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बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) नीति - विवेकपूर्ण और उदार बनना

25 सितंबर 2011

बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) नीति - विवेकपूर्ण और उदार बनना

मौजूदा बाह्य वाणिज्कि उधार नीति की समीक्षा करने पर भारत सरकार के परामर्श से यह निर्णय लिया गया कि बाह्य वाणिज्यिक उधार नीति को निम्‍नानुसार और अधिक विवेकपूर्ण और उदार बनाया जाए:

(i) प्रति वित्तीय वर्ष स्‍वचालित मार्ग के अंतर्गत बाह्य वाणिज्यिक उधार प्राप्‍त करने के लिए पात्र उधारकर्ताओं के लिए सीमा को निम्‍नानुसार बढ़ाया गया है:

(क) आवास क्षेत्र - औद्योगिक क्षेत्र - मूलभूत सुविधा क्षेत्र की कंपनियों के लिए मौजूदा 500 मिलियन अमरीकी डॉलर या उसके समकक्ष की सीमा के स्‍थान पर 750 मिलियन अमरीकी डॉलर या उसके समकक्ष किया गया है।

(ख) विशेष सेवा क्षेत्रों अर्थात हॉटल, अस्‍पताल और सॉफ्टवेयर कंपनियों के लिए मौजूदा 100 मिलियन अमरीकी डॉलर या उसके समकक्ष के स्‍थान पर 200 मिलियन अमरीकी डॉलर या उसके समकक्ष किया गया है।

(ii) ''सभी पात्र उधारकर्ताओं'' को स्‍वचालित/अनुमोदन मार्ग के अंतर्गत विदेशी ईक्विटी धारकों से भारतीय रुपये में नामित बाह्य वाणिज्यिक उधार मामले दर मामले आधार पर प्राप्‍त करने की अनुमति दी गई है बशर्तें मौजूदा बाह्य वाणिज्यिक उधार के दिशानिर्देशों का अनुपालन किया जाता है।

(iii) मूलभूत सेवा क्षेत्र में कंपनी को मामले दर मामले आधार पर स्‍वचालित/अनुमोदन मार्ग के अंतर्गत अनुमत अंतिम उपयोगकर्ता के रूप में निर्माण के दौरान ब्‍याज (आइडीसी) के लिए बाह्य वाणिज्यिक उधार ले सकते हैं बशर्तें निर्माण के दौरान ब्‍याज परियोजना लागत का एक भाग है और पूँजीकृत है।

(iv) मूलभूत सेवा क्षेत्र की विशिष्‍ट आवश्‍यकताओं को ध्‍यान में रखते हुए भारतीय कंपनियॉं जो मूलभूत सुविधा क्षेत्र में है को निम्‍नलिखित की अनुमति दी गई है।

(क) अनुमोदन मार्ग के अंतर्गत घरेलू बैंकिंग प्रणाली से उनके द्वारा रुपये ऋणों के पुनर्वित के लिए उगाहे गए नये बाह्य वाणिज्यिक उधार का 25 प्रतिशत का उपयोग करने की अनुमति दी गई है बशर्तें उगाही के लिए प्रस्‍तावित नए बाह्य वाणिज्यिक उधार का कम-से-कम 75 प्रतिशत ''नए मूलभूत सुविधा'' परियोजनाओं के लिए पूँजीगत व्‍यय के लिए प्रयोग हो। यहॉं ''मूलभूत सुविधा'' बाह्य वाणिज्यिक उधार पर मौजूदा दिशानिर्देशों के अंतर्गत पारिभाषित है; और

(ख) अनुमोदन मार्ग के अंतर्गत ''पूरक वित्त'' के स्‍वरूप में अल्‍पावधि ऋण (क्रेता ऋण/आपूर्तिकर्ता ऋण सहित) प्राप्‍त करने द्वारा पूँजीगत मामल का आयात कर सकते हैं बशर्तें कतिपय शर्तों का अनुपालन किया जाता है।

इस संबंध में 23 सितंबर 2011 के ए.पी. (डीआइआर श्रृंखला) परिपत्र सं.25, 26 और 27 में विस्‍तृत अनुदेश जारी किए गए हैं।

आर. आर. सिन्‍हा
उप महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2011-2012/469

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