बाह्य वाणिज्यिक उधार (ECB) नीति – इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र की परिभाषा का उदारीकरण
भारिबैंक/2013-14/429 6 जनवरी 2014 सभी श्रेणी-। प्राधिकृत व्यापारी बैंक महेदया/महोदय बाह्य वाणिज्यिक उधार (ECB) नीति – इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र की परिभाषा का उदारीकरण प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों का ध्यान, 12 सितंबर 2013 के जी.एस.आर. सं. 627(ई) के जरिए भारत के राजपत्र में प्रकाशित 19 जुलाई 2013 की अधिसूचना सं. फेमा. 281/2013-आरबी और 18 सितंबर 2013 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.48 की ओर आकृष्ट किया जाता है जिसके अनुसार 27 मार्च 2012 की अधिसूचना एफ.सं.13/06/2009-आईएनएफ के जरिये भारत सरकार द्वारा अनुमोदित अद्यतनीकरण के तहत इन्फ्रास्ट्रक्चर उप-क्षेत्रों की संगत (harmonized) मास्टर सूची और संस्थागत प्रणाली को ध्यान में रखते हुए बाह्य वाणिज्यिक उधार लेने के प्रयोजन हेतु इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र की परिभाषा को विस्तृत किया गया था। 2. समीक्षा करने पर यह निर्णय लिया गया है कि "रखरखाव, मरम्मत और ओवरहालिंग (MRO)" को भी बाह्य वाणिज्यिक उधार लेने के प्रयोजन हेतु एयरपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर का अंग समझा जाएगा। तदनुसार संबंधित सेवाओं से भिन्न स्वरूप की "रखरखाव, मरम्मत और ओवरहालिंग(MRO)" सेवाएं, जो इंफ्रास्ट्रक्चर से प्रथक हैं, इंफ्रास्ट्रक्चर के परिवहन क्षेत्र में एयरपोर्ट के उप-क्षेत्र का भाग समझी जाएंगी। 3. बाह्य वाणिज्यिक उधार (ECB) नीति के सभी अन्य पहलू अपरिवर्तित बने रहेंगे। 4. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -। बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने घटकों और ग्राहकों को अवगत करायें। 5. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और धारा 11 (1) के अधीन और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर जारी किए गए हैं । भवदीय (रुद्र नारायण कर) |
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