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देशी जमा

I . देशी जमा

चालू खाते के अलावा किसी भी खाते में बैंक बिना ब्याज दिए जमा स्वीकार नहीं कर सकते हैं
बैंक बचत बैंक खातों पर तिमाही या उससे लंबी अवधि के अंतराल पर ब्याज दे सकते हैं।
मीयादी जमाराशियों पर तिमाही या उससे लंबी अवधि के अंतराल पर ब्याज दिया जा सकता है। उपचित तिमाही ब्याज को डिस्काउंट कर बैंक मासिक ब्याज दे सकते हैं।
15 लाख रुपये और उससे अधिक की एकल मीयादी जमाराशि पर भिन्न ब्याज दर दी जा सकती है, लेकिन यदि अलग-अलग जमाराशियों को मिलाकर कुल राशि 15 लाख रुपये से अधिक हो, तो उस स्थिति में भिन्न ब्याज दर नहीं दी जा सकती ।
एक विशेष योजना के अंतर्गत घर-घर जाकर जमाराशि इकट्ठा करने के लिए नियुक्त एजेंटों को दिए जानेवाले कमीशन के अलावा अन्य किसी भी प्रकार के कमीशन या पारिश्रमिक या शुल्क के भुगतान पर जमाराशि इकट्ठा करने या जमा संबद्ध उत्पाद बेचने के लिए बैंकों द्वारा किसी व्यक्ति, फर्म, कंपनी, संघ, संस्था को नियुक्त /नियोजित किया जाना प्रतिबंधित है ।
मीयादी जमाराशि, बैंक और ग्राहक के बीच एक निश्चित अवधि की संविदा है तथा बैंक अपनी इच्छा से इसका समयपूर्व भुगतान नहीं कर सकते। मीयादी जमाराशियों का समयपूर्व भुगतान ग्राहक के अनुरोध पर किया जा सकता है ।
आम तौर पर बैंक व्यक्ति और संयुक्त हिंदू परिवार (एचयूएफ) की बड़ी या छोटी किसी भी मीयादी जमाराशि के समयपूर्व आहरण के लिए मना नहीं करेंगे। फिर भी, बैंक अपने विवेकानुसार से व्यक्ति या संयुक्त हिंदू परिवारों से इतर कंपनियों द्वारा धारित बड़ी जमाराशियों के समयपूर्व आहरण को अस्वीकृत कर सकते हैं । बैंकों को ऐसे जमाकर्ताओं को समयपूर्व आहरण की नीति के संबंध में पहले ही यानी जमा स्वीकार करते समय सूचित करना चाहिए ।
मीयादी जमाराशियों के समयपूर्व आहरण के लिए अपनी दंडात्मक ब्याज दरें तय करने के लिए बैंक स्वतंत्र हैं ।
यदि किसी जमाराशि की विनिर्दिष्ट अवधि की समाप्ति की तारीख और परवर्ती कार्य दिवस को जमाराशि के भुगतान की तारीख के बीच कोई छुट्टी/रविवार/गैर-कारोबारी दिन आ जाए तो जमाराशि की मूल रूप से निश्चित ब्याज दर पर उक्त छुट्टी/रविवार/गैर-कारोबारी दिन की अवधि के लिए भी बैंक को ब्याज का भुगतान करना चाहिए ।
नहीं। बैंक के कर्मचारियों /सेवानिवृत्त कर्मचारियों को देय अतिरिक्त ब्याज के लिए उनके बच्चे (अवयस्क बच्चों सहित) पात्र नहीं हैं।
नहीं। चूँकि यह धनराशि अवयस्क बच्चे की संपत्ति है न कि बैंक के कर्मचारी की, अत: अतिरिक्त ब्याज नहीं दिया जा सकता।
बैंक, विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष मीयादी जमाराशि योजनाएं बना सकते हैं, जिन पर किसी भी राशि की सामान्य जमाराशियों की तुलना में उच्चतर ब्याज दर दी जा सकती है।
