Withdrawal of Legal Tender Character of the old Bank Notes in the denominations of ₹ 500/- and ₹ 1000/- (Updated as on December 27, 2016)
कोर निवेश कंपनियां
प्रस्तावना
भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 के अध्याय III बी में निहित शक्तियों के आधार पर गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के विनियमन और पर्यवेक्षण की जिम्मेदारी भारतीय रिजर्व बैंक को सौंपी गई है। विनियामक और पर्यवेक्षी उद्देश्य इस प्रकार हैं:क) वित्तीय कंपनियों का सुदृढ़ विकास सुनिश्चित करना;ख) सुनिश्चित करें कि ये कंपनियां नीतिगत ढांचे के भीतर वित्तीय प्रणाली के एक हिस्से के रूप में कार्य करती हैं, और इस तरह से कार्य करतीं हैं कि उनके अस्तित्व और कामकाज से प्रणालीगत विचलन नहीं होता है; और किग) वित्तीय प्रणाली के इस क्षेत्र में होने वाले विकास के साथ तालमेल रखते हुए एनबीएफसी पर बैंक द्वारा की जाने वाली निगरानी और पर्यवेक्षण की गुणवत्ता बनी हुई है।पिछले कुछ वर्षों में, आरबीआई द्वारा उत्कीर्ण कुछ विशेष एनबीएफसी जैसे कोर इन्वेस्टमेंट कंपनियां (सीआईसी), एनबीएफसी- इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनियां (आईएफसी), इंफ्रास्ट्रक्चर डेट फंड- एनबीएफसी, एनबीएफसी-एमएफआई और एनबीएफसी-फैक्टर सबसे हालिया हैं।एनबीएफसी, आम जन, रेटिंग एजेंसियों, चार्टर्ड एकाउंटेंट आदि के हितों के लिए विनियामक परिवर्तनों के अंतर्निहित तर्क की व्याख्या करना और कुछ परिचालन मामलों पर स्पष्टीकरण प्रदान करना आवश्यक महसूस किया गया है। इस आवश्यकता को पूरा करने के लिए, प्रश्नों के रूप में स्पष्टीकरण और जवाब, विशिष्ट एनबीएफसी पर भारतीय रिजर्व बैंक (गैर-बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग) द्वारा इस आशा के साथ लाया जा रहा है कि यह विनियामक ढांचे की बेहतर समझ प्रदान करेगा।प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण कोर निवेश कंपनियों (सीआईसी-एनडी-एसआई) पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों में दी गई जानकारी आम जन की सुविधा के लिए सामान्य प्रकृति की होती है और दिए गए स्पष्टीकरण विशिष्ट एनबीएफसी को बैंक द्वारा जारी मौजूदा विनियामक निर्देशों/अनुदेशों को प्रतिस्थापित नहीं करते हैं।
कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)
उत्तर- सीआईसी-एनडी-एसआई एक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी है
(i) 100 करोड़ रुपये और उससे अधिक की आस्ति आकार हो
(ii) शेयरों और प्रतिभूतियों के अधिग्रहण का व्यवसाय करना और जो अंतिम लेखापरीक्षित तुलनपत्र की तारीख को निम्नलिखित शर्तों को पूरा करता है: -
(iii) समूह कंपनियों में इक्विटी शेयरों, वरीयता शेयरों, बांडों, डिबेंचर, डेट या ऋण में निवेश के रूप में अपनी निवल आस्ति का 90% से कम नहीं धारित करता है;
(iv) समूह कंपनियों में इक्विटी शेयरों में इसका निवेश (निर्गम की तारीख से 10 साल से अधिक की अवधि के भीतर अनिवार्य रूप से इक्विटी शेयरों में परिवर्तनीय सहित) इसकी निवल आस्ति का 60% से कम नहीं है जैसा कि उपर्युक्त खंड (iii) में उल्लिखित है;
(v) यह ह्रासमान होने या विनिवेश के उद्देश्य से ब्लॉक बिक्री के अलावा समूह कंपनियों में शेयरों, बांडों, डिबेंचर, डेट या ऋण में अपने निवेश में व्यापार नहीं करता है;
(vi) यह भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45आई (सी) और 45आई (एफ) में निर्दिष्ट किसी भी अन्य वित्तीय गतिविधि को कारित नहीं करता है, सिवाय बैंक जमा, मुद्रा बाजार लिखतों, सरकारी प्रतिभूतियों, डेट और ऋण में निवेश,समूह कंपनियों को निर्गम या समूह कंपनियों की ओर से जारी गारंटियों को छोड़कर।
(vii) यह सार्वजनिक निधि स्वीकार करता है।
भारत में विदेशी निवेश
“अक्सर पूछे जानेवाले प्रश्न’ नामक यह शृंखला इस विषय पर उपयोगकर्ताओं द्वारा समान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्नों के उत्तर सरल भाषा में देने का प्रयास है। तथापि कोई लेनदेन करने के लिए विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (फेमा) तथा उसके अंतर्गत बनाए गए विनियमों/ नियमों अथवा निदेशों का संदर्भ लें। इससे संबंधित मूल विनियमावली 07 नवंबर 2017 को अधिसूचित एवं समय समय पर यथासंशोधित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत के बाहर के निवासी किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2017 [जिसे समान्यतः फेमा 20(आर) नाम से जाना जाता है] के मार्फत जारी की गई है। प्राधिकृत व्यक्तियों द्वारा उसके ग्राहकों और घटकों के साथ विदेशी मुद्रा संबंधी कारोबार को कैसे संचालित किया जाएगा, ताकि संबन्धित विनियमों का अनुपालन हो सके, इसके संबंध में दिशानिर्देश भारत में विदेशी निवेश पर जारी मास्टर निदेश में दिये गए हैं।
उत्तर: जिन मार्गों के अंतर्गत विदेशी निवेश किया जा सकता है, वे निम्नानुसार हैं:
ए. स्वचालित मार्ग: फेमा 20(आर) के विनियम-16 में विनिर्दिष्ट किए गए अनुसार सभी गतिविधियों/ क्षेत्रों में सरकार अथवा भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन के बिना स्वचालित मार्ग के अंतर्गत विदेशी निवेश अनुमत है।
बी. सरकारी अनुमोदन मार्ग: स्वचालित मार्ग के अंतर्गत कवर न की गई गतिविधियों में विदेशी निवेश के लिए सरकार का पूर्वानुमोदन आवश्यक है। सरकार के अनुमोदन के लिए आवेदन करने की विधि http://fifp.gov.in/Forms/SOP.pdf पर दी गई है।
रिटेल डायरेक्ट योजना
विप्रेषण पारिवारिक तथा राष्ट्रीय आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत है और बाह्य वित्तपोषण का एक सबसे बड़ा स्रोत भी है। भारत के हिताधिकारी बैंकिंग तथा डाक के माध्यम से सीमापारीय आंतरिक विप्रेषण प्राप्त कर सकते हैं। बैंकों को विप्रेषण का कारोबार करने हेतु अन्य बैंकों के साथ भागीदारी करने के लिए सामान्य अनुमति है। डाक के माध्यम हेतु समान्यतः यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन के (यूपीयू) अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली (आईएफ़एस) प्लैटफ़ार्म का उपयोग किया जाता है। इसके अलावा आवक विप्रेषण प्राप्त करने के लिए दो और चैनल हैं, अर्थात रुपया आहरण व्यवस्था (आरडीए) तथा धन अंतरण सेवा योजना (एमटीएसएस) जोकि देश में विप्रेषण प्राप्त करने के लिए सबसे अधिक प्रयोग में लाई जाने वाली व्यवस्था है।
ये अक्सर पूछे जानेवाले प्रश्न आरडीए तथा एमटीएसएस से संबंधित सामान्य प्रश्न है और सामान्य मार्गदर्शन के लिए इनसे संदर्भ क्यी अजाए। प्राधिकृत व्यक्ति तथा उनके घटक यदि आवश्यक हो तो विस्तृत जानकारी के लिए संबंधित परिपत्र/ दिशानिर्देश देखें।
रुपया आहरण व्यवस्था(आरडीए)
लक्षित दीर्घकालिक रिपो परिचालन (टीएलटीआरओ)
अद्ययन किया गया है: मई 28, 2021
उत्तर: हाँ। बैंकों को अपनी एचटीएम पुस्तक में टीएलटीआरओ में प्राप्त राशि के लिए निर्दिष्ट प्रतिभूतियों की मात्रा को टीएलटीआरओ की परिपक्वता तक हर समय बनाए रखना होगा।
भारतीय मुद्रा
क) मुद्रा प्रबंधन की मूल बातें
भारतीय मुद्रा का नाम भारतीय रुपया (आईएनआर) है । एक रुपया में 100 पैसे होते हैं । भारतीय रुपये का प्रतीक "₹" है । यह रूपरेखा (डिजाइन) देवनागरी अक्षर "₹" (र) तथा लैटिन के बड़े “आर/R” अक्षर के समान है जिसमें शीर्ष पर दोहरी क्षैतिज रेखा है ।
आवास ऋण
FAQs on Non-Banking Financial Companies
FOREWORD
FAQs on Non-Banking Financial Companies
FOREWORD
The Reserve Bank of India is entrusted with the responsibility of regulating and supervising the Non-Banking Financial Companies by virtue of powers vested in Chapter III B of the Reserve Bank of India Act, 1934. The regulatory and supervisory objective, is to:
- ensure healthy growth of the financial companies;
- ensure that these companies function as a part of the financial system within the policy framework, in such a manner that their existence and functioning do not lead to systemic aberrations; and that
- the quality of surveillance and supervision exercised by the Bank over the NBFCs is sustained by keeping pace with the developments that take place in this sector of the financial system.
In view of the significant growth registered by the NBFC segment during the last decade, the powers of the Bank were enhanced by amending the provisions of the Act during 1997 to facilitate regulation and supervision by RBI covering several aspects of the activities of the NBFCs. Following the amendments to Chapter IIIB of the Act, the Bank has since introduced a new regulatory framework effective January 31, 1998 which directs the focus of the regulatory-cum-supervisory attention primarily on the NBFCs which accept deposits from the public.
The changes introduced in the regulatory framework are comprehensive and broadbased and it has been felt necessary to explain the rationale underlying these changes and provide clarification on certain operational matters for the benefit of the NBFCs, members of public, rating agencies, audit profession, the different Associations of the NBFCs etc. To meet this need, this booklet in the form of questions and answers, is being brought out by the RBI (Department of Non-Banking Supervision) with the hope that it will provide better understanding of the new regulatory framework.
