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भारतीय मुद्रा

ख) बैंकनोट

ऐसा आवश्यक नहीं है । भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 24 के अनुसार, बैंक नोटों का अंकित मूल्‍य दो रुपये, पाँच रुपये, दस रुपये, बीस रुपये, पचास रुपये, एक सौ रुपये, पाँच सौ रुपये, एक हजार रुपये, पाँच हजार रुपये तथा दस हजार रुपये अथवा इस प्रकार के अन्य मूल्यवर्ग, जो दस हजार से अधिक नहीं हो, होगा । इस संबंध में विशिष्‍ट निर्देश जारी करने की शक्ति केंद्र सरकार, केंद्रीय बोर्ड की अनुसंशा पर, के पास है ।

आवास ऋण

सुनिश्चित करें कि आपको प्रदान किए जा रहे दस्तावेज़ रंगीन फोटोकॉपी नहीं हैं। धोखाधड़ी करने के अन्य तौर-तरीकों के लिए इंटरनेट की जाँच करें और संपत्ति पर स्पष्ट शीर्षक सुनिश्चित करें। अपने बैंक जैसे प्रामाणिक स्रोतों से ही सलाह लें।

सही शीर्षक धारक का पता लगाने के लिए और अगर यह किसी फाइनेंसर के पास गिरवी है, तो नो एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट प्राप्त करें। यह सुनिश्चित करने के लिए कि सभी दस्तावेज़ अद्यतित हैं, सभी टैक्स दस्तावेज़ प्राप्त करें।

लक्षित दीर्घकालिक रिपो परिचालन (टीएलटीआरओ)

टीएलटीआरओ 2.0 से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

उत्तर: बैंकों को निवेश में लचीलापन प्रदान करने के लिए, यह शर्त टीएलटीआरओ 2.0 के तहत प्राप्त धन के लिए लागू नहीं होगी।

भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका

11.1. कारोबारी डेस्क द्वारा किए गए प्रत्येक लेन-देन के लिए एक "डील स्लिप" का सृजन किया जाना चाहिए जिसमें डील के स्वरूप, प्रतिपक्ष का नाम, क्या ये सीधे डील की गई अथवा ब्रोकर द्वारा (ब्रोकर द्वारा होने पर ब्रोकर का नाम), प्रतिभूति का ब्योरा, राशि, मूल्य, संविदा की तारीख और समय तथा समायोजन की तारीख दी जाए । डील स्लिपों को क्रम सं. दी जाए तथा यह सुनिश्चित करने के लिए सत्यापन किया जाए कि प्रत्येक डील स्लिप की गणना की गई है । एक बार डील हो जाने पर डील स्लिप तुरंत ही बैक आफिस को (यह प्रंट ऑफिस से अलग होना चाहिए) रिकार्ड और प्रक्रिया के लिए भेज देनी चाहिए । प्रत्येक डील के लिए प्रति पक्ष को पुष्टि करनी चाहिए । प्रति पक्ष द्वारा अपेक्षित लिखित पुष्टि की रसीद की, जिसमें संविदा का आवश्यक ब्योरा दिया हो, बैक ऑफिस द्वारा निगरानी की जाए । एनडीएस-ओएम पर मैच की गई डील की प्रति पक्ष पुष्टि की आवश्यकता नहीं है क्योंकि एनडीएस-ओएम बेनाम स्वचलित ऑर्डर मैचिंग प्रक्रिया है । तथापि, जिन कारोबारों को ओटीसी बाज़ार में अंतिम रूप दिया जाता है और एनडीएस पर रिपोर्ट किया जाता है, सिस्टम अर्थात एनडीएस में प्रतिपक्षों द्वारा पुष्टि भेजी जानी होती है । कृपया प्रश्न सं.15 भी देखें ।11.2. यदि कोई डील ब्रोकर के माध्यम से होती है, ब्रोकर द्वारा काउंटर पार्टी का स्थानापन्न नहीं होना चाहिए । इसी प्रकार, किसी भी स्थिति में किसी डील में बेची/खरीदी गई प्रतिभूति को किसी अन्य प्रतिभूति से बदलना नहीं चाहिए । किसी व्यक्ति द्वारा अपराध रोकने के लिए एक "मेकर-चैकर" ढाँचा लागू किया जाना चाहिए । यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि प्रणाली में मेकर (जो डेटा निविष्टियाँ करता है) और चैकर (जो सत्यापित करके आँकड़े प्राधिकृत करता है) का काम एक ही व्यक्ति न करे ।11.3 बैक ऑफिस द्वारा पारित वाउचरों के आधार पर (जो ब्रोकर/प्रतिपक्ष से प्राप्त वास्तविक संविदा नोट के सत्यापन और प्रतिपक्ष द्वारा डील की पुष्टि के बाद करना चाहिए) लेखा बहियाँ स्वतंत्र रूप से बनानी चाहिए ।

