30 सितंबर 2011 2011-12 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) के दौरान भारत के भुगतान संतुलन की गतिविधियां भारत के भुगतान संतुलन (बीओपी) की पहली तिमाही (ति1)अर्थात वित्तीय वर्ष 2011-12 की अप्रैल-जून 2011 की अवधि के प्रारंभिक आंकड़े अब उपलब्ध हो गए हैं। इन आंकड़ों का ब्योरा, बीपीएम 6 में दिए गए बीपीओ प्रेजेंटेशन के संशोधित फार्मेट के अनुसार, विवरण I में दिया गया है। पुराने फार्मेट के अनुसार ये आंकड़े विवरण II में भी दिए गए हैं। नए और पुराने फार्मेट के बीच का संबंध अनुबंध 1 में दिया गया है। अप्रैल-जून 2011 के दौरान भुगतान संतुलन की मुख्य-मुख्य बातें 2011-12 की ति1 के दौरान आयात की तुलना में निर्यात में तेज वृद्धि और सेवाओं निवल निर्यात में वृद्धि के बावजूद व्यापार घाटे में वृद्धि से पिछले वर्ष की ति1 की तुलना में चालू खाते का घाटा (सीएडी) बढ़ गया।
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2011-12 की ति1 के दौरान बीओपी आधार पर माल निर्यात में 47.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि आयात में 33.2 प्रतिशत वृद्धि हुई।
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बीओपी आधार पर समग्र संदर्भ में व्यापार घाटा 35.4 बिलियन अमरीकी डॉलर था जो कि पिछले वर्ष की इसी तिमाही (32.3 बिलियन अमरीकी डॉलर) की तुलना में अधिक था।
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सेवाओं के निवल निर्यात में 2010-11 की ति1 की तुलना में 2011-12 की ति1 के दौरान 19.1 प्रतिशत वृद्धि हुई जिसका मुख्य कारण प्राप्तियों में अधिक वृद्धि होना था जिसमें "परिवहन", "दूरसंचार, कंप्यूटर और सूचना सेवाएं" और "अन्य कारोबारी सेवाएं" प्रमुख थीं।
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जहां निवल गौण आय (निजी अंतरण) प्राप्तियों में 13.7 बिलियन अमरीकी डॉलर पर उछाल बना रहा वहीं प्राथमिक आय खाता (निवेश आय) लगातार निवल बहिर्वाह दर्शाता रहा।
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परिणामस्वरूप 2011-12 की ति1 में 14.1 बिलियन अमरीकी डॉलर पर सीएडी पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में अधिक था।
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वित्तीय खाते में उछाल देखा गया जिसका प्राथमिक कारण विदेशी प्रत्यक्ष निवेश और अन्य निवेश थे जिनमें ऋण प्रमुख थे।
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2011-12 की ति1 में (मूल्यांकन छोड़कर) विदेशी मुद्रा भंडार में 5.4 बिलियन अमरीकी डॉलर की निवल वृद्धि हुई।
2011-12 की अप्रैल-जून (ति.1) अवधि का भुगतान संतुलन 2011-12 की पहली तिमाही (ति1) के भुगतान संतुलन की प्रमुख मदें सारणी 1 में नीचे दी गई हैं। माल व्यापार
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2011-12 की पहली तिमाही के दौरान माल निर्यात की वृद्धि में और तेजी आई, जबकि 2010-11 की चौथी तिमाही में आयात में वृद्धि बरकरार रही।
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भुगतान संतुलन आधार पर, भारत के माल निर्यात में 2011-12 की पहली तिमाही के दौरान 47.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि पिछले वर्ष की पहली तिमाही में यह 40.4 प्रतिशत दर्ज हुई। इसी तरह, भुगतान संतुलन
