रिजर्व बैंक ने छ्त्रपुर को-ओपरेटिव बैंक लि., छ्त्रपुर (उडीसा) का लाइसेंस रद्द किया
29 मई 2012 रिजर्व बैंक ने छ्त्रपुर को-ओपरेटिव बैंक लि., छ्त्रपुर (उडीसा) का लाइसेंस रद्द किया छ्त्रपुर को-ओपरेटिव बैंक लि., छ्त्रपुर (उडीसा) के अर्थक्षम नहीं रह जाने और उडीसा सरकार के परामर्श से बैंक को पुनरुज्जीवित करने के प्रयास असफल हो जाने तथा सतत अनिश्चितता के कारण जमाकर्ताओं को होनेवाली असुविधा के परिप्रेक्ष्य में भारतीय रिज़र्व बैंक ने 23 मई, 2012 को कारोबार की समाप्ति के बाद बैंक को दिया गया लाइसेंस रद्द करने का आदेश जारी किया। सहकारी समितियों के केंद्रीय पंजीयक, नई दिल्ली से भी बैंक के समापन और उसके लिए समापक नियुक्त करने का आदेश जारी करने का अनुरोध किया गया है। उल्लेख किया जाता है कि बैंक के समापन पर हर जमाकर्ता, निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) से ₹ 1,00,000 (एक लाख रुपये मात्र) रुपये की मौद्रिक सीमा तक अपनी जमाराशियों को वापस पाने का हकदार होता है। छ्त्रपुर को-ओपरेटिव बैंक लि., छ्त्रपुर (उडीसा) (इसके बाद 'बैंक' कहा जाएगा) को 25 मई 1915 को को-ओपरेटिव सोसाईटी के रूप में पंजीकृत किया गया था । बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) (आगे इसे अधिनियम कहा जाएगा) की धारा 22 के तहत बैंकिंग कारोबार करने के लिए बैंक को 21 मार्च, 1984 को भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा लाईसेंस प्रदान किया था। 31 मार्च 2003 की वित्तीय स्थिति के अनुसार किए गए सांविधिक निरीक्षण से यह पता चला कि बैंक की मूल्यांकित निवल संपत्ति (-) ₹ 53.46 लाख है, जमाराशि में 7.2% तक मूल्यह्रास हुआ है तथा संचित हानि ₹ 99.44 लाख है। निरीक्षण निष्कर्षों के आधार पर बैंक को 06 जुलाई, 2004 से विनिर्देशाधीन रखा गया तथा बैंक को नई जमाराशियॉं स्वीकार करने और नए अग्रिम एवं ऋण देने के संबंध में प्रतिबंधित किया गया। वित्तीय स्थिति अत्यधिक खराब होने तथा बैंक की निवल संपत्ति घटकर (-) ₹ 139.94 लाख पहुँचने की सूचना प्राप्त हुई तथा सीआरएआर (-) 22.1% आँका गया। बैंक की संचित हानि ₹ 186.9 लाख तक पहुँच गई और इस बीच जमा का घटाव 20.5% तक का रहा। बैंकने अपने अनेक्स भवन को बाहरी पार्टी को देते हुए अधिनियम की धारा 9 का उल्लंघन किया। 31 मार्च 2007 के अनुसार बैंक के सांविधिक निरीक्षण से यह पता चला कि नई जमाराशियों को स्वीकार करते हुए बैंक ने भारतीय रिज़र्व बैंक के विनिर्देश का उल्लंघन किया है। इसलिए 30 अगस्त, 2007 से अधिनियम की धारा 35 (क) के अंतर्गत अधिनियम में शामिल सभी समावेशी दिशानिर्देशों सहित सभी परिचालनात्मक आनुदेशों के अतिरिक्त ₹ 500 प्रति जमाकर्ता के आहरण सीमा भी लगाई गई। 31 मार्च 2009 के अनुसार बैंक के साविधिक निरीक्षण से यह पता चला कि निवल संपत्ति नकारात्मक है जिसे (-) ₹ 85.32 लाख आंका गया। सीआरएआर को (-) 48.4% आँका गया। यह भी पता चला कि जमाराशि में 32.5% तक मूल्यह्रास हुआ है और सकल एवं निवल एनपीए सकल एवं निवल अग्रिमों के 90.9% तथा 87.5% तक का रहा है। 31 मार्च 2010 के अनुसार बैंक के साविधिक निरीक्षण से यह पता चला कि बैंक की वित्तीय स्थिति और बिगड़ी हुई है और संदिग्ध है। यह भी पता चला है कि जमाराशि में 41.6% तक का भारी मूल्यह्रास हुआ है तथा सीआरएआर को (-) 79.3% आँका गया। सकल एवं निवल एनपीए सकल एवं निवल अग्रिमों के 90.8% तथा 84.5% तक का रहा। निरीक्षण की अवधि के दौरान बैंक द्वारा सीआरआर और एसएलआर अनुरक्षण में चूक हुई तथा अधिनियम की धारा 18 एवं 24 का अनुपालन नहीं हो पाया। बैंक की संचित हानि ₹ 125.58 लाख रही। इसलिए 24 सितंबर, 2010 को लाईसेंस रद्द करने के लिए बैंक के नाम कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। बैंक ने 29 अक्तूबर 2010 के पत्र के माध्यम से कारण बताओ नोटिस का जवाब प्रस्तुत किया, लेकिन कारण बताओ नोटिस के जवाब की जॉंच के बाद उसे संतोषजनक नहीं पाया गया। 