निम्नलिखित सरकारी संगठनों / एजेंसियों की जमाराशियों के अलावा अन्य सरकारी विभाग /सरकारी योजना के नाम पर बचत बैंक खाता नहीं खोला जा सकता -1. बैंक द्वारा वित्तपोषित प्राथमिक सहकारी ऋण समिति ।2. खादी और ग्रामोद्योग बोर्ड ।3. कृषि उत्पाद बाज़ार समितियाँ ।4. सोसायटी रजिस्ट्रिकरण अधिनियम, 1860 या राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में लागू अन्य किसी समान कानून के अंतर्गत पंजीकृत समितियाँ (सोसायटी)।5. कंपनी अधिनियम, 1956 द्वारा नियंत्रित कंपनियां, जिन्हें उक्त अधिनियम की धारा 25 के अंतर्गत अथवा भारतीय कंपनी अधिनियम, 1913 के तदनुरूप प्रावधान के अंतर्गत केंद्र सरकार द्वारा लाइसेंस मिला है तथा अपने नाम के आगे ‘लिमिटेड’ या "प्राइवेट लिमिटेड" शब्द नहीं लगाने की अनुमति मिली है।6. उपर्युक्त खंड (i) में उल्लिखित संस्थाओं के अलावा ऐसी संस्थाएं जिनकी समस्त आय पर आयकर अधिनियम, 1961 के अंतर्गत आयकर से छूट प्राप्त है।7. केंद्र सरकार/राज्य सरकार द्वारा प्रायोजित विभिन्न कार्यक्रमों के क्रियान्वयन के लिए जारी अनुदान/ सब्सिडी के संबंध में सरकारी विभाग /संगठन/एजेन्सियां, बशर्ते संबंधित सरकारी विभाग से बचत बैंक खाते खोलने के लिए प्राधिकार प्रस्तुत किया गया हो।8. ग्रामीण क्षेत्रों में महिला एवं बाल विकास ।9. पंजीकृत या अपंजीकृत स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) जो अपने सदस्यों में बचत की आदतें प्रोत्साहित कर रहे हैं।10. किसान क्लब-विकास स्वयंसेवक वाहिनी (वीवीवी)
क. दिवंगत व्यक्ति जमाकर्ता के नाम अथवा दो या अधिक संयुक्त जमाकर्ताओं के नाम रखी गयी मीयादी जमाराशि जिनमें एक जमाकर्ता की मृत्यु हो गई हो, के मामले में परिपक्व हो चुकी जमाराशियों पर ब्याज का भुगतान करने के लिए अलग-अलग बैंकों को अपने विविक से नियम निर्धारित करने की छूट है बशर्ते इस संबंध में उनके निदेशक मंडल द्वारा पारदर्शी नीति बनाई गई हो।ख. दिवंगत व्यक्ति जमाकर्ता / एकमात्र स्वामित्व प्रतिष्ठान के नाम में रखे गये चालू खाते के शेष के मामले में ब्याज 1 मई 1983 से या जमाकर्ता की मृत्यु की तारीख से, इनमें से जो भी बाद में हो, से लेकर दावेदार/दावेदारों को चुकौती की तारीख तक, भुगतान की तारीख को बचत खातों पर लागू ब्याज दर पर देय होगा। फिर भी, एनआरई जमाराशियों के मामलों में, यदि दावेदार निवासी हैं, परिपक्वता पर जमाराशि को घरेलू रुपये के तौर पर माना जाएगा तथा बाद की अवधि के लिए, समान परिपक्वता वाली घरेलू जमाराशि पर लागू दर पर ब्याज का भुगतान किया जाएगा।
अतिदेय जमाराशियों के नवीनीकरण से संबंधित सभी पहलुओं के संबंध में अलग-अलग बैंकों द्वारा निर्णय लिया जा सकता है, बशर्ते इस संबंध में उनके निदेशक मंडल द्वारा पारदर्शी नीति बनायी गयी हो तथा ग्राहकों से जमाराशि स्वीकार करते समय ब्याज दरों सहित नवीनीकरण की शर्तों के संबंध में ग्राहकों को सूचित किया गया हो। यह नीति पक्षपात रहित और विवेकाधिकार रहित होनी चाहिए।

II. अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) की जमाराशियाँ

एफसीएनआर (बी) जमाराशियों की प्रतिभूति पर जमाकर्ताओं को दिए गए ऋणों एवं अग्रिमों पर लगायी जानेवाली ब्याज दर तय करने के लिए बैंक स्वतंत्र हैं। वे यह दर अपनी बेंचमार्क मूल उधार दर से असंबद्ध रखकर निर्धारित कर सकते हैं, चाहे चुकौती रुपये में हो या विदेशी मुद्रा में।
नहीं । बैंक एफसीएनआर (बी) योजना के अंतर्गत आवर्ती जमाराशियाँ स्वीकार नहीं कर सकते।
बैंकों के निदेशक मंडलों (बोर्ड) को यह शक्ति दी गयी है कि वे आस्ति देयता प्रबंधन समिति को भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित सीमाओं के भीतर जमाराशियों पर ब्याज दरें तय करने के लिए प्राधिकृत करें।
हां, बैंकों को अनिवासी विदेशी मीयादी जमाराशियों पर विभेदक ब्याज दर लगाने की अनुमति दी गयी है जैसी कि 15 लाख रुपये और उससे अधिक देशी मीयादी जमाराशियों पर निर्धारित उच्चतम सीमा के भीतर लगायी जाती है। एफ सी एन आर (बी) जमाराशियों के संबंध में बैंक अब मुद्रावार न्यूनतम मात्रा निर्धारित करने के लिए स्वतंत्र हैं जिस पर निर्धारित उच्चतम सीमा के अधीन विभेदक ब्याज दर दिया जाए ।
पुनर्निवेश जमाराशियां वे जमाराशियां हैं जहां ब्याज (जब कभी देय हो) का परिपक्वता अवधि तक उसी संविदागत दर से पुनर्निवेश किया जाता है जिसका परिपक्वता तारीख को मूल राशि के साथ आहरण किया जा सकता है। यह देशी जमाराशियों के लिए भी लागू है ।
बैंक अपने विवेक से अतिदेय एफ सी एन आर (बी) खाता जमाराशियां अथवा उसके एक हिस्से को नवीकृत कर सकते हैं बशर्ते परिपक्वता की तारीख से नवीकरण की तारीख (दोनों दिन सम्मिलित) तक की अतिदेय अवधि 14 दिन से अधिक न हो और इस तरह नवीकृत की गयी जमाराशि पर देय ब्याज दर नवीकरण अवधि के लिए उचित ब्याज दर वह होगी जो परिपक्वता तारीख को अथवा उस तारीख को जब जमाकर्ता नवीकरण चाहता हो प्रचलित हो, दोनों में से जो कम हो। अतिदेय जमाराशियों के मामले में जहां अतिदेय अवधि 14 दिन से अधिक हो वहां जमाराशियों का जब नवीकरण मांगा गया हो उस तारीख को प्रचलित ब्याज दर से नवीकरण किया जा सकता है। यदि जमाकर्ता समग्र अतिदेय जमाराशि अथवा उसका एक हिस्सा नयी एफ सी एन आर (बी) जमाराशि के रूप में रखता है तो बैंक नयी मीयादी जमाराशि के रूप में इस तरह रखी राशि पर अतिदेय अवधि के लिए स्वयं ब्याज निर्धारित कर सकते हैं । यदि नवीकरण के बाद उक्त योजना के अंतर्गत न्यूनतम निर्दिष्ट अवधि की समाप्ति के पहले उक्त जमाराशि का आहरण किया जाता हे तो बैंक अतिदेय अवधि के लिए इस तरह दिया गया ब्याज वसूल करने के लिए स्वतंत्र हैं ।
नहीं, विदेशी मुद्रा अनिवासी (बैंक) खाता योजना के अंतर्गत रुपयों में दिये गये ऋणों पर लागू ब्याज दर संबंधी शर्तें विदेशी मुद्रा में अंकित ऋणों पर लागू नहीं हैं । वे भारतीय रिज़र्व बैंक के विदेशी मुद्रा विभाग द्वारा जारी अनुदेशों से नियंत्रित होते हैं —
निम्नलिखित के नाम स्वीकृत जमाराशियों के संबंध में -क. बैंक के स्टाफ -सदस्य अथवा किसी सेवानिवृत्त सदस्य, एकल अथवा उसके परिवार के किसी अन्य सदस्य या सदस्यों के साथ संयुक्त रूप में, याख. बैंक के स्टाफ के दिवंगत सदस्य अथवा दिवंगत सेवानिवृत्त सदस्य के पति/की पत्नीएफ सी एन आर (बी) जमाराशियों के लिए निर्धारित समग्र उच्चतम सीमा के भंग न करने की शर्त के अधीन बैंक अपने विवेक से निर्दिष्ट ब्याज दर के ऊपर वार्षिक एक प्रतिशत से अनधिक दर तक अतिरिक्त ब्याज दे सकते हैं,बशर्तेi. जमाकर्ता अथवा संयुक्त खाते के सभी जमाकर्ता भारतीय राष्ट्रिकता अथवा मूल का/के अनिवासी हो/हों, औरii. संबंधित जमाकर्ता से बैंक यह घोषणा प्राप्त करेगा कि इस तरह जमा किया गया धन अथवा जो समय-समय पर जमा किया जाएगा, वह उपर्युक्त खंड (क) और (ख) में उल्लेख किये अनुसार - जमाकर्ताओं से संबंधित धन होगा ।स्पष्टीकरण : ‘परिवार’ शब्द का अर्थ होगा तथा इसमें शामिल होंगे बैंक के स्टाफ-सदस्य/सेवानिवृत्त सदस्य के पति/की पत्नी, उनके बच्चे, माता-पिता, भाई और बहनें जो ऐसे सदस्य/सेवानिवृत्त सदस्य पर आश्रित हैं तथा इसमें कानूनी दृष्टि से विभक्त पति/पत्नी शामिल नहीं होंगे -
नहीं, किसी भी जमाराशि को ब्याज अर्जित करने के लिए पात्र होने के लिए न्यूनतम निर्धारित अवधि तक रखना होता है जो वर्तमान में एफ सी एन आर (बी) और एन आर ई जमाराशियों के लिए एक वर्ष है।
हां, जब कभी देय तारीख शनिवार/रविवार/गैर-कारोबारी कार्य दिवस/अवकाश के दिनों में आती है तब बैंकों को देय तारीख और भुगतान की तारीख के बीच की अवधि के लिए मूल संविदाकृत दर से एन आर ई/ एफ सी एन आर (बी) जमाराशियों पर ब्याज का भुगतान करने की अनुमति है ताकि जमाकर्ताओं को ब्याज के संबंध में कोई हानि न हो।

