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प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र को उधार-विशेष कार्यक्रम

प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र को उधार-विशेष कार्यक्रम
स्वर्ण जयन्ती शहरी रोज़गार योजना

भारतीय रिज़र्व बैंक
ग्रामीण आयोजना और ऋण विभाग
केन्द्रीय कार्यालय,मुम्बई

ग्राआऋवि.सं.एसपी.बीसी.16/09.16.01/2002-03

अगस्त 7 , 2003

अध्यक्ष/प्रबंध निदेशक
सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के अतिरिक्त)

महोदय,

मास्टर परिपत्र

प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र को उधार-विशेष कार्यक्रम
स्वर्ण जयन्ती शहरी रोज़गार योजना

भारतीय रिज़र्व बैंक ने समय-समय पर स्वर्ण जयन्ती शहरी रोज़गार योजना के परिचालन के संबंध में अनुदेश/दिशानिर्देश जारी किए हैं । बैंकों को वर्तमान अनुदेश एक ही स्थान पर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से योजना पर वर्तमान दिशानिर्देशों/ अनुदेशों/निदेशों को सम्मिलित करते हुए एक मास्टर परिपत्र तैयार किया गया है तथा संलग्न है । हम सूचित करते हैं कि इस मास्टर परिपत्र में, अनुबंध III में सूचीबध्द 15 जुलाई 2003 तक भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर जारी पिछले सभी अनुदेश सम्मिलित हैं ।

कृपया पावती दें ।

भवदीय

वरुगीस जोण
मुख्य महाप्रबंधक

स्वर्ण जयन्ती शहरी रोज़गार योजना

1. भारत सरकार ने निम्नलिखित वर्तमान तीन योजनाओं के स्थान पर एक सरल और कारगर गरीबी उन्मूलन योजना आरंभ की है ।

  1. नेहरु रोज़गार योजना
  2. गरीबों के लिए शहरी बुनियादी आवश्यकताएँ, और
  3. प्रधानमंत्री समेकित शहरी गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम

नई योजना के विस्तृत दिशानिर्देश सभी बैंकों को 17 नवम्बर 1997 के भा.रि.बैं. के परिपत्र ग्राआऋवि.एसपी.बीसी.52/09.16.01/97-98 द्वार परिचालित कर दिए गए हैं ।

2. योजना

2.1 इस योजना में तीनों योजनाओं की सभी महत्वपूर्ण विशेषताएँ हैं और यह भारत में सभी शहरी नगरों में । दिसंबर 1997 से परिचालन में है ।

2.2 स्वजशरोयो बेरोजगार अथवा अर्ध रोजगार प्राप्त शहरी गरीबों (गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले) को स्वरोजगार उद्यम लगा कर अथवा मजदूरी रोजगार उपलब्ध कराने के माध्यम से लाभकारी रोजगार उपलब्ध कराती है । योजना के अन्तर्गत सामग्री, दोनों प्रकार से, शहरों में गरीबों के लिए मूल सेवाओं के आधार पर स्थापित किए गए सामुदायिक ढाँचे तथा शहरी स्थानीय निकायों के माध्यम से दी जा सकती है । योजना का निधियन केन्द्र तथा राज्य द्वारा 75:25 के अनुपात में किया जाएगा ।

3. स्वर्ण जयन्ती शहरी रोज़गार योजना में दो विशेष योजनाएँ सम्मिलित हैं :-

  1. शहरी स्व रोज़गार कार्यक्रम
  2. शहरी मजदूरी रोज़गार कार्यक्रम

योजना के अन्य घटकों में शहरी स्व-रोजगार कार्यक्रम के निम्नलिखित वे दो भाग हैं जहाँ बैंकों का ऋण सम्मिलित है :-

3.1 शहरी स्व-रोज़गार कार्यक्रम - शहरी गरीब हिताधिकारी को लाभकारी स्व रोज़गार उद्यम की स्थापना के लिए सहायता - रोजगार उद्यम

  1. वे अर्ध रेाज़गार प्राप्त अथवा बेरोज़गार युवा, जिनकी वार्षिक पारिवारिक आय गरीबी रेखा से नीचे हो तथा जिनकी शिक्षा नौवीं कक्षा तक हुई हो, बैंक के ऋण और सरकार से सब्सिडी के पात्र होंगे । 50,000/- रु. तक की लागत वाली परियोजनाओं को बैंक द्वारा वित्त प्रदान किया जाएगा । सरकार द्वारा परियोजना लागत के 15% तक सब्सिडी प्रदान की जाएगी जिसकी अधिकतम सीमा 7500 रु. प्रति हिताधिकारी होगी तथा इसे बैंक ऋण के साथ जोड़ा जाएगा ।
  2. उधारकर्ता को परियोजना लागत का 15% मार्जिन राशि के रुप में लाना होगा । भागीदारी की अनुमति उन मामलों में दी जाएगी जहाँ समग्र परियोजना लागत प्रति उधारकर्ता को अनुमत व्यक्तिगत परियोजना लागत का जोड़ होगी । ऐसी परियोजनाएँ कुल प्रति व्यक्ति अनुमतिप्राप्त सब्सिडी के समान सब्सिडी की पात्र होंगी तथा प्रत्येक सदस्य को मार्जिन राशि के रुप में परियोजना लागत के अपने हिस्से का 5 प्रतिशत लाना होगा ।
  3. स्वर्ण जयन्ती शहरी रोज़गार योजना के शहरी स्व-रोजगार कार्यक्रम के अन्तर्गत लक्ष्य योजना के दिशानिर्देशों के अनुरुप तथा योजना के परिचालन का पर्याप्त लचीलापन सुनिश्चित करने हेतु हिताधिकारियों के सर्वेक्षण के परिणाम के अनुसार राज्य सरकारों द्वारा निर्धारित किए जाएंगे ।

3.2 शहरी क्षेत्रों में महिलाओं और बच्चों का विकास

इस कार्यक्रम में समूह में स्वरोजगार उद्यम स्थापित करने का निर्णय करने वाली शहरी गरीब महिलाओं को विशेष प्रोत्साहन का उल्लेख किया गया है । ऐसे समूह अपने कौशल,प्रशिक्षण,योग्यता और स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार कोई भी आर्थिक गतिविधि आरंभ कर सकते हैं ।शहरी क्षेत्रों में महिलाओं और बच्चों के विकास के समूह में कम से कम 10 शहरी गरीब महिलाएँ होनी चाहिए तथा वह समूह 1,25,000 रु. अथवा परियोजना लागत का 50 प्रतिशत, जो भी कम हो, सब्सिडी का पात्र होगा । समूह को थ्रिफट एण्ड क्रेडिट सोसायटी के रुप में स्वयं को स्थापित करने के हर संभव प्रयास करने चाहिए ।

4. प्रमुख विशेषताएँ

4.1 वास्तविक हिताधिकारियों की पहचान के लिए घर-घर जाकर सर्वेक्षण करना चाहिए । शहरी गरीबों की पहचान के लिए शहरी गरीबी रेखा के आर्थिक मानदण्ड के साथ-साथ गैर आर्थिक मानदण्ड भी लागू किए जाने चाहिए । नगर शहरी गरीबी उन्मूलन कक्ष/शहरी स्थानीय निकायों के दिशानिर्देशों के अन्तर्गत इस कार्य के लिए सामुदायिक विकास समितियों जैसे सामुदायिक ढाँचों को भी सम्मिलित किया जाना चाहिए ।

4.2 स्वर्ण जयन्ती शहरी रोजगार योजना के शहरी स्वरोजगार कार्यक्रम/शहरी क्षेत्रों में महिलाओं और बच्चों का विकास घटक के अन्तर्गत सब्सिडी राशि को अन्तिम उपयोगिता सब्सिडी समझा जाना चाहिए ।

4.3 स्वर्ण जयन्ती शहरी रोजगार योजना के अन्तर्गत महिला हिताधिकारी 30 प्रतिशत से कम नहीं होने चाहिए । अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के हिताधिकारियों को स्थानीय जनसंख्या में उनके अनुपात के अनुसार लाभान्वित किया जाना चाहिए । योजना के अन्तर्गत विकलांगों के लिए 3 प्रतिशत का विशेष प्रावधान किया जाना चाहिए ।