(V.S.N. Murty)
Chief General Manager
RESERVE BANK OF INDIA,
DEPARTMENT OF NON-BANKING SUPERVISION,
CENTRAL OFFICE,
MUMBAI
FEBRUARY 16, 1998
CONTENTS
CONTENTS
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Extent of Regulations over NBFCs accepting public deposits and not accepting public deposits |
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Registration
फेमा 1999 के तहत विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों (एफएलए) पर वार्षिक रिटर्न
सामान्य निर्देश
विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों पर वार्षिक रिटर्न (एफएलए) को फेमा 1999 (ए.पी. (डीआईआर सीरीज) दिनांक 15 मार्च, 2011 के परिपत्र संख्या 45) के तहत अधिसूचित किया गया है और इसे सभी भारतीय-निवासी कंपनियों/एलएलपी/अन्य [(सेबी पंजीकृत वैकल्पिक निवेश कोष (एआईएफ), साझेदारी फर्म, सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) सहित) (इसके बाद 'इकाईयों' के रूप में संदर्भित) जिन्होंने पिछले किसी भी वर्ष चालू वर्ष सहित, में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्राप्त किया है और/या विदेशी निवेश किया है, द्वारा प्रस्तुत किया जाना आवश्यक है।
रिज़र्व बैंक अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) द्वारा आयोजित समन्वित प्रत्यक्ष निवेश सर्वेक्षण (सीडीआईएस) और समन्वित पोर्टफोलियो निवेश सर्वेक्षण (सीपीआईएस) में भाग लेता है। यहां इन संस्थाओं के पिछले वित्तीय वर्ष (वित्त वर्ष) के मार्च के अंत और नवीनतम वित्तीय वर्ष के मार्च के अंत में विदेशी वित्तीय देयताओं और परिसंपत्तियों की स्थिति से संबंधित एफएलए रिटर्न से एकत्र की गई समेकित जानकारी की सूचना दी जाती है। इस जानकारी का उपयोग भारत के भुगतान संतुलन (बीओपी) और अंतर्राष्ट्रीय निवेश स्थिति (आईआईपी) के संकलन में भी किया जाता है।
गोपनीय धाराएँ
एफएलए रिटर्न के तहत एकत्र की गई इकाई-वार जानकारी को गोपनीय रखा जाता है और रिज़र्व बैंक द्वारा केवल समेकित समुच्चय ही जारी किए जाते हैं।
एफएलए रिटर्न जमा करने के लिए पात्र संस्थाएं और आवश्यकताएं
उत्तर: विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों (एफएलए) पर वार्षिक रिटर्न को निम्नलिखित इकाईयों, जिन्होंने पिछले वर्ष (ओं) में वर्तमान वर्ष सहित एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) प्राप्त किया है और/या विदेश में एफडीआई (अर्थात विदेशी निवेश) किया है, यानि जो अपनी तुलन पत्र में विदेशी संपत्ति या/और देनदारियां रखते हैं, द्वारा प्रस्तुत करना आवश्यक है;
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कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 1(4) के तहत एक कंपनी।
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सीमित देयता भागीदारी अधिनियम, 2008 के तहत पंजीकृत एक सीमित देयता भागीदारी (एलएलपी)।
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अन्य [सेबी पंजीकृत वैकल्पिक निवेश कोष (एआईएफ), भागीदारी फर्म, सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) आदि शामिल हैं।]
देशी जमा
I . देशी जमा
विप्रेषण (धन अंतरण सेवा योजना (एमटीएसएस) तथा रुपया आहरण व्यवस्था (आरडीए))
विप्रेषण पारिवारिक तथा राष्ट्रीय आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत है और बाह्य वित्तपोषण का एक सबसे बड़ा स्रोत भी है। भारत के हिताधिकारी बैंकिंग तथा डाक के माध्यम से सीमापारीय आंतरिक विप्रेषण प्राप्त कर सकते हैं। बैंकों को विप्रेषण का कारोबार करने हेतु अन्य बैंकों के साथ भागीदारी करने के लिए सामान्य अनुमति है। डाक के माध्यम हेतु समान्यतः यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन के (यूपीयू) अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली (आईएफ़एस) प्लैटफ़ार्म का उपयोग किया जाता है। इसके अलावा आवक विप्रेषण प्राप्त करने के लिए दो और चैनल हैं, अर्थात रुपया आहरण व्यवस्था (आरडीए) तथा धन अंतरण सेवा योजना (एमटीएसएस) जोकि देश में विप्रेषण प्राप्त करने के लिए सबसे अधिक प्रयोग में लाई जाने वाली व्यवस्था है।
ये अक्सर पूछे जानेवाले प्रश्न आरडीए तथा एमटीएसएस से संबंधित सामान्य प्रश्न है और सामान्य मार्गदर्शन के लिए इनसे संदर्भ क्यी अजाए। प्राधिकृत व्यक्ति तथा उनके घटक यदि आवश्यक हो तो विस्तृत जानकारी के लिए संबंधित परिपत्र/ दिशानिर्देश देखें।
रुपया आहरण व्यवस्था(आरडीए)
समझौता निपटान और तकनीकी रूप से बट्टे खाते डालने (राइट-ऑफ) के लिए रूपरेखा
'समझौता निपटान और तकनीकी रूप से बट्टे खाते डालने (राइट-ऑफ) के लिए रूपरेखा' पर दिनांक 8 जून 2023 को जारी परिपत्र
ए. इरादतन कर्ज़ न चुकाने और धोखाधड़ी के मामलों में समझौता निपटान
नहीं। धोखाधड़ी अथवा इरादतन चूककर्ता के रूप में वर्गीकृत उधारकर्ताओं के संबंध में बैंकों को समझौता निपटान में समर्थ करने वाला उक्त प्रावधान कोई नया विनियामक निर्देश नहीं है और यह 15 वर्षों से अधिक समय से मानित विनियामक उद्देश्य रहा है। इस खंड को समर्थित करने के लिए मौजूदा निर्देश बैंकों के लिए पहले से ही उपलब्ध है, जैसा कि नीचे दिया गया है:
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आरबीआई द्वारा अपने 10 मई 2007 को जारी पत्र के माध्यम से आईबीए को सूचित किया गया था कि, “(i) बैंक ऐसे उधारकर्ताओं के विरुद्ध चल रही आपराधिक कार्यवाही पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना इरादतन चूककर्ता/धोखाधड़ी करने वाले उधारकर्ताओं के साथ समझौता निपटान कर सकते हैं; (ii) समझौता निपटान के ऐसे सभी मामलों की जांच प्रबंधन समिति/बैंकों के बोर्ड द्वारा की जानी चाहिए।”
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इरादतन चूककर्ताओं पर 1 जुलाई 2015 को जारी मास्टर परिपत्र में ऋणदाताओं को इरादतन चूककर्ता के रूप में वर्गीकृत उधारकर्ताओं के साथ समझौता निपटान करने पर सहमत होने की परिकल्पना की गई है और कहा गया है कि ऐसे मामलों को क्रेडिट सूचना कंपनियों को सूचित करने की आवश्यकता नहीं है, बशर्ते कि, अन्य बातों के साथ-साथ, "उधारकर्ता ने समझौता की गई राशि का पूरा भुगतान कर दिया हो।"
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धोखाधड़ी पर जारी दिनांक 1 जुलाई 2016 के मास्टर दिशानिर्देशों में धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत उधारकर्ताओं के साथ समझौता निपटान का प्रावधान, इस शर्त के अधीन किया गया हैं कि, "धोखाधड़ी वाले उधारकर्ता से जुड़े किसी भी समझौता निपटान की अनुमति तब तक नहीं है जब तक कि शर्तें यह निर्धारित न करें कि आपराधिक शिकायत जारी रखी जाएगी अथवा नहीं।"
समन्वित पोर्टफोलियो निवेश सर्वेक्षण - भारत
सामान्य सूचना
समन्वित पोर्टफोलियो निवेश सर्वेक्षण (सीपीआईएस) अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ़) के तत्वावधान में आयोजित एक स्वैच्छिक डेटा संग्रह अभ्यास है। सीपीआईएस का उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय निवेश स्थिति (आईआईपी) में पोर्टफोलियो निवेश के आंकड़ों की गुणवत्ता में सुधार करना है - यानी इक्विटी और निवेश फंड शेयरों, दीर्घकालिक ऋण प्रतिभूतियों और लघुकालिक ऋण प्रतिभूतियों के रूप में पोर्टफोलियो निवेश संपत्तियों की होल्डिंग- सावधि ऋण प्रतिभूतियां और समकक्ष अर्थव्यवस्थाओं द्वारा इन आंकड़ों की उपलब्धता। अतः, सीपीआईएस किस-किससे सीमा पार डेटा विकसित करने के उद्देश्य का समर्थन करता है और वित्तीय अंतर्संबंधों की बेहतर समझ में योगदान देता है।
भारत वर्ष 2004 से आईएमएफ़ के वार्षिक सीपीआईएस में भाग लेना शुरू किया है। इसके बाद, G-20 डेटा गैप्स इनिशिएटिव (डीजीआई) के तहत आईएमएफ़ की सिफारिश के अनुसार, भारत वर्ष 2014 से विशेष डेटा प्रसार मानकों (एसडीडीएस) के तहत इसकी प्रतिबद्धता के अनुसार सीपीआईएस की अर्ध-वार्षिक रिपोर्टिंग करता है । भारतीय रिज़र्व बैंक, भारत की ओर से आईएमएफ़ को सीपीआईएस डेटा प्रस्तुत करता है।
गोपनीयता खंड
CPIS के तहत एकत्रित इकाई-वार जानकारी को गोपनीय रखा जाता है और केवल समेकित योग ही भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा IMF को प्रस्तुत किए जाते हैं।
सीपीआईएस के तहत रिपोर्ट करने के लिए पात्र संस्थाएं और आवश्यकताएं
उत्तर: वर्तमान में सीपीआईएस के तहत बैंकों, म्यूचुअल फंड कंपनियों, गैर-वित्तीय कंपनियों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों और बीमा कंपनियों का सर्वेक्षण किया जाता है।
प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार संबंधी दिशानिर्देशों के मास्टर निदेशों पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
क) समायोजित निवल बैंक ऋण की गणना (एएनबीसी)