31 मार्च 2010 के अनुसार बैंक के वर्तमान सांविधिक निरीक्षण से यह पता चला कि बैंक की वित्तीय स्थिति में सुधार नहीं हुआ है। बैंक की निवल संपत्ति (-)₹ 104.43 लाख पहुँचने की सूचना प्राप्त हुई। इस स्तर के मूल्यांकित निवल संपत्ति से बैंक की अपनी निवल संपत्ति का पूर्णत: सफाया हो गया तथा जमा 64% तक कम हो गया। अत: बैंक द्वारा अधिनियम की धारा 11(1) और 22(3) (क) के प्रावधानों का अनुपालन नहीं किया गया। सीआरएआर को (-) 197% आँका गया और संचित हानि ₹ 136.25 लाख रही। पुनरीक्षणाधीन अवधि के दौरान सीआरआर एवं एसएलआर अनुरक्षण में बैंक से चूक हुई और परिणामस्वरूप अधिनियम की धारा 18 एवं 24 के प्रावधानों का अनुपालन नहीं हुआ। एक ऋण राशि को सावधिक जमा के साथ समायोजन करने और शेयर पूँजी के पुनर्भुगतान हेतु शेयर धारक को अनुमति देने से बैंक ने भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा अधिनियम की धारा 35 (ए) के अंतर्गत ज़ारी विनिर्देश का उल्लंघन किया है। बैंक तरलता से जुड़ी समस्याओं से जूझ रही है तथा कठिनाई के आधार पर अनुमोदित राशि को वापस करने के लिए अनुमति देने हेतु भी अक्षम है। 23 सितंबर 2011 के हमारे पत्र के माध्यम से बैंक को एक नए कारण बताओ नोटिस द्वारा सूचित किया गया कि अधिनियम की धारा 22 के अधीन बैंकिंग कारोबार करने के लिए जारी लाईसेंस क्यों रद्द न किया जाए तथा बैंक का परिसमापन क्यों न किया जाए। बैंक ने 25 अक्तूबर 2011 तथा 9 नवंबर, 2011 के पत्रों के माध्यम से कारण बताओ नोटिस का जवाब प्रस्तुत किया था। कारण बताओ नोटिस के जवाब की जॉंच के बाद उसे संतोषजनक नहीं पाया गया। इन सभी तथ्यों के संबंध में भारतीय रिज़र्व बैंक संतुष्ट है कि आगे बैंक को बैंकिंग व्यापार की अनुमति देना वर्तमान और भविष्य के जमाकर्ताओं के हित के लिए हानिकारक होगा। इसलिए बैंकिंग व्यापार करने हेतु ज़ारी लाइसेंस रद्द करने योग्य हैं। तदनुसार अधिनियम की धारा 22 के तहत भारत में बैंकिंग कारोबार करने के लिए चत्रपूर को-ओपरेटिव बैंक लि., छत्रपुर (उडीसा) को 21 मार्च, 1984 को ज़ारी लाईसेंस एतद्वारा रद्द किया जाता है। इस आदेश से बैंक को यह अनिवार्य बनता है कि अधिनियम के अनुच्छेद 5 (ख) के अर्थ के अनुसार "बैंकिंग कारोबार"को तत्काल प्रभाव से समाप्त करें। लाईसेंस के रद्दीकरण एवं परिसमापन प्रणाली के प्रारंभ होने से जमा बीमा योजना के नियमों और शर्तों के अनुसार छत्रपुर को-ओपरेटिव बैंक लि., छत्रपुर (उडी़सा) के जमाकर्ताओं को भुगतान करने की प्रणाली प्रारंभ होती है। लाइसेन्स रद्द किये जाने के अनुसरण में छत्रपुर को-ओपरेटिव बैंक लि., छ्त्रपुर (उडीसा) पर बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 (सहकारी सोसायटियों पर यथालागू) की धारा 5(ख) के अंतर्गत जमाराशियाँ स्वीकार करने और उन्हें वापस लौटाने सहित बैंकिंग कारोबार करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। किसी भी स्पष्टीकरण के लिए जमाकर्ता श्री ए. के.सिन्हा, उप महाप्रबंधक, शहरी बैंक विभाग, भारतीय रिजर्व बैंक, भुवनेश्वर से सपर्क कर सकते हैं। उनका संपर्क ब्यौरा निम्नानुसार है: डाक पता: शहरी बैंक विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, प.जवाहर लाल नेहरु मार्ग, भुवनेश्वर-751001, टेलीफोन कम फैक्स नंबर: (0674) 2394226; ई-मेल अजीत प्रसाद प्रेस प्रकाशनी : 2011-2012/1892 |
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