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भारतीय रिज़र्व बैंक की आधिकारिक वेबसाइट
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भारतीय मुद्रा

ख) बैंकनोट

एक वर्ष में मुद्रित की जाने वाली बैंक नोटों की मात्रा तथा मूल्य विभिन्न कारकों पर निर्भर करते हैं, जैसे (i) जनता की बढ़ती हुई आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए संचलनगत नोटों (एनआईसी) में अपेक्षित वृद्धि, तथा (ii) संचलन में केवल अच्छी गुणवत्ता वाले नोटों का होना सुनिश्चित करने हेतु गंदे/कटे-फटे नोटों को बदलने की आवश्यकता होना। संचलनगत नोटों में अपेक्षित वृद्धि का आकलन सांख्यिकीय मॉडलों का उपयोग करके किया जाता है, जिसमें समष्टिगत आर्थिक कारकों जैसे सकल घरेलू उत्‍पाद (जीडीपी) में अपेक्षित वृद्धि, मुद्रास्फीति, ब्याज दर, भुगतान के गैर-नकदी माध्यमों में वृद्धि आदि को ध्‍यान में रखा जाता है । प्रतिस्थापन की आवश्यकता पहले से ही संचलनगत नोटों की मात्रा तथा बैंकनोट के औसत जीवन पर निर्भर करती है । रिज़र्व बैंक नकदी की अपेक्षित मांग के संबंध में एक वर्ष में मुद्रित की जाने वाली बैंक नोटों की मात्रा तथा मूल्य का आकलन उक्त कारकों के साथ ही अपने क्षेत्रीय कार्यालयों तथा बैंकों से प्राप्त फीडबैक के आधार पर करता है तथा भारत सरकार और प्रिंटिंग प्रेसों के परामर्श से इसको अंतिम रूप देता है ।

भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका

सीसीआइएल सरकारी प्रतिभूतियों के लिए समाशोधन एजेंसी है । सरकारी प्रतिभूतियों में होनेवाले समस्त लेनदेनों के लिए यह एक केंद्रीय प्रति पक्ष (सीसीपी) के रूप में कार्य करता हैं जो वह स्वयं को दो प्रतिपक्षों के बीच स्थापित करते हुए संपन्न करता है । परिणामत:, निपटान के दौरान, सीसीपी वास्तविक लेनदेन के क्रेता के लिए विक्रेता और विक्रेता के लिए क्रेता बन जाता है । ओटीसी मार्केट में तथा एनडीएस-ओएम प्लैटफार्म पर किए जानेवाले सभी एकमुश्त लेनदेनों को सीसीआइएल के जटिए समायोजिता किया जाता है । एक बार सीसीआइएल के पास लेनदेन की सूचना पहुंच जाने पर वह प्रतिभूतियों तथा निधियों, इन दोनों पक्षों पर सहभागीवार निवल दायित्वों का हिसाब लगाता है । ग्राहकों (गिल्ट खाता धारी) की देय/प्राप्य स्थिति उनके संबंधित अभिरक्षकों के सामने प्रदर्शित होती है । सीसीआईएल सहभागियों की निवल स्थिति के साथ निपटान फाइल रिज़र्व बैंक को भेज देता है जहां "सुपुर्दगी बनाम भुगतान" प्रणाली के तहत निधियों एवं प्रतिभूतियों के साथ साथ अंतरण द्वारा निपटान संपन्न होता है । सीसीआइएल सरकारी प्रतिभूतियों में किए जानेवाले सभी लेनदेनों के निपटान की भी गारंटी देता है । अर्थात निपटान प्रक्रिया के दौरान यदि कोई सहभागी निधियां/प्रतिभूतियां उपलब्ध कराने में चूक जाता है तो सीसीआइएल उन्हें अपने स्वयं के संसाधनों में से उपलब्ध करायेगा । इस प्रयोजन के लिए सीसीआइएल सभी सहभागियों से मार्जिन वसूल करता है और "निपटान गारंटी निधि" रखता है ।

FAQs on Non-Banking Financial Companies

Inter-corporate deposits (ICDs)

Yes. The ICDs not being public deposit are not governed by the minimum and maximum period applicable to public deposit.

देशी जमा

II. अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) की जमाराशियाँ

हां, बैंकों को अनिवासी विदेशी मीयादी जमाराशियों पर विभेदक ब्याज दर लगाने की अनुमति दी गयी है जैसी कि 15 लाख रुपये और उससे अधिक देशी मीयादी जमाराशियों पर निर्धारित उच्चतम सीमा के भीतर लगायी जाती है। एफ सी एन आर (बी) जमाराशियों के संबंध में बैंक अब मुद्रावार न्यूनतम मात्रा निर्धारित करने के लिए स्वतंत्र हैं जिस पर निर्धारित उच्चतम सीमा के अधीन विभेदक ब्याज दर दिया जाए ।

फेमा 1999 के तहत विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों (एफएलए) पर वार्षिक रिटर्न

एफएलए रिटर्न जमा करने की प्रक्रिया

उत्तर: एआईएफ को फ्लेयर पोर्टल पर पंजीकरण करने की आवश्यकता है। चूंकि अभी तक एआईएफ के लिए निर्धारित प्रारूप में एफएलए रिटर्न ऑनलाइन दाखिल करने का कोई प्रावधान नहीं है, इसलिए पोर्टल पर पंजीकरण पूरा करने के बाद एआईएफ को एफएलए रिटर्न दाखिल करने हेतु नवीनतम प्रारूप प्राप्त करने के लिए एक मेल भेजने की आवश्यकता है। तत्पश्चात एफएलए टीम उन्हें एफएलए रिटर्न भरने के लिए मेल के माध्यम से एक्सेल आधारित प्रारूप भेजेगी। उन्हें एक्सेल फॉर्मेट भरना होगा और उसे ईमेल पर भेजना होगा। एफ़एलए टीम भरे हुए एफ़एलए फॉर्म प्राप्त होने पर ईमेल आधारित पावती फॉर्म प्रेषित करेगी।

आवास ऋण

प्रतिगामी बंधक ऋण (रिवर्स मॉर्टगेज लोन)

ईएमआई गणना का उदाहरण (निवल स्थिर ऋण)

