भारत सरकार के दिनांकित प्रतिभूतियों और ट्रेज़री बिलों के लिए गैर-प्रतिस्पर्धी बोली सुविधा
निम्नलिखित सरकारी संगठनों / एजेंसियों की जमाराशियों के अलावा अन्य सरकारी विभाग /सरकारी योजना के नाम पर बचत बैंक खाता नहीं खोला जा सकता -
1. बैंक द्वारा वित्तपोषित प्राथमिक सहकारी ऋण समिति ।
2. खादी और ग्रामोद्योग बोर्ड ।
3. कृषि उत्पाद बाज़ार समितियाँ
4. सोसायटी रजिस्ट्रिकरण अधिनियम, 1860 या राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में लागू अन्य किसी समान कानून के अंतर्गत पंजीकृत समितियाँ (सोसायटी)।
5. कंपनी अधिनियम, 1956 द्वारा नियंत्रित कंपनियां, जिन्हें उक्त अधिनियम की धारा 25 के अंतर्गत अथवा भारतीय कंपनी अधिनियम, 1913 के तदनुरूप प्रावधान के अंतर्गत केंद्र सरकार द्वारा लाइसेंस मिला है तथा अपने नाम के आगे ‘लिमिटेड’ या "प्राइवेट लिमिटेड" शब्द नहीं लगाने की अनुमति मिली है।
6. उपर्युक्त खंड (i) में उल्लिखित संस्थाओं के अलावा ऐसी संस्थाएं जिनकी समस्त आय पर आयकर अधिनियम, 1961 के अंतर्गत आयकर से छूट प्राप्त है।
7. केंद्र सरकार / राज्य सरकार द्वारा प्रायोजित विभिन्न कार्यक्रमों के क्रियान्वयन के लिए जारी अनुदान/ सब्सिडी के संबंध में सरकारी विभाग /संगठन / एजेन्सियां, बशर्ते संबंधित सरकारी विभाग से बचत बैंक खाते खोलने के लिए प्राधिकार प्रस्तुत किया गया हो।
8. ग्रामीण क्षेत्रों में महिला एवं बाल विकास
9. पंजीकृत या अपंजीकृत स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) जो अपने सदस्यों में बचत की आदतें प्रोत्साहित कर रहे हैं।
10. किसान क्लब-विकास स्वयंसेवक वाहिनी (वीवीवी)
उत्तर: कंपाउंडिंग पर लगाई जाने वाली दंड की राशि की गणना संबंधी मार्गदर्शी सिद्धांत ‘फेमा, 1999 के तहत उल्लंघनों की कंपाउंडिंग’ विषय पर दिनांक 01 जनवरी 2016 को जारी मास्टर निदेश (04 जनवरी 2021 को अद्यतन) के पैराग्राफ 7.4 में दिये गए हैं। उक्त मास्टर निदेश रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर उपलब्ध है जिसे /hi/web/rbi/-/notifications/master-direction-compounding-of-contraventions-under-fema-1999-updated-as-on-may-24-2022-10190 लिंक से डाउनलोड किया जा सकता है।
तथापि, यह नोट किया जाए की उपर्युक्त के अनुसार मार्गदर्शी ढांचा केवल विभिन्न कार्यालयों में कंपाउंडिंग प्राधिकारियों द्वारा लगाई जानेवाली दंड की राशि को मोटे तौर पर मानकीकृत करने के प्रयोजन के लिए है तथा दंड की वास्तविक राशि मेँ फेमा, 1999 के अंतर्गत उल्लंघनों की कम्पाउंडिंग पर मास्टर निदेश (दिनांक 1 जनवरी 2016 का मास्टर निदेश सं. 4/ 2015-16 जिसे 04 जनवरी 2021 को अद्यतन किया गया है) के पैराग्राफ सं. 7.3 में दिए गए तथ्यों को ध्यान में लेते हुए मामले की परिस्थितियों के आधार पर परिवर्तन हो सकता है।
उत्तर. दोनों प्रकार के लघु पीपीआई पुनः लोड करने योग्य हैं और इनका उपयोग केवल वस्तुओं और सेवाओं की खरीद के लिए किया जाएगा। उनकी मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:
₹10,000/- तक के पीपीआई (नकद लोडिंग सुविधा के साथ):
ए) किसी भी माह के दौरान लोड की गई राशि ₹10,000/- से अधिक नहीं होगी;
बी) वित्तीय वर्ष के दौरान लोड की गई कुल राशि ₹1,20,000/- से अधिक नहीं होगी;
सी) किसी भी समय बकाया राशि ₹10,000/- से अधिक नहीं होगी;