उत्तर: निवल पीएसएलसी बकाया (खरीदी गई पीएसएलसी घटाव(-) बेची गई पीएसएलसी) को निवल बैंक ऋण में जोड़ा जाता है, जैसा कि पीएसएल, 2020 पर मास्टर निदेश के पैरा 6 (समय-समय पर अद्यतन) में उल्लिखित है। इसके अलावा, एक पीएसएलसी अपनी समाप्ति तक बकाया रहता है (प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार प्रमाणपत्र पर दिनांक 07 अप्रैल 2016 की अधिसूचना के क्रमांक ix), सभी पीएसएलसी 31 मार्च तक समाप्त हो जाएंगे और रिपोर्टिंग तिथि (अर्थात 31 मार्च) से आगे मान्य नहीं होंगे, भले ही पूर्व में उसके खरीद / बेचने की तिथि कुछ भी हो। तदनुसार, एएनबीसी में पीएसएलसी खरीद संबंधी प्रभाव में वृद्धि होती है और इसके विपरीत पीएसएलसी की बिक्री का प्रभाव एएनबीसी में कम होता है तथा पीएसएलसी की खरीद/बिक्री का निवल प्रत्येक तिमाही के लिए एएनबीसी में समायोजित किया जाता है। अतः किसी भी तिमाही में खरीदे या बेचे गए पीएसएलसी को वित्त वर्ष के अंत तक सभी बाद की तिमाहियों में ध्यान में रखना होगा, जिससे वह संबंधित है।
उत्तर: समायोजित निवल बैंक ऋण की गणना संबंधी जानकारी प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार, 2020 पर मास्टर निदेश के पैरा 6 के तहत प्रदान की गई है। टीएलटीआरओ 2.0 और एसएलएफ-एमएफ (बढ़ाए गए विनियामक लाभों सहित) के तहत प्राप्त प्रतिभूतियों का अंकित मूल्य कम किया जाना है (जैसा कि पीएसएल पर मास्टर निदेश के पैरा 6.1 के 'IX' में कहा गया है)। चूंकि इन प्रतिभूतियों को एचटीएम निवेश के रूप में माना जाता है, अतः बैंकों को उन्हें एचटीएम श्रेणी के तहत गैर-एसएलआर श्रेणियों में बांड/डिबेंचर के रूप में जोड़ना होगा (जैसा कि पीएसएल पर मास्टर निदेश के पैरा 6.1 के 'X' में कहा गया है)। यह परिकल्पना की गई है कि टीएलटीआरओ 2.0 और एसएलएफ-एमएफ (बढ़ाए गए विनियामक लाभों सहित) के तहत अधिग्रहित प्रतिभूतियों के कारण प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार संबंधी लक्ष्य/उप-लक्ष्यों में वृद्धि नहीं होनी चाहिए। प्रतिभूतियों (X) के अंकित मूल्य को जोड़ने और प्रतिभूतियों के अंकित मूल्य (IX) को कम करने से टीएलटीआरओ 2.0 और एसएलएफ-एमएफ (बढ़ाए गए विनियामक लाभों सहित) में निवेश के कारण एएनबीसी में कोई वृद्धि नहीं होगी।
उत्तर: i. संदर्भाधीन परिपत्र के अनुसार, एएनबीसी से अपवर्जन के लिए पात्र राशि, पात्र वृद्धिशील एफसीएनआर (बी)/ एनआरई जमाराशियों से उत्पन्न संसाधनों से दिए गए वृद्धिशील अग्रिम हैं। वृद्धिशील अग्रिम की गणना 7 मार्च 2014 को भारत में बकाया अग्रिमों और आधार तिथि (26 जुलाई 2013) के बीच के अंतर के रूप में की जाती है।
ii. संदर्भाधीन परिपत्रों के अनुसार, प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के लक्ष्य की गणना के लिए एएनबीसी से बाहर की जाने वाली राशि निश्चित रूप से सीआरआर/एसएलआर के रखरखाव से छूट के लिए पात्र वृद्धिशील एफसीएनआर (बी)/ एनआरई जमाराशियों से अधिक नहीं होगी।
iii. यदि 7 मार्च 2014 और आधार तिथि के बीच बकाया अग्रिमों की राशि में अंतर शून्य या ऋणात्मक है, तो कोई भी राशि प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार देने के लक्ष्यों को प्राप्त करने के उद्देश्य से एएनबीसी से कटौती के लिए पात्र नहीं होगी।
भारत में विदेशी निवेश
उत्तर: "पूंजीगत लिखत" का तात्पर्य भारतीय कंपनी द्वारा जारी इक्विटी शेयर, डिबेंचर, अधिमनी शेयर तथा शेयर वारंटों से है।
इक्विटि शेयर: इक्विटि शेयर वे शेयर हैं जो कंपनी अधिनियम, 2013 के प्रावधानों के अनुसार जारी किए गए हैं तथा इनमें 8 जुलाई 2014 को अथवा उसके बाद जारी किए गए आंशिक रूप से प्रदत्त इक्विटि शेयर भी शामिल हैं ।
शेयर वारंट: 8 जुलाई 2014 को अथवा उसके बाद जारी किए गए शेयर वारंट को पूंजीगत लिखत माना जाएगा।
डिबैंचर : ‘डिबेंचर” शब्द का अर्थ पूर्ण रूप से, अनिवार्यतः एवं अधिदेशात्मक रूप से परिवर्तनीय डिबेंचर है।
अधिमानी शेयर: ‘अधिमानी शेयर” शब्द का अर्थ पूर्ण रूप से, अनिवार्यतः एवं अधिदेशात्मक रूप से परिवर्तनीय अधिमनी शेयर है।
दिनांक 30 अप्रैल 2007 की स्थिति के अनुसार तथा उस दिनांक तक जारी अपरिवर्तनीय/ वैकल्पिक रूप से परिवर्तनीय / आंशिक रूप से परिवर्तनीय अधिमनी शेयर तथा दिनांक 07 जून 2007 तक जारी एवं उनकी मूल परिपक्वता अवधि तक वैकल्पिक रूप से परिवर्तनीय / आंशिक रूप से परिवर्तनीय डिबेंचर को एफ़डीआई के लिए योग्य पूंजीगत लिखत माना जाएगा। दिनांक 30 अप्रैल 2007 के पश्चात जारी अ-परिवर्तनीय/ वैकल्पिक रूप से परिवर्तनीय / आंशिक रूप से परिवर्तनीय अधिमनी शेयरों तथा दिनांक 07 जून 2007 के पश्चात जारी वैकल्पिक रूप से परिवर्तनीय / आंशिक रूप से परिवर्तनीय डिबेंचरों को कर्ज़ (उधार) माना जाएगा और उन्हें विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा में उधार लेना एवं उधार देना) विनियमावली, 2000 के तहत जारी बाह्य वाणिज्यिक उधार संबंधी दिशा-निर्देशों का अनुपालन करना होगा।
कोर निवेश कंपनियां
कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)
उत्तर: मौजूदा सीआईसी जिन्हें पहले पंजीकरण से छूट दी गई थी और जिनकी आस्ति का आकार 100 करोड़ रुपये से कम है, उन्हें जैसा कि दिनांक 5 जनवरी 2011 की अधिसूचना संख्या डीएनबीएस (पीडी) 220/CGM(US)-2011 में वर्णित है, आरबीआई अधिनियम 1934 की धारा 45 एनसी के तहत पंजीकरण से छूट दी गई है, और इसलिए छूट के लिए कोई आवेदन प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं है।
फेमा 1999 के तहत विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों (एफएलए) पर वार्षिक रिटर्न
एफएलए रिटर्न जमा करने के लिए पात्र संस्थाएं और आवश्यकताएं
उत्तर: प्रश्न 1 में उल्लिखित मानदंड का अनुपालन करने वाली इकाईयों को अनिवार्य रूप से प्रत्येक वर्ष 15 जुलाई तक इकाई के लेखापरीक्षित/अलेखा-परीक्षित खातों के आधार पर फेमा 1999 के तहत एफ़एलए रिटर्न जमा करना आवश्यक है।
भारतीय मुद्रा
क) मुद्रा प्रबंधन की मूल बातें
वैध मुद्रा वह सिक्का अथवा बैंकनोट है जो कानूनी रूप से कर्ज अथवा देयता के बदले दी जा सकती है ।
भारत सरकार द्वारा सिक्का निर्माण अधिनियम, 2011 की धारा 6 के तहत जारी सिक्के भुगतान अथवा अग्रिम के तौर पर वैध मुद्रा होंगे, बशर्ते कि उन्हें विकृत नहीं किया गया हो तथा निर्धारित वजन की तुलना में उसका वजन कम नहीं हुआ हो । एक रुपया से कम मूल्यवर्ग को छोड़कर किसी भी सिक्के को एक हजार रुपये तक की किसी भी राशि के संबंध में वैध मुद्रा माना जाएगा । पचास पैसे (आधा रुपया) का सिक्का, दस रुपये तक की राशि के लिए वैध मुद्रा होगा । किसी को भी उल्लिखित सीमा से अधिक सिक्के स्वीकार करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता, किंतु स्वेच्छा से उक्त सीमा से अधिक सिक्के स्वीकार करने पर रोक नहीं है ।
भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी प्रत्येक बैंकनोट (₹2, ₹5, ₹10, ₹20, ₹50, ₹100, ₹200, ₹500 तथा ₹2000), जब तक कि उसे संचलन से वापस न ले लिया जाए, उसमें उल्लिखित राशि के लिए भुगतान अथवा अग्रिम के तौर पर भारत में वैध होगा, तथा भारत सरकार द्वारा प्रत्याभूत होगा जो भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 26 की उप-धारा (2) के प्रावधानों के अधीन होगा । भारत सरकार द्वारा जारी ₹1 के नोट भी वैध मुद्रा होंगे । महात्मा गांधी शृंखला के अंतर्गत 08 नवंबर 2016 तक जारी किए गए ₹500 तथा ₹1000 के बैंकनोट 08 नवंबर 2016 की मध्यरात्रि से वैध मुद्रा नहीं रहे ।
आवास ऋण
बैंक द्वारा आपके आवास ऋण की पात्रता तय करते समय आपकी भुगतान क्षमता का आकलन किया जाएगा। चुकौती क्षमता आपकी मासिक प्रयोज्य (डिस्पोजेबल) / अधिशेष आय पर आधारित है, (जो बदले में कुल मासिक आय / अधिशेष घटा मासिक व्यय जैसे कारकों पर आधारित है) और अन्य कारक जैसे पति या पत्नी की आय, संपत्ति, देनदारियां, आय की स्थिरता इत्यादि। बैंक की मुख्य चिंता यह सुनिश्चित करना है कि आप आराम से समय पर ऋण का भुगतान करें और अंतिम उपयोग सुनिश्चित करें। मासिक प्रयोज्य आय जितनी अधिक होगी, उतनी ही अधिक राशि आप ऋण के लिए पात्र होंगे। आमतौर पर एक बैंक यह मानता है कि आपकी मासिक प्रयोज्य/अतिरिक्त आय का लगभग 55-60% ऋण चुकाने के लिए उपलब्ध है। हालांकि, कुछ बैंक किसी व्यक्ति की सकल आय के आधार पर ईएमआई भुगतान के लिए उपलब्ध आय की गणना करते हैं, न कि उसकी प्रयोज्य आय पर।
ऋण की राशि ऋण की अवधि और ब्याज की दर पर भी निर्भर करती है क्योंकि ये चर (प्रभावित करने वाली वस्तुएँ)आपके मासिक व्यय/बहिर्प्रवाह को निर्धारित करते हैं जो बदले में आपकी प्रयोज्य आय पर निर्भर करता है। बैंक आम तौर पर आवास ऋण आवेदकों के लिए ऊपरी आयु सीमा तय करते हैं।
लक्षित दीर्घकालिक रिपो परिचालन (टीएलटीआरओ)
भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका
FAQs on Non-Banking Financial Companies
Registration
विप्रेषण (धन अंतरण सेवा योजना (एमटीएसएस) तथा रुपया आहरण व्यवस्था (आरडीए))
रुपया आहरण व्यवस्था(आरडीए)
समझौता निपटान और तकनीकी रूप से बट्टे खाते डालने (राइट-ऑफ) के लिए रूपरेखा
ए. इरादतन कर्ज़ न चुकाने और धोखाधड़ी के मामलों में समझौता निपटान
