भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका
FAQs on Non-Banking Financial Companies
Inter-corporate deposits (ICDs)
देशी जमा
II. अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) की जमाराशियाँ
फेमा 1999 के तहत विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों (एफएलए) पर वार्षिक रिटर्न
एफएलए रिटर्न जमा करने की प्रक्रिया
उत्तर: एफएलए रिटर्न जमा के संबंध में कोई भी प्रश्न ईमेल द्वारा भेजा जाना चाहिए। हम एक या दो कार्य दिवसों के भीतर प्रतिउत्तर देंगे।
समन्वित पोर्टफोलियो निवेश सर्वेक्षण - भारत
कुछ महत्वपूर्ण परिभाषाएँ और अवधारणाएँ
उत्तर: एक वर्ष से अधिक की मूल परिपक्वता वाली ऋण प्रतिभूतियों को दीर्घकालिक ऋण प्रतिभूतियों के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। इनमें बॉन्ड, डिबेंचर और नोट शामिल हैं जो आम तौर पर धारक को एक निश्चित नकदी प्रवाह या अनुबंधित रूप से निर्धारित परिवर्तनीय धन आय का बिना शर्त अधिकार देते हैं।
भारत में विदेशी निवेश
उत्तर: भारतीय कंपनी द्वारा कंपनी अधिनियम, 2013 के प्रावधानों के अंतर्गत बट्टे पर जारी किए गए राइट शेयरों में निवेश करने के लिए फेमा के अंतर्गत कोई प्रतिबंध नहीं हैं। भारत के बाहर के निवासी व्यक्तियों के लिए प्रस्ताव निम्नानुसार होगा:
ए. भारत में मान्यताप्राप्त स्टॉक एक्स्चेंज पर सूचीबद्ध कंपनी के शेयरों के मामले में कंपनी द्वारा निर्धारित कीमत पर ; तथा
बी. भारत में मान्यताप्राप्त स्टॉक एक्स्चेंज पर सूचीबद्ध नहीं की गई कंपनी के शेयरों के मामले में उस कीमत पर जो कि निवासी शेयर धारकों को राइट आधार पर प्रस्ताव जिस कीमत पर किया गया है उस से कम नहीं है।
भारतीय मुद्रा
ग. विभिन्न प्रकार के बैंकनोट तथा बैंकनोटों की सुरक्षा विशेषताएँ
इनका विवरण निम्नानुसार है :
i. अशोक स्तंभ वाले बैंकनोट :
स्वतंत्र भारत द्वारा जारी पहला बैंकनोट एक रूपया का नोट था, जिसे 1949 में जारी किया गया था । उन्हीं डिज़ाइनों को बरकरार रखते हुए वाटरमार्क विंडो में किंग जॉर्ज के चित्र के स्थान पर सारनाथ से अशोक स्तंभ के लॉयन कैपिटल प्रतीक के साथ नए बैंकनोट जारी किए गए ।
नए बैंक नोटों पर जारीकर्ता का नाम, मूल्यवर्ग तथा जमानत संबंधी वाक्यांश को वर्ष 1951 से हिंदी में मुद्रित किया गया था । ₹1000, ₹5000 तथा ₹10000 मूल्यवर्ग के बैंकनोट वर्ष 1954 में जारी किए गए थे । अशोक स्तंभ वाटरमार्क शृंखला वाले बैंकनोट, ₹10 मूल्यवर्ग में 1967 तथा 1992 के बीच, ₹20 मूल्यवर्ग में 1972 तथा 1975, ₹50 मूल्यवर्ग में 1975 और 1981, तथा ₹100 मूल्यवर्ग में 1967-1979 के बीच जारी किए गए । उक्त अवधि के दौरान जारी किए गए बैंकनोटों में विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी, प्रगति, भारतीय कला रूपों को प्रदर्शित करने वाले प्रतीक शामिल थे । वर्ष 1970 में, पहली बार “सत्यमेव जयते”, अर्थात सत्य की सदैव जीत होती के उपाख्यान के साथ बैंकनोट शुरू किए गए । महात्मा गांधी के चित्र तथा अशोक स्तंभ के वाटरमार्क के साथ ₹500 के बैंकनोट की शुरूआत अक्तूबर 1987 में की गई ।
