देशी, सामान्य अनिवासी, अनिवासी विशेष
देशी, सामान्य अनिवासी, अनिवासी विशेष
रुपया और अनिवासी (बाह्य) खातों में रहनेवाली
रुपया जमाराशियों पर ब्याज दरों संबंधी मास्टर निदेश
संदर्भ : बैंपविवि. सं. डीआइआर. बीसी. 08 /13.03.00/2001-02
11 अगस्त 2001
20 श्रावण 1923 (शक)
सभी वाणिज्य बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और स्थानीय क्षेत्र बैंकों सहित)
प्रिय महोदय,
देशी, सामान्य अनिवासी, अनिवासी विशेष
रुपया और अनिवासी (बाह्य) खातों में रहनेवाली
रुपया जमाराशियों पर ब्याज दरों संबंधी मास्टर निदेश
कृपया आप समय-समय पर यथासंशोधित 4 नवंबर 2000का हमारा निदेश बैंपविवि.सं. डीआइआर. बीसी.46/13.03.00/2000-2001 देखें । 11 अगस्त 2001 का संशोधित निदेशबैंपविवि. सं. डीआइआर. बीसी. 07/13.03.00/2001-02 संलग्न है,जिसमें उक्त निदेश के जारी किये जाने के बाद से उसमेंकिये गये उन सभी संशोधनों / जारी अनुदेशों कोशामिल किया गया है । निदेश के पैराग्राफ 2, 14 (ख) और22 (ग) में कतिपय संशोधन भी किये गये हैं । यह निदेश4 नवंबर 2000 के हमारे मास्टर निदेश का स्थान लेगा औरउसमें अब तक किये गये संशोधनों को समेकितकिया गया है (समेकित परिपत्रों / निदेशों की सूचीअनुबंध VI में दी गयी है) ।
2. संशोधित निदेश तत्काल प्रभावी होगा ।
3. कृपया प्राप्ति-सूचना दे ।
भवदीय
(के. सीतारामू )
मुख्य महा प्रबंधक
देशी, सामान्य अनिवासी, अनिवासी विशेष
रुपया और अनिवासी (बाह्य) खातों में रहनेवाली
रुपया जमाराशियों पर ब्याज दराें से संबंधित मास्टर निदेश
विषय-सूची
देशी, सामान्य अनिवासी, साधारण अनिवासी,
विशेष रुपया और अनिवासी (बाह्य) खातों में
रखी गयी रुपया जमाराशियों पर ब्याज दरें
संदर्भ : बैंपविवि. सं. डीआइआर. बीसी. 07 /13.03.00/2001-02
11 अगस्त 2001
20 श्रावण 1923 (शक)
बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 21 और 35 क द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए तथा समय-समय पर यथासंशोधित 4 नवंबर 2000 के अपने निदेश बैंपविवि. सं. डीआइआर. बीसी. 46/13.03.00/2000-01 का अधिक्रमण करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक इस बात से संतुष्ट होकर कि ऐसा करना जनहित में आवश्यक और समीचीन है, एतद्द्वारा यह निदेश देता है कि कोई भी वाणिज्य बैंक देशी, सामान्य अनिवासी, अनिवासी विशेष रुपया और अनिवासी (बाह्य) खातों में उसके द्वारा स्वीकृत अथवा नवीकृत जमाराशियों पर अनुबंध I और II में निर्दिष्ट दरों, जो भी लागू हो, तथा नीचे के पैराग्राफों में निर्दिष्ट शर्तों को छोड़कर ब्याज अदा नहीं करेगा ।
इस निदेश के प्रयोजन के लिए,
(क) ‘‘मांग देयताओं’’ और ‘‘मीयादी देयताओं’’ का अर्थ भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 42 की उप धारा (2) के अंतर्गत बैंक द्वारा प्रस्तुत विवरणी में दर्शायी गयी देयताएं होगा ।
(ख) ‘‘मांग जमाराशि’’ का अर्थ बैंक द्वारा प्राप्त ऐसी जमाराशि होगा जो मांग पर आहरित की जा सकती हो ।
(ग) ‘‘बचत जमाराशि’’ का अर्थ मांग जमाराशि का एक ऐसा स्वरूप होगा जो जमा खाता हो, भले ही उसका नाम ‘‘बचत खाता’’, ‘‘बचत बैंक खाता’’ ‘‘बचत जमा खाता’’ या कोई ऐसा अन्य खाता हो जिसका नाम कुछ भी क्यों न हो और जो किसी निर्दिष्ट अवधि के दौरान बैंक द्वारा अनुमत आहरणों की संख्या और साथ ही आहरणों की राशि के प्रतिबंधों के अधीन हो ।
(घ) ‘‘मीयादी जमाराशि’’ का अर्थ ऐसी जमाराशि होगा, जो बैंक द्वारा किसी निश्चित अवधि के लिए प्राप्त की गयी हो और जो उक्त निश्चित अवधि समाप्त होने पर ही आहरित की जा सकती हो और इसमें आवर्ती / संचयी / वार्षिकी / पुनर्निवेश जमाराशियां, नकदी प्रमाणपत्र और इसी प्रकार की अन्य जमाराशियां शामिल होंगी ।
(ङ) ‘‘नोटिस जमाराशि’’ का अर्थ ऐसी मीयादी जमाराशि (टर्म डिपाजिट) होगा, जो निर्दिष्ट अवधि के लिए जमा की गयी हो, परंतु जिसे एक पूरे बैंकिंग दिन का नोटिस देकर निकाला जा सकता हो ।
(च) ‘‘चालू खाता’’ का अर्थ मांग जमाराशि का एक ऐसा स्वरूप होगा जिसमें से खाते में रहने वाली राशि के आधार पर अथवा किसी विशिष्ट सहमत राशि तक के आहरण चाहे जितनी बार किये जा सकते हों तथा उसमें ऐसे अन्य जमा खातों का भी शामिल होना माना जायेगा जो न तो बचत खाते हैं और न ही मीयादी खाते ।
(छ) ‘‘प्रतिकारी (काउंटरवेलिंग) ब्याज’’ का अर्थ किसी बैंक के पास उसके उधारकर्ता द्वारा चालू खाते के स्वरूप में रखे गये किसी खाते पर अनुमत ब्याज का लाभ होगा ।
