वर्ष 2009-10 के लिए मौद्रिक नीति की दूसरी तिमाही समीक्षा - अग्रिमों के लिए प्रावधानीकरण सुरक्षा
आरबीआइ/2009-10/241 1 दिसंबर 2009 अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक/मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदय वर्ष 2009-10 के लिए मौद्रिक नीति की दूसरी तिमाही कृपया 27 अक्तूबर 2009 को जारी वर्ष 2009-10 के लिए मौद्रिक नीति की दूसरी तिमाही समीक्षा का पैरा 159 देखें (पैरा की प्रतिलिपि संलग्न)। 2. वर्तमान में अनर्जक आस्तियों के लिए प्रावधानीकरण अपेक्षा बकाया राशि के 10 प्रतिशत से 100 प्रतिशत तक के दायरे में है, जो इस बात पर निर्भर करती है कि अनर्जक आस्ति कितनी पुरानी है और कितनी जमानत उपलब्ध है। बैंक अपने ऋण संविभाग की जोखिम-स्थिति के आधार पर एक सुसंगत नीति के तहत अतिरिक्त विनिर्दिष्ट प्रावधान भी कर सकते हैं, क्योंकि अनर्जक आस्तियों के लिए प्रावधानीकरण की निर्धारित दरें न्यूनतम विनियामक दरें हैं। यह पाया गया है कि विभिन्न बैंकों के बीच प्रावधानीकरण सुरक्षा अनुपात के स्तर में काफी विषमता और भिन्नता है। 3. जैसा कि आपको ज्ञात है, समष्टि विवेकपूर्ण दृष्टि से आज-कल ऐसा माना जा रहा है कि बैंकों को अच्छे समय में, यानी जब लाभ अच्छा हो रहा हो, प्रावधानीकरण और पूंजी संचय में वृद्धि करनी चाहिए, जिनका प्रयोग मंदी के दौर में हानि को अत्मसात् करने में किया जा सकता है। इसे ध्यान में रखते हुए प्रावधानीकरण सुरक्षा में सुधार लाने की आवश्यकता है, क्योंकि आज-कल बैंकिंग प्रणाली अच्छा लाभ कमा रही है। इससे अलग-अलग बैंक अधिक सुदृढ़ होंगे और वित्तीय क्षेत्र की स्थिरता बढ़ेगी। अत:, यह निर्णय लिया गया है कि बैंकों को अपनी प्रावधानीकरण सुरक्षा में वृद्धि करनी चाहिए, जिसके अंतर्गत अनर्जक आस्तियों के लिए किया गया विनिर्दिष्ट प्रावधान और अस्थायी प्रावधान शामिल हैं। बैंकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अस्थायी प्रावधान सहित उनका कुल प्रावधानीकरण सुरक्षा अनुपात 70 प्रतिशत से कम नहीं है। 4. प्रावधानीकरण सुरक्षा अनुपात (पीसीआर) वस्तुत: सकल अनर्जक आस्तियों की तुलना में प्रावधानीकरण का अनुपात है तथा यह दर्शाता है कि किसी बैंक ने ऋण हानि से सुरक्षा के लिए कितनी निधि अलग रखी है। बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे संलग्न फार्मेट के अनुसार पीसीआर की गणना करें। 5. बैंकों को उक्त मानदंड सितंबर 2010 के अंत तक प्राप्त कर लेना चाहिए। इसके अलावा, पीसीआर को तुलन पत्र के लेखे पर टिप्पणी के अंतर्गत प्रकट करना चाहिए। भवदीय (बी.महापात्र) मौद्रिक नीति 2009-10 की दूसरी तिमाही समीक्षा का पैराग्राफ 159 मौजूदा समय में एनपीए के प्रावधानीकरण से संबंधित अपेक्षाएं बकाया राशि के 10 प्रतिशत से 100 प्रतिशत के बीच होती हैं जो एनपीए की अवधि, उपलब्ध प्रतिभूति तथा बैंक की आंतरिक नीति पर निर्भर करती हैं। चूंकि एनपीए के प्रावधानीकरण की भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित दरें न्यूनतम हैं और बैंक अपने ऋण संविभागें की जोखिम-स्थिति पर आधारित संगत नीति के अधीन अतिरिक्त प्रावधान कर सकते हैं, इसलिए प्रावधानीकरण कवरेज अनुपात के स्तर के मामले में बैंकों के बीच व्यापक विषमता और भिन्नता पायी गयी है। प्रावधानीकरण सुरक्षा में सुधार लाने तथा सभी बैंकों की मजबूती बढ़ाने की दृष्टि से यह प्रस्ताव किया गया है कि बैंकों को सूचित किया जाए कि उन्हें अपनी प्रावधानीकरण सुरक्षा में वृद्धि करनी चाहिए, जिसके अंतर्गत अनर्जक आस्तियों के लिए किया गया विनिर्दिष्ट प्रावधान और अस्थायी प्रावधान शामिल हैं । बैंकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अस्थायी प्रावधान सहित उनका कुल प्रावधानीकरण सुरक्षा अनुपात 70 प्रतिशत से कम नहीं है । बैंकों को सितंबर 2010 के अंत तक यह मानदंड पूरा कर लेना चाहिए। अनुबंध प्रवधानीकरण सुरक्षा अनुपात (पीसीआर) की गणना हेतु प्रारूप
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