जमा
IV. शेयरों और डिबेंचरों की जमानत पर अग्रिम
पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: दिसंबर 10, 2022