(ज) ‘‘बजट आबंटन’’ का अर्थ सरकार द्वारा ऐसे बजट के माध्यम से आबंटित की गयी निधि होगा, जिसमें सरकार का सभी व्यय दर्शाया गया हो । जिस किसी संस्था को सरकार से अनुदान, ऋण अथवा आर्थिक सहायता (सब्सिडी) प्राप्त होता है उसे बजट आबंटन पर निर्भर माना जायेगा भले ही वह सरकार का विभाग, अर्ध सरकारी अथवा अर्ध सरकारी सदृश्य निकाय हो । संस्थाओं को दिये जाने वाले सरकारी अनुदान भी बजट आबंटन के स्वरूप के होते हैं । इन संस्थाओं की शेयर पूंजी में सरकार का अभिदान भी बजट आबंटन का ही अंग होता है । नगर निगमों, जिला परिषदों, तालुका पंचायतों और ग्राम पंचायतों जैसे स्थानीय निकायों को ‘‘क्षतिपूर्ति और समनुदेशन’’ के रूप में अनुदान दिये जाते हैं, जो बजट आबंटन का ही एक अंग होते हैं, हालांकि इन निकायों द्वारा वसूल किये गये कर केंद्रीय और राज्य सरकारों के बजट आबंटन की परिभाषा और व्याप्ति के अंतर्गत नहीं आते ।
(झ) ‘‘सरकारी क्षेत्र का बैंक’’ का अर्थ भारतीय स्टेट बैंक अधिनियम, 1955 के अंतर्गत गठित भारतीय स्टेट बैंक अथवा भारतीय स्टेट बैंक (समनुषंगी बैंक) अधिनियम, 1959 की धारा 2 के खंड (ट) में परिभाषित कोई समनुषंगी (सहायक) बैंक अथवा बैंककारी कंपनी (उपक्रमों का अर्जन और अंतरण) अधिनियम, 1970 की धारा 2 के खंड (ख) अथवा बैंककारी कंपनी (उपक्रमों का अर्जन और अंतरण) अधिनियम, 1980 में परिभाषित कोई उसी प्रकार का नया बैंक है ।
टिप्पणी
: सामान्य अनिवासी / अनिवासी (बाह्य) / अनिवासी विशेष रुपया जमाराशियां उन बैंकों द्वारा स्वीकार की जायेंगी, जिन्हें रिज़र्व बैंक द्वारा ऐसी जमाराशियां स्वीकार करने के लिए प्राधिकृत किया गया हो ।(i) इस निदेश के अन्य उपबंधों के अधीन, बचत-जमाराशियों और मीयादी-जमाराशियों पर ब्याज की अदायगी इस निदेश के अनुबंध I और II में निर्दिष्ट दरों पर की जायेगी । बैंक देशी मीयादी जमाराशियों पर अस्थिर दर दे सकते हैं, जो आधार दर (एंकर रेट) से स्पष्ट रूप से संबद्ध हो । बैंक को भिन्न-भिन्न अवधि-पूर्णताओं के लिए ब्याज दरें निश्चित करने के लिए अपने बोड़ / आस्ति देयता प्रबंधन समिति (यदि बोड़ द्वारा उसे अधिकार दिया गया हो तो) का पूर्व अनुमोदन प्राप्त करना होगा ।
(ii) ऐसे ब्याज की अदायगी तिमाही अथवा इससे अधिक के अंतरालों (रेस्ट्स) पर की जायेगी ।
(iii) बचत जमाराशियों के मामले में, ब्याज का हिसाब प्रत्येक कैलेंडर महीने की 10 तारीख से लेकर उसके अंतिम दिन तक खाते में जमा (बैलेंस) रहनेवाली न्यूनतम राशि पर लगाया जायेगा और जब वह 1 रुपये या अधिक होगा तभी उसे खाते में जमा किया जायेगा ।
3. सेना समूह बीमा निदेशालय, नौ सेना समूह बीमा निधि
तथा वायु सेना समूह बीमा सोसाइटी को अतिरिक्त ब्याज
सरकारी क्षेत्र का कोई भी बैंक सेना समूह बीमा निदेशालय, नौ सेना समूह बीमा निधि तथा वायु सेना समूह बीमा सोसाइटी की 2 वर्ष और उससे अधिक की मीयादी जमाराशियों पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जमाराशियों पर ब्याज दरों के संबंध में समय-समय पर जारी निदेशों के अनुसार देय सामान्य ब्याज दरों से ऊपर 1.28 प्रतिशत वार्षिक का अतिरिक्त ब्याज दे सकता है, बशर्ते ऐसी जमाराशियां किसी भी रूप में बैंक द्वारा बीमा प्रीमियम की अदायगी से नहीं जुड़ी हो ।
4. क्षेत्रीय ग्रामीण बैंव / स्थानीय क्षेत्र बैंक को अतिरिक्त ब्याज देने का विवेकाधिकार
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक / स्थानीय क्षेत्र बैंक अपने विवेकानुसार बचत जमाराशियों पर आधा प्रतिशत वार्षिक अधिक ब्याज दे सकते हैं ।
1. निम्नलिखित के नाम से खोले गये बचत या मीयादी खातों पर बैंक अपने विवेक के अनुसार इस निदेश के अनुबंध I और II में निर्दिष्ट ब्याज दर से ऊपर एक प्रतिशत वार्षिक से अनधिक अतिरिक्त ब्याज दे सकता है :
(क) बैंक के स्टाफ-सदस्य अथवा सेवानिवृत्त स्टाफ-सदस्य के नाम में अकेले ही अथवा उसके परिवार के किसी सदस्य अथवा सदस्यों के साथ संयुक्त रूप से खोले गये बचत अथवा मीयादी खाते ; अथवा
(ख) बैंक के स्टाफ के मृत सदस्य अथवा सेवानिवृत्त मृत सदस्य की पत्नी / उसके पति के नाम पर खोले गये बचत अथवा मीयादी खाते; और
(ग) किसी ऐसे संघ अथवा ऐसी निधि के नाम पर खोले गये बचत और मीयादी जमा खाते, जिनके सदस्य बैंक के कर्मचारी हों ।
परंतु शर्त यह है कि बैंक संबंधित जमाकर्ता से यह घोषणापत्र प्राप्त करेगा कि ऐसे खाते में जमा की गयी अथवा समय-समय पर जमा की जानेवाली धन राशियां उपर्युक्त खंड (क) से (ग) तक में उल्लिखित जमाकर्ता की ही धन राशियां होंगी ।
(2) उप पैराग्राफ (1) के प्रयोजन के लिए -