  ऋण की राशि 1,000,000.00  
  वार्षिक ब्याज दर 15.00%  
  भुगतान की संख्या 120  
  मासिक भुगतान 16,133.50  
संख्या भुगतान ब्याज मूलधन शेष
0       1,000,000.00
1 16,133.50 12,500.00 3,633.50 996,366.50
2 16,133.50 12,454.58 3,678.91 992,687.59
3 16,133.50 12,408.59 3,724.90 988,962.69
4 16,133.50 12,362.03 3,771.46 985,191.23
5 16,133.50 12,314.89 3,818.61 981,372.62
6 16,133.50 12,267.16 3,866.34 977,506.28
7 16,133.50 12,218.83 3,914.67 973,591.62
8 16,133.50 12,169.90 3,963.60 969,628.02
9 16,133.50 12,120.35 4,013.15 965,614.87
10 16,133.50 12,070.19 4,063.31 961,551.56
11 16,133.50 12,019.39 4,114.10 957,437.46
12 16,133.50 11,967.97 4,165.53 953,271.93
13 16,133.50 11,915.90 4,217.60 949,054.34
14 16,133.50 11,863.18 4,270.32 944,784.02
15 16,133.50 11,809.80 4,323.70 940,460.32
16 16,133.50 11,755.75 4,377.74 936,082.58
17 16,133.50 11,701.03 4,432.46 931,650.12
18 16,133.50 11,645.63 4,487.87 927,162.25
19 16,133.50 11,589.53 4,543.97 922,618.28
20 16,133.50 11,532.73 4,600.77 918,017.51
21 16,133.50 11,475.22 4,658.28 913,359.24
22 16,133.50 11,416.99 4,716.51 908,642.73
23 16,133.50 11,358.03 4,775.46 903,867.27
24 16,133.50 11,298.34 4,835.15 899,032.12
25 16,133.50 11,237.90 4,895.59 894,136.52
26 16,133.50 11,176.71 4,956.79 889,179.73
27 16,133.50 11,114.75 5,018.75 884,160.98
28 16,133.50 11,052.01 5,081.48 879,079.50
29 16,133.50 10,988.49 5,145.00 873,934.50
30 16,133.50 10,924.18 5,209.31 868,725.18
31 16,133.50 10,859.06 5,274.43 863,450.75
32 16,133.50 10,793.13 5,340.36 858,110.39
33 16,133.50 10,726.38 5,407.12 852,703.28
34 16,133.50 10,658.79 5,474.70 847,228.57
35 16,133.50 10,590.36 5,543.14 841,685.43
36 16,133.50 10,521.07 5,612.43 836,073.00
37 16,133.50 10,450.91 5,682.58 830,390.42
38 16,133.50 10,379.88 5,753.62 824,636.81
39 16,133.50 10,307.96 5,825.54 818,811.27
40 16,133.50 10,235.14 5,898.35 812,912.92
41 16,133.50 10,161.41 5,972.08 806,940.83
42 16,133.50 10,086.76 6,046.74 800,894.10
43 16,133.50 10,011.18 6,122.32 794,771.78
44 16,133.50 9,934.65 6,198.85 788,572.93
45 16,133.50 9,857.16 6,276.33 782,296.59
46 16,133.50 9,778.71 6,354.79 775,941.81
47 16,133.50 9,699.27 6,434.22 769,507.58
48 16,133.50 9,618.84 6,514.65 762,992.93
49 16,133.50 9,537.41 6,596.08 756,396.85
50 16,133.50 9,454.96 6,678.54 749,718.31
51 16,133.50 9,371.48 6,762.02 742,956.30
52 16,133.50 9,286.95 6,846.54 736,109.75
53 16,133.50 9,201.37 6,932.12 729,177.63
54 16,133.50 9,114.72 7,018.78 722,158.85
55 16,133.50 9,026.99 7,106.51 715,052.34
56 16,133.50 8,938.15 7,195.34 707,857.00
57 16,133.50 8,848.21 7,285.28 700,571.72
58 16,133.50 8,757.15 7,376.35 693,195.37
59 16,133.50 8,664.94 7,468.55 685,726.82
60 16,133.50 8,571.59 7,561.91 678,164.91
61 16,133.50 8,477.06 7,656.43 670,508.47
62 16,133.50 8,381.36 7,752.14 662,756.33
63 16,133.50 8,284.45 7,849.04 654,907.29
64 16,133.50 8,186.34 7,947.15 646,960.14
65 16,133.50 8,087.00 8,046.49 638,913.64
66 16,133.50 7,986.42 8,147.08 630,766.57
67 16,133.50 7,884.58 8,248.91 622,517.65
68 16,133.50 7,781.47 8,352.03 614,165.63
69 16,133.50 7,677.07 8,456.43 605,709.20
70 16,133.50 7,571.37 8,562.13 597,147.07
71 16,133.50 7,464.34 8,669.16 588,477.91
72 16,133.50 7,355.97 8,777.52 579,700.39
73 16,133.50 7,246.25 8,887.24 570,813.15
74 16,133.50 7,135.16 8,998.33 561,814.82
75 16,133.50 7,022.69 9,110.81 552,704.01
76 16,133.50 6,908.80 9,224.70 543,479.31
77 16,133.50 6,793.49 9,340.00 534,139.31
78 16,133.50 6,676.74 9,456.75 524,682.56
79 16,133.50 6,558.53 9,574.96 515,107.59
80 16,133.50 6,438.84 9,694.65 505,412.94
81 16,133.50 6,317.66 9,815.83 495,597.11
82 16,133.50 6,194.96 9,938.53 485,658.58
83 16,133.50 6,070.73 10,062.76 475,595.81
84 16,133.50 5,944.95 10,188.55 465,407.26
85 16,133.50 5,817.59 10,315.90 455,091.36
86 16,133.50 5,688.64 10,444.85 444,646.51
87 16,133.50 5,558.08 10,575.41 434,071.09
88 16,133.50 5,425.89 10,707.61 423,363.48
89 16,133.50 5,292.04 10,841.45 412,522.03
90 16,133.50 5,156.53 10,976.97 401,545.06
91 16,133.50 5,019.31 11,114.18 390,430.88
92 16,133.50 4,880.39 11,253.11 379,177.77
93 16,133.50 4,739.72 11,393.77 367,784.00
94 16,133.50 4,597.30 11,536.20 356,247.80
95 16,133.50 4,453.10 11,680.40 344,567.40
96 16,133.50 4,307.09 11,826.40 332,741.00
97 16,133.50 4,159.26 11,974.23 320,766.77
98 16,133.50 4,009.58 12,123.91 308,642.85
99 16,133.50 3,858.04 12,275.46 296,367.39
100 16,133.50 3,704.59 12,428.90 283,938.49
101 16,133.50 3,549.23 12,584.26 271,354.23
102 16,133.50 3,391.93 12,741.57 258,612.66
103 16,133.50 3,232.66 12,900.84 245,711.82
104 16,133.50 3,071.40 13,062.10 232,649.72
105 16,133.50 2,908.12 13,225.37 219,424.35
106 16,133.50 2,742.80 13,390.69 206,033.66
107 16,133.50 2,575.42 13,558.07 192,475.58
108 16,133.50 2,405.94 13,727.55 178,748.03
109 16,133.50 2,234.35 13,899.15 164,848.89
110 16,133.50 2,060.61 14,072.88 150,776.00
111 16,133.50 1,884.70 14,248.80 136,527.21
112 16,133.50 1,706.59 14,426.91 122,100.30
113 16,133.50 1,526.25 14,607.24 107,493.06
114 16,133.50 1,343.66 14,789.83 92,703.23
115 16,133.50 1,158.79 14,974.71 77,728.52
116 16,133.50 971.61 15,161.89 62,566.63
117 16,133.50 782.08 15,351.41 47,215.22
118 16,133.50 590.19 15,543.31 31,671.91
119 16,133.50 395.90 15,737.60 15,934.32
120 16,133.50 199.18 15,934.32 0.00

ऋण की राशि x आरपीएम x (1+पीएम)
                         (1+पिएम)

  • आरपीएम = प्रति माह ब्याज (प्रति वर्ष ब्याज दर/12)
  • एन= किश्तों की संख्या

एनबी: यदि आपके पास ईएमआई के लिए एक निश्चित बजट है तो आप अन्य चरों को बदलकर जैसे कि ब्याज दर को कम करके या ऋण की अवधि को बढ़ाकर ऋण राशि पर पहुंच सकते हैं। इसे ट्रायल-एंड-एरर दृष्टिकोण द्वारा ईएमआई गणना के माध्यम से भी प्राप्त किया जा सकता है।

समन्वित पोर्टफोलियो निवेश सर्वेक्षण - भारत

कुछ महत्वपूर्ण परिभाषाएँ और अवधारणाएँ

उत्तर: ऋण प्रतिभूतियाँ परक्राम्य उपकरण हैं जो ऋण के साक्ष्य के रूप में कार्य करते हैं। इनमें बिल, बॉन्ड, नोट्स, जमा के परक्राम्य प्रमाण पत्र, वाणिज्यिक पत्र, डिबेंचर, परिसंपत्ति-समर्थित प्रतिभूतियां, मुद्रा बाजार के साधन और इसी तरह के उपकरण शामिल हैं, जिनका आमतौर पर वित्तीय बाजारों में कारोबार होता है।

भारत में विदेशी निवेश

उत्तर: केवल अनिवासी/ प्रवासी भारतियों (एनआरआई/ ओसीआई) को भारत में अप्रत्यावर्तनीय आधार पर भागीदारी/ स्वामित्व कंपनी में निवेश करने की अनुमति है।

कोर निवेश कंपनियां

कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)

उत्तर: सार्वजनिक निधि सार्वजनिक जमा के समान नहीं होते हैं। सार्वजनिक निधियों में सार्वजनिक जमा, अंतर-कॉर्पोरेट जमा, बैंक वित्त और बाहरी स्रोतों से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्राप्त सभी निधि जैसे वाणिज्यिक पत्र, डिबेंचर आदि जारी करने से जुटाई गई धनराशि शामिल हैं। हालांकि, भले ही सार्वजनिक निधि में सामान्य रूप में सार्वजनिक जमा शामिल हैं, यह ध्यान दिया जा सकता है कि सीआईसी/सीआईसी-एनडी-एसआई सार्वजनिक जमाएं स्वीकार नहीं कर सकते हैं।

भारतीय मुद्रा

ख) बैंकनोट

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किए गए सभी बैंक नोटों को भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 33 में यथा परिभाषित स्‍वर्ण, सरकारी प्रतिभूतियों तथा विदेशी मुद्रा आस्तियों से सुरक्षित किया जाता है ।

भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका

‘यदा जारी’ ‘जब, जैसे ही तथा यदि जारी किया जाए’ का संक्षेप है जो जारी करने (निर्गम) के लिए अधिसूचित की गई परंतु अभी वास्तव में जारी न की गई किसी प्रतिभूति के सशर्त लेनदेन को इंगित करता है । समस्त ‘यदा जारी’ लेनदेन ‘यदि’ आधारित लेनदेन होते हैं, जिन्हे यदि और जब प्रतिभूति वास्तव में जारी की जाती है तब निपटाया जाना होता है । केंद्रीय सरकार की प्रतिभूतियों में ‘यदा जारी’ लेनदेन करने की अनुमति सभी एनडीएस-ओएम सदस्यों को है और इन्हें केवल एनडीएस-ओएम प्लैटफार्म पर ही किया जाना होता है । ‘यदा जारी’ बाजार नीलामी की जानेवाली प्रतिभूति के मूल्य अन्वेषण तथा नीलाम की जानेवाली प्रतिभूति के बेहतर संवितरण में सहायक होता है । शहरी सहकारी बैंकों के लिए 1 जुलाई 2009 के रिज़र्व बैंक मास्टर परिपत्र यूबीडी.बीपीडी (पीसीबी) एमसी सं.12/16.20.000/2009-10 में विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए गए है ।

FAQs on Non-Banking Financial Companies

Inter-corporate deposits (ICDs)

As per provisions of the Non-Banking Financial Companies Acceptance of Public Deposits (Reserve Bank) Directions, 1998, the prohibition from acceptance of deposits repayable on demand applies to public deposits only. ICDs are not public deposits. As such, ICDs can be accepted repayable on demand or notice.

