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विप्रेषण (धन अंतरण सेवा योजना (एमटीएसएस) तथा रुपया आहरण व्यवस्था (आरडीए))

रुपया आहरण व्यवस्था(आरडीए)

एडी श्रेणी –I के बैंक द्वारा जब किसी अनिवासी विनिमय गृह के साथ आरडीए की प्रथम व्यवस्था केवल तब भारतीय रिज़र्व बैंक की अनुमति आवश्यक है। उसके बाद एडी श्रेणी-I बैंक निर्धारित दिशानिर्देश तथा रिज़र्व बैंक को उसकी तुरंत सूचना देने के अधीन आरडीए में शामिल हो सकते हैं।

FAQs on Non-Banking Financial Companies

Registration

All the NBFCs which were incorporated before January 9, 1997 were required to submit their Application for Registration with RBI within 6 months i.e. by July 8, 1997. The companies which failed to make such an application cannot carry on their business of a financial institution. Any violation of this provision would render the companies and their management liable for penal action under the provisions of Reserve Bank of India Act, 1934.

फेमा 1999 के तहत विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों (एफएलए) पर वार्षिक रिटर्न

एफएलए रिटर्न जमा करने के लिए पात्र संस्थाएं और आवश्यकताएं

उत्तर: नियत तारीख (प्रत्येक वर्ष की 15 जुलाई) को या उससे पहले रिटर्न दाखिल न करने को फेमा का उल्लंघन माना जाएगा और फेमा के उल्लंघन के लिए जुर्माना खंड लगाया जा सकता है। जुर्माना खंड के बारे में अधिक जानकारी के लिए, कृपया नीचे दिए गए लिंक को देखें:

  1. Notification No. FEMA. 395/2019-RB dated October 17, 2019.

  2. A.P. (DIR Series) Circular No.16 dated September 30, 2022.

देशी जमा

I . देशी जमा

मीयादी जमाराशियों पर तिमाही या उससे लंबी अवधि के अंतराल पर ब्याज दिया जा सकता है। उपचित तिमाही ब्याज को डिस्काउंट कर बैंक मासिक ब्याज दे सकते हैं।

समझौता निपटान और तकनीकी रूप से बट्टे खाते डालने (राइट-ऑफ) के लिए रूपरेखा

ए. इरादतन कर्ज़ न चुकाने और धोखाधड़ी के मामलों में समझौता निपटान

नहीं। धोखाधड़ी पर दिनांक 1 जुलाई 2016 को जारी मास्टर दिशानिर्देश और दिनांक 1 जुलाई 2015 को इरादतन चूककर्ताओं पर जारी मास्टर परिपत्र के अनुसार, जैसा कि ऊपर (2) में उल्लिखित है, धोखाधड़ी अथवा इरादतन चूककर्ता के रूप में वर्गीकृत उधारकर्ताओं के संबंध में लागू दंडात्मक उपायों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, समझौता निपटान के सामान्य मामलों के लिए कूलिंग अवधि को एक सामान्य निर्धारण के रूप में प्रस्तुत किया गया है।

समन्वित पोर्टफोलियो निवेश सर्वेक्षण - भारत

सीपीआईएस के तहत रिपोर्ट करने के लिए पात्र संस्थाएं और आवश्यकताएं

उत्तर: हां, क्योंकि एआईएफ को गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों के अंतर्गत माना जाता है।

प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार संबंधी दिशानिर्देशों के मास्टर निदेशों पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

ग) कृषि

उत्तर: पीएसएल दिशानिर्देश गतिविधि और लाभार्थी विशिष्ट हैं और संपार्श्विक के प्रकार पर आधारित नहीं हैं। इसलिए कृषि गतिविधियों को संचालित करने के लिए व्यक्तियों / व्यवसायों को दिए गए बैंक ऋण केवल इस तथ्य के कारण कि अंतर्निहित आस्ति स्वर्ण आभूषण/गहने आदि हैं, वे स्वतः ही प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के वर्गीकरण के लिए अपात्र नहीं हो जाते हैं। तथापि, यह नोट किया जाए कि दिनांक 07 फरवरी 2019 के एफआईडीडी परिपत्र और समय-समय पर किए गए अद्यतन के अनुसार यह सूचित किया गया है कि बैंक 1.6 लाख तक के कृषि ऋणों के लिए मार्जिन आवश्यकताओं में छूट दे सकते हैं। अतः बैंक को कृषि संबंधी गतिविधि के संचालन हेतु वित्त-मान और ऋण आवश्यकता के आकलन के आधार पर ऋण देना चाहिए न कि केवल स्वर्ण के रूप में उपलब्ध संपार्श्विक के आधार पर। इसके अलावा, जैसा कि पीएसएल के तहत सभी ऋणों पर लागू होता है, बैंकों को यह सुनिश्चित करने के लिए उचित आंतरिक नियंत्रण और प्रणाली स्थापित करनी चाहिए कि प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के तहत दिए गए ऋण स्वीकृत उद्देश्यों के लिए हैं और अंतिम उपयोग की निरंतर निगरानी की जाती है।