(i) ‘‘बैंक के स्टाफ-सदस्य’’ का अर्थ नियमित आधार पर नियोजित व्यक्ति है, चाहे वह पूर्णकालिक हो अथवा अंशकालिक और इसमें ऐसा व्यक्ति शामिल है जो परिवीक्षा पर भर्ती किया गया हो अथवा निर्दिष्ट अवधि की संविदा (कांट्रेक्ट) पर अथवा प्रतिनियुक्ति पर नियोजित किया गया हो तथा समामेलन की योजना के अनुसरण में लिया गया कोई कर्मचारी, परन्तु इसमें आकस्मिक आधार पर नियोजित व्यक्ति शामिल नहीं है ;
परंतु शर्त यह है कि दूसरे बैंक से प्रतिनियुक्ति पर लिये गये कर्मचारियों के मामले में, जिस बैंक से उन्हें प्रतिनियुक्त किया गया है वह प्रतिनियुक्ति की उसी अवधि के दौरान उसके पास खोले गये बचत अथवा मीयादी जमा खाते के संदर्भ में अतिरिक्त ब्याज की अनुमति दे ।
साथ ही यह भी शर्त है कि निश्चित अवधि के लिए प्रतिनियुक्ति पर अथवा निश्चित अवधि की संविदा पर लिये गये व्यक्तियों के मामले में उक्त लाभ प्रतिनियुक्ति की अवधि अथवा संविदा समाप्त होने पर, जैसा भी मामला हो, मिलना बंद हो जायेगा;
(ii) ‘बैंक के सेवानिवृत्त स्टाफ-सदस्य’ का अर्थ है ऐसा कर्मचारी जो बैंक की सेवा / स्टाफ विनियमावली में दिये गये अनुसार अधिवर्षिता पर या अन्य प्रकार से सेवानिवृत्त हो रहा हो, परन्तु इसमें ऐसा कर्मचारी शामिल नहीं है जो अनिवार्य रूप से अथवा अनुशासनिक कार्रवाई के परिणामस्वरूप सेवानिवृत्त हुआ हो ;
(iii) ‘‘परिवार’’ शब्द में बैंक के स्टाफ-सदस्य / सेवानिवृत्त सदस्य की पत्नी / के पति तथा बच्चे, माता-पिता, भाई और बहिन शामिल होंगे / होंगी जो ऐसे सदस्य / सेवानिवृत्त सदस्य पर निर्भर हों परंतु इनमें कानूनन संबंध-विच्छेद किये हुए पति / पत्नी शामिल नहीं हैं ।
(3) अतिरिक्त ब्याज की अदायगी निम्नलिखित शर्तों पर होगी, अर्थात्
(i) अतिरिक्त ब्याज केवल उस समय तक देय होगा, जब तक व्यक्ति उसके लिए पात्र हो तथा उसके इस प्रकार पात्र न रहने की स्थिति में, मीयादी जमा खाते की समाप्ति अवधि तक ;
(ii) समामेलन की योजना के अनुसरण में लिये गये कर्मचारियों के मामले में अतिरिक्त ब्याज तभी देय होगा जब अतिरिक्त ब्याज सहित संविदागत दर पर ब्याज उस दर से अधिक न हो जिसकी अनुमति बैंक द्वारा ऐसे कर्मचारियों को मूलत: नियोजित किये जाने पर दी जा सकती थी ।
(4) जिन बैंक कर्मचारी संघों में बैंक के कर्मचारी प्रत्यक्ष सदस्य न हों, वे अतिरिक्त ब्याज के लिए पात्र नहीं होंगे ।
बैंक अपने विवेक के अनुसार अध्यक्ष, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, कार्यपालक निदेशक अथवा किसी ऐसे अन्य निदेशक से प्राप्त / नवीकृत जमाराशियों पर इस निदेश के अनुबंध I और II में निर्धारित ब्याज दर से ऊपर एक प्रतिशत वार्षिक से वार्षिक अतिरिक्त ब्याज दे सकते हैं, जो किसी निश्चित अवधि के लिए नियुक्त किये गये हों तथा जो अपनी ऐसी नियुक्ति की अवधि के दौरान उपर्युक्त पैरा 5 के अंतर्गत उसी प्रकार का लाभ पाने के हकदार न हों ।
बैंक, अपने द्वारा प्रायोजित क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक के चालू खाते पर आपस में सहमत दरों पर ब्याज अदा कर सकता है ।
8. किसी किसान के संमिश्र नकदी ऋण खाते में न्यूनतम
जमा शेष पर ब्याज अदायगी का विवेकाधिकार
बैंक अपने विवेक के अनुसार किसी किसान के संमिश्र नकदी ऋण खाते में प्रत्येक कैलेंडर महीने की 10 तारीख से लेकर उसके अंतिम दिन तक की अवधि के दौरान न्यूनतम जमा शेष पर अपने प्रत्यक्ष ज्ञान और अन्य संबंधित तत्वों पर आधारित दर पर ब्याज अदा कर सकता है ।
9. मीयादी जमाराशि का अवधिपूर्व आहरण
(i) बैंक जमाराशि रखते समय जितनी अवधि की सहमति हुई थी उतनी अवधि पूरी होने के पहले जमाकर्ता के अनुरोध पर मीयादी जमाराशि आहरित करने की अनुमति देगा । मीयादी जमाराशि के अवधि पूर्ण होने से पहले आहरण के लिए अपनी स्वयं की दंडात्मक ब्याज दर निश्चित करने की बैंक को स्वतंत्रता होगी । बैंक जमाकर्ताओं को जमा दर के साथ लागू दंडात्मक दर से भी अवगत कराना सुनिश्चित करेगा । तथापि, बैंक अपने विवेक पर व्यक्तियों और हिन्दू अविभक्त परिवारों से इतर संस्थाओं द्वारा रखी गयी बड़ी जमाराशियों के अवधि पूर्ण होने से पहले आहरण की अनुमति देने से इनकार कर सकते हैं । परंतु बैंकों को पहले से, अर्थात् ऐसी जमाराशियां स्वीकार करने के समय से अवधिपूर्व आहरण की अनुमति नहीं देने की अपनी नीति की सूचना जमाकर्ताओं को देनी चाहिए।
(ii) अनिवासी (बाह्य) मीयादी जमाराशि के निवासी विदेशी मुद्रा खाते में परिवर्तन के लिए समयपूर्व आहरण के मामले में, बैंक समयपूर्व आहरण पर कोई दंड नहीं लगायेगा । यदि ऐसी जमाराशि न्यूनतम 6 महीने की अवधि के लिए नहीं रखी गयी हो, तो बैंक अपने विवेकानुसार निवासी विदेशी मुद्रा खातों में रहने वाली बचत जमाराशियों पर देय दर से अनधिक की दर पर ब्याज अदा कर सकता है, बशर्तें अनिवासी (बाह्य) खाताधारी द्वारा भारत लौटने के तुरंत बाद इस प्रकार के परिवर्तन का अनुरोध किया जाये ।
