इलेक्ट्रॉनिक समाशोधन सेवा (ईसीएस)
यदि चेक पारगमन में या समाशोधन प्रक्रिया में या भुगतानकर्ता बैंक की शाखा में भौतिक लिखत वितरण समाशोधन के तहत गुम हो जाते हैं, तो बैंक को इसे तुरंत प्रस्तुतकर्ता ग्राहक (लाभार्थी) के नोटिस में लाना चाहिए ताकि ग्राहक आहर्ता को भुगतान रोकने के लिए सूचित कर सके और यह भी ध्यान रख सके कि खोए हुए चेक से उत्पन्न होने वाले क्रेडिट की प्रत्याशा में जारी किए गए अन्य चेक खोए हुए चेकों/लिखतों की राशि के क्रेडिट न होने के कारण अस्वीकृत न हों।
हालांकि यह ध्यान दिया जा सकता है कि सीटीएस द्वारा कवर किए गए स्थानों में अदाकर्ता बैंक के हाथ में भौतिक लिखत खोने की संभावना बहुत कम है क्योंकि समाशोधन छवियों के आधार पर किया जाता है।यदि संग्राहक बैंक के पास जमा करने के बाद लिखत खो जाता है, लेकिन छवि-आधारित समाशोधन के माध्यम से भेजने के लिए उसे ट्रंकेट करने से पहले, प्रस्तुतकर्ता बैंक को ऊपर बताई गई प्रक्रिया का पालन करना चाहिए।
ग्राहक डुप्लीकेट लिखत प्राप्त करने के लिए संबंधित खर्चों और इसे प्राप्त करने में उचित देरी के लिए ब्याज के लिए बैंकों द्वारा प्रतिपूर्ति का हकदार है।
उत्तर: आईएफसी एक जमा न स्वीकार करने वाली ऋण कंपनी है जो निम्नलिखित का अनुपालन करती है:
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एक आईएफसी-एनबीएफसी की कुल आस्ति का कम से कम 75 प्रतिशत बुनियादी ढांचा ऋण में लगाया जाना चाहिए;
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कंपनी की न्यूनतम मालियत 300 करोड़ रुपये होनी चाहिए।
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कंपनी का सीआरएआर 15% और टियर I पूंजी 10% और
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कंपनी की न्यूनतम क्रेडिट रेटिंग 'ए' या क्रिसिल, फिच, केयर, आईसीआरए, ब्रिकवर्क के समकक्ष या किसी अन्य मान्यता प्राप्त रेटिंग एजेंसियों द्वारा समकक्ष रेटिंग होनी चाहिए।
उनके अनुरोध को नवीनतम वित्तीय वर्ष के 31 मार्च को कंपनी के आस्ति पैटर्न की पुष्टि करने वाले उनके सांविधिक लेखा परीक्षकों के प्रमाण पत्र द्वारा समर्थित होना चाहिए।
उत्तर: इंफ्रास्ट्रक्चर डेट फंड (आईडीएफ) को ट्रस्ट या कंपनी के रूप में स्थापित किया जा सकता है। एक ट्रस्ट आधारित आईडीएफ आम तौर पर सेबी द्वारा विनियमित एक म्यूचुअल फंड (एमएफ) होगा, जबकि एक कंपनी आधारित आईडीएफ सामान्य रूप से रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित एक एनबीएफसी होगा।
उत्तर: सभी श्रेणी के विदेशी मुद्रा अर्जक जैसे व्यक्ति, कंपनियाँ, आदि जो भारत में निवास करते हैं वे विदेशी मुद्रा अर्जक विदेशी मुद्रा खाते खोल सकते हैं।
एनबीएफसी सहित सभी उधार दाता संस्थाओं के सभी कृषि ऋण एक्सपोजर, जो 7 जुलाई 2016 के मास्टर निदेश विसविवि.केंका.प्लान.1/04.09.01/2016-17 (अद्यतित) के पैरा 6.1 में सूचीबद्ध प्रकार के हैं, किंतु जिसमें डेयरी, मत्स्य पालन, पशुपालन, पोल्ट्री, मधुमक्खी पालन और रेशम पालन जैसी संबन्धित गतिविधियां शामिल नहीं है, को समाधान ढांचे के दायरे से बाहर रखा गया है। उपर्युक्त के अनुपालन में, किसान परिवारों को दिए गए ऋण समाधान ढांचे के तहत समाधान के लिए पात्र होंगे, यदि वे समाधान ढांचे की अपवर्जन सूची की किसी अन्य शर्तों को पूरा नहीं करते हैं।
उत्तर: एनईएफटी निधि अंतरण या प्राप्ति के लिए निम्नलिखित लाभ प्रदान करता है:
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वर्ष के सभी दिनों में चौबीसों घंटे उपलब्धता।