उत्तर: किसी भी भू-धारक मानदंड के बिना संबद्ध गतिविधियों में संलग्न व्यक्तियों को ₹2 लाख तक के बैंक ऋण, प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार की एसएमएफ श्रेणी के तहत वर्गीकरण के लिए पात्र हैं। इसके अलावा, एसएमएफ (भू-जोत के आधार पर) के तहत ऋण लेने वाले किसान भी संबद्ध गतिविधियों के तहत ₹2 लाख तक के ऋण के लिए पात्र हैं और इसे एसएमएफ श्रेणी के तहत भी वर्गीकृत किया जा सकता है।
उत्तर: बैंक को पीएसएल के तहत कृषि ऋणों को वर्गीकृत करने के लिए अपने बोर्ड द्वारा अनुमोदित उचित दस्तावेज सुनिश्चित करना चाहिए। विशेष रूप से कृषि/एसएमएफ श्रेणी के तहत ऋणों को वर्गीकृत करते समय, बैंक को उस स्थान के बारे में जहां उधारकर्ता भूमि जोत रहा हो, उगाई गई फसल, फसलों का दृष्टिबंधक, यदि कोई हो, वित्त-मान के आधार पर ऋण की स्वीकृति, कृषि ऋणों के अंतिम उपयोग की निगरानी के लिए बैंक अधिकारियों द्वारा क्षेत्र के दौरे का रिकॉर्ड, आदि संबंधी विवरण रखना चाहिए। भूमि अभिलेख/पट्टा विलेख की प्रति के अभाव में उपरोक्त में से कुछ पहलू बैंक के पास उपलब्ध होने चाहिए, विशेष रूप से भूमिहीन मजदूरों, बटाईदारों आदि को दिए गए कृषि ऋणों के मामले में।
उत्तर: मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार, कृषि बुनियादी संरचना या खाद्यान्न तथा एग्रो प्रसंस्करण गतिविधि के लिए बैंकिंग प्रणाली से प्रति उधारकर्ता ऋण ₹100 करोड़ की कुल स्वीकृत सीमा के अधीन है। यदि पूरे बैंकिंग उद्योग में कुल एक्सपोजर ₹100 करोड़ की सीमा से अधिक होता है, तो कुल एक्सपोजर पीएसएल श्रेणी के अंतर्गत वर्गीकृत होना बंद हो जाएगा। ₹100 करोड़ की स्वीकृत सीमा किसी विशेष इकाई के लिए सुविधावार सुनिश्चित की जानी चाहिए और यह पीएसएल/गैर-पीएसएल उद्देश्यों के लिए इकाई के अन्य उधारों को छोड़कर हो। हालांकि, यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि बैंक ने पीएसएल के रूप में अर्हता प्राप्त करने के लिए इकाई के कृषि बुनियादी संरचना या खाद्यान्न तथा एग्रो प्रसंस्करण गतिविधियों के विशिष्ट उद्देश्य के लिए अलग-अलग सीमाओं का आकलन एवं मंजूरी दी है। बैंकों को उसी गतिविधि के लिए किसी अन्य बैंक/बैंकों द्वारा स्वीकृत ऋण के संबंध में उधारकर्ता से घोषणा प्राप्त करनी चाहिए तथा उन बैंकों से स्वतंत्र रूप से पुष्टि मांगनी चाहिए। ऐसे परिदृश्य में, जहां बैंक द्वारा नई मंजूरी से बैंकों की कुल सीमा ₹100 करोड़ से अधिक हो जाती है, तो इसके बारे में अन्य बैंकों को भी सूचित करने की आवश्यकता है। तदनुसार, अन्य सभी बैंकों को इसे पीएसएल से अवर्गीकृत करने की आवश्यकता है।