विप्रेषण (धन अंतरण सेवा योजना (एमटीएसएस) तथा रुपया आहरण व्यवस्था (आरडीए))

धन अंतरण सेवा योजना(एमटीएसएस)

भारतीय एजेंट को एमटीएसएस ढांचे के अंतर्गत परिचालन करने के लिए संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय के विदेशी मुद्रा विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक की अनुमति आवश्यक है। साथ ही समुद्रपारीय प्रिन्सिपल को भुगतान प्रणाली प्रारम्भ/ परिचालित करने के लिए भुगतान तथा निपटान प्रणाली अधिनियम (PSS एक्ट) 2007 के प्रावधानों के अंतर्गत भुगतान और निपटान प्रणाली विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक से आवश्यक ऑथोराइजेशन प्राप्त करना होगा।

FAQs on Non-Banking Financial Companies

Exemptions to the companies not accepting public deposits

The prudential norms relating to income recognition, accounting standards, asset classification, provisioning against bad and doubtful debts are the norms which have a bearing on disclosure of true and fair picture of the financial health of the NBFC. These companies normally borrow from other corporate bodies as also from banks and financial institutions. These are also the companies which may commence accepting public deposits at short notice. It is necessary that their Balance Sheets on which all the lenders would rely should be transparent and clean, else these companies would be able to inflate their profits and conceal the decline in the value of their investments as also unprovided NPAs. Such companies might turn out to be potential defaulters in servicing their borrowings from the financial system. The exemptions from capital adequacy and credit/ investment concentration norms have been given because public deposits are not involved.

फेमा 1999 के तहत विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों (एफएलए) पर वार्षिक रिटर्न

एफएलए रिटर्न जमा करने के लिए पात्र संस्थाएं और आवश्यकताएं

उत्तर: यदि किसी इकाई ने नवीनतम वित्तीय वर्ष में 'कोई नया एफडीआई और/या ओडीआई (समुद्रपारीय प्रत्यक्ष निवेश) प्राप्त नहीं किया है, लेकिन उस वित्तीय वर्ष के मार्च अंत में बकाया एफडीआई और/या ओडीआई है, तो उसे हर साल 15 जुलाई तक एफएलए रिटर्न में 31 मार्च की अपनी बकाया स्थिति जमा करना आवश्यक है।

देशी जमा

I . देशी जमा

नहीं। चूँकि यह धनराशि अवयस्क बच्चे की संपत्ति है न कि बैंक के कर्मचारी की, अत: अतिरिक्त ब्याज नहीं दिया जा सकता।

समन्वित पोर्टफोलियो निवेश सर्वेक्षण - भारत

सीपीआईएस के तहत क्या रिपोर्ट करें?

उत्तर: सर्वेक्षण असंबद्ध अनिवासियों द्वारा जारी प्रतिभूतियों अर्थात असंबंधित अनिवासियों द्वारा जारी और निवासियों के स्वामित्व वाली प्रतिभूतियां, में किए गए घरेलू निवासियों के पोर्टफोलियो निवेश परिसंपत्तियों का विवरण एकत्र करता है,

प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार संबंधी दिशानिर्देशों के मास्टर निदेशों पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

