खुदरा इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणाली - एनईएफटी/एनईसीएस/ आरईसीएस/ईसीएस - प्रोसेसिंग प्रभारों पर लेवी- अंतर-बैंक प्रभारों का संग्रहण और समाधान
भारिबैं/2011-12/111 13 जुलाई 2011 एनईएफटी/एनईसीएस/ आरईसीएस/ईसीएस में भाग लेने वाले सदस्य बैंकों के महोदया/महोदय, खुदरा इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणाली - एनईएफटी/एनईसीएस/ आरईसीएस/ईसीएस - प्रोसेसिंग प्रभारों पर लेवी- अंतर-बैंक प्रभारों का संग्रहण और समाधान उपर्युक्त विषय पर कृपया हमारे दिनांक 02 जून 2011 के परिपत्र भुनिप्रवि(केंका) इपीपीडी सं. 2649/04.03.01/2010-11 का अवलोकन करें. हमें सदस्य बैंकों से अनेक अनुरोध प्राप्त हो रहे हैं कि अन्य बैंकों को देय/प्राप्य क्षतिपूर्ति का निपटान एक-एक बैंकों द्वारा किये जाने के बजाय समाशोधन गृहों/प्रोसेसिंग केंद्रों द्वारा किया जाए जैसा कि हमारे संदर्भित परिपत्र के पैरा 3 में दर्शाया गया है. 2. समीक्षा करने पर यह निर्णय लिया गया है कि अब समाशोधन गृह/प्रोसेसिंग केंद्र परिपत्र में निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार देय प्रभारों की गणना और निपटान करेंगे. संशोधित व्यवस्था के अनुसार मूल बैंकों द्वारा गंतव्य बैंकों को देय प्रभारों (उस पर लागू सेवा कर सहित) की गणना और निपटान समाशोधन गृह/प्रोसेसिंग केंद्र द्वारा बहुपक्षीय नेटिंग विधि द्वारा किया जाएगा. यद्यपि सेवा कर की गणना बैंकों के कुल दायित्वों पर की जाएगी. आवश्यक एमआईएस रिपोर्टें बैंकों को उपलब्ध कराई जाएंगी ताकि वे सर्विस टैक्स का विप्रेषण सरकार को कर सकें. 3. समाशोधन गृहों/प्रोसेसिंग केंद्रों का प्रबंध करने वाले सभी बैंक समाशोधन गृहों/प्रोसेसिंग केंद्रों को सूचित करें कि वे इस कार्य को करने के लिए आवश्यक प्रणाली बनाएं. इस उद्देश्य के लिए अनुप्रयोग सॉफ्टवेयर में उपयुक्त संशोधन किया जा रहा है. 4. परिपत्र में दिये गये अन्य विवरण अपरिवर्तित रहेंगे। 5. तीन माह की अवधि के बाद इस व्यवस्था की समीक्षा की जायेगी। 6. कृपया पत्र प्राप्ति एवं इस संबंध में की गई कार्रवाई की पुष्टि करें। भवदीय (जी. श्रीनिवास) |
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