(iii) अवधि पूर्ण होने से पहले अनिवासी बाह्य जमाराशि का अवधि पूर्ण होने से पहले विदेशी मुद्रा अनिवासी (बैंक) जमाराशि में तथा विदेशी मुद्रा अनिवासी (बैंक) जमाराशि का अनिवासी बाह्य जमाराशि में परिवर्तन समयपूर्व आहरण से संबंधित दंडात्मक उपबंधों की शर्त पर होगा ।
जमाकर्ता के अनुरोध पर बैंक मीयादी जमाराशि, दैनिक जमाराशि के रूप में जमाराशि अथवा आवर्ती जमाराशि के परिवर्तन की अनुमति देगा, ताकि जमाकर्ता उसी बैंक में उपर्युक्त जमाराशियों में पड़ी राशि का दूसरी मीयादी जमाराशि में तत्काल पुनर्निवेश कर सके । बैंक ऐसी मीयादी जमाराशि के संदर्भ में उपर्युक्त पैराग्राफ 9 में उल्लिखित तरीके से उक्त पैराग्राफ में उल्लिखित दंड के रूप में ब्याज कम किये बिना, ब्याज अदा करेगा, बशर्ते पुनर्निवेश के बाद जमाराशि मूल संविदा की शेष अवधि से अधिक अवधि के लिए बैंक के पास ही रहे ।
(i) कोई बैंक अपने विवेक से अतिदेय जमाराशि या उसके किसी अंश का नवीकरण कर सकता है, बशर्ते अवधिपूर्णता की तारीख से नवीकरण की तारीख तक (दोनों दिन मिलाकर) अतिदेय अवधि 14 दिन से अधिक नहीं हो तथा इस प्रकार नवीकृत जमाराशि की रकम पर देय ब्याज दर अवधिपूर्णता की तारीख को प्रचलित नवीकरण की अवधि के लिए ब्याज की उपयुक्त दर होगी । अतिदेय जमाराशियों के मामले में जहां अतिदेय अवधि 14 दिन से अधिक हो और यदि जमाकर्ता अतिदेय जमाराशि की पूरी रकम या उसका कोई अंश नयी मीयादी जमाराशि के रूप में रखे, वहां बैंक इस प्रकार नयी जमाराशि के रूप में रखी गयी रकम पर अतिदेय अवधि के लिए अपनी स्वयं की ब्याज दरें निश्चित कर सकता है।
(ii) अनिवासी (बाह्य) रुपया खाते
कोई भी बैंक किसी अतिदेय जमाराशि को या उसके किसी अंश को अपने विवेक से नवीकृत कर सकता है, बशर्ते अतिदेय की अवधि उस जमाराशि की अवधिपूर्णता की तारीख से नवीकरण की तारीख तक (दोनों दिनों को मिलाकर) 14 दिन से अधिक न हो और इस प्रकार नवीकृत जमाराशि पर ब्याज की दर अवधि पूर्ण होने की तारीख को या जमाकर्ता जिस तारीख को नवीकरण की मांग करता है उस तारीख को नवीकरण की अवधि के लिए लागू ब्याज दरों में से, जो भी कम हो, उपयुक्त ब्याज दर होगी । जिन अतिदेय जमाराशियों के मामले में अतिदेय अवधि 14 दिन से अधिक हो और यदि जमाकर्ता संपूर्ण अतिदेय जमाराशि को या उसके किसी अंश को नयी अनिवासी बाह्य मीयादी जमाराशि के रूप में रखे तो बैंक इस प्रकार नयी जमाराशि के रूप में रखी गयी राशि की अतिदेय अवधि के लिए अपनी स्वयं की ब्याज दरें नियत कर सकता है । नवीकरण के पश्चात योजना के अंतर्गत नियत न्यूनतम अवधि से पहले यदि उक्त जमाराशि को आहरित किया जाये तो बैंक इस प्रकार अतिदेय अवधि के लिए दिये गये ब्याज की वसूली कर सकता है ।
12. मीयादी जमाराशि की जमानत पर दिये जाने वाले अग्रिम - ब्याज लगाने का तरीका
(क) जब किसी मीयादी जमाराशि की जमानत पर कोई अग्रिम मंजूर किया जाये और जमाराशि निम्नलिखित में से किसी के नाम पर हो तो बैंक, अनिवासी बाह्य मीयादी जमाराशियों की जमानत पर मंजूर किये गये अग्रिमों सहित उक्त अग्रिमों पर अपनी मूल उधार दर के संदर्भ के बिना ब्याज दर लगाने के लिए स्वतंत्र होगा :
- उधारकर्ता, या तो अकेले अथवा संयुक्त रूप में,
- किसी साझेदारी फर्म का कोई साझेदार और अग्रिम उक्त फर्म को दिया गया हो,
- स्वामित्व वाली संस्था का स्वामी और अग्रिम उस संस्था को दिया गया हो;
- कोई ऐसा आश्रित जिसका अभिभावक आश्रित के नाम पर उधार लेने के लिए सक्षम हो और ऐसी क्षमता में उक्त आश्रित के अभिभावक को अग्रिम दिया गया हो ।
आगे यह भी शर्त है कि यदि उक्त मीयादी जमाराशि को, जिसकी जमानत पर अग्रिम मंजूर किया गया था, निर्धारित न्यूनतम पूर्णता अवधि के पूर्व ही आहरित कर लिया जाये तो ऐसे अग्रिम को मीयादी जमाराशि की जमानत पर मंजूर अग्रिम नहीं माना जायेगा और उस पर भारतीय रिज़ॅर्व बैंक द्वारा अग्रिमों पर ब्याज दरों के संबंध में समय-समय पर जारी किये गये निदेशों के अनुसार ब्याज लगाया जायेगा ।
(ख) जब किसी जमाराशि की जमानत पर कोई ऐसा अग्रिम मंजूर किया जाये जो उपर्युक्त उप खण्ड (क) में मद सं. (i) से (iv) तक की जमाराशियों के स्वरूप का न हो तो -
- बैंक मूल उधार दर पर ध्यान दिये बिना ब्याज दर लगाने के लिए स्वतंत्र हैं, परंतु शर्त यह है कि अग्रिम 2 लाख रुपये तक ही हो, और
- यदि अग्रिम 2 लाख रुपये से अधिक है तो लगायी जाने वाली ब्याज दर भारतीय रिज़ॅर्व बैंक द्वारा अग्रिमों पर ब्याज दर के संबंध में समय-समय पर जारी किये गये निदेशों के अनुसार होगी ।