ट) प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत ऑन-लेंडिंग

उत्तर: बैंक द्वारा एनबीएफसी/एमएफआई/एचएफसी को ऑन-लेंडिंग के लिए उधार देने के मामले में, पोर्टफोलियो के केवल उस हिस्से को पीएसएल वर्गीकरण के लिए गिना जाना चाहिए जिसे एनबीएफसी/एमएफआई/एचएफसी द्वारा रिपोर्टिंग तिथि के अनुसार अंतिम उधारकर्ता/ओं को संवितरित किया गया हो। शेष पोर्टफोलियो की गणना, यदि कोई हो, पात्र ऋणों के संवितरण और एनबीएफसी/एमएफआई/एचएफसी द्वारा बैंक को रिपोर्ट किए जाने के आधार पर, बाद की रिपोर्टिंग तिथियों में की जा सकती है।

उत्तर: प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार, 2020 पर मास्टर निदेश के पैरा 21, 22, 23 के तहत बैंकों को उन एचएफसी और एनबीएफसी-एमएफआई और अन्य एमएफआई (सोसाइटियों, ट्रस्ट आदि) सहित एनबीएफसी को दिए गए अपने ऋणों को पीएसएल के रूप में वर्गीकृत करने की अनुमति देता है, जो पात्र प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को आगे उधार देने के लिए क्षेत्र हेतु आरबीआई द्वारा मान्यता प्राप्त एसआरओ के सदस्य हैं। बैंक निम्न प्रकार से आगे उधार देने के लिए एक समान कार्यप्रणाली अपना सकते हैं:

क) पीएसएल के तहत वर्गीकरण:

  • बैंक पीएसएल की संबंधित श्रेणियों में एनबीएफसी को आगे उधार को वर्गीकृत कर सकते हैं। वर्गीकरण की अनुमति तभी दी जाएगी जब एनबीएफसी ने बैंक से राशि प्राप्त करने के बाद अंतिम लाभार्थी को प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के ऋण संवितरित किए हों।

  • एनबीएफसी को बैंकों को एक सीए प्रमाणपत्र प्रदान करना होगा जिसमें कहा गया हो कि पोर्टफोलियो के व्यक्तिगत ऋण, जिसके लिए ऑन-लेंडिंग लाभ का दावा किया जा रहा है, का उपयोग किसी अन्य बैंक (बैंकों) से लाभ का दावा करने के लिए नहीं किया जा रहा है। साथ ही, एनबीएफसी को अपने आंतरिक/सांविधिक लेखा परीक्षकों के साथ-साथ आरबीआई पर्यवेक्षकों को इसे सत्यापित करने हेतु सक्षम करने के लिए अपनी प्रणाली में ऐसे ऋण (ऋणों) को चिह्नित करने के लिए एक उपयुक्त प्रक्रिया स्थापित करनी चाहिए।

ख) सूचना साझा करना:

  • बैंक यह सुनिश्चित करने के लिए आंतरिक नियंत्रण प्रणाली निर्मित कर सकते हैं कि आगे उधार देने के तहत पोर्टफोलियो पीएसएल के अनुरूप है और को-टर्मिनस क्लॉज का पालन करता है। इसे आवश्यकतानुसार आरबीआई पर्यवेक्षकों को उपलब्ध कराया जाना चाहिए। बैंक द्वारा ईआई से निम्नलिखित जानकारी/रिकॉर्ड एकत्र किया जाना चाहिए:

  1. लाभार्थी का नाम, स्वीकृत राशि, बकाया ऋण राशि, ऋण अवधि, संवितरण तिथि, पीएसएल की श्रेणी।

  2. इस आशय का एक विवरण कि पोर्टफोलियो पीएसएल के अनुरूप है, किसी सीए द्वारा अवश्य प्रमाणित होना चाहिए और बैंक द्वारा आरबीआई को पीएसएल रिपोर्टिंग के अनुरूप तिमाही आधार पर बैंक के साथ ईआई द्वारा साझा किया जाना चाहिए। को-टर्मिनस क्लॉज के पालन के संबंध में, बैंक को प्रत्येक वर्ष 31 मार्च को इसे सुनिश्चित करना चाहिए।

ग) को-टर्मिनस शर्त का पालन:

  • पीएस आस्तियों के लिए आगे उधार का लाभ लेने वाले बैंकों को इस शर्त का पालन करना चाहिए कि ईआई को आगे उधार के तहत ऋण की अवधि मोटे तौर पर ईआई द्वारा बनाई गई पीएस आस्तियों की अवधि के साथ को-टर्मिनस है।