4.4 योजना के अन्तर्गत प्रदान किए जाने वाले ऋणों को प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र को उधार के रुप में गिना जाना चाहिए तथा तदनुसार 25000 रु. के ऋण आवेदन पत्रों का निपटान 15 दिन के अन्तर्गत तथा 25000/- रु. से अधिक के ऋण आवेदनपत्रों का निपटान 8 से 9 सप्ताह के भीतर किया जाना चाहिए ।

4.5 आवेदन पत्र में एक ऐसा खंड होना चाहिए जिसमें राज्य/केन्द्र सरकार के किसी बैंकिंग/वित्तीय संस्थान से आवेदक द्वारा लिए गए ऋण का ब्योरा, चुकौती का ब्योरा तथा इस प्रकार उपयेाग की गई सुविधा, यदि कोई हो, के संबंध में बकाया राशि का उल्लेख हो । आवेदक द्वारा आवेदनपत्र में दिया गया ब्योरा उसके द्वारा प्रमाणित किया हो । आवेदक द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर, यदि बैंक उधारकर्ता की स्थिति से सन्तुष्ट हैं तो वे "अदेयता प्रमाणपत्र" प्रस्तुत करने में छूट देने पर विचार कर सकते हैं ताकि ऋणों के संवितरण में होने वाले विलम्ब से बचा जा सके । यदि संबंधित बैंक उस क्षेत्र में अन्य बैंकों में उधारकर्ता के ऋण खाते की स्थिति का सत्यापन करने का निर्णय लेता है तो वह अन्य बैंकों को यह अनुरोध करते हुए आवेदकों की सूची, डुप्लिकेट में भेजे कि वे उसकी दूसरी प्रति विधिवत सत्यापित कराके भेजें । जिन बैंकों को सत्यापन

के लिए मामले भेजे गए हैं उन्हें अधिकतम 10 दिन की अवधि में जानकारी अथवा उनकी देय राशि का ब्योरा उपलब्ध कराना चाहिए । यदि सत्यापन के अनुरोध के 15 दिन के भीतर बैंक द्वारा कोई उत्तर प्राप्त नहीं होता है तो यह मान लिया जाएगा कि बैंक के प्रति उसकी कोई देयता नहीं है । साथ ही, यह अन्तर बैंक सूचना का आदान प्रदान पारस्परिक आधार पर होने के कारण, अदेयता प्रमाणपत्र देने के लिए सेवा प्रभार नहीं लिया जाना चाहिए ।

4.6 आवेदनपत्रों का निरसन - शाखा प्रबंधक आवेदनपत्रों को अस्वीकृत कर सकते हैं (अजा/अजजा के अतिरिक्त) तथा इस प्रकार के अस्वीकृत मामलों का सत्यापन बाद में मंडल/क्षेत्रीय प्रबंधकों द्वारा किया जाना चाहिए । अजा/ अजजा के प्रस्तावों के मामले में अस्वीकृति शाखा प्रबंधक से उच्चतर स्तर पर होनी चाहिए । इसके अतिरिक्त,अस्वीकृति तुच्छ आधार पर नहीं होनी चाहिए । अस्वीकृति के कारण आवेदन लौटाते समय प्रायोजक एजेंसी को भी बताने चाहिए ।

4.7 स्वरोजगार योजना के अन्तर्गत सहायता के लिए पात्र उद्यमी बैंक से 50,000/-रु. तक ऋण ले सकता है तथा इस ऋण और 3.00 लाख रु. तक के सामूहिक ऋण के लिए संपार्श्विक/गारंटी की कोई आवश्यकता नहीं होगी। मार्जिन और सरकार द्वारा सब्सिडी के अतिरिक्त, उधारकर्ता बैंक ऋण से सृजित आस्तियों को बैंक के पास दृष्टिबंधक/बंधक/गिरवी रखेगा ।