परंतु शर्त यह है कि बैंक अपने विवेक से बैंक के किसी स्टाफ-सदस्य / सेवानिवृत्त स्टाफ-सदस्य को या बैंक के मृत स्टाफ-सदस्य / सेवानिवृत्त स्टाफ-सदस्य की पत्नी /के पति को उपर्युक्त पैराग्राफ 5 में उल्लिखित उनकी मीयादी जमाराशियों की जमानत पर मंजूर किये गये 3 लाख रुपये तक के अग्रिमों के मामले में उपर्युक्त (क) पर विनिर्दिष्ट ब्याज दर नहीं भी लगा सकता है ।
नोट
: क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों /स्थानीय क्षेत्र बैंकों को, उपर्युक्त उप खंड (क) में मद सं. (i) से (iv) तक की जमाराशियों के स्वरूप की मीयादी जमाराशियों की जमानत पर मंजूर अग्रिमों और तीसरे पक्ष की जमाराशियों की जमानत पर 2 लाख रुपये तक के अग्रिमों पर अपनी सामान्य उधार दर की उच्चतम दर पर ध्यान दिये बिना ही ब्याज दर लगाने की स्वतंत्रता होगी । 2 लाख रुपये से ऊपर के अग्रिमों पर लगायी जानेवाली ब्याज, उस सामान्य उधार दर से कम नहीं होगी जो बैंक अपने सर्वोत्तम उधार खाते पर लेता है ।13. मीयादी जमाराशियों की जमानत पर दिये जाने वाले अग्रिमों पर मार्जिन
बैंक मीयादी जमाराशि की जमानत पर दिये गये किसी भी वित्तीय निभाव पर उचित मार्जिन रखेगा । वह अलग-अलग मामलों के आधार पर मार्जिन निश्चित कर सकता है ।
14. मृत जमाकर्ताओं के जमा खातों पर देय ब्याज
(क) निम्नलिखित के नाम रहने वाली मीयादी जमाराशि के मामले में
- किसी मृत एकल जमाकर्ता, या
- दो या अधिक संयुक्त जमाकर्ता, जिनमें से एक जमाकर्ता की मृत्यु हो गयी हो, ब्याज निम्नलिखित तरीके से अदा किया जायेगा :
- जमाराशि की अवधिपूर्णता पर करार की गयी दर से,
- अवधि पूर्णता की तारीख से पूर्व यदि भुगतान का दावा किया जाये तो बैंक उपर्युक्त पैराग्राफ 9 में दिये गये अनुसार उसमें विनिर्दिष्ट दंड लगाये बिना ब्याज अदा करेगा ।
(iii) जमाराशि की अवधिपूर्णता की तारीख के पहले जमाकर्ता की मृत्यु होने तथा अवधिपूर्णता की तारीख के बाद जमाराशि का दावा किये जाने की स्थिति में, बैंक अवधिपूर्णता की तारीख तक संविदागत दर पर ब्याज अदा करेगा । अवधिपूर्णता की तारीख से अदायगी की तारीख तक बैंक, अवधिपूर्णता की तारीख के बाद बैंक के पास जमाराशि रहने तक की अवधि के लिए, अवधिपूर्णता की तारीख को प्रचलित लागू दर पर साधारण ब्याज अदा करेगा ।
तथापि, जमाराशि की अवधिपूर्णता की तारीख के बाद जमाकर्ता की मृत्यु के मामले में बैंक अवधिपूर्णता की तारीख से अदायगी की तारीख तक अवधिपूर्णता की तारीख को प्रचलित बचत जमा दर पर ब्याज अदा करेगा ।
(iv) यदि कोई बैंक दावाकर्ता / दावाकर्ताओं के अनुरोध पर मीयादी जमाराशि की रकम को विभाजित करने के लिए सहमत हो और दावाकर्ता /दावाकर्ताओं के नाम पर अलग-अलग दो या अधिक पावती जारी करे तो उसे उपर्युक्त पैराग्राफ 9 के प्रयोजन के लिए मीयादी जमाराशि की अवधिपूर्णता की तारीख से पहले किया गया आहरण नहीं माना जायेगा, बशर्ते जमाराशि की अवधि और कुल राशि में कोई परिवर्तन न हो ।
(ख) किसी मृत जमाकर्ता / एकल स्वामित्व का प्रतिष्ठान के नाम पर चालू खाते में पड़ी शेष राशियों के मामले में ब्याज, केवल 1 मई 1983 से या जमाकर्ता की मृत्यु की तारीख से, इनमें से जो बाद की तारीख हो, दावाकर्ता/दावाकर्ताओं को अदायगी की तारीख तक की अवधि के लिए अदायगी की तारीख को बचत जमाराशि के संबंध में लागू ब्याज की दर से अदा किया जायेगा ।
नोट
: अनिवासी बाह्य जमाराशि के मामले में, जब दावाकर्ता भारत के निवासी हों तो अवधिपूर्णता पर उक्त जमाराशि को देशी रुपया जमाराशि माना जायेगा और आगे की अवधि के लिए समान अवधिपूर्णता की देशी जमाराशि पर लागू ब्याज दर पर ब्याज दिया जायेगा ।15. संयुक्त खाताधारियों का नाम/ के नाम जोड़ना या निकालना
कोई भी बैंक सभी संयुक्त खाताधारियों के अनुरोध पर संयुक्त खाताधारी / खाताधारियों के नाम / नामों को जोड़ने या निकालने की अनुमति दे सकता है, बशर्ते परिस्थितियों के कारण ऐसा करना आवश्यक हो अथवा इसी प्रकार किसी एक जमाकर्ता को किसी अन्य व्यक्ति का नाम संयुक्त खाताधारी के रूप में जोड़ने की अनुमति दे सकता है ।
परंतु शर्त यह है कि मूल जमाराशि मीयादी जमाराशि होने पर उसकी राशि या उसकी अवधि में किसी भी तरीके से किसी भी हालत में कोई परिवर्तन नहीं किया जायेगा ।
बैंक अपने विवेक से और किसी जमा रसीद के सभी संयुक्त खाताधारकों के अनुरोध पर संयुक्त जमाराशि को केवल प्रत्येक संयुक्त खाताधारक के नाम पर हिस्सों में बांटने की अनुमति दे सकता है, बशर्ते जमा की अवधि और कुल राशि में कोई परिवर्तन न हो ।
नोट
: अनिवासी बाह्य जमाराशियां केवल अनिवासी के साथ ही संयुक्त रूप से रखी जा सकेंगी ।16. मीयादी जमाराशियों की जमानत पर स्टॉक इनवेस्ट जारी करना