  • को-टर्मिनस अवधि के सटीक मिलान की परिचालन संबंधी कठिनाइयों को देखते हुए, बैंकों को पोर्टफोलियो अवधि से 3 महीने के अंतर की अनुमति है। को-टर्मिनस अवधि के पालन की गणना के लिए एक उदाहरण निम्नानुसार प्रस्तुत है:

क्रम सं. बकाया ऋण
(क)
चालू वित्त वर्ष के 31 मार्च
(ख)
ऋण समाप्ति की तिथि
(ग)
ऋण अवधि
(दिन) (घ= ग-ख)
भारित औसत बकाया ऋण
दिन (ड़=क*घ)
1 50000 31-03-21 01-02-23 672 33600000
2 80000 31-03-21 01-05-24 1127 90160000
3 100000 31-03-21 11-08-23 863 86300000
4 300000 31-03-21 16-10-22 564 169200000
5 400000 31-03-21 23-11-22 602 240800000
कुल 930000       620060000
  दिनों में पोर्टफोलियो की भारित परिपक्वता (च=(ड़ का योग)/(क का योग) 666.73
  महीनों में (च/30) 22.22
  वर्षों में (च/365) 1.83

उपरोक्त उदाहरण में, एनबीएफसी को बैंक ऋण की शेष परिपक्वता लगभग 22.22 महीने होनी चाहिए। बैंकों से अपेक्षा की जाती है कि वे 31 मार्च को हर साल पोर्टफोलियो की भारित औसत अवशिष्ट परिपक्वता की गणना करें और यह सुनिश्चित करें कि एनबीएफसी को बैंक ऋण की अवशिष्ट परिपक्वता +-3 महीने की सहनशीलता सीमा के भीतर ऑन-लेंडिंग पोर्टफोलियो की भारित औसत अवशिष्ट परिपक्वता के साथ मेल खाती है।

घ) पूर्व भुगतान, पुरोबंध ऋणों का व्यवहार:

  • इकाई द्वारा बनाई गई पीएस आस्तियाँ पूर्व-भुगतान या पुरोबंध से गुजर सकती हैं जिससे पोर्टफोलियो की 'भारित परिपक्वता' बदल जाती है।

  • चूंकि बैंकों को वित्त वर्ष के अंत में 'भारित परिपक्वता' की गणना करने की आवश्यकता होती है, अतः पूर्व भुगतान/ पुरोबंध की स्थिति में बकाया ऋण भी तदनुसार बदल जाएगा।

  • एनबीएफसी पीएस आस्तियों को ऑन-लेंडिंग पोर्टफोलियो में जोड़ सकता है। हालांकि, इसे ऊपर उल्लिखित शर्तों को पूरा करना होगा जैसे कि पात्र इकाई द्वारा पीएस आस्तियों के लिए संवितरण बैंक से धन प्राप्त होने पर/बाद में होना चाहिए। को-टर्मिनस क्लॉज का पालन सुनिश्चित करने के लिए समूह में अन्य पीएस आस्तियों के पूर्व भुगतान/पुरोबंध के मामले में पोर्टफोलियो समूह में पीएस आस्तियों को जोड़ा जा सकता है।

उत्तर: एनबीएफसी (एमएफआई के अलावा) और एचएफसी को बैंक ऋण पिछले वित्तीय वर्ष की चार तिमाहियों की औसत पीएसएल उपलब्धि के 5% की सीमा के अधीन हैं। नए बैंक के मामले में यह सीमा उसके परिचालन के पहले वर्ष के दौरान निरंतर आधार पर लागू होगी। पंजीकृत एनबीएफसी-एमएफआई और अन्य एमएफआई (सोसाइटियां, ट्रस्ट, आदि), जो आरबीआई द्वारा इस क्षेत्र के मान्यता प्राप्त 'स्व-विनियामक संगठन' के सदस्य हैं, को बैंक ऋण देने के लिए निर्धारित सीमा लागू नहीं है। ऐसे एमएफआई को दिए गए बैंक ऋण को हमारे दिनांक 04 सितंबर 2020 और समय-समय पर अद्यतन किये गए मास्टर निदेश विसविवि.केंका.प्लान.बीसी.5/04.09.01/2020-21 में निर्दिष्ट शर्तों के अनुसार पीएसएल की विभिन्न श्रेणियों के तहत वर्गीकृत किया जा सकता है।

भारत में विदेशी निवेश

उत्तर: भारतीय कंपनी में वे सभी संस्थाएं हैं जो कि कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 1(4) के अंतर्गत कवर की गई हैं।

भारतीय मुद्रा

ख) बैंकनोट

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा मुद्रित अब तक का उच्चतम मूल्यवर्ग का नोट ₹10000 का था, जिसे 1938 में मुद्रित किया गया है । जनवरी 1946 में इसे विमुद्रीकृत कर दिया गया । वर्ष 1954 में ₹10000 का नोट पुन: प्रारम्भ किया गया । इन नोटों को 1978 में विमुद्रीकृत कर दिया गया ।

आवास ऋण

अपने आप को पर्याप्त समय दें। अपनी खरीद या ऋण लेने में किसी भी हालत में जल्दबाज़ी न करें। आवास ऋण के लिए कई जगहों पर पूछताछ करने से आपको सबसे अच्छा वित्तीय सौदा प्राप्त करने में सहायता मिलेगी। कई जगहों पर पूछताछ करने, तुलना करने, स्पष्टीकरण मांगने और बैंकों के साथ बातचीत करने से आपको हजारों रुपए की बचत हो सकती है।

ए) कई बैंकों से जानकारी प्राप्त करें

आवास ऋण मुख्य रूप से दो प्रकार के उधारदाताओं से उपलब्ध हैं - वाणिज्यिक बैंक और आवास वित्त कंपनियां। विभिन्न ऋणदाता आपको ब्याज की अलग-अलग दरों और अन्य नियमों और शर्तों को उद्धृत कर सकते हैं, इसलिए आपको यह सुनिश्चित करने के लिए कि आपको पैसे के लिए सबसे अच्छा मूल्य मिल रहा है, कई उधारदाताओं से संपर्क करना चाहिए।

पता करें कि आपको कितना डाउन पेमेंट करना है, और ऋण में शामिल सभी लागतों (प्रोसेसिंग फीस, प्रशासनिक शुल्क और बैंकों द्वारा लगाए गए पूर्व भुगतान शुल्क सहित) का पता लगाएं। सिर्फ ईएमआई की राशि या ब्याज दर जानना पर्याप्त नहीं है। इसी तरह, ऋण राशि, ऋण अवधि और ऋण के प्रकार (स्थिर या अस्थायी) के बारे में जानकारी मांगें ताकि आप जानकारी की तुलना कर सकें और एक सूचित निर्णय ले सकें।

निम्नलिखित कुछ महत्वपूर्ण जानकारी है जिसकी आपको आवश्यकता होगी।

i) दरें

अपने ऋणदाता से उसकी वर्तमान आवास ऋण ब्याज दरों के बारे में पूछें और पता करें कि क्या दर स्थिर है या फ्लोटिंग है। याद रखें कि जब अर्थव्यवस्था में ब्याज दरें बढ़ती है तो फ्लोटिंग दरें भी बढ़ती है और इस प्रकार मासिक चुकौती भी बढ़ती है।

यदि उद्धृत दर फ्लोटिंग दर है, तो पूछें कि आपकी दर और ऋण भुगतान कैसे भिन्न होंगे, जिसमें यह भी शामिल है कि दरों में एक निश्चित प्रतिशत की कमी आने पर आपका ऋण भुगतान किस हद तक कम हो जाएगा। अपने ऋणदाता से पूछें कि आपके फ्लोटिंग आवास ऋण को किस इंडेक्स को संदर्भित / लिंक किया गया है और उस इंडेक्स के अपडेशन की आवधिकता क्या है। अपने बैंक से यह भी पूछें कि सूचकांक आंतरिक है या बाहरी और इसे कैसे और कहां प्रकाशित किया जाता है।