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आधार पर माल आयात में 2011-12 की पहली तिमाही में 33.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई जो 2010-11 की तदनुरूप तिमाही के समान रही।
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आयात की तुलना में निर्यात में उच्चतर वृद्धि के बावजूद, भुगतान संतुलन के आधार पर व्यापार घाटा 2011-12 की पहली तिमाही में अधिक अर्थात 35.4 बिलियन अमरीकी डॉलर हुआ जबकि 2010-11 की पहली तिमाही के दौरान यह 32.3 बिलियन अमरीकी डॉलर रहा।
सारणी 1: भारत के भुगतान संतुलन की प्रमुख मदें |
(अमरीकी बिलियन डॉलर) |
|
अप्रैल-जून 2011(प्रा) |
अप्रैल-जून 2010(आं.सं) |
जनवरी-मार्च 2011(प्रा) |
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आयात |
निर्यात |
निवल |
आयात |
निर्यात |
निवल |
आयात |
निर्यात |
निवल |
क. चालू खाता (1+2+3+4) |
127.9 |
142.0 |
-14.1 |
97.9 |
109.9 |
-12.0 |
129.3 |
134.7 |
-5.4 |
1. माल |
80.7 |
116.1 |
-35.4 |
54.9 |
87.2 |
-32.3 |
77.4 |
107.1 |
-29.7 |
2. सेवाएं |
30.6 |
18.7 |
11.9 |
26.5 |
16.4 |
10.0 |
35.2 |
20.8 |
14.4 |
3. प्राथमिक आय |
2.2 |
6.5 |
-4.3 |
2.9 |
5.7 |
-2.9 |
2.2 |
6.0 |
-3.9 |
4. द्वितीयक आय |
14.4 |
0.7 |
13.7 |
13.7 |
0.6 |
13.1 |
14.6 |
0.7 |
13.8 |
ख. पूंजी खाता |
0.0 |
0.3 |
-0.3 |
0.1 |
0.1 |
-0.1 |
0.1 |
0.2 |
0.0 |
ग. वित्तीय खाता |
127.3 |
111.6 |
15.7 |
94.5 |
81.5 |
13.0 |
115.7 |
109.5 |
6.2 |
घ. भूल-चूक -(क+ख+ग) |
|
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-1.3 |
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|
-0.9 |
|
|
-0.8 |
बीपीएम 6 की सिफारिश के अनुसार आरक्षित आस्तियों में परिवर्तन को वित्तीय खाते के अंतर्गत शामिल किया गया है। टिप्पणी उप घटकों का कुल पूर्णाकंन के कारण हो सकता है कुल से मिल न खाये। |
प्रा.:प्रारंभिक, आंसं आंशिक रूप से संशोधित |
सेवा और आयात प्रवाह सेवा संबंधी प्राप्तियों और भुगतानों में वृद्धि, 2010-11 की पहली तिमाही की तुलना में, 2011-12 की पहली तिमाही के दौरान मामूली रही। इसके अलावा, पिछली तिमाही की तुलना में सेवा प्राप्तियां और भुगतान कमतर रहे। निवल द्वितीयक आय में वृद्धि आंशिक तौर पर 2011-12 की पहली तिमाही के दौरान प्राथमिक आय के कारण हुए निवल बहिर्वाहों के द्वारा प्रतितुलित हुई (सारणी 2)।
-
सेवा निर्यात में 15.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई (2010-11 की पहली तिमाही में 18.3 प्रतिशत) जो मुख्य रूप से परिवहन, सॉफ्टवेयर और कारोबार सेवाओं के कारण थी।
-
प्राथमिक आय के कारण हुए निवल बहिर्वाह 2010-11 की पहली तिमाही की तुलना में अधिक थे जो मुख्य रूप से निवेश आय के अत्यधिक निवल बहिर्वाह के कारण हुए। निवेश आय के कारण हुई प्राप्तियों में, तदनुरूप तिमाही के 3.5 प्रतिशत की कमी की तुलना में, 28.4 प्रतिशत की गिरावट आई जो मुख्य रूप से विदेश में कम ब्याज दर जारी रहने के कारण थी।
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निवेश आय भुगतान में उच्चतर ब्याज भुगतानों के कारण 17.3 प्रतिशत (2010-11 की पहली तिमाही में 8.6 प्रतिशत) की वृद्धि हुई।