डी) किसी भी महीने के दौरान डेबिट की गई कुल राशि ₹10,000/- से अधिक नहीं होगी;
ई) पीपीआई 24 महीने के भीतर पूर्ण-केवाईसी पीपीआई में परिवर्तित किए जाएंगे; तथा
एफ) लोडिंग / पुनः लोडिंग नकद अथवा इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से हो सकेगी।
₹10,000/- तक के पीपीआई (नकद लोडिंग सुविधा के बिना):
ए) किसी भी माह के दौरान लोड की गई राशि ₹10,000/- से अधिक नहीं होगी;
बी) वित्तीय वर्ष के दौरान लोड की गई कुल राशि ₹1,20,000/- से अधिक नहीं होगी;
सी) किसी भी समय बकाया राशि ₹10,000/- से अधिक नहीं होगी;
डी) लोडिंग/पुनः लोडिंग बैंक खाते/क्रेडिट कार्ड/पूर्ण-केवाईसी पीपीआई से होगी; तथा
ई) 24 दिसंबर 2019 को मौजूदा लघु पीपीआई (नकद लोडिंग सुविधा के साथ) को, पीपीआई धारक द्वारा चाहने पर, ऐसे पीपीआई में परिवर्तित किया जा सकता है।
समाधान ढ़ांचे के तहत केवल ऐसी समाधान योजनाओं पर विचार किया जाएगा, जिन्हें सीआरए से अवशिष्ट ऋण के लिए आरपी4 या इससे बेहतर का क्रेडिट अभिमत मिलता है। यदि एक से अधिक सीआरए से क्रेडिट अभिमत लिया जाता है, तो ऐसे सभी क्रेडिट अभिमत आरपी4 या बेहतर होने चाहिए।
उत्तर: हां, एनईएफटी का उपयोग देश में एनआरई और एनआरओ खातों से/में निधि अंतरण के लिए किया जा सकता है। हालांकि, यह विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 2000 (फेमा) और वायर ट्रांसफर दिशानिर्देशों के प्रावधानों के पालन के अधीन है।
उत्तर
बीएसबीडीए खोलने के लिए किसी प्रारंभिक जमा की कोई आवश्यकता नहीं है।
उत्तर: घरेलू / अपतटीय संस्थागत निवेशक, विशेष रूप से बीमा और पेंशन फंड, आईडीएफ द्वारा जारी इकाइयों और बांडों के माध्यम से निवेश कर सकते हैं।
- नहीं अभी तक ऐसा नहीं है।
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प्राथमिक नीलामी के लिए वेब-आधारित प्लेटफॉर्म पर कार्य हालांकि प्रगति पर है और जब यह पूरा हो जाएगा, निवेशक आईआईबी सहित जी-सेक के प्राथमिक नीलामी में भाग ले सकेंगे।
इस योजना के तहत, रिज़र्व बैंक एडी श्रेणी-I, एडी श्रेणी-II और एफएफएमसी को उनके विकल्प पर सीमित मुद्रा परिवर्तन कारोबार अर्थात विदेशी मुद्रा नोटों, सिक्कों या यात्री चेकों का परिवर्तन भारतीय रुपये में करने के उद्देश्य से एजेंसी या फ्रैंचाइज़ी समझौता करने की अनुमति देता है।
फ्रैंचाइज़ी कोई भी ऐसी इकाई हो सकती है जिसके पास कारोबार करने का स्थान हो और जिसकी निवल स्वामित्व निधि न्यूनतम 10 लाख रुपये हो। फ्रैंचाइजी केवल प्रतिबंधित मुद्रा परिवर्तन व्यवसाय ही कर सकते हैं।
फ्रैंचाइज़र के रूप में कोई एडी श्रेणी-I बैंक / एडी श्रेणी- II / एफएफएमसी को यह स्वतंत्रता होगी कि वह फ्रैंचाइज़ी के साथ आपसी समझौते के माध्यम से इस व्यवस्था की समयावधि और कमीशन अथवा शुल्क के संबंध में निर्णय ले सके। किए जाने वाले एजेंसी/फ्रैंचाइज़ी करार में निम्नलिखित मुख्य विशेषताएं शामिल होनी चाहिए:-
ए. फ़्रैंचाइज़ी को अपने फ़्रैंचाइज़र का नाम, विनिमय दर के साथ-साथ इस बात को भी प्रदर्शित करना होगा कि वे केवल विदेशी मुद्रा खरीदने के लिए अधिकृत हैं, मुख्य रूप से अपने कार्यालयों में । विदेशी मुद्रा को रुपये में बदलने के लिए विनिमय दर एडी श्रेणी-I बैंक/प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-II/ एफएफएमसी द्वारा उनकी शाखाओं में लगायी जाने वाली दैनिक विनिमय दरों के समान या उसके करीब होनी चाहिए।
