रिजर्व बैंक ने दि सूरी फ्रेंड्स’ यूनियन कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, सूरी, पश्चिम बंगाल पर जारी निर्देशों की अवधि बढाई
01 जनवरी 2015 रिजर्व बैंक ने दि सूरी फ्रेंड्स’ यूनियन कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, सूरी, पश्चिम बंगाल भारतीय रिजर्व बैंक ने दि सूरी फ्रेंड्स’ यूनियन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, सूरी, पश्चिम बंगाल को जारी निर्देशों की अवधि बढाई। यह निर्देश समीक्षा के अधीन 07 जनवरी 2015 से 06 जुलाई 2015 तक छह महीने की आगे की अवधि के लिए बैंक पर लागू रहेंगे। रिजर्व बैंक ने शुरू में बैंक को अपनी अत्यंत अनिश्चित वित्तीय स्थिति के कारण 7 अप्रैल 2014 से छह महीने के लिए निर्देशों के तहत रखा था, जिसकी वैधता बाद में एक अवसर पर 6 जनवरी 2015 तक बढ़ा दी गई थी । रिजर्व बैंक के निर्देशों के मुताबिक दि सूरी फ्रेंड्स’ यूनियन कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड भारतीय रिज़र्व बैंक से लिखित रूप में पूर्व अनुमति लिए बिना, कोई भी ऋण और अग्रिम मंजूर नहीं करेगा या उसका नवीकरण नहीं करेगा, कोई निवेश नहीं करेगा, निधियाँ उधार लेने और नई जमाराशियाँ स्वीकार करने सहित अपने ऊपर कोई भी देयता नहीं लेगा, कोई भुगतान नहीं करेगा और न ही भुगतान करने के लिए सहमत होगा भले ही, भुगतान उनकी देनदारियों और दायित्वों की चुकौती से या अन्यथा संबंधित क्यों न हो और रिज़र्व बैंक के निदेश में अधिसूचित के अलावा अपनी किसी भी संपत्ति या आस्ति को न तो बेचेगा, न अंतरित करेगा या अन्यथा रीति से उसका निपटान करेगा या न ही इसके लिए कोई समझौता या इस तरह की कोई व्यवस्था करेगा। विशेषकर, बैंक रिज़र्व बैंक के निर्देशों में उल्लिखित शर्तों के अधीन जमाकर्ताओं को सभी बचत खातों अथवा चालू खातों अथवा अन्य जमा खातों की कुल राशि में से ₹1000 (एक हजार रुपये) से अधिक की निकासी की अनुमति नहीं देगा। यह निर्देश बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35 ए की उप धारा (1) के तहत रिजर्व बैंक में निहित शक्तियों का प्रयोग करने में लगाए गए हैं। निर्देशों की प्रति जनता के हितबद्ध सदस्यों के अवलोकनार्थ बैंक परिसर में प्रदर्शित की गई हैं। भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निदेश जारी करने का यह अर्थ न लगाया जाए कि रिज़र्व बैंक ने बैंक का लाइसेंस रद्द कर दिया है। बैंक अपनी वित्तीय स्थिति में सुधार होने तक प्रतिबंधों के साथ बैंकिंग कारोबार करना जारी रखेगा। भारतीय रिज़र्व बैंक परिस्थितियों के आधार पर निदेशों में संशोधन करने पर विचार कर सकता है। अल्पना किल्लावाला प्रेस प्रकाशनी : 2014-2015/1381 |
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