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द्वितीयक आय (निवल आधार पर), जो मुख्य रूप से विदेश स्थित भारतीयों के प्रेषणों को दर्शाती है, अधिक अर्थात 13.7 बिलियन अमरीकी डॉलर बनी रही और इसमें 2010-11 की तदनुरूप तिमाही की तुलना में (2010-11 की पहली तिमाही में 1.3 प्रतिशत) पहली तिमाही के दौरान 4.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
-
तदनुसार, चालू खाता घाटा 2011-12 की पहली तिमाही में बढ़कर 14.1 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया जबकि इसके पहली की तिमाही में यह 5.4 बिलियन अमरीकी डॉलर और 2010-11 की पहली तिमाही में 12.0 बिलियन अमरीकी डॉलर था। इस स्तर पर, 2011-12 की पहली तिमाही में चालू खाता घाटा जीडीपी का 3.1 प्रतिशत हो गया।
सारणी 2:चालू खाते की अलग-अलग मदें |
(बिलियन अमरीकन डॉलर ) |
|
अप्रैल-जून 2011 (प्रा.) |
अप्रैल-जून 2010 (आंसं) |
जनवरी-मार्च 2011 (प्रा.) |
1. माल |
-35.4 |
-32.3 |
-29.7 |
2. सेवाएं |
11.9 |
10.0 |
14.4 |
2. क परिवहन |
0.1 |
0.0 |
0.9 |
2. ख यात्रा |
0.1 |
0.6 |
1.3 |
2. ग निर्माण |
0.04 |
-0.2 |
-0.2 |
2. घ बीमा और पेंशन सेवाएं |
0.2 |
0.1 |
0.3 |
2. ङ वित्तीय सेवाएं |
-0.5 |
-0.2 |
-0.4 |
2. च बौद्धिक संपत्ति के प्रयोग के लिए प्रभार |
-0.7 |
-0.5 |
-0.5 |
2. छ दूर संचार, कंप्यूटर और सूचना सेवाएं |
14.0 |
12.6 |
16.6 |
2. ज वैयक्ति, सांस्कृतिक और मनोरंजन संबंधी सेवाएं |
0.0 |
0.0 |
-0.1 |
2. झ सरकारी माल और सेवाएं |
-0.1 |
0.0 |
-0.1 |
2. ञ अन्य कारोबारी सेवाएं |
-1.1 |
-0.7 |
-0.9 |
2. ट अन्य एन.आइ.ई |
-0.2 |
-1.7 |
-2.5 |
3. प्राथमिक आय |
-4.3 |
-2.9 |
-3.9 |
3. क कर्मचारियों का वेतन |
-0.1 |
-0.3 |
-0.2 |
3. ख निवेश आय |
-4.2 |
-2.6 |
-3.6 |
4. द्वितीयक आय |
13.7 |
13.1 |
13.8 |
4. क वैयक्तिक अंतरण |
13.2 |
12.7 |
13.3 |
4. ख अन्य अंतरण |
0.5 |
0.4 |
0.5 |
5. चालू खाता (1+2+3+4) |
-14.1 |
-12.0 |
-5.4 |
टिप्पणी : उप घटकों का कुल पूर्णाकंन के कारण हो सकता है कुल से मिल न खाये। |
प्रा.:प्रारंभिक, आंसं आंशिक रूप से संशोधित |
पूंजी खाता
वित्तीय खाता वित्तीय खाता के अंतर्गत निवल अंतर्वाहों में 2011-12 की पहली तिमाही के दौरान काफी अधिक तेजी आई जो मुख्य रूप से एफडीआइ और ऋण के चलते अन्य निवेशों के कारण थी।
-
2011-12 पहली तिमाही के दौरान निवल वित्तीय अंतर्वाह बढ़कर 15.7 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गई (पिछले वर्ष की पहली तिमाही के दौरान 13.0 बिलियन अमरीकी डॉलर)। ऐसा मुख्य रूप से भारत के प्रति निवल एफडीआइ अंतर्वाहों (आवक एफडीआइ से घटाया जावक एफडीआइ) के कारण हुआ जो 2011-12 की पहली तिमाही के दौरान बढ़कर 7.2 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गये जबकि 2010-11 की पहली तिमाही में ये 2.9 बिलियन अमरीकी डॉलर थे।
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बैंकों द्वारा लिये गये निवल ऋण पिछले वर्ष के 2.9 बिलियन अमरीकी डॉलर की तुलना में उच्चतर अर्थात 11.6 बिलियन अमरीकी डॉलर रहे ऐसा मुख्य रूप से विदेश में धारित विदेशी मुद्रा आस्तियों के आहरण और विदेशी उधारों में वृद्धि के कारण हुआ।
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गैर सरकारी और गैर बैंकिंग क्षेत्र द्वारा लिये गये निवल ऋण (निवल ईसीबी) 2010-11 की पहली तिमाही के 2.3 बिलियन अमरीकी डॉलर की तुलना में उच्चतर अर्थात 2.9 बिलियन अमरीकी डॉलर रहे।