उत्तर: प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार (पीएसएल) पर दिनांक 4 सितंबर 2020 के मास्टर निदेश के अनुबंध-III के अनुसार, खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के तहत अनुमत गतिविधियों की सांकेतिक सूची के तहत परिवहन एक पात्र गतिविधि है। हालांकि, "खाद्यान्न तथा एग्रो प्रसंस्करण" श्रेणी के तहत वाणिज्यिक वाहन खरीदने के लिए ट्रांसपोर्टरों को किसी भी सुविधा को वर्गीकृत करते समय, यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि ट्रांसपोर्टर वाहन का उपयोग केवल खाद्यान्न तथा एग्रो-प्रसंस्कृत उत्पादों के परिवहन के लिए कर रहा है या वाहन इस प्रकार का है कि जिसका उपयोग विशेष रूप से "खाद्यान्न तथा एग्रो प्रसंस्करण" के लिए किया जाता है, उदाहरण के लिए कोल्ड स्टोरेज ट्रक, वैन आदि। यदि वाणिज्यिक वाहन का उपयोग खाद्यान्न तथा एग्रो प्रसंस्करण से संबंधित उत्पादों के अलावा अन्य उत्पादों के परिवहन के लिए भी किया जाता है, तो सुविधा 'खाद्यान्न तथा एग्रो प्रसंस्करण' श्रेणी के तहत वर्गीकरण के लिए पात्र नहीं होगी। ऐसे मामलों में इसे, यदि यह पीएसएल पर हमारे मास्टर निदेश में इसके लिए निर्धारित शर्तों को पूरा करता है, एमएसएमई (सेवा) के तहत वर्गीकृत किया जा सकता है।

उत्तर: "कृषि बुनियादी संरचना" श्रेणी के तहत वाणिज्यिक वाहन खरीदने के लिए ट्रांसपोर्टरों को किसी भी सुविधा को वर्गीकृत करते समय, यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि ट्रांसपोर्टर/ उप-ठेकेदार वाहन का उपयोग केवल उन गतिविधियों के लिए कर रहे हैं जो "कृषि बुनियादी संरचना" से संबद्ध है। यदि वाणिज्यिक वाहन का उपयोग गैर-कृषि बुनियादी संरचना श्रेणी के तहत परिवहन के लिए भी किया जाता है, तो सुविधा ‘कृषि बुनियादी संरचना’ के तहत वर्गीकरण के लिए पात्र नहीं होगी। ऐसे मामलों में इसे, यदि यह पीएसएल पर हमारे मास्टर निदेश में इसके लिए निर्धारित शर्तों को पूरा करता है, एमएसएमई (सेवा) के तहत वर्गीकृत किया जा सकता है।घ) एमएसएमई

भारत में विदेशी निवेश

किसी स्टार्टअप कंपनी द्वारा जारी एक ऐसी लिखत, जो प्रारम्भिक तौर पर कर्ज़ के रूप में प्राप्त धनराशि को इंगित करती है और वह उसके धारक को उसके विकल्प पर पुनर्भुगतान योग्य होगी अथवा इस नोट को जारी करने की तारीख से पाँच वर्षों से अनधिक अवधि के भीतर उस संख्या में स्टार्टअप कंपनी के इक्विटी शेयरों में परिवर्तनीय होगी, साथ ही यह उक्त लिखत में उल्लिखित और स्वीकार किए गए नियमों और शर्तों के अनुरूप विशिष्ट स्थितियों में परिवर्तनीय होगी।

कोर निवेश कंपनियां

कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)

उत्तर: समूह की सभी कंपनियां जो सीआईसी हैं, उन्हें सीआईसी-एनडी-एसआई के रूप में माना जाएगा (बशर्ते उन्होंने सार्वजनिक निधि का उपयोग किया हो) और उन्हें बैंक से पंजीकरण प्रमाणपत्र प्राप्त करना होगा।

भारतीय मुद्रा

क) मुद्रा प्रबंधन की मूल बातें

बैंक नोटों तथा रुपये के सिक्कों के वितरण को सुगम बनाने के लिए रिजर्व बैंक ने चयनित अनुसूचित बैंकों को मुद्रा तिजोरी की स्थापना करने हेतु प्राधिकृत किया है । ये ऐसे भण्डारगृह हैं जहां बैंक नोटों तथा सिक्कों को भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से उनके परिचालन क्षेत्र में आने वाली बैंक शाखाओं में वितरित करने के लिए भंडारण किया जाता है । 31 मार्च 2021 को 3054 मुद्रा तिजोरियाँ थीं ।

