गैर-सरकारी गैर-वित्तीय सार्वजनिक लिमिटेड कंपनियों के कार्यनिष्पादन में वर्ष 2012-13 के दौरान गिरावट – आंकड़े जारी
15 मई 2014 गैर-सरकारी गैर-वित्तीय सार्वजनिक लिमिटेड कंपनियों के कार्यनिष्पादन में वर्ष 2012-13 के दौरान गिरावट – आंकड़े जारी भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर गैर-सरकारी गैर-वित्तीय (एनजीएनएफ) सार्वजनिक लिमिटेड कंपनियों के वित्त वर्ष 2012-13 संबंधी आंकड़े जारी किए। इन आंकड़ों को चयनित 3,014 एनजीएनएफ सार्वजनिक लिमिटेड कंपनियों के लेखापरीक्षित वार्षिक आंकड़ों के आधार पर संकलित किया गया है। यह वर्ष 2010-11 से 2012-13 के तीन वर्षों की अवधि की तुलनात्मक तस्वीर प्रस्तुत करता है। आंकड़ो पर ‘व्याख्यात्मक टिप्पणियां’ अनुलग्नक में दी गई हैं। मुख्य निष्कर्ष:
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वर्ष 2012-13 के दौरान बिक्री वृद्धि में कमी आई। परिचालनात्मक व्यय में भी वृद्धि में कमी आई जिसके परिणामस्वरूप ब्याज, कर, अवमूल्यन और परिशोधन पूर्व अर्जन (ईबीआईटीडीए) में हल्की वृद्धि हुई। तथापि, चयनित कंपनियों के निवल लाभ अर्थात कर के बाद के लाभ और सकल बचत में वर्ष 2012-13 में और कमी आई (विवरण 1)।
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लाभ मार्जिन में वर्ष 2012-13 के दौरान और कमी आई (विवरण)। कुल व्यय के प्रतिशत के रूप में ब्याज भुगतान और स्टाफ लागत में वर्ष 2011-12 की तुलना में थोड़ी से वृद्धि हुई जबकि कच्चे माल की लागत के अनुपात में थोड़ी कमी आई।
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₹1 बिलियन तक के सभी आकार समूहों में बिक्री में कमी आई और यह कमी छोटी कंपनियों में अधिक रही (विवरण 7)। केवल₹1 बिलियन से₹5 बिलियन और ₹10 बिलियन तथा इससे अधिक के बिक्री आकार समूहों की कंपनियां वर्ष 2012-13 के दौरान सकारात्मक लाभ मार्जिन हासिल कर सकी (विवरण 8)। यद्यपि ब्याज खर्च सभी बिक्री आकार समूहों में पिछले वर्ष की तुलना में कम दर से बढ़ा, कुल व्यय में ब्याज खर्च की हिस्सेदारी में वृद्धि हुई। जिन कंपनियों की बिक्री₹1 बिलियन से कम है, वे ब्याज खर्च को कवर करने के लिए पर्याप्त लाभ सृजित नहीं कर सकी।
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सेवा क्षेत्र की फर्मों का वर्ष 2012-13 में बिक्री और ईबीआईटीडीए की वृद्धि के मामले में तुलनात्मक रूप से बेहतर कार्यनिष्पादन रहा (विवरण 11)। सेवा क्षेत्र की फर्में पिछले वर्ष के जितना लाभ मार्जिन कायम रख सकी (विवरण 12)। ‘परिवहन और भंडारण’ तथा ‘कंप्यूटर और संबंधित कार्यकलाप’ जैसी सेवाओं ने तुलनात्मक रूप से बेहतर कार्यनिष्पादन किया जबकि ‘थोक और खुदरा व्यापार’ पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ा।
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विनिर्माण उद्योगों में मंद कार्यनिष्पादन देखा गया है (विवरण 11 और 12)। तथापि वर्ष 2012-13 में ‘खाद्य उत्पाद और पेय पदार्थ’, ‘वस्त्र’, ‘रसायन और रसायन उत्पाद’ जैसे उद्योगों में उच्च वृद्धि दर्ज की गई और लाभ मार्जिन में सुधार हुआ।
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जबकि वर्ष 2012-13 में कारोबार में धीमी दर से विस्तार हुआ, कुल उधार में वर्ष 2011-12 की दर से वृद्धि हुई (विवरण 1)। वर्ष 2012-13 में ‘निर्मित धातु उत्पादों’ और ‘लौह तथा इस्पात’ उद्योगों के कुल उधार में उच्चतर दर से वृद्धि हुई (विवरण 11)।
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दोनों इक्विटी और इक्विटी के अनुपात में ऋण (दीर्घावधि उधार) उधारों द्वारा मापित लिवरेज़ ने वर्ष 2012-13 में ब्याज कवरेज़ अनुपात (विवरण 2) में धीमी कमी के साथ वर्ष 2010-11 से 2012-13 के दौरान वृद्धिशील प्रवृत्ति दर्शाई (विवरण 2)। वर्ष 2012-13 के दौरान ‘परिवहन और भंडारण’ उद्योग को अधिक लिवरेज़ मिला जबकि ‘वस्त्र’ उद्योग उच्च लिवरेज़ उद्योग बना रहा (विवरण 12)। ‘चमड़े उत्पादों’ और ‘लौह और इस्पात’ उद्योगों में ब्याज कवरेज़ अनुपात में इस अवधि के दौरान काफी गिरावट आई।
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वर्ष 2012-13 के दौरान प्राप्त कुल निधियों में कमी आई (विवरण 5)। दीर्घावधि उधार के माध्यम से एकत्र की गई निधियों की हिस्सेदारी में वर्ष 2012-13 में वृद्धि हुई, जबकि लघु अवधि की निधियों में गिरावट हुई। स्थायी आस्ति निर्माण में प्रयुक्त निधियों की हिस्सेदारी में वर्ष 2012-13 में वृद्धि हुई और इसमें सबसे अधिक योगदान पूंजीगत चालू कार्य के लिए रहा।
गैर-सरकारी गैर-वित्तीय सार्वजनिक लिमिटेड कंपनियों के कार्यनिष्पादन का समग्र स्तर और बिक्री आकार के आधार पर विश्लेषण करने वाला आलेख भारतीय रिज़र्व बैंक बुलेटिन के जून 2014 अंक में प्रकाशित किया जा रहा है। संगीता दास निदेशक प्रेस प्रकाशनी : 2013-2014/2209 |