अपने ग्राहक को जानिए (केवाइसी) मानदंड/धनशोधन निवारण (एएमएल) मानक/आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी)/धनशोधन निवारण अधिनियम (पी एम एल ए), 2002 के अंतर्गत बैंकों के दायित्व
आरबीआई/2012-13/385 18 जनवरी 2013 अध्यक्ष/मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदय अपने ग्राहक को जानिए (केवाइसी) मानदंड/धनशोधन निवारण (एएमएल) मानक/आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी)/धनशोधन निवारण अधिनियम (पी एम एल ए), 2002 के अंतर्गत बैंकों के दायित्व कृपया अपने ग्राहक को जानिए (केवाइसी) मानदंड/धनशोधन निवारण (एएमएल) मानक/आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी)/ पी एम एल ए, 2002 के अंतर्गत बैंकों के दायित्व पर 2 जुलाई 2012 के मास्टर परिपत्र बैंपविवि. एएमएल. बीसी. सं. 11/14.01.001/2012-13 का पैराग्राफ 2.4 (क) देखें। 2. धनशोधन निवारण नियमावली, 2005 के नियम 9 (1क) में यह अपेक्षित है कि प्रत्येक बैंकिंग कंपनी और वित्तीय संस्था, जो भी हो, हितार्थी स्वामी की पहचान करेगी और उसकी पहचान के सत्यापन के लिए समस्त उचित कदम उठाएगी। ‘हितार्थी स्वामी’ शब्द को ऐसे नेचुरल व्यक्ति के रूप में परिभाषित किया गया है जो किसी ग्राहक का तथा/अथवा उस व्यक्ति का, जिसकी ओर से लेनदेन संचालित किया जा रहा है, अन्तिम स्वामी है या उसे नियंत्रित करता है। इस परिभाषा में वह व्यक्ति भी शामिल है जो किसी विधिक व्यक्ति पर अन्तिम प्रभावी नियंत्रण रखता है। भारत सरकार ने इस मुद्दे पर गौर किया है और हितार्थी स्वामित्व के निर्धारण के लिए क्रियाविधि विनिर्दिष्ट की है। भारत सरकार द्वारा सूचित क्रियाविधि निम्नवत् हैः क.जहां कहीं ग्राहक से तात्पर्य किसी व्यष्टि या न्यास को छोड़कर किसी अन्य व्यक्ति से हो, बैंकिंग कंपनी और वित्तीय संस्था, चाहे जो भी हो, ग्राहक के हितार्थी स्वामियों की पहचान करे और निम्नलिखित जानकारी के माध्यम से ऐसे व्यक्तियों की पहचान का सत्यापन करने के लिए उचित कदम उठाए।
(ख) जहां ग्राहक कोई न्यास हो तो बैंकिंग कंपनी और वित्तीय संस्था, जो भी हो, ग्राहक के हितार्थी स्वामी की पहचान करेगी और न्यास के व्यवस्थापक, न्यासी, संरक्षक, न्यास में 15% या उससे अधिक हित रखने वाले लाभार्थी और नियंत्रण या स्वामित्व की श्रृंखला के माध्यम से न्यास पर मूलभूत प्रभावकारी नियंत्रण रखने वाले किसी अन्य नेचुरल व्यक्ति की पहचान के माध्यम से ऐसे व्यक्तियों की पहचान का सत्यापन करने के लिए उचित कदम उठाएगी। (ग) जहां ग्राहक या नियंत्रक हित धारक किसी शेयर बाजार में सूचीबद्ध कोई कंपनी हो, अथवा ऐसी ही किसी कंपनी के बहुमत स्वामित्व वाली सहायक कंपनी हो, वहाँ ऐसी कंपनियों के किसी शेयरधारक या हितार्थी स्वामी की पहचान करना और उसकी पहचान का सत्यापन करना आवश्यक नहीं है। 3. बैंक उपर्युक्त अनुदेशों को ध्यान में रखते हुए ‘अपने ग्राहक को जानिए’ (केवाईसी) नीति की समीक्षा करें और उनका कड़ाई से पालन सुनिश्चित करे। भवदीय (सुधा दामोदर) |
पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: