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2006-07 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर 2006) के दौरान भारत की

29 दिसंबर 2006

2006-07 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर 2006) के दौरान भारत की
भुगतान संतुलन संबंधी गतिविधियां और 2005-06 तथा 2006-07 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून 2006) में संशोधन

वित्तीय वर्ष 2006-07 की दूसरी तिमाही अर्थात जुलाई-सितंबर 2006 के भारत के भुगतान संतुलन के प्रारंभिक आंकड़े अब उपलब्ध हैं। ये प्रारंभिक आंकड़े, पहली तिमाही (क्यू 1) अर्थात अप्रैल-जून 2006 के आंशिक रूप से संशोधित आंकड़ें के साथ चालू वित्तीय वर्ष की पहली छमाही अर्थात अप्रैल-सितंबर 2006 के भुगतान संतुलन का मूल्यांकन प्रस्तुत करते हैं। भुगतान संतुलन के संपूर्ण आंकड़े विवरण 1 के मानक फार्मेट में दिए गए हैं।

जुलाई-सितंबर 2006

2006-07 की दूसरी तिमाही के भुगतान संतुलन की प्रमुख मदें सारणी 1 में दी गई हैं।

सारणी 1 : भारत का भुगतान संतुलन - जुलाई-सितंबर 2006

(मिलियन अमरीकी डालर)

 

अप्रैल-जून

जुलाई-सितंबर

जुलाई-सितंबर

 

2006आं.सं.

2006प्रा.

2005आं.सं.

1

2

3

4

निर्यात

29,674

30,876

25,257

आयात

46,882

48,809

38,417

व्यापार संतुलन

-17,208

-17,933

-13,160

अदृश्य मदें, निवल

12,453

11,005

9,582

चालू खाता शेष

-4,755

-6,928

-3,578

पूंजी खाता*

11,133

9,196

8,834

आरक्षित निधियों में परिवर्तन#
(- चिन्ह वृद्धि दर्शाता है)

-6,378

-2,268

-5,256

*: भूल चूक सहित #: मूल्यन परिवर्तन को छोड़कर, भुगतान संतुलन के आधार पर

प्रा: प्रारंभिक  आं.सं.: आंशिक रूप से संशोधित

पण्य व्यापार

  • भुगतान संतुलन के आधार पर, भारत के पण्य निर्यात में 2006-07 की दूसरी तिमाही में 22.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि में 33.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।
  • आयात भुगतान में 2006-07 की दूसरी तिमाही में 27.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि 2005-06 की दूसरी तिमाही में 34.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।
  • वाणिज्यिक आसूचना और अंक संकलन निदेशालय (डीजीसीआई एण्ड एस) के अनुसार निर्यात वृद्धि में गिरावट मुख्य रूप से विनिर्मित वस्तुओं के निर्यात में कमी के कारण थी।
  • वाणिज्यिक आसूचना और अंक संकलन निदेशालय (डीजीसीआई एण्ड एस) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, जबकि तेल आयात में 2006-07 की दूसरी तिमाही में 31.0 प्रतिशत (2005-06 की दूसरी तिमाही में 56.1 प्रतिशत) की वृद्धि हुई, वहीं तेल से इतर आयात में मुख्य रूप से निर्यात संबंधित मदों और स्वर्ण तथा चांदी के आयात में कमी के कारण 13.9 प्रतिशत (2005-06 की दूसरी तिमाही में 43.1 प्रतिशत) की थोड़ी वृद्धि हुई। इनके अलावा, प्रबल आधार प्रभाव भी इस गिरावट का कारण रहा।
  • तेल निर्यात में अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल के भारतीय समूह (दुबई और ब्रेंट किस्में) के मूल्य की अधिकता का प्रभाव परिलक्षित हुआ, जो पिछले वर्ष की तदनुरूपी तिमाही के प्रति बैरल 49.3 अमरीकी डॉलर से बढ़कर 2006-07 की दूसरी तिमाही में प्रति बैरल 66.8 अमरीकी डॉलर हो गया।

व्यापार घाटा

  • भुगतान संतुलन आधार पर, तेल आयात की प्रबल मांग के कारण व्यापार घाटे में 2006-07 की दूसरी तिमाही में 17.9 बिलियन अमरीकी डालर (2005-06 की दूसरी तिमाही में 13.2 बिलियन अमरीकी डालर) की निरंतर वृद्धि हुई।

अदृश्य मदें

  • कारोबार और व्यावसायिक सेवाओं तथा विप्रेषण में वृद्धि की गति बनाए रखते हुए अदृश्य मदों की प्राप्तियों में 2006-07 की दूसरी तिमाही में सुदृढ़ वृद्धि (32.8 प्रतिशत) हुई।
  • भारत से बर्हिगामी पर्यटन यातायात की अविरल गति, परिवहन के लिए बढ़ते भुगतान और कारोबार संबंधित सेवाओं के लिए प्रबल घरेलू मांग तथा निवेश आय भुगतानों की अधिकता में अदृश्य भुगतानों की निरंतर वृद्धि परिलक्षित हुई।

