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जीएसटी के कार्यान्वयन का भारतीय अर्थव्यवस्था पर दूरगामी प्रभाव पड़ सकता है आरबीआई ने राज्य वित्त : 2016-17 के बजट का अध्ययन जारी किया

12 मई 2017

जीएसटी के कार्यान्वयन का भारतीय अर्थव्यवस्था पर दूरगामी प्रभाव पड़ सकता है
आरबीआई ने राज्य वित्त : 2016-17 के बजट का अध्ययन जारी किया

आज, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने राज्य सरकारों के वित्तपोषण के बारे में जानकारी, विश्लेषण और मूल्यांकन प्रदान करने वाला एक वार्षिक प्रकाशन "राज्य वित्त: 2016-17 के बजट का अध्ययन" नामक रिपोर्ट जारी की है। यह विघटित राज्यवार वित्तीय आंकड़ों का प्राथमिक स्रोत है और पिछले कुछ वर्षों में वित्तीय संघवाद की बदलती गतिशीलता को दर्शाता है। इस साल की रिपोर्ट का विषय ‘वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी)’ है।

रिपोर्ट की मुख्य मुख्य बातें निम्नानुसार हैं:

  • जीएसटी के प्रारंभ से मध्यावधि अवधि के दौरान विकास, मुद्रास्फीति, सरकारी वित्त और बाह्य प्रतिस्पर्धा के मामले में अर्थव्यवस्था पर व्यापक असर होगा।

  • इससे भारत में सहकारी संघवाद के लिए एक नया अध्याय के समर्थन की संभावना है, जो केंद्र और राज्यों के बीच सहयोग पर ध्यान केंद्रित करेगा।

  • उत्पादक व्यय के दवाब के बिना राजकोषीय समेकन के रास्ते पर लौटने के लिए राज्य सरकारों के लिए जीएसटी सबसे अच्छी शर्त है।

  • जीएसटी के कार्यान्वयन की चुनौतियों को एक मजबूत विवाद समाधान तंत्र के माध्यम से हल किया जाना चाहिए; वस्तु और सेवा कर नेटवर्क (जीएसटीएन) के साथ सभी हितधारकों के लिए आवश्यक सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) बुनियादी ढ़ाचा प्रदान करने की उम्मीद है।

  • सांविधिक अंतरण के माध्यम से संसाधनों का अधिकतम वितरण, राज्यों को उनके विकास उद्देश्यों के साथ समन्वय में अपने व्यय को प्राथमिकता देने के लिए लचीलापन प्रदान करेगा।

  • मध्यावधि अवधि के परिप्रेक्ष्य से, राज्यों के ऋण स्थिरता राज्य वित्त के विकासशील रूपों को आकार देने में एक महत्वपूर्ण कारक साबित होने की संभावना है।

यह प्रकाशन आर्थिक और नीति अनुसंधान विभाग के वित्तीय विश्लेषण प्रभाग (एफएडी) द्वारा तैयार किया गया है। वर्तमान अंक, रिपोर्ट के पिछले अंकों के साथ ही वेबसाइट पर उपलब्ध है (www.rbi.org.in)। इस प्रकाशन पर टिप्पणियां निदेशक, वित्तीय विश्लेषण प्रभाग, आर्थिक और नीति अनुसंधान विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, शहीद भगत सिंह रोड, मुंबई-400001 पर भेजी जा सकती है। टिप्पणियों को ई-मेल के माध्यम से भी भेजा जा सकता है।

अजीत प्रसाद
सहायक परामर्शदाता

प्रेस प्रकाशनी : 2016-2017/3056

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