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अल्पकालिक व्यापार ऋण के अंतर्गत निवल अंतर्वाह 2010-11 की पहली तिमाही में घटकर 3.1 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गये जबकि 2010-11 की पहली तिमाही में ये 4.3 बिलियन अमरीकी डॉलर थे।
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2010-11 की पहली तिमाही के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार में 5.4 बिलियन अमरीकी डॉलर की निवल वृद्धि हुई। सांकेतिक अर्थ में (अर्थात मूल्यन परिवर्तनों सहित), तिमाही के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार में 10.9 बिलियन अमरीकी डॉलर की वृद्धि हुई, जो तिमाही के दौरान प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मुद्राओं की तुलना में अमरीकी डॉलर के मूल्य में गिरावट को दर्शाती है।
सारणी 3 : वित्तीय खाते की अलग-अलग मदें |
(बिलियन अमरीकन डॉलर) |
|
अप्रैल-जून 2011 (प्रा) |
अप्रैल-जून 2010 (आं.सं) |
जनवरी -मार्च 2011 (प्रा.) |
1. प्रत्यक्ष निवेश (निवल) |
7.2 |
2.9 |
0.6 |
1. क भारत में प्रत्यक्ष निवेश |
12.9 |
6.1 |
4.9 |
1. ख भारत द्वारा प्रत्यक्ष निवेश |
-5.7 |
-3.2 |
-4.3 |
2. पोर्टफोलियो निवेश |
2.3 |
3.5 |
0.0 |
2. क भारत में पोर्टफोलियो निवेश |
2.5 |
3.5 |
0.0 |
3. ख भारत द्वारा पोर्टफोलियो निवेश |
-0.2 |
0.0 |
0.0 |
3. अन्य निवेश |
11.7 |
10.3 |
7.7 |
3. क अन्य इक्विटी (एडीआर/जीडीआर) |
0.3 |
1.1 |
0.2 |
3. ख मुद्रा और जमाराशि जमाराशियां |
1.2 |
1.1 |
2.0 |
जमाराशियां लेने वाले निगम, केद्रीय बैंक को छोड़कर (एनआरआइ जमाराशियां) |
1.2 |
1.1 |
0.9 |
3. ग ऋण * |
14.8 |
7.6 |
0.4 |
3. ग i भारत को ऋण |
14.8 |
7.6 |
0.1 |
जमाराशियां लेने वाले निगम, केद्रीय बैंक को छोड़कर |
11.5 |
2.9 |
-2.7 |
सामान्य सरकारी (बाह्य सहायता) |
0.4 |
2.5 |
0.8 |
अन्य क्षेत्र (बाह्य वाणिज्यिक उधार) |
2.9 |
2.3 |
2.1 |
3. ग ii भारत द्वारा दिये गये ऋण |
0.0 |
-0.1 |
0.3 |
सामान्य सरकारी (बाह्य सहायता) |
0.0 |
0.0 |
0.0 |
अन्य क्षेत्र (बाह्य वाणिज्यिक उधार) |
0.0 |
-0.1 |
0.3 |
3. घ व्यापार ऋण और अग्रिम |
3.1 |
4.3 |
2.7 |
3. ङ अन्य खातों की प्राप्य / भुगतान योग्य राशियां अन्य |
-7.7 |
-3.8 |
2.3 |
आरक्षित आस्तियां |
-5.4 |
-3.7 |
-2.0 |
4. वित्तीय खाता (1+2+3+4) |
15.7 |
13.0 |
6.2 |
टिप्पणी : उप घटकों का कुल पूर्णाकंन के कारण हो सकता है कुल से मिल न खाये। |
* : इसमें बाह्य सहायता, ईसीबी और बैंकिंग पूंजी शामिल है। प्रा.:प्रारंभिक, आंसं आंशिक रूप से संशोधित |
जून 2011 को समाप्त तिमाही का बाह्य ऋण वर्तमान प्रथा के अनुसार मार्च तथा जून को समाप्त तिमाहियों के बाह्य ऋण के आंकड़े भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा संकलित तथा जारी किये जाते हैं जबकि सितंबर तथा दिसंबर तिमाहियों के बाह्य ऋण के आंकड़े वित्त मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा संकलित तथा जारी किये जाते हैं। तदनुसार, जून 2011 को समाप्त तिमाही के बाह्य ऋण के आंकड़े भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किए जा रहे हैं। ये आंकड़े /en/web/rbi पर देखे जा सकते हैं। आर.आर.सिन्हा उप प्रबंधक प्रेस प्रकाशनी:2011-2012/506 |