मुद्रास्फीति सूचकांक राष्ट्रीय बचत प्रतिभूतियाँ – संचयी (आईआईएनएसएस-सी)
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मात्र रिटेल निवेशक इन प्रतिभूतियों में निवेश के लिए पात्र होंगे। रिटेल निवेशकों में वैयक्तिक, हिन्दू अविभाजित परिवार (एचयूएफ़), भारतीय कंपनी अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत धर्मार्थ संस्थाएं और केंद्र, राज्य या प्रांतीय अधिनियम द्वारा निगमित विश्वविद्यालय या विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम, 1956 (1956 का 3) के खंड 3 के अंतर्गत घोषित विश्वविद्यालय शामिल होंगे।
सीटीएस में, प्रस्तुतकर्ता बैंक (या उसकी शाखा) अपने कैप्चर सिस्टम (स्कैनर, कोर बैंकिंग या अन्य एप्लिकेशन से युक्त) का उपयोग करके डेटा (एमआईसीआर बैंड पर) और चेक की छवियों को कैप्चर करता है, यह कैप्चर सिस्टम बैंक के लिए आंतरिक है और सीटीएस के तहत डेटा और छवियों के लिए निर्धारित विनिर्देश और मानक को पूरा करता है।
डेटा / छवियों की सुरक्षा, सकुशलता और गैर-अस्वीकृति सुनिश्चित करने के लिए, सीटीएस में एंड-टू-एंड पब्लिक की इंफ्रास्ट्रक्चर (पीकेआई) लागू किया गया है। आवश्यकता के भाग के रूप में, संग्रहकर्ता बैंक (प्रस्तुत करने वाला बैंक) भुगतान करने वाले बैंक (गंतव्य या अदाकर्ता बैंक) को आगे भेजने के लिए, विधिवत डिजिटल रूप से हस्ताक्षरित और एन्क्रिप्टेड डेटा और कैप्चर की गई छवियों को केंद्रीय प्रसंस्करण स्थान (क्लियरिंग हाउस) को भेजता है। सीटीएस के तहत समाशोधन प्रक्रिया में भाग लेने के लिए, प्रस्तुतकर्ता बैंक और अदाकर्ता बैंक या तो क्लियरिंग हाउस इंटरफेस (सीएचआई) या डेटा एक्सचेंज मॉड्यूल (डीईएम) का उपयोग करते हैं, जो उन्हें केंद्रीकृत समाशोधन हाउस (सीसीएच) के लिए सुरक्षित और सकुशल तरीके से डेटा और छवियों को जोड़ने और प्रसारित करने में सक्षम बनाता है।
समाशोधन गृह डेटा को संसाधित करता है, निपटान स्थिति पर पहुँचता है, और छवियों और आवश्यक डेटा को भुगतान करने वाले बैंकों को भेजता है। इसे प्रेजेंटेशन क्लियरिंग कहा जाता है। भुगतान करने वाले बैंक अपने सीएचआई / डीईएम के माध्यम से आगे की प्रक्रिया के लिए सीसीएच से इमेज और डेटा प्राप्त करते हैं।
अदाकर्ता बैंक का सीएचआई / डीईएम, भुगतान न किए गए लिखतों (चेकों), यदि कोई हो, के लिए रिटर्न फाइल भी तैयार करता है। अदाकर्ता बैंकों द्वारा भेजी गई रिटर्न फाइल / डेटा को रिटर्न समाशोधन सत्र में समाशोधन गृह द्वारा उसी तरह से संसाधित किया जाता है जैसे प्रस्तुतीकरण समाशोधन और रिटर्न डेटा को प्रसंस्करण के लिए प्रस्तुतकर्ता बैंकों को प्रदान किया जाता है।
समाशोधन चक्र को एक बार प्रस्तुति समाशोधन और संबंधित वापसी समाशोधन सत्र सफलतापूर्वक संसाधित होने के बाद पूर्ण माना जाता है। सीटीएस प्रौद्योगिकी का संपूर्ण सार भुगतान प्रसंस्करण के लिए चेक की छवियों (भौतिक चेक के बजाय) के उपयोग में निहित है।
उत्तर: ट्रेड्स प्लेटफॉर्म पर विक्रेता, खरीदार और फाइनेंसर सहभागी होते हैं।
उत्तर. आरटीजीएस और एनईएफटी प्रणाली को समझने के लिए निम्नलिखित लिंक का उपयोग किया जा सकता है:-
आरटीजीएस प्रणाली विनियमावली
एनईएफटी क्रियाविधिक दिशानिर्देश
आरटीजीएस पर एफएक्यू
एनईएफटी पर एफएक्यू
भुगतान प्रणालियों के लिए पहुंच मानदंड पर मास्टर निदेश
सीटीएस के माध्यम से समाशोधन के लिए केवल सीटीएस-2010 मानकों के अनुरूप लिखतों (चेकों) को प्रस्तुत किया जा सकता है।
सीटीएस-2010 मानकों में देश भर के बैंकों द्वारा जारी किए गए चेकों के मानकीकरण को प्राप्त करने के लिए कुछ मानक शामिल हैं। इनमें कागज की गुणवत्ता, वॉटरमार्क, अदृश्य स्याही में बैंक का लोगो, शून्य पेंटोग्राफ आदि जैसे चेक फॉर्म पर अनिवार्य न्यूनतम-सुरक्षा सुविधाओं का प्रावधान और चेक पर फील्ड प्लेसमेंट का मानकीकरण शामिल है। यह न्यूनतम-सुरक्षा सुविधाएँ और मानकीकरण, छवि-आधारित प्रसंस्करण परिदृश्य में, अदाकर्ता बैंकों के चेक की जांच / पहचान करने में प्रस्तुतकर्ता बैंकों की मदद करते हैं।
निवासी व्यष्टि द्वारा भारत में किसी प्राधिकृत व्यापारी (एडी) बैंक में खोले जाने वाले कुछ प्रमुख विदेशी मुद्रा खातों की जानकारी उनकी विशेषताओं के साथ नीचे दी गई है :
ब्योरा | विदेशी मुद्रा अर्जक विदेशी मुद्रा खाता (ईईएफ़सी खाता) |
निवासी विदेशी मुद्रा (घरेलू) खाता [आरएफ़सी(डी) खाता] |
निवासी विदेशी मुद्रा खाता [आरएफ़सी खाता] |
खाता कौन खुलवा सकता है ? | विदेशी मुद्रा अर्जक संस्थाएं | व्यष्टि | व्यष्टि |
संयुक्त खाता | यह खाता खोलने के लिए पात्र किसी भी व्यक्ति के साथ; अथवा पूर्व या उत्तरजीवी आधार पर निवासी के रिश्तेदार (रिश्तेदारों) के साथ। कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत यथापरिभाषित रिश्तेदार (अर्थात हिन्दू अविभक्त परिवार के सदस्य, पति या पत्नी, माता-पिता, सौतेले माता-पिता, पुत्र, सौतेला बेटा, बहू, बेटी, दामाद, भाई / बहन, सौतेला भाई / सौतेली बहन) संयुक्त खाताधारक रिश्तेदार मुख्य खाताधारक के जीवन काल के दौरान खाते का संचालन नहीं कर सकता है। |
यह खाता खोलने के लिए पात्र किसी भी व्यक्ति के साथ संयुक्त रूप से | ईईएफ़सी के लिए लागू शर्तों के समतुल्य |