देशी जमा

II. अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) की जमाराशियाँ

पुनर्निवेश जमाराशियां वे जमाराशियां हैं जहां ब्याज (जब कभी देय हो) का परिपक्वता अवधि तक उसी संविदागत दर से पुनर्निवेश किया जाता है जिसका परिपक्वता तारीख को मूल राशि के साथ आहरण किया जा सकता है। यह देशी जमाराशियों के लिए भी लागू है ।

फेमा 1999 के तहत विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों (एफएलए) पर वार्षिक रिटर्न

एफएलए रिटर्न जमा करने की प्रक्रिया

उत्तर: एफएलए रिटर्न जमा के संबंध में कोई भी प्रश्न ईमेल द्वारा भेजा जाना चाहिए। हम एक या दो कार्य दिवसों के भीतर प्रतिउत्तर देंगे।

समन्वित पोर्टफोलियो निवेश सर्वेक्षण - भारत

कुछ महत्वपूर्ण परिभाषाएँ और अवधारणाएँ

उत्तर: एक वर्ष से अधिक की मूल परिपक्वता वाली ऋण प्रतिभूतियों को दीर्घकालिक ऋण प्रतिभूतियों के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। इनमें बॉन्ड, डिबेंचर और नोट शामिल हैं जो आम तौर पर धारक को एक निश्चित नकदी प्रवाह या अनुबंधित रूप से निर्धारित परिवर्तनीय धन आय का बिना शर्त अधिकार देते हैं।

भारत में विदेशी निवेश

उत्तर: भारतीय कंपनी द्वारा कंपनी अधिनियम, 2013 के प्रावधानों के अंतर्गत बट्टे पर जारी किए गए राइट शेयरों में निवेश करने के लिए फेमा के अंतर्गत कोई प्रतिबंध नहीं हैं। भारत के बाहर के निवासी व्यक्तियों के लिए प्रस्ताव निम्नानुसार होगा:

ए. भारत में मान्यताप्राप्त स्टॉक एक्स्चेंज पर सूचीबद्ध कंपनी के शेयरों के मामले में कंपनी द्वारा निर्धारित कीमत पर ; तथा

बी. भारत में मान्यताप्राप्त स्टॉक एक्स्चेंज पर सूचीबद्ध नहीं की गई कंपनी के शेयरों के मामले में उस कीमत पर जो कि निवासी शेयर धारकों को राइट आधार पर प्रस्ताव जिस कीमत पर किया गया है उस से कम नहीं है।

भारतीय मुद्रा

ग. विभिन्न प्रकार के बैंकनोट तथा बैंकनोटों की सुरक्षा विशेषताएँ

इनका विवरण निम्नानुसार है :

i. अशोक स्‍तंभ वाले बैंकनोट :

स्वतंत्र भारत द्वारा जारी पहला बैंकनोट एक रूपया का नोट था, जिसे 1949 में जारी किया गया था । उन्हीं डिज़ाइनों को बरकरार रखते हुए वाटरमार्क विंडो में किंग जॉर्ज के चित्र के स्थान पर सारनाथ से अशोक स्तंभ के लॉयन कैपिटल प्रतीक के साथ नए बैंकनोट जारी किए गए ।

नए बैंक नोटों पर जारीकर्ता का नाम, मूल्यवर्ग तथा जमानत संबंधी वाक्‍यांश को वर्ष 1951 से हिंदी में मुद्रित किया गया था । 1000, 5000 तथा 10000 मूल्यवर्ग के बैंकनोट वर्ष 1954 में जारी किए गए थे । अशोक स्‍तंभ वाटरमार्क शृंखला वाले बैंकनोट, 10 मूल्यवर्ग में 1967 तथा 1992 के बीच, 20 मूल्यवर्ग में 1972 तथा 1975, 50 मूल्यवर्ग में 1975 और 1981, तथा 100 मूल्यवर्ग में 1967-1979 के बीच जारी किए गए । उक्त अवधि के दौरान जारी किए गए बैंकनोटों में विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी, प्रगति, भारतीय कला रूपों को प्रदर्शित करने वाले प्रतीक शामिल थे । वर्ष 1970 में, पहली बार “सत्यमेव जयते”, अर्थात सत्य की सदैव जीत होती के उपाख्‍यान के साथ बैंकनोट शुरू किए गए । महात्मा गांधी के चित्र तथा अशोक स्‍तंभ के वाटरमार्क के साथ 500 के बैंकनोट की शुरूआत अक्तूबर 1987 में की गई ।

ii. महात्मा गांधी (एमजी) शृंखला 1996

एमजी शृंखला – 1996 के अंतर्गत जारी किए गए बैंक नोटों का विवरण निम्नानुसार है :

मूल्यवर्ग प्रारम्भ करने का माह तथा वर्ष
5 नवंबर 2001
10 जून 1996
20 अगस्त 2001
50 मार्च 1997
100 जून 1996
500 अक्तूबर 1997
1000 नवंबर 2000

इस शृंखला के सभी बैंकनोटों में अग्र (सामने के) भाग पर अशोक स्‍तंभ के लॉयन कैपिटल के प्रतीक के स्थान पर महात्मा गांधी का चित्र है । अशोक स्‍तंभ के लॉयन कैपिटल को भी बरकरार रखा गया है तथा वाटरमार्क विंडो के बायीं ओर स्थानांतरित किया गया है । इसका अर्थ यह है कि इन बैंक नोटों में महात्मा गांधी के चित्र के साथ साथ महात्मा गांधी का वाटरमार्क भी है ।

iii. महात्मा गांधी शृंखला - 2005 बैंकनोट

एमजी शृंखला 2005 वाले बैंकनोट 10, 20, 50, 100, 500 तथा 1000 मूल्यवर्ग में जारी किए गए । इसमें 1996 एमजी शृंखला की तुलना में कुछ अतिरिक्त/नई सुरक्षा विशेषताओं को सम्मिलित किया गया है । इन बैंक नोटों के प्रारम्भ करने के वर्ष निम्नानुसार हैं :

मूल्यवर्ग प्रारम्भ करने का माह तथा वर्ष
50 तथा 100 अगस्त 2005
500 तथा 1000 अक्तूबर 2005
10 अप्रैल 2006
20 अगस्त 2006

बाद में, इस शृंखला के 500 तथा 1000 के बैंकनोटों की वैधता को 08 नवंबर 2016 की मध्य रात्रि से समाप्‍त कर दिया गया था ।

iv. महात्मा गांधी (नई) शृंखला (एमजीएनएस) – नवंबर 2016

महात्मा गांधी (नई) शृंखला को वर्ष 2016 में प्रारम्भ किया गया था, जिसमें देश की सांस्कृतिक विरासत तथा वैज्ञानिक उपलब्धियों को विशिष्‍ट रूप से दर्शाया गया है । इस शृंखला के बैंकनोटों की लंबाई-चौड़ाई कम होने के कारण वे, बटुए के लिए अधिक अनुकूल हैं तथा इसमें टूट-फूट कम होने की संभावना होती है । बैंकनोटों की रूपरेखा (डिजाइन) में देश के विविधतापूर्ण इतिहास, संस्कृति और लोकाचार के साथ ही इसकी वैज्ञानिक उपलब्धियों को दर्शाने वाले विषयों को पहली बार स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है । बैंकनोटों को विशिष्ट बनाने के लिए रंग योजना को चटक एवं सुस्‍पष्‍ट बनाया गया है ।

इस नई शृंखला का पहला बैंकनोट 08 नवंबर 2016 को प्रारम्भ किया गया था, तथा यह 2000 का नया मूल्यवर्ग है जिसमें मंगलयान के रूपरंग (थीम) को दर्शाया गया है । इसके पश्चात, इस शृंखला में 500, 200, 100, 50, 20 तथा 10 के बैंकनोट भी प्रारम्भ किए गए हैं।

FAQs on Non-Banking Financial Companies

Mutual benefit financial companies (nidhis)