कोई बैंक भारतीय रिज़ॅर्व बैंक द्वारा समय-समय पर जारी किये गये दिशा-निर्देंशों के अंतर्गत मीयादी जमाराशियों की जमानत पर स्टॉक इनवेस्ट जारी कर सकता है ।
17. लेनदेनों को पूर्णांकित करना
जमाराशियों पर ब्याज के भुगतान / अग्रिमों पर ब्याज लगाने सहित सभी लेनदेन निकटतम रुपये में पूर्णांकित किये जायेंगे अर्थात् 50 पैसे और उससे अधिक के अंश को अगले उच्चतर रुपये में पूर्णांकित किया जायेगा और 50 पैसे से कम के अंश को छोड़ दिया जायेगा । इसी प्रकार से नकदी प्रमाणपत्रों के निर्गम मूल्यों को भी पूर्णांकित किया जाना चाहिए । ग्राहकों द्वारा जारी किये गये ऐसे चेक, जिनमें रुपये का एक अंश भी हो, अस्वीकार नहीं किया जाना चाहिए अथवा उसे नकारा नहीं जाना चाहिए ।
18. मीयादी जमाराशि की रसीद जारी करना
बैंक मीयादी जमाराशि की रसीद जारी करेगा जिसमें पूरे ब्योरे यथा जारी करने की तारीख, जमाराशि की अवधि, देय तिथि, लागू ब्याज दर आदि का उल्लेख किया जायेगा ।
रविवार या छुट्टी के दिन या गैर कारोबारी कार्य दिवस को या अनिवासी बाह्य जमाराशियों के मामले में शनिवार को भुगतान हेतु अवधि पूर्ण होने वाली मीयादी जमाराशियों के मामले में बैंक उक्त जमाराशि की विनिर्दिष्ट अवधि समाप्त होने की तारीख और बाद के कार्य दिवस को जमाराशि के भुगतान की तारीख के बीच पड़ने वाले रविवार / छुट्टी के दिन / गैर कारोबारी कार्य दिवस और अनिवासी बाह्य जमाराशियों के मामले में शनिवार के लिए भी जमाराशि पर आरंभ में करार की गयी दर पर ब्याज अदा करेगा ।
बैंकों को अपनी नयी देशी जमा संग्रहण योजनाओं को लागू करने के लिए भारतीय बैंक संघ की सहमति या भारतीय रिज़ॅर्व बैंक का पूर्व अनुमोदन प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं है । परंतु अपने संबंधित निदेशक मंडलों के अनुमोदन से नयी देशी जमा संग्रहण योजनाएं प्रारंभ करने से पूर्व बैंक जमाराशियों पर ब्याज दरों, मीयादी जमाराशियों की अवधिपूर्णता की तारीख से पूर्व आहरण, मीयादी जमाराशियों की जमानत पर ऋणों / अग्रिमों की मंजूरी आदि के संबंध में समय-समय पर जारी किये गये भारतीय रिज़ॅर्व बैंक के निदेशों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करें । इस संबंध में हुए उल्लंघन को गंभीरता से लिया जायेगा और ऐसा उल्लंघन होने पर बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 के अनुसार अर्थदंड भी लगाया जा सकता है ।
इस निदेश के उपर्युक्त पैराग्राफ में दी गयी कोई भी बात निम्नलिखित पर लागू नहीं होगी :
(i) बैंक द्वारा
(क) उधारदाता और उधारकर्ता दोनों के रूप में मांग / नोटिस / मीयादी मुद्रा बाज़ॉर में सहभागी होने के लिए अनुमति प्राप्त संस्थाओं से ;
(ख) ऐसी जमाराशि, जिसके लिए सहभागिता प्रमाणपत्र जारी किया गया है,
(ग) केवल उधारदाता के रूप में मांग / नोटिस मुद्रा बाज़ॉर में सहभागी होने के लिए अनुमति प्राप्त संस्थाओं से मनी ऐट कॉल (मांग पर धन) या मनी ऐट शॉर्ट नोटिस (अल्प नोटिस पर धन) का प्रतिनिधित्व करने वाली अधिक से अधिक 14 दिन की अवधि के लिए (अनुबंध IV) ;
(घ) विदेशी मुद्रा (अनिवासी) खाता (बैंक) योजना, अनिवासी (अप्रत्यावर्तनीय) रुपया जमा योजना, निवासी विदेशी मुद्रा खाता और विदेशी मुद्रा अर्जक विदेशी मुद्रा खातों के अंतर्गत;
(ङ) आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 54 की उप धारा (2), धारा 54 ख की उप धारा (2), धारा 54 घ की उप धारा (2), धारा 54 च की उप धारा (4) और धारा 54 छ की उप धारा (2) के अनुसरण में भारत सरकार द्वारा बनायी गयी पूंजीगत लाभ खाता योजना, 1988 के अंतर्गत; और
(च) जमा प्रमाणपत्र योजना के अंतर्गत
प्राप्त कोई जमाराशि ।
(ii) बाह्य केन्द्रों के लिखतों यथा चेकों, ड्राफ्टों, बिलों, टेलीग्राफिक / मेल अंतरणों आदि की विलंबित वसूली पर ब्याज का भुगतान ।
कोई भी बैंक -
(क) चालू खाते पर उपर्युक्त पैराग्राफ 7 और 14(ख) में किये गये उपबंधों को छोड़कर किसी और प्रकार से ब्याज अदा नहीं करेगा;
(ख) बैंक के उधारकर्ताओं द्वारा बैंक के पास रखे किसी चालू खाते पर प्रतिकारी ब्याज (काउंटर वेलेंग इंटरेस्ट) अदा नहीं करेगा;
(ग) विशिष्ट तौर पर निवासी भारतीय वरिष्ठ नागरिकों के लिए बनायी गयी सावधि जमा योजनाओं को छोड़कर जिन पर किसी भी मात्रा में सामान्य जमाराशियों की तुलना में उच्चतर और नियत ब्याज दरें दी जा सकती हैं तथा 15 लाख रुपये और अधिक की एकल मीयादी जमाराशियों को छोड़कर जिन पर जमाराशियों की मात्रा के आधार पर ब्याज व ी अलग-अलग दरों की अनुमति दी जा सकती है, अन्य जमाराशियों पर अदा किये जाने वाले ब्याज की दर के संबंध में एक ही तारीख को स्वीकार की गयी तथा एक ही अवधिपूर्णता वाली किन्हीं दो जमाराशियों के बीच भेदभाव नहीं करेगा, चाहे ऐसी जमाराशियां बैंक के एक ही कार्यालय में स्वीकार की गयी हों या अलग-अलग कार्यालयों में स्वीकार की गयी हों । अलग-अलग ब्याज दरें देने की अनुमति निम्नलिखित शर्तों पर होगी :
