28 सितंबर 2012 2012-13 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) के दौरान भारत के भुगतान संतुलन की गतिविधियां वित्तीय वर्ष 2012-13 की पहली तिमाही अर्थात् अप्रैल-जून 2012 के भारत के भुगतान संतुलन संबंधी प्रारंभिक आंकड़े अब उपलब्ध हो गए हैं। ये आंकड़े अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की भुगतान संतुलन नियम पुस्तिका के छठे संस्करण में सिफारिश किए गए प्रारूप में विवरण I में दिए गए हैं। ये आंकड़े पुराने प्रारूप में भी विवरण II में दिए गए हैं। अप्रैल-जून 2012 के दौरान भुगतान संतुलन की मुख्य-मुख्य बातें 2012-13 की पहली तिमाही में निर्यातों की तुलना में आयातों में तेज गिरावट आने के साथ-साथ द्वितीयक आय में सुधार होने के चलते व्यापार घाटे में गिरावट आई जिसके परिणामस्वरूप चालू खाते के घाटे में पिछले वर्ष की पहली तिमाही की तुलना में राशि के रूप में गिरावट आई। परंतु जीडीपी के प्रतिशत के रूप में यह बढ़कर 3.9 प्रतिशत हो गया जबकि पिछले वर्ष की पहली तिमाही में यह 3.8 प्रतिशत था। यह स्थिति जीडीपी में गिरावट एवं अमरीकी डॉलर की तुलना में रुपये के मूल्य में हुई लगभग 17 प्रतिशत गिरावट को दर्शाती है।
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बीओपी आधार पर 2012-13 की पहली तिमाही के दौरान वस्तुओं के निर्यातों में 2.6 प्रतिशत की गिरावट आई जबकि आयातों में 3.6 प्रतिशत की तेज गिरावट आई।
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राशि के रूप में बीओपी आधार पर व्यापार घाटे की राशि 42.5 बिलियन अमरीकी डॉलर थी जो पिछले वर्ष की तदनुरूप तिमाही (44.9 बिलियन अमरीकी डॉलर) की तुलना में कम है। परंतु तिमाही के दौरान जीडीपी के प्रतिशत के रूप में व्यापार घाटा बढ़कर 10 प्रतिशत हो गया जबकि पिछले वर्ष की पहली तिमाही में यह 9.8 प्रतिशत था।
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सेवाओं के निवल निर्यातों में 2012-13 की पहली तिमाही के दौरान 2011-12 की तिमाही की तुलना में 13.0 प्रतिशत की गिरावट आई जो `परिवहन', `यात्रा', `निर्माण', `बीमा और पेंशन सेवाएं' तथा `अन्य कारोबारी सेवाएं' मदों के अंतर्गत प्राप्तियां कम होने की वजह से थी।
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जहां निवल द्वितीयक आय (निजी अंतरण) प्राप्तियों में 16.8 बिलियन अमरीकी डॉलर की भारी वृद्धि हुई वहीं प्राथमिक आय लेखा (निवेश आय) की मद में निवल बहिर्वाह जारी रहा।
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परिणामस्वरूप 2012-13 की पहली तिमाही में चालू खाते का घाटा 16.4 बिलियन अमरीकी डॉलर का रहा जोकि पिछले वर्ष की इसी अवधि (17.4 बिलियन अमरीकी डॉलर) की तुलना में कम है। परंतु जीडीपी के प्रतिशत के रूप में चालू खाते का घाटा 3.9 प्रतिशत था जबकि पिछले वर्ष की इसी तिमाही में यह 3.8 प्रतिशत (संशोधित) था।
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पूंजी तथा वित्तीय लेखा के अंतर्गत निवल अंतर्वाहों में गिरावट आई जो मुख्यतः विदेशी प्रत्यक्ष निवेश प्रवाह एवं बैंकों तथा गैर बैंकों द्वारा लिए गए ऋण में आई गिरावट की वजह से थी।
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2012-13 की पहली तिमाही के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार (मूल्यांकन को छोड़कर) में 0.5 बिलियन अमरीकी डॉलर की वृद्धि हुई ।