ऋण की वार्षिक प्रतिशत दरों (एपीआर) के बारे में पूछें। एपीआर न केवल ब्याज दर को ध्यान में रखता है, बल्कि शुल्क और कुछ अन्य शुल्क भी लेता है जिन्हें आपको वार्षिक दर के रूप में व्यक्त करने की आवश्यकता हो सकती है। ग्राहक द्वारा अनुरोध किए जाने पर बैंक एपीआर का खुलासा करने के लिए बाध्य हैं।

ii) रीसेट खंड

रीसेट संबंधी खंड की जांच करें, विशेषकर स्थायी ब्याज दर ऋण के मामले में क्योंकि ऋण की अवधि के दौरान दरें स्थिर नहीं होगी।

iii) स्प्रेड/मार्क अप

जांचें कि फ्लोटिंग दर के मामले में मार्जिन निश्चित है या परिवर्तनीय। आपको जो ब्याज दर का भुगतान करना होगा, वह तदनुसार अलग-अलग होगा।

iv) शूल्क

आवास ऋण के लिए अक्सर विभिन्न शुल्कों के भुगतान की आवश्यकता होती है, जैसे कि ऋण उत्पत्ति या प्रसंस्करण शुल्क, प्रशासनिक शुल्क, प्रलेखन, देर से भुगतान, ऋण अवधि बदलना, ऋण अवधि के दौरान अलग-अलग ऋण पैकेज पर स्विच करना, ऋण का पुनर्गठन, निश्चित से फ्लोटिंग ब्याज दर ऋण में बदलना और वापस, कानूनी शुल्क, तकनीकी निरीक्षण शुल्क, आवर्ती वार्षिक सेवा शुल्क, यदि आप ऋण का पूर्व भुगतान करना चाहते हैं, तो दस्तावेज़ पुनर्प्राप्ति शुल्क और पूर्व-भुगतान शुल्क। प्रत्येक ऋणदाता आपको अपनी शुल्क का अनुमान देने में सक्षम होना चाहिए। इनमें से कई शुल्कों पर समझौता किया जा सकता है / माफ भी किया जा सकता है।

पूछें कि प्रत्येक शुल्क में क्या शामिल है। कभी-कभी कई घटकों को एक शुल्क में डाल दिया जाता है। किसी भी शुल्क का स्पष्टीकरण मांगें जिसे आप समझ नहीं पा रहे हैं। साथ ही, याद रखें कि इनमें से अधिकांश शुल्क छूट प्राप्त है! किसी विशेष शुल्क के लिए सहमत होने से पहले अपने बैंक के साथ बात करें। देखें कि अन्य बैंकों द्वारा दी जाने वाली सभी समावेशी दरों की तुलना में सभी समावेशी दरें कैसे हैं। अपने वित्त की योजना बनाते समय, स्टाम्प ड्यूटी और पंजीकरण की लागत को शामिल करना न भूलें.

v) डाउन पेमेंट्स/मार्जिन

कुछ ऋणदाताओं को घर की खरीद कीमत का 20/30 प्रतिशत आपसे डाउन पेमेंट के रूप में चाहिए। हालांकि, कई उधारदाता ऐसे ऋण भी प्रदान करते हैं जिनके लिए 20/30 प्रतिशत से कम डाउन पेमेंट की आवश्यकता होती है, कभी-कभी 5 प्रतिशत से कम। डाउन पेमेंट के लिए ऋणदाता की आवश्यकताओं के बारे में पूछें और डाउन पेमेंट को कम करने के लिए उसके साथ बातचीत भी करें।

बी) सबसे अच्छा सौदा प्राप्त करें

यह जान लेने के बाद कि प्रत्येक बैंक दरों, शुल्कों और डाउन पेमेंट के संदर्भ में क्या दे सकते हैं, सर्वोत्तम डील के लिए उनके साथ बातचीत करें। ऋणदाता को ऋण से जुड़ी सभी लागतों को लिखकर देने के लिए कहें। फिर पूछें कि क्या बैंक अपनी एक या अधिक शुल्क माफ या कम करेगा या कम दर के लिए सहमत होगा। यह सुनिश्चित करें कि बैंक एक शुल्क को बढ़ाते समय दूसरे शुल्क को कम करने के लिए सहमत नहीं है, या शुल्क बढ़ाते समय दर को कम करने के लिए सहमत नहीं है। यदि आप किसी विशेष शर्त को समझ नहीं पा रहे हैं तो उसका स्पष्टीकरण मांगें। सभी बैंक आवास ऋण से संबन्धित महत्वपूर्ण शरतों और नियमों को विस्तार से बताने के लिए बाध्य है।