खाते का प्रकार | केवल चालू खाता | केवल चालू खाता | चालू/ जमा / सावधि जमा खाता |
ब्याज | ब्याज अनर्जक | ब्याज अनर्जक | अविनियमित (एडी बैंक के निर्णयानुसार) |
अनुमत जमा | 1) निर्यात लेनदेन से प्राप्त विदेशी मुद्रा का 100% 2) किसी निर्यातक द्वारा माल या सेवाओं के निर्यात पर प्राप्त अग्रिम विप्रेषण की राशि 3) विदेशी आयातकों को दिए गए ऋणों की चुकौती 4) एडीआर/ जीडीआर के रूपांतरण पर विनिवेश से हुई आय। 5) व्यावसायिक आय जैसे निदेशक के रूप में/ परामर्श सेवाओं पर / व्याख्यान हेतु प्राप्त शुल्क, मानदेय और इसी तरह की अन्य कोई आय जो किसी पेशेवर द्वारा अपनी व्यक्तिगत क्षमता में सेवाएं प्रदान करके प्राप्त की जाती है। 6) खाते में जमा राशि पर अर्जित ब्याज 7) खाते से पूर्व में आहरित की गई किंतु उपयोग न हुई विदेशी मुद्रा को पुनः जमा करना। 8) स्टार्टअप या उसकी किसी विदेशी सहायक कंपनी द्वारा की गई बिक्री / निर्यात से भारतीय स्टार्टअप को विदेशी मुद्रा में प्राप्त प्राप्त भुगतान की राशि |
1) विदेश यात्रा के दौरान भुगतान/ सेवा/ उपहार/ मानदेय के रूप में प्राप्त विदेशी मुद्रा अथवा भारत की यात्रा पर आए किसी अनिवासी से प्राप्त विदेशी मुद्रा। 2) किसी प्राधिकृत व्यापारी से विदेश यात्रा के लिए ली गई विदेशी मुद्रा की व्यय न हुई राशि। 3) किसी करीबी रिश्तेदार से उपहार 4) माल/ सेवाओं के निर्यात से हुई आय अथवा रॉयल्टी की राशि। 5) शेयरों को एडीआर/ जीडीआर में बदलने पर विनिवेश की राशि । 6) किसी भारतीय बीमा कंपनी से प्राप्त बीमा पॉलिसी के दावों/ परिपक्वता/ सरेंडर वैल्यू से प्राप्त आय जिसे विदेशी मुद्रा में समाशोधित किया गया हो। |
1) किसी विदेशी नियोक्ता से सेवा निवृत्ति पर अधिवर्षिता/ अन्य मौद्रिक लाभों के रूप में कर्मचारी को प्राप्त विदेशी मुद्रा। 2) फेमा की धारा 6(4) में संदर्भित की गई आस्तियों के रूपांतरण पर प्राप्त विदेशी मुद्रा। 3) फेमा की धारा 6(4) में संदर्भित व्यक्ति से उपहार/विरासत के रूप में प्राप्त राशि। 4) 8 जुलाई 1947 से पहले अर्जित की गई या भारतीय रिजर्व बैंक की अनुमति से भारत से बाहर धारित की गई विदेशी मुद्रा अथवा उससे अर्जित कोई आय। 6) किसी भारतीय बीमा कंपनी से प्राप्त बीमा पॉलिसी के दावों/ परिपक्वता/ सरेंडर वैल्यू से प्राप्त आय जिसे विदेशी मुद्रा में समाशोधित किया गया हो। 7) निवास की स्थिति में परिवर्तन होने पर एनआरई/ एफसीएनआर(बी) खातों में जमा राशि। |
अनुमत डेबिट | 1) कोई भी अनुमत चालू या पूंजी खाता लेनदेन 2) खरीदे गए माल की लागत 3) सीमा शुल्क 4) व्यापार संबंधी ऋण और अग्रिम |
किसी भी अनुमत चालू/ पूंजी खातेगत लेनदेन के लिए इसका उपयोग किया जा सकता है। | भारत में/ भारत के बाहर उपयोग पर कोई प्रतिबंध नहीं है। |
स्थानीय चेक संग्रहण शुल्क संबंधित बैंक द्वारा समय-समय पर तय किए जाते हैं और ग्राहकों को बैंक की प्रतिबद्धता के कोड के हिस्से के रूप में उनके सीसीपी के माध्यम से ग्राहक को सूचित किए जाते हैं।
बाहरी चेकों के लिए बैंक निम्नलिखित से अधिक प्रभार नहीं ले सकते हैं:
रुपये तक 5,000 और सहित– रुपये. 25 प्रति लिखत + सेवा कर; 5,000 रुपये से ऊपर और रु. 10,000 तक और इसमें शामिल - रु. 50 प्रति लिखत से अधिक नहीं + सेवा कर; 10,000 रुपये से अधिक और 1,00,000 रुपये तक और इसमें शामिल - प्रति लिखत 100 रुपये से अधिक नहीं + सेवा कर;
रु. 1,00,000 से ऊपर - निर्णय लेने के लिए बैंकों पर छोड़ दिया गया।
कोई अतिरिक्त शुल्क जैसे कूरियर शुल्क, जेब खर्च आदि नहीं लगाया जाना चाहिए।
यह नोट किया जा सकता है कि यदि संग्रहणकर्ता बैंक और भुगतानकर्ता बैंक एक ही सीटीएस ग्रिड के अधिकार क्षेत्र में स्थित हैं, भले ही वे अलग-अलग शहरों में स्थित हों, तो कोई बाहरी चेक संग्रहण शुल्क नहीं लगाया जाएगा।
उत्तर: आईडीएफ-एमएफ को बैंकों और एनबीएफसी द्वारा प्रायोजित किया जा सकता है। केवल बैंक और इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनियां ही आईडीएफ-एनबीएफसी को प्रायोजित कर सकती हैं।
उत्तर: विदेशी मुद्रा अर्जक विदेशी मुद्रा खाते केवल चालू खाते के रूप में रखे जा सकते हैं । विदेशी मुद्रा अर्जक विदेशी मुद्रा खातों पर कोई ब्याज देय नहीं है ।
विवरण | अनिवासी (बाहरी) रुपया खाता योजना (एनआरई खाता) | विदेशी मुद्रा(अनिवासी) (बैंक) खाता योजना – FCNR (B) खाता | अनिवासी (सामान्य) रुपया खाता योजना – एनआरओ खाता | |
खाता कौन खोल सकता है? | एनआरआई/ पीआईओ पाकिस्तान तथा बांग्लादेश के व्यक्ति/ संस्थाएओं के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक का पूर्वानुमोदन आवश्यक है। |
भारतीय रूपयों में वर्गीकृत वास्तविक लेनदेन करने के लिए भारत के बाहर का कोई निवासी। पाकिस्तान की राष्ट्रियता/ मूल वाले व्यक्ति/ संस्थाएओं तथा बांग्लादेशी मूल वाली संस्थाएओं के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक का पूर्वानुमोदन आवश्यक है। भारत में निवास करने वाले पाकिस्तान/ बांग्लादेश के नागरिक जो कि उन देशों में अल्पसंख्यक समुदायों (हिन्दू, सीख, बुद्धिस्ट, जैन, पारसी तथा ईसाई) से हैं, तथा जिन्हें दीर्घावधि वीसा (एलटीवी) प्रदान किया गया है अथवा एलटीवी के लिए जिनका आवेदन विचाराधीन है, किसी प्राधिकृत व्यापारी बैंक के पास केवल एक एनआरओ खाता खोल सकते हैं और वह समय-समय पर अद्यतन की गई 1 अप्रैल 2016 की अधिसूचना सं. फेमा 5(आर)/2016-आरबी में उल्लिखित शर्तों के अधीन होगा। भारत में डाक घर भारत से बाहर के निवासी व्यक्तियों कें नाम में बचत बैंक खाता खोल सकते हैं और उन्हीं शर्तों के अधीन प्रचालन की अनुमति दे सकते हैं जो प्राधिकृत व्यापारी/ प्राधिकृत बैंक के पास रखे एनआरओ खातों पर लागू हैं । |