2012-13 की पहली तिमाही अर्थात् अप्रैल-जून 2012 का भुगतान संतुलन 2012-13 की पहली तिमाही की भुगतान संतुलन की प्रमुख मदों से संबंधित जानकारी सारणी 1 में दी गई है। वस्तुओं का व्यापार
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2012-13 की पहली तिमाही के दौरान वस्तुओं के निर्यात में (वर्ष-दर-वर्ष आधार पर) बीओपी आधार पर 2.6 प्रतिशत की गिरावट आई जबकि पिछले वर्ष की इसी तिमाही में 42.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।
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बहुमूल्य धातुओं एवं पीओएल के आयातों में गिरावट आने एवं गैर-तेल तथा गैर-स्वर्ण के आयातों में गिरावट आने के चलते वाणिज्यिक वस्तुओं के आयात में 3.6 प्रतिशत की गिरावट आई जबकि 2011-12 की पहली तिमाही में यह 41.8 प्रतिशत थी। गैर-तेल तथा गैर-स्वर्ण के खंड में आयातों में वृद्धि घटकर 0.3 प्रतिशत रह गई जबकि एक वर्ष पूर्व इसकी वृद्धि दर 16.2 प्रतिशत थी। स्वर्ण तथा चांदी के आयात में 47.5 प्रतिशत की तेज गिरावट आई जबकि एक वर्ष पूर्व इसमें 123.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। तेल के आयात में इस अवधि में तेल की कीमतों में गिरावट आने के चलते 0.1 प्रतिशत की कमी आई जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि में इसमें 52.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।
- जहां गैर-तेल तथा गैर-स्वर्ण आयातों में आई कमी का कारण आर्थिक कार्यकलापों में आई गिरावट लगती है वहीं ऐसा प्रतीत होता है कि मूल्यवान धातुओं के आयात में ऐसी वस्तुओं के आयातों को हतोत्साहित करने के नीतिगत उपायों के चलते आई है जिनमें सीमा शुल्क में बढ़ोतरी किया जाना शामिल है।
सारणी 1 : भारत के भुगतान संतुलन की प्रमुख मदें |
(बिलियन अमरीकी डॉलर) |
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अप्रैल - जून 2012( प्रा.) |
अप्रैल - जून 2011( आं. सं.) |
जन - मार्च 2012 ( प्रा.) |
1. वस्तुओं का निर्यात |
76.7 |
78.8 |
80.0 |
2. वस्तुओं का आयात |
119.2 |
123.7 |
131.7 |
3. व्यापार शेष (1-2) |
-42.5 |
-44.9 |
-51.7 |
4. सेवाओं का निर्यात |
34.4 |
33.7 |
37.7 |
5. सेवाओं का आयात |
20.2 |
17.4 |
20.0 |
6. निवल सेवाएं (4-5) |
14.2 |
16.3 |
17.7 |
7. वस्तुओं और सेवाओं का शेष (3+6) |
-28.3 |
-28.6 |
-34.0 |
8. प्राथमिक आय, निवल (कर्मचारियों को क्षतिपूर्ति और निवेश आय) |
-4.9 |
-3.6 |
-4.6 |
9. द्वितीयक आय, निवल ( निजी अंतरण) |
16.8 |
14.8 |
16.9 |
10. निवल आय (8+9) |
11.9 |
11.2 |
12.3 |
11. चालू खाता शेष (7+10) |
-16.4 |
-17.4 |
-21.7 |
12. पूंजी और वित्तीय लेखा शेष, निवल (वि.मु. भंडार में हुए परिवर्तन को छोड़कर) |
16.8 |
23.8 |
16.5 |
13.वि.मु.भंडार में परिवर्तन (-) वृद्धि /(+)कमी |
-0.5 |
-5.4 |
5.7 |
14. भूल-चूक (11+12-13) |
0.1 |
-0.9 |
-0.6 |
टिप्पणीः पूर्णांकन के कारण हो सकता है कि उप-मदों का जोड़ कुल से मेल न खाए। प्रा : प्रारंभिक, आं.सं.: आंशिक रूप से संशोधित |
सेवा तथा आय संबंधी प्रवाह
-