नहीं। क्रमशः, धोखाधड़ी पर दिनांक 1 जुलाई 2016 को जारी मास्टर दिशानिर्देश और दिनांक 1 जुलाई 2015 के इरादतन चूककर्ताओं पर जारी मास्टर परिपत्र के अनुसार, वर्तमान में धोखाधड़ी अथवा इरादतन चूककर्ताओं के रूप में वर्गीकृत उधारकर्ताओं पर लागू दंडात्मक प्रावधान अपरिवर्तित रहेंगे और उक्त दिशानिर्देश उन सभी मामलों पर लागू होंगे जहां बैंक ऐसे उधारकर्ताओं के साथ समझौता निपटान करते हैं।
ऐसे दंडात्मक प्रावधानों में अन्य बातों के साथ-साथ यह भी शामिल है कि इरादतन चूककर्ता के रूप में सूचीबद्ध उधारकर्ताओं को किसी भी बैंक/वित्तीय संस्था द्वारा कोई अतिरिक्त सुविधाएं नहीं दी जानी चाहिए और ऐसी कंपनियों (उनके उद्यमियों/प्रमोटरों सहित) को इरादतन चूककर्ताओं की सूची से अपना नाम हटाने की तारीख से पांच वर्ष की अवधि के लिए नए उद्यम स्थापित करने के लिए संस्थागत वित्त से वंचित कर दिया जाना चाहिए। इसके अलावा, धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत उधारकर्ताओं को धोखाधड़ी की गई राशि के पूर्ण भुगतान की तारीख से पांच वर्ष की अवधि के लिए बैंक वित्त प्राप्त करने से वंचित कर दिया जाना चाहिए।
देशी जमा
I . देशी जमा
समन्वित पोर्टफोलियो निवेश सर्वेक्षण - भारत
सीपीआईएस के तहत रिपोर्ट करने के लिए पात्र संस्थाएं और आवश्यकताएं
उत्तर: वर्तमान में, नवीनतम वित्तीय वर्ष (एफ़वाई) के मार्च-अंत और सितंबर-अंत की स्थिति को जानने के लिए भारत में अर्ध-वार्षिक सर्वेक्षण किया जाता है।
प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार संबंधी दिशानिर्देशों के मास्टर निदेशों पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
ख) पीएसएल उपलब्धि में भारांक के लिए समायोजन
उत्तर: जैसा कि "पीएसएल उपलब्धि में भारांक के लिए समायोजन" के संबंध में प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार, 2020 पर मास्टर निदेश के पैरा 7 में वर्णित है, वित्त वर्ष 2021-22 से प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्रों के वृद्धिशील ऋण में अंतर संबंधी भारांक की गणना की जाएगी। प्रति व्यक्ति कम पीएसएल ऋण वाले चयनित 184 जिलों के लिए वृद्धिशील ऋण पर भारांक 125% और प्रति व्यक्ति उच्च पीएसएल ऋण वाले चयनित 205 जिलों के लिए वृद्धिशील ऋण पर भारांक 90% होगा। वृद्धिशील भारांक की गणना लक्ष्य/उप-लक्ष्यों पर की जाएगी। तदनुसार, आरआईडीएफ और अन्य निधियों का आवंटन कुल कमी के आधार पर किया जाएगा, जिसमें निर्धारित विभेदक भारांक के अनुसार वृद्धिशील ऋण पर की गई गणना संबंधी कमी शामिल है।
उत्तर: यदि ऋण में गिरावट होती है, तो भारांक वृद्धिशील ऋण शून्य (0) होगा। नीचे दी गई कार्यप्रणाली के अंतर्गत उन सभी जिलों के लिए विचार किया जाएगा जिनके लिए एडीईपीटी में डेटा रिपोर्ट किया गया है। बैंकों से अनुरोध है कि एडीईपीटी के तहत रिटर्न जमा करने के प्रारूप के संबंध में हमारे सांख्यिकी प्रभाग (fiddstats@rbi.org.in) से संपर्क करें, यदि इसे बैंक द्वारा अभी तक जमा नहीं किया गया है। इसके अलावा, ऊपर वर्णित कार्यप्रणाली के आधार पर, बैंकों से अपेक्षा की जाती है कि वे पीएसएलसी में ट्रेडिंग के प्रयोजन हेतु पहचान किए गए जिलों में संवितरित ऋण के लिए विभेदक भारांक के निर्धारण को ध्यान में रखते हुए वर्ष के दौरान अपनी स्वयं की पीएसएल उपलब्धि की निगरानी करें।

* क्यूपीएसए की रिपोर्टिंग तिथियों के अनुसार औसत उपलब्धि एक वर्ष की चार तिमाहियों का औसत होगा। इसी तरह की गणना अन्य पीएसएल लक्ष्यों के लिए की जाएगी।
उत्तर: भारांक निर्धारित करने के लिए जिला-वार वृद्धिशील ऋण की गणना करते समय, आंगिक ऋण अर्थात केवल बैंकों द्वारा सीधे संवितरित ऋण और जिसके लिए वास्तविक उधारकर्ता/लाभार्थी-वार विवरण बैंक की बहियों में रखा जाता है, पर विचार किया जाएगा। निम्नलिखित अनांगिक मार्गों के माध्यम से संवितरित ऋण पर वृद्धिशील भारांक के लिए विचार नहीं किया जाएगा।
- बैंकों द्वारा प्रतिभूत आस्तियों में निवेश
- प्रत्यक्ष समनुदेशन/एकमुश्त खरीद के माध्यम से आस्तियों का हस्तांतरण
- अंतर बैंक सहभागिता प्रमाणपत्र (आईबीपीसी)
- प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार प्रमाणपत्र (पीएसएलसी)
- एमएफआई (एनबीएफसी-एमएफआई, सोसायटी, ट्रस्ट, आदि) को ऑन-लेंडिंग के लिए बैंक ऋण
- ऑन-लेंडिंग के लिए एनबीएफसी को बैंक ऋण
- ऑन-लेंडिंग के लिए एचएफसी को बैंक ऋण
भारत में विदेशी निवेश
उत्तर: परिवर्तनीय लिखतों की अवधि कंपनी अधिनियम, 2013 के अंतर्गत बनाए गए अनुदेशों तथा उसके तहत बनाए गए नियमों के अनुसार होगी। तथापि निवेश प्राप्तकर्ता कंपनी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि परिवर्तनीय पूंजीगत लिखतों की कीमत/ परिवर्तन का फॉर्मूला लिखतों के निर्गम के समय प्रारंभ में ही निर्धारित किया जाता है। परिवर्तन के समय की कीमत किसी भी स्थिति में ऐसे लिखतों के निर्गम के समय वर्तमान फेमा विनियमों के अनुसार अभिकलित उचित मूल्य से कम नहीं होनी चाहिए।
भारतीय मुद्रा
क) मुद्रा प्रबंधन की मूल बातें
बैंक नोटों को चार मुद्रणालयों में मुद्रित किया जाता है । इसमें से दो का स्वामित्व उसके निगमों –सिक्यूरिटी प्रिंटिंग एंड मिंन्टिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एसपीएमसीआईएल) के माध्यम से भारत सरकार के पास है, तथा दो का स्वामित्व उसके पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगी संस्था, भारतीय रिज़र्व बैंकनोट मुद्रण प्राइवेट लिमिटेड (बीआरबीएनएमपीएल) के माध्यम से भारतीय रिज़र्व बैंक के पास है । एसपीएमसीआईएल की मुद्रा प्रेस नासिक (पश्चिमी भारत) तथा देवास (मध्य भारत) में स्थित हैं । बीआरबीएनएमपीएल की दो प्रेस मैसूर (दक्षिण भारत) तथा सालबोनी (पूर्वी भारत) में स्थित हैं ।
सिक्कों की ढलाई एसपीएमसीआईएल के स्वामित्व वाली चार टकसालों में की जाती है । ये टकसाल मुंबई, हैदराबाद, कोलकाता तथा नोएडा में स्थित हैं । भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम की धारा 38 के अनुसार संचलन हेतु सिक्के सिर्फ भारतीय रिज़र्व बैंक के माध्यम से जारी किए जाते हैं ।
आवास ऋण
लक्षित दीर्घकालिक रिपो परिचालन (टीएलटीआरओ)
कोर निवेश कंपनियां
कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)
उत्तर: नहीं, मौजूदा सीआईसी जिन्हें पहले पंजीकरण से छूट दी गई है और जिनकी आस्ति का आकार 100 करोड़ रुपये से कम है, उन्हें जैसाकि, दिनांक 5 जनवरी, 2011 की अधिसूचना संख्या डीएनबीएस.(पीडी) 220/सीजीएम (यूएस)-2011 में वर्णित है पंजीकरण से छूट दी गई है। इसलिए उन्हें किसी भी लेखा परीक्षक से इस आशय का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं है कि वे अधिसूचना की आवश्यकताओं का अनुपालन करते हैं।
भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका
विप्रेषण (धन अंतरण सेवा योजना (एमटीएसएस) तथा रुपया आहरण व्यवस्था (आरडीए))
रुपया आहरण व्यवस्था(आरडीए)
FAQs on Non-Banking Financial Companies
Registration
फेमा 1999 के तहत विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों (एफएलए) पर वार्षिक रिटर्न
एफएलए रिटर्न जमा करने के लिए पात्र संस्थाएं और आवश्यकताएं
उत्तर: नियत तारीख (प्रत्येक वर्ष की 15 जुलाई) को या उससे पहले रिटर्न दाखिल न करने को फेमा का उल्लंघन माना जाएगा और फेमा के उल्लंघन के लिए जुर्माना खंड लगाया जा सकता है। जुर्माना खंड के बारे में अधिक जानकारी के लिए, कृपया नीचे दिए गए लिंक को देखें:
देशी जमा
I . देशी जमा
समझौता निपटान और तकनीकी रूप से बट्टे खाते डालने (राइट-ऑफ) के लिए रूपरेखा
ए. इरादतन कर्ज़ न चुकाने और धोखाधड़ी के मामलों में समझौता निपटान
नहीं। धोखाधड़ी पर दिनांक 1 जुलाई 2016 को जारी मास्टर दिशानिर्देश और दिनांक 1 जुलाई 2015 को इरादतन चूककर्ताओं पर जारी मास्टर परिपत्र के अनुसार, जैसा कि ऊपर (2) में उल्लिखित है, धोखाधड़ी अथवा इरादतन चूककर्ता के रूप में वर्गीकृत उधारकर्ताओं के संबंध में लागू दंडात्मक उपायों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, समझौता निपटान के सामान्य मामलों के लिए कूलिंग अवधि को एक सामान्य निर्धारण के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
समन्वित पोर्टफोलियो निवेश सर्वेक्षण - भारत
सीपीआईएस के तहत रिपोर्ट करने के लिए पात्र संस्थाएं और आवश्यकताएं
उत्तर: हां, क्योंकि एआईएफ को गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों के अंतर्गत माना जाता है।
प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार संबंधी दिशानिर्देशों के मास्टर निदेशों पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
ग) कृषि