A. There is no prohibition for Nidhi companies opening Savings Bank Account.

देशी जमा

II. अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) की जमाराशियाँ

बैंक अपने विवेक से अतिदेय एफ सी एन आर (बी) खाता जमाराशियां अथवा उसके एक हिस्से को नवीकृत कर सकते हैं बशर्ते परिपक्वता की तारीख से नवीकरण की तारीख (दोनों दिन सम्मिलित) तक की अतिदेय अवधि 14 दिन से अधिक न हो और इस तरह नवीकृत की गयी जमाराशि पर देय ब्याज दर नवीकरण अवधि के लिए उचित ब्याज दर वह होगी जो परिपक्वता तारीख को अथवा उस तारीख को जब जमाकर्ता नवीकरण चाहता हो प्रचलित हो, दोनों में से जो कम हो। अतिदेय जमाराशियों के मामले में जहां अतिदेय अवधि 14 दिन से अधिक हो वहां जमाराशियों का जब नवीकरण मांगा गया हो उस तारीख को प्रचलित ब्याज दर से नवीकरण किया जा सकता है। यदि जमाकर्ता समग्र अतिदेय जमाराशि अथवा उसका एक हिस्सा नयी एफ सी एन आर (बी) जमाराशि के रूप में रखता है तो बैंक नयी मीयादी जमाराशि के रूप में इस तरह रखी राशि पर अतिदेय अवधि के लिए स्वयं ब्याज निर्धारित कर सकते हैं । यदि नवीकरण के बाद उक्त योजना के अंतर्गत न्यूनतम निर्दिष्ट अवधि की समाप्ति के पहले उक्त जमाराशि का आहरण किया जाता हे तो बैंक अतिदेय अवधि के लिए इस तरह दिया गया ब्याज वसूल करने के लिए स्वतंत्र हैं ।

कोर निवेश कंपनियां

कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)

उत्तर: सार्वजनिक निधियों की अप्रत्यक्ष प्राप्ति का अर्थ है प्रत्यक्ष रूप से नहीं बल्कि उन अनुषंगियों और समूह संस्थाओं के माध्यम से प्राप्त निधि जिनकी सार्वजनिक निधि तक पहुंच है।

भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका

वर्तमान मूल्य (पीवी), भावी मूल्य (एफवी) आदि की गणना से संबंधित ‘मुद्रा’ का समय मूल्य बांड बाजार से संबंधित महत्वपूर्ण गणितीय संकल्पनाएं हैं । इसकी उदाहरण सहित रूपरेखा नीचे दिए गए बॉक्स II में दी गई है ।

बॉक्स II

मुद्रा का समय मूल्य

धन का सामयिक मूल्य होता है क्योंकि आज के दिन का एक रुपया एक वर्ष बाद की अपेक्षा अधिक मूल्यवान तथा उपयोगी होता है ।

‘मुद्रा के समय मूल्य’ की संकल्पना उस ज्ीास्iेा पर आधारित हे कि एक निवेशकर्ता (भविष्य में कभी उसी राशि के भुगतान की बजाए), आज किसी निर्धारित राशि का भुगतान प्राप्त करने को वरीयता देता हैं । शेष सभी बातें समान ही होती हैं । विशेष रूप से, यदि किसी को आज ही भुगतान प्राप्त हो जाए तो वह निर्दिष्ट भावी तारीख तक उस धन पर ब्याज अर्जित कर सकता है । साथ ही, किसी स्फीतिकारी परिवेश में आज के दिन एक रुपए की क्रय शक्ति एक वर्ष बाद की अपेक्षा काफ़ी अधिक होती है ।

किसी भावी राशि का वर्तमान मूल्य

वर्तमान मूल्य फार्मूला मुद्रा के अवधि मूल्य का एकमात्र फार्मूला है ।

वर्तमान मूल्य (पीवी) फार्म्यूला के चार परिवर्ती होते हैं जिनमें से एक-एक को निम्नानुसार हल किया जा सकता है

वर्तमान मूल्य (पीवी)(झ्V) अर्थात् समय = 0 पर मूल्य

भावी मूल्य (एफवी) (इV) अर्थात समय = एन पर मूल्य

‘आइ’ (’i’)वह दर है जिस पर राशि को हर अविध में चक्रवृद्धि किया जाएगा

‘एन’ (’’) है अवधियों की संख्या

भावी नकदी प्रवाहों के संचयी वर्तमान मूल्य की गणना एफवी के अंशदान अर्थात् समय पर नकदी प्रवाह का मूल्य ‘टी’ को जोड़कर की जा सकती है ।

उदाहरण

नकदी प्रवाह निम्नानुसार होने पर

अवधि (वर्षों में)

1

2

3

राशि

100

100

100

माना कि ब्याज दर 10% वार्षिक की है; हर वर्ष के लिए बट्टे की गणना 1/(1+ब्याज दर)^ वर्ष (संख्या में) के रूप में की जा सकती है ।

वर्तमान मूल्य का हिसाब राशि बट्टा घटक के रूप में लगाया जा सकता है ।

निम्न अवधि के बाद 100 रुपए का पीवी होगा:

वर्ष

राशि

बट्टा घटक

पीवी

1

100

0.9091

90.91

2

100

0.8264

82.64

3
100
0.7513
75.13

संचयी वर्तमान मूल्य = 90.91+82.64+75.13=रु.248.69

निवल वर्तमान मूल्य (एनपीवी)

निवल वर्तमान मूल्य (एनपीवी) या निवल वर्तमान संपत्ति (एनपीडब्ल्य) को निवल नकदी प्रवाह के वर्तमान मूल्य के रूप में परिभाषित किया गया है । यह एक दीर्घावधिक परियोजनाओं का मूल्यांकन करने के लिए धन के समय मूल्य को प्रयुक्त करने संबंधी मानक पद्धति है । पूंजी बजटीकरण के लिए प्रयुक्त तथा अर्थशाॉा में व्यापक रूप में प्रयुक्त होनेवाली इस पद्धति में नकदी प्रवाहों की अधिकता एवं कमी को, एक बार वित्तपोषण प्रभारों की पूर्ति हो जाने के बाद वर्तमान मूल्य (पीवी) के रूप में नापा जाता है । इसमें उन्नत वित्तीय कैलक्युलेटरों का प्रयोग होता है ।

5

वर्तमान मूल्य के अधीन ऊपर किए गए उदाहरण में, यदि रु.240 की जमा राशि पर तीनों नकदी प्रवाह उपचित हो जाते हैं तो उस निवेश का एनपीवी 248.69-240= रु.8.69 है ।

फेमा 1999 के तहत विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों (एफएलए) पर वार्षिक रिटर्न

एफएलए रिटर्न जमा करने की प्रक्रिया

उत्तर: पिछले वर्ष के एफएलए रिटर्न को संशोधित करने के लिए कृपया नीचे दिए गए चरण का पालन करें:

https://flair.rbi.org.in/fla/faces/pages/login.xhtml पर जाएं → फ्लेयर में लॉग इन करें → होमपेज के बाईं ओर मेनू टैब पर क्लिक करें → ऑनलाइन एफएलए फॉर्म → एफएलए ऑनलाइन फॉर्म → " Please click here to get the approval to fill FLA form for current year after due date /for previous years" पर क्लिक करें → "वर्ष" का चयन करें और पर क्लिक करें → "Request" पर क्लिक करें।

आपकी अनुरोध स्थिति स्क्रीन पर उपलब्ध नीचे दी गई तालिका में दिखाई देगी। एफएलए पोर्टल के माध्यम से आरबीआई को अनुरोध भेजने के बाद इकाईयों को अनुमोदन के लिए कम से कम एक कार्य दिवस की प्रतीक्षा करनी होगी । इकाईयां बाएं कोने पर मेनू के अंतर्गत "Multiple Year Enable Screen" में अपने अनुरोध की स्थिति की जांच कर सकती हैं। एक बार डीएसआईएम, आरबीआई द्वारा अनुमोदित होने के बाद, इकाई चयनित वर्ष के लिए एफएलए रिटर्न को संशोधित कर सकती है।

समन्वित पोर्टफोलियो निवेश सर्वेक्षण - भारत

कुछ महत्वपूर्ण परिभाषाएँ और अवधारणाएँ

उत्तर: एक वर्ष या उससे कम की मूल परिपक्वता वाली ऋण प्रतिभूतियों को अल्पकालिक ऋण प्रतिभूतियों के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। अल्पकालिक प्रतिभूतियों के उदाहरण ट्रेजरी बिल, जमा के परक्राम्य प्रमाण पत्र, बैंकरों की स्वीकृति, वचन पत्र और वाणिज्यिक पत्र हैं।

भारत में विदेशी निवेश

उत्तर: नहीं, राइट शेयरों का परित्याग फेमा 20 (आर) के विनियम 6 के साथ पठित दिनांक 4 जनवरी 2018 भारत में विदेशी निवेश पर मास्टर निदेश के पैरा 6.11 में निहित अनुदेशों के अनुसार किया जाएगा।