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संयुक्त खाता | दो अथवा उससे अधिक एनआरआई/ पीआईओ के नाम पर संयुक्त रूप से धारित किए जा सकते हैं। एनआरआई / पीआईओ द्वारा निवासी रिश्तेदार के साथ ‘पूर्ववर्ती पहला या उत्तरजीवी’ आधार पर संयुक्त रूप से धारित किए जा सकते हैं (रिश्तेदार का तात्पर्य कंपनी अधिनियम, 2013 में परिभाषित किए गए अर्थ से है) । तथापि, एनआरआई/ पीआईओ खाताधारक के जीवनकाल के दौरान निवासी रिश्तेदार मुख्तारनामा धारक के रूप में खाता परिचालित कर सकता है। |
02 अथवा उससे अधिक एनआरआई/ पीआईओ के नाम पर संयुक्त रूप से धारित किए जा सकते हैं। निवासी व्यक्तियों के साथ खाते सँयुक्त रूप से “पूर्ववर्ती व्यक्ति या उत्तरजीवी व्यक्ति’ के आधार पर धारित किए जा सकते हैं । | ||
मुद्रा | भारतीय रुपया | कोई भी अनुमत मुद्रा अर्थात कोई विदेशी मुद्रा जो मुक्त रूप से परिवर्तनीय है। | भारतीय रुपया | |
खाते का स्वरूप | बचत, चालू, आवर्ती, नियात अवधि खाता | केवल मियादी जमा | बचत, चालू, आवर्ती, नियात अवधि खाता | |
नियत जमाराशियों के लिए अवधि | एक से तीन वर्ष की अवधि के लिए, तथापि बैंकों को उनकी आस्ति-देयता की दृष्टि से तीन वर्ष की अवधि से अधिक अवधि के लिए एनआरई जमाराशियाँ स्वीकृत करने की अनुमति दी गई है। | ऐसी अवधि जो कि एक वर्ष से कम नहीं है और 5 से अनधिक है। | निवासी खातों पर यथालागू | |
अनुमेय जमा | इस खाते में अनुमत क्रेडिट हैं, भारत के बाहर से आवक विप्रेषण, खाते में उपचित हो रहा ब्याज, निवेश पर ब्याज, अन्य एनआरई / एफसीएनआर (बी) खातों से अंतरण, निवेशों से परिपक्वता राशियां (यदि ऐसे निवेश इस खाते से या आवक विप्रेषण के माध्यम से किए गए हैं) चालू आय जैसे कि भाडा, लाभांश, पेंशन, ब्याज आदि को एनआरई खाते में अनुमत क्रेडिट माना जायेगा सावधानी: केवल वे क्रेडिट जिनका प्रत्यावर्तनीय स्वरूप खो नहीं गया है। |
भारत से बाहर से आवक विप्रेषण, भारत में वैध देयताएं और अन्य एनआरओ खातों से अंतरण एनआरओ खाते में अनुमत एनआरओ क्रेडिट है । उदारीकृत विप्रेषण योजना के अधीन निर्धारित सीमा के भीतर निवासी द्वारा एनआरआई/ पीआईओ रिश्तेदार को दिए गए रूपया उपहार/ ऋण रिश्तेदार के एनआरओ खाते में जमा किए जाए । |
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अनुमेय डेबिट | इस खाते से अनुमत डेबिट है – स्थानीय संवितरण, भारत के बाहर विप्रेषण, अन्य एनआरई / एफसीएनआर (बी) खाते में अंतरण और भारत में निवेश। | स्थानीय भुगतानों के प्रयोजनों अन्य एनआरओ खातों में अंतरण या विदेश में वर्तमान आय के विप्रेषण के लिए खाता डेबिट किया जा सकता है । विदेशी मुद्रा प्रबंध (आस्तियों का विप्रेषण) विनियम 2016 में निर्धारित शर्तों के अधीन एनआरआई/ पीआईओ द्वारा 1 मिलियन अमरिकी डालर तक के प्रत्यावर्तन को छोड़कर इन के अलावा एनआरओ खाते में शेष विदेश में प्रत्यावर्तित नहीं किए जा सकते हैं। इस 1 मिलियन अमरीकी डॉलर सुविधा के भीतर निधियां एनआरई खाते में अंतरित की जा सकती हैं। |
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प्रत्यावर्तनीयता | प्रत्यावर्तनीय | संपूर्ण वर्तमान आय को अन्य राशि प्रत्यावर्तनीय नहीं है। एनआरआई/ पीआईओ के एनआरओ खातों में शेष राशियाँ उनकी अन्य पात्र आस्तियों सहित प्रत्येक वित्तीय वर्ष में 1(एक) मिलियन अमरीकी डॉलर तक विप्रेषित की जा सकती हैं। |
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कर देयता | खातों में अर्जित आय आय कर से मुक्त हैं तथा उनमें शेष राशियाँ संपत्ति कर से मुक्त हैं। | कर योग्य | ||
भारत में ऋण | भारत में प्राधिकृत व्यापारी/ बैंक सामान्य मार्जिन आवश्यकताओं की शर्त के अधीन, बिना किसी सीमा के, खाता धारक/ अन्य पार्टी को ऋण दे सकते हैं । ये ऋण भारत से बाहर प्रत्यावर्तित नहीं किए जा सकते हैं तथा भारत में भी इनका उपयोग केवल विनियमावली में निर्दिष्ट प्रयोजनों के लिए ही किया जा सकता है। किसी थर्ड पार्टी को मंजूर किए गए ऋणों के मामले में इस प्रकार की सुविधाएं निवासी व्यक्ति/ फ़र्म/ कंपनी को प्राप्त हो सकें इसलिए अपनी जमाराशियों को गिरवी रखने के लिए सहमत होने वाले अनिवासी-जमाकर्ता के लिए विदेशी मुद्रा में कोई भी प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष कंसिडेरेशन नहीं होना चाहिए। खाताधारक को मंजूर किए गए ऋण के संबंध में, इसकी चुकौती या तो जमा राशियों में से समायोजन द्वारा या सामान्य बैंकिंग चैनल के माध्यम से भारत से बाहर आवक विप्रेषणों में से या खाता धारक के एनआरओ खाते में शेष से की जा सकती है । जमा राशियों के समयपूर्व आहरण की सुविधा वहाँ उपलब्ध नहीं होगी जहाँ ऐसी जमाराशियों के विरूद्ध ऋण लिए गए हैं। ऋण में सभी प्रकार की निधि आधारित/ गैर-निधि आधारित सुविधाए शामिल होंगी । |