तिमाही के दौरान जहां सेवाओं से होने वाली प्राप्तियों की वर्ष-दर-वर्ष आधार पर वृद्धि दर घट कर 2.0 प्रतिशत (2011-12 की पहली तिमाही में 27.4 प्रतिशत) रह गई वहीं सेवा संबंधी भुगतानों में 15.9 प्रतिशत की उच्च वृद्धि हुई जो अन्य कारोबारी सेवाओं में वृद्धि होने की वजह थी। इसके परिणामस्वरूप तिमाही के दौरान निवल सेवा निर्यात 13.0 प्रतिशत घट कर 14.2 बिलियन अमरीकी डॉलर (2011-12 की पहली तिमाही में 16.3 बिलियन अमरीकी डॉलर) रह गया (सारणी 2)।
-
तिमाही के दौरान प्राथमिक आय से संबंधित निवल बहिर्वाह 2011-12 की पहली तिमाही की तुलना में अधिक था। मुख्य रूप से विदेशों में ब्याज दरें कम स्तर पर बनी रहने से अन्य प्राथमिक आय सहित निवेश आय के रूप में होने वाली राशि 24.6 प्रतिशत की गिरावट के साथ 1.4 बिलियन अमरीकी डॉलर रही जबकि तदनुरूप तिमाही में गिरावट की दर 27.5 प्रतिशत थी।
-
दूसरी ओर निवेश आय संबंधी भुगतानों में 14.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि एक वर्ष पूर्व की इसी तिमाही में इसमें 1.8 प्रतिशत की गिरावट आई थी जो चालू खाते के घाटे का वित्तपोषण करने के लिए भारत की ऋण संबंधी प्रवाहों पर बढ़ती निर्भरता के कारण ईसीबी के अंतर्गत उच्चतर दर पर ब्याज दर का भुगतान किये जाने की वजह से थी।
-
तिमाही के दौरान द्वितीयक आय (निवल आधार पर), जोकि मुख्यतः विदेश में रहने वाले भारतीयों के विप्रेषण की राशि होती है, 2011-12 की इसी तिमाही (12.7 प्रतिशत) की तुलना में 13.8 प्रतिशत बढ़कर 16.8 बिलियन अमरीकी डॉलर के उच्च स्तर पर पहुंच गई।
-
व्यापार घाटे का स्तर कम रहने तथा द्वितीयक आय के उच्च स्तर पर रहने के चलते चालू खाते के घाटे में गिरावट आई तथा 2012-13 की पहली तिमाही में यह घाटा 16.4 बिलियन अमरीकी डॉलर का रहा जबकि यह पिछली तिमाही में 21.7 बिलियन अमरीकी डॉलर तथा 2011-12 की पहली तिमाही में 17.4 बिलियन अमरीकी डॉलर का था।
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राशि के रूप में चालू खाते के घाटे में गिरावट आने के बावजूद 2012-13 की पहली तिमाही में चालू खाते का घाटा जीडीपी के प्रतिशत के रूप में 3.9 प्रतिशत के उच्चतर स्तर पर रहा जबकि पिछले वर्ष की इसी तिमाही में यह घाटा 3.8 प्रतिशत था जो अमरीकी डॉलर की तुलना में रुपये के मूल्य में कमी आने के कारण जीडीपी के स्तर में गिरावट आने की वजह से था। विनिमय दर में गिरावट आने के कारण तिमाही के दौरान सीएडी-जीडीपी अनुपात में लगभग 0.7 प्रतिशत अंक की वृद्धि हुई।
सारणी 2 : चालू खाते (निवल) की अलग - अलग मदें |
(बिलियन अम. डॉलर) |
|
अप्रैल - जून 2012 ( प्रा.) |
अप्रैल - जून 2011 ( आं. सं.) |
जन - मार्च 2012 ( प्रा.) |
1. वस्तुएं |
-42.5 |
-44.9 |
-51.6 |
2. सेवाएं |
14.2 |
16.3 |
17.7 |
2.क. परिवहन |
0.6 |
0.3 |
0.4 |
2.ख. यात्रा |
0.4 |
0.2 |
2.2 |
2.ग. निर्माण |
-0.04 |
0.05 |
-0.1 |
2.घ. बीमा एवं पेंशन सेवाएं |
0.3 |
0.3 |
0.3 |
2. ङ. वित्तीय सेवाएं |
-0.1 |
-0.5 |
-0.4 |
2.च. बौद्धिक संपदा के उपयोग हेतु प्रभार |
-0.8 |
-0.6 |
-0.9 |
2.छ. दूरसंचार, कम्प्यूटर एवं सूचना सेवाएं |
15.5 |
14.4 |
16.7 |
2.ज. निजी, सांस्कृतिक एवं मनोरंजन संबंधी सेवाएं |
0.02 |
0.01 |
0.05 |
2.झ. सरकारी वस्तुएं तथा सेवाएं |
0.0 |
-0.1 |
-0.2 |
2. ञ. अन्य कारोबारी सेवाएं |
-0.1 |
-0.3 |
-0.2 |
2.च. अन्य, अन्यत्र अपरिगणित |
-1.4 |
2.3 |
-0.2 |
3. प्राथमिक आय |
-4.9 |
-3.6 |