भारतीय मुद्रा

ग. विभिन्न प्रकार के बैंकनोट तथा बैंकनोटों की सुरक्षा विशेषताएँ

500, 1000 तथा 10000 के बैंकनोटों को, जो तब संचलन में थे, जनवरी 1946 में विमुद्रीकृत किया गया । वर्ष 1954 में 1000, 5000 तथा 10000 के उच्च मूल्यवर्ग के बैंकनोटों को पुन: प्रारम्भ किया गया, तथा इन बैंकनोटों (1000, 5000 तथा 10000) को जनवरी 1978 में फिर से विमुद्रीकृत कर दिया गया ।

महात्मा गांधी शृंखला के तहत जारी किए गए 500, 1000 मूल्यवर्ग के बैंकनोटों को हाल ही में 08 नवंबर 2016 की मध्यरात्रि से संचलन से हटा लिया गया है, और इसलिए अब ये वैध मुद्रा नहीं हैं ।

विनिर्दिष्ट नोटों को रखने, हस्तांतरित करने अथवा प्राप्त करने पर प्रतिबंध के संबंध में, विनिर्दिष्ट बैंकनोट (देयताओं की समाप्ति) अधिनियम, 2017 की धारा 5 का पाठ निम्नानुसार है :

नियत दिन को एवं उसके बाद से, विनिर्दिष्‍ट बैंक नोट रखने, हस्‍तांतरित करने अथवा प्राप्‍त करने पर सभी व्‍यक्तियों के लिए मनाही होगी :

बशर्ते कि विनिर्दिष्ट बैंक नोटों को रखने के संबंध में इस धारा के किसी उपबंध के तहत प्रतिबंध नहीं लगाया जाए –

(क) किसी व्यक्ति द्वारा -

(i) छूट अवधि समाप्त होने तक; अथवा

(क) मूल्यवर्ग पर ध्यान दिए बिना कुल दस नोट से अधिक नहीं हों; अथवा

(ख) अध्ययन, अनुसंधान अथवा मुद्राशास्त्रीय उद्देश्य के लिए पच्चीस नोट से अधिक नहीं हों;

(ख) रिज़र्व बैंक अथवा इसकी कोई एजेंसियों द्वारा, अथवा रिज़र्व बैंक द्वारा प्राधिकृत किसी अन्य व्यक्ति द्वारा; (ग) अदालत में लंबित किसी मामले के संबंध में न्यायालय के निर्देश पर किसी व्यक्ति द्वारा

विनिर्दिष्‍ट बैंकनोटों (एसबीएन) के संबंध में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर जारी परिपत्र तथा अनुदेश हमारी वेबसाइट www.rbi.org.in के अंतर्गत इन कार्य-वार साइटों पर उपलब्ध है >> मुद्रा निर्गमकर्ता >>एसबीएन के बारे में जो भी आप जानना चाहते हों ।

/en/web/rbi/-/all-you-wanted-to-know-from-rbi-about-withdrawal-of-legal-tender-status-of-%E2%82%B9-500-and-%E2%82%B9-1000-notes-3270

 

कोर निवेश कंपनियां

कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)

उत्तर: हां, सीआईसी को अपने समूह की संस्थाओं की ओर से गारंटी जारी करने या अन्य आकस्मिक देनदारियों को लेने की आवश्यकता हो सकती है। गारंटियां सार्वजनिक निधि की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आती हैं। हालांकि, यह संभव है कि सीआईसी जो सार्वजनिक निधियों को स्वीकार नहीं करते हैं, यदि और जब गारंटी दी जाती है तो वे सार्वजनिक निधियों का सहारा लेते हैं। इसलिए, ऐसा करने से पहले, जब भी स्थिति आती है, सीआईसी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे इसके तहत दायित्व को पूरा कर सकते हैं। विशेष रूप से, सीआईसी, जिन्हें पंजीकरण की आवश्यकता से छूट प्राप्त है, दायित्व के हस्तांतरण की स्थिति में सार्वजनिक निधियों का सहारा लिए बिना ऐसा करने की स्थिति में होना चाहिए। अपंजीकृत सीआईसी जिनकी आस्ति का आकार रु.100 करोड़ से अधिक है, यदि भारतीय रिजर्व बैंक से पंजीकरण प्रमाण पत्र (सीओआर) प्राप्त किए बिना सार्वजनिक निधियों को प्राप्त करते हैं, तो उन्हें दिनांक 05 जनवरी, 2011 के कोर निवेश कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2011 का उल्लंघन करने के रूप में देखा जाएगा।

भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका

उपचित ब्याज बांड का मूल्य बांड के समस्त भावी नकदी प्रवाहों का वर्तमान मूल्य ही है । नकदी प्रवाहों को बट्टा देने के लिए प्रयुक्त ब्याज दर है बाँड की परिपक्वता पर आय (प्रश्न 24 में विस्तार से स्पष्ट किया गया है) । इस मूल्य की गणना एक्सेल के ‘मूल्य’ फंक्शन का प्रयोग करते हुए की जा सकती है (कृपया अनुबंध 4, क्रम सं. 5 देखें) ।उपचित ब्याज पिछले कूपन दिवस से लेनदेन के दिवस के निपटान से एक दिन पूर्व तक की खंडित अवधि के लिए दिया जानेवाला ब्याज होता है । चूंकि प्रतिभूतिधारी लेनदेन के निपटान की तारीख से एक दिन पूर्व तक की अवधि के लिए प्रतिभूति धारित करता है, अत:, वह उक्त धारित अवधि के लिए कूपन पाने का पात्र होता है । लेनदेन के निपटान के दौरान प्रतिभूति का खरीदार सहमत मूल्य के अतिरिक्त उक्त उपचित ब्याज अदा करता है और ‘प्रतिफल राशि’ का भुगतान करता है ।नीचे उदाहरण दिया गया है -6.49 प्रतिशत 2015 की प्रतिभूति के 5 करोड़ रुपये (अंकित मूल्य) के रु.96.95 के मूल्य पर 26 अगस्त 2009 की निपटान तारीख के लेनदेन के लिए प्रतिभूति के विक्रेता को देय प्रतिफल राशि का हिसाब निम्नानुसार किया गया है;यहां लगाए गए मूल्य को ‘क्लीन मूल्य’ कहा जाता है, क्योंकि उसमें उपचित ब्याज जुड़ा नहीं होता है ।उपचित ब्याज:78 दिनों के लिए रु.100 के अंकित = 6.49 X (78/360)मूल्य पर उपचित ब्याज = रु.1.4062इस उपचित ब्याज घटक को ‘क्लीन मूल्य’ में जोड़ने पर मिलनेवाले परिणाम मूल्य को ‘डर्टी मूल्य’ कहा जाता है । उक्त उदाहरण में यह है 96.95+1.4062 =रु.98.3562कुल प्रतिफल राशि = लेनदेन का अंकित मूल्य डर्टी मूल्य= 5,00,00,000 X(98.3562/100)= रु. 4,91,78,083.33

FAQs on Non-Banking Financial Companies

Mutual benefit financial companies (nidhis)

Yes. However, exemption from the ceiling on interest rate applies only to those nidhi companies which comply with the conditions stipulated by RBI in January 1997 and to which exemption certificates have been issued by RBI.

देशी जमा

II. अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) की जमाराशियाँ

नहीं, विदेशी मुद्रा अनिवासी (बैंक) खाता योजना के अंतर्गत रुपयों में दिये गये ऋणों पर लागू ब्याज दर संबंधी शर्तें विदेशी मुद्रा में अंकित ऋणों पर लागू नहीं हैं । वे भारतीय रिज़र्व बैंक के विदेशी मुद्रा विभाग द्वारा जारी अनुदेशों से नियंत्रित होते हैं —

फेमा 1999 के तहत विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों (एफएलए) पर वार्षिक रिटर्न

कुछ उपयोगी परिभाषाएँ

उत्तर: प्रत्यक्ष निवेश अंतरराष्ट्रीय निवेश की एक श्रेणी है जिसमें एक अर्थव्यवस्था में एक निवासी इकाई [प्रत्यक्ष निवेशक (डीआई)] एक अन्य अर्थव्यवस्था [प्रत्यक्ष निवेश उद्यम (डीआईई)] के निवासी उद्यम में स्थायी निवेश करता है। इसमें दो घटक होते हैं, अर्थात इक्विटी पूंजी और अन्य पूंजी।