ii. महात्मा गांधी (एमजी) शृंखला 1996
एमजी शृंखला – 1996 के अंतर्गत जारी किए गए बैंक नोटों का विवरण निम्नानुसार है :
मूल्यवर्ग | प्रारम्भ करने का माह तथा वर्ष |
₹5 | नवंबर 2001 |
₹10 | जून 1996 |
₹20 | अगस्त 2001 |
₹50 | मार्च 1997 |
₹100 | जून 1996 |
₹500 | अक्तूबर 1997 |
₹1000 | नवंबर 2000 |
इस शृंखला के सभी बैंकनोटों में अग्र (सामने के) भाग पर अशोक स्तंभ के लॉयन कैपिटल के प्रतीक के स्थान पर महात्मा गांधी का चित्र है । अशोक स्तंभ के लॉयन कैपिटल को भी बरकरार रखा गया है तथा वाटरमार्क विंडो के बायीं ओर स्थानांतरित किया गया है । इसका अर्थ यह है कि इन बैंक नोटों में महात्मा गांधी के चित्र के साथ साथ महात्मा गांधी का वाटरमार्क भी है ।
iii. महात्मा गांधी शृंखला - 2005 बैंकनोट
एमजी शृंखला 2005 वाले बैंकनोट ₹10, ₹20, ₹50, ₹100, ₹500 तथा ₹1000 मूल्यवर्ग में जारी किए गए । इसमें 1996 एमजी शृंखला की तुलना में कुछ अतिरिक्त/नई सुरक्षा विशेषताओं को सम्मिलित किया गया है । इन बैंक नोटों के प्रारम्भ करने के वर्ष निम्नानुसार हैं :
मूल्यवर्ग | प्रारम्भ करने का माह तथा वर्ष |
₹50 तथा ₹100 | अगस्त 2005 |
₹500 तथा ₹1000 | अक्तूबर 2005 |
₹10 | अप्रैल 2006 |
₹20 | अगस्त 2006 |
बाद में, इस शृंखला के ₹500 तथा ₹1000 के बैंकनोटों की वैधता को 08 नवंबर 2016 की मध्य रात्रि से समाप्त कर दिया गया था ।
iv. महात्मा गांधी (नई) शृंखला (एमजीएनएस) – नवंबर 2016
महात्मा गांधी (नई) शृंखला को वर्ष 2016 में प्रारम्भ किया गया था, जिसमें देश की सांस्कृतिक विरासत तथा वैज्ञानिक उपलब्धियों को विशिष्ट रूप से दर्शाया गया है । इस शृंखला के बैंकनोटों की लंबाई-चौड़ाई कम होने के कारण वे, बटुए के लिए अधिक अनुकूल हैं तथा इसमें टूट-फूट कम होने की संभावना होती है । बैंकनोटों की रूपरेखा (डिजाइन) में देश के विविधतापूर्ण इतिहास, संस्कृति और लोकाचार के साथ ही इसकी वैज्ञानिक उपलब्धियों को दर्शाने वाले विषयों को पहली बार स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है । बैंकनोटों को विशिष्ट बनाने के लिए रंग योजना को चटक एवं सुस्पष्ट बनाया गया है ।
इस नई शृंखला का पहला बैंकनोट 08 नवंबर 2016 को प्रारम्भ किया गया था, तथा यह ₹2000 का नया मूल्यवर्ग है जिसमें मंगलयान के रूपरंग (थीम) को दर्शाया गया है । इसके पश्चात, इस शृंखला में ₹500, ₹200, ₹100, ₹50, ₹20 तथा ₹10 के बैंकनोट भी प्रारम्भ किए गए हैं।
FAQs on Non-Banking Financial Companies
Mutual benefit financial companies (nidhis)
देशी जमा
II. अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) की जमाराशियाँ
कोर निवेश कंपनियां
कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)
उत्तर: सार्वजनिक निधियों की अप्रत्यक्ष प्राप्ति का अर्थ है प्रत्यक्ष रूप से नहीं बल्कि उन अनुषंगियों और समूह संस्थाओं के माध्यम से प्राप्त निधि जिनकी सार्वजनिक निधि तक पहुंच है।
भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका
वर्तमान मूल्य (पीवी), भावी मूल्य (एफवी) आदि की गणना से संबंधित ‘मुद्रा’ का समय मूल्य बांड बाजार से संबंधित महत्वपूर्ण गणितीय संकल्पनाएं हैं । इसकी उदाहरण सहित रूपरेखा नीचे दिए गए बॉक्स II में दी गई है ।
बॉक्स II
मुद्रा का समय मूल्य
धन का सामयिक मूल्य होता है क्योंकि आज के दिन का एक रुपया एक वर्ष बाद की अपेक्षा अधिक मूल्यवान तथा उपयोगी होता है ।
‘मुद्रा के समय मूल्य’ की संकल्पना उस ज्ीास्iेा पर आधारित हे कि एक निवेशकर्ता (भविष्य में कभी उसी राशि के भुगतान की बजाए), आज किसी निर्धारित राशि का भुगतान प्राप्त करने को वरीयता देता हैं । शेष सभी बातें समान ही होती हैं । विशेष रूप से, यदि किसी को आज ही भुगतान प्राप्त हो जाए तो वह निर्दिष्ट भावी तारीख तक उस धन पर ब्याज अर्जित कर सकता है । साथ ही, किसी स्फीतिकारी परिवेश में आज के दिन एक रुपए की क्रय शक्ति एक वर्ष बाद की अपेक्षा काफ़ी अधिक होती है ।
किसी भावी राशि का वर्तमान मूल्य
वर्तमान मूल्य फार्मूला मुद्रा के अवधि मूल्य का एकमात्र फार्मूला है ।
वर्तमान मूल्य (पीवी) फार्म्यूला के चार परिवर्ती होते हैं जिनमें से एक-एक को निम्नानुसार हल किया जा सकता है
वर्तमान मूल्य (पीवी)(झ्V) अर्थात् समय = 0 पर मूल्य
भावी मूल्य (एफवी) (इV) अर्थात समय = एन पर मूल्य
‘आइ’ (’i’)वह दर है जिस पर राशि को हर अविध में चक्रवृद्धि किया जाएगा
‘एन’ (’ह’) है अवधियों की संख्या
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भावी नकदी प्रवाहों के संचयी वर्तमान मूल्य की गणना एफवी के अंशदान अर्थात् समय पर नकदी प्रवाह का मूल्य ‘टी’ को जोड़कर की जा सकती है ।
![]() |
उदाहरण
नकदी प्रवाह निम्नानुसार होने पर
अवधि (वर्षों में) |
1 |
2 |
3 |
राशि |
100 |
100 |
100 |
माना कि ब्याज दर 10% वार्षिक की है; हर वर्ष के लिए बट्टे की गणना 1/(1+ब्याज दर)^ वर्ष (संख्या में) के रूप में की जा सकती है ।
वर्तमान मूल्य का हिसाब राशि बट्टा घटक के रूप में लगाया जा सकता है ।
निम्न अवधि के बाद 100 रुपए का पीवी होगा:
वर्ष |
राशि |
बट्टा घटक |
पीवी |
1 |
100 |
0.9091 |
90.91 |
2 |
100 |
0.8264 |
82.64 |
3 |
100
|
0.7513
|
75.13
|
संचयी वर्तमान मूल्य = 90.91+82.64+75.13=रु.248.69
निवल वर्तमान मूल्य (एनपीवी)
निवल वर्तमान मूल्य (एनपीवी) या निवल वर्तमान संपत्ति (एनपीडब्ल्य) को निवल नकदी प्रवाह के वर्तमान मूल्य के रूप में परिभाषित किया गया है । यह एक दीर्घावधिक परियोजनाओं का मूल्यांकन करने के लिए धन के समय मूल्य को प्रयुक्त करने संबंधी मानक पद्धति है । पूंजी बजटीकरण के लिए प्रयुक्त तथा अर्थशाॉा में व्यापक रूप में प्रयुक्त होनेवाली इस पद्धति में नकदी प्रवाहों की अधिकता एवं कमी को, एक बार वित्तपोषण प्रभारों की पूर्ति हो जाने के बाद वर्तमान मूल्य (पीवी) के रूप में नापा जाता है । इसमें उन्नत वित्तीय कैलक्युलेटरों का प्रयोग होता है ।
