RbiSearchHeader

Press escape key to go back

पिछली खोज

पृष्ठ
भारतीय रिज़र्व बैंक की आधिकारिक वेबसाइट

Press Releases Marquee

आरबीआई की घोषणाएं
आरबीआई की घोषणाएं

RbiAnnouncementWeb

RBI Announcements
RBI Announcements

असेट प्रकाशक

80016177

भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर ने कहा कि बॉन्ड बाजारों को सुदृढ़ करते समय उदार रहें

26 अगस्त 2016

भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर ने कहा कि बॉन्ड बाजारों को सुदृढ़ करते समय उदार रहें

“हमारा लक्ष्य स्थिरता से किंतु एक विचारपूर्ण तरीके से उदारीकरण करना है, लगातार पूछा कि किस प्रकार और अधिक उदारीकरण से हमारे घरेलू बाजार सुदृढ़ होंगे।” आज एफईडीएआई में वार्षिक दिवस पर व्याख्यान देते हुए डॉ. रघुराम जी. राजन, गवर्नर, भारतीय रिज़र्व बैंक ने 25 अगस्त 2016 को केंद्रीय बैंक द्वारा घोषित उपायों के तर्क के बारे में बताया।

गवर्नर ने कहा कि इन उपायों का लक्ष्य शुरू में सावधानी के साथ संतुलन बनाते हुए स्थायी आय बाजार में चलनिधि बढ़ाने के लिए अधिक सहभागिता की अनुमति प्रदान करना था। इसलिए एफपीआई जैसे खुदरा निवेशकों को संस्था-नियंत्रित स्क्रिन आधारित एनडीएस-ओएम बाजार में पहुंच प्रदान करना था जिससे कि वे अपने डीमैट खातों का उपयोग करते हुए सरकारी प्रतिभूतियों में कारोबार कर सकें, हालांकि “केंद्रीय बैंक उन बाजारों में खुदरा पहुंच को व्यापक बनाते समय सावधान रहेगा जिनमें विवेकपूर्ण समझ की आवश्यकता है, इन बाजारों में जटिल डेरिवेटिव्स जैसे बाजार शामिल हैं।” गवर्नर ने कहा कि सभी बाजार सहभागियों को उदार मुक्त पॉजिशन के लिए दी गई अनुमति से सुनिश्चित होगा कि “एकल व्यापारियों द्वारा अटकलों या जोड़-तोड़ के प्रयास नहीं किए जा सकेंगे।” उन्होंने यह भी कहा कि इससे बैंकों और भारतीय रिज़र्व बैंक पर बड़ी मांगे थोपे बिना बाजार संतुलन को भी ठीक किया जा सकता है, विदेशी मुद्रा बाजार चलनिधि और इसकी गहराई में भी सुधार हो सकता है।

विनियामक की भूमिका पर बात करते हुए, गवर्नर ने कहा कि वित्तीय नवोन्मेष को कई बार करों और विनियमों टाल-मटोल करने या उनसे बचने के तरीके के रूप में देखा जाता है। तथापि, सही ढ़ंग से किए गए वित्तीय नवोन्मेष से जोखिम कम हो सकते हैं जिससे कि उन्हें सही कंधों पर रखा जा सके। गवर्नर ने कहा कि “इस बाजार की सफलता के लिए सबसे महत्वपूर्ण कार्य संबंधित लिखत के डिज़ाइन की अनुमति प्रदान करना रहा है जिसे बाजार सहभागियों द्वारा नियंत्रित किया जाता है और इसके साथ यह सुनिश्चित किया जाता है कि विनियामकीय मुद्दों को संतुष्ट कर लिया गया है।” उन्होंने यह भी कहा कि सभी नवोन्मेष लिखतें सफल नहीं रहीं और सुझाव दिया कि “आगे सभी लिखतों के लिए करों पर एक समान स्तर आवश्यक हो गया है जिससे कि लिखतों को इस कारण से पक्ष न मिले कि उनका बेहतर ढ़ंग से कर निपटान हुआ है।” वित्तीय नवोन्मेष को बढ़ावा देने के लिए विनियामक के लिए महत्वपूर्ण कार्य आवश्यक बुनियादी सुविधाएं भी सृजित करना है।