चालू खाता घाटा

  • अदृश्य मदों से 11.0 बिलियन के अधिशेष के समर्थन के बावजूद, चालू खाता घाटा मुख्य रूप से तेल आयातों के कारण व्यापक व्यापार घाटे के चलते 2006-07 की दूसरी तिमाही में 6.9 बिलियन अमरीकी डॉलर (2005-06 की दूसरी तिमाही में 3.6 बिलियन अमरीकी डॉलर) बढ़ा।

पूंजी खाता और विदेशी मुद्रा भंडार

  • निवल पूंजी अन्तर्वाहों के अंतर्गत, विदेशी प्रत्यक्ष निवेश, विदेशी संस्थागत निवेश और अनिवासी भारतीय जमाराशियों का प्रमुख योगदान था।
  • विदेशी मुद्रा भंडार (मूल्यन को छोड़कर) में 2006-07 की दूसरी तिमाही में 2.3 बिलियन अमरीकी डॉलर की वृद्धि 2005-06 की दूसरी तिमाही की 5.3 बिलियन अमरीकी डॉलर की तुलना में कम थी।

अप्रैल-सितंबर 2006

वित्तीय वर्ष 2006-07 की पहली छमाही के भुगतान संतुलन की स्थिति का आकलन 2006-07 की पहली तिमाही के आंशिक तौर पर संशोधित आंकड़ों और 2006-07 की दूसरी तिमाही के प्रारंभिक आंकड़ों को ध्यान में रखते हुए, किया गया है। जबकि विस्तृत आंकड़े प्रस्तुतीकरण के मानक फार्मेट की सारणी में दिए गए हैं, प्रमुख मदें सारणी 2 में दी गई हैं।

सारणी 2 : भारत का भुगतान संतुलन : अप्रैल-सितंबर 2006

(मिलियन अमरीकी डॉलर)

 

अप्रैल-सितंबर 2006

अप्रैल-सितंबर 2005

1

2

3

निर्यात

60,550

49,255

आयात

95,691

76,364

व्यापार संतुलन

-35,141

-27,109

अदृश्य मदें, निवल

23,458

19,949

चालू खाता शेष

-11,683

-7,160

पूंजी खाता*

20,329

13,663

आरक्षित निधियों में परिवर्तन#
(- चिन्ह वृद्धि दर्शाता है)

-8,646

-6,503

*: भूल चूक सहित #: मूल्यन को छोड़कर भुगतान संतुलन पर आधारित

पण्य व्यापार

  • भुगतान संतुलन के आधार पर पण्य निर्यातों में अप्रैल-सितंबर 2006 के दौरान 22.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई (पिछले वर्ष की तदनुरूप अवधि में 34.2 प्रतिशत)।
  • पण्य व्यापार ने पिछले वर्ष की तदनुरूप अवधि में हुई 48.2 प्रतिशत की वृद्धि की तुलना में अप्रैल-सितंबर 2006 में 25.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाई।
  • वाणिज्यिक आसूचना और अंक संकलन महानिदेशालय के अनुसार विनिर्मित सामानों यथा रसायन और उससे संबद्ध उत्पाद, वॉा और वॉानिर्मित उत्पाद, चमड़ा और उससे निर्मित वस्तुओं के निर्यात में मंदी के कारण निर्यात वृद्धि की गति धीमी हुई और हस्तनिर्मित वस्तुओं, रत्न एवं आभूषणों की कमी के कारण निर्यात वृद्धि में गिरावट आई।
  • वाणिज्यिक आसूचना और अंक संकलन महानिदेशालय के अनुसार तेल आयातों में अप्रैल-सितंबर 2006 में 36.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई (अप्रैल-सितंबर 2005 में 43.7 प्रतिशत), जबकि तेल से इतर वस्तुओं के आयात में 11.5 प्रतिशत की मामूली वृद्धि दर्ज की गई (अप्रैल-सितंबर 2005 में 47.9 प्रतिशत)।
  • कच्चे तेल के आयातों में हुई वृद्धि, तेल के अंतरराष्ट्रीय मूल्यों और मात्रा में हुई वृद्धि को भी दर्शाती है। अप्रैल-सितंबर 2006 के दौरान कच्चे तेल के औसत मूल्यों में वर्ष-दर-वर्ष आधार पर 25 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि मात्रात्मक रूप में यह वृद्धि 11 प्रतिशत थी।
  • कच्चे तेल के अंतरराष्ट्रीय भारतीय बास्केट (दुबई और ब्रेंट किस्मों का मिश्रण) का औसत मूल्य पिछले वर्ष की तदनुरूप अवधि में 53.7 अमरीकी डॉलर प्रति बैरल से बढ़कर अप्रैल-सितंबर 2006 में 67.2 अमरीकी डॉलर प्रति बैरल हो गया (चार्ट 1)।

