राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक निधि अंतरण प्रणाली (एनईएफटी)
उत्तर: विप्रेषक द्वारा अपने आवेदन/निर्देश में लिखे/दिए गए खाता संख्या को क्रेडिट दिया जाता है। लाभार्थी के खाते में क्रेडिट केवल खाता संख्या के आधार पर जारी किया जाता है। ग्राहक को सही खाता संख्या लिखने की जिम्मेदारी है। प्रवर्तक/प्रेषक को एनईएफटी प्रेषण निर्देश/आवेदन में लाभार्थी का सही खाता संख्या प्रदान करने में उचित सावधानी बरतनी चाहिए।
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15 मई 2013 को भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में निर्दिष्ट के अनुसार, आईआईबी 4 जून 2013 को शुरू हुआ और 2013-14 के दौरान प्रत्येक माह के अंतिम मंगलवार को उक्त जारी किया। इसमे जून 2013 का अंतिम मंगलवार भी शामिल होगा।
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बाज़ार उधारी के रूप में जारी सरकारी प्रतिभूतियों को प्रयोज्य वर्तमान कराधान, इन प्रतिभूतियों को लागू होगी।
उत्तर: हाँ।
उत्तर
हाँ। हमारे दिनांक 11 अक्टूबर 2006 के परिपत्र संख्या आरपीसीडी. सीओ. आरएफ. बीसी. 28/07.40.06/2006-07 और दिनांक 13 अक्टूबर 2006 के परिपत्र संख्या आरपीसीडी. सीओ. आरआरबी. बीसी. सं. 29/03.05.28-ए/2006-07 में निहित निर्देशों के अनुसार बीएसबीडीए धारकों को पासबुक की सुविधा निःशुल्क प्रदान की जानी चाहिए।
हां, 'माइक्रो और लघु उद्यमों (एमएसई) को उनके ‘जीवन चक्र’ के दौरान समय पर और पर्याप्त ऋण सुविधा देने के लिए ऋण प्रवाह का सरलीकरण’ पर दिनांक 27 अगस्त 2015 के परिपत्र विसविवि.एमएसएमई एण्ड एनएफएस.बीसी.सं.60/06.02.31/2015-16 के माध्यम से अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) को दिशानिर्देश जारी किए गए थे।
Ans : The banking system has many benefits from ECS Debit such as –
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Freedom from paper handling and the resultant disadvantages of handling, receiving and monitoring paper instruments presented in clearing.
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Ease of processing and return for the destination bank branches. Destination bank branches can debit the customers’ accounts after matching the account number of the customer in their database and due verification of existence of valid mandate and its particulars. With core banking systems in place and straight-through-processing, this process can be completed with minimal manual intervention.
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Smooth process of reconciliation for the sponsor banks.
- Cost effective.
बैंक ऑफ पापुआ न्यू गिनी द्वारा अपनी वेबसाइट www.bankpng.gov.pg जारी सार्वजनिक सूचना (https://www.bankpng.gov.pg/wp-content/uploads/2014/08/Full-page_-potrait_Paper-Bank-Notes2.pdf) के अनुसार 30 जून 2012 को पापुआ न्यू गिनी के कागजी बैंकनोट वैध मुद्रा नहीं रहे और पापुआ न्यू गिनी में केवल पॉलीमर बैंकनोट ही वैध मुद्रा हैं। इसके अलावा, बैंक ऑफ पापुआ न्यू गिनी ने बैंक नोटों की निम्नलिखित श्रृंखलाओं की जानकारी भी दी है जो उनके द्वारा कभी जारी ही नहीं किए गए थे (और यूरोप में एक रिसाइकलर को बेचे गए थे) और इसलिए पापुआ न्यू गिनी में वे वैध मुद्रा नहीं हैं:
मूल्यवर्ग | प्रीफिक्स | क्रमांक | |
निम्न | उच्च | ||
K2 | ABJ - AJS | 000001 | 003000 |
K10 | AC - AY | 030000 | 031000 |
NBP- NES | 160000 | 173000 | |
K20 | BPNG | 0000001 | 3000000 |
