बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949(सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 23 – विशेषीकृत शाखाओं का प्राधिकरण – केंद्रीय प्रसंस्करण केंद्र (सीपीसीएस) / खुदरा आस्ति प्रसंस्करण केंद्र आदि
आरबीआई/2013-2014/336 15 अक्तूबर 2013 मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदया/ महोदय, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949(सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 23 – विशेषीकृत शाखाओं का प्राधिकरण – केंद्रीय प्रसंस्करण केंद्र (सीपीसीएस) / खुदरा आस्ति प्रसंस्करण केंद्र आदि हमें बैंकों से हाल में विशेषीकृत शाखाओं जैसे केंद्रीकृत प्रसंस्करण केंद्र(सीपीसी)/ खुदरा आस्ति प्रसंस्करण केंद्र/ क्षेत्रीय/ आंचलिक प्रसंस्करण केंद्रों की स्थापाना की मांग करते हुए अनुरोध प्राप्त हो रहे हैं। हमने मामले पर विचार किया है और इस संबंध में सूचित किया जाता है कि ऐसी विशेषीकृत शाखाओं को खोलने के लिए बैंककारी विनियमन अधिनियम,1949 (सहकारी समितियों पर यथा लागू) की धारा 23 के अंतर्गत प्राधिकरण अपेक्षित है। 2. ऐसी शाखाओं के लिए आवश्यकता आधारित प्राधिकरण प्रदान करने पर तभी विचार किया जाएगा जब शहरी सहकारी बैंकों की बड़ी संख्या में शाखा नेटवर्क होगा तथा जहां पर बड़े पैमाने पर कारोबार संचालन व प्रसंस्करण किया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप लागत में कमी होगी और त्वारित अनुमोदन संभव होगा। ऐसी विशेषीकृत शाखाएं स्थापित करने के लिए इच्छुक शहरी सहकारी बैंक उक्त केद्रों को खोलने की आवश्यकता और उद्देश्य को स्पष्ट करते हुए इस आशय के प्रस्ताव को वार्षिक कारोबार योजना में शामिल करें। 3. निम्नलिखित पात्रता मानदंड को पूरा करने पर संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को आवेदन प्रस्तुत कर सकते है: (i) दिनांक 1 अक्तूबर 2013 के हमारे परिपत्र सं शबैंवि. केंका. लाइसेंस. (पीसीबी). परि.सं.24/07.01.000/2013-14 में यथा परिभाषित अनुसूचित एफएसडबल्यूएम शहरी सहकारी बैंक जो मूल्यांकित वित्तीय मानदंड़ों का अनुपालन करते हैं, इसके लिए पात्र हैं। (ii) शहरी सहकारी बैंक में कोर बैंकिंग समाधान (सीबीएस) प्रणाली की सुविधा उपलब्ध होनी चाहिए। 4. ऐसी शाखाएं खोलने के लिए प्राधिकृत किए गए शहरी सहकारी बैंक निम्निलिखित शर्तों का भी अनुपालन सुनिश्चित करें : (i) ये शाखाएं पूरी तरह कंप्यूटरीकृत हों। (ii) ये शाखाएं शहरी सहकारी बैंकों के परिचालनगत क्षेत्र के भीतर खोली जानी चाहिए, साथ ही, क्लस्टर दृष्टिकोण के रूप में खोली जानी चाहिए अर्थात कतिपय संख्या की शाखाएं विशेषीकृत शाखा से संबद्ध होनी चाहिए। (ii) शाखाएं केवल ऐसे स्थान पर खोली जाएंगी जिसके लिए भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा प्राधिकरण जारी किया गया है और विशेषीकृत शाखा से सामान्य शाखा में अंतरण और सामान्य शाखा से विशेषीकृत शाखा में अंतरण के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन की आवश्यकता है। 5. ये शाखाएं साम्यिक बंधक का सृजन, निष्पादन/ ऋण दस्तावेज़ों का विमोचन, वसूली की पहल और अनुवर्ती कदम आदि को छोड़कर ग्राहकों से सीधा संपर्क/ कारोबार लेनदेन नहीं करेंगी। भवदीय, (ए.के.बेरा) |
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