उत्तर: पीएसएल दिशानिर्देश गतिविधि और लाभार्थी विशिष्ट हैं और संपार्श्विक के प्रकार पर आधारित नहीं हैं। इसलिए कृषि गतिविधियों को संचालित करने के लिए व्यक्तियों / व्यवसायों को दिए गए बैंक ऋण केवल इस तथ्य के कारण कि अंतर्निहित आस्ति स्वर्ण आभूषण/गहने आदि हैं, वे स्वतः ही प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के वर्गीकरण के लिए अपात्र नहीं हो जाते हैं। तथापि, यह नोट किया जाए कि दिनांक 07 फरवरी 2019 के एफआईडीडी परिपत्र और समय-समय पर किए गए अद्यतन के अनुसार यह सूचित किया गया है कि बैंक ₹1.6 लाख तक के कृषि ऋणों के लिए मार्जिन आवश्यकताओं में छूट दे सकते हैं। अतः बैंक को कृषि संबंधी गतिविधि के संचालन हेतु वित्त-मान और ऋण आवश्यकता के आकलन के आधार पर ऋण देना चाहिए न कि केवल स्वर्ण के रूप में उपलब्ध संपार्श्विक के आधार पर। इसके अलावा, जैसा कि पीएसएल के तहत सभी ऋणों पर लागू होता है, बैंकों को यह सुनिश्चित करने के लिए उचित आंतरिक नियंत्रण और प्रणाली स्थापित करनी चाहिए कि प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के तहत दिए गए ऋण स्वीकृत उद्देश्यों के लिए हैं और अंतिम उपयोग की निरंतर निगरानी की जाती है।
उत्तर: प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार (पीएसएल) पर दिनांक 4 सितंबर 2020 के मास्टर निदेश के अनुबंध-III के अनुसार, खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के तहत अनुमत गतिविधियों की सांकेतिक सूची के तहत परिवहन एक पात्र गतिविधि है। हालांकि, "खाद्यान्न तथा एग्रो प्रसंस्करण" श्रेणी के तहत वाणिज्यिक वाहन खरीदने के लिए ट्रांसपोर्टरों को किसी भी सुविधा को वर्गीकृत करते समय, यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि ट्रांसपोर्टर वाहन का उपयोग केवल खाद्यान्न तथा एग्रो-प्रसंस्कृत उत्पादों के परिवहन के लिए कर रहा है या वाहन इस प्रकार का है कि जिसका उपयोग विशेष रूप से "खाद्यान्न तथा एग्रो प्रसंस्करण" के लिए किया जाता है, उदाहरण के लिए कोल्ड स्टोरेज ट्रक, वैन आदि। यदि वाणिज्यिक वाहन का उपयोग खाद्यान्न तथा एग्रो प्रसंस्करण से संबंधित उत्पादों के अलावा अन्य उत्पादों के परिवहन के लिए भी किया जाता है, तो सुविधा 'खाद्यान्न तथा एग्रो प्रसंस्करण' श्रेणी के तहत वर्गीकरण के लिए पात्र नहीं होगी। ऐसे मामलों में इसे, यदि यह पीएसएल पर हमारे मास्टर निदेश में इसके लिए निर्धारित शर्तों को पूरा करता है, एमएसएमई (सेवा) के तहत वर्गीकृत किया जा सकता है।
भारत में विदेशी निवेश
किसी स्टार्टअप कंपनी द्वारा जारी एक ऐसी लिखत, जो प्रारम्भिक तौर पर कर्ज़ के रूप में प्राप्त धनराशि को इंगित करती है और वह उसके धारक को उसके विकल्प पर पुनर्भुगतान योग्य होगी अथवा इस नोट को जारी करने की तारीख से पाँच वर्षों से अनधिक अवधि के भीतर उस संख्या में स्टार्टअप कंपनी के इक्विटी शेयरों में परिवर्तनीय होगी, साथ ही यह उक्त लिखत में उल्लिखित और स्वीकार किए गए नियमों और शर्तों के अनुरूप विशिष्ट स्थितियों में परिवर्तनीय होगी।
कोर निवेश कंपनियां
कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)
उत्तर: समूह की सभी कंपनियां जो सीआईसी हैं, उन्हें सीआईसी-एनडी-एसआई के रूप में माना जाएगा (बशर्ते उन्होंने सार्वजनिक निधि का उपयोग किया हो) और उन्हें बैंक से पंजीकरण प्रमाणपत्र प्राप्त करना होगा।
भारतीय मुद्रा
क) मुद्रा प्रबंधन की मूल बातें
बैंक नोटों तथा रुपये के सिक्कों के वितरण को सुगम बनाने के लिए रिजर्व बैंक ने चयनित अनुसूचित बैंकों को मुद्रा तिजोरी की स्थापना करने हेतु प्राधिकृत किया है । ये ऐसे भण्डारगृह हैं जहां बैंक नोटों तथा सिक्कों को भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से उनके परिचालन क्षेत्र में आने वाली बैंक शाखाओं में वितरित करने के लिए भंडारण किया जाता है । 31 मार्च 2021 को 3054 मुद्रा तिजोरियाँ थीं ।
[मुद्रा तिजोरियों से अपेक्षित है कि वे उनके परिचालन क्षेत्र में आने वाली अन्य बैंक शाखाओं को बैंक नोट तथा सिक्कों का वितरण करें]
आवास ऋण
खरीदे जा रहे घर से संबंधित सभी कानूनी दस्तावेजों के अलावा, बैंक आपसे पहचान और निवास प्रमाण, नवीनतम वेतन पर्ची (नियोक्ता द्वारा प्रमाणित और कर्मचारियों के लिए स्वयं सत्यापित) और फॉर्म 16 (व्यवसायी व्यक्तियों / स्वरोजगार के लिए) और पिछले 6 महीने की बैंक स्टेटमेंट / बैलेंस शीट, जो भी लागू हो, जमा करने के लिए कहेंगे। आपको अपने फोटोग्राफ के साथ पूरा भरा हुआ आवेदन पत्र भी जमा करना होगा। ऋण आवेदन फॉर्म में आवेदन के साथ संलग्न किए जाने वाले दस्तावेजों की एक चेकलिस्ट दी जाएगी।
सौदे को जल्दी से पक्का करने में जल्दबाजी न करें।
कृपया इस संबंध में वाणिज्यिक बैंक द्वारा प्रदान किए गए नियमों और शर्तों में किसी भी छूट पर चर्चा करें और अधिक जानकारी प्राप्त करें। उदाहरण के लिए कुछ बैंक वाणिज्यिक बैंक के पक्ष में निर्दिष्ट ऋण राशि के बराबर उधारकर्ता/गारंटर की जीवन बीमा पॉलिसियों को प्रस्तुत करने पर जोर देते हैं। आमतौर पर इस शर्त के लिए राशि की सीमा होती है जिसे उपयुक्त प्राधिकारी द्वारा भी माफ किया जा सकता है। कृपया बैंक की योजना के फाइन प्रिंट (बारीक अक्षरों) को ध्यान से पढ़ें और स्पष्टीकरण मांगें।
लक्षित दीर्घकालिक रिपो परिचालन (टीएलटीआरओ)
भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका
नीलामियों के निर्गम जारी करने के तरीके के रूप में लागू करने से पहले सरकार द्वारा ब्याज दरें प्रशासनिक रूप से निर्धारित किए जाते थे । नीलामी शुरु करने के साथ ब्याज दरें (कूपन दरें) बाजार आधारित मूल्य निर्धारण प्रक्रिया के माध्यम से निर्धारित किए जाते हैं ।
4.1. नीलामी आय आधारित अथवा मूल्य आधारित हो सकती है ।
(i) आय आधारित नीलामी : आय आधारित नीलामी सामान्यतया नई सरकारी प्रतिभूति जारी करने के समय आयोजित की जाती है । निवेशक आय के अनुसार दो दशमलव स्थान तक बोली लगाते हैं (उदाहरणार्थ : 8.19 प्रतिशत, 8.20 प्रतिशत इत्यादि) । बोलियाँ ऊर्ध्वगामी रूप में व्यवस्थित की जाती हैं तथा नीलामी की अधिसूचित राशि के अनुरूप आय पर पहुँचने पर रोक दी जाती है । इस (कट-ऑफ) आय को प्रतिभूति की कूपन दर के रूप में लिया जाता है । सफल बोलीकर्ता वे होते हैं जिन्होंने "कट ऑफ" आय पर या उससे से नीचे बोली लगाई है । इससे उच्चतर बोलियों को अस्वीकार कर दिया जाता है । आय आधारित नीलामी का एक उदाहरण नीचे प्रस्तुत है :-
नई प्रतिभूति की आय आधारित बोली
नई प्रतिभूति की आय आधारित बोली |
|
•
|
परिपक्वता की तारीख : 8 सितंबर 2018 |
•
|
कूपन : यह नीलामी में निर्धारित किया जाता है (8.22% जैसा कि नीचे उदाहरण में दर्शाया गया है) । |
•
|
नीलामी की तारीख : 5 सितंबर 2008 |
•
|
नीलामी निपटान की तारीख : 8 सितंबर 2008* |
•
|
अधिसूचित राशि : 1000 करोड़ रु. |
6 और 7 सितंबर को छुट्टी होने के कारण टी+1 चक्र के अंतर्गत निपटान 8 सितंबर 2008 को किया जाएगा । |
बोली आय के बढ़ते हुए क्रम से प्राप्त बोलियों का ब्योरा |
||||
बोली सं. |
बोली आय |
बोली की राशि (रु.करोड़) |
संचयी राशि (रु. करोड़) |
8.22% के रूप में कूपन सहित मूल्य* |
1.
|
8.79%
|
300 |
300 |
100.19 |
2.
|
8.20%
|
200 |
500 |
100.14 |
3.
|
8.20%
|
250 |
750 |
100.13 |
4.
|
8.21%
|
150 |
900 |
100.09 |
5.
|
8.22%
|
100 |
1000 |
100 |
6.
|
8.22%
|
100 |
1100 |
100 |
7.
|
8.23%
|
150 |
1250 |
99.93 |
8.
|
8.24%
|
100 |
1350 |
99.87 |
जारीकर्ता को क्रम सं.5 तक बोलियाँ स्वीकार करके अधिसूचित राशि प्राप्त होगी । चूंकि बोली सं.6 की आय भी वही है, बोली सं.5 और 6 को यथानुपाती आबंटन प्राप्त होगा ताकि अधिसूचित राशि का अधिक न हो । उपर्युक्त मामले में प्रत्येक को 50 करोड़ रु. मिलेंगे । बोली सं.7 और 8 अस्वीकृत हो जाएंगी क्योंकि उनकी आय "कट ऑफ" आय से अधिक है ।
* आय का तदनुरूपी मूल्य प्रश्न सं.24 में वाइटीएम गणना के अंतर्गत दिए संबंध के अनुसार निर्धारित होगा ।
(ii) मूल्य आधारित नीलामी : भारत सरकार द्वारा पहले से जारी प्रतिभूतियों को दुबारा जारी करने पर मूल्य आधारित नीलामी की जाती है । बोली लगाने वाले प्रतिभूति के अंकित मूल्य के प्रत्येक 100 रु. के लिए मूल्य के रूप में बोली लगाते हैं 102 रु., 101 रु., 100 रु., 99 रु. इत्यादि) । बोलियाँ अधोगामी स्वरूप में व्यवस्थित की जाती हैं और सफल बोलीकर्ता वे होते हैं जिनकी बोली "कट ऑफ" मूल्य पर अथवा उससे अधिक होती है । "कट ऑफ" मूल्य से नीचे की बोलियाँ अस्वीकृत हो जाती हैं ।मूल्य आधारित नीलामी का उदाहरण नीचे प्रस्तुत है :
वर्तमान प्रतिभूति 8.24% जीएस 2018 की मूल्य आधारित नीलामी |
|
•
|
परिपक्वता की तारीख : 22 अप्रैल 2018 |
•
|
कूपन : 8.24% |
•
|
नीलामी की तारीख : 5 सितंबर 2008 |
•
|
नीलामी निपटान की तारीख : 8 सितंबर 2008* |
•
|
अधिसूचित राशि : 1000 करोड़ रु. |
6 और 7 सितंबर को छुट्टी होने के कारण टी+1 चक्र के अंतर्गत निपटान 8 सितंबर 2008 को किया जाएगा । |
बोली मूल्य के घटते हुए क्रम से प्राप्त बोलियों का ब्योरा |
||||
बोली सं. |
बोली का मूल्य |
बोली की राशि (रु.करोड़) |
अंतर्निहित आय |
संचयी राशि |
1.
|
100.31
|
300 |
8.1912%
|
300 |
2.
|
100.26
|
200 |
8.1987%
|
500 |
3.
|
100.25
|
250 |
8.2002%
|
750 |
4.
|
100.21
|
150 |
8.2062%
|
900 |
5.
|
100.20
|
100 |
8.2077%
|
1000 |
6.
|
100.20
|
100 |
8.2077%
|
1100 |
7.
|
100.16
|
150 |
8.2136%
|
1250 |
8.