सामान्य शर्तों और मार्जिन आवश्यकताओं के अधीन जमाराशियों के विरूद्ध खाता धारक या अन्य पार्टी को भारत में ऋण प्रदान किए जा सकते हैं । ऋण राशि का प्रयोग पुन: उधार देने, कृषि/ प्लान्टेशन गतिविधियों या अचल संपत्ति में निवेश के लिए नहीं किया जाएगा। ऋण में सभी प्रकार की निधि आधारित/ गैर-निधि आधारित सुविधाए शामिल होंगी । |
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भारत के बाहर ऋण | प्राधिकृत व्यापारी भारत में एनआरआई/ एफ़सीएनआर(बी) खातों में धारित निधियों की जमानत पर वास्तविक/ अनुमेय प्रयोजनों के लिए सामान्य मार्जिन अपेक्षाओं के अधीन भारत से बाहर अपनी शाखाओं/ प्रतिनिधि बैंकों को अनिवासी जमाकर्ताओं को अथवा उनके पक्ष में अथवा जमाकर्ता के अनुरोध पर थर्ड पार्टियों को ऋण प्रदान करने की अनुमति दे सकते हैं। ऋण में सभी प्रकार की निधि आधारित/ गैर-निधि आधारित सुविधाए शामिल होंगी । |
अनुमति नहीं है। | ||
ब्याज की दर | बैंकिंग विनियमन विभाग द्वारा जारी दिशानिर्देशों के अनुसार | |||
निवासी के पक्ष में पावर ऑफ एटॉर्नी द्वारा परिचालन | पावर ऑफ एटॉर्नी के अनुसार खाते में किए जाने वाले परिचालन, अनुमेय स्थानीय भुगतान अथवा सामान्य बैंकिंग चैनलों के माध्यम से स्वयं खाता धारक को विप्रेषण करने के लिए किए जानेवाले आहरणों तक सीमित है। | पावर ऑफ एटॉर्नी के अनुसार खाते में किए जाने वाले परिचालन, रुपये में अनुमेय स्थानीय भुगतान, खाताधारक को भारत के बाहर चालू आय को विप्रेषण अथवा सामान्य बैंकिंग चैनलों के माध्यम से स्वयं खाता धारक को विप्रेषण करने के लिए किए जानेवाले आहरणों तक सीमित है। विप्रेषण कराते समय प्रत्यावर्तनीयता की सीमाएं एवं शर्तें लागू होंगी। | ||
निवासी स्थिति में परिवर्तन : अनिवासी से निवासी में परिवर्तन | खाता धारक के नौकरी के लिए भारत लौटने या निवासी स्थिति में परिवर्तन हो जाने पर खाताधारक के विकल्प पर तत्काल एनआरई खातों को तुरंत निवासी खाते में विनिर्दिष्ट किया जाना चाहिए या इन खातों में रखी निधियों को आरएफसी खातों में अंतरित कर दिया जाना चाहिए। | निवासी स्थिति में परिवर्तन होने पर FCNR(बी) जमाराशियों को खाताधारक की इच्छानुसार संविदाकृत ब्याज दर पर परिपक्वता तक जारी रखने की अनुमति दी जा सकती है। FCNR(बी) जमाराशियों की परिपक्वता पर प्राधिकृत व्यापारियों को खाता धारक के विकल्प पर उन्हें निवासी रुपया जमा खातों अथवा आरएफ़सी खाता (यदि जमाकर्ता आरएफ़सी खाता खोलने के लिए पात्र हो तो) में परिवर्तित करना चाहिए। |
किसी भी प्रयोजन के लिए अनिश्चित अवधि के लिए भारत में रहने की इच्छा से खाता धारक के भारत लौटने पर एनआर ओ खातों को निवासी खातों के रूप में निर्दिष्ट किया जाना चाहिए । इसी प्रकार, जब कोई निवासी भारतीय भारत से बाहर निवासी व्यक्ति बन जाता है, तो उसका विद्यमान खाता एनआरओ खाते के रूप में निर्दिष्ट किया जाना चाहिए । |
उत्तर. फंड ट्रांसफर के लिए आरटीजीएस कई फायदे प्रदान करता है:
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यह धन हस्तांतरण के लिए एक सकुशल और सुरक्षित प्रणाली है।
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आरटीजीएस लेनदेन / हस्तांतरण में आरबीआई द्वारा निर्धारित राशि की कोई ऊपरी सीमा नहीं है।
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प्रणाली 24x7x365 आधार पर सभी दिनों में उपलब्ध है। लाभार्थी के खाते में धन का वास्तविक समय में हस्तांतरण होता है।
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प्रेषक को भौतिक चेक या डिमांड ड्राफ्ट का उपयोग करने की आवश्यकता नहीं है।
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कागजी लिखतों को जमा करने के लिए लाभार्थी को बैंक की शाखा में जाने की आवश्यकता नहीं है।
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लाभार्थी को भौतिक उपकरणों के खो जाने / चोरी होने या उसके धोखाधड़ी से नकदीकरण की संभावना के बारे में आशंकित होने की आवश्यकता नहीं है।
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विप्रेषक इंटरनेट बैंकिंग का उपयोग करके अपने घर / कार्यस्थल से प्रेषण शुरू कर सकता है, यदि उसका बैंक ऐसी सेवा प्रदान करता है।
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लेन-देन शुल्क भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित किया गया है।
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लेन-देन को कानूनी समर्थन प्राप्त है।
उत्तर. पीपीआई बैंकों और गैर-बैंकों द्वारा जारी किए जा सकते हैं। बैंक आरबीआई से अनुमोदन प्राप्त करने के बाद पीपीआई जारी कर सकते हैं। गैर-बैंक पीपीआई जारीकर्ता भारत में निगमित और कंपनी अधिनियम, 1956/2013 के तहत पंजीकृत कंपनियां हैं। वे आरबीआई से प्राधिकरण प्राप्त करने के बाद व्यक्तियों/संगठनों को पीपीआई जारी करने के लिए भुगतान प्रणाली का परिचालन कर सकते हैं।