(i) उसी अवधिपूर्णता की जमाराशियों पर अलग-अलग दरें देने की अनुमति 15 लाख रुपये और उससे अधिक की एकल मीयादी जमाराशियों पर लागू होगी । अत: बैंक 15 लाख रुपये और उससे अधिक की जमाराशियों के लिए वही ब्याज दर या अलग ब्याज दरें दे सकते हैं । उसी अवधिपूर्णता की 15 लाख रुपये से कम की जमाराशियों के लिए वही दर लागू होगी ।
(ii) बैंकों को उन जमाराशियों सहित, जिन पर अलग ब्याज दर देय होगी, विभिन्न जमाराशियों पर देय ब्याज दरों की अनुसूची पहले से प्रकट करनी चाहिए । बैंक द्वारा दी गयी ब्याज दरें अनुसूची के अनुसार होनी चाहिए तथा उन्हें जमाकर्ता और बैंक के बीच बातचीत द्वारा तय नहीं किया जाना चाहिए ।
(घ) जमाराशियों पर निम्नलिखित को छोड़कर किसी अन्य व्यक्ति, फर्म, कंपनी, संघ, संस्था को अथवा किसी अन्य व्यक्ति को कमीशन या उपहार या प्रोत्साहन या किसी भी अन्य तरीके से अथवा किसी अन्य रूप में दलाली अदा नहीं करेगा :
(i) विशेष योजना के अंतर्गत घर-घर जाकर जमाराशियों का संग्रह करने के लिए नियोजित एजेंटों को अदा किया गया कमीशन;
(ii) अधिक से अधिक 250 रुपये के साधारण उपहार; और
(iii) स्टाफ-सदस्यों को स्वीकृत भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर यथाअनुमोदित प्रोत्साहन।
(ङ) किसी व्यक्ति, फर्म, कंपनी, एसोसिएशन, संस्था या किसी अन्य व्यक्ति को जमाराशियां जुटाने अथवा पारिश्रमिक या शुल्क या किसी भी रूप में या किसी भी ढंग से कमीशन के भुगतान पर जमाराशियों से संबद्ध उत्पादों की बिक्री के लिए नियुक्त नहीं करेगा / नहीं लगायेगा, सिवाय उक्त के खंड (घ) के उप खंड (i) में अनुमत सीमा के ।
(च) जमाराशियां जुटाने के लिए पुरस्कार / लॉटरी /मुफ्त यात्राएं (भारत में और /अथवा विदेश की ) आयोजित नहीं करेगा ।
(छ) मौज़ूदा / संभावित ऋणकर्ताओं की ऋण आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु एजेंटों / तीसरी पार्टी के माध्यम से संसाधन जुटाने अथवा जमाराशियां जुटाने के प्रतिफल के आधार पर मध्यवर्तियों को ऋण प्रदान करने की अनैतिक प्रथाएं नहीं अपनायेगा ।
(ज) किसी अवधि विशेष के लिए बैंक द्वारा दिये जाने वाले वास्तविक साधारण ब्याज दर का उल्लेख किये बिना मीयादी जमाराशियों पर मिश्र प्रतिफल को ही विशेष रूप से बताकर जनता से जमाराशियां मांगने के लिए विज्ञापन / साहित्य प्रकाशित नहीं करेगा । जमाराशि की अवधि के लिए वार्षिक साधारण ब्याज दर हर हालत में बतानी होगी ।
(झ) चालू खाते की मार्जिन राशि पर ब्याज अदा नहीं करेगा ।
(ञ ) सरकारी विभागों /अर्धसरकारी सदृश निकायों, स्थानीय निकायों आदि को प्रस्तुत करने के लिए उसके (बैंक) द्वारा प्रस्तुतकर्ताओं (ठेकेदारों) को चालू खाते की राशि की जमानत पर जारी ‘मांग पर जमाराशि’ रसीदों पर ब्याज अदा नहीं करेगा ।
(ट ) चालू खाते की जमाराशि को छोड़कर अन्य रूप में ब्याजमुक्त जमाराशि स्वीकार नहीं करेगा या परोक्ष रूप से मुआवजा अदा नहीं करेगा ।
(ठ) निजी वित्तपोषकों अथवा अनिगमित निकायों के कहने पर / उनसे ऐसी व्यवस्था के अंतर्गत जमाराशियां स्वीकार नहीं करेगा, जिनसे निजी वित्तपोषकों के ग्राहक / कों के पक्ष में जमा रसीद /रसीदें जारी होती हों अथवा जमाराशि की अवधि पूरी होने पर ऐसी जमाराशियां प्राप्त करने वाले ऐसे ग्राहकों के लिए मुख्तारनामे, नामन या अन्य के द्वारा प्राधिकार दिया जाये ।
(ड) अन्य बैंकों की मीयादी जमा रसीदों अथवा अन्य मीयादी जमाराशियों की जमानत पर अग्रिम प्रदान नहीं करेगा ।
(ढ) (i) सरकारी विभागों / अपने कार्यनिष्पादन के लिए बजट आबंटन पर निर्भर निकायों/ नगर निगमों अथवा नगर समितियों /पंचायत समितियों / राज्य आवास बोर्डों / जल और मल-निकासी / जल-निकासी बोर्डों / राज्य पाठ्यपुस्तक प्रकाशन निगमों / समितियों / महानगरीय विकास प्राधिकरण / राज्य / ज़िला स्तरीय आवास सहकारी समितियों आदि के नाम से अथवा किसी राजनीतिक दल अथवा किसी व्यापारिक / कारोबारी अथवा पेशेवर प्रतिष्ठान के नाम से बचत बैंक खाता नहीं खोलेगा, चाहे ऐसा प्रतिष्ठान स्वामित्व वाला हो अथवा कोई भागीदारी फर्म या कोई कंपनी या कोई संघ हो ।
स्पष्टीकरण