|
100.15
|
100 |
8.2151%
|
1350 |
जारीकर्ता को क्रम सं.5 तक बोलियाँ स्वीकार करके अधिसूचित राशि प्राप्त होगी । चूंकि बोली सं.6 का मूल्य भी वही है, बोली सं.5 और 6 को अनुपात में आबंटन प्राप्त होगा ताकि अधिसूचित राशि अधिक न हो । उपर्युक्त मामले में प्रत्येक को 50 करोड़ रु. मिलेंगे । बोली सं.7 और 8 अस्वीकृत हो जाएंगी क्योंकि उनकी मूल्य "कट ऑफ" आय से कम है ।
4.2. सफल बोलीकर्ताओं को आबंटन के तरीके के आधार पर नीलामी को एक समान मूल्य आधारित और बहुमुखी मूल्य आधारित के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है । एकसमान मूल्य नीलामी में सभी सफल बोलीकर्ताओं से अपेक्षा की जाती है कि वे एक ही दर पर प्रतिभूतियों की आबंटित मात्रा के लिए भुगतान करें अर्थात नीलामी की "कट ऑफ" दर, चाहे उन्होंने कोई भी दर उध्दृत की हो । दूसरी ओर, बहुमुखी मूल्य नीलामी में सफल बोलीकर्ताओं से अपेक्षा की जाती है कि वे, उन्हें प्रतिभूतियों की आबंटित मात्रा के लिए, भुगतान करें जिस मूल्य/आय के लिए उन्होंने बोली लगाई है । ऊपर दिये गये उदाहरण ii में, यदि नीलामी एकसमान मूल्य आधारित होती, तो सभी बोलीकर्ताओं को "कट ऑफ" मूल्य अर्थात 100.20 रु. पर आबंटन किया जाएगा । दूसरी ओर, यदि नीलामी बहुमुखी मूल्य आधारित होती तो प्रत्येक बोलीकर्ता को उसी मूल्य पर आबंटन मिलता जिसकी उसने बोली लगाई है अर्थात बोलीकर्ता 1 को 100.31 रु., बोलीकर्ता 2 को 100.26 रु. पर तथा इसी प्रकार ।
4.3. कोई निवेशक नीलामी में निम्नलिखित में से किसी भी श्रेणी में बोली लगा सकता है :-
(i) स्पर्धी बोली : स्पर्धी बोली में, निवेशक एक विशिष्ट मूल्य/आय पर बोली लगाता है और उध्दृत मूल्य कट-ऑफ मूल्य/आय के भीतर होने पर उसे प्रतिभूतियाँ आबंटित की जाती हैं । स्पर्धी बोलियाँ जानकर निवेशकों द्वारा लगाई जाती हैं यथा बैंक, वित्तीय संस्थाएँ, प्राथमिक व्यापारी, पारस्परिक निधियाँ और बीमा कंपनियाँ । न्यूनतम बोली की राशि 10,000 रु. और उसके बाद 10,000 रु. के गुणजों में होती है । बहुमुखी बोली की भी अनुमति है अर्थात कोई निवेशक विभिन्न मूल्यों/आय स्तरों पर कई बोलियाँ लगा सकता है ।
(ii) गैर स्पर्धी बोली : खुदरा निवेशकों को, जिन्हें नीलामी में प्रत्यक्ष रूप से भाग लेने की जानकारी नहीं है, नीलामी प्रक्रिया में भाग लेने के लिए एक अवसर देते हुए, जनवरी 2002 में दिनांकित प्रतिभूतियों में गैर स्पर्धी बोली लगाने की योजना लागू की गयी थी । गैर स्पर्धी बोली आम जनता, हिन्दु अविभक्त परिवारों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, सहकारी बैंकों, फर्मों, कंपनियों, कार्पोरेट निकायों, संस्थाओं, भविष्य निधियों और न्यासों के लिए खुली है । इस योजना के अंतर्गत, पात्र निवेशक विशिष्ट मूल्य/आय निर्दिष्ट किए बिना किसी राशि की प्रतिभूतियों के लिए आवेदन कर सकता है । ऐसे बोलीकर्ताओं को नीलामी की भारित औसत मूल्य/आय पर प्रतिभूतियाँ आबंटित की जाती हैं । ऊपर 4.1(ii) में दिए उदाहरण में, अधिसूचित राशि चूंकि 1000 करोड़ रु. है, गैर स्पर्धी बोली के लिए आरक्षित निधि 50 करोड़ रु. होगी (नीचे निर्दिष्ट किए अनुसार अधिसूचित राशि का 5 प्रतिशत) । गैर स्पर्धी बोलीकर्ताओं को भारित औसत मूल्य पर आबंटित किया जाएगा जो उद्धरण में 100.26 रु.. है । तथापि, गैर स्पर्धी बोली के भागीदारों से अपेक्षा की जाती है कि वे किसी बैंक अथवा प्राथमिक व्यापारी के पास गिल्ट खाता रखें । जिन क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों तथा सहकारी बैंकों का एसजीएल और चालू खाता भारतीय रिज़र्व बैंक के पास है, वे भी बिना गिल्ट खाता रखे गैर स्पर्धी बोली की योजना के अंतर्गत भाग ले सकते हैं ।
4.4. दिनांकित प्रतिभूतियों की प्रत्येक नीलामी में, ऐसी गैर स्पर्धी बोलियों के लिए अधिकतम पांच प्रतिशत की अधिसूचित राशि प्रारक्षित की जाती है । खजाना बिलों के लिए नीलामी के मामले में, गैर स्पर्धी बोलियों के लिए स्वीकार्य राशि अधिसूचित राशि को छोड़कर होती है और उसकी कोई सीमा नहीं है । तथापि, खजाना बिलों में गैर स्पर्धी बोली केवल राज्य सरकारों और अन्य चयनित संस्थाओं को उपलब्ध है तथा सहकारी बैंकों के लिए उपलब्ध नहीं है । किसी भी निवेशक को एक ही बोली किसी बैंक अथवा प्राथमिक व्यापारी के माध्यम से देने की अनुमति है । योजना के अंतर्गत बोली लगाने के लिए निवेशक को किसी बैंक अथवा प्राथमिक व्यापारी के माध्यम से प्रतिभूतियों के आबंटन के लिए आवेदन के साथ वचनपत्र देना होगा । दिनांकि प्रतिभूतियों की नीलामी के मामले में एक बोली के लिए न्यूनतम और अधिकतम राशि क्रमश: 10,000 रु. तथा 2 करोड़ रु. है । बैंक अथवा प्राथमिक व्यापारी अपनी सेवाएँ देने के लिए प्रति 100 रु. की आवेदन राशि के लिए अधिकतम 6 पैसे कमीशन के रूप में प्रभारित कर सकता है । यदि गैर स्पर्धी बोली के लिए प्राप्त कुल आवेदनों की बोली दिनांकित प्रतिभूतियों की नीलामी की अधिसूचित राशि के 5 प्रतिशत से अधिक होती हैं तो बोली लगाने वालों को यथानुपाती आधार पर प्रतिभूतियाँ आबंटित की जाएंगी ।
4.5. राज्य सरकार की प्रतिभूतियों में गैर स्पर्धी बोली योजना अगस्त 2009 से शुरु हुई है । एसडीएल में इस प्रयोजन हेतु आरक्षित कुल राशि अधिसूचित राशि का 10% (1000 करोड़ रु. की अधिसूचित राशि पर 100 करोड़ रु.) है तथा किसी निवेशक द्वारा प्रत्येक नीलामी में 1% की बोली लगाई जा सकती है (केद्र सरकार की प्रतिभूतियों में 2 करोड़ रु. की तुलना में) । बोली लगाने और आबंटन की प्रक्रिया केद्र सरकार की प्रतिभूतियों के समान है ।
FAQs on Non-Banking Financial Companies
Registration
फेमा 1999 के तहत विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों (एफएलए) पर वार्षिक रिटर्न
एफएलए रिटर्न जमा करने के लिए पात्र संस्थाएं और आवश्यकताएं
उत्तर: इकाईयों को नियत तारीख के भीतर अनिवार्य रूप से एफएलए रिटर्न भरना चाहिए। यदि इकाईयों के पास अपनी लेखापरीक्षित तुलन पत्र तैयार नहीं है, तो वे अनंतिम/अनअंकेक्षित संख्याओं के साथ रिटर्न भर सकते हैं। इसके बाद, जब अंकेक्षित संख्याएं तैयार हो जाए तो, आरबीआई को पहले से दाखिल रिटर्न में संशोधन के लिए अनुरोध किया जाना चाहिए। एक बार आरबीआई द्वारा अनुरोध अनुमोदित होने के बाद, आप पहले से दाखिल रिटर्न को लेखापरीक्षित किए गए नंबरों के साथ संशोधित कर सकते हैं और इसे आरबीआई को फिर से जमा कर सकते हैं।
विप्रेषण (धन अंतरण सेवा योजना (एमटीएसएस) तथा रुपया आहरण व्यवस्था (आरडीए))
रुपया आहरण व्यवस्था(आरडीए)
देशी जमा
I . देशी जमा
समझौता निपटान और तकनीकी रूप से बट्टे खाते डालने (राइट-ऑफ) के लिए रूपरेखा
ए. इरादतन कर्ज़ न चुकाने और धोखाधड़ी के मामलों में समझौता निपटान
उधारकर्ताओं के लिए समझौता निपटान किसी अधिकार के रूप में उपलब्ध नहीं है; बल्कि यह एक विवेकाधिकार है जिसका प्रयोग ऋणदाताओं द्वारा अपने वाणिज्यिक निर्णय के आधार पर किया जाना चाहिए।
विवेकपूर्ण दिशानिर्देश ऋणदाताओं द्वारा विचार किए गए ऐसे निपटानों के संबंध में पर्याप्त सुरक्षा उपाय प्रदान करते हैं:
-
ऐसे सभी निर्णय ऋणदाताओं द्वारा प्रत्येक मामले में तदर्थ दृष्टिकोण अपनाने के बजाय, अपने बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीतियों के अनुसार लिए जाने की आवश्यकता है;
-
परिपत्र के अनुसार यह अनिवार्य है कि धोखाधड़ी अथवा इरादतन चूक करने वाले के रूप में वर्गीकृत उधारकर्ताओं से जुड़े समझौता निपटान के ऐसे सभी मामलों को बोर्ड द्वारा अनुमोदित किया जाए। ऐसा करके परिपत्र विनियामक मार्गदर्शन को और अधिक मजबूत करता है।;
-
यदि ऐसे उधारकर्ताओं के साथ सम्झौता निपटान ऋणदाताओं के विचाराधीन है तो, तो ऐसे निपटान चालू अथवा प्रारम्भ की जाने वाली आपराधिक कार्यवाही पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना होंगे;
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जैसा कि पहले ही उल्लेख किया गया है, ऐसे मामलों में मौजूदा दंडात्मक प्रावधान लागू रहेंगे।
-
जहां कहीं भी वसूली की कार्यवाही न्यायिक मंच के समक्ष लंबित हो, उधारकर्ता के साथ किया गया कोई भी समझौता संबंधित न्यायिक अधिकारियों से सहमति डिक्री प्राप्त करने के अधीन होगा।
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ऋणदाताओं के बोर्डों को सभी समझौता निपटानों के अनुमोदन में समग्र रुझानों की निगरानी का काम सौंपा गया है। जिसमें विशेष रूप से धोखाधड़ी, रेड-फ्लैग्ड, इरादतन चूककर्ता और त्वरित मर्त्यता वाले खातों के रूप में वर्गीकृत खातों का विवरण शामिल है।
ये दिशानिर्देश पूरी प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित करेंगे।
समन्वित पोर्टफोलियो निवेश सर्वेक्षण - भारत
सर्वेक्षण शुरू करने का विवरण