4.8 योजना के अन्तर्गत चयनित उद्यमियों को सरकार द्वारा उद्यमिता विकास सहायता तथा प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जाएगा । योजना के अन्तर्गत ऋण संवितरण से पहले प्रशिक्षण एक आवश्यक घटक है । यदि उधारकर्ता ने किसी पंजीकृत गैर सरकारी संगठन/स्वैच्छिक संगठन से प्रशिक्षण प्राप्त किया हो अथवा मोचीगिरी, बढ़ईगिरी इत्यादि सीखी हो अथवा किसी निजी/सरकारी पंजीकृत निकाय से प्रशिक्षा के रुप में कारोबार सीखा हो तथा निजी/सरकारी पंजीकृत कम्पनी से, जैसा भी मामला हो, इस आशय का प्रमाणपत्र प्राप्त किया हो तो इस अपेक्षा से छूट दी जा सकती है । तथापि, उन गतिविधियों के लिए ऋण स्वीकृत करने हेतु प्रशिक्षण को शर्त नहीं माना जाना चाहिए जहाँ विशेष कौशल की आवश्यकता न हो ।

4.9 योजना के अन्तर्गत ऋणों पर बयाज भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर जारी ब्याज दर निदेशों के अनुसार लगायी जाएगी ।

4.10 किसी बैंक/वित्तीय संस्थान का चूककर्ता योजना के अन्तर्गत सहायता के लिए पात्र नहीं होगा ।

4.11 स्वयं सहायता समूह 10 फरवरी 1998 के परिपत्र डीबीओडी.सं. डीआइआर. बीसी.11/13.01.08/98 में विहित निदेशों के अनुसार बचत बैंक खाता खोलने के पात्र हैं ।

5. निगरानी और समीक्षा

5.1 अनुबंध (1) में दिए प्रोफार्मा के अनुसार योजना के अन्तर्गत भा.रि.बैं. को तिमाही प्रगति रिपोर्टें भेजी जाएँ । योजना के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए बैंक शाखाओं/नियंत्रक/आँचलिक कार्यालयों द्वारा उसी फार्मेट का प्रयोग किया जाए ।

5.2 योजना की निगरानी जिला स्तरीय परामर्शदात्री समिति तथा राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति द्वारा उनकी आवधिक बैठकों में की जाएगी ।

6. स्पष्टीकरण

कुछ बैंकों द्वारा उठाए गए मुद्दों/प्रश्नों के संबंध में स्पष्टीकरण नीचे प्रस्तुत है :-

6.1 स्वर्ण जयन्ती शहरी रोजगार योजना (सामान्य)

    1. न्यूनतम/अधिकतम आयु सीमा : कोई निर्धारित सीमा नहीं
    2. सब्सिडी की पात्रता : सब्सिडी,परियोजना लागत का 15 प्रतिशत होगी जिसकी अधिकतम सीमा 7500/- रु. प्रति हिताधिकारी होगी (शहरी स्व रोजगार कार्यक्रम के लिए) तथा यह बैंक ऋण से जुड़ी होगी ।
    3. परिवार की परिभाषा : परिवार की पहचान अलग रसोई के आधार पर की जाएगी ।
    4. कवरेज :

(क) स्वर्ण जयन्ती स्वरोजगार योजना किसी भी श्रेणी के शहरी स्थानीय निकाय के क्षेत्राधिकार में आने वाले सभी क्षेत्रों में लागू होगी ; चाहे जनसंख्या कुछ भी हो ।

(ख) वे उधारकर्ता जिन्हें पूर्ववर्ती शहरी व्यष्टि उद्यम योजना के अन्तर्गत ऋण/सब्सिडी स्वीकृत हुई थी लेकिन वे पूरी राशि आहरित नहीं कर पाए, उन्हें स्वर्ण जयन्ती शहरी रोजगार योजना के अन्तर्गत बढ़े हुए ऋण/सब्सिडी का लाभ प्राप्त करने की अनुमति है ।