जिस संस्था के प्रति उधारदाता संस्थाओं का एक्सपोजर है, उसके संबंध में आईसीए की आवश्यकता, दिनांक 7 जून 2019 के दबावग्रस्त आस्तियों के समाधान के लिए विवेकपूर्ण ढांचे की, और परिणामस्वरूप समाधान ढांचे की भी एक बुनियादी विशेषता है। उधारदाता संस्थाओं को विधिक संस्था, जिसके प्रति उनका एक्सपोजर है, के संबंध में आईसीए तैयार करने के लिए पर्याप्त छुट दी गयी है, जिसमें मामले-दर-मामले के आधार पर प्रत्येक उधारकर्ता की विशिष्ट आवश्यकताओं को संबोधित किया जा सकता है. आईसीए के भीतर एक ही उधारकर्ता की विभिन्न परियोजनाओं के लिए विभिन्न समाधान पद्धतियो को डिजाइन किया जाना भी शामिल है। इसी प्रकार, समाधान ढांचे में अपेक्षित विधिक संस्था स्तर पर खोले जाने वाले एस्क्रो खाते के अलावा, यदि ऋणदाता चाहें तो प्रत्येक परियोजना स्तर पर अतिरिक्त अलग-अलग एस्क्रो खाते स्थापित करने में कोई प्रतिबंध नहीं है। केवल स्थावर संपदा क्षेत्र से संबंधित उधारकर्ताओं, जिनके आवासीय और वाणिज्यिक स्थावर संपदा व्यवसाय दोनों हैं, के संबंध में वित्तीय मापदंडों के लिए निर्धारित थ्रेशहोल्ड परियोजना स्तर पर लागू किए जा सकते हैं।
उत्तर: हां, घरेलू भारतीय पक्ष द्वारा कोई अंतर्निहित लेनदेन करते समय, जिसके लिए विदेशों में विप्रेषण के लिए ए-2 रिपोर्टिंग की आवश्यकता होती है, जो प्रक्रिया अपनाई जाती है, वही प्रक्रिया एसएनआरआर खाते में क्रेडिट हेतु घरेलू विप्रेषण के मामले में भी अपनाई जानी चाहिए।
आरबीआई विनियमित संस्था के एससीए/एसए के रूप में एक लेखापरीक्षा फर्म की नियुक्ति से पहले, इस नियुक्ति और आरबीआई द्वारा विनियमित उसी लेखापरीक्षा फर्म को दिए गए किसी भी गैर-लेखापरीक्षा संबंधी कार्यों को पूरा करने या समूह में आरबीआई विनियमित अन्य संस्थाओं में किसी भी लेखापरीक्षा/ गैर-लेखापरीक्षा कार्यों को पूरा करने के बीच न्यूनतम एक वर्ष का समय अंतराल होना चाहिए। यह शर्त भविष्यलक्षी प्रभाव से यानी वित्त वर्ष 2022-23 से लागू होगी। इसलिए, यदि कोई लेखा परीक्षा फर्म संस्था के साथ कुछ गैर-लेखापरीक्षा कार्य में शामिल है और/या समूह में आरबीआई विनियमित अन्य संस्थाओं में किसी भी लेखापरीक्षा/गैर-लेखा परीक्षा कार्य में शामिल है और वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए संस्था के एससीए/एसए के रूप में नियुक्ति की तारीख से पहले उक्त कार्य को पूरा करती है या छोड़ देती है तो उक्त लेखापरीक्षा फर्म वित्त वर्ष 2021-22 के लिए संस्था के एससीए / एसए के रूप में नियुक्ति के लिए पात्र होगी।
यह दोहराया जाता है कि संस्थाओं के लिए एससीए/एसए द्वारा किसी भी गैर-लेखापरीक्षा कार्य या उसकी समूह संस्थाओं के लिए किसी लेखापरीक्षा/गैर-लेखापरीक्षा कार्यों के बीच का समय अंतराल एससीए/एसए के रूप में लेखापरीक्षा कार्य पूरा करने के बाद कम से कम एक वर्ष का होना चाहिए।
डब्ींर् िंींम्म्दल्हू इदीाiुह ण्ल्ीीाहम्ब् (ब्दह-ींोi्ाहू) र् ींम्म्दल्हू र्(ँीहव्े) एम्पस डइण्ब्ीं (ँ)र् ींम्म्दल्हू ब्दह-ींोi्ाहू ध्ी्iर्हीीब् ींल्जार् ींम्म्दल्हू एम्पस डब्ींर्ध् ींम्म्दल्हू (1) (2) (3) (4) ेंप्दर् म्ीह दजहर् ीहर् ीम्म्दल्हू
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Iह्iर्vi्ल्ीत्/ाहूiूiो दर् िझ्ीर्व्iेूीहर् ीर्ह् ँीर्हुत्ी्ोप् र् ेप्ीत्त् ीाल्iिीो ज्ीiदीर् ीज्ज्ीदर्vीत् द िूप ींोाीvार् ँीहव् द िIर्ह्iी
र्ींहब् जीेदह ीोi्ाहू दल्ूेi्ा Iर्ह्iी दिी ज्ल्ूiहु ूप्ीदल्ुप् ंदर्हीi्ार् िूीीर्हेीम्ूiदहे iह ील्जो.
Iह्iर्vi्ल्ीत्े/ ाहूiूiो दर् िझ्ीर्व्iेूीह र्हीूiदर्हीत्iूब्/ दीiुiहर् ीह् ाहूiूiो दर् िँीर्हुत्ी्ोप् दीiुiह ीाल्iिीा ूप ज्ीiदी र् ीज्ज्ीदर्vीत् द िूप ींोाीvार् ँीहव् द िIर्ह्iी.
र्ीं ण्iूर्iैाह दर् िँीर्हुत्ी्ोर्प्/झ्ीर्व्iेूीह ांत्दहुiहु ूद स्iहदीiूब् म्दस्स्ल्हiूiो iह ूप्देा म्दल्हूीiो i.ा. प्iह्ल्े, एiव्प्े,्प्iेूे,र् व्ीiहे,र् झ्ीीेiेर् ीह् ण्प्ीiेूर्iीहे ीोi्iहु iह Iर्ह्iीर् ीह् ैप्दर् प्ीे ाांहर् ुीीहूा् थ्ऊV दी ैप्देार् ीर्ज्ज्त्iम्ीूiदह दिी थ्ऊV iे ल्ह्ाी म्दर्हेi्ाीीूiदह,र् म्ीह दजह दहत्ब् दहा ब्ींर्ध् ीम्म्दल्हू ैiूर्प् ीहर् ींर्अ् ंीहव् ेल्ंराम्ू ूद ूप म्दह्iूiदहे सहूiदहा् iह ब्दूiर्iिम्ीूiदह ब्द. र्इश्ीं िं5(ीं)/2016र्र्-ींँ ्ीूा् ींज्ीiत् 01, 2016,र्र् ीे ्ीूा् ीदिस् ूiस ूद ूiस.
झ्देू ध्iिमे iह Iर्ह्iीर् स्ीर्ब् स्ीiर्हूीiह र् ेीviहुेर् ंीहर्व् ीम्म्दल्हूे iह ूप र्हीसे द िजीेदहे ीोi्ाहू दल्ूेi्ा Iर्ह्iीर् ीह् र् ीत्त्दै दर्जीीूiदहे दह ूपेार् ीम्म्दल्हूे ेल्ंराम्ू ूद ूपर् ेीस ूाीस्ेर् ीह् म्दह्iूiदहे र् ीेर् ीीार् ीर्ज्ज्त्iम्ींत ूद ब्ींर्ध् ीम्म्दल्हूेर् स्ीiर्हूीiहा् ैiूर्प् ीहर् ील्ूर्प्दीiेा् ्ाीती/ र् ील्ूप्दीर्iेा् ंीहव्.
व्दiहूर् ीम्म्दल्हूर्श्ीब् ां प् रदiहूत्ब् iह ूप र्हीसे द ि ूैद दी स्दीा ब्ींIे/ जध्े.
ब्ींIे/ जध्ेर् म्ीह प्द् रदiहूत्ब् ैiूर्प् ी ीोi्ाहूर् ीात्ीूivा दह ‘दिीसी दी ेल्ीvivदी“र् ंीेiे र्(ीात्ीूivार् ीे ्ाiिहा् iह र्ण्दस्ज्ीहiोर् ींम्ू, 2013). ऊप ीोi्ाहूर् ीात्ीूivार् म्ीह दर्जीीूा ूपर् ीम्म्दल्हूर् ीेर् ी झ्दैाी दर् िींूदीहाब् प्द्ाी ्ल्ीiहु ूप त्iा िूiस द िूप ब्ींI/ जर्ध् ीम्म्दल्हू प्द्ाी.
र्श्ीब् ां प् रदiहूत्ब् iह ूप र्हीसे द ि ूैद दी स्दीा ब्ींIे/ जध्े.
र्श्ीब् ां प् रदiहूत्ब् ैiूप् ीोi्ाहूे दह ‘दिीसी दी ेल्ीvivदी“र् ंीेiे.