उत्तर: रिज़र्व बैंक नवीनतम संदर्भ अवधि के लिए सीपीआईएस के शुरुआत के बारे में सूचित करने के लिए रिज़र्व बैंक की जेनेरिक ईमेल आईडी से सभी पात्र संस्थाओं को ईमेल भेजेगा। संस्थाओं को मेल के साथ संलग्न नवीनतम सर्वेक्षण अनुसूची को भरना होगा और सर्वेक्षण अनुसूची में दिए गए निर्देश के अनुसार रिज़र्व बैंक की जेनेरिक ईमेल आईडी पर भेजना होगा।
प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार संबंधी दिशानिर्देशों के मास्टर निदेशों पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
घ) एमएसएमई
उत्तर: भारत सरकार (जीओआई) ने दिनांक 26 जून 2020 के राजपत्र अधिसूचना एस.ओ. 2119 (ई) और समय-समय पर अद्यतन, के माध्यम से एमएसएमई के तहत किसी उद्यम के वर्गीकरण के लिए संयंत्र और मशीनरी में निवेश के साथ-साथ आवर्त के नए सम्मिश्र मानदंडों को अधिसूचित किया है। सम्मिश्र मानदंड के तहत, यदि कोई उद्यम निवेश या आवर्त के दो मानदंडों में से किसी एक में अपनी वर्तमान श्रेणी के लिए निर्दिष्ट उच्चतम सीमा को पार करता है, तो वह उस श्रेणी में मौजूद नहीं रहेगा और अगली उच्च श्रेणी में चला जाएगा, लेकिन कोई उद्यम तबतक निचली श्रेणी में नहीं आएगा जब तक कि वह निवेश और आवर्त दोनों के मानदंडों में अपनी वर्तमान श्रेणी के लिए निर्दिष्ट उच्चतम सीमा से नीचे नहीं आ जाता। नई परिभाषा के आधार पर, संबंधित एमएसएमई श्रेणी से उद्यम के बाहर निकलने के बाद भी तीन वर्ष के लिए पीएसएल स्थिति की निरंतरता के संबंध में पहले का मानदंड अब मान्य नहीं है।
भारत में विदेशी निवेश
उत्तर: भारत के बाहर का निवासी व्यक्ति (ऐसे व्यक्ति को छोड़कर जो बांग्लादेश अथवा पाकिस्तान का नागरिक अथवा बांग्लादेश अथवा पाकिस्तान में पंजीकृत/ निगमित एंटीटी है) एक हिस्से में पचीस लाख अथवा उससे अधिक राशि के लिए भारतीय स्टार्ट-उप कंपनी द्वारा जारी किए गए परिवर्तनीय नोट खरीद सकता है। ऐसे क्षेत्र में लिप्त स्टार्टअप कंपनी जिसमें विदेशी निवेश के लिए सरकार का अनुमोदन आवश्यक है, केवल ऐसा अनुमोदन प्राप्त करके भारत के बाहर के निवासी व्यक्ति को इस प्रकार के परिवर्तनीय नोट जारी कर सकती है। प्रतिफल की राशि बैंकिंग चैनलों के माध्यम से आवक विप्रेषण द्वारा अथवा विदेशी मुद्रा प्रबंधन (जमा) विनियमावली, 2016 के अनुसार खोले गए संबंधित व्यक्ति के एनआरई/ एफ़सीएनआर(बी)/ एस्क्रो खाते में नामे डालकर प्राप्त होगी।
कोर निवेश कंपनियां
कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)
उत्तर: ऐसे मामले में केवल सी पंजीकृत किया जाएगा, बशर्ते सी किसी अन्य सीआईसी को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से वित्त पोषण नहीं कर रहा हो।
आवास ऋण
बैंक द्वारा आम तौर पर निम्नलिखित ऋण विकल्पों में से किसी एक की पेशकश की जा सकती हैं: फ्लोटिंग रेट (अस्थायी दर) होम लोन और फिक्स्ड रेट (निश्चित दर) आवास ऋण। फिक्स्ड रेट लोन के लिए, ब्याज की दर या तो ऋण की पूरी अवधि के लिए या ऋण की अवधि के एक निश्चित हिस्से के लिए तय होती है। शुद्ध निश्चित ऋण के मामले में, बैंक की ईएमआई स्थिर रहती है। यदि कोई बैंक ऋण की पेशकश करता है जो केवल ऋण की अवधि की एक निश्चित अवधि के लिए निर्धारित है, तो कृपया बैंक से जानकारी प्राप्त करने का प्रयास करें कि क्या अवधि के बाद दरें बढ़ाई जा सकती हैं (पुनर्स्थापना खंड)। आप एक लॉक-इन पर बातचीत करने का प्रयास कर सकते हैं जिसमें वह दर शामिल होनी चाहिए जिस पर आपने शुरुआत में सहमति दी थी और लॉक-इन की अवधि भी शामिल होनी चाहिए।
इसलिए फिक्स्ड रेट वाले लोन की ईएमआई पहले से पता होती है। यह वह नकद बहिर्प्रवाह है जिसकी योजना ऋण की शुरुआत में बनाई जा सकती है। यदि मुद्रास्फीति और अर्थव्यवस्था में ब्याज दर वर्षों में बढ़ती है, तो एक निश्चित ईएमआई आकर्षक रूप से स्थिर होती है और इसकी योजना बनाना आसान होता है। हालांकि, अगर आपने ईएमआई तय कर रखी है तो बाजार में ब्याज दरों में किसी तरह की कटौती से आपको कोई फायदा नहीं होगा।
फ्लोटिंग रेट के निर्धारक:
फ्लोटिंग रेट लोन की ईएमआई बाजार की ब्याज दरों में बदलाव के साथ बदलती है। यदि बाजार दर बढ़ती है, तो आपकी चुकौती (पुनर्भुगतान) बढ़ जाती है। जब दरें गिरती हैं, तो आपकी बकाया राशि भी गिर जाती है। फ्लोटिंग ब्याज दर दो भागों से बनी होती है: इंडेक्स और स्प्रेड (सूचकांक और फैलाव)। सूचकांक आम तौर पर ब्याज दरों का एक उपाय है (सरकारी प्रतिभूतियों की कीमतों के आधार पर), और प्रसार एक अतिरिक्त राशि है जिसे बैंकर क्रेडिट जोखिम, लाभ मार्क-अप आदि को कवर करने के लिए जोड़ता है। प्रसार की राशि एक ऋणदाता से दूसरे में भिन्न हो सकती है, लेकिन यह आमतौर पर ऋण के जीवन पर स्थिर होती है। अगर सूचकांक दर ऊपर जाती है, तो अधिकांश परिस्थितियों में आपकी ब्याज दर भी बढ़ती है और आपको अधिक ईएमआई का भुगतान करना होगा। इसके विपरीत, अगर ब्याज दर घटती है, तो आपकी ईएमआई राशि कम होनी चाहिए।
साथ ही, कभी-कभी बैंक कुछ समायोजन (एडजस्टमेंट) करते हैं ताकि आपकी ईएमआई स्थिर रहे। ऐसे मामलों में, जब कोई ऋणदाता फ्लोटिंग ब्याज दर बढ़ाता है, तो ऋण की अवधि बढ़ जाती है (और ईएमआई स्थिर रहती है)।
कुछ ऋणदाता अपनी फ्लोटिंग दरें अपने बेंचमार्क प्राइम लेंडिंग रेट्स (बीपीएलआर) पर भी आधारित करते हैं। आपको पूछना चाहिए कि फ्लोटिंग रेट को सेट करने के लिए किस इंडेक्स का उपयोग किया जाएगा, यह आमतौर पर अतीत में कैसे उतार-चढ़ाव करता है, और यह कहां प्रकाशित/खुलासा होता है। हालांकि, किसी भी इंडेक्स का पिछला उतार-चढ़ाव उसके भविष्य के व्यवहार की गारंटी नहीं है।
ईएमआई में लचीलापन:
कुछ बैंक अपने ग्राहकों को लचीले पुनर्भुगतान विकल्प भी प्रदान करते हैं। यहां ईएमआई असमान हैं। स्टेप-अप लोन में, शुरुआत में ईएमआई कम होती है और जैसे-जैसे साल बीतते जाते हैं (बैलून रीपेमेंट) बढ़ती जाती है। स्टेप-डाउन लोन में, ईएमआई शुरू में अधिक होती है और जैसे-जैसे साल बीतते जाते हैं, घटती जाती है।
स्टेप-अप विकल्प उन उधारकर्ताओं के लिए सुविधाजनक है जो अपने करियर की शुरुआत में हैं। स्टेप-डाउन ऋण विकल्प उन उधारकर्ताओं के लिए उपयोगी है जो अपनी सेवानिवृत्ति के वर्षों के करीब हैं और वर्तमान में अच्छा पैसा कमा रहे हैं।
भारतीय मुद्रा
क) मुद्रा प्रबंधन की मूल बातें
कुछ बैंकों को उनके परिचालन क्षेत्र में आने वाली बैंक शाखाओं को छोटे सिक्के अर्थात एक रुपये से कम मूल्य के सिक्के वितरित करने तथा उनका भण्डारण करने के लिए छोटे सिक्का डिपो स्थापित करने हेतु प्राधिकृत किया गया है । 31 मार्च 2021 को कुल 2504 छोटे सिक्का डिपो थे ।
लक्षित दीर्घकालिक रिपो परिचालन (टीएलटीआरओ)
भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका
विप्रेषण (धन अंतरण सेवा योजना (एमटीएसएस) तथा रुपया आहरण व्यवस्था (आरडीए))
रुपया आहरण व्यवस्था(आरडीए)
FAQs on Non-Banking Financial Companies
Definition of public deposits
देशी जमा
I . देशी जमा
फेमा 1999 के तहत विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों (एफएलए) पर वार्षिक रिटर्न
एफएलए रिटर्न जमा करने के लिए पात्र संस्थाएं और आवश्यकताएं
उत्तर: नहीं, इकाई लेखा बंद करने की अवधि यदि यह मार्च क्लोजिंग से भिन्न है के अनुसार सूचना की रिपोर्ट नहीं कर सकती। इकाई के आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर सूचना को केवल संदर्भित अवधि अर्थात पिछले मार्च और नवीनतम मार्च के लिए रिपोर्ट किया जाना चाहिए।
समझौता निपटान और तकनीकी रूप से बट्टे खाते डालने (राइट-ऑफ) के लिए रूपरेखा
ए. इरादतन कर्ज़ न चुकाने और धोखाधड़ी के मामलों में समझौता निपटान
प्राथमिक विनियामक उद्देश्य उधारदाताओं को बिना किसी देरी के चूक किए धन की वसूली के लिए कई रास्ते सक्षम करना है। समय मूल्य हानि के अलावा, अत्यधिक देरी के परिणामस्वरूप आस्ति मूल्य में गिरावट आती है जिससे अंतिम वसूली में बाधा आती है। 7 जून 2019 के दबावग्रस्त आस्तियों के समाधान पर विवेकपूर्ण ढांचे के तहत समझौता निपटान को एक वैध समाधान तंत्र के रूप में मान्यता दी गई है। जब धोखाधड़ी या इरादतन चूककर्ता के रूप में वर्गीकृत उधारकर्ताओं से वसूली की बात आती है तो उधारदाताओं के लिए अनिवार्यताएं अलग नहीं होती हैं। विधिक कार्यवाही के कारण ऋणदाताओं की बैलेंस शीट पर इस तरह के एक्सपोजर को समाधान के बिना जारी रखने से ऋणदाताओं की निधि अनुत्पादक आस्ति में लॉक हो जाएगी, जो वांछनीय स्थिति नहीं होगी। जब तक बड़ी नीतिगत चिंताओं का उचित रूप से निवारण किया जाता है और दुर्भावनापूर्ण कार्यों की लागत दोषियों द्वारा वहन की जाती है, तब तक सुरक्षा उपायों के अधीन, ऋणदाताओं द्वारा शीघ्र वसूली एक पसंदीदा विकल्प होना चाहिए। इसके अलावा, धोखाधड़ी या इरादतन चूककर्ता के रूप में वर्गीकृत उधारकर्ताओं के खिलाफ चल रही या शुरू की जाने वाली आपराधिक कार्यवाही जारी रखने से यह सुनिश्चित होगा कि किसी भी दुर्भावनापूर्ण कार्रवाई से अपराधी बच नहीं पाए।