III. अग्रिम

बैंक अपने-अपने संबंधित बोर्डों के अनुमोदन से 2 लाख रुपये से अधिक ऋण सीमा के लिए आधारभूत मूल उधार दर (बीपीएलआर) निर्धारित करने के लिए स्वतंत्र हैं। बीपीएलआर घोषित की जानी चाहिए तथा सभी शाखाओं के लिए इसे समान रूप में लागू किया जाना चाहिए। जमा तथा अग्रिमों पर ब्याज दर निर्धारित करने के लिए बैंक अपनी आस्ति-देयता प्रबंधन समिति (एएलसीओ) को प्राधिकृत कर सकते हैं, बशर्ते वे इसके बाद तुंत अपने बोर्ड को सूचित करें। बैंकों को एएलसीओ/बोर्ड के अनुमोदन से सभी अग्रिमों के लिए बीपीएलआर के ऊपर अधिकतम स्प्रेड भी घोषित करना चाहिए।
मध्यवर्ती एजेंसियों की निदर्शी सूची निम्नानुसार है ;1. कमजोर वर्गों@ को आगे उधार देने के लिए सरकार द्वारा प्रायोजित संगठन2. कृषि निविष्टियां/उपकरणों के वितरक3. कमजोर वर्गों को ऋण प्रदान करने का कार्य करने की सीमा तक राज्य वित्तीय निगम (एसएफसी)/राज्य औद्योगिक विकास निगम (एसआइडीसी)4. राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम (एनएसआइसी)5. खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआइसी)6. विकेंद्रित क्षेत्र को सहायता देने में लगी एजेंसियां7. आवास और शहरी विकास निगम लि. (हुडको)8. पुनर्वित्त के लिए राष्ट्रीय आवास बैंक (एनएचबी) द्वारा अनुमोदित आवास वित्त कंपनियां9. अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लिए सरकार द्वारा प्रायोजित संगठन (इन संगठनों के लाभार्थियों की निविष्टियों की खरीद तथा आपूर्ति और उत्पाद के विपणन के लिए)10. स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) को उधार देने के लिए माइक्रो वित्त संस्थाएं/गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ)@प्राथमिकता क्षेत्र में ‘कमजोर वर्ग’ में निम्नलिखित शामिल हैं :i. 5 एकड़ तथा उससे कम जोत वाले छोटे तथा सीमांत किसान, भूमिहीन मजदूर, काश्तकार और बंटाईदारii. कारीगर, ग्राम और कुटीर उद्योग जहां व्यक्तिगत ऋण आवश्यकता रु. 25000/- से अधिक न हो ;iii. छोटे और सीमांत किसान, बंटाईदार, कृषि तथा गैर-कृषि मजदूर, ग्रामीण कारीगर और गरीबी रेखा के नीचे रहनेवाले परिवार लाभार्थी हैं । पारिवारिक आय वार्षिक रु. 11,000/- से अधिक नहीं होनी चाहिए ।iv. अनुसूचित जातियां और अनुसूचित जनजातियांv. लाभार्थी वे व्यक्ति हैं जिनकी सभी स्रोतों से पारिवारिक आय शहरी और अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों में वार्षिक रु.7200/- अथवा ग्रामीण क्षेत्रों में वार्षिक रु.6400/- से अधिक नहीं है। उनके पास भू-स्वामित्व नहीं होना चाहिए अथवा उनके भूखंड का आकार सिंचित भूमि के मामले में एक एकड़ से अधिक नहीं होना चाहिए और असिंचित भूमि के मामले में 2.5 एकड़ से अधिक नहीं होना चाहिए (अनुसूचित जाति / जनजाति के लिए भूमि धारिता संबंधी मानदंड लागू नहीं होंगे)।vi. सफाई कर्मचारी मुक्ति और पुनर्वास योजना (एसएलआरएस) के तहत लाभार्थीvii. ग्रामीण गरीबों तक पहुंचने के लिए स्व-सहायता समूहों को मंजूर अग्रिम।
हां : बैंक निम्नलिखित ऋणों के मामले में आधारभूत मूल उधार दर के संदर्भ के बगैर ब्याज दर का निर्धारण कर सकते हैं चाहे ऋण की राशि कितनी भी क्यों न हों :