6.2 डीडब्ल्यूसीयूए उप-योजना

    1. प्रति हिताधिकारी/समूह ऋण घटक : पूरे समूह के लिए कुल परियोजना लागत का 50 प्रतिशत ।
    2. डीडब्ल्यूसीयूए समूह के लिए परियोजना लागत के 50 प्रतिशत के वित्तपोषण का स्वरुप :- बैंक ऋण द्वारा, पूरे समूह के लिए मार्जिन राशि के रुप में 5 प्रतिशत के प्रावधान के अधीन ।
    3. प्रति हिताधिकारी/समूह परियोजना लागत :-कोई अधिकतम सीमा निर्धारित नहीं । ऐसे मामलों में शहरी क्षेत्रों में महिला व बाल विकास समूह परियोजना लागत 2,50,000/- रु. से अधिक होने पर परियोजना लागत में सब्सिडी (1.25.000/- रु.) तथा परियोजना लागत का 5 प्रतिशत मार्जिन राशि कम करके बैंक ऋण घटक माना जाएगा चाहे यह परियोजना लागत के 50 प्रतिशत अधिक हो ।
    4. मार्जिन राशि प्रति हिताधिकारी/समूह :- समग्र समूह द्वारा परियोजना लागत का 5 प्रतिशत मार्जिन राशि के रुप में अंशदान किया जाएगा ।
    5. ऋण की चुकौती :- व्यक्तिगत स्व रोज़गार के लिए शहरी स्व रोजगार कार्यक्रम के समान ।
    6. आय मानदंड :- समूह के प्रत्येक सदस्य को योजना आयोग द्वारा निर्धारित कार्यालयीन कार्य प्रणाली के अनुसार शहरी गरीबी मानदंड पूरे करने होंगे । स्वर्ण जयन्ती स्व रोजगार योजना के अन्तर्गत हिताधिकारियों की पहचान मासिक प्रति व्यक्ति आधार पर की जाएगी न कि वार्षिक पारिवारिक आय के आधार पर ।

7. सब्सिडी का प्रबंधन

7.1 स्वर्ण जयन्ती स्वरोजगार योजना के शहरी स्व रोजगार कार्यक्रम और शहरी क्षेत्रों में महिला और बाल विकास के घटक के अन्तर्गत सब्सिडी के प्रबंधन से संबंधित दिशानिर्देश अनुबध (II) में प्रस्तुत हैं ।

7.2 यह नोट किया जाए कि स्वर्ण जयन्ती शहरी रोजगार योजना के घटक शहरी स्व-रोजगार कार्यक्रम/शहरी क्षेत्रों के महिला व बाल विकास के अन्तर्गत सब्सिडी को अन्तिम उपयोग सब्सिडी माना जाएगा । उधारकर्ता को देय सब्सिडी को उधारकर्ता के नाम में आवधिक जमाराशि के बजाय उधारकर्ता-वार सब्सिडी आरक्षित निधि खाते में रखा जाए । बैंकों को सब्सिडी आरक्षित निधि खाते पर ब्याज नहीं लगाना चाहिए । ऋण पर ब्याज प्रभारित करने के लिए, सब्सिडी राशि को शामिल नहीं करना चाहिए ।

7.3 नकदी प्रारक्षित निधि अनुपात/सांविधिक चलनिधि अनुपात के प्रयोजन के लिए सब्सिडी प्रारक्षित निधि खाते में बकाया जमा राशि को मांग और मीयादी देयताओं का अंश नहीं मानना चाहिए ।

बैंक का नाम : एसजेएसआरवाइ के घटक यूसेप के अंतर्गत -------- को समाप्त तिमाही के लिए संचयी स्थिति दर्शानेवाली रिपोर्ट

(राशि लाख रु. में)

राज्य/
संघशासित क्षेत्र

लक्ष्य

प्राप्त आवेदन (सं.)

कुल स्वीकृत ऋण

कुल सं.वितरित ऋण

कुल संवितरित सब्सिडी

कुल स्वीकृत ऋण में अजा/अजजा को स्वीकृत ऋण

कुल संवितरित ऋण में अजा/अजजा को संवितरित ऋण

कुल स्वीकृत ऋण में महिलाओं को स्वीकृत ऋण

कुल संवितरित ऋण में महिलाओं को संवितरित ऋण

कुल स्वीकृत ऋण में विकलांगों को स्वीकृत ऋण

कुल संवितरित ऋण में विकलांगों को संवितरित ऋण

स्वीकृति हेतु लंबित आवेदनों की संख्या *

अस्वीकृत आवेदनों की संख्या
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उत्तरी क्षेत्र

हरियाणा
हिमाचल प्रदेश
जम्मू और कश्मीर
पंजाब
राजस्थान
चंडीगढ़
दिल्ली
उत्तर पूर्वी क्षेत्र

असम
मणिपुर
मेघालय
नगालैंड
त्रिपुरा
अरुणाचल प्रदेश
मिजोरम
पूर्वी क्षेत्र

बिहार
उढ़ीसा
पश्चिम बंगाल
अंदमान और निकोबार
सिक्किम

मध्य क्षेत्र* कॉलम सं.22 = कॉलम सं. 3-4-23

**कॉलम सं. 23 = कॉलम सं. 3-4-22

(राशि लाख रु. में)

राज्य/
संघशासित क्षेत्र

लक्ष्य

प्राप्त आवेदन (सं.)