समन्वित पोर्टफोलियो निवेश सर्वेक्षण - भारत
सर्वेक्षण शुरू करने का विवरण
उत्तर: सर्वेक्षण अनुसूची में दिए गए निर्देश के अनुसार रिज़र्व बैंक की जेनेरिक ईमेल आईडी पर विधिवत भरी हुई सर्वेक्षण अनुसूची (एक्सेल आधारित) भेजने के बाद, उत्तरदाता को सिस्टम जनित पावती प्राप्त होगी। इस संबंध में अलग से कोई मेल नहीं भेजा जाएगा। यदि पावती में किसी त्रुटि का उल्लेख किया गया है, तो उत्तरदाता को उल्लेखित त्रुटि को सुधार कर फॉर्म को फिर से जमा करना होगा। सुधार के बाद, उत्तरदाता को एक सफल प्रसंस्करण पावती ईमेल प्राप्त होगी।
प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार संबंधी दिशानिर्देशों के मास्टर निदेशों पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
ङ) निर्यात ऋण
उत्तर: कृषि और एमएसएमई क्षेत्रों के तहत निर्यात ऋण के लिए बैंक ऋण को संबंधित श्रेणियों अर्थात कृषि और एमएसएमई के तहत पीएसएल के रूप में वर्गीकृत किया गया है और इसके लिए ऋण पर कोई उच्चतम सीमा नहीं है। निर्यात ऋण (कृषि और एमएसएमई के अलावा) को निम्न तालिका के अनुसार प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के रूप में वर्गीकृत किया गया है:
घरेलू बैंक/विदेशी बैंकों के डब्लूओएस/एसएफबी/यूसीबी | 20 और उससे अधिक शाखाओं वाले विदेशी बैंक | 20 से कम शाखाओं वाले विदेशी बैंक |
प्रति उधारकर्ता स्वीकृत सीमा ₹40 करोड़ की शर्त के अधीन, गत वर्ष की समान तारीख की तुलना में वृद्धिशील निर्यात ऋण, एएनबीसी या सीईओबीई, जो भी अधिक हो, के 2 प्रतिशत तक। | गत वर्ष की समान तारीख की तुलना में वृद्धिशील निर्यात ऋण, एएनबीसी या सीईओबीई, जो भी अधिक हो, के 2 प्रतिशत तक। | एएनबीसी अथवा सीईओबीई, इनमें से जो भी अधिक हो, के 32 प्रतिशत तक का निर्यात ऋण। |
भारत में विदेशी निवेश
उत्तर: “विदेशी निवेश” अर्थात भारत के बाहर के निवासी व्यक्तियों द्वारा भारतीय कंपनियों की पूंजीगत लिखतों में तथा किसी एलएलपी की पूंजी में प्रत्यावर्तनीय आधार पर किया गया निवेश ।
“प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफ़डीआई)” अर्थात भारत के बाहर के निवासी व्यक्तियों द्वारा गैर-सूचीबद्ध भारतीय कंपनियों की पूंजीगत लिखतों के माध्यम से किया गया निवेश; अथवा सूचीबद्ध भारतीय कंपनी की पूर्णतः डाइल्यूटेड आधार पर जारी प्रदत्त इक्विटि के 10 प्रतिशत तक अथवा उससे अधिक किया गया निवेश;
“विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI)” अर्थात भारत के बाहर के निवासी व्यक्तियों द्वारा सूचीबद्ध भारतीय कंपनियों की पूर्णतः डाइल्यूटेड आधार पर जारी प्रदत्त इक्विटि के जरिए पूंजीगत लिखतों में 10 प्रतिशत से अनधिक किया गया निवेश अथवा किसी सूचीबद्ध भारतीय कंपनी द्वारा जारी पूंजीगत लिखतों की प्रत्येक शृंखला में 10 प्रतिशत से अनधिक मात्रा तक किया गया निवेश ।
कोर निवेश कंपनियां
कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)
उत्तर: समूह कंपनियों में सभी प्रत्यक्ष निवेश, जैसा कि सीआईसी के तुलनपत्र में दिखाया गया है, इस उद्देश्य के लिए ध्यान में रखा जाएगा। सहायक कंपनियों द्वारा स्टेप डाउन सहायक कंपनियों या अन्य संस्थाओं में किए गए निवेश को निवल आस्ति के 90 प्रतिशत की गणना के लिए ध्यान में नहीं रखा जाएगा।
भारतीय मुद्रा
क) मुद्रा प्रबंधन की मूल बातें
अधिनियम की धारा 22 के अनुसार, भारत में नोट निर्गमित करने का एकमात्र अधिकार रिज़र्व बैंक के पास है । धारा 25 में उल्लेख है कि बैंकनोट की रूपरेखा (डिजाइन), स्वरूप और सामग्री भारतीय रिज़र्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड की अनुसंशा पर विचार करने के उपरांत केंद्र सरकार द्वारा अनुमोदन के अनुरूप होगी ।
रिज़र्व बैंक, केंद्र सरकार तथा अन्य साझेदारों के परामर्श से, एक वर्ष में मूल्यवर्ग वार संभावित आवश्यक बैंक नोटों की मात्रा का आकलन करता है और बैंक नोटों की आपूर्ति हेतु विभिन्न करेंसी प्रिंटिंग प्रेसों को माँगपत्र (इंडेंट) सौंपता है । रिज़र्व बैंक अपनी स्वच्छ नोट नीति के अनुसार, आम जनता को अच्छी गुणवत्ता के बैंकनोट उपलब्ध कराता है । इस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए संचलन से वापस लिए गए बैंक नोटों की जांच की जाती है तथा जो संचलन के योग्य हैं उन्हें पुन: जारी किया जाता है, जबकि अन्य (गंदे तथा कटे-फटे) को नष्ट कर दिया जाता है ताकि संचलन में बैंक नोटों की गुणवत्ता को बनाए रखा जा सके ।
सिक्कों के संबंध में, भारतीय रिज़र्व बैंक की भूमिका भारत सरकार द्वारा आपूर्ति किए जाने वाले सिक्कों के वितरण करने तक सीमित है । सिक्का निर्माण अधिनियम, 2011 के अनुसार विभिन्न मूल्यवर्ग के सिक्कों की रूपरेखा तैयार करने (डिजाइनिंग) तथा ढलाई की जिम्मेदारी भारत सरकार की है ।
लक्षित दीर्घकालिक रिपो परिचालन (टीएलटीआरओ)
आवास ऋण
भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका
विप्रेषण (धन अंतरण सेवा योजना (एमटीएसएस) तथा रुपया आहरण व्यवस्था (आरडीए))
रुपया आहरण व्यवस्था(आरडीए)
FAQs on Non-Banking Financial Companies
Definition of public deposits
देशी जमा
I . देशी जमा
फेमा 1999 के तहत विदेशी देयताओं और परिसंपत्तियों (एफएलए) पर वार्षिक रिटर्न
एफएलए रिटर्न जमा करने के लिए पात्र संस्थाएं और आवश्यकताएं
उत्तर: हां, इकाईयां आरबीआई से मंजूरी लेकर, नियत तारीख के बाद भी एफएलए रिटर्न भर सकती हैं। लेकिन उस मामले में, देर से जमा करने के लिए इकाई पर जुर्माना खंड लागू किया जा सकता है।
समझौता निपटान और तकनीकी रूप से बट्टे खाते डालने (राइट-ऑफ) के लिए रूपरेखा
ए. इरादतन कर्ज़ न चुकाने और धोखाधड़ी के मामलों में समझौता निपटान
सामान्य तौर पर पुनर्गठन में पुनर्गठन के बाद भी ऋणदाता का उधारकर्ता इकाई के प्रति निरंतर एक्सपोजर होता है और इसलिए, धोखाधड़ी या इरादतन चूककर्ता के रूप में वर्गीकृत उधारकर्ताओं के मामले में, उधारदाताओं को उधारकर्ता इकाई के साथ अपने क्रेडिट संबंध जारी रखने की अनुमति देना नैतिक खतरे से भरा होगा। दूसरी ओर, समझौता निपटान में ऋणदाता और उधारकर्ता का पूर्ण अलगाव शामिल होता है। इसलिए, ऋणदाताओं को अपने वाणिज्यिक निर्णय के अनुसार उधारकर्ताओं के साथ समझौता निपटान करने की अनुमति देने से वसूली की संभावनाएं बढ़ेंगी।
समन्वित पोर्टफोलियो निवेश सर्वेक्षण - भारत
सर्वेक्षण शुरू करने का विवरण
उत्तर: एक वित्तीय वर्ष के मार्च अंत और सितंबर अंत में रिपोर्टिंग संस्थाओं के आवश्यक विवरण एकत्र करने के लिए रिज़र्व बैंक द्वारा अर्धवार्षिक रूप से सीपीआईएस आयोजित किया जाता है। सामान्य तौर पर, उस वर्ष के मार्च अंत और सितंबर अंत की स्थिति के लिए सर्वेक्षण क्रमशः 01 जून और 01 दिसंबर को शुरू किया जाता है।
प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार संबंधी दिशानिर्देशों के मास्टर निदेशों पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
च) शिक्षा
उत्तर: 4 सितंबर 2020 से पहले स्वीकृत ऋणों के लिए, ₹10 लाख तक की बकाया राशि, चाहे स्वीकृत सीमा कुछ भी हो, परिपक्वता तक प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत वर्गीकृत किया जाना जारी रहेगा। हालांकि, पीएसएल के तहत किसी ऐसे उधारकर्ता, जिसने 4 सितंबर 2020 से पहले ही बैंक से शिक्षा ऋण प्राप्त कर लिया था, के किसी भी नए ऋण की गणना करते समय, यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि पीएसएल के तहत ऋणों के वर्गीकरण के लिए कुल स्वीकृत सीमा ₹20 लाख से अधिक नहीं है।
उक्त स्थिति में, चूंकि संयुक्त स्वीकृत सीमा ₹30 लाख हो जाती है, अतः 4 सितंबर 2020 के बाद स्वीकृत ₹18 लाख का ऋण पीएसएल वर्गीकरण के लिए पात्र नहीं होगा। हालांकि, ₹12 लाख के ऋण के संबंध में, जो पहले के दिशानिर्देशों के अनुसार पहले से ही पीएसएल था, ₹10 लाख तक की बकाया राशि इस सुविधा के तहत परिपक्वता तक पीएसएल के अंतर्गत पात्र बने रहेंगे।
कोर निवेश कंपनियां
कोर निवेश कंपनियां (सीआईसी)
उत्तर: जो कुछ भी पुनर्भुगतान करना होगा वह बाहरी दायित्व होगा।
भारतीय मुद्रा
क) मुद्रा प्रबंधन की मूल बातें
नोटों व सिक्कों के माँगपत्र (इंडेंट) तथा आपूर्ति अथवा मुद्रा/सिक्कों के संचलन के बारे में सूचना हमारी वेबसाइट www.rbi.org.in के इस लिंक पर उपलब्ध है : https://rbi.org.in/Scripts/AnnualReportMainDisplay.aspx
लक्षित दीर्घकालिक रिपो परिचालन (टीएलटीआरओ)
आवास ऋण
भारत में सरकारी प्रतिभूति बाजार – एक प्रवेशिका
पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: दिसंबर 10, 2022