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लाभार्थी के खाते में निकट-वास्तविक समय में धन हस्तांतरण और सुरक्षित तरीके से निपटान।
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सभी प्रकार के बैंकों की शाखाओं के वृहद नेटवर्क के माध्यम से अखिल भारतीय कवरेज।
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कागजी लिखतों को जमा करने के लिए लाभार्थी को बैंक की शाखा में जाने की आवश्यकता नहीं है। यदि प्रेषक का बैंक ऐसी सेवा प्रदान करता है, तो वह इंटरनेट बैंकिंग का उपयोग करके अपने घर/कार्यस्थल से प्रेषण शुरू कर सकता है।
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लाभार्थी के खाते में क्रेडिट पर एसएमएस/ई-मेल द्वारा प्रेषक को सकारात्मक पुष्टि।
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क्रेडिट या लेन-देन की वापसी में देरी के लिए दंडात्मक ब्याज प्रावधान।
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आरबीआई द्वारा बैंकों से कोई शुल्क नहीं लिया जाता।
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ऑनलाइन एनईएफटी लेनदेन के लिए बचत बैंक खाता ग्राहकों के लिए कोई शुल्क नहीं।
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लेन-देन शुल्क भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित किया गया है।
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धन हस्तांतरण के अलावा, एनईएफटी प्रणाली का उपयोग कार्ड जारी करने वाले बैंकों को क्रेडिट कार्ड की बकाया राशि के भुगतान, ऋण ईएमआई के भुगतान, आवक विदेशी मुद्रा प्रेषण आदि सहित विभिन्न प्रकार के लेनदेन के लिए किया जा सकता है।
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लेन-देन को कानूनी समर्थन प्राप्त है।
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भारत से नेपाल के लिए वन-वे फंड ट्रांसफर के लिए उपलब्ध।
उत्तर: गैर-बैंकों द्वारा स्थापित, उनके स्वामित्व वाले एवं उनके द्वारा परिचालित किए जाने वाले एटीएम को व्हाइट लेबल एटीएम कहा जाता है। गैर-बैंक एटीएम परिचालक भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा प्राधिकृत होते हैं। प्राधिकृत व्हाइट लेबल एटीएम परिचालकों की सूची भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर निम्नलिखित लिंक पर उपलब्ध है https://www.rbi.org.in/Scripts/PublicationsView.aspx?id=12043
यह ध्यान में रखते हुए कि निधियों का निपटान भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की पुस्तकों में होता है, भुगतान अंतिम और अपरिवर्तनीय हैं।
प्रतिक्रिया: निवासी भारतीय [व्यक्ति, एचयूएफ़, प्रोपराइटरशिप और पार्टनरशिप फर्म, एसबीआई (म्यूचुअल फंड) विनियमों, कंपनियों, धर्मार्थ संस्थानों, केंद्र सरकार, राज्य सरकार या केंद्र सरकार या राज्य सरकार के स्वामित्व वाली किसी अन्य संस्था के तहत पंजीकृत म्यूचुअल फंड/एक्सचेंज ट्रेडेड फंड सहित न्यासी]
उत्तर:
ए. एसएनआरआर खाते में डेबिट के लिए (घरेलू स्तर पर आगे क्रेडिट के लिए)
पारदेशीय क्रेता के एसएनआरआर खाते में डेबिट के जरिये किसी भारतीय पक्ष द्वारा निर्यात आय प्राप्त करने के मामले में:
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निर्यात भुगतान प्राप्ति संबंधी किसी भी आवक विप्रेषण के मामले में, निर्यात दस्तावेज रखने वाला एडी बैंक फेमा के तहत निर्धारित सभी निर्यात संबंधी नियमों/विनियमों/दिशानिर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करेगा।