(i) क. टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं की खरीद के लिए ऋण
ख. शेयरों और डिबेंचरों / बांडों की जमानत पर व्यक्तियों को ऋण
ग. प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र से इतर अन्य वैयक्तिक ऋण
घ. बैंक के पास रखी देशी / अनिवासी /विदेशी मुद्रा अनिवासी रुपया (बैंक) जमाराशियों की जमानत पर अग्रिम / ओवर ड्राफ्ट, बशर्ते उक्त जमाराशि (याँ) या तो उधारकर्ता / उधारकर्ताओं के अपने नाम (मों) पर हो /हों अथवा अन्य व्यक्ति के साथ संयुक्त रूप से उधारकर्ता के नामों पर हो /हों।
ड मध्यवर्ती एजेन्सियों (आवास संबंधी एजेन्सियों को छोड़कर)को दिया गया वित्त जो आगे अंतिम लाभार्थियों तथा निविष्टि आधार प्रदान करने वाली एजेन्सियों को उधार देती हैं।
च. अंतिम लाभार्थी को उधार देने के लिए आवास वित्त मध्यवर्ती एजेन्सियों को दिया गया वित्त

छ. बिलों की बट्टे पर भुनाई
ज. चयनात्मक ऋण नियंत्रण के अधीन पण्यों की जमानत पर ऋण /अग्रिम /नकदी ऋण/ ओवर ड्राफ्ट

(ii)

मीयादी उधार देनेवाली संस्थाओं की ब्याज पुनर्वित्त पोषण योजनाओं में सहभागिता के अंतर्गत आनेवाले ऋण

बैंक आधारभूत मूल उधार दर के संदर्भ के बगैर पुनर्वित्त पोषण करनेवाली एजेन्सियों की शर्तों के अनुसार दरें लगाने के लिए स्वंतत्र हैं।