K50 | HTT - HUU | 080000 | 090000 |
K100 | BPNG | 0000001 | 6000000 |
(बैंक ऑफ पापुआ न्यू गिनी से प्राप्त अनुराध पर प्रकाशित)
उत्तर: ग्राहक अपने बैंक से संपर्क कर सकता है और उनके साथ मामला उठा सकता है। यदि ग्राहक बैंक के उत्तर से संतुष्ट नहीं है या 30 दिनों के भीतर बैंक से उत्तर प्राप्त नहीं होने की स्थिति में, ग्राहक रिज़र्व बैंक - एकीकृत लोकपाल योजना का सहारा ले सकता है। आरबीआई लोकपाल के कार्यालय का विवरण इस लिंक पर उपलब्ध है: https://www.rbi.org.in/hindi/Scripts/Content.aspx?ID=24 या ग्राहक https://cms.rbi.org.in/cms/indexpage.html#hi-IN पर ऑनलाइन शिकायत कर सकते हैं।
उत्तर: विवादित लेन-देन के विवरण के साथ आप अपने बैंक के शिकायत निवारण प्रकोष्ठ से संपर्क कर सकते हैं। यदि 30 दिनों के भीतर आपकी शिकायत का समाधान नहीं होता है, तो आप "रिज़र्व बैंक-एकीकृत लोकपाल योजना (आरबी-आईओएस 2021)" के तहत शिकायत कर सकते हैं। आरबी-आईओएस 2021 ग्राहकों को इसमें निर्दिष्ट आरबीआई विनियमित संस्थाओं के खिलाफ शिकायत दर्ज करने के लिए एकल संदर्भ बिंदु प्रदान करता है। आरबी-आईओएस, 2021 आरबीआई की वेबसाइट पर निम्नलिखित पथ पर उपलब्ध है: https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/content/pdfs/RBIOS2021_121121.pdf.
उत्तर: चूंकि लेन-देन भारतीय रुपये में निपटाए जाएंगे, अतः यह भारतीय निर्यातकों और आयातकों के लिए विनिमय दर जोखिम को कम करेगा।
उत्तर: विवादित लेन-देन के विवरण के साथ आप अपने बैंक के शिकायत निवारण प्रकोष्ठ से संपर्क कर सकते हैं। यदि 30 दिनों के भीतर आपकी शिकायत का समाधान नहीं होता है, तो आप "रिज़र्व बैंक-एकीकृत लोकपाल योजना (आरबी-आईओएस 2021)" के तहत शिकायत कर सकते हैं। आरबी-आईओएस 2021 ग्राहकों को इसमें निर्दिष्ट आरबीआई विनियमित संस्थाओं के खिलाफ शिकायत दर्ज करने के लिए एकल संदर्भ बिंदु प्रदान करता है। आरबी-आईओएस, 2021 आरबीआई की वेबसाइट पर निम्नलिखित पथ पर उपलब्ध है:/documents/87730/39016390/RBIOS2021_121121.pdf
जैसा कि संबंधित संकल्प ढांचे में निर्धारित किया गया है, ऋण देने वाली संस्थाएं समाधान योजना के कार्यान्वयन के समय अवशिष्ट ऋण पर प्रावधान करेगी। यदि बाद मे, कोई गैर-निधि आधारित सुविधा हस्तांतरित की जाती है, तो हस्तांतरित राशि को अवशिष्ट ऋण4 के रूप में माना जाएगा और समाधान ढांचा 1.0 के पैरा 405 और 416 के प्रावधान लागू होंगे, और परिणामस्वरूप, निगरानी अवधि के मूल्यांकन को तदनुसार अद्यतन किया जाना चाहिए। संपूर्ण प्रावधान (अंतरित राशि पर प्रावधानों सहित) तब तक जारी रखे जाएंगे, जब तक कि उन्हें प्रासंगिक समाधान ढांचे में निहित प्रावधानों के संदर्भ में वापस नहीं किया जाता है।
इस संदर्भ में प्रश्नों को ई-मेल में भेजा जा सकता है।
उत्तर
बीएसबीडीए खोलते समय ग्राहकों की लिखित में सहमति प्राप्त की जानी चाहिए कि उनके मौजूदा गैर-बीएसबीडीए बचत बैंक खाते बीएसबीडीए खोलने के 30 दिनों के बाद बंद कर दिए जाएंगे और बैंक 30 दिनों के बाद ऐसे खातों को बंद करने के लिए स्वतंत्र हैं।
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नियत दर परंपरागत बॉन्ड के मामले में, आईआईबी को प्रतिफल आधारित के माध्यम से निर्गम किया जाएगा और उसके बाद पुननिर्गम मूल्य आधारित नीलामी के माध्यम से होगा।
उपर्युक्त दिशानिर्देशों के अनुसार, बैंकों को सूचित किया गया है कि वे एमएसई क्षेत्र के लिए अपनी मौजूदा उधार नीतियों की समीक्षा करें और उनमें निम्नलिखित प्रावधान शामिल करें ताकि व्यवहार्य एमएसई उधारकर्ताओं को समय पर और पर्याप्त रूप से, खासकर अप्रत्याशित परिस्थितियों में निधियों की आवश्यकता के दौरान, ऋण की उपलब्धता को सुविधाजनक बनाया जा सके:
(i) मीयादी ऋणों के मामले में आपाती ऋण सुविधा का विस्तार करना
(ii) एमएसई इकाइयों की आकस्मिक जरूरतों को पूरा करने के लिए अतिरिक्त कार्यशील पूंजी
(iii) नियमित कार्यशील पूंजी सीमाओं की मध्यावधि समीक्षा, जहां बैंकों को यह विश्वास हो कि एमएसई उधारकर्ताओं के मांग के स्वरूप में परिवर्तनों के कारण पिछले वर्ष की वास्तविक बिक्री के आधार पर प्रति वर्ष एमएसई की मौजूदा क्रेडिट सीमा में वृद्धि की आवश्यकता होती है।
(iv) ऋण निर्णयों के लिए सामयिकता।
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भारत सरकार की प्रतिभूतियों को लागू वर्तमान कराधान इन प्रतिभूतियों को भी लागू होगी।
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आयकर अधिनियम 1961 के खंड 193 के उप-खंड (iv) के अनुसार केंद्र सरकार और राज्य सरकार के किसी भी प्रतिभूति पर किसी भी ब्याज पर कोई कर की कटौती नहीं की जाएगी, बशर्ते कि इस खंड में निहित कुछ भी वित्तीय वर्ष के दौरान 8% बचत (कर योग्य) बांड, 2003 पर देय दस हजार रुपये से अधिक ब्याज पर लागू नहीं होगा।
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उक्त खंड के अनुसार, आईआईएनएसएस-सी पर भुगतान योग्य किसी ब्याज से भी टीडीएस की कटौती नहीं की जाएगी, जब तक सरकार से अन्यथा संदर्भित न हो।
उत्तर: जहां कहीं बीओ अथवा पीओ को फेमा के अंतर्गत यथालागू दिशानिर्देशों के भीतर भारत के बाहर निधियाँ विप्रेषित करनी हो, वहाँ यह आवश्यक नहीं है कि वे नामित श्रेणी-I बैंक के माध्यम से ही करें बल्कि वे नामित एडी श्रेणी-I बैंक से अनापत्ति प्रमाणपत्र प्राप्त करने की शर्त के अधीन अपनी पसंद के किसी भी एडी श्रेणी-I बैंक के माध्यम से ऐसा कर सकते हैं। विप्रेषण कॅश/ टॉम/ स्पॉट आधार पर निपटाए जाने वाले लेनदेन के लिए ही होंगे। विप्रेषण बैंकिंग चैनल के माध्यम से निम्न दो में से किसी एक पद्धति से होगा:
(1) नामित श्रेणी-I बैंक भारतीय रुपये में समतुल्य राशि को लेनदेन का कार्य करने वाले बैंक को अंतरित करेगा। लेनदेन करने वाला बैंक उक्त राशि बीओ/ पीओ के मूल कार्यालय को स्विफ्ट के माध्यम से प्रेषित करेगा। तथापि लेनदेन करने वाले बैंक को केवाईसी अनुपालन तथा आवश्यक प्रलेखन सुनिश्चित करना होगा। उसे यूआईएन संख्या, लाभार्थी तथा विप्रेषण संबंधी ब्यौरे सहित स्विफ्ट संदेश को नामित एडी श्रेणी-I बैंक के साथ साझा करना होगा।
(2) नामित श्रेणी-I बैंक भारतीय रुपये में समतुल्य राशि को लेनदेन करने वाले बैंक को अंतरित करेगा। लेनदेन करने वाला बैंक नामित श्रेणी-I बैंक के नॉस्ट्रो खाते में जमा करेगा और वह उक्त राशि को अंतिम लाभार्थी को प्रेषित करेगा।
Ans : Yes. In case of any need to withdraw or stop a mandate the customer can do so by approaching the user institution to withdraw the mandate. The account holder / customer can also withdraw the mandate / debit instruction directly from his / her banker without involvement of the User institution. The withdrawal instructions of a customer in such cases would be treated equivalent to a ‘stop payment’ instruction in cheque clearing system. However, as a matter of best practice, the customer may also provide prior notice or intimation of mandate withdrawal to the ECS user institution well in time, so as to ensure that the input files submitted by the user institution does not include the ECS Debit details in respect of the withdrawn / stopped mandates, leading to avoidable returns/rejections etc.