एक बार जब आप उन शर्तों से संतुष्ट हो जाते हैं जिन पर आपने बातचीत की है, तो कृपया ऋणदाता से एक लिखित प्रस्ताव पत्र प्राप्त करें और एक प्रति अपने साथ रखें। हस्ताक्षर करने से पहले प्रस्ताव पत्र को ध्यान से पढ़ें।

लक्षित दीर्घकालिक रिपो परिचालन (टीएलटीआरओ)

टीएलटीआरओ 2.0 से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

उत्तर: यह शर्तें केवल 17 अप्रैल 2020 को आयोजित चौथे टीएलटीआरओ पर लागू होती है। यह 17 अप्रैल 2020 से पहले आयोजित टीएलटीआरओ पर लागू नहीं होता है। यह टीएलटीआरओ 2.0 पर भी लागू नहीं होता है।

भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका

प्रतिभूति की खरीद में निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए :-(i) किस प्रतिभूति में निवेश किया जाए - यह परिपक्वता और कूपन पर निर्भर करता है । परिपक्वता इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह निर्धारित करता है कि कोई शहरी सहकारी बैंक जैसे निवेशक को कितना जोखिम है - परिपक्वता उच्चतर होने पर ब्याज दर जोखिम अथवा बाजार जोखिम अधिक होगा । यदि निवेश सांविधिक अपेक्षा को पूरा करने के लिए है तो अनावश्यक बाजार जोखिम न लेने तथा कम अवधि वाली प्रतिभूतियाँ खरीदने का परामर्श दिया जाता है । न्यूनतर परिपक्वता अवधि में (5-10 वर्ष) ऐसी प्रतिभूतियाँ खरीदनी सुरक्षित होंगी जो तरल हैं अर्थात जिनका बाजार में अपेक्षाकृत बड़ी राशि में लेन-देन होता है । ऐसी प्रतिभूतियों की जानकारी सीसीआइएल की वेबसाइट (http://www.ccilindia.com/OMMWCG.aspx) से प्राप्त की जा सकती है, जो एनडीएस-ओएम पर तुरंत द्वितीयक बाजार के व्यापार आँकड़े प्रदान करता है । चूंकि तरल प्रतिभूतियों में मूल्यन अधिक पारदर्शी है, इन प्रतिभूतियों का मूल्य आसानी से प्राप्त किया जा सकता है जिससे इन मामलों में मूल्य के बारे में गलत जानकारी के अवसर कम हो जाते हैं । प्रतिभूति की कूपन दर भी निवेशक के लिए उसी प्रकार महत्वपूर्ण है क्योंकि यह प्रतिभूति से कुल वापसी को प्रभावित करती है । यह निर्णय लेने के लिए कि कौन सी प्रतिभूति खरीदी जाए, निवेशक को प्रतिभूति की परिपक्वता पर आय (वाइटीएम) भी देखना चाहिए (वाइटीएम पर विस्तृत चर्चा के लिए पैरा 24.4 के अंतर्गत बॉक्स III देखें) । अत: एक बार परिपक्वता और आय का निर्णय होने पर शहरी सहकारी बैंक एनडीएस-ओएम पर व्यापारित प्रतिभूति की मूल्य/आय संबंधी जानकारी देखने के बाद अथवा बैंक अथवा प्राथमिक व्यापारी अथवा ब्रोकर से मोल भाव करके प्रतिभूति का चयन करें ।(ii) कहाँ से और किससे खरीदें - पारदर्शी मूल्यन के अनुसार एनडीएस-ओएम सबसे अधिक सुरक्षित है क्यों कि यह गतिशील और बेनामी मंच है जहाँ कारोबार का प्रसार होता है तथा व्यापार के प्रति-पक्ष सामने नहीं आते । यदि ये व्यापार टेलीफोन बाजार पर आयोजित किए जाते हैं तो किसी बैंक अथवा पीडी से सीधे व्यापार करना सुरक्षित है । यदि ब्रोकर का उपयोग करते हैं तो यह सुनिश्चित करने के लिए सावधानी बरतनी पड़ेगी कि ब्रोकर एनएसई, बीएसई अथवा भारत की ओटीसी एक्सचेंज में पंजीकृत है । सामान्यतया सक्रिय ऋण बाजार ब्रोकर उन सौदों के इच्छुक नहीं होंगे जो बाजार के हिस्से से कम होंगे (सामान्यतया 5 करोड़) । अत: किसी बैंक, पीडी अथवा एनडीएस-ओएम पर सौदा करना बेहतर होगा जिसमें विषम मात्रा के लिए भी क्रीन उपलब्ध है । जहाँ भी ब्रोकर का उपयोग किया जाता है, वहाँ ब्रोकर के माध्यम से निपटान नहीं किया जाना चाहिए । किसी बैंक, पीडी अथवा वित्तीय संस्था को छोड़कर किसी अन्य पार्टी से कारोबार नहीं किया जाना चाहिए ताकि विपरीत मूल्य के जोखिम से बचा जा सके ।(iii) सही मूल्यन कैसे सुनिश्चित किया जाए - चूंकि शहरी सहकारी बैंक जैसे छोटे निवेशकों की अपेक्षाएँ कम होती हैं, उन्हें वह मूल्य मिल सकता है जो मानक बाजार माँग से खराब हो । मूल्य की सुनिश्चितता देखते हुए खरीदने के लिए केवल तरल प्रतिभूतियों का चयन किया जाए । कम अपेक्षा वाले निवेशकों के लिए सुरक्षित विकल्प गैर स्पर्धी मार्ग के माध्यम से भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा आयोजित प्राथमिक नीलामी में खरीदना होगा । चूंकि बॉण्ड नीलामी प्रत्येक माह में दो बार होती है, खरीद को नीलामी के साथ जोड़ा जा सकता है । कृपया सरकारी प्रतिभूतियों के मूल्य सुनिश्चित करने पर ब्योरे के लिए प्रश्न सं.14 देखें ।