व्यापार घाटा

  • निर्यात वृद्धि के कदम को पीछे छोड़ते हुए आयातों में वृद्धि के साथ भुगतान संतुलन आधार पर पण्य व्यापार घाटे में तेज वृद्धि हुई और यह अप्रैल-सितंबर 2005 के 27.1 बिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़कर 35.1 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया (चार्ट 2)।

अदृश्य प्राप्तियां

  • अदृश्य प्राप्तियों में परिवहन, साफ्टवेयर निर्यात अन्य पेशेवर और कारोबारी सेवाएं तथा विदेश में रहनेवाले भारतीयों से आनेवाले विप्रेषणों में मुख्यतः स्थिर वृद्धि के चलते 28.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई (सारणी 3, चार्ट 3)।

सारणी 3: अदृश्य मदों की प्राप्तियां और भुगतान

(मिलियन अमरीकी डालर)

मदें

अदृश्य प्राप्तियां

अदृश्य भुगतान

 

अप्रैल-सितंबर
2006

अप्रैल-सितंबर
2005

अप्रैल-सितंबर
2006

अप्रैल-सितंबर
2005

1

2

3

4

5

यात्रा

3,487

3,029

3,247

2,757

परिवहन

3,744

2,897

3,689

3,579

बीमा

551

567

278

341

सरकारी, अन्यत्र न शामिल किए गए

124

119

210

208

अंतरण

11,883

10,899

672

398

आय

3,757

2,302

5,808

4,580

निवेश आय

3,617

2,237

5,403

4,272

कर्मचारियों का वेतन आदि

140

65

405

308

विविध

27,389

19,791

13,573

7,792

उसमें से: साफ्टवेयर

12,966

10,321

881

479

कुल

50,935

39,604

27,477

19,655

  • निजी अंतरण जिनमें मुख्यतः विदेश में कार्य करनेवाले भारतीयों से प्राप्त होने वाले विप्रेषणों का समावेश रहता है, अप्रैल-सितंबर 2005 के 10.5 बिलियन अमरीकी डॉलर की तुलना में अप्रैल-सितंबर 2006 में 11.2 बिलियन अमरीकी डॉलर पर स्थिर रहे।

  • अदृश्य प्राप्तियों में बाहर जानेवाले पर्यटकों की संख्या में तेज वृद्धि, कारोबारी सेवाओं जैसे कि कारोबार और प्रबंधन परामर्श, इंजीनियरी और अन्य तकनीकी सेवाएं तथा लाभांश और लाभ अदायगियों के चलते भी तेज वृद्धि (39.8 प्रतिशत) हुई।
  • विविध प्राप्तियों में सॉफ्टवेयर को घटाकर अप्रैल-सितंबर 2006 में 14.4 बिलियन अमरीकी डॉलर की वृद्धि दर्ज की गई (अप्रैल-सितंबर 2005 में 9.5 बिलियन अमरीकी डॉलर)। आंकड़ों का अलग-अलग विवरण सारणी 4 में प्रस्तुत किया गया है।
  • कारोबारी सेवाओं संबंधी प्राप्तियां और भुगतान दोनों ही मुख्यतः व्यापार संबद्ध सेवाएं, कारोबार और प्रबंधन परामर्श सेवाओं, आर्किटेक्चर, इंजीनियरी और अन्य तकनीकी सेवाओं तथा कार्यालयों के संचालन से संबंधित सेवाओं द्वारा संचालित रहे। ये व्यावसायिक और प्रौद्योगिकी से संबद्ध सेवाओं में निहित गति को प्रतिबिंबित करते हैं।

सारणी 4 : सॉफ्टवेयर से इतर प्राप्तियों और भुगतानों का अलग-अलग विवरण

(मिलियन अमरीकी डालर)

प्राप्तियाँ

भुगतान

 