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एसएनआरआर खाता रखने वाला एडी बैंक अपने विदेशी ग्राहक के ब्योरे रखने और संबंधित फेमा प्रावधानों के अनुपालन की समुचित सावधानी बरतने के लिए जिम्मेदार होगा। इसके अलावा, भारतीय निर्यातक के एडी बैंक (लाभार्थी के बैंक) को निधियों का अंतरण करते समय वह केवाईसी संबंधी सम्पूर्ण ब्योरा, जैसे: खाताधारक का ब्योरा (नाम, पता, देश आदि), विप्रेषण का उद्देश्य, विप्रेषित की जा रही राशि और उसकी करेंसी की जानकारी , लाभार्थी का नाम व खाता संख्या आदि की जानकारी प्रदान करें, ताकि आगे उक्त प्रेषण के संबंध में ईडीपीएमएस में प्रविष्टियां बंद करने में सहूलियत हो।
बी. एसएनआरआर खाते में क्रेडिट करने के लिए (घरेलू खाते से प्राप्त)
किसी भारतीय पक्ष द्वारा आयात के लिए भुगतान हेतु पारदेशीय विक्रेता के एसएनआरआर खाते में क्रेडिट के माध्यम में:
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आयात भुगतान संबंधी किसी भी जावक विप्रेषण के मामले में, आयात दस्तावेज रखने वाला एडी बैंक फेमा के तहत आयात संबंधी सभी निर्धारित नियमों/विनियमों/ दिशानिर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करेगा।
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वह अपने पारदेशीय ग्राहक का एसएनआरआर खाता रखने वाले एडी बैंक को आयातक से संबंधित सभी आवश्यक ब्योरे भी प्रेषित करेगा।
सी. इसी प्रकार, बाह्य वाणिज्यिक उधार, व्यापार ऋण, विदेशी निवेश, आदि के मामले में, निवासी ग्राहक के खाते रखने वाले नामित प्राधिकृत व्यापारी बैंक फेमा प्रावधानों जिसमें एफआईआरसी जारी करना, जहां भी लागू हो, का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार होंगे, , यह उसी तरीके से करना होगा जैसे किसी आवक विप्रेषण के तहत मुक्त रूप से परिवर्तनीय मुद्रा में प्राप्त निधियों के मामलों में किया जाता है। इसके अलावा, लेनदेन में शामिल बैंक ऊपर उल्लिखित प्रक्रिया के समान ही लेनदेन के ब्योरे साझा करने के लिए उत्तरदायी होंगे।
उत्तर
नहीं। नो फ्रिल खातों पर 13 दिसंबर 2005 के परिपत्र ग्राआऋवि.आरएफ.बीसी.54/07.38.01/2005-06 और दिनांक 27 दिसंबर 2005 को जारी परिपत्र संख्या आरपीसीडी. सीओ. सं. आरआरबी. बीसी. 58/03.05.33(एफ)/2005-06 में निहित निर्देशों का अधिक्रमण करते हुए, बैंकों को अब 22 अगस्त 2012 के परिपत्र संख्या आरपीसीडी.सीओ.आरआरबी.आरसीबी.बीसी.सं.24/07.38.01/2012-13 के दिशानिर्देशों के अनुसार अपने सभी ग्राहकों को एक 'आधारभूत बचत बैंक जमा खाता' प्रदान करने की सूचना दी गई है, जो उसमें बताए गए अनुसार न्यूनतम सामान्य सुविधाएं प्रदान करेगा। बैंकों को मौजूदा 'नो-फ्रिल्स' खातों' को 'आधारभूत बचत बैंक जमा खातों' में बदला जाना आवश्यक है।
उत्तर: उधारकर्ताओं की पहचान करने के लिए केवल बैंकों, एनबीएफसी और अन्य विनियमित एआईएफआईज की सहायता करने वाले इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्मस को पी2पी प्लेटफॉर्म नही माना जाएगा। हालांकि, ऐसे मामलों में जहां बैंकों या एनबीएफसी या एआईएफआईज के अलावा अन्य खुदरा ऋणदाता ऋण देने के लिए उक्त प्लेटफॉर्म का उपयोग करते हैं, तो उस प्लेटफॉर्म को एनबीएफसी-पी2पी के रूप में अलग से पंजीकरण करना होगा।
As on date, four NBFC Ombudsman have been appointed with their offices located at Chennai, Kolkata, New Delhi and Mumbai. The addresses, contact details and territorial jurisdiction of the Ombudsman is provided in the Annex I of the Scheme.
