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भारतीय रिज़र्व बैंक ने स्थायी आय और करेंसी बाजारों के विकास के लिए उपायों की घोषणा की

25 अगस्त 2016

भारतीय रिज़र्व बैंक ने स्थायी आय और करेंसी बाजारों के विकास के लिए उपायों की घोषणा की

भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज स्थायी आय और करेंसी बाजारों के विकास के लिए उपायों का पैकेज घोषित किया। इन उपायों का उद्देश्य बाजार का अधिक विकास करना, सहभागिता बढ़ाना, अधिक बाजार चलनिधि की सुविधा देना तथा संप्रेषण में सुधार करना है।

कॉर्पोरेट बाजार को विकसित करने के लिए खान समिति की अधिकांश सिफारिशों को स्वीकार करते हुए, यह निर्णय लिया गया है कि बैंकों द्वारा प्रदान किए जाने वाले आंशिक क्रेडिट संवर्धन (पीसीई) की समग्र सीमा में वृद्धि की जाए, दलालों को कॉर्पोरेट बॉन्ड रेपो की अनुमति दी जाए, इस मंच को कॉर्पोरेट बॉन्डों में रेपो के लिए प्राधिकृत किया जाए और बाजार व्यवस्था के माध्यम से बड़े उधारकर्ताओं के लिए क्रेडिट आपूर्ति को बढ़ावा दिया जाए। यह भी निर्णय लिया गया है कि उचित विधिक संशोधनों के लिए प्रयास किया जाए जिससे कि रिज़र्व बैंक चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के अंतर्गत कॉर्पोरेट बॉन्डों को स्वीकार कर सके।

समुद्रपारीय रुपया बॉन्ड बाजार को अधिक बढ़ावा देने के लिए बैंकों को अपनी पुंजीगत अपेक्षाओं और इनफ्रास्ट्रक्चर तथा वहनीय आवास के वित्तपोषण के लिए रुपया बॉन्ड समुद्रापारीय (मसाला बॉन्ड) जारी करने की अनुमति दी जा रही है।

प्राथमिक व्यापारियों द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों में बाजार निर्माण योजना को भी सरकार के साथ परामर्श कर तैयार किया गया है जिससे अर्ध-चलनिधिपरक प्रतिभूतियों की चलनिधि बढ़ाने में सहायता मिल सकती है। सरकारी प्रतिभूतियों में रेपो बाजार की अवधि और काउंटरपार्टी प्रतिबंधों में ढ़ील देने से बाजार चलनिधि में भी सहायता मिलेगी।

विदेशी संविभाग निवेशकों (एफपीआई) को एनडीएस-ओएम की सीधी पहुंच प्रदान की जाएगी जिससे कि ऋण प्रतिभूतियों में निवेश की प्रक्रिया को आसान बनाया जा सके। सेबी के साथ इस बात पर भी सहमति बनी है कि कॉर्पोरेट बॉन्डों में एफपीआई को सीधे व्यापार करने के लिए सुविधा प्रदान की जाए।

विदेशी मुद्रा बाजार विनियमों में मौलिक परिवर्तन के रूप में निवासियों के लिए ओपन पाजिशन बनाए रखने के लिए अधिक छूट का प्रस्ताव किया जा रहा है। ओटीसी और मुद्रा ट्रेडेड बाजारों में हेजिंग के लिए अनुमेय सीमाओं को भी युक्तिसंगत बनाया जा रहा है। यह भी प्रस्ताव किया गया है कि भारतीय कंपनियों द्वारा समुद्रपारीय बाजारों में पण्य-वस्तु मूल्य जोखिम के ढांचे की व्यापक समीक्षा की जाए।

उपर्युक्त उपायों में अटकलों, प्रतिस्पर्धा और नवोन्मेष के साथ जुड़े जोखिमों को कम करते हुए बाजारों के मापित और सु-संकेतित उदारीकरण की धारणा को रेखांकित किया गया है।