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वर्तमान मूल्य के अधीन ऊपर किए गए उदाहरण में, यदि रु.240 की जमा राशि पर तीनों नकदी प्रवाह उपचित हो जाते हैं तो उस निवेश का एनपीवी 248.69-240= रु.8.69 है ।
फेमा 1999 के तहत विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों (एफएलए) पर वार्षिक रिटर्न
एफएलए रिटर्न जमा करने की प्रक्रिया
उत्तर: पिछले वर्ष के एफएलए रिटर्न को संशोधित करने के लिए कृपया नीचे दिए गए चरण का पालन करें:
https://flair.rbi.org.in/fla/faces/pages/login.xhtml पर जाएं → फ्लेयर में लॉग इन करें → होमपेज के बाईं ओर मेनू टैब पर क्लिक करें → ऑनलाइन एफएलए फॉर्म → एफएलए ऑनलाइन फॉर्म → " Please click here to get the approval to fill FLA form for current year after due date /for previous years" पर क्लिक करें → "वर्ष" का चयन करें और पर क्लिक करें → "Request" पर क्लिक करें।
आपकी अनुरोध स्थिति स्क्रीन पर उपलब्ध नीचे दी गई तालिका में दिखाई देगी। एफएलए पोर्टल के माध्यम से आरबीआई को अनुरोध भेजने के बाद इकाईयों को अनुमोदन के लिए कम से कम एक कार्य दिवस की प्रतीक्षा करनी होगी । इकाईयां बाएं कोने पर मेनू के अंतर्गत "Multiple Year Enable Screen" में अपने अनुरोध की स्थिति की जांच कर सकती हैं। एक बार डीएसआईएम, आरबीआई द्वारा अनुमोदित होने के बाद, इकाई चयनित वर्ष के लिए एफएलए रिटर्न को संशोधित कर सकती है।
समन्वित पोर्टफोलियो निवेश सर्वेक्षण - भारत
कुछ महत्वपूर्ण परिभाषाएँ और अवधारणाएँ
उत्तर: एक वर्ष या उससे कम की मूल परिपक्वता वाली ऋण प्रतिभूतियों को अल्पकालिक ऋण प्रतिभूतियों के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। अल्पकालिक प्रतिभूतियों के उदाहरण ट्रेजरी बिल, जमा के परक्राम्य प्रमाण पत्र, बैंकरों की स्वीकृति, वचन पत्र और वाणिज्यिक पत्र हैं।
भारत में विदेशी निवेश
उत्तर: नहीं, राइट शेयरों का परित्याग फेमा 20 (आर) के विनियम 6 के साथ पठित दिनांक 4 जनवरी 2018 भारत में विदेशी निवेश पर मास्टर निदेश के पैरा 6.11 में निहित अनुदेशों के अनुसार किया जाएगा।
भारतीय मुद्रा
ग. विभिन्न प्रकार के बैंकनोट तथा बैंकनोटों की सुरक्षा विशेषताएँ
₹500, ₹1000 तथा ₹10000 के बैंकनोटों को, जो तब संचलन में थे, जनवरी 1946 में विमुद्रीकृत किया गया । वर्ष 1954 में ₹1000, ₹5000 तथा ₹10000 के उच्च मूल्यवर्ग के बैंकनोटों को पुन: प्रारम्भ किया गया, तथा इन बैंकनोटों (₹1000, ₹5000 तथा ₹10000) को जनवरी 1978 में फिर से विमुद्रीकृत कर दिया गया ।
महात्मा गांधी शृंखला के तहत जारी किए गए ₹500, ₹1000 मूल्यवर्ग के बैंकनोटों को हाल ही में 08 नवंबर 2016 की मध्यरात्रि से संचलन से हटा लिया गया है, और इसलिए अब ये वैध मुद्रा नहीं हैं ।
विनिर्दिष्ट नोटों को रखने, हस्तांतरित करने अथवा प्राप्त करने पर प्रतिबंध के संबंध में, विनिर्दिष्ट बैंकनोट (देयताओं की समाप्ति) अधिनियम, 2017 की धारा 5 का पाठ निम्नानुसार है :
नियत दिन को एवं उसके बाद से, विनिर्दिष्ट बैंक नोट रखने, हस्तांतरित करने अथवा प्राप्त करने पर सभी व्यक्तियों के लिए मनाही होगी :
