आरबीआई बुलेटिन - जुलाई 2023
17 जुलाई 2023 आरबीआई बुलेटिन - जुलाई 2023 रिज़र्व बैंक ने आज अपने मासिक बुलेटिन का जुलाई 2023 अंक जारी किया। बुलेटिन में तीन भाषण, छ: आलेख और वर्तमान सांख्यिकी शामिल हैं। छ: आलेख हैं: I. अर्थव्यवस्था की स्थिति; II. एहतियात संचार का महत्वपूर्ण हिस्सा है; III. भारत के लिए एक प्रोटोटाइप डायनेमिक स्टोचैस्टिक जनरल इक्विलिब्रियम मॉडल; IV. सार्वजनिक व्यय और आर्थिक संवृद्धि की गुणवत्ता: उप-राष्ट्रीय स्तर पर एक आनुभविक मूल्यांकन; V. भारत @ 100; और VI. भारतीय रिज़र्व बैंक के इतिहास के परिप्रेक्ष्य। I. अर्थव्यवस्था की स्थिति मूल (मुद्रास्फीति) में जड़ता परंतु नरम पड़ती हेडलाइन मुद्रास्फीति के बीच वैश्विक संवृद्धि की त्वरा अवरुद्ध प्रतीत होती है - विशेष रूप से विनिर्माण और निवेश। हॉकिश नीतिगत रुख की प्रतिक्रिया में भावी ब्याज दरों को लेकर बाजार प्रत्याशाएँ बढ़ गई हैं; इक्विटी की कीमतें कम हो गई हैं; और बॉण्ड प्रतिफल बढ़ गए हैं। भारत में, चक्रवात के कारण वर्षा की कमी तेजी से दूर हो रही है। जून में कुछ क्रमिक नरमी के बावजूद विनिर्माण और सेवा गतिविधियों में विस्तार जारी है। वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही में समग्र भुगतान संतुलन में सुधार हुआ; यह दर्शाता है कि वित्त प्रवाह, तिमाही आधार पर फिर से चालू खाते से अधिक हो गया है। II. एहतियात संचार का महत्वपूर्ण हिस्सा है माइकल देबब्रत पात्र, इंद्रनील भट्टाचार्य और जॉइस जॉन, द्वारा यह आलेख एक दिवसीय सूचकांकित स्वैप दरों का उपयोग कर, एक ऑटो रिग्रेसिव कंडिशनल हेटेरोसेडैस्टिक (एआरसीएच) मॉडल के माध्यम से, विशेष रूप से दर-सख्ती अवधि में, भावी संकेत के रूप में मौद्रिक नीति संचार की भूमिका की पड़ताल करता है। प्रमुख बिंदु:
III. भारत के लिए एक प्रोटोटाइप डायनेमिक स्टोचैस्टिक जनरल इक्विलिब्रियम मॉडल; शेषाद्रि बनर्जी, हरेंद्र बेहरा और माइकल देबब्रत पात्र द्वारा यह आलेख भारत के लिए एक प्रोटोटाइप डायनेमिक स्टोचैस्टिक जनरल इक्विलिब्रियम (डीएसजीई) मॉडल का अनुमान लगाता है, जो महामारी और यूक्रेन में युद्ध के आघात से पहले और उनके बाद अर्थव्यवस्था में संरचनात्मक परिवर्तनों और मौद्रिक नीति के प्रमुख मानदंडों में बदलाव का आकलन करता है। प्रमुख बिंदु:
IV. सार्वजनिक व्यय और आर्थिक संवृद्धि की गुणवत्ता: उप-राष्ट्रीय स्तर पर एक आनुभविक मूल्यांकन इप्सिता पाढ़ी, रंजीता मिश्रा, समीर रंजन बेहरा और देब प्रसाद रथ उत्पादक व्यय के हिस्से को बढ़ाकर सार्वजनिक व्यय की गुणवत्ता में निरंतर सुधार, संवृद्धि का समर्थन करने में अनुकूल भूमिका निभा सकता है। यह आलेख 2005-06 से 2019-20 की अवधि में 14 प्रमुख भारतीय राज्यों से जुड़े सरकारी व्यय की गुणवत्ता का एक समग्र सूचकांक प्राप्त करने के लिए डायनेमिक फैक्टर मॉडल का उपयोग करता है और एक सामान्य न्यूनतम वर्ग (ओएलएस) फ्रेमवर्क में सकल राज्य देशी उत्पाद (जीएसडीपी) वृद्धि के साथ इसके संबंधों की पड़ताल करता है। प्रमुख बिंदु:
V. भारत @ 100 हरेंद्र बेहरा, धन्या वी, कुणाल प्रियदर्शी और सपना गोयल द्वारा यह आलेख भारत को 2047-48 तक एक विकसित (उच्च आय वाला) देश बनने के लिए एक सांकेतिक रोडमैप प्रदान करता है। प्रमुख बिंदु:
VI. भारतीय रिज़र्व बैंक के इतिहास के परिप्रेक्ष्य आशुतोष यशवंत राराविकर द्वारा यह आलेख पांच खंडों में रिज़र्व बैंक के इतिहास के हाल ही में जारी 1997-2008 की अवधि को शामिल करने वाले पांचवें खंड के माध्यम से रिज़र्व बैंक के इतिहास का विहंगम दृश्य प्रस्तुत करता है। प्रमुख बिंदु:
इस बुलेटिन के आलेखों में व्यक्त विचार लेखकों के हैं और भारतीय रिज़र्व बैंक के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। (योगेश दयाल) प्रेस प्रकाशनी: 2023-2024/610 |
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