ण्ल्ीीाहम्ब् Iर्ह्iीह ींल्जो र्ींहब् जीस्iूा् म्ल्ीीाहम्ब् i.ा.र् ी दिीाiुह म्ल्ीीाहम्ब् ैप्iम्प् iे ीाात्ब् िम्दहvाीूiंत Iर्ह्iीह ींल्जो ऊब्ज दर् िींम्म्दल्हू र्एीviहुे, ण्ल्ीीाहू, ींाम्ल्ीीiहु, इixा् अज्देiू ऊाीस् अज्देiू दहत्ब् र्एीviहुे, ण्ल्ीीाहू, ींाम्ल्ीीiहु, इixा् अज्देiू झीiद् दिी iिxा् ्ाज्देiूे इीदस् दहा ूद ूप्ीाा र्बीीे, प्दैाvाी, र् ंीहव्ेर् ीीार् ीत्त्दैा् ूदर् ीम्मज्ू ब्ीं ्ाज्दिंेiूेर् ींदvा ूप्ीाा र्बीीे ीदिस् ूपiी र् ींेाू-र्थ्iींiत्iूब् ज्दiहू द िviौ इदी ूाीस्े हदू तेर् ूप्ीह 1 र्बीीर् ीह् हदू स्दीार् ूप्ीह 5 र्बीीे र्ींेर् ीर्ज्ज्त्iम्ींत ूद ीोi्ाहूर् ीम्म्दल्हूे. झीस्iेiंत ण्ीा्iूेण्ीा्iूे जीस्iूा् ूद ूप्iेर् ीम्म्दल्हू र् ीीा iर्हैीी् ीार्स्iूीहम ीदिस् दल्ूेi्ा Iर्ह्iी, iहूाीोूर् ीम्म्ील्iहु दह ूपर् ीम्म्दल्हू, iहूाीोू दह iहvोूसहू,र् ूीीहेाी िीदिस् दूपी ब्ीं/िं इण्ब्ीं(ँ)र् ीम्म्दल्हूे,र् स्ीूल्ीiूब् ज्ीदमाे द िiहvोूसहूे (i िेल्म्प् iहvोूसहूे ैाीार् स्ी्ा ीदिस् ूप्iेर् ीम्म्दल्हू दी ूप्ीदल्ुप् iर्हैीी् ीार्स्iूीहम).
ण्ल्ीीाहू iहम्दस त्iव ीाहू, ्ivi्ाह्, जहेiदह, iहूाीोू ाूम्. ैiत्त् ां म्दहेूीर्ल् ीेर् ी जीस्iेiंत म्ीा्iू ूद ूप ब्ीं िं र् ीम्म्दल्हू.
र्ण्ीीा: ध्हत्ब् ूप्देा म्ीा्iूे ैप्iर्म्प् प्ीvा हदू त्देूर् ीाज्ीूीर्iींतर्र् म्प्ीीीम्ूाी
Iर्हैीी् ीार्स्iूीहमे ीदिस् दल्ूेi्ा Iर्ह्iी, तुiूर्iस्ीूा ्ले iह Iर्ह्iीर् ीर्ह् ूीीहेाीे िीदिस् दूपी ब्ींर्ध् ीम्म्दल्हूेर् ीीा जीस्iेiंत म्ीा्iूे ूद ब्ींर्ध् ीम्म्दल्हू.
ींल्जा ुiू/ि र्त्दीहर् स्ी्ा ंर्ब् ी ीोi्ाहू ूदर् ी ब्ींI/ जर्ध् ीात्ीूivा ैiूप्iह ूप त्iस्iूे ज्ीोम्ीiां् ल्ह्ाी ूप र्थ्iाींीत्iेा् ींार्स्iूीहम एम्पसर् स्ीब् ां म्ीा्iूा् ूद ूपर् त्ीूाी“े ब्ींर्ध् ीम्म्दल्हू.
झीस्iेiंत अंiूे झीस्iेiंत ्ांiूेर् ीीा र्त्दम्ीत् ्iेंल्ीेासहूे, ीार्स्iूीहम दल्ूेi्ा Iर्ह्iी,र् ूीीहेाी िूद दूपी ब्ीं/िं इण्ब्ीं(ँ) र् ीम्म्दल्हूेर् ीह् iहvोूसहूे iह Iर्ह्iी.ऊपर् ीम्म्दल्हूर् म्ीह ां ्ांiूा् दिी ूप ज्ल्ीज्देा द िर्त्दम्ीर्त् ज्ीब्सहूे,र् ूीीहेाीे ि ूद दूपी ब्ींर्ध् ीम्म्दल्हूे दी ीार्स्iूीहम द िम्ल्ीीाहू iहम्दसर् ीींर्दी्.
र्र्ींज्ीीू ीदिस् ूपेा,र्र् ंीत्ीहमे iह ूप ब्ींर्ध् ीम्म्दल्हूर् म्ीहहदू ांर् ीाज्ीूीर्र्iीूा् ीींर्दी् ाxमज्ू ंब् ब्ींIेर् ीह् जध्े ल्ज् ूद ळएअ् 1 स्iत्त्iदह, ेल्ंराम्ू ूद म्दह्iूiदहे ेजम्iiिा् iह इदीाiुह र्xिंम्प्ीहुार् श्ीर्हीुासहू (ींार्स्iूीहम दर् िींेाूे)र् ींाुल्त्ीूiदहे, 2016.
इल्हेर् म्ीह ांर् ूीीहेाीीा् ूद ब्ींर् िंीम्म्दल्हू ैiूप्iह ूप्iे ळएअ् 1 श्iत्त्iदहर् ीम्iित्iूब्.
र्ींाज्ीूीर्iींत्iूब् र्ींाज्ीूीर्iींतब्दूर् ीाज्ीूीर्iींत ाxमज्ू दिीर् ीत्त् म्ल्ीीाहू iहम्दस.
र्र्ँीत्ीहमे iहर् ीह ब्ींर्ध् ीम्म्दल्हू द िब्ींIे/ जध्ेर् ीीा ीार्स्iूींत ल्ज् ूद ळएअ् 1 (दहा) स्iत्त्iदह जी iिर्हीहर्म्iीत् र्बीी र्(ींज्ीiर्त्-श्ीीम्प्)र् ीत्दहु ैiूप् ूपiी दूपी ात्iुiंतर् ीेाूे.
र्ऊीर्xींiत्ूब् Iहम्दसर् ाीीहा् iह ूपर् ीम्म्दल्हूे iे ाxास्ज्ू ीदिस् iहम्दसर् ूीxर् ीर्र्ह् ंीत्ीहमे ाxास्ज्ू ीदिर्स् ैाीत्ूर्प् ूीx र्ऊीर्xींत र्थ्दीहे iह Iर्ह्iीर्ींर्अ् म्ीहर् ेीहम्ूiदह र्त्दीहे iह Iर्ह्iी ूद ूप र् ीम्म्दल्हू प्द्ाी/ ूर्प्iी् ज्ीीूiो ैiूप्दल्ूर् ीहब् त्iस्iू, ेल्ंराम्ू ूदर् ल्ेल्ीर्त् स्ीीुiह ीाल्iिीासहूे. ऊपेा र्त्दीहेर् म्ीहहदू ांर् ीाज्ीूीर्iीूा् दल्ूेi्ा Iर्ह्iीर् ीर्ह् म्ीह ां ल्ेा् iह Iर्ह्iी दहत्ब् दिी ूप ज्ल्ीज्देो ेजम्iiिा् iह ूपर् ीाुल्त्ीूiदहे.
Iहर् म्ीेा द िर्त्दीहेर् ेीहम्ूiदहा् ूदर् ी ूर्प्iी् ज्ीीूब्, ूपीा ेप्द् ां हद ्iीाम्ू दी iह्iीाम्ू दिीाiुह ार्xम्प्ीहुा म्दर्हेi्ाीीूiदह दिी ूप हदह-ीोi्ाहू ्ाज्देiूदीर् ीुीााiहु ूद ज्तुा प्iे ्ाज्देiूे ूद ार्हींत ूप ीोi्ाहू iह्iर्vi्ल्ीत्/ iिीस्/ र्म्दस्ज्ीहब् ूद र्दूंीiह ेर्ल्म्प् ीम्iित्iूiो.