[मुद्रा तिजोरियों से अपेक्षित है कि वे उनके परिचालन क्षेत्र में आने वाली अन्य बैंक शाखाओं को बैंक नोट तथा सिक्कों का वितरण करें]

आवास ऋण

खरीदे जा रहे घर से संबंधित सभी कानूनी दस्तावेजों के अलावा, बैंक आपसे पहचान और निवास प्रमाण, नवीनतम वेतन पर्ची (नियोक्ता द्वारा प्रमाणित और कर्मचारियों के लिए स्वयं सत्यापित) और फॉर्म 16 (व्यवसायी व्यक्तियों / स्वरोजगार के लिए) और पिछले 6 महीने की बैंक स्टेटमेंट / बैलेंस शीट, जो भी लागू हो, जमा करने के लिए कहेंगे। आपको अपने फोटोग्राफ के साथ पूरा भरा हुआ आवेदन पत्र भी जमा करना होगा। ऋण आवेदन फॉर्म में आवेदन के साथ संलग्न किए जाने वाले दस्तावेजों की एक चेकलिस्ट दी जाएगी।

सौदे को जल्दी से पक्का करने में जल्दबाजी न करें।

कृपया इस संबंध में वाणिज्यिक बैंक द्वारा प्रदान किए गए नियमों और शर्तों में किसी भी छूट पर चर्चा करें और अधिक जानकारी प्राप्त करें। उदाहरण के लिए कुछ बैंक वाणिज्यिक बैंक के पक्ष में निर्दिष्ट ऋण राशि के बराबर उधारकर्ता/गारंटर की जीवन बीमा पॉलिसियों को प्रस्तुत करने पर जोर देते हैं। आमतौर पर इस शर्त के लिए राशि की सीमा होती है जिसे उपयुक्त प्राधिकारी द्वारा भी माफ किया जा सकता है। कृपया बैंक की योजना के फाइन प्रिंट (बारीक अक्षरों) को ध्यान से पढ़ें और स्पष्टीकरण मांगें।

लक्षित दीर्घकालिक रिपो परिचालन (टीएलटीआरओ)

उत्तर: टीएलटीआरओ योजना के तहत अधिग्रहीत निर्दिष्ट प्रतिभूतियों को उनकी परिपक्वता तक एचटीएम पोर्टफोलियो में बनाए रखने की अनुमति होगी।

भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका

नीलामियों के निर्गम जारी करने के तरीके के रूप में लागू करने से पहले सरकार द्वारा ब्याज दरें प्रशासनिक रूप से निर्धारित किए जाते थे । नीलामी शुरु करने के साथ ब्याज दरें (कूपन दरें) बाजार आधारित मूल्य निर्धारण प्रक्रिया के माध्यम से निर्धारित किए जाते हैं ।

4.1. नीलामी आय आधारित अथवा मूल्य आधारित हो सकती है ।

(i) आय आधारित नीलामी : आय आधारित नीलामी सामान्यतया नई सरकारी प्रतिभूति जारी करने के समय आयोजित की जाती है । निवेशक आय के अनुसार दो दशमलव स्थान तक बोली लगाते हैं (उदाहरणार्थ : 8.19 प्रतिशत, 8.20 प्रतिशत इत्यादि) । बोलियाँ ऊर्ध्वगामी रूप में व्यवस्थित की जाती हैं तथा नीलामी की अधिसूचित राशि के अनुरूप आय पर पहुँचने पर रोक दी जाती है । इस (कट-ऑफ) आय को प्रतिभूति की कूपन दर के रूप में लिया जाता है । सफल बोलीकर्ता वे होते हैं जिन्होंने "कट ऑफ" आय पर या उससे से नीचे बोली लगाई है । इससे उच्चतर बोलियों को अस्वीकार कर दिया जाता है । आय आधारित नीलामी का एक उदाहरण नीचे प्रस्तुत है :-

नई प्रतिभूति की आय आधारित बोली

नई प्रतिभूति की आय आधारित बोली

परिपक्वता की तारीख : 8 सितंबर 2018

कूपन : यह नीलामी में निर्धारित किया जाता है (8.22% जैसा कि नीचे उदाहरण में दर्शाया गया है) ।

नीलामी की तारीख : 5 सितंबर 2008
नीलामी निपटान की तारीख : 8 सितंबर 2008*
अधिसूचित राशि : 1000 करोड़ रु.
  6 और 7 सितंबर को छुट्टी होने के कारण टी+1 चक्र के अंतर्गत निपटान 8 सितंबर 2008 को किया जाएगा ।

बोली आय के बढ़ते हुए क्रम से प्राप्त बोलियों का ब्योरा

बोली सं.