समन्वित पोर्टफोलियो निवेश सर्वेक्षण - भारत

कुछ महत्वपूर्ण परिभाषाएँ और अवधारणाएँ

उत्तर: 31 मार्च/30 सितंबर, [वर्ष] में प्रचलित विनिमय दर का उपयोग करते हुए इक्विटी प्रतिभूतियों को घरेलू मुद्रा में परिवर्तित बाजार कीमतों पर रिपोर्ट किया जाना चाहिए। स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध उद्यमों के लिए, इक्विटी प्रतिभूतियों के आपके होल्डिंग के बाजार मूल्य की गणना 31 मार्च/30 सितंबर, [वर्ष] में प्रचलित मुख्य स्टॉक एक्सचेंज पर बाजार मूल्य का उपयोग करके की जानी चाहिए। असूचीबद्ध उद्यमों के लिए, यदि 31 मार्च/30 सितंबर, [वर्ष] को कारोबार की समाप्ति पर बाजार मूल्य उपलब्ध नहीं है, तो आपके इक्विटी प्रतिभूतियों के बाजार मूल्य का अनुमान प्रश्न 23 में दिए गए छह वैकल्पिक तरीकों में से एक का उपयोग करके गणना की जा सकती है।

31 मार्च/30 सितंबर, [वर्ष] को कारोबार की समाप्ति पर प्रचलित विनिमय दर का उपयोग करते हुए, ऋण प्रतिभूतियों को घरेलू मुद्रा में परिवर्तित बाजार कीमतों पर दर्ज किया जाना चाहिए। सूचीबद्ध ऋण प्रतिभूतियों के लिए, 31 मार्च/30 सितंबर, [वर्ष] को कारोबार की समाप्ति पर उद्धृत बाजार मूल्य का उपयोग किया जाना चाहिए। जब बाजार मूल्य अनुपलब्ध हों (उदाहरण के लिए, असूचीबद्ध ऋण प्रतिभूतियों के मामले में), उचित मूल्य का अनुमान लगाने के लिए निम्नलिखित विधियों का उपयोग किया जाना चाहिए (जो ऐसे उपकरणों के बाजार मूल्य का एक अनुमान है) का उपयोग किया जाना चाहिए:

  • ब्याज की बाजार दर का उपयोग करके भविष्य के नकदी प्रवाह को वर्तमान मूल्य पर घटाना और

  • समान वित्तीय संपत्तियों और देनदारियों के बाजार मूल्यों का उपयोग करना।

भारत में विदेशी निवेश

उत्तर: हां, भारत में विदेशी निवेश पर मास्टर निदेश के पैरा 7.11 में निर्धारित शर्तों के अधीन अनुमति दे सकता है।

भारतीय मुद्रा

ग. विभिन्न प्रकार के बैंकनोट तथा बैंकनोटों की सुरक्षा विशेषताएँ

भारतीय रिज़र्व बैंक ने 2005 से पहले जारी किए गए सभी बैंकनोटों को संचलन से बाहर करने का निर्णय लिया था, क्योंकि उनमें 2005 के पश्चात मुद्रित बैंकनोटों की तुलना में कम सुरक्षा विशेषताएँ थीं । पुरानी शृंखला के नोटों को वापस लेना एक मानक अंतरराष्ट्रीय प्रथा है । भारतीय रिज़र्व बैंक पहले ही इन नोटों को नियमित रूप से बैंकों के माध्यम से वापस लेता रहा है । ऐसा अनुमान है कि संचलनगत ऐसे बैंकनोटों (2005 से पहले के) की मात्रा इतनी अधिक नहीं है कि आम जनता पर कोई बड़ा प्रभाव पड़े । 2005 से पहले के नोटों को बदलने की सुविधा भारतीय रिज़र्व बैंक के केवल इन कार्यालयों में उपलब्ध है : अहमदाबाद, बेंगलुरू, बेलापुर, भोपाल, भुवनेश्वर, चंडीगढ़, चेन्नई, गुवाहाटी, हैदराबाद, जयपुर, जम्मू, कानपुर, कोलकाता, लखनऊ, मुंबई, नागपुर, नई दिल्ली, पटना, तिरूवनंतपुरम तथा कोच्चि । हालांकि, इसका तात्‍पर्य यह नहीं था कि बैंक अपने ग्राहकों के खातों में जमा करने के लिए 2005 से पहले के नोटों को जमा करने हेतु स्वीकार नहीं कर सकते । इस संबंध में कृपया दिनांक 19 दिसंबर 2016 की प्रेस प्रकाशनी का संदर्भ लें जिसे निम्न लिंक पर देखा जा सकता है : /en/web/rbi/-/press-releases/banks-should-accept-pre-2005-banknotes-in-deposit-rbi-clarifies-38951

कोर निवेश कंपनियां

कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)

उत्तर: यह निर्धारित करने के लिए कि क्या कोई कंपनी सीआईसी/सीआईसी-एनडी-एसआई है, 'समूह की कंपनियों' को दिनांक 5 जनवरी 2011 की अधिसूचना संख्या डीएनबीएस(पीडी) 219/सीजीएम (यूएस)-2011 के पैरा 3(1)बी में विस्तृत रूप से परिभाषित किया गया है, जो इस प्रकार है: "एक ऐसी व्यवस्था के रूप में जिसमें निम्नलिखित में से किसी भी संबंध के माध्यम से एक दूसरे से संबंधित दो या दो से अधिक संस्थाएं शामिल हैं, अर्थात, सहायक – मूल संस्था (एएस 21 के संदर्भ में परिभाषित), संयुक्त उद्यम (एएस 27 के संदर्भ में परिभाषित), एसोसिएट (एएस 23 के संदर्भ में परिभाषित), प्रमोटर-प्रमोटी [जैसा कि सेबी (शेयरों का अधिग्रहण और अधिग्रहण) विनियम, 1997 में प्रदान किया गया है] सूचीबद्ध कंपनियों के लिए, एक संबंधित पार्टी (एएस 18 के संदर्भ में परिभाषित) सामान्य ब्रांड नाम, और 20% और उससे अधिक के इक्विटी शेयरों में निवेश)।

भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका

यदि ब्याज दरें या बाजार आय बढ़ जाती है तो बांड के मूल्य में गिरावट आती है । इस के विपरीत, यदि ब्याज दरें या बाजार आय में गिरावट आती है तो बांड का मूल्य बढ़ जाता है । दूसरे शब्दों में, बांड की आय उसके अपने मूल्य से उलटे क्रम में संबंधित होती है ।बॉण्ड की परिपक्वता पर आय और कूपन दर के बीच के संबंध को निम्नानुसार देखा जाए :● यदि बॉण्ड का बाजार मूल्य अंकित मूल्य से कम है अर्थात् बॉण्ड एक बट्टे पर बिकता है, तो वाईटीएम > चालू आय > कूपन आय● यदि बॉण्ड का बाजार मूल्य अंकित मूल्य से अधिक है अर्थात् बांड प्रीमियम पर बिकता है, तो कूपन आय > चालू आय > वाइटीएम● यदि बॉण्ड का बाजार मूल्य अंकित मूल्य के समान है अर्थात् बांड सममूल्य पर बिकता है, तो वाईटीएम=चालू आय= कूपन आय ।

FAQs on Non-Banking Financial Companies

Classification of NBFCs into sub-groups

The new classification norms shall come into effect on the basis of NBFCs Balance Sheet as on March 31, 1999. The classification of an NBFC into a specific sub-group is decided on the basis of its principal business as disclosed in its latest audited Balance Sheet and Profit & Loss Account.

देशी जमा

II. अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) की जमाराशियाँ

निम्नलिखित के नाम स्वीकृत जमाराशियों के संबंध में -क. बैंक के स्टाफ -सदस्य अथवा किसी सेवानिवृत्त सदस्य, एकल अथवा उसके परिवार के किसी अन्य सदस्य या सदस्यों के साथ संयुक्त रूप में, याख. बैंक के स्टाफ के दिवंगत सदस्य अथवा दिवंगत सेवानिवृत्त सदस्य के पति/की पत्नीएफ सी एन आर (बी) जमाराशियों के लिए निर्धारित समग्र उच्चतम सीमा के भंग न करने की शर्त के अधीन बैंक अपने विवेक से निर्दिष्ट ब्याज दर के ऊपर वार्षिक एक प्रतिशत से अनधिक दर तक अतिरिक्त ब्याज दे सकते हैं,बशर्तेi. जमाकर्ता अथवा संयुक्त खाते के सभी जमाकर्ता भारतीय राष्ट्रिकता अथवा मूल का/के अनिवासी हो/हों, औरii. संबंधित जमाकर्ता से बैंक यह घोषणा प्राप्त करेगा कि इस तरह जमा किया गया धन अथवा जो समय-समय पर जमा किया जाएगा, वह उपर्युक्त खंड (क) और (ख) में उल्लेख किये अनुसार - जमाकर्ताओं से संबंधित धन होगा ।स्पष्टीकरण : ‘परिवार’ शब्द का अर्थ होगा तथा इसमें शामिल होंगे बैंक के स्टाफ-सदस्य/सेवानिवृत्त सदस्य के पति/की पत्नी, उनके बच्चे, माता-पिता, भाई और बहनें जो ऐसे सदस्य/सेवानिवृत्त सदस्य पर आश्रित हैं तथा इसमें कानूनी दृष्टि से विभक्त पति/पत्नी शामिल नहीं होंगे -