Iहर् म्ीेा द िूप र्त्दीहर् ेीहम्ूiदहा् ूद ूपर् ीम्म्दल्हू प्द्ाी, iूर् म्ीह ांर् ीाज्ीi् ाiूपी ंर्ब् ी्रल्ेूiहु ूप ्ाज्देiूे दी ूप्ीदल्ुप् iर्हैीी् ीार्स्iूीहमे ीदिस् दल्ूेi्ा Iर्ह्iी ूप्ीदल्ुर्प् ंीहव्iहुर् म्प्ीहहात्े दी दल्ू दर्र् िंीत्ीहमे प् iह ूप ब्ींर्ध् ीम्म्दल्हू द िूपर् ीम्म्दल्हू प्द्ाी.
ऊपर् ीम्iित्iूब् दिीर् ज्ीास्ीूल्ीा र्र् ैiू्ीीैीत् द ्ाज्दिेiूे ैiत्त् हदू ांर् ीर्vीर्iत्ींत ैपीा र्त्दीहेर्र् ीुीiहेू ेल्म्प् ्ाज्देiूेर् ीीार् ीर्vीiत् द.ि
ऊप ूाीस् ”र्त्दीहह्णर् ेप्ीत्त् iह्ार् ीत्त् ूब्जे द िर्ल्ह् िंीेा्/ हदह-र्र्ल्ह् िंीेा् ीम्iित्iूiो.
र्थ्दीहेर्र् ीुीiहेू ूप ्ाज्देiूेर् म्ीह ां र् ुीीहूा् iह Iर्ह्iी ूद ूपर् ीम्म्दल्हू प्द्ाी दी ूर्प्iी् ज्ीीूब् ेल्ंराम्ू ूदर् ल्ेल्ीत् हदीस्े र् ीर्ह् स्ीीुiह ीाल्iिीासहू. ऊप र्त्दीहर् ीस्दल्हूर् म्ीहहदू ां ल्ेा् दिी ीातह्iहु, र् म्ीीीब्iहु दहर् ीुीर्iम्ल्त्ूल्ीीत्/र् ज्त्ीर्हूीूiदहर् ीम्ूiviूiो दी iहvोूसहू iहर् ीाीर्त् ोूीूा.
ऊप ूाीस् ”र्त्दीहह्णर् ेप्ीत्त् iह्ार् ीत्त् ूब्जे द िर्ल्ह् िंीेा्/ हदह-र्र्ल्ह् िंीेा् ीम्iित्iूiो.
र्थ्दीहे दल्ूेi्ा Iर्ह्iीर्ींल्ूप्दीiेा् र्अीतीेर् स्ीर्ब् ीत्त्दै ूपiी र् ींीहम्पे/ म्दीीोज्दह्ाहूे दल्ूेi्ा Iर्ह्iी ूदर् ुीीहू र्त्दीहे ूद दी iहर् ीvिदल्ी द ि हदह-ीोi्ाहू ्ाज्देiूदी दी ूद ूर्प्iी् ज्ीीूiोर् ीू ूप ीालिेू द ्ाज्दिेiूदी दिी ंदर्ही i्ा िज्ल्ीज्देार्र् ीुीiहेू ूप ेाम्ल्ीiूब् द िल्हिे प् iह ूप ब्ीं/िं इण्ब्ीं (ँ) र् ीम्म्दल्हूे iह Iर्ह्iी, ेल्ंराम्ू ूदर् ल्ेल्ीर्त् स्ीीुiह ीाल्iिीासहूे.
ऊप ूाीस् ”र्त्दीहह्णर् ेप्ीत्त् iह्ार् ीत्त् ूब्जे द िर्ल्ह् िंीेा्/ हदह-र्र्ल्ह् िंीेा् ीम्iित्iूiो
ब्दू जीस्iूा् र्ींीूा द िIहूाीोू र्ींे जी ुल्i्ात्iहो iेल् ंब् ूप र्अज्ीीूसहू दर् िींाुल्त्ीूiदह र्ध्जीीूiदहे ंब् झ्दैाी दर् िींूदीहाब् iहर् ीvिदल्ी दर् िी ीोi्ाहू र्ध्जीीूiदहे iह ूपर् ीम्म्दल्हू iह ूाीस्े द िझ्दैाी दर् िींूदीहाब् iे ीोूीiम्ूा् ूदर्र् ैiू्ीीैीत्े दिी जीस्iेiंत र्त्दम्ीत् र् ज्ीब्सहूे दी ीार्स्iूीहम ूद ूपर् ीम्म्दल्हू प्द्ाी प्iस्ेात् िूप्ीदल्ुप् हर्दीस्ीर्त् ंीहव्iहु र् म्प्ीहहात्े. र्ध्जीीूiदहे iह ूपर् ीम्म्दल्हू iह ूाीस्े द िझ्दैाी दर् िींूदीहाब् iे ीोूीiम्ूा् ूदर्र् ैiू्ीीैीत्े दिी जीस्iेiंत र्त्दम्ीत् र् ज्ीब्सहूे iह ील्जो, ीार्स्iूीहम द िम्ल्ीीाहू iहम्दस ूद ूपर् ीम्म्दल्हू प्द्ाी दल्ूेi्ा Iर्ह्iी दी ीार्स्iूीहम ूद ूपर् ीम्म्दल्हू प्द्ाी प्iस्ेात् िूप्ीदल्ुप् हर्दीस्ीत् र् ंीहव्iहुर् म्प्ीहहात्े. ेंप्iतर् स्ीव्iहु ीार्स्iूीहमे, ूप त्iस्iूेर् ीह् म्दह्iूiदहे द ि र् ीाज्ीूीर्iींiत्iूब् ैiर्त्त् ीज्ज्त्ब्. र्ण्प्ीहुा iह ीोi्ाहूर्iीर्त् ेूीूल्े ीदिस् ब्दह-ीोi्ाहू ूद ीोi्ाहू ब्ींर् िंीम्म्दल्हूे ेप्द् ां ्ोiुर्र्हीूा् ीे ीोi्ाहूर् ीम्म्दल्हूे दी ूप ल्हिे प् iह ूपेार् ीम्म्दल्हूेर् स्ीब् ांर् ूीीहेाीीा् ूद ूप ींइर्ण् ीम्म्दल्हूे,र् ीू ूप दज्ूiदह द िूपर् ीम्म्दल्हू प्द्ाी, iर्स्स्iीूात्ब् ल्ज्दह ूप ीाूल्ीह द िूपर् ीम्म्दल्हू प्द्ाी ूद Iर्ह्iी दिीर् ूीव्iहु ल्ज् ास्ज्त्दब्सहू दी दहर् म्प्ीहुा iह ूप ीोi्ाहूर्iीर्त् ेूीूल्े.ध्हर् म्प्ीहुा iह ीोi्ाहूर्iीर्त् ेूीूल्े, इण्ब्ीं (ँ) ्ाज्देiूेर् स्ीब् ांर् ीत्त्दैा् ूद म्दहूiहल ूiर्त्त् स्ीूल्ीiूर्ब् ीू ूप म्दर्हूीीम्ूा् र् ीीूा द िiहूाीोू, i िेद ्ोiीा् ंब् ूपर् ीम्म्दल्हू प्द्ाी.