बोली आय

बोली की राशि (रु.करोड़)

संचयी राशि (रु. करोड़)

8.22% के रूप में कूपन सहित मूल्य*

1.
8.79%

300

300

100.19

2.
8.20%

200

500

100.14

3.
8.20%

250

750

100.13

4.
8.21%

150

900

100.09

5.
8.22%

100

1000

100

6.
8.22%

100

1100

100

7.
8.23%

150

1250

99.93

8.
8.24%

100

1350

99.87

जारीकर्ता को क्रम सं.5 तक बोलियाँ स्वीकार करके अधिसूचित राशि प्राप्त होगी । चूंकि बोली सं.6 की आय भी वही है, बोली सं.5 और 6 को यथानुपाती आबंटन प्राप्त होगा ताकि अधिसूचित राशि का अधिक न हो । उपर्युक्त मामले में प्रत्येक को 50 करोड़ रु. मिलेंगे । बोली सं.7 और 8 अस्वीकृत हो जाएंगी क्योंकि उनकी आय "कट ऑफ" आय से अधिक है ।

* आय का तदनुरूपी मूल्य प्रश्न सं.24 में वाइटीएम गणना के अंतर्गत दिए संबंध के अनुसार निर्धारित होगा ।

(ii) मूल्य आधारित नीलामी : भारत सरकार द्वारा पहले से जारी प्रतिभूतियों को दुबारा जारी करने पर मूल्य आधारित नीलामी की जाती है । बोली लगाने वाले प्रतिभूति के अंकित मूल्य के प्रत्येक 100 रु. के लिए मूल्य के रूप में बोली लगाते हैं 102 रु., 101 रु., 100 रु., 99 रु. इत्यादि) । बोलियाँ अधोगामी स्वरूप में व्यवस्थित की जाती हैं और सफल बोलीकर्ता वे होते हैं जिनकी बोली "कट ऑफ" मूल्य पर अथवा उससे अधिक होती है । "कट ऑफ" मूल्य से नीचे की बोलियाँ अस्वीकृत हो जाती हैं ।मूल्य आधारित नीलामी का उदाहरण नीचे प्रस्तुत है :

वर्तमान प्रतिभूति 8.24% जीएस 2018 की मूल्य आधारित नीलामी

परिपक्वता की तारीख : 22 अप्रैल 2018

कूपन : 8.24%

नीलामी की तारीख : 5 सितंबर 2008
नीलामी निपटान की तारीख : 8 सितंबर 2008*
अधिसूचित राशि : 1000 करोड़ रु.
  6 और 7 सितंबर को छुट्टी होने के कारण टी+1 चक्र के अंतर्गत निपटान 8 सितंबर 2008 को किया जाएगा ।

बोली मूल्य के घटते हुए क्रम से प्राप्त बोलियों का ब्योरा

बोली सं.

बोली का मूल्य

बोली की राशि (रु.करोड़)

अंतर्निहित आय

संचयी राशि

1.
100.31

300

8.1912%

300

2.
100.26

200

8.1987%

500

3.
100.25

250

8.2002%

750

4.
100.21

150

8.2062%

900

5.
100.20

100

8.2077%

1000

6.
100.20

100

8.2077%

1100

7.
100.16

150

8.2136%

1250

8.
100.15

100

8.2151%

1350

जारीकर्ता को क्रम सं.5 तक बोलियाँ स्वीकार करके अधिसूचित राशि प्राप्त होगी । चूंकि बोली सं.6 का मूल्य भी वही है, बोली सं.5 और 6 को अनुपात में आबंटन प्राप्त होगा ताकि अधिसूचित राशि अधिक न हो । उपर्युक्त मामले में प्रत्येक को 50 करोड़ रु. मिलेंगे । बोली सं.7 और 8 अस्वीकृत हो जाएंगी क्योंकि उनकी मूल्य "कट ऑफ" आय से कम है ।