:इस खंड के प्रयोजन हेतु ‘राजनीतिक दल’ से अभिप्राय ऐसे संघ या भारत के एकल नागरिकों के निकाय से है, जो भारत के निर्वाचन आयोग के यहां तत्समय प्रचलित निर्वाचन चिह्न (आरक्षण और आबंटन) आदेश, 1968 के अंतर्गत राजनीतिक दल के रूप में पंजीकृत है या पंजीकृत माना गया है ।
(ii) उपर्युक्त प्रतिबंध अनुबंध V में सूचीबद्ध संगठनों / एजेंसियों के मामले में लागू नहीं होगा ।
(के. एल. खेतरपाल )
कार्यपालक निदेशक
अनुबंध I
देशी / सामान्य अनिवासी / अनिवासी विशेष रुपया खातों में
रखी गयी जमाराशियों पर ब्याज दरें
डप्रतिशत वार्षिक
खाते की श्रेणी
i)चालू |
शून्य |
(ii)बचत |
4.0 |
(iii)मीयादी जमाराशियां : |
|
(क) 15 लाख रुपये से कम |
|
15 दिन और अधिक |
मुक्त |
(ख)15 लाख रुपये से अधिक |
|
7 दिन और अधिक |
मुक्त |
अनिवासी (बाह्य ) खातों में रखी गयी जमाराशियों पर
लागू ब्याज की दरें
डप्रतिशत वार्षिक
(i)चालू |
शून्य |
(ii)बचत खाते |
4.0 |
(iii)मीयादी जमाराशियां: |
|
6 माह और अधिक |
मुक्त |
मांग / सूचना / मीयादी मुद्रा बाजार में ऋणदाता और ऋणकर्ता दोनों के रूप में
भाग लेने के लिए अनुमत संस्थाओं की सूची
- सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक ;
- सहकारी बैंक, भूमि विकास बैंकों को छोड़कर ;
- भारतीय मितीकाटा और वित्त गृह लि.;
- सिक्योरिटीज ट्रेडिंग कार्पोरेशन ऑफ इंडिया लि.;
- पी एन बी गिल्ट्स लि.;
- एस बी आइ गिल्ट्स लि.;
- गिल्ट सिक्योरिटीज ट्रेडिंग कार्पोरेशन लि.,
- आइ सी आइ सी आइ सिक्योरिटीज एण्ड फाइनेंस कंपनी लि.,
- ए बी एन एम्रो सिक्योरिटीज (इंडिया) प्रा. लि.,
- सीएट फाइनेंशियल सर्विसेज़ लि.,
- जे.पी. मॉर्गन सिक्योरिटीज इंडिया प्रा. लि.,
- टाटा फाइनेंस सिक्योरिटीज लि.,
- कोटक महिन्द्रा कैपिटल कंपनी (असीमित);
- डी एस पी मेरिल लिंच लि.,
- ड्यूश सिक्योरिटीज (इंडिया) प्रा. लि.;
- आइ डी बी आइ कैपिटल मार्केट सर्विसेज़ लि.
- कॉर्पबैंक सिक्योरिटीज़ लिमिटेड
- एच एस बी सी प्राइमरी डीलरशीप (इंडिया) प्रा. लि.
मांग / सूचना मुद्रा बाजार में सिर्फ ऋणदाताओं के रूप में
भाग लेने के लिए अनुमत संस्थाओं की सूची
उन संस्थाओं / निकायों की सूची, जिन पर निदेश के
खण्ड 22(ढ) (i) में दिये गये प्रतिबंध लागू नहीं होंगे
(1) ऐसी प्राथमिक सहकारी ऋण समिति जिसका वित्तपोषण बैंक द्वारा किया जा रहा हो
(2) खादी और ग्रामोद्योग बोड़
(3) कृषि उपज विपणन समितियां
(4) समितियां रजिस्ट्री अधिनियम, 1960 अथवा संघशासित क्षेत्र में लागू तदनुरूपी किसी विधि के अंतर्गत रजिस्ट्रीकृत समितियां
(5) कंपनी अधिनियम, 1956 द्वारा अधिशासित (गवर्नड) ऐसी कंपनियां जिन्हें उक्त अधिनियम की धारा 25 के अंतर्गत केन्द्रीय सरकार द्वारा लाइसेंस दिया गया है अथवा जिन्हें भारतीय कंपनी अधिनियम, 1913 के तदनुरूपी उपबंध के अंतर्गत उनके नामों में ‘‘लिमिटेड’’ अथवा ‘‘प्राइवेट लिमिटेड’’ शब्द न जोड़ने की अनुमति दी गयी है ।
(6) उपर्युक्त खंड 22(ढ) (i) में उल्लिखित संस्थाओं को छोड़कर अन्य ऐसी संस्थाएं जिन्हें आय कर अधिनियम, 1961 के अंतर्गत अपनी पूरी आय को आय कर चुकाने से छूट दी गयी है ।
(7) केन्द्र सरकार द्वारा प्रायोजित विभिन्न कार्यक्रमों / योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए जारी अनुदेशों / सब्सीडी के संदर्भ में सरकारी विभाग / निकाय / एजेंसियां, बशर्ते वे बचत बैंक खाता खोलने के लिए संबंधित सरकारी विभागों से प्राधिकरण प्रस्तुत करें ।
(8) ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं और बच्चों का विकास (डी डब्ल्यू सी आर ए )
(9) पंजीकृत या गैर-पंजीकृत ऐसे स्व-सहायता समूह (एस एच जी) जो अपने सदस्यों में बचत की आदत को बढ़ावा देने के काम में लगे हैं ।
(10) कृषकों के क्लब-विकास वालंटियर वाहिनी - वी वी वी ।
देशी / अनिवासी बाह्य जमाराशियों पर ब्याज दरों के संबंध में जारी 4 नवंबर 2000 के
मास्टर निदेश बैंपविवि. सं. डीआइआर. बीसी. 46/13.03.00/2000-01
के बाद जारी किये गये परिपत्रों / निदेशों की सूची
बैंपविवि. सं. एफएससी. बीसी. |
61/24.91.001/2000 |
दिनांक 29.12.2000 |
|
बैंपविवि. सं. डीआइआर. बीसी. |
62 और 64/13.03.00/2000-01 |
दिनांक 03.01.2001 |
|
बैंपविवि. सं. एफएससी. बीसी. |
69/24.103.001/2000 |
दिनांक 15.01.2001 |
|
- वही - |
80/24.103.001/2000 |
दिनांक 20.02.2001 |
|
- वही - |
85/24.103.001/2001 |
दिनांक 01.03.2001 |
|
बैंपविवि. सं. डीआइआर. बीसी. |
104 और 107/ 13.03.00/2000-01 |
दिनांक 19.4.2001 |
|
बैंपविवि. सं. एफएससी. बीसी. |
125/24.92.001/2000-01 |
दिनांक 25.05.2001 |
|
- वही - |
01/24.91.001/2001-02 |
दिनांक 05.07.2001 |
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