कुल स्वीकृत ऋण

कुल सं.वितरित ऋण

कुल संवितरित सब्सिडी

कुल स्वीकृत ऋण में अजा/अजजा को स्वीकृत ऋण

कुल संवितरित ऋण में अजा/अजजा को संवितरित ऋण

कुल स्वीकृत ऋण में महिलाओं को स्वीकृत ऋण

कुल संवितरित ऋण में महिलाओं को संवितरित ऋण

कुल स्वीकृत ऋण में विकलांगों को स्वीकृत ऋण

कुल संवितरित ऋण में विकलांगों को संवितरित ऋण

स्वीकृति हेतु लंबित आवेदनों की संख्या *

अस्वीकृत आवेदनों की संख्या
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छत्तीसगढ़
मध्य प्रदेश
उत्तरांचल
उत्तर प्रदेश
पश्चिम क्षेत्र

गुजरात
महाराष्ट्र
दमण और दीव
गोवा
दादरा और नगर हवेली
दक्षिणी क्षेत्र

आंध्र प्रदेश
कर्नाटक
केरल
तमिलनाडु
लक्षद्वीप
पांडिचेरी
समग्र भारत

बैंक का नाम : एसजेएसआरवाइ के घटक डीडब्ल्यूसीयूए के अंतर्गत -------- को समाप्त तिमाही के लिए संचयी स्थिति दर्शानेवाली रिपोर्ट

राज्य/संघशासित क्षेत्र
का नाम

डीडब्ल्यूसीयूए प्राप्त आवेदनों की संख्या

डीडब्ल्यूसीयूए स्वीकृत

डीडब्ल्यूसीयुए संवितरित

डीडब्ल्यूसीयूए
संवितरित सब्सिडी राशि

डीडब्ल्यूसीयूए लंबित आवेदनों की संख्या *

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उत्तर क्षेत्र

हरियाणा
हिमाचल प्रदेश
जम्मू और कश्मीर
पंजाब
राजस्थान
चंडीगढ़
दिल्ली
उत्तर पूर्वी क्षेत्र

असम
मणिपुर
मेघालय
नगालैंड
त्रिपुरा
अरुणाचल प्रदेश
मिजोरम
पूर्वी क्षेत्र

बिहार
झारखंड
उढ़ीसा

राज्य/संघशासित क्षेत्र
का नाम

डीडब्ल्यूसीयूए प्राप्त आवेदनों की संख्या

डीडब्ल्यूसीयूए स्वीकृत

डीडब्ल्यूसीयुए संवितरित

डीडब्ल्यूसीयूए

संवितरित सब्सिडी राशि

डीडब्ल्यूसीयूए लंबित आवेदनों की संख्या *

डीडब्ल्यूसीयूए अस्वीकृत आवेदनों की संख्या **

   

समूहों की संख्या

कुल सदस्य

स्वीकृत राशि

समूहों की सं.

कुल सदस्य

ऋण संवितरित राशि

     
 

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पश्चिम बंगाल
अंदमान और निकोबार
सिक्किम

मध्य क्षेत्र

छत्तीसगढ
मध्य प्रदेश
उत्तरांचल
उत्तर प्रदेश
पश्चिमी क्षेत्र

गुजरात
महाराष्ट्र
दमण और दीव
गोवा
दादरा और नगर हवेली
दक्षिणी क्षेत्र

आंध्र प्रदेश
कर्नाटक
केरल
तमिलनाडु
लक्षद्वीप
पांडिचेरी
समग्र भारत
*कॉलम सं.32 = कॉलम 24-25-33

**कॉलम सं.33=कॉलम 24-25-32

योजना के अंतर्गत संबंधित वर्ष का अप्रैल से मार्च तक का कार्यनिष्पादन दर्शानेवाली संचयी प्रगति रिपोर्ट होनी चाहिए ।

अनुबंध II

मास्टर परिपत्र
प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र उधार -
विशेष कार्यक्रम

व्यष्टि उद्यमों के निर्माण और स्वर्ण जयंती शहरी रोज़गार योजना
(एसजेएसआरवाइ) के शहरी क्षेत्रों में महिला और बाल विकास
(डीडब्ल्यूसीयूए) के माध्यम से शहरी स्वरोजगार के घटकों के
अंतर्गत सब्सिडी के प्रबंधन संबंधी दिशानिर्देश

(पैराग्राफ 7.1 के अनुसार)

1. प्रत्येक राज्य स्तरीय नोडल एजेंसी/एसयूडीए को केंद्र सरकार से प्राप्त राशि और राज्य सरकार से प्राप्त सब्सिडी घटक के बराबर की राशि जोड़कर जिला स्तरीय एजेंसियों/जिला शहरी विकास एजेंसियों को मोटे तौर पर उनकी जनसंख्या के अनुपात में से संवितरित की जाएगी ।

2. उसके बाद, जिला स्तरीय एजेंसी/डीयूडीए, जिले में प्रत्येक शहरी स्थानीय निकाय द्वारा जनसंख्या को दी जानेवाली सुविधा के अनुपात में विभिन्न शहरी स्थानीय निकायों के बीच कुल सब्सिडी संवितरित की जाएगी ।

3. दोनों घटकों के लिए शहरी स्थानीय निकाय-वार सब्सिडी का आबंटन निर्धारित करने पर शहरी स्थानीय निकाय बचत बैंक खाते खोलेंगे । आबंटित सब्सिडी जिसमें जमा की जाए, उसका शीर्षक निम्नानुसार होगा :-

  1. " (शहरी स्थानीय निकाय का नाम लिखें) खाता - एसजेएसआरवाइ-शहरी स्वरोजगार कार्यक्रम (यूसेप) के अंतर्गत व्यष्टि उद्यम और कौशल विकास के निर्माण के माध्यम से शहरी स्वरोजगार हेतु सब्सिडी । "
  2. (शहरी स्थानीय निकाय का नाम लिखें) खाता - एसजेएसआइवाइ-शहरी स्वरोजगार कार्यक्रम के अंतर्गत शहरी क्षेत्रों में महिलाओं और बाल विकास हेतु सब्सिडी ।

4. उपर्युक्त खाते नामे डालने संबंधी अनुदेशों पर शहरी स्थानीय निकाय के अध्यक्ष और उसके मुख्य कार्यपालक अधिकारी द्वारा संयुक्त रुप से हस्ताक्षर होने चाहिए । यदि शहरी स्थानीय निकाय अधिक्रमणित हो तो, शहरी स्थानीय निकाय के प्रशासक/ओएसडी/सीइओ (मुख्य कार्यपालक अधिकारी) और एक अन्य अधिकारी द्वारा खाता परिचालित किया जाए ।

5. उपर्युक्त खातों में जमा की गयी सब्सिडी राशि संबंधित बैंकों द्वारा ऋण राशियों के साथ विमोचित की जाए । वैसे, शहरी स्थानीय निकायों को चेक बुक जारी करने की आवश्यकता नहीं है । जिला स्तरीय नोडल एजेन्सी/डीयूडीए जिले के उपर्युक्त खाते धारक विभिन्न बैंकों के प्रबंधकों को यथोचित अनुदेश दे सकते हैं कि वे ऐसे खातों के लिए कोई चेक बुक जारी न करें ।

6. राष्ट्रीयकृत बैंक या अनुसूचित बैंक में ही उपर्युक्त खाते खोले जा सकते हैं ।

7. बैंक खाते खोलने/परिचालन से संबंधित अनुदेश अविकल्पी होंगे और शहरी कार्य और रोजगार मंत्रालय की लिखित सहमति के बिना रुपांतरित/ आशोधित/ परिवर्तित/निरस्त/वापस नहीं ले सकते ।

अनुबंध III

मास्टर परिपत्र में समेकित परिपत्रों की सूची

सं.

परिपत्र सं.

दिनांक

विषय

1.

