प्रोफेसर रोबर्टो रिगोबॉन, एमआईटी स्लॉन स्कूल ऑफ मैनेजमेंट, कैम्ब्रिज मैसाचुसेट्स, यूएसए ने दूसरा सुरेश तेंदुलकर स्मारक वक्तव्य दिया जिसका शीर्षक था – “बिग डेटा और मापनः मुद्रास्फीति से विभेदन तक”
2 अगस्त 2018 प्रोफेसर रोबर्टो रिगोबॉन, एमआईटी स्लॉन स्कूल ऑफ मैनेजमेंट, भारतीय रिज़र्व बैंक ने मुंबई में 2 अगस्त 2018 को दूसरा सुरेश तेंदुलकर स्मारक वक्तव्य आयोजित किया। यह वक्तव्य एमआईटी स्लॉन स्कूल ऑफ मैनेजमेंट, कैम्ब्रिज, मैसाचुसेट्स, यूएसए के प्रोफेसर रोबर्टो रिगोबॉन द्वारा दिया गया। गवर्नर डॉ. उर्जित आर. पटेल ने अतिथियों का स्वागत किया और इस वक्तव्य श्रृंखला के महत्व पर प्रकाश डाला जिसकी शुरुआत 2013 में प्रोफेसर सुरेश तेंदुलकर के सम्मान में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा की गई थी जिससे कि अर्थशास्त्र व्यवसाय में उनके योगदान तथा रिज़र्व बैंक के साथ उनके संबंध को पहचाना जा सके। प्रोफेसर सुरेश तेंदुलकर को भारत के सबसे प्रसिद्ध अर्थशास्त्रियों में माना जाता है। देश में जीवनयापन मानकों के मापन और विश्लेषण पर उनका प्रभावशाली कार्य सार्वजनिक नीति निर्माण में उनकी स्थायी धरोहर रहेगा। पेशेवर अर्थशास्त्री के रूप में उनके जीवन की महत्वपूर्ण विशेषता गरीबी के प्रति गहरी संवेदनशीलता और इसको समझने के लिए आंकड़ों पर आधारित अनुसंधान के प्रति वचनबद्धता थी। उन्होंने राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षणों के डिज़ाइन और आयोजन पर बहुत से कार्यसमूहों के सदस्य के रूप में सेवा दी थी। वे राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण संगठन की नियंत्रक परिषद के अध्यक्ष, राष्ट्रीय लेखा सलाहकार समिति के अध्यक्ष और राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के अध्यक्ष रहे। वे वर्ष 2004 में प्रधान मंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य भी बने और 2008 में उन्हें परिषद के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया। प्रोफेसर तेंदुलकर केंद्रीय बोर्ड के निदेशक और 2006 से 21 जून 2011 को उनकी मृत्यु के समय तक रिज़र्व बैंक के पूर्वी क्षेत्र के स्थानीय बोर्ड के अध्यक्ष रहे। अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त अर्थशास्त्री प्रो. रिगोबॉन, एमआईटी में स्लॉन स्कूल ऑफ मैनेजमेंट में अनुप्रयोग अर्थशास्त्र के सोसाइटी ऑफ स्लॉन फेलो प्रोफेसर हैं, राष्ट्रीय आर्थिक अनुसंधान ब्यूरो (एनबीईआर) के अनुसंधान सहयोगी और जनगणना ब्यूरो की वैज्ञानिक सलाहकार समिति के सदस्य हैं। उन्होंने 1997 में एमआईटी से अर्थशास्त्र में पीएचडी प्राप्त की है। वे बिलियन प्राइसेज प्रोजेक्ट (बीपीपी) के दो संस्थापक सदस्यों में एक हैं और प्राइसस्टैट्स के सह-संस्थापक हैं। बीपीपी जिसे एमआईटी में सबसे अधिक महत्वाकांक्षी आंकड़ा संग्रहण माना जाता है, एमआईटी स्लॉन और हार्वर्ड बिजनस स्कूल की पहल है। यह समष्टि और अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं में अनुसंधान करने तथा तत्काल मुद्रास्फीति मेट्रिक्स के परिकलन के लिए दैनिक आधार पर विश्वभर में सैंकड़ों ऑन लाइन खुदरा व्यापारियों से एकत्र किए गए मूल्यों का उपयोग करती है। इस अनुभव को चित्रित करते हुए, प्रोफेसर रिगोबॉन ने बिग डेटा एनैलिटिक्स में उल्लेखनीय योगदान दिया है और नीतिनिर्माताओं के लिए नए विश्लेषणात्मक टूल्स विकसित किए हैं। “बिग डेटा और मापनः मुद्रास्फीति से विभेदन तक” शीर्षक पर प्रोफेसर रिगोबॉन का वक्तव्य /en/web/rbi पर उपलब्ध है। अजीत प्रसाद प्रेस प्रकाशनी : 2018-2019/301 |
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