नहीं। चूंकि सभी उधार दरें मीयादी प्रीमियमों और/अथवा जोखिम प्रीमियमों को ध्यान में रखते हुए आधारभूत मूल उधार दर के संदर्भ में निर्धारित की जा सकती हैं, अत: बहुविध आधारभूत मूल उधार दरों की आवश्यकता नहीं है। ये प्रीमियम संबंधित आधारभूत मूल उधार दर से अधिक अथवा कम के अंतर (स्प्रेड) के रूप में रखे जा सकते हैं।
बैंकों को यह स्वतंत्रता है कि वे सभी ऋण निर्धारित अथवा अस्थायी दरों पर दें बशर्ते वे परिसंपत्ति देयता प्रबंधन (एएलएम) दिशानिर्देशों के अनुरूप हों।
हां ? बैंकों से अनुरोध है कि वे मीयादी ऋणों सहित सभी अग्रिमों के मामले में संबंधित ऋण करारों में निम्नलिखित परंतुक अनिवार्यत: शामिल करें ताकि बैंक, निर्धारित दर वाले ऋणों के मामले को छोड़कर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निदेशों के अनरूप लागू ब्याज दर लगा सकें।"बशर्ते उधारकर्ता द्वारा दिया जानेवाला ब्याज, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में समय-समय पर किए गए परिवर्तनों के अधीन होगा।"
जी हां। फिलहाल, 2 लाख रुपये तक के ऋण आधारभूत मूल उधार दर से अनधिक की शर्त के अधीन हैं और 2 लाख रुपये से अधिक के ऋणों के मामले में बैंक आधारभूत मूल उधार दर और लगाई गई दर के बीच के अंतर संबंधी दिशानिर्देशों के तहत ब्याज दर निर्धारित करने के लिए स्वतंत्र हैं। अंतर्राष्ट्रीय प्रथा को ध्यान में रखते हुए और वाणिज्य बैंकों को अपनी उधार दर निर्धारित करने में परिचालनगत लचीलापन प्रदान करने हेतु बैंक निर्यातकों अथवा अन्य अच्छी साख वाले उधारकर्ताओं, जिनमें सार्वजनिक उद्यम शामिल हैं, को संबंधित बोर्डों द्वारा अनुमोदित पारदर्शी एवं वस्तुनिष्ठ नीति के आधार पर आधारभूत मूल उधार दर से कम दर पर ऋण दे सकते हैं।
नहीं। बैंकों को सहायता संघीय व्यवस्था के अधीन भी एक समान ब्याज दर लगाने की आवश्यकता नहीं है। प्रत्येक सदस्य बैंक को चाहिए कि वह उधारकर्ताओं को जो ऋण सीमा प्रदान करता है उसके संबंधित हिस्से पर अपनी आधारभूत मूल उधार दर के अधीन ब्याज दर लगाए।
10 अक्तूबर 2000 से, बैंकों को यह स्वतंत्रता दी गई है कि वे अपने निदेशक मंडलों के अनुमोदन से दंडात्मक ब्याज लगाने के लिए पारदर्शी नीति तैयार करें। तथापि, प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र के तहत उधारकर्ताओं को दिए गए ऋणों के मामले में, रु 25,000/- तक के ऋणों के लिए कोई दंडात्मक ब्याज नहीं लगाया जा सकता। चुकौती में चूक, वित्तीय विवरणों को प्रस्तुत न करना आदि जैसे कारणों के लिए दंडात्मक ब्याज लगाया जा सकता है। तथापि, दंडात्मक ब्याज संबंधी नीति को पारदर्शिता, औचित्य, ऋणशोधन हेतु प्रोत्साहन, और ग्राहकों की वास्तविक कठिनाइयों के स्वीकृत सिद्धांतों द्वारा नियंत्रित किया जाना चाहिए।
जहां तक डीआइसीजीसी गारंटी फीस का प्रश्न है, बैंकों को यह विवेकाधिकार दिया गया है कि वे, कमजोर वर्ग के अग्रिमों को छोड़कर रु.25,000/- से अधिक के अग्रिमों के मामले में गारंटी शुल्क स्वयं वहन करें या संबंधित उधारकर्ता पर गारंटी फीस डालें — रु. 25,000/- तक के और कमजोर वर्ग को दिए सभी अग्रिमों के मामले में डीआइसीजीसी गारंटी फीस बैंकों को वहन करनी चाहिए।
1 अप्रैल 2002 से, कृषि अग्रिमों (अल्पावधि ऋणों और अन्य संबद्ध कार्यकलापों सहित) के मामले को छोड़कर ऋणों और अग्रिमों पर बैंक मासिक अंतराल पर ब्याज लगा रहे हैं। कृषि अग्रिमों के मामले में मौजूदा प्रणाली जारी है।
किसी अनुसूचित बैंक द्वारा, अन्य बातों के साथ-साथ उनके अपने कर्मचारियों को दिये गये या नवीकृत ऋणों या अग्रिमों या अन्य वित्तीय सुविधा पर, बैंकों द्वारा मंजूर अग्रिमों संबंधी ब्याज दर निदेश लागू नहीं होंगे। जहाँ बैंक के स्टाफ सदस्यों द्वारा अपने ग्राहकों (अर्थात् संबंधित बैंक के स्टाफ सदस्य) को उधार देने हेतु गठित को-ऑपरेटिव क्रेडिट सोसाइटियों को बैंक अग्रिम प्रदान करता है, वहाँ ऐसे अग्रिमों पर भारतीय रिज़र्व बैंक के ब्याज दर निदेश लागू नहीं होंगे।

