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विदेशी मुद्रा अर्जक विदेशी मुद्रा खाते (EEFC) तथा निवासी विदेशी मुद्रा खाते (RFC) - संयुक्त खाता धारक-उदारीकरण

भारिबैंक/2011-12/176
ए.पी.(डीआईआर सिरीज) परिपत्र सं.15

15 सितंबर 2011

विदेशी मुद्रा का व्यापार करने के लिए प्राधिकृत सभी बैंक

महोदया/महोदय,

विदेशी मुद्रा अर्जक विदेशी मुद्रा खाते (EEFC) तथा निवासी विदेशी मुद्रा खाते (RFC)-
संयुक्त खाता धारक-उदारीकरण

प्राधिकृत व्यापारी बैंकों का ध्यान 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 10/2000-आरबी के विनियम 4 तथा 5 अर्थात विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत में निवास करने वाले व्यक्ति का विदेशी मुद्रा खाता), विनियमावली, 2000 की ओर आकृष्ट किया जाता है जिसके अनुसार निवासी व्यक्तियों को क्रमश: ईईएफसी और एफआरसी खाते खोलने की अनुमति है ।

2. विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 के अंतर्गत व्यक्तियों को सुलभ सुविधाओं की समीक्षा करने के लिए गठित समिति ने अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की है कि आरएफसी/ईईएफसी खाते निवासी व्यक्ति द्वारा कंपनी अधिनियम,1956 की धारा 6 में यथा विनिर्दिष्ट घनिष्ठ संबंधी/रिश्तेदार के साथ संयुक्त रूप में रखने की अनुमति दी जा सकती है ।

3. समीक्षा करने पर यह निर्णय लिया गया है कि निवासी व्यक्तियों को कंपनी अधिनियम,1956 में यथा परिभाषित निकट/घनिष्ठ संबंधी/रिश्तेदार को ईईएफसी/आरएफसी बैंक खाते के संयुक्त धारक के रूप में शामिल करने की अनुमति 'प्रथम या उत्तरजीवी' के आधार पर दी जाए । हालाँकि, ऐसा भारतीय निवासी घनिष्ठ संबंधी, जिसे संयुक्त खाता धारक के रूप में शामिल करने की पात्रता दी गयी है, निवासी खाता धारक के जीवन काल में उक्त खाते के परिचालन के लिए पात्र नहीं होगा ।

4. विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत में निवासी व्यक्ति द्वारा विदेशी मुद्रा खाते) विनियमावली, 2000 में आवश्यक संशोधन अलग से जारी किए जा रहे हैं।

5. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने ग्राहकों/घटकों को अवगत कराने का कष्ट करें।

6. इस परिपत्र में समाहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/अनुमोदन पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किए गए हैं।

भवदीया,

(मीना हेमचंद्र)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

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