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मूलधन पर मुद्रास्फीति घटक का भुगतान ब्याज के साथ नहीं किया जाएगा बल्कि उक्त को सूचकांक अनुपात के साथ मूलधन गुणक द्वारा मूलधन में समायोजित किया जाएगा। शोधन के समय पर, समायोजित ब्याज या अंकित मूल्य, जो भी अधिक है का भुगतान किया जाएगा।
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मुद्रास्फीति के सापेक्ष समायोजित मूलधन पर नियत कूपन दर का भुगतान करके मुद्रास्फीति के सापेक्ष ब्याज दर को सुरक्षा उपलब्ध कराई जाएगी।
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आईआईबी पर नकदी प्रवाह का उदाहरण नीचे दिया गया है।
उदाहरण 1 (स्पष्टीकरण के लिए) | |||||||
वर्ष | अवधि | वास्तविक कूपन | मुद्रास्फीति सूचकांक | सूचकांक अनुपात | सूचकांक समायोजित मूलधन | कूपन भुगतान | मूलधन पुनर्भुगतान |
I | II | III | IV | Vti=(IVti/IVt0) | VI=(FV*V) | VII=(VI*III) | VIII |
0 | 28 मई 2013 | 1.50% | 100 | 1.00 | 100.0 | ||
1 | 28 मई 2014 | 1.50% | 106 | 1.06 | 106.0 | 1.59 | |
2 | 28 मई 2015 | 1.50% | 111.8 | 1.12 | 111.8 | 1.68 | |
3 | 28 मई 2016 | 1.50% | 117.4 | 1.17 | 117.4 | 1.76 | |
4 | 28 मई 2017 | 1.50% | 123.3 | 1.23 | 123.3 | 1.85 | |
5 | 28 मई 2018 | 1.50% | 128.2 | 1.28 | 128.2 | 1.92 | |
6 | 28 मई 2019 | 1.50% | 135 | 1.35 | 135.0 | 2.03 | |
7 | 28 मई 2020 | 1.50% | 138.5 | 1.39 | 138.5 | 2.08 | |
8 | 28 मई 2021 | 1.50% | 142.8 | 1.43 | 142.8 | 2.14 | |
9 | 28 मई 2022 | 1.50% | 150.3 | 1.50 | 150.3 | 2.25 | |
10 | 28 मई 2023 | 1.50% | 160.2 | 1.60 | 160.2 | 2.40 | 160.2 |
उदाहरण 2 (स्पष्टीकरण के लिए) | |||||||
0 | 28 मई 2013 | 1.50% | 100.0 | 1.00 | 100 | 1.50 | |
1 | 28 मई 2014 | 1.50% | 106.0 | 1.06 | 106 | 1.59 | |
2 | 28 मई 2015 | 1.50% | 111.0 | 1.11 | 111 | 1.67 | |
3 | 28 मई 2016 | 1.50% | 104.0 | 1.04 | 104 | 1.56 | |
4 | 28 मई 2017 | 1.50% | 98.0 | 0.98 | 98 | 1.47 | |
5 | 28 मई 2018 | 1.50% | 99.0 | 0.99 | 99 | 1.49 | |
6 | 28 मई 2019 | 1.50% | 105.5 | 1.06 | 105.5 | 1.58 | |
7 | 28 मई 2020 | 1.50% | 110.2 | 1.10 | 110.2 | 1.65 | |
8 | 28 मई 2021 | 1.50% | 106.5 | 1.07 | 106.5 | 1.60 | |
9 | 28 मई 2022 | 1.50% | 104.2 | 1.04 | 104.2 | 1.56 | |
10 | 28 मई 2023 | 1.50% | 99.2 | 0.99 | 99.2 | 1.49 | 100 |
बैंक द्वारा सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को दिए गए ऋण निम्नानुसार प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार हेतु माना जाएगा:
(i) एमएसएमई की परिभाषा, भारत सरकार के दिनांक 26 जून 2020 के राजपत्र अधिसूचना एस.ओ.2119(ई) के साथ पठित दिनांक 02 जुलाई 2020 के परिपत्र विसविवि.एमएसएमई एवं एनएफएस.बीसी.सं.3/06.02.31/2020-21, दिनांक 21 अगस्त 2020 के परिपत्र विसविवि.एमएसएमई एवं एनएफएस.बीसी.सं.4/06.02.31/2020-21 और दिनांक 07 जुलाई 2021 के परिपत्र विसविवि.एमएसएमई एवं एनएफएस.बीसी.सं.13/06.02.31/2021-22, समय-समय पर अद्यतन, के अनुसार होगी।
(ii) इसके अलावा ऐसे एमएसएमई, उद्योग (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1951 की प्रथम अनुसूची में विनिर्दिष्ट किसी भी उद्योग से संबंधित किसी भी प्रकार के विनिर्माण या वस्तुओं के उत्पादन में लगे होने चाहिए या सेवा अथवा सेवाएं उपलब्ध या प्रदान करने में संलग्न होने चाहिए। उपरोक्त दिशानिर्देशों के अनुरूप एमएसएमई को दिए गए सभी बैंक ऋण प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार के अंतर्गत वर्गीकरण के लिए पात्र हैं।