बशर्ते कि विनिर्दिष्ट बैंक नोटों को रखने के संबंध में इस धारा के किसी उपबंध के तहत प्रतिबंध नहीं लगाया जाए –
(क) किसी व्यक्ति द्वारा -
(i) छूट अवधि समाप्त होने तक; अथवा
(क) मूल्यवर्ग पर ध्यान दिए बिना कुल दस नोट से अधिक नहीं हों; अथवा
(ख) अध्ययन, अनुसंधान अथवा मुद्राशास्त्रीय उद्देश्य के लिए पच्चीस नोट से अधिक नहीं हों;
(ख) रिज़र्व बैंक अथवा इसकी कोई एजेंसियों द्वारा, अथवा रिज़र्व बैंक द्वारा प्राधिकृत किसी अन्य व्यक्ति द्वारा; (ग) अदालत में लंबित किसी मामले के संबंध में न्यायालय के निर्देश पर किसी व्यक्ति द्वारा
विनिर्दिष्ट बैंकनोटों (एसबीएन) के संबंध में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर जारी परिपत्र तथा अनुदेश हमारी वेबसाइट www.rbi.org.in के अंतर्गत इन कार्य-वार साइटों पर उपलब्ध है >> मुद्रा निर्गमकर्ता >>एसबीएन के बारे में जो भी आप जानना चाहते हों ।
कोर निवेश कंपनियां
कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)
उत्तर: हां, सीआईसी को अपने समूह की संस्थाओं की ओर से गारंटी जारी करने या अन्य आकस्मिक देनदारियों को लेने की आवश्यकता हो सकती है। गारंटियां सार्वजनिक निधि की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आती हैं। हालांकि, यह संभव है कि सीआईसी जो सार्वजनिक निधियों को स्वीकार नहीं करते हैं, यदि और जब गारंटी दी जाती है तो वे सार्वजनिक निधियों का सहारा लेते हैं। इसलिए, ऐसा करने से पहले, जब भी स्थिति आती है, सीआईसी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे इसके तहत दायित्व को पूरा कर सकते हैं। विशेष रूप से, सीआईसी, जिन्हें पंजीकरण की आवश्यकता से छूट प्राप्त है, दायित्व के हस्तांतरण की स्थिति में सार्वजनिक निधियों का सहारा लिए बिना ऐसा करने की स्थिति में होना चाहिए। अपंजीकृत सीआईसी जिनकी आस्ति का आकार रु.100 करोड़ से अधिक है, यदि भारतीय रिजर्व बैंक से पंजीकरण प्रमाण पत्र (सीओआर) प्राप्त किए बिना सार्वजनिक निधियों को प्राप्त करते हैं, तो उन्हें दिनांक 05 जनवरी, 2011 के कोर निवेश कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2011 का उल्लंघन करने के रूप में देखा जाएगा।
भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका
FAQs on Non-Banking Financial Companies
Mutual benefit financial companies (nidhis)
देशी जमा
II. अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) की जमाराशियाँ
फेमा 1999 के तहत विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों (एफएलए) पर वार्षिक रिटर्न
कुछ उपयोगी परिभाषाएँ
उत्तर: प्रत्यक्ष निवेश अंतरराष्ट्रीय निवेश की एक श्रेणी है जिसमें एक अर्थव्यवस्था में एक निवासी इकाई [प्रत्यक्ष निवेशक (डीआई)] एक अन्य अर्थव्यवस्था [प्रत्यक्ष निवेश उद्यम (डीआईई)] के निवासी उद्यम में स्थायी निवेश करता है। इसमें दो घटक होते हैं, अर्थात इक्विटी पूंजी और अन्य पूंजी।
पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: दिसंबर 10, 2022