फेमा 1999 के तहत विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों (एफएलए) पर वार्षिक रिटर्न

कुछ उपयोगी परिभाषाएँ

उत्तर: इसमें (1) शाखाओं में विदेशी इक्विटी और सहायक कंपनियों और सहयोगियों में सभी शेयर (गैर-भाग लेने वाले वरीयता शेयरों को छोड़कर) शामिल हैं; (2) इक्विटी भागीदारी द्वारा डीआईई को प्रत्यक्ष निवेशक द्वारा मशीनरी, भूमि और भवन (ओं) के प्रावधान जैसे योगदान; (3) डीआईई द्वारा अपनी प्रत्यक्ष निवेशक कंपनी में शेयरों का अधिग्रहण, जिसे रिवर्स निवेश (अर्थात डीआई पर दावा) कहा जाता है।

समन्वित पोर्टफोलियो निवेश सर्वेक्षण - भारत

कुछ महत्वपूर्ण परिभाषाएँ और अवधारणाएँ

उत्तर: जब वास्तविक बाजार मूल्य उपलब्ध नहीं होते हैं, तो एक अनुमान की आवश्यकता होती है। प्रत्यक्ष निवेश उद्यम में शेयरधारकों की इक्विटी के बाजार मूल्य का अनुमान लगाने के वैकल्पिक तरीकों में निम्नलिखित शामिल हैं:

(क) हालिया लेन-देन मूल्य: असूचीबद्ध उपकरणों में समय-समय पर व्यापार हो सकता है, और पिछले वर्ष के भीतर हाल की कीमतें, जिस पर उनका कारोबार किया गया था, का उपयोग किया जा सकता है। हाल की कीमतें मौजूदा बाजार मूल्यों का एक अच्छा संकेतक हैं, जहां तक स्थितियां अपरिवर्तित हैं। इस पद्धति का उपयोग तब तक किया जा सकता है जब तक लेनदेन की तारीख से निगम की स्थिति में कोई भौतिक परिवर्तन नहीं हुआ है। जैसे-जैसे समय बीतता है और स्थितियां बदलती हैं, हालिया लेन-देन की कीमतें तेजी से भ्रामक हो जाती हैं।

(ख) शुद्ध संपत्ति मूल्य: गैर-ट्रेडेड इक्विटी का मूल्यांकन उद्यम के जानकार प्रबंधन या निदेशकों द्वारा किया जा सकता है या स्वतंत्र लेखा परीक्षकों द्वारा बाजार मूल्य पर कुल देनदारियों (इक्विटी को छोड़कर) से वर्तमान मूल्य पर कुल संपत्ति प्राप्त करने के लिए प्रदान किया जा सकता है। मूल्यांकन हाल ही में (पिछले वर्ष के भीतर) होना चाहिए और अधिमानतः अमूर्त संपत्तियों को शामिल करना चाहिए।

(ग) वर्तमान मूल्य और मूल्य-से-कमाई अनुपात: गैर-सूचीबद्ध इक्विटी के वर्तमान मूल्य का अनुमान भविष्य के मुनाफे में कटौती करके लगाया जा सकता है। अपने सरलतम रूप में, मूल्य की गणना करने के लिए असूचीबद्ध उद्यम की हाल की पिछली आय (सुचारू) के लिए बाजार या उद्योग मूल्य-से-आय अनुपात को लागू करके इस पद्धति का अनुमान लगाया जा सकता है। यह तरीका सबसे उपयुक्त है जिसमें बैलेंस शीट की जानकारी की कमी होती है लेकिन कमाई के आंकड़े अधिक आसानी से उपलब्ध होते हैं।

घ) बाजार पूंजीकरण पद्धति: उद्यमों द्वारा रिपोर्ट किए गए बुक वैल्यू को सांख्यिकीय संकलक द्वारा समग्र स्तर पर समायोजित किया जा सकता है। अनट्रेडेड इक्विटी के लिए, "पुस्तक मूल्य पर स्वयं के फंड" पर जानकारी उद्यमों से एकत्र की जा सकती है, और फिर उपयुक्त मूल्य संकेतकों के आधार पर अनुपात के साथ समायोजित किया जा सकता है, जैसे समान संचालन वाली समान अर्थव्यवस्था में सूचीबद्ध कंपनियों के लिए बाजार पूंजीकरण का पुस्तक मूल्य से अनुपात। वैकल्पिक रूप से, परिसंपत्तियां जो उद्यम लागत पर ले जाते हैं (जैसे भूमि, संयंत्र, उपकरण, और सूची) को उपयुक्त परिसंपत्ति मूल्य सूचकांकों का उपयोग करके वर्तमान अवधि की कीमतों में पुनर्मूल्यांकित किया जा सकता है।

(च) बुक वैल्यू पर स्वयं के फंड: इक्विटी के मूल्यांकन के लिए यह विधि प्रत्यक्ष निवेश उद्यम की पुस्तकों में दर्ज उद्यम के मूल्य का उपयोग करती है, (ए) पेड-अप कैपिटल (उद्यम जारी करने वाले किसी भी शेयर को छोड़कर) के योग के रूप में अपने आप में रखता है और शेयर प्रीमियम खातों सहित); (बी) उद्यम की बैलेंस शीट में इक्विटी के रूप में पहचाने जाने वाले सभी प्रकार के भंडार (निवेश अनुदान सहित जब लेखांकन दिशानिर्देश उन्हें कंपनी के भंडार मानते हैं); (सी) संचयी पुनर्निवेश आय; और (डी) खातों में स्वयं के फंड में शामिल लाभ या हानि, चाहे पुनर्मूल्यांकन भंडार या लाभ या हानि के रूप में। संपत्ति और देनदारियों का पुनर्मूल्यांकन जितना अधिक बार होता है, बाजार मूल्यों के करीब उतना ही करीब होता है। डेटा जो कई वर्षों से पुनर्मूल्यांकन नहीं किया गया है, वह बाजार मूल्यों का खराब प्रतिबिंब हो सकता है।

(छ) वैश्विक मूल्य का विभाजन: वैश्विक उद्यम समूह का वर्तमान बाजार मूल्य एक्सचेंज पर उसके शेयरों के बाजार मूल्य पर आधारित हो सकता है, जिस पर इसकी इक्विटी का कारोबार होता है, अगर यह एक सूचीबद्ध कंपनी है। जहां एक उपयुक्त संकेतक की पहचान की जा सकती है (उदाहरण के लिए, बिक्री, शुद्ध आय, संपत्ति, या रोजगार), वैश्विक मूल्य को प्रत्येक अर्थव्यवस्था में विभाजित किया जा सकता है जिसमें इसका प्रत्यक्ष निवेश उद्यम है, उस सूचक के आधार पर, यह धारणा बनाकर कि बिक्री, शुद्ध आय, संपत्ति या रोजगार के लिए शुद्ध बाजार मूल्य का अनुपात पूरे अंतरराष्ट्रीय उद्यम समूह में एक स्थिर है। (प्रत्येक सूचक दूसरों से महत्वपूर्ण रूप से भिन्न परिणाम प्राप्त कर सकता है)।

भारत में विदेशी निवेश

उत्तर: निम्नलिखित व्यक्ति स्टॉक एक्स्चेंज पर पूंजीगत लिखत अर्जित कर सकते हैं:

ए. सेबी में पंजीकृत एफ़पीआई।

बी. अनिवासी भारतीय

सी. उपर्युक्त (ए) तथा (बी) को छोड़कर , भारत के बाहर का निवासी व्यक्ति स्टॉक एक्स्चेंज पर पूंजीगत लिखत इस शर्त के अधीन अर्जित कर सकता है कि उक्त निवेशक ने पहले ही सेबी (शेयरों का पर्याप्त अर्जन और अधिग्रहण) विनियमावली, 2011 के अनुसार ऐसी कंपनी का नियंत्रण हासिल कर लिया है और ऐसे नियंत्रण को बनाए रखा है; ऐसा करना भारत में विदेशी निवेश पर मास्टर निदेश के अनुबंध I में विनिर्दिष्ट शर्तों के अधीन भी होगा।

भारतीय मुद्रा

ग. विभिन्न प्रकार के बैंकनोट तथा बैंकनोटों की सुरक्षा विशेषताएँ

आम तौर पर कुछ समय के लिए नई तथा पुरानी –दोनों रूपरेखा (डिजाइन) वाले नोटों का एक साथ संचलन किया जाता है । पुरानी रूपरेखा वाले नोटों के पुन:जारी करने के योग्य नहीं रह जाने पर उन्‍हें धीरे-धीरे संचलन से बाहर कर दिया जाता है ।

कोर निवेश कंपनियां

कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)