अजीत प्रसाद
सहायक परामर्शदाता

प्रेस प्रकाशनी : 2016-2017/498


वित्तीय बाजारों के विकास के लिए उपाय

I. बाजार का विकास

(i) आंशिक ऋण संवर्धन - व्यक्तिगत ऋण के लिए उप-सीमा के साथ कुल सीमा 50% तक बढ़ाई जाएगी

भारत में कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार को आगे विकसित करने के उद्देश्‍य से, 24 सितंबर 2015 के दिशा निर्देशों के माध्यम से बैंकों को कॉरपोरेट बॉन्ड के लिए आंशिक ऋण संवर्धन (पीसीई) प्रदान करने की अनुमति दी गई । इस संबंध में बैंकों द्वारा प्राप्त अनुभव के आधार पर और कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार के लिए एक और प्रोत्साहन उपलब्ध कराने के लिए, यह निर्णय लिया गया कि किसी बांड को जारी करने के लिए वित्तीय प्रणाली द्वारा प्रदत्‍त कुल आंशिक ऋण संवर्धन (पीसीई) वर्तमान स्तर बांड निर्गम आकार के 20% से 50% तक बढ़ाया जाए बशर्तें किसी एक बैंक द्वारा प्रदान आंशिक ऋण संवर्धन (पीसीई) बांड निर्गम आकार के 20% और वर्तमान जोखिम सीमा से अधिक न हो। आवश्यक दिशानिर्देश शीघ्र ही जारी किए जाएंगे।

(ii) एटी 1 और टी 2 पूंजी के रूप में बैंकों द्वारा विदेशों में रुपया मूल्यवर्ग बांड (मसाला बांड) और प्रोत्साहन की रूपरेखा के तहत बुनियादी ढांचे और किफायती आवास के वित्तपोषण के लिए बैंकों द्वारा लंबी अवधि के बांड जारी किया जाना

सितंबर 2015 में विदेशों में रुपया मूल्यवर्ग बांड जारी करने के लिए एक रूपरेखा जिसे मसाला बांड भी कहा जाता है, स्‍थापित की गई ।विदेशों में रुपया मूल्यवर्ग बॉन्ड के लिए बाजार विकसित करने के लिए और बैंकों को अतिरिक्त टियर I और टीयर II पूंजी जुटाने के लिए एक अतिरिक्त अवसर प्रदान करने के लिए सरकार के परामर्श से प्रस्ताव किया गया कि बैंकों को अतिरिक्त टीयर 1 पूंजी के रूप में शामिल किए जाने की योग्यता के लिए पर्पेच्‍युअल ऋण लिखत (पीडीआई) और विदेशों में रुपया मूल्यवर्ग बांड के माध्यम से टीयर 2 पूंजी के रूप में शामिल किए जाने हेतु ऋण पूंजी साधन जारी करने की अनुमति दी जाए। यह भी प्रस्ताव किया गया कि बुनियादी ढांचे और किफायती आवास के वित्तपोषण के लिए बैंकों द्वारा लंबी अवधि के बांड जारी करने को प्रोत्साहन के मौजूदा ढांचे के तहत विदेशों में रुपया मूल्यवर्ग बांड जारी करने की अनुमति दी जाए।

(iii) ओटीसी और एक्‍सचेंज ट्रेडेड करेंसी डेरिवेटिव कारोबार में हेजिंग के लिए विदेशी मुद्रा बाजार तक पहुंच में सहजता

क. इन वर्षों में, रिजर्व बैंक ने अपने लेनदेन और हेजिंग की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विदेशी मुद्रा बाजार में दोनों निवासियों और गैर निवासियों को भागीदारी की सुविधा दी है। सहभागिता को अधिक आसान बनाने और विनियमों को संरेखित करने के लिए रिज़र्व बैंक अब संस्थाओं,चाहे निवासी हों या अनिवासी हों , को सरलीकृत प्रक्रियाओं के साथ बचाव लेनदेन करने के लिए एक समय में, 30 मिलियन अमरीकी डॉलर की एक सीमा तक विनिमय दर जोखिम उठाने की अनुमति देगा। जोखिम उठाने वाला व्यक्ति किसी भी बाजार (ओटीसी या विनिमय) और अपने विवेक पर अनुज्ञेय उत्पादों में से किसी का उपयोग करने के लिए स्वतंत्र होगा। प्राधिकृत व्यापारी बैंक जोखिम उठाने वाले व्यक्तियों द्वारा समय-समय पर रिपोर्टिंग के आधार पर इस सीमा के पालन की निगरानी करेंगे।