नई पीढ़ी के बैंकनोटों का निर्गम और शुभारंभ करते हुए सेंट्रल बैंक ऑफ केन्या ने सूचित किया है कि (http://kenyalaw.org/kenya_gazette/gazette/volume/MTk2Mg--/Vol.CXXI-No.69) पर उपलब्ध सेंट्रल बैंक ऑफ केन्या की 31 मई 2019 की गजट सूचना संख्या 4849 और (https://www.centralbank.go.ke/uploads/press_releases/696932423_Press Release - New Generation Banknotes.pdf) ,पर उपलब्ध 6 जून 2019 की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार '1000 शिलिंग (Ksh)' मूल्यवर्ग के सभी करेंसी नोट वैध मुद्रा नहीं रहेंगे, और 1 अक्टूबर 2019 से इनका विनिमय नहीं हो सकेगा ।
(सेंट्रल बैंक ऑफ केन्या से प्राप्त अनुराध पर प्रकाशित)
निम्नलिखित के नाम स्वीकृत जमाराशियों के संबंध में -
क. बैंक के स्टाफ -सदस्य अथवा किसी सेवानिवृत्त सदस्य, एकल अथवा उसके परिवार के किसी अन्य सदस्य या सदस्यों के साथ संयुक्त रूप में, या
ख. बैंक के स्टाफ के दिवंगत सदस्य अथवा दिवंगत सेवानिवृत्त सदस्य के पति/की पत्नी
एफ सी एन आर (बी) जमाराशियों के लिए निर्धारित समग्र उच्चतम सीमा के भंग न करने की शर्त के अधीन बैंक अपने विवेक से निर्दिष्ट ब्याज दर के ऊपर वार्षिक एक प्रतिशत से अनधिक दर तक अतिरिक्त ब्याज दे सकते हैं,
बशर्ते
i. जमाकर्ता अथवा संयुक्त खाते के सभी जमाकर्ता भारतीय राष्ट्रिकता अथवा मूल का/के अनिवासी हो/हों, और
ii. संबंधित जमाकर्ता से बैंक यह घोषणा प्राप्त करेगा कि इस तरह जमा किया गया धन अथवा जो समय-समय पर जमा किया जाएगा, वह उपर्युक्त खंड (क) और (ख) में उल्लेख किये अनुसार - जमाकर्ताओं से संबंधित धन होगा ।
स्पष्टीकरण : ‘परिवार’ शब्द का अर्थ होगा तथा इसमें शामिल होंगे बैंक के स्टाफ-सदस्य/सेवानिवृत्त सदस्य के पति/की पत्नी, उनके बच्चे, माता-पिता, भाई और बहनें जो ऐसे सदस्य/सेवानिवृत्त सदस्य पर आश्रित हैं तथा इसमें कानूनी दृष्टि से विभक्त पति/पत्नी शामिल नहीं होंगे -
Ans. In case of non-bank issued PPIs, cash withdrawal is permitted upto a limit of ₹ 2,000/- per transaction within an overall monthly limit of ₹ 10,000/- per PPI across all channels (agents, ATMs, PoS devices, etc.).