ग्राआऋवि.एसपी.बीसी.52/09.06.01/ 97-98

17.11.1997

स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना (एसजेएसआरवाई)

2.

ग्राआऋवि.एसपी.बीसी.54/09.06.01/ 97-98

25.11.1997

स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना (एसजेएसआरवाई)

3.

ग्राआऋवि.एसपी.बीसी.96/09.06.01/

97-98

02.03.1998

स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना (एसजेएसआरवाई)

4.

ग्राआऋवि.एसपी.बीसी.115/09.06.01/97-98

05.05.1998

स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना (एसजेएसआरवाई)

5.

ग्राआऋवि.एसपी.बीसी.5/09.06. 01/98-99

08.07.1998

स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना (एसजेएसआरवाई) वास्तविक लक्ष्य का निर्धारण

6.

ग्राआऋवि.एसपी.बीसी.6/09.06.01/ 98-99

18.07.1998

स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना (एसजेएसआरवाई) स्पष्टीकरण

7.

ग्राआऋवि.एसपी.बीसी.100/09.06.01/98-99

29.05.1999

स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना का कार्यान्वयन

8.

ग्राआऋवि.एसपी.बीसी.69/09.06.01/

99-2000

14.03.2000

स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना (एसजेएसआरवाई)का कार्यान्वयन

9.

ग्राआऋवि.एसपी.बीसी.33/09.06.01/
2000-01

04.11.2000

सरकार द्वारा प्रायोजित कार्यक्रम - बैंकों द्वारा संपार्श्विक प्रतिभूति का आग्रह

10.

ग्राआऋवि.एसपी.बीसी.37/09.06.01/
2000-01

24.11.2000

स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना (एसजेएसआरवाइ) - कार्यान्वयन

11

ग्राआऋवि.एसपी.बीसी.54/09.06.01/ 2000-01

12.02.2001

स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना (एसजेएसआरवाइ) - के अंतर्गत रिपोर्टिंग प्रणाली की प्रगति

12.

ग्राआऋवि.एसपी.बीसी.58/09.06.01/ 2000-01

26.02.2001

स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना (एसजेएसआरवाइ) -
के अंतर्गत स्वरोजगार गतिविधियों हेतु पूर्व प्रशिक्षण

13.

ग्राआऋवि.एसपी.बीसी.27/09.06.01/ 2001-02

21.09.2001

एसजेएसआरवाइ के अंतर्गत रिपोर्टिंग प्रणाली की प्रगति

14.

ग्राआऋवि.एसपी.बीसी.38/09.04.01/
2001-02

12.11.2001

निजी क्षेत्र के बैंकों का कार्यनिष्पादन - सरकार द्वारा प्रायोजित योजनाएं

15.

ग्राआऋवि.एसपी.बीसी.66/09.06.01/
2002-03

07.03.2002

एसजेएसआरवाइ के अंतर्गत सब्सिडी राशि का लेखा

16.

ग्राआऋवि.पीएलएनएफएस.बीसी. 73/09.04.01/2001-2002

2.4.2002

"अदेयता प्रमाणपत्र" प्राप्त करना - सरकार द्वारा प्रायोजित योजनाओं के अंतर्गत उधार

17.

ग्राआऋवि.एसपी.बीसी.116/09.16.01/2002-03

15.07.2002

जानकारी का आदान-प्रदान - शहरी स्वरोजगार कार्यक्रम के अंतर्गत ऋण और सब्सिडी - स्वर्णजयंती शहरी रोजगार योजना (एसजेएसआरवाइ)

18.

ग्राआऋवि.एसपी.बीसी.50/09.16.01/
2002-03

4.12.2002

एसजेएसआरवाइ का कार्यान्वयन

19.

ग्राआऋवि.सं.एसपी.बीसी.05/09.16.01/2003-04

7.7.2003

जानकारी का आदान-प्रदान - शहरी स्वरोजगार कार्यक्रम के अंतर्गत ऋण और सब्सिडी - स्वर्णजयंती शहरी रोजगार योजना (एसजेएसआरवाइ)

मास्टर परिपत्र भारतीय रिज़र्व बैंक के वेबसाइट www.rbi.org.in में भी देखा जा सकता है और वहां से डाउनलोड किया जा सकता है ।

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