ख. जोखिम उठाने वाले व्यक्तियों के लिए ऊपर उल्लिखित सीमाओं के अलावा, प्राधिकृत व्यापारी बैंक, ग्राहक की जोखिम प्रबंधन क्षमताओं के अपने आकलन के आधार पर 5 मिलियन अमरीकी डालर की एक खुली सीमा की अनुमति दे सकते है । इस उपाय का उद्देश्‍य विदेशी मुद्रा बाजार की तरलता और वृद्धि में सुधार करने का है, और अनुभव के आधार पर समय-समय पर सीमा को संशोधित किया जाएगा।

(क) और (ख) के लिए विस्तृत प्रक्रियाओं का निर्घारण हितधारकों के साथ और नवंबर 2016 तक जारी दिशा-निर्देशों पर व्यापक विचार विमर्श बाद किया जाएगा।

(iv) विदेशी बाजारों में निवासियों द्वारा वस्तुओं के मूल्य जोखिम से बचाव के लिए दिशानिर्देशों की समीक्षा करने के लिए कार्य दल

वस्तुओं के मूल्य जोखिम के लिए भारतीय कंपनियों का एक्सपोजर दुनिया के बाकी हिस्सों और बढ़ते सीमा पार व्यापार की मात्रा के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था के बढ़ते एकीकरण से बढ़ गया है। घरेलू वस्तु व्युत्पन्न बाजार के विकास के चरण के दौरान भारतीय कंपनियों की वस्तुओं के मूल्य जोखिम प्रबंधन को संबोधित करने के उद्देश्य से विदेशी बाजारों में वस्तुओं के मूल्य जोखिम से बचाव के लिए मौजूदा ढांचे की समीक्षा करने का प्रस्ताव है। यह भी प्रस्ताव है कि समीक्षा आरबीआई और सेबी के सदस्यों और कुछ बाहरी विशेषज्ञों से बने दल द्वारा की जाए।

(v) बड़े जोखिम की और बाजार तंत्र के माध्यम से बड़े उधारकर्ताओं के लिए ऋण की आपूर्ति बढ़ाने के लिए रूपरेखा

क. बड़े जोखिम की रूपरेखा - बड़े निवेश जोखिम को मापने और नियंत्रित करने के लिए बीसीबीएस 'मानकों' के साथ भारतीय बैंकों के लिए एक्‍सपोज़र मानदंडों को संरेखित करने के उद्देश्‍य से रिजर्व बैंक ने मार्च 2015 में बड़े जोखिम की रूपरेखा पर और बाजार तंत्र के माध्यम से बढ़ाने क्रेडिट की आपूर्ति पर एक चर्चा पत्र हितधारकों से टिप्पणी के लिए जारी किया था। बड़े निवेश जोखिम की रूपरेखा से संबंधित प्रस्तावों पर प्राप्त टिप्पणियों और प्रतिक्रियाओं की जांच की गई और बड़े निवेश जोखिम (एलए) फ्रेमवर्क पर मसौदा दिशानिर्देश आज जारी किए जाएंगे। एलए ढांचे को पूर्ण रूप से 31 मार्च 2019 तक लागू किया जाएगा।

ख. बाजार तंत्र के माध्यम से बड़े उधारकर्ताओं के लिए ऋण की आपूर्ति बढ़ाना - बैंकिंग प्रणाली से एक निगम इकाई द्वारा कुल उधार पर एक व्यापक सीमा की अनुपस्थिति के परिणामस्‍वरूप बैंकों द्वारा सामूहिक रूप से भारत में बड़ी कंपनियों में से कुछ के लिए बहुत ही उच्च जोखिम निर्माण हुई है। परिणामस्वरूप प्रणालीगत चिंताओं को संबोधित करने के लिए बाजार तंत्र के माध्यम से ऋण की आपूर्ति बढ़ाने के लिए प्रस्तावों पर एक चर्चा पत्र भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा मई 2016 में प्रकाशित किया गया था। हितधारकों से प्राप्त टिप्पणियाँ और प्रतिक्रिया के आधार पर “बाजार तंत्र के माध्यम से ऋण की आपूर्ति को बढ़ावा देने के लिए रूपरेखा” पर आवश्यक दिशा-निर्देश आज जारी किए जाएंगे।