उत्तर: बैंक की वेबसाइट पर उपलब्ध सीआईसी-एनडी-एसआई के लिए आवेदन पत्र डाउनलोड किया जा सकता है और भरा जा सकता है और डीएनबीएस के क्षेत्रीय कार्यालय में जमा किया जा सकता है, जिसके अधिकार क्षेत्र में कंपनी आवेदन पत्र में उल्लिखित आवश्यक सहायक दस्तावेजों के साथ पंजीकृत है।

भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका

24.1. बॉण्ड खरीदनेवाला निवेशक निम्नलिखित एक या उससे अधिक स्रोतों से प्रतिलाभ पा सकता है ।● जारीकर्ता द्वारा किए जानेवाला कूपन ब्याज भुगतान;● बॉण्ड बेचे जाने पर मिलनेवाला किसी प्रकार का पूंजीगत लाभ (या पूंजी हानि); और● उक्त ब्याज भुगतानों के पुनर्निवेश से होनेवाली आय अर्थात् ब्याज-पर-ब्याज ।निवेशकों द्वारा किसी बांड में निवेश करने पर मिलनेवाले संभाव्य प्रतिलाभ को नापने के लिए आम तौर पर प्रयुक्त उक्त तीन आय मापनों को संक्षेप में निम्नानुसार वर्णित किया जाता है(i) कूपन आय24.2 कूपन आय अंकित मूल्य के प्रतिशत के रूप में कूपन भुगतान होता है । कूपन आय से तात्पर्य सरकारी प्रतिभूति जैसी किसी निर्धारित आय प्रतिभूति पर देय सांकेतिक ब्याज है । यह निवेशक को सरकार (अर्थात् जारीकर्ता) का एक निश्चित प्रतिलाभ अदा करने का वायदा है । इस प्रकार, कूपन आय से सरकार द्वारा अदा किये जानेवाले सांकेतिक ब्याज पर ब्याज दर घट-बढ या मुद्रा स्फातिक होने वाले प्रभाव का पता नहीं चलता है ।कूपन आय = कूपन भुगतान/अंकित मूल्यउदाहरण:कूपन भुगतान : 8.24अंकित मूल्य : रु.100बाजार मूल्य : रु.103.00कूपन आय : 8.24/100 = 8.24%(ii) चालू आय24.3. चालू आय बांड के खरीद मूल्य के प्रतिशत के रूप में मात्र एक कूपन भुगतान होता है; दूसरे शब्दों में, यह बांडधारक को उसके खरीद मूल्य पर मिलनेवाला प्रतिलाभ है जो कमोबेश अंकित मूल्य या सममूल्य होता है । चालू आय में आवधिक रूप से प्राप्त होनेवाली ब्याज आय के पुनर्निवेश को हिसाब में नहीं लिया जाता है ।चालू आय = (वार्षिक कूपन दर/खरीद मूल्य) X 100उदाहरण :प्रति रु.100 के सम मूल्य पर रु.103.00 के लिए बेचे जानेवाले 10 वर्षीय 8.24% कूपन बांड के लिए चालू आय का हिसाब नीचे दिया गया हैवार्षिक कूपन ब्याज = 8.24% X रु.100=रु.8.24चालू आय = (8.24/103)X100=8.00% चालू आय में केवल कूपन ब्याज पर विचार किया जाता है और निवेशक के प्रतिलाभ को प्रभावित करनेवाले प्रतिलाभ के अन्य स्रोतों को अनदेखा किया जाता है।(iii) परिपक्वता पर आय24.4. परिपक्वता पर आय किसी बांड को उसकी परिपक्वता तक धारित रखने पर मिलनेवाले प्रतिलाभ की प्रत्याशित दर होती है । बॉण्ड का मूल्य उसके शेष समस्त नकदी प्रवाहों के वर्तमान मूल्य का जोड़ मात्र होता है । वर्तमान मूल्य की गणना हर नकदी प्रवाह को किसी दर पर बट्टा देते हुए की जाती है; यह दर होती है वाइटीएम । इस प्रकार, वाइटीएम वह बट्टा दर होती है जो किसी बांड से मिलनवाले भावी नकदी प्रवाहों के वर्तमान मूल्य को उसके चालू बाजार मूल्य तक समीकृत कर देती है । दूसरे शब्दों में यह बांड पर मिलनेवाली आंतरिक प्रतिलाभ दर होती है । वाइटीएम की गणना में परख तथा चूक विधि शामिल है । किसी बांड की परिपक्वता आय आसानी से प्राप्त करने के लिए एक कैलक्यूलेटर या सॉफ्टवेयर का प्रयोग किया जा सकता है ( कृपया बॉक्स III देखें)।

FAQs on Non-Banking Financial Companies

Classification of NBFCs into sub-groups

The NBFCs have been allowed sufficient time to achieve the ratio of 60 per cent of its net assets and derive its net income from these activities taken together. Therefore NBFCs are not expected to face much difficulty in achieving these norms.

देशी जमा

II. अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) की जमाराशियाँ

नहीं, किसी भी जमाराशि को ब्याज अर्जित करने के लिए पात्र होने के लिए न्यूनतम निर्धारित अवधि तक रखना होता है जो वर्तमान में एफ सी एन आर (बी) और एन आर ई जमाराशियों के लिए एक वर्ष है।

फेमा 1999 के तहत विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों (एफएलए) पर वार्षिक रिटर्न

कुछ उपयोगी परिभाषाएँ

उत्तर: प्रत्यक्ष निवेश के अन्य पूंजी घटक (प्राप्तियां और देय, इक्विटी और सहभागी वरीयता शेयरों के निवेश को छोड़कर) प्रत्यक्ष निवेशकों और डीआईई के बीच और दो डीआईई के बीच जो समान प्रत्यक्ष निवेशक साझा करते हैं, में उधार लेने और उधार देने, ऋण प्रतिभूतियों में निवेश, व्यापार क्रेडिट, वित्तीय पट्टे, शेयर आवेदन शुल्क आदि के कारण उत्पन्न होने वाली बकाया देनदारियों या दावों को शामिल किया गया है । प्रत्यक्ष निवेशक के स्वामित्व वाले गैर-भाग लेने वाले वरीयता शेयरों को ऋण प्रतिभूतियों के रूप में माना जाता है और उन्हें 'अन्य पूंजी' में शामिल किया जाना चाहिए।

समन्वित पोर्टफोलियो निवेश सर्वेक्षण - भारत

सीपीआईएस से संबंधित पूछताछ के लिए संपर्क विवरण

उत्तरः सीपीआईएस पर प्रश्न/स्पष्टीकरण आरबीआई से निम्नलिखित पते पर मांगे जा सकते हैं:

अंतर्राष्ट्रीय निवेश स्थिति प्रभाग (आईआईपीडी)
सांख्यिकी और सूचना प्रबंधन विभाग (डीएसआईएम)
भारतीय रिज़र्व बैंक
सी-9/5वीं मंजिल, बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स, बांद्रा पूर्व
मुंबई, महाराष्ट्र - 400 051
ईमेल

भारत में विदेशी निवेश

उत्तर: भारतीय कंपनी द्वारा प्रतिफल की प्राप्ति की तारीख से साठ दिन के भीतर पूंजीगत लिखत का निर्गम किया जाना चाहिए।

भारतीय मुद्रा

ग. विभिन्न प्रकार के बैंकनोट तथा बैंकनोटों की सुरक्षा विशेषताएँ

विश्व के सभी केंद्रीय बैंक प्राथमिक रूप से जालसाजी किए जाने को कठिन बनाने तथा जालसाजों से दो कदम आगे रहने के लिए अपने बैंकनोटों की रूपरेखा को परिवर्तित करते हैं तथा नई सुरक्षा विशेषताओं को समाविष्ट करते हैं । भारत भी इसी नीति का अनुसरण करता है ।

FAQs on Non-Banking Financial Companies

Classification of NBFCs into sub-groups

The NBFCs are entitled to depreciation benefits as a lessor on the assets leased out by them. The Guidance Note on Accounting for Leases issued by ICAI may entail creation of lease equalisation account/lease adjustment account. As per accounting practice, the entire amount of lease rentals is shown as gross lease income on the credit side of the profit and loss account. The income from equipment leasing, therefore, has to be computed on the basis of gross lease income net of depreciation on assets leased out and the lease equalisation account, if any. In the case of hire purchase finance, only the component of finance charges is taken to the Profit and Loss Account and therefore, such finance charges will be taken as hire purchase finance income. The composition of assets in the equipment leasing and hire purchase finance activities has to be worked out as a percentage of the total assets net of depreciation and net of lease adjustment account, if any, as disclosed in the audited Balance Sheet of the company. Hire purchase assets should be taken as stock on hire less unmatured finance charges. The sum total of debit balance in Profit and Loss Account, deferred revenue expenditure and intangible assets like Goodwill will also be excluded from the total assets.

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पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: दिसंबर 10, 2022

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