4.2. सफल बोलीकर्ताओं को आबंटन के तरीके के आधार पर नीलामी को एक समान मूल्य आधारित और बहुमुखी मूल्य आधारित के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है । एकसमान मूल्य नीलामी में सभी सफल बोलीकर्ताओं से अपेक्षा की जाती है कि वे एक ही दर पर प्रतिभूतियों की आबंटित मात्रा के लिए भुगतान करें अर्थात नीलामी की "कट ऑफ" दर, चाहे उन्होंने कोई भी दर उध्दृत की हो । दूसरी ओर, बहुमुखी मूल्य नीलामी में सफल बोलीकर्ताओं से अपेक्षा की जाती है कि वे, उन्हें प्रतिभूतियों की आबंटित मात्रा के लिए, भुगतान करें जिस मूल्य/आय के लिए उन्होंने बोली लगाई है । ऊपर दिये गये उदाहरण ii में, यदि नीलामी एकसमान मूल्य आधारित होती, तो सभी बोलीकर्ताओं को "कट ऑफ" मूल्य अर्थात 100.20 रु. पर आबंटन किया जाएगा । दूसरी ओर, यदि नीलामी बहुमुखी मूल्य आधारित होती तो प्रत्येक बोलीकर्ता को उसी मूल्य पर आबंटन मिलता जिसकी उसने बोली लगाई है अर्थात बोलीकर्ता 1 को 100.31 रु., बोलीकर्ता 2 को 100.26 रु. पर तथा इसी प्रकार ।

4.3. कोई निवेशक नीलामी में निम्नलिखित में से किसी भी श्रेणी में बोली लगा सकता है :-

(i) स्पर्धी बोली : स्पर्धी बोली में, निवेशक एक विशिष्ट मूल्य/आय पर बोली लगाता है और उध्दृत मूल्य कट-ऑफ मूल्य/आय के भीतर होने पर उसे प्रतिभूतियाँ आबंटित की जाती हैं । स्पर्धी बोलियाँ जानकर निवेशकों द्वारा लगाई जाती हैं यथा बैंक, वित्तीय संस्थाएँ, प्राथमिक व्यापारी, पारस्परिक निधियाँ और बीमा कंपनियाँ । न्यूनतम बोली की राशि 10,000 रु. और उसके बाद 10,000 रु. के गुणजों में होती है । बहुमुखी बोली की भी अनुमति है अर्थात कोई निवेशक विभिन्न मूल्यों/आय स्तरों पर कई बोलियाँ लगा सकता है ।

(ii) गैर स्पर्धी बोली : खुदरा निवेशकों को, जिन्हें नीलामी में प्रत्यक्ष रूप से भाग लेने की जानकारी नहीं है, नीलामी प्रक्रिया में भाग लेने के लिए एक अवसर देते हुए, जनवरी 2002 में दिनांकित प्रतिभूतियों में गैर स्पर्धी बोली लगाने की योजना लागू की गयी थी । गैर स्पर्धी बोली आम जनता, हिन्दु अविभक्त परिवारों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, सहकारी बैंकों, फर्मों, कंपनियों, कार्पोरेट निकायों, संस्थाओं, भविष्य निधियों और न्यासों के लिए खुली है । इस योजना के अंतर्गत, पात्र निवेशक विशिष्ट मूल्य/आय निर्दिष्ट किए बिना किसी राशि की प्रतिभूतियों के लिए आवेदन कर सकता है । ऐसे बोलीकर्ताओं को नीलामी की भारित औसत मूल्य/आय पर प्रतिभूतियाँ आबंटित की जाती हैं । ऊपर 4.1(ii) में दिए उदाहरण में, अधिसूचित राशि चूंकि 1000 करोड़ रु. है, गैर स्पर्धी बोली के लिए आरक्षित निधि 50 करोड़ रु. होगी (नीचे निर्दिष्ट किए अनुसार अधिसूचित राशि का 5 प्रतिशत) । गैर स्पर्धी बोलीकर्ताओं को भारित औसत मूल्य पर आबंटित किया जाएगा जो उद्धरण में 100.26 रु.. है । तथापि, गैर स्पर्धी बोली के भागीदारों से अपेक्षा की जाती है कि वे किसी बैंक अथवा प्राथमिक व्यापारी के पास गिल्ट खाता रखें । जिन क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों तथा सहकारी बैंकों का एसजीएल और चालू खाता भारतीय रिज़र्व बैंक के पास है, वे भी बिना गिल्ट खाता रखे गैर स्पर्धी बोली की योजना के अंतर्गत भाग ले सकते हैं ।

