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सरकारी क्षेत्र के बैंकों के कर्मचारि‍यों के लि‍ए पेंशन का वि‍कल्प पुन: खोलना तथा उपदान (ग्रेच्युटी) सीमाओं मे वृद्धि‍ - वि‍वेकपूर्ण वि‍नि‍यामक व्यवहार

आरबीआइ/2010-11/400
बैंपवि‍वि‍.  सं. बीपी. बीसी. 80/21.04.018/2010-11

09 फरवरी 2011
20 माघ 1932 (शक)

सरकारी क्षेत्र के सभी बैंक

महोदय

सरकारी क्षेत्र के बैंकों के कर्मचारि‍यों के लि‍ए पेंशन का वि‍कल्प पुन: खोलना तथा उपदान (ग्रेच्युटी) सीमाओं मे वृद्धि‍ - वि‍वेकपूर्ण वि‍नि‍यामक व्यवहार

सरकारी क्षेत्र के बैंकों के कर्मचारि‍यों के लि‍ए पेंशन वि‍कल्प पुन: खोलने तथा उपदान संदाय अधि‍नि‍यम, 1972 में संशोधन के बाद उपदान सीमाओं में वृद्धि‍ के परि‍णामस्वरूप बैंक एवं भारतीय बैंक संघ (आइबीए) ने इस स्थि‍ति‍ के कारण व्यय में हुई वृद्धि‍ के परि‍शोधन के लि‍ए हमसे संपर्क कि‍या है ।

2.   पहले जि‍न कार्यरत कर्मचारि‍यों ने पेंशन वि‍कल्प नहीं चुना था उनके लि‍ए पेंशन वि‍कल्प पुन: खोलने तथा साथ ही उपदान सीमाओं में वृद्धि‍ के कारण अति‍रि‍क्त देयता का पूरा नि‍र्धारण कि‍या जाना चाहि‍ए और वि‍त्तीय वर्ष 2010-11 के लि‍ए उस देयता को लाभ और हानि‍ खाता में प्रभारि‍त करना चाहि‍ए ।

3.  तथापि‍, बैंकों ने कहा है कि‍ इतनी बड़ी राशि‍ को कि‍सी एक वर्ष में खपाना उनके लि‍ए कठि‍न होगा । हमने वि‍नि‍यामक दृष्टि‍कोण से इन मुद्दों की समीक्षा की है और यह नि‍र्णय लि‍या गया है कि‍ बैंक इस मामले में नि‍म्नलि‍खि‍त कार्रवाई कर सकते हैं :

क)  उपर्युक्त पैराग्राफ 2 में उल्लि‍खि‍त प्रकार से यदि‍ व्यय को वि‍त्तीय वर्ष 2010-11 के दौरान  लाभ और हानि‍ खाता में पूर्णत: प्रभारि‍त नहीं  कि‍या गया है तो 31 मार्च 2011 को समाप्त वि‍त्तीय वर्ष से प्रारंभ होने वाली पाँच वर्ष की अवधि‍ के दौरान उसका परि‍शोधन {नीचे दि‍ये गये पैरा (ख) एवं (ग) के अधीन } कि‍या जा सकता है बशर्ते प्रत्येक वर्ष कुल राशि‍ का कम-से-कम 1/5 भाग परि‍शोधि‍त कि‍या जाए ।

ख)   पूर्व नि‍र्धारि‍त कार्यक्रम के अनुसार बैंकिंग उद्योग के लि‍ए 01 अप्रैल 2013 से अंतर्राष्ट्रीय वि‍त्तीय रि‍पोटिर्‍गं मानक लागू करने के बाद आगे लाए गए अपरि‍शोधि‍त व्यय को बैंकों की आरक्षि‍त नि‍धि‍यों के प्रारंभि‍क शेष में से घटाया जाएगा ।

ग)  उपर्युक्त आगे लाए गए अपरि‍शोधि‍त व्यय में पृथक्कृत/सेवानि‍वृत्त कर्मचारि‍यों से संबंधि‍त कोई राशि‍ शामि‍ल नहीं होगी ।

4.  इस संबंध में अपनायी गई लेखांकन नीति‍ के संबंध में समुचि‍त प्रकटीकरण वि‍त्तीय वि‍वरणों की लेखा पर टि‍प्पणी के अंतर्गत कि‍या जाना चाहि‍ए।

5.  इस मामले की अपवादात्मक स्थि‍ति‍ को ध्यान में रखते हुए नए पेंशन वि‍कल्प तथा उपदान में वृद्धि‍ से संबंधि‍त अपरि‍शोधि‍त व्यय को टीयर 1 पूंजी से नहीं घटाया जाएगा ।

6.  बैंकों को अपनी पूंजी बढ़ाने की योजना बनाते समय उपर्युक्त 3(ख) को ध्यान में  रखना चाहि‍ए जि‍समें बासल III अपेक्षाओं को भी समूचि‍त रूप में शामि‍ल कि‍या जाना चाहि‍ए (बासल III पर अलग से एक परि‍पत्र जारी कि‍या जाएगा)।

भवदीय

(पी. आर. रवि‍ मोहन)
मुख्य महाप्रबंधक

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