-4.6 |
3.क. कर्मचारियों को क्षतिपूर्ति |
0.2 |
0.2 |
0.01 |
3.ख. निवेश आय |
-5.1 |
-3.8 |
-4.6 |
4. द्वितीयक आय |
16.8 |
14.8 |
16.9 |
4.क. निजी अंतरण |
16.1 |
14.3 |
16.4 |
4.ख. अन्य चालू अंतरण |
0.7 |
0.5 |
0.4 |
5. चालू खाता (1+2+3+4) |
-16.4 |
-17.4 |
-21.7 |
टिप्पणीः पूर्णांकन के कारण हो सकता है कि उप-मदों का जोड़ कुल से मेल न खाए। प्रा : प्रारंभिक आं.सं.: आंशिक रूप से संशोधित |
पूंजी खाता
वित्तीय खाता भारत के प्रति निवल विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (आवक एफडीआई से घटाया जावक एफडीआई) में गिरावट,पोर्टफोलियो निवेश के अंतर्गत बहिर्वाह तथा जमाराशियां लेने वाले निगमों (गैर अनिवासी भारतीय बैंकिंग पूंजी) और अन्य क्षेत्रों (ईसीबी) के द्वारा लिए गए `भारत को ऋण' में गिरावट के कारण, अप्रैल - जून 2012 के दौरान आरक्षित निधियों में परिवर्तन को छोड़कर वित्तीय खाते के अंतर्गत निवल अंतर्वाहों में पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में काफी अधिक कमी आई (सारणी 3)। 2012-13 की पहली तिमाही के दौरान निवल वित्तीय अंतर्वाह घटकर 17.0 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गये (पिछले वर्ष की पहली तिमाही के दौरान 24.1 बिलियन अमरीकी डॉलर)।
-
2012-13 की पहली तिमाही के दौरान 6.2 बिलियन अमरीकी डॉलर का भारत के प्रति विदेशी प्रत्यक्ष निवेश पिछले वर्ष के 12.4 बिलियन अमरीकी डॉलर के स्तर की तुलना में कम रहा। भारत के द्वारा विदेशी प्रत्यक्ष निवेश का प्रवाह भी पिछले वर्ष की इसी अवधि के 3.1 बिलियन अमरीकी डॉलर से घटकर 2.0 बिलियन अमरीकी डॉलर रह गया। इस प्रकार अप्रैल-जून 2012 के दौरान भारत के प्रति निवल विदेशी प्रत्यक्ष निवेश अंतर्वाह (आवक एफडीआई से घटाया जावक एफडीआई) 4.2 बिलियन अमरीकी डॉलर था जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान यह 9.3 बिलियन अमरीकी डॉलर रहा। तिमाही के दौरान पोर्टफोलियो निवेश में 2.0 बिलियन अमरीकी डॉलर का बहिर्वाह दर्ज हुआ जबकि 2.3 बिलियन अमरीकी डॉलर का अंतर्वाह दर्ज हुआ।
-
2012-13 की पहली तिमाही के दौरान बैंकों द्वारा लिया गया निवल ऋण एक वर्ष पहले की इसी वर्ष की अवधि के 11.5 बिलियन अमरीकी डॉलर से घटकर 3.0 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया। बैंकों द्वारा ऋण में काफी अधिक गिरावट, मुख्य रूप से बैंकों द्वारा विदेशी उधारों की निवल चुकौती और पिछले वर्ष की तुलना में विदेश में धारित उनकी विदेशी मुद्रा आस्तियों के कम आहरण के कारण थी।
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0.8 बिलियन अमरीकी डॉलर के गैर सरकारी और गैर बैंकिंग क्षेत्र (निवल विदेशी मुद्रा उधार) के द्वारा लिये गये ऋण में भी कमी दिखी (2011-12 की पहली तिमाही में 3.0 बिलियन अमरीकी डॉलर) क्योंकि बाह्य वाणिज्यिक उधारों की चुकौती के संवितरण और वृद्धि में गिरावट आई। अल्पकालिक व्यापार ऋण के अंतर्गत निवल अंतर्वाहों में इस अवधि के दौरान तेजी दिखी और ये 2011-12 की इसी अवधि के 3.1 बिलियन अमरीकी डॉलर की तुलना में 5.4 बिलियन अमरीकी डॉलर रहे।
-
बैंकों की मुद्रा और जमाराशियों (अनिवासी जमाराशियां) के अंतर्गत निवल अंतर्वाह 6.6 बिलियन अमरीकी डॉलर पर अधिक बना रहा जो अन्य बातों के साथ-साथ रुपया जमाराशियों की ब्याज दरों को विनियंत्रित करने तथा विदेशी मुद्रा जमाराशियों की उच्चतम सीमा में वृद्धि को दर्शाता है।