यह कहते हुए कि चालू खाता घाटे वाले देश के रूप में भारत विदेशों से वित्तपोषण की आवश्यकता है, आदर्श रूप से जोखिम पूंजी जिसकी इस देश में अल्प आपूर्ति है, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और इक्विटी निवेश को बढ़ावा देना आवश्यक है। विदेशी निवेशक ऋण और डेरिवेटिव बाजारों को गहन करने में भी सहायता कर सकते हैं जैसे वे मूल्य खोज और चलनिधि में योगदान करते हैं। फिर भी, भारत की कमजोर दिवालियापन प्रणाली के चलते, असुरक्षित विदेशी उधार में नैतिक खतरा है। इसलिए भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर ने उन कंपनियों को प्रोत्साहित किया कि जिनके पास दीर्घावधि डॉलर बॉन्ड, पूरी तरह से सुरक्षित अल्पकालिक बॉन्ड या विदेशों में रुपया मूल्यवर्गांकित मसाला बॉन्ड जारी करने के लिए विदेशी मुद्रा अर्जन नहीं है, गवर्नर ने बताया और आशा व्यक्त की कि आगे बाजार के पूरक के रूप में गतिशील घरेलू कॉर्पोरेट बॉन्ड बाजार होगा। यह अंतरराष्ट्रीय अर्ध-सॉवरेन रुपया प्रतिफल वक्र का निर्माण करने की दृष्टि से किया गया है ताकि रुपया निर्गमों का आसानी से मूल्यनिर्धारण किया जा सके और उन्होंने तर्क दिया कि कल भारतीय रिज़र्व बैंक ने मसाला बॉन्ड जारी करने केलिए बैंकों को अनुमति दी जिसमें बैंक बॉन्ड एक अच्छे अर्ध-सॉवरेन प्रोक्सी के रूप में होंगे।

प्राथमिक व्यापारियों को शामिल करते हुए विशिष्ट सरकारी लिखतों में बाजार निर्माण को प्रोत्साहित करने और बैंकों तथा अन्य वित्तीय संस्थाओं के साथ कॉर्पोरेट बॉन्डों की रेपो नीलामियां आयोजित करने में भारतीय रिज़र्व बैंक को समर्थ बनाने जैसे उपयों का लक्ष्य इन लिखों के लिए चलनिधि उपलब्ध कराना था। आशापूर्वक, ऐसी घटनाएं जहां उच्च रेटिंग वाला कॉर्पोरेट बॉन्ड बिना चेतावनी के चूक कर जाता है, बहुत ही कम हो गई हैं क्योंकि क्रेडिट सूचना ब्युरो और रेटिंग एजेंसियों जैसी संस्थाओं द्वारा सावधानी बरतने के बाद सूचना साझा की जाती है।

गवर्नर ने कहा कि निगमों के मुद्रा और बॉन्ड बाजारों में जाने से भारतीय रिज़र्व बैंक कॉर्पोरेट उधार जहां एक्सपोज काफी अधिक हो गए, वहां बैंकों के लिए अधिक प्रावधानीकरण और पूंजी अपेक्षा लागू करके उन्हें सहारा भी देगा। इसके अतिरिक्त, भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंकों को इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं द्वारा जारी बॉन्डों में क्रेडिट संवर्धन प्रदान करने की अनुमति दी है जिन परियोजनाओं के लिए वित्तपोषण हेतु काफी राशि की जरूरत है किंतु वे उच्च रेटिंग वाली कंपनियां शुरू नहीं कर सकते हैं। इस संदर्भ में, गवर्नर ने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य सरकारों के लिए शून्य जोखिम रखने और उच्चतम रेटिंग रखने के दायित्व के लिए यह महत्वपूर्ण था कि किसी प्रकार की स्पष्ट और अंतर्निहित चूक न हो या ऐसे दायित्वों की पुनर्संरचना न हो। यह बताते हुए कि विनियामक को विवेकपूर्ण विनियमों में केवल इसलिए ढ़ील न देने के लिए सावधान रहने की जरूरत है कि संस्था या गतिविधि राष्ट्रीय महत्व की है, गवर्नर ने कहा कि सरकार के लिए बेहतर है कि वह राष्ट्रीय महत्व की गतिविधियों जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर को सीधे सब्सिडी दे यदि सरकार आरबीआई के लिए प्रणालीबद्ध स्थिरता का त्याग करने की अपेक्षा इन्हें महत्वपूर्ण समझती है।

अजीत प्रसाद
सहायक परामर्शदाता

प्रेस प्रकाशनी: 2016-2017/517

RbiTtsCommonUtility

प्ले हो रहा है
सुनें

संबंधित एसेट

आरबीआई-इंस्टॉल-आरबीआई-सामग्री-वैश्विक

RbiSocialMediaUtility

आरबीआई मोबाइल एप्लीकेशन इंस्टॉल करें और लेटेस्ट न्यूज़ का तुरंत एक्सेस पाएं!

Scan Your QR code to Install our app

RbiWasItHelpfulUtility

पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया:

क्या यह पेज उपयोगी था?