4.4. दिनांकित प्रतिभूतियों की प्रत्येक नीलामी में, ऐसी गैर स्पर्धी बोलियों के लिए अधिकतम पांच प्रतिशत की अधिसूचित राशि प्रारक्षित की जाती है । खजाना बिलों के लिए नीलामी के मामले में, गैर स्पर्धी बोलियों के लिए स्वीकार्य राशि अधिसूचित राशि को छोड़कर होती है और उसकी कोई सीमा नहीं है । तथापि, खजाना बिलों में गैर स्पर्धी बोली केवल राज्य सरकारों और अन्य चयनित संस्थाओं को उपलब्ध है तथा सहकारी बैंकों के लिए उपलब्ध नहीं है । किसी भी निवेशक को एक ही बोली किसी बैंक अथवा प्राथमिक व्यापारी के माध्यम से देने की अनुमति है । योजना के अंतर्गत बोली लगाने के लिए निवेशक को किसी बैंक अथवा प्राथमिक व्यापारी के माध्यम से प्रतिभूतियों के आबंटन के लिए आवेदन के साथ वचनपत्र देना होगा । दिनांकि प्रतिभूतियों की नीलामी के मामले में एक बोली के लिए न्यूनतम और अधिकतम राशि क्रमश: 10,000 रु. तथा 2 करोड़ रु. है । बैंक अथवा प्राथमिक व्यापारी अपनी सेवाएँ देने के लिए प्रति 100 रु. की आवेदन राशि के लिए अधिकतम 6 पैसे कमीशन के रूप में प्रभारित कर सकता है । यदि गैर स्पर्धी बोली के लिए प्राप्त कुल आवेदनों की बोली दिनांकित प्रतिभूतियों की नीलामी की अधिसूचित राशि के 5 प्रतिशत से अधिक होती हैं तो बोली लगाने वालों को यथानुपाती आधार पर प्रतिभूतियाँ आबंटित की जाएंगी ।

4.5. राज्य सरकार की प्रतिभूतियों में गैर स्पर्धी बोली योजना अगस्त 2009 से शुरु हुई है । एसडीएल में इस प्रयोजन हेतु आरक्षित कुल राशि अधिसूचित राशि का 10% (1000 करोड़ रु. की अधिसूचित राशि पर 100 करोड़ रु.) है तथा किसी निवेशक द्वारा प्रत्येक नीलामी में 1% की बोली लगाई जा सकती है (केद्र सरकार की प्रतिभूतियों में 2 करोड़ रु. की तुलना में) । बोली लगाने और आबंटन की प्रक्रिया केद्र सरकार की प्रतिभूतियों के समान है ।

FAQs on Non-Banking Financial Companies

Registration

Yes. To the extent provisions have not been made against any asset, as required under the Prudential Norms Directions or assessed by the Management, Auditor of the Company or an Inspecting Officer of the Reserve Bank of India, the asset can be considered to be intangible asset. Although the entire asset against which the provisions have not been made does not become intangible asset, the amount of provision required to be made as per the Prudential Norms Directions should be deducted from the Owned Fund of the Company to determine the Net Owned Fund of Rs. 25.00 lakhs required for Registration under the RBI Act.

फेमा 1999 के तहत विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों (एफएलए) पर वार्षिक रिटर्न

एफएलए रिटर्न जमा करने के लिए पात्र संस्थाएं और आवश्यकताएं

उत्तर: इकाईयों को नियत तारीख के भीतर अनिवार्य रूप से एफएलए रिटर्न भरना चाहिए। यदि इकाईयों के पास अपनी लेखापरीक्षित तुलन पत्र तैयार नहीं है, तो वे अनंतिम/अनअंकेक्षित संख्याओं के साथ रिटर्न भर सकते हैं। इसके बाद, जब अंकेक्षित संख्याएं तैयार हो जाए तो, आरबीआई को पहले से दाखिल रिटर्न में संशोधन के लिए अनुरोध किया जाना चाहिए। एक बार आरबीआई द्वारा अनुरोध अनुमोदित होने के बाद, आप पहले से दाखिल रिटर्न को लेखापरीक्षित किए गए नंबरों के साथ संशोधित कर सकते हैं और इसे आरबीआई को फिर से जमा कर सकते हैं।

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पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: दिसंबर 10, 2022

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