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चालू खाता घाटे में कमी के बावजूद, 2012-13 की पहली तिमाही के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार में 0.5 बिलियन अमरीकी डॉलर की निवल वृद्धि हुई जो पिछले वर्ष की तदनुरूप अवधि के 5.4 बिलियन अमरीकी डॉलर की तुलना में कम थी, ऐसा मुख्य रूप से पूंजी और वित्तीय खाते के अंतर्गत निवल अंतर्वाहों में तीव्र गिरावट के कारण हुआ। सांकेतिक अर्थ में (मूल्यन परिवर्तन सहित), तिमाही के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार में 4.7 बिलियन अमरीकी डॉलर की गिरावट आई जो तिमाही के दौरान प्रमुख विदेशी मुद्राओं की तुलना में अमरीकी डॉलर के मूल्य में हुई वृद्धि को दर्शाती है।
सारणी 3: वित्तीय खाते की अलग - अलग मदें |
(बिलियन अमरीकी डॉलर) |
|
अप्रैल - जून 2012 (प्रा.) |
अप्रैल - जून 2011 (आं. सं.) |
जनवरी - मार्च 2012 (प्रा.) |
1. प्रत्यक्ष निवेश ( निवल ) |
4.2 |
9.3 |
1.4 |
1.क भारत में प्रत्यक्ष निवेश |
6.2 |
12.4 |
4.2 |
1.ख भारत द्वारा प्रत्यक्ष निवेश |
-2.0 |
-3.1 |
-2.9 |
2. फोर्टफोलियो निवेश |
-2.0 |
2.3 |
13.9 |
2.क भारत में पोर्टफोलियो निवेश |
-1.7 |
2.5 |
14.1 |
2.ख भारत द्वारा पोर्टफोलियो निवेश |
-0.3 |
-0.2 |
-0.2 |
3. वित्तीय डेरिवेटिव और कर्मचारी स्टॉक विकल्प |
-0.5 |
- |
- |
4. अन्य निवेश |
15.3 |
12.6 |
1.4 |
3.क अन्य ईक्विटी (एडीआर/जीडीआर) |
0.1 |
0.3 |
0.03 |
3.ख मुद्रा और जमाराशियां |
6.5 |
1.2 |
4.6 |
जमाराशियां लेने वाले निगम, केन्द्रीय बैंक को छोड़कर (एनआरआई जमाराशियां) |
6.6 |
1.2 |
4.7 |
3.ग कर्ज़* |
3.8 |
14.9 |
-0.03 |
3.ग i भारत को कर्ज़ |
3.7 |
14.9 |
-0.02 |
जमाराशियां लेने वाले निगम, केन्द्रीय बैंक को छोड़कर |
3.0 |
11.5 |
-2.6 |
सामान्य सरकार (बाह्य सहायता) |
-0.1 |
0.4 |
0.3 |
अन्य क्षेत्र (ईसीबी) |
0.8 |
3.0 |
2.3 |
3.ग ii भारत द्वारा कर्ज़ |
0.1 |
-0.02 |
-0.01 |
सामान्य सरकार (बाह्य सहायता) |
-0.1 |
-0.04 |
-0.04 |
अन्य क्षेत्र (ईसीबी) |
0.1 |
0.02 |
0.03 |
3.घ व्यापार ऋण और अग्रिम |
5.4 |
3.1 |
0.2 |
3.ङ अन्य खाता प्राप्य / देय - अन्य |
-0.4 |
-6.8 |
-3.3 |
4. आरक्षित आस्तियां |
-0.5 |
-5.4 |
5.7 |
वित्तीय खाता (1+2+3+4 +5 ) |
16.5 |
18.7 |
22.4 |
टिप्पणीः पूर्णांकन के कारण हो सकता है उप घटकों का योग कुल से मेल न खाये। * : बाह्य सहायता, ईसीबी और बैंकिंग पूंजी को शामिल किया गया है। प्रा.: प्रारंभिक ; आ.सं.: आंशिक रूप से संशोधित |
जून 2012 को समाप्त तिमाही के लिए बाह्य ऋण वर्तमान परंपरा के अनुसार मार्च और जून को समाप्त तिमाहियों के लिये बाह्य ऋण को रिज़र्व बैंक द्वारा समेकित और जारी किया जाता है, जबकि सितंबर और दिसंबर को समाप्त तिमाहियों के लिए बाह्य ऋण को वित्त मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा समेकित और जारी किया जाता है। तदनुसार, जून 2012 को समाप्त तिमाही के लिये बाह्य ऋण के आंकड़े आज भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किये जा रहे है। इन्हें /en/web/rbi पर देखा जा सकता है आर. आर. सिन्हा उप महाप्रबंधक प्रेस प्रकाशनी : 2012-2013/534 |