विप्रेषण (धन अंतरण सेवा योजना (एमटीएसएस) तथा रुपया आहरण व्यवस्था (आरडीए))

धन अंतरण सेवा योजना(एमटीएसएस)

इस व्यवस्था के तहत भारत में केवल परिवार के भरण-पोषण के लिए भेजे गए प्रेषण तथा भारत का दौरा करने वाले विदेशी पर्यटकों के पक्ष में भेजे गए प्रेषणों जैसे आवक व्यक्तिगत प्रेषण अनुमत हैं। धर्मार्थ संस्थाओं/ न्यासों को दान/ अंशदान, व्यापार से संबंधित विप्रेषण, संपत्ति खरीदने, निवेश करने अथवा खातों में जमा करने हेतु विप्रेषण इस व्यवस्था के तहत अनुमत नहीं है।

कोर निवेश कंपनियां

कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)

उत्तर: नहीं, उन्हें केवल एनबीएफसी के रूप में कारोबार जारी रखने, पूंजी पर्याप्तता और क्रेडिट/निवेश मानदंडों के समेकन के संबंध में सांविधिक लेखा परीक्षक प्रमाणपत्र जमा करने के मानदंडों से छूट दी गई है।

FAQs on Non-Banking Financial Companies

Exemptions to the companies not accepting public deposits

The investment companies which have at least 90 per cent of their total assets (not total investments alone) in the securities issued by their group/subsidiary/holding companies are the core investment companies. The other two conditions are that they should not accept public deposits and should not trade in these shares. All the three conditions are required to be complied with fully. If any company fails to comply with even one of these three conditions, it is not entitled to the total exemptions from the provisions of Reserve Bank Directions on Acceptance of Public Deposits and Prudential Norms. In such a situation, the company would fall either in the category of public deposit taking company (if it has accepted public deposits) and be subject to all the regulations of RBI or in the category of general investment company and be subject to prudential norms to the extent these are applicable to it.

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पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: दिसंबर 10, 2022

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