उत्तर: शिकायतें https://cms.rbi.org.in पर ऑनलाइन या समर्पित ई-मेल के माध्यम से दर्ज की जा सकती हैं या निम्नलिखित पथ https://rbidocs.rbi.org.in/rdocs/content/pdfs/RBIOS2021_121121_A.pdf पर दिए गए प्रारूप में आरबीआई, चौथी मंजिल, सेक्टर 17, चंडीगढ़ - 160 017 में स्थापित 'केंद्रीकृत रसीद और प्रसंस्करण केंद्र' को भौतिक मोड में भेजी जा सकती हैं। एक टोल-फ्री नंबर - 14448 (सुबह 9:30 बजे से शाम 5:15 बजे तक) - बहुभाषी समर्थन के साथ शिकायत दर्ज करने और शिकायत निवारण पर जानकारी दर्ज करने में सहायता लेने के लिए ग्राहकों के लिए भी उपलब्ध है।
1 पैरा 19: इस परिपत्र के अनुसार ऋणदाता संस्थाओं के अलावा उधारकर्ता को उधार देने वाले यदि चाहें तो, आईसीए पर हस्ताक्षर कर सकते हैं। यदि ऐसे ऋणदाता आईसीए पर हस्ताक्षर करते हैं, तो वे पूरी तरह से आईसीए की शर्तों के अधीन होंगे।
2 जैसा कि 07 जून, 2019 के विवेकपूर्ण ढांचे में परिभाषित किया गया है।
3 पैरा 45. अन्य एक्स्पोज़रों के समाधान के मामले में, आईसीए हस्ताक्षरकर्ताओं द्वारा रखे गए प्रावधानों को खंड 44 में दिए गए अनुसार वापस किए जा सकते हैं। हालांकि, गैर-आईसीए हस्ताक्षरकर्ताओं के संबंध में, आधे प्रावधानों का वहन 20 प्रतिशत चुकाने पर किया जा सकता है,जबकि शेष आधे को आवश्यक आईआरएसी प्रावधानों को बनाए रखने के अधीन, मौजूदा ऋण के शेष 10 प्रतिशत के पुनर्भुगतान पर वापस किया जा सकता है।
4 यथा समाधान योजना के कार्यान्वयन के समय
5 अन्य मामलों में जहां इस सुविधा के अंतर्गत समाधान योजना लागू की जाती है, ऋण देने वाली संस्थाएं, जिन्होंने योजना आरंभ होने के 30 दिनों के भीतर आईसीए पर हस्ताक्षर किए थे, कार्यान्वयन की तिथि से प्रावधान रखेंगे, जो कि कार्यान्वयन से तुरंत पहले मौजूदा आईआरएसी मानदंडों के अनुसार किए गए प्रावधानों या कुल ऋण का 10 प्रतिशत, जिसमें योजना के कार्यान्वयन (अवशिष्ट ऋण) के बाद आईसीए हस्ताक्षरकर्ताओं द्वारा संपन्न खंड 30 की शर्तों पर जारी ऋण प्रतिभूतियों को शामिल किया है, में से अधिक के तुल्य होगी
6 तथापि, जिन ऋण संस्थाओं ने योजना आरंभ होने के 30 दिनों के भीतर आईसीए पर हस्ताक्षर नहीं किए थे, 30 दिनों की समाप्ति पर तत्काल, उन्हें इस तारीख को अपनी खाता पुस्तकों पर दर्ज (धारित ऋण) ऋण के 20 प्रतिशत या वर्तमान आईआरएसी मानदंडों के अनुसार आवश्यक प्रावधानों में से जो भी अधिक हो, उतना प्रावधान करना होगा। यहां तक कि ऐसे मामलों में जहां आईसीए हस्ताक्षर नहीं होने के कारण योजना आरंभ नहीं किया जा रहा है, खंड 18 की शर्तों के अंतर्गत, ऐसी ऋण संस्थाएं जो पहले योजना आरंभ करने के लिए सहमत थीं, लेकिन जिन्होने आईसीए पर हस्ताक्षर नहीं किया था, उन्हें अपने धारित ऋण पर 20 प्रतिशत प्रावधान करने की भी आवश्यकता होगी।
पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: दिसंबर 11, 2022