IV. शेयरों और डिबेंचरों की जमानत पर अग्रिम

नहीं।
नहीं।
किसी बैंक का निधि आधारित और निधीतर आधारित दोनों सहित, पूंजी बाजार में सभी प्रकार का कुल एक्सपोज़र, जिसमें इक्विटी शेयरों में प्रत्यक्ष निवेश, परिवर्तनीय बांडों और डिबेंचरों तथा इक्विटी उन्मुख पारस्परिक निधियों के यूनिट, इक्विटी शेयरों (आइपीओ सहित), में निवेश के लिए व्यक्तियों को शेयरों की जमानत पर दिए अग्रिमों, बांडों और डिबेंचरों, इक्विटी उन्मुख पारस्परिक निधियों के यूनिट और शेयर दलालों को दिए ज़मानती तथा बेज़मानती अग्रिम और शेयर दलालों एवं बाजार के सहभागियों की ओर से जारी गारंटियां शामिल हैं, पिछले वर्ष के 31 मार्च के कुल बकाया अग्रिमों (वाणिज्य पत्र सहित) के 5 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। पूंजी बाजार में एक्सपाज़र पर उच्चतम सीमा की गणना के लिए, शेयरों में संबंधित बैंक के प्रत्यक्ष निवेश की गणना संबंधित शेयरों के लागत मूल्य पर की जाएगी।
नहीं। बैंकों पर शेयरों की शॉर्ट सेल करने का प्रतिबंध है।
विद्युत प्रभारों का भुगतान, सीमा शुल्क, किराये पर खरीद /पट्टा किराया किस्तों, प्रतिभूतियों की बिक्री और अन्य प्रकार के वित्तीय निभाव से संबंधित बिलों की बैंकों को बट्टे पर भुनाई नहीं करनी चाहिए।
गैर-बैंकिंग गैर-वित्तीय कंपनियों की सार्वजनिक जमाराशि योजनाओं के अंतर्गत बैंकों द्वारा अपनी निधियों के निवेश पर कोई प्रतिबंध नहीं है, परंतु ऐसी कंपनियों की सार्वजनिक जमाराशि योजना में किया गया निवेश बैंकों द्वारा अपने तुलनपत्र में तथा बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 और भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के अंतर्गत भेजी गयी विवरणियों में ऋण/अग्रिम के रूप में वर्गीकृत किया जाना चाहिए।
बैंक सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के बांड के आबंटन पत्र निम्नलिखित शर्तों के अधीन खरीद सकते हैं -i. अंतर बैंक लेनदेन को छोड़कर सभी लेनदेन केवल मान्यता प्राप्त शेयर बाज़ारों और पंजीकृत दलालों के माध्यम से किए जाने चाहिए।ii. बांड खरीदते समय बैंक को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उसे प्रतिभूति का स्पष्ट हक मिलता है तथा द्वितीयक बाजार में उस प्रतिभूति का क्रय-विक्रय किया जा सकता है।iii. इस प्रकार का लेनदेन करने के लिए बैंक को बोर्ड के अनुमोदन से अपना आंतरिक दिशानिर्देश निर्धारित करना चाहिए।
ऋणों /अग्रिमों की प्रतिभूति के रूप में बैंकों द्वारा स्वीकृत शेयरों /डिबेंचरों /बांडों का मूल्य निर्धारण मौजूदा बाजार मूल्य के आधार पर किया जाना चाहिए।
हाँ. बैंक कंपनियों को एक वर्ष की अधिकतम अवधि के लिए प्रत्याशित इक्विटी प्रवाह /निर्गम और अपरिवर्तनिय डिबेंचर, बाह्य वाणिज्यिक उधार, ग्लोबल डिपॉजिटरी रसीदों से प्राप्त होने वाली राशि तथा / या विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के रूप में प्राप्त होने वाली निधि को ध्यान में रखते हुए ‘ब्रिज लोन’ स्वीकृत कर सकते हैं, बशर्ते बैंक इस बात से संतुष्ट हो कि उधारकर्ता कंपनी ने उपर्युक्त संसाधन /निधि जुटाने के लिए पक्की व्यवस्था की है। बैंक द्वारा स्वीकृत ब्रिज लोन पूंजी बाजार में बैंक के एक्सपोज़र की 5 प्रतिशत की निर्धारित उच्चतम सीमा के भीतर होगा।
शेयरों, डिबेंचरों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के बांडों की जमानत पर व्यक्तियों को स्वीकृत ऋण / अग्रिम, यदि प्रतिभूति भैतिक रूप में हो तो 10 लाख रुपये और यदि प्रतिभूति ‘अमूर्त’ रूप में हो तो 20 लाख रुपये से अधिक नहीं होना चाहिए। आरंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव (आइपीओ) में अभिदान के लिए व्यक्ति को 10 लाख रुपये तक अधिकतम वित्त स्वीकृत किया जा सकता है। परंतु, बैंक को अन्य कंपनियों के आइपीओ में निवेश के लिए कंपनियों को वित्त उपलब्ध नहीं करना चाहिए। बैंक कर्मचारी स्टॉक विकल्प योजना (इएसओपी) के अंतर्गत कर्मचारियों को अपनी कंपनियों के शेयर खरीदने के लिए शेयरों के क्रय मूल्य के 90 प्रतिशत या 20 लाख रुपये, इनमें जो भी कम हो, तक अग्रिम स्वीकृत कर सकते हैं। आइपीओ में अभिदान के लिए व्यक्तियों को ऋण देने के लिए गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को वित्त उपलब्ध नहीं कराया जाना चाहिए। आइपीओ में अभिदान के लिए बैंक द्वारा स्वीकृत ऋणों / अग्रिमों को पूंजी बाजार का एक्सपोज़र मानना चाहिए।
शेयरों की जमानत /गारंटी जारी करने के आधार पर दिए गए सभी अग्रिमों के लिए 50 प्रतिशत का एकसमान मार्जिन निर्धारित किया गया है। इस 50 प्रतिशत के मार्जिन के भीतर पूंजी बाज़ार परिचालनों के संबंध में बैंकों द्वारा जारी गारंटियों के मामले में, कम से कम 25 प्रतिशत का नकद मार्जिन होना चाहिए।