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को उधार देने से संबंधित विस्तृत दिशानिर्देश दिनांक 24 जुलाई 2017 के हमारे मास्टर निदेश विसविवि.एमएसएमई एवं एनएफएस.12/06.02.31/2017-18 में उपलब्ध हैं। विभिन्न मामलों पर आरबीआई द्वारा बैंकों को जारी दिशानिर्देश हमारी वेबसाइट www.rbi.org.in पर उपलब्ध हैं।
उत्तर: भारत अथवा नेपाल या भूटान की मुद्रा के अलावा किसी अन्य मुद्रा में धारित किया गया अथवा रखा गया खाता विदेशी मुद्रा खाता कहलाता है।
उत्तर: विदेशी मुद्रा किसी भी प्राधिकृत व्यक्ति जैसे कि एडी श्रेणी-I बैंक तथा एडी श्रेणी- II बैंक से खरीदी जा सकती है। संपूर्ण मुद्रा परिवर्तक (एफ़एफ़एमसी) को भी कारोबारी तथा निजी दौरों के लिए विदेशी मुद्रा देने की अनुमति है।
भारतीय रिज़र्व बैंक सरकारों का सामान्य बैंकिंग व्यवसाय अपने स्वयं के कार्यालयों और अपने एजेंट के रूप में नियुक्त वाणिज्यिक बैंकों, सार्वजनिक और निजी दोनों, के माध्यम से करता है। भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45 में यह निर्धारित है कि वह विभिन्न प्रयोजनों, जिसके अंतर्गत “इस संबंध में जनता के हित में, बैंकिंग की सुविधा, बैंकिंग का विकास और ऐसे अन्य कारक जो इसकी राय में इससे संबंधित हैं” उल्लिखित है, के लिए भारत में सभी स्थानों पर अथवा किसी स्थान पर एजेंट के रूप में अनुसूचित वाणिज्य बैंकों को नियुक्त कर सकता है।
भारतीय रिज़र्व बैंक अपने केंद्रीय लेखा अनुभाग, नागपुर में केंद्र सरकार तथा राज्य सरकारों के प्रधान खाते रखता है। भारतीय रिज़र्व बैंक ने पूरे भारतवर्ष में सरकार की ओर से राजस्व संग्रह करने के साथ-साथ भुगतान करने के लिए सुसंचालित व्यवस्था की है। भारतीय रिज़र्व बैंक का सरकारी बैंकिंग प्रभाग और भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम की धारा 45 के अंतर्गत नियुक्त एजेंसी बैंकों की शाखाओं का नेटवर्क सरकारी लेनदेन का कार्य करता है। वर्तमान में सार्वजनिक क्षेत्र के सभी बैंक और निजी क्षेत्र के चुने हुए बैंक भारतीय रिज़र्व बैंक के एजेंट के रूप में कार्य करते हैं। केवल एजेंसी बैंकों की नामित शाखाएं ही सरकारी बैंकिंग व्यवसाय कर सकती हैं।
डीआईसीजीसी निम्नलिखित जमाराशियों को छोड़कर बचत, मीयादी, चालू, आवर्ती आदि जैसे सभी बैंक जमाराशियों को बीमा प्रदान करता है:-
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विदेशी सरकारों की जमाराशियां;
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केंद्र/राज्य सरकारों की जमाराशियां;
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अंतर बैंक जमाराशियां;
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राज्य सहकारी बैंकों में रखी गई राज्य भूमि विकास बैंकों की जमाराशियां;
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भारत के बाहर प्राप्त जमाराशि के कारण देय कोई राशि; और
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रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन से निगम द्वारा विशेष रूप से छूट प्राप्त कोई राशि
उत्तर: ईरान, भारत, बांगलादेश, भूटान, नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका, मालदीव और म्यांमार के केंद्रीय बैंक तथा मुद्रा प्राधिकारी एशियाई समाशोधन संघ (एसीयु) के सदस्य देश हैं।
