खुदरा इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणाली - एनईएफटी/एनईसीएस/ आरईसीएस/ईसीएस - प्रोसेसिंग प्रभारों पर लेवी
भारिबैं/2010-11/559 02 जून 2011 एनईएफटी/एनईसीएस/ आरईसीएस/ईसीएस में भाग लेने वाले सदस्य बैंकों के महोदया/महोदय, खुदरा इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणाली - एनईएफटी/एनईसीएस/ आरईसीएस/ईसीएस - प्रोसेसिंग प्रभारों पर लेवी जैसा कि आप जानते हैं, भारतीय रिज़र्व बैंक वर्ष 2006 से ही खुदरा इलेक्ट्रॉनिक भुगतान उत्पादों (एनईएफटी, एनईसीएस, आरईसीएस और ईसीएस) से संबंधित प्रोसेसिंग प्रभारों पर छूट दे रहा है ताकि इन प्रणालियों के उपयोग को प्रोत्साहित किया जा सके. पिछली छूट 31 मार्च 2011 तक वैध थी. हाल के वर्षों में इन उत्पादों के उपयोग में काफी वृद्धि हुई है. जबकि स्रोत बैंक अपने ग्राहकों पर प्रभार लगा रहे हैं, प्रोसेसिंग केंद्रों एवं गंतव्य बैंक को किसी प्रकार की क्षतिपूर्ति का भुगतान नहीं किया जा रहा है. भुगतानकर्ता बैंक/प्रोसेसिंग केंद्रों से क्षतिपूर्ति की मांग की जाती रही है. 2. समीक्षा करने तथा हितधारकों से परामर्श करने के बाद समाशोधन गृहों/प्रोसेसिंग केंद्र को स्रोत बैंकों पर निम्नानुसार प्रभार लगाने का निर्णय लिया गया है : - • प्रत्सेक जावक लेन देन के लिए 25 पैसे (सेवा कर छोड़कर) 3. जहां तक गंतव्य बैंक को क्षतिपूर्ति देने का संबंध है, यह निर्णय लिया गया है कि गंतव्य बैंकों को स्रोत बैंकों द्वारा निम्नानुसार भुगतान किया जाए : - • प्रत्सेक जमा लेनदेन के लिए 25 पैसे (सेवा कर छोड़कर) प्रत्येक बैंक द्वारा उत्पन्न एवं प्राप्त लेनदेनों की संख्या संबंधी आवश्यक आंकडे समाशोधन गृह/प्रोसेसिंग केंद्र द्वारा मासिक आधार पर प्रदान किया जाएगा. इसका उपयोग करते हुए बैंक अन्य बैंकों को देय एवं प्राप्य क्षतिपूर्ति की गणना करने के लिए आवश्यक प्रणालियां बना सकते हैं तथा आपस में इसका निपटान कर सकते हैं. 4. प्रभारों का संग्रहण मासिक आधार पर किया जा सकता है. इन प्रभारों को ग्राहकों पर आरोपित करने की अनुमति सहभागी बैंकों को नहीं है. 5. ये प्रभार 1 जुलाई 2011 से लागू होंगे. सभी समाशोधन गृह/प्रोसेसिंग केंदों से अपेक्षित है कि वे अपने प्रोसेसिंग प्रभार वसूल करने के लिए तथा उक्तानुसार उचित आंकड़ों के बैंकों तक प्रसार हेतु भी एक प्रणाली बनाएं. 6. कृपया पत्र प्राप्ति एवं इस संबंध में की गई कार्रवाई की पुष्टि करें. भवदीय (जी. पद्मनाभन) |
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