V. दान

हाँ. लाभ अर्जक बैंक एक वित्त वर्ष के दौरान पिछले वर्ष में बैंक के प्रकाशित लाभ की एक प्रतिशत राशि तक कुल दान दे सकते हैं, परंतु, प्रधान मंत्री राहत कोष तथा व्यावसायिक निकायों / संस्थाओं यथा भारतीय बैंक संघ, राष्ट्रीय बैंक प्रबंधन संस्थान, भारतीय बैंकर्स संस्थान, बैकिंग कार्मिक चयन संस्थान, भारतीय विदेशी मुद्रा व्यापारी संघ को वर्ष के दौरान दिया गया अंशदान /अभिदान उक्त उच्चतम सीमा में शामिल नहीं होगा। एक वर्ष के दौरान अनुमत सीमा की अप्रयुक्त राशि दान के उद्देश्य से अगले वर्ष के लिए आगे नहीं ले जायी जा सकती।
हाँ. हानि में चल रहे बैंक एक वित्त वर्ष के दौरान केवल 5 लाख रुपये तक दान दे सकते हैं।
हां, बैंकों की विदेशी शाखाएँ विदेश में दान दे सकती हैं, बशर्तें बैंक पिछले वर्ष के प्रकाशित लाभ के एक प्रतिशत की निर्धारित उच्च्तम सीमा का अतिक्रमण नहीं करते।

VI. परिसर ऋण

i. बैंकों के निदेशक मंडल को बैंकों के उपयोग के लिए पट्टा/किराये के आधार पर परिसर लेने के संबंध में सभी पहलुओं को शामिल करते हुए नीति निर्धारित करनी चाहिए और महानगरीय, शहरी, अर्द्ध-शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए अलग-अलग परिचालनात्मक दिशानिर्देश बनाना चाहिए। इन दिशानिर्देशों में विभिन्न स्तरों पर शक्तियों का प्रत्यायोजन भी शामिल होना चाहिए। ग्रामीण केंद्रों को छोड़कर अन्य केंद्रों पर परिसर छोड़ने या दूसरा परिसर लेने के संबंध में निर्णय केंद्रीय कार्यालय के स्तर पर वरिष्ठ कार्यपालकों की एक समिति द्वारा लिया जाना चाहिए।ii. पट्टा/किराये के आधार पर परिसर देने वाले मकान मालिकों को ऋण मंजूर करने के संबंध में बैंक के निदेशक मंडल को अलग से नीति निर्धारित करनी चाहिए। ऐसे ऋणों पर ब्याज दर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उधार दर संबंधी निदेशों के अनुरूप निर्धारित की जानी चाहिए तथा 2 लाख रुपये से अधिक के ऋण के मामले में न्यूनतम उधार दर बेंचमार्क मूल उधार दर (बीपीएलआर) होनी चाहिए। बैंक की सामान्य प्रथा के अनुरूप ब्याज दर साधारण या चक्रवृद्धि हो सकती है, जैसा कि अन्य मीयादी ऋणों पर लागू हो।iii. मकान मालिकों की वास्तविक शिकायतों को शीघ्रता से दूर करने के लिए बैंकों को एक उपयुक्त पद्धति विकसित करनी चाहिए।iv. सरकारी क्षेत्र के बेंकों द्वारा मकान मालिकों को दिए गए अग्रिमों तथा पट्टे /किराये पर लिए गए परिसरों पर किराये (कर आदि तथा 25 लाख रुपये और उससे अधिक की जमाराशियों सहित) के संबंध में तय की गयी संविदा के ब्यौरे सरकार के विद्यमान निर्देशों के अनुसार केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो को भेजे जाने चाहिए। यह अपेक्षा निजी क्षेत्र के बैंकों पर लागू नहीं होगी।

VII सेवा प्रभार

भारतीय बैंक संघ ने बैंकों द्वारा दी जाने वाली विभिन्न सेवाओं के लिए सेवा प्रभार निर्धारित करने की प्रथा बंद कर दी है। सितंबर 1999 से भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंकों को यह स्वतंत्रता दी है कि वे अपने निदेशक मंडल के अनुमोदन से सेवा प्रभार निर्धारित कर सकते हैं।

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पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: दिसंबर 10, 2022

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