II. भागीदारी बढ़ाना

(vi) कॉरपोरेट बॉन्ड रेपो में दलालों को अनुमति

वर्तमान में, कॉरपोरेट बॉन्ड रेपो में सहभागिता विनियमित संस्थाओं जैसे बैंक, प्राथमिक डीलर (पीडी), म्यूचुअल फंड, बीमा कंपनियां आदि तक सीमित है। कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार में गतिविधि को प्रोत्साहित करने के लिए बाजार निर्माताओं के रूप में अधिकृत दलालों को कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार में भाग लेने की अनुमति दी जाएगी । इस उपाय से उनके धन और प्रतिभूतियों की आवश्यकताओं की पूर्ति रेपो बाजार में चल रही गतिविधियों से हो जाने की उम्मीद है। इस संबंध में आवश्‍यक परिपत्र आज जारी किया जाएगा।

(vii) एनडीएस-ओएम मंच पर कारोबार करने के लिए एफपीआई को अनुमति देना

जैसाकि वर्ष 2016-17 के पहले द्विमासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य में घोषणा की गई थी, एफपीआई के लिए प्राथमिक सदस्यों के माध्यम से एनडीएस-ओएम पर कारोबार करने के लिए आवश्यक तौर-तरीकों को अंतिम रूप दिया जा चुका है। इस संबंध में दिशानिर्देश जल्दी ही जारी किए जाएंगे।

(viii) एफपीआई को कॉर्पोरेट बॉन्डों में सीधे कारोबार करने की अनुमति देना

ओटीसी खंड और मान्यता प्राप्त शेयर बाजार के इलेक्ट्रॉनिक मंच में एफपीआई द्वारा कॉर्पोरेट बॉन्डों में सीधे कारोबार करने की सुविधा देने के लिए सेबी के परामर्श से यह निर्णय लिया गया है कि दलालों को शामिल किए बिना एफपीआई को कॉर्पोरेट बॉन्डों में लेनदेन करने की अनुमति दी जाए। फेमा विनियमों में आवश्यक बदलाव जल्दी ही किए जाएंगे।

(ix) सरकारी प्रतिभूतियों में अधिक खुदरा सहभागिता को बढ़ावा देना

जैसेकि वर्ष 2015-16 के पहले द्विमासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य में घोषणा की गई थी, निक्षेपागारों में डीमेट खाता रखने वाले अलग-अलग निवेशकों को 16 अगस्त 2016 एनडीएस-ओएम पर सीधे कारोबार करने की अनुमति दी गई है। अगले कदम के रूप में, भारतीय रिज़र्व बैंक निक्षेपागारों और रिज़र्व बैंक के बीच सरकारी प्रतिभूतियों के निर्बाध हस्तांतरण पर शेष प्रतिबंधों को हटाएगा। इससे प्राथमिक और द्वितीय बाजारों में छोटे निवेशकों की सहभागिता से बाजार में खुदरा सहभागिता में बढ़ावा मिलेगा।

III. बाजार में अधिक चलनिधि की सुविधा

(x) सरकारी प्रतिभूतियों में बाजार का निर्माण

सरकारी प्रतिभूति बाजार में चलनिधि बढ़ाने के लक्ष्य से भारत सरकार के परामर्श से प्राथमिक व्यापारियों द्वारा बाजार निर्माण योजना बनाई गई है। शुरुआत में, प्राथमिक व्यापारी फर्म को एनडीएस-ओएम और विनिर्दिष्ट अर्ध-चलनिधिपरक प्रतिभूतियों में ओटीसी मंचों पर दो तरफी उद्धरण दर उपलब्ध कराएंगे। चिह्नित प्रतिभूतियों में इन्वेंटरी को बनाए रखने हेतु प्राथमिक व्यापारियों को समर्थ बनाने के लिए पुनर्निर्गमों और अदला-बदली (स्विच) के मिश्रण की योजना बनाई गई है। यह योजना सितंबर 2016 के अंत तक शुरू किए जाने का प्रस्ताव है।