अप्रैल-सितंबर
2006

अप्रैल-सितंबर
2005

अप्रैल-सितंबर
2006

अप्रैल-सितंबर
2005

1

2

3

4

5

संचार सेवाएं

935

785

291

141

भवन निर्माण

185

682

463

315

वित्तीय

1,158

791

669

592

समाचार एजेंसी

190

202

80

72

रॉयल्टी, कॉपीराइट एवं लाइसेंस शुल्क

59

58

390

267

कारोबारी सेवाएं

10,806

4,555

8,584

3,731

निजी, सांस्कृतिक, मनोरंजक

92

56

64

55

अन्य

998

2,341

2150

2,140

जोड़

14,423

9,470

12,691

7,313


चालू खाता घाटा

  • 23.5 बिलियन अमरीकी डॉलर के निवल अदृश्य अधिशेष के बावजूद मुख्यतः ऊँचे तेल आयातों के कारण होनेवाले भारी व्यापार घाटे की वजह से चालू खाता घाटा पिछले वर्ष की तदनुरूप अवधि के 7.2 बिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़कर अप्रैल-सितंबर 2006 में 11.7 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया (चार्ट 4)।

पूंजी खाता

  • निवल पूंजी प्रवाहों के अंतर्गत बाह्य वाणिज्यिक उधारों, विदेशी प्रत्यक्ष निवेश और अनिवासी भारतीय जमाराशियों तथा अल्पावधि व्यापार क्रेडिट ने सुदृढ़ वृद्धि दर्शाई (सारणी 5)।

सारणी 5 : अप्रैल-सितंबर 2006 के दौरान निवल पूंजी प्रवाह

(मिलियन अमरीकी डॉलर)

घटक

अप्रैल-सितंबर 2006

अप्रैल-सितंबर 2005

1

2

3

विदेशी प्रत्यक्ष निवेश

4,218

2,129

संविभाग निवेश

1,614

5,413

बाह्य सहायता

358

409

बाह्य वाणिज्यिक उधार

5,093

2,925

अनिवासी भारतीय जमाराशियां

2,029

233

अन्य बैंकिंग पूंजी

1,136

2,545

अल्पावधि क्रेडिट

1,938

972

अन्य

2,949

-1,551

जोड़

19,335

13,075

  • भारत में निवल विदेशी प्रत्यक्ष निवेश में नियमित घरेलू कार्यकलापों और विनिर्माण, व्यवसाय और कंप्यूटर सेवाओं में अंतर्वाह के सकारात्मक निवेश वातावरण के कारण वृद्धि हुई। बाहर जानेवाला विदेशी प्रत्यक्ष निवेश यथावत बना रहा जो बाजारों और संसाधनों के रूप में वैश्विक विस्तार के लिए भारतीय कंपनियों की आवश्यकताओं को दर्शाता है।
  • बाह्य वाणिज्यिक उधारों और अल्पावधि ऋण का अधिक मात्रा में आश्रय क्षमता बढ़ाने के लिए बाह्य उधारों पर कम स्प्रेड और वित्तपोषण की बढ़ती आवश्यकताओं के कारण लेना पड़ा।
  • अन्य पूंजी में वृद्धि मुख्यतः निर्यात मूल्य की अग्रिम रूप से और विलंब से प्राप्ति के कारण हुई।

विदेशी मुद्रा भंडार में अभिवृद्धि

  • भुगतान संतुलन के आधार पर (अर्थात मूल्यन को छोड़कर) विदेशी मुद्रा भंडार में 8.6 बिलियन अमरीकी डॉलर की निवल अभिवृद्धि, चालू खाता घाटे के बावजूद, मजबूत पूंजी अंतर्वाह के कारण हुई (चार्ट 5)। 5.1 बिलियन अमरीकी डॉलर की मूल्यन लाभ को ध्यान में रखते हुए विदेशी मुद्रा भंडार में अप्रैल-सितंबर 2006 के दौरान 13.7 बिलियन अमरीकी डॉलर की वृद्धि हुई जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि के दौरान 1.5 बिलियन अमरीकी डॉलर की मामूली वृद्धि हुई थी। डविदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि के ॉााटतों के बारे में एक प्रेस विज्ञप्ति अलग से जारी की जा रही है।
  • >

  • सितंबर 2006 के अंत में, 165.3 बिलियन अमरीकी डॉलर के उल्लेखनीय विदेशी मुद्रा भंडार के साथ भारत उभरते बाजारों में विदेशी मुद्रा भंडार धारण करने वाला बड़ा पांचवां और विश्व में छठा देश था।

वर्ष 2005-06 के और 2006-07 की पहली तिमाही के भुगतान संतुलन आंकड़ों में संशोधन

30 सितंबर 2004 को घोषित की गई संशोधन नीति के अनुसार वर्ष 2005-06 के और 2006-07 की पहली तिमाही के डाटा को संशोधित किया जाना है। सूचना देनेवाली विभिन्न एजेंसियों द्वारा दी गई सूचनाओं के आधार पर भुगतान संतुलन आंकड़ें तदनुसार संशोधित किए गए हैं। संशोधित आंकड़े प्रस्तुतीकरण के मानक फार्मेट में विवरण 2 में दिए गए हैं।

बी.वी.राठोड़
प्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2006-2007/878

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