भारत में विदेशी मुद्रा भंडार में अभिवृद्धि के स्रोत : अप्रैल-मार्च 2007-08
30 जून 2008 भारत में विदेशी मुद्रा भंडार में अभिवृद्धि के स्रोत : अप्रैल-मार्च 2007-08 पृष्ठभूमि भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआइ) ने अपने आर्थिक विश्लेषण और नीति विभाग (डीईएपी) द्वारा अप्रैल-नवंबर 2002 के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार में अभिवृद्धि के स्रोत पर किये गये अध्ययन के निष्कर्ष पर 31 जनवरी 2003 को एक प्रेस नोट जारी किया था। इसके पश्चात, भारतीय रिज़र्व बैंक "विदेशी मुद्रा भंडार में अभिवृद्धि के स्रोत" पर जानकारी को नियमित रूप से अद्यतन करके प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से जारी करता रहा है जोकि भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट (www.rbi.org.in) पर उपलब्ध है। सारणी 1 : विदेशी मुद्रा भंडार में अभिवृद्धि के स्रोत
अप्रैल-मार्च 2007-08 के दौरान विदेशी मुद्रा-भंडार में अभिवृद्धि के मुख्य स्रोत विदेशी प्रत्यक्ष निवेश, संविभाग निवेश, बाह्य वणिज्यिक उधार (ईसीबी), बैंकिंग पूंजी और अल्पावधि ऋण रहे हैं। अप्रैल-मार्च 2007-08 के दौरान भुगतान संतुलन आधार पर (मूल्यन प्रभाव को छाडकर) विदेशी मुद्रा भंडार में अभिवृद्धि 92.2 बिलियन अमरीकी डॉलर थी। अप्रैल-मार्च 2007-08 के दौरान मूल्यन लाभ के कारण कुल विदेशी मुद्रा भंडारों में 18.3 बिलियन अमरीकी डॉलर की वृद्धि हुई जो अमरीकी डॉलर की तुलना में प्रमुख मुद्राओं में मूल्य वृद्धि को दर्शाती है, जबकि पिछले वर्ष की तदनुरूप अवधि के दौरान मूल्यन लाभ 11.0 बिलियन अमरीकी डॉलर था। अप्रैल-मार्च 2006-07 के दौरान 47.6 बिलियन अमरीकी डॉलर की वृद्धि के मुकाबले मूल्यन प्रभावों सहित अप्रैल-मार्च 2007-08 के दौरान विदेशी मुद्रा भंडारों में 110.5 बिलियन अमरीकी डॉलर की वृद्धि हुई है। अल्पना किल्लावाला प्रेस प्रकाशनी: 2007-2008/1681 |
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