(xi) भारतीय रिज़र्व बैंक की चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के अंतर्गत कॉर्पोरेट बॉन्डों को स्वीकार करना

कॉर्पोरेट बॉन्ड बाजार के विकास को बढ़ावा देने के लिए, उभरती अंतरराष्ट्रीय पद्धति का अनुसरण करते हुए रिज़र्व बैंक चलनिधि परिचालनों के लिए पात्र संपार्श्विक के रूप में कॉर्पोरेट बॉन्डों पर सक्रियता से विचार कर रहा है। भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम में आवश्यक संशोधन करने के लिए प्रक्रिया शुरू हो गई है।

(xii) सरकारी प्रतिभूतियों (जी-सेक) में बाजार रेपो में सूचीबद्ध कंपनियों द्वारा उधार के 7 दिवसीय प्रतिबंध को हटाया जाना

वर्तमान में सूचीबद्ध कंपनियां सरकारी प्रतिभूतियों में रेपो के माध्यम से बैंकों और प्राथमिक व्यापारियों को न्यूनतम 7 दिन की अवधि के लिए उधार दे सकती हैं जिससे बैंकों और पीडी की सहभागिता कम हो जाती है। यह प्रस्ताव किया गया है कि इन कंपनियों को रेपो बाजार के माध्यम से बिना किसी अवधि या काउंटरपार्टी प्रतिबंधों के उधार देने की अनुमति दी जाए। सरकारी प्रतिभूतियों में बाजार रेपो पर विनियमों की व्यापक समीक्षा के आधार पर दिशानिर्देश आज जारी किए जा रहे हैं।

(xiii) कॉर्पोरेट बॉन्डों में रेपो के लिए इलेक्ट्रॉनिक निपटान मंच की शुरुआत

29 सितंबर 2015 को वर्ष 2015-16 के लिए चौथे द्विमासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य में घोषणा की गई थी कि रेपो बाजार को और विकसित करने के लिए कॉर्पोरेट बॉन्डों में रेपो के लिए इलेक्ट्रॉनिक निपटान मंचों की शुरुआत करने हेतु भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के परामर्श से एक व्यापक ढांचा तैयार किया जाएगा। सेबी की कॉर्पोरेट बॉन्ड और प्रतिभूतिकरण परामर्शी समिति (सीओबीओएसएसी) ने ऐसे मंचों की शुरुआत करने के लिए तौर-तरीके बनाने के लिए एक उप-समूह का गठन किया था जिसमें सभी स्टेकधारकों का प्रतिनिधित्व था। उप समूह ने हाल में अपनी सिफारिश प्रस्तुत की हैं। भारतीय रिज़र्व बैंक सभी स्टकेधारकों से परामर्श करके अक्टूबर 2016 के अंत तक आवश्यक दिशानिर्देश जारी करेगा।

IV. संप्रेषण में सुधार

(xiv) नीलामी परिणामों का प्रसार और निर्धारित समय पर आबंटन

भारत सरकार और राज्य सरकारों के बाजार उधार कार्यक्रम के भाग के रूप में भारतीय रिज़र्व बैंक दिनांकित प्रतिभूतियों, खजाना बिलों और विकास ऋणों की प्राथमिक बाजार नीलामी आयोजित करता है। इसके बाद नीलामी के परिणामों को सार्वजनिक डोमेन में रखा जाता है। नीलामी के परिणामों की घोषणा के समय में अधिक पूर्वानुमेयता प्रदान करने के लिए यह निर्णय लिया गया है कि नीलामी परिणामों को भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित समय पर प्रकाशित किया जाएगा। प्रारंभ में इन्हें भारत सरकार की दिनांकित प्रतिभूतियों और खजाना बिलों के खंड हेतु शुरू किया जाएगा। इसके लिए परिपत्र जारी किया जा रहा है।

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