उत्तर: ‘भारतीय मूल का व्यक्ति’ (पीआईओ) भारत से बाहर का निवासी है, जो बांग्लादेश या पाकिस्तान अथवा केंद्र सरकार द्वारा विनिर्दिष्ट ऐसे किसी अन्य देश से भिन्न किसी देश का नागरिक है, और जो निम्नलिखित शर्तें पूरी करता है:
ए) जो भारतीय संविधान के अनुसार अथवा नागरिकता अधिनियम, 1955 (1955 का 57) के अनुसार भारत का नागरिक था, अथवा
बी) वह ऐसे किसी भौगोलिक क्षेत्र से आता हो, जो 15 अगस्त 1947 के बाद भारत का हिस्सा बन गया; अथवा
सी) वह भारतीय नागरिक का या ऊपर उल्लिखित पैरा (ए) या (बी) में उल्लिखित किसी व्यक्ति का पुत्र /पुत्री या पोता /पोती अथवा पर-पोता/ पर-पोती है; अथवा
डी) वह किसी भारतीय नागरिक का विदेशी मूल का पति/ की पत्नी है, अथवा ऊपर उल्लिखित पैरा (ए) (बी) या (सी) में उल्लिखित किसी व्यक्ति का विदेशी मूल का पति/ की पत्नी है।
पीआईओ में नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा-7(ए) की परिभाषा के अंतर्गत ‘विदेशी भारतीय नागरिक कार्ड-धारक” भी शामिल है। उक्त विदेशी भारतीय नागरिकता कार्डधारक व्यक्ति भारत के बाहर का निवासी व्यक्ति होना चाहिए।
भारतीय मूल के व्यक्ति न होने वाले व्यक्तियों द्वारा द्वारा विप्रेषण (नेपाल अथवा भूटान के नागरिकों अथवा भारतीय मूल के व्यक्ति (PIO) को छोड़कर) | अनिवासी भारतीयों (NRIs) / भारतीय मूल के व्यक्ति (PIOs) | भारतीय एंटिटी | भारत के बाहर के निवासी द्वारा स्थापित शाखा अथवा कार्यालय |
1. कोई व्यक्ति भारत में किसी नौकरी से सेवा-निवृत्त हुआ हो; 2. फेमा की धारा 6 (5)1 में उल्लिखित किसी व्यक्ति से उसने परिसंपत्तियों को उत्तराधिकार में पाया हो; 3. भारत से बाहर की/का निवासी कोई विधवा/विधुर है और जिसने अपने मृतक पति/ पत्नी, जो भारत का/ की निवासी भारतीय नागरिक था/थी, की परिसंपत्तियां उत्तराधिकार में पायी हों। ऐसे विप्रेषण प्रति वित्तीय वर्ष एक मिलियन अमरीकी डालर से अधिक नहीं होने चाहिए। |
1. अनिवासी (साधारण) (NRO) खाते में जमाशेष से-घोषणा के अधीन * 2. परिसंपत्तियों की बिक्रीगत आगम राशि से 3. उत्तराधिकार / विरासत/ निष्पादित निपटान विलेख से अधिग्रहित आस्तियां प्रति वित्तीय वर्ष एक मिलियन अमरीकी डालर तक की राशि का विप्रेषण कर सकते हैं *जहां विप्रेषण एनआरओ (NRO) खाते में जमाशेष से किया जाता है/ जाना है, वहां खाताधारक व्यक्ति प्राधिकृत व्यापारी को इस आशय का वचनपत्र प्रस्तुत करेगा कि "विप्रेषक के खाते में जमाशेष से विप्रेषण किया जाना है, जिसमें जमाशेष भारत में उसे वैध रूप में प्राप्त हुई राशि है और जो किसी अन्य व्यक्ति से उधार नहीं लिया गया है अथवा किसी अन्य एनआरओ खाते से अंतरित नहीं किया गया है तथा यदि ऐसा पाया जाएगा तो खाताधारक फेमा के अंतर्गत स्वयं को दण्ड का भागी बनाएगा।" |
किसी संस्था (एंटिटी) का अपने प्रवासी स्टाफ, जो भारत के निवासी है, परंतु “स्थायी रूप से भारत में निवास नहीं करते”, की भविष्य निधि / अधिवर्षिता / पेंशन निधि में अंशदान | अपेक्षित दस्तावेजों की प्रस्तुति के बाद समापन पर आगम राशि का विप्रेषण कर सकते हैं |
उत्तर: नहीं, यदि किसी एलओ/ बीओ को एक से अधिक खाते खोलने हों, तो उसे अपने एडी श्रेणी-I बैंक के माध्यम से रिज़र्व बैंक की पूर्वानुमति प्राप्त करनी होगी और अतिरिक्त खाता खोलने की आवश्यकता का उचित कारण भी देना होगा।
पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: दिसंबर 11, 2022