र्ींल्ूर्प्दीiेा् ्ाीतीे ेप्द् म्दहvाीू ूप इण्ब्ीं(ँ) ्ाज्देiूे दहर् स्ीूल्ीiूब् iहूद ीोi्ाहू ील्जा ्ाज्देiूर् ीम्म्दल्हूे दी ींइण् र् ीम्म्दल्हू (i िूप ्ाज्देiूदी iे ात्iुiंत ूद दजह ींइर्ण् ीम्म्दल्हू),र् ीू ूप दज्ूiदह द ि ूपर् ीम्म्दल्हू प्द्ाी.
ब्ींर्ध् ीम्म्दल्हूेर् स्ीब् ां ्ोiुर्र्हीूा् ीे ीोi्ाहूर् ीम्म्दल्हूे दह ूप ीाूल्ीह द िूपर् ीम्म्दल्हू प्द्ाी ूद Iर्ह्iी दिीर् ीहब् ज्ल्ीज्देा iर्ह्iम्ीूiहु प्iे iहूाहूiदह ूदर् ेूीब् iह Iर्ह्iी दिीर् ीह ल्हर्मीूीiह जीiद्.
थ्iवैiेा, ैपहर् ी ीोi्ाहू Iर्ह्iीह ांम्दसेर् ी जीेदह ीोi्ाहू दल्ूेi्ा Iर्ह्iी, प्iे ाxiेूiहु ीोi्ाहूर् ीम्म्दल्हू ेप्द् ां ्ोiुर्र्हीूा् ीे ब्ींर्ध् ीम्म्दल्हू.
भारत सरकार ने 27 फरवरी, 2017 को विनिर्दिष्ट बैंक नोट (देयताओं की समाप्ति) अधिनियम 2017 को अधिसूचित किया । इस अधिनियम द्वारा विनिर्दिष्ट बैंक नोट (देयताओं की समाप्ति) अध्यादेश 2016, जो 31 दिसम्बर, 2016 से प्रभावी था और जिसमें विनिर्दिष्ट बैंक नोट (एसबीएन) की देयताओं की समाप्ति तथा इससे सम्बंधित तथा प्रासंगिक मामलों के लिए प्रावधान किया गया था, को निरस्त किया गया । भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम की धारा 34 के तहत विनिर्दिष्ट बैंक नोट के संबंध में भारतीय रिज़र्व बैंक की देयताएं समाप्त हो जाएगी और इस संबंध में, केंद्र सरकार की गारंटी भी समाप्त हो जाएगी।
इस संबंध में रियायत अवधि प्रदान की गई है जिसके दौरान भारतीय नागरिक जो इस बात की घोषणा करते हैं कि वे 9 नवंबर 2016 से 30 दिसंबर 2016 तक भारत के बाहर थे, वे विनिर्दिष्ट बैंक नोट रिज़र्व बैंक के पाँच कार्यालयों (मुबंई, नई दिल्ली, चेन्नै, कोलकाता और नागपुर) में जमा कर सकते हैं, बशर्ते केंद्र सरकार की अधिसूचना द्वारा विनिर्दिष्ट किसी भी श्रेणी के व्यक्ति हेतु कारणों अथवा शर्तों को पूरा करते हों। रिज़र्व बैंक, आवश्यक सत्यापन करने के बाद यदि इस बात से संतुष्ट है कि 30 दिसंबर 2016 तक नोट न जमा कर पाने के कारण सही है, तो वह जमाकर्ता के केवाईसी (अपने ग्राहक को जानें) अनुपालित खाते में नोटों की मूल्य-राशि जमा कर देगा।
निवासी भारतीयों के लिए छूट अवधि 31 मार्च, 2017 को समाप्त हो गई है । अनिवासी भारतीयों के लिए (भारतीय पासपोर्ट धारक) छूट अवधि 30 जून, 2017 है ।
भारतीय रिजर्व बैंक के उक्त पाँच क्षेत्रीय कार्यालयों में विनिमय काउंटर के समय सारणी के विवरण के लिए यहाँ क्लिक करें ।
उपर्युक्त उल्लेखानुसार नोट की मूल्य–राशि जमा करने में रिज़र्व बैंक द्वारा मना करने से प्रभावित कोई भी व्यक्ति उसे इस प्रकार की मनाही प्राप्त होने के 14 दिनों के भीतर रिज़र्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड को अभ्यावेदन दे सकता है।
अध्यादेश की धारा 6 के अनुसार, जो कोई भी व्यक्ति जानबूझकर अथवा अनजाने में गलत घोषणा करता है तो उसे दंडित किया जाएगा, दंड की राशि ₹ 50,000/- तक अथवा जमा की गई निर्दिष्ट बैंक नोट के अंकित मूल्य राशि का पाँच गुना जो भी अधिक हो, हो सकती है।
31 दिसंबर 2016 से प्रभावी, अध्यादेश की धारा 5 के अनुसार कोई भी व्यक्ति किसी विनिर्दिष्ट बैंक नोट को जानबूझकर अथवा स्वेच्छा से रख, अंतरण अथवा प्राप्त नहीं कर सकेगा। रियायत अवधि समाप्त होने के पश्चात किसी भी मूल्यवर्ग के अधिकतम कुल 10 नोट अथवा अध्ययन / अनुसंधान / मुद्राशास्त्र के उद्देश्य से अधिकतम 25 नोट रखने की अनुमति होगी। इस धारा में ऐसा कुछ भी निहित नहीं है जो अदालत में लंबित किसी भी मामले के संबंध में न्यायालय के निर्देश पर किसी भी व्यक्ति को विनिर्दिष्ट बैंक नोटों को धारित करने के लिए प्रतिबंधित करेगा। अधिहरण किए गए विनिर्दिष्ट बैंक नोटों को जमा करने के लिए, भारत सरकार ने दिनांक 12 मई, 2017 को विनिर्दिष्ट बैंक नोट (अधिहरण किए गए नोटों को जमा किया जाना) नियम, 2017 अधिसूचित किया है ।
धारा 7 के अनुसार, धारा 5 का उल्लंघन दंडनीय है जिसमें ₹ 10,000/- तक की राशि अथवा उल्लंघन में शामिल निर्दिष्ट बैंक नोट के अंकित मूल्य राशि का पाँच गुना जो भी अधिक हो, का दंड लगाया जा सकता है।
धारा 6 और 7 के अनुसार उल्लंघन/चूक यदि किसी कंपनी द्वारा किया गया है तो प्रत्येक वह व्यक्ति जो उल्लंघन/चूक के समय कंपनी का प्रभारी और उत्तरदायी था, दोषी माना जाएगा और उसी के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी और दंडित किया जाएगा। यदि अपराध कंपनी के किसी निदेशक/प्रबंधक/सचिव/अधिकारी/कर्मचारी द्वारा किया जाना साबित होता है तो उस व्यक्ति को भी इस अपराध के लिए दोषी माना जाएगा और उसके विरुद्ध कार्यवाही की जाएगी और तदनुसार दंडित किया जाएगा।
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय ने दिनांक 2 जुलाई 2021 के अपने कार्यालय ज्ञापन (ओएम) सं.5/2(2)/2021-ई/पी एंड जी/पॉलिसी के माध्यम से खुदरा और थोक व्यापार के लिए उद्यम रजिस्ट्रेशन की अनुमति दी है। विस्तृत दिशानिर्देश दिनांक 07 जुलाई 2021 के हमारे परिपत्र विसविवि.एमएसएमई और एनएफएस.बीसी.सं.13/06.02.31/2021-22 में उपलब्ध हैं।
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