बी. फ्रैंचाइजी द्वारा खरीदी गई विदेशी मुद्रा को खरीद की तारीख से 7 कार्य दिवसों के भीतर उसके फ्रैंचाइज़र के पास ही सौंपा जाना चाहिए।
सी. फ्रैंचाइज़ी द्वारा लेनदेन का अभिलेख समुचित रूप से रखना ।
डी. फ़्रैंचाइज़र द्वारा फ़्रैंचाइजी का ऑन-साइट निरीक्षण वर्ष में कम से कम एक बार किया जाना चाहिए।
उत्तर: भारत में निवास करने वाले व्यक्ति भारत के दौरे पर आए भारत के बाहर के निवासी व्यक्ति के रहने- खाने तथा उससे संबंधित सेवाओं अथवा भारत में आने जाने तथा उसके भीतर की गई यात्रा के संबंध में किए गए व्यय के प्रति भारतीय रुपये में भुगतान करने के लिए स्वतंत्र है।
यदि कोई बैंक परिसमापन में जाता है, तो डीआईसीजीसी परिसमापक को दावा सूची प्राप्त होने की तारीख से दो महीने के भीतर प्रत्येक जमाकर्ता की पांच लाख रुपये तक की दावा राशि का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है। परिसमापक को प्रत्येक बीमित जमाकर्ता को उनकी दावा राशि के अनुरूप दावा राशि का वितरण करना होता है।
यदि एक बैंक का पुनर्निर्माण या समामेलन / दूसरे बैंक के साथ विलय किया जाता है: डीआईसीजीसी संबंधित बैंक को जमा की पूरी राशि या उस समय लागू बीमा कवर की सीमा के बीच का अंतर, जो भी कम हो और पुनर्गठन / समामेलन योजना के तहत उसके द्वारा प्राप्त राशि को हस्तांतरिती बैंक / बीमित बैंक / हस्तांतरिती बैंक, जो भी हो, के मुख्य कार्यकारी अधिकारी से दावा सूची की प्राप्ति की तारीख से दो महीने के भीतर भुगतान करता है।
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास अधिनियम (एमएसएमईडी), 2006 के अधिनियमन के साथ, एमएसएमई इकाइयों द्वारा आपूर्ति की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं के लिए, खरीदारों द्वारा भुगतान निम्नानुसार किया जाना है:
(i) क्रेता को उसके और आपूर्तिकर्ता के बीच लिखित रूप में सहमत तारीख को या उससे पूर्व आपूर्तिकर्ता को भुगतान करना होगा और यदि कोई करार नहीं हुआ हो तो नियत दिन से पूर्व भुगतान करना होगा। आपूर्तिकर्ता और क्रेता के बीच की सहमत अवधि 45 (पैंतालीस) दिनों से अधिक नहीं होगी।
(ii) यदि क्रेता आपूर्तिकर्ता को राशि का भुगतान नहीं कर पाया तो वह राशि पर नियत दिन या निर्धारित तारीख से रिज़र्व बैंक द्वारा अधिसूचित बैंक दर का तीन गुना चक्रवृद्धी ब्याज, मासिक आधार पर भुगतान करने हेतु बाध्य होगा।
(iii) आपूर्तिकर्ता द्वारा माल की आपूर्ति या दी गई सेवा के लिए क्रेता उक्त (ii) में सूचित ब्याज के भुगतान हेतु बाध्य होगा।
(iv) किसी देय राशि में विवाद होने पर संबंधित राज्य सरकार द्वारा गठित माइक्रो और लघु उद्यम सुविधा सेवा परिषद से संपर्क किया जाएगा।
बड़े कॉर्पोरेट उधारकर्ताओं द्वारा एमएसई को भुगतान संबंधी दायित्वों के निर्वहन के लिए, बैंकों को सूचित किया गया है कि वे अपने बड़े कॉर्पोरेट उधारकर्ताओं (अर्थात बैंकिंग प्रणाली से ₹10 करोड़ और उससे अधिक की कार्यशील पूंजी सीमा का लाभ लेने वाले उधारकर्ता) को ऋण सीमा स्वीकृत/नवीनीकरण करते समय समग्र सीमाओं के भीतर, विशेष रूप से एमएसई से खरीद के संबंध में नकद आधार पर या बिल के आधार पर भुगतान दायित्वों को पूरा करने के लिए, अलग से उप-सीमाएं तय करें।
बैंकों को यह भी सूचित किया गया था कि वे उप-सीमाओं में परिचालनों, विशेष रूप से एमएसई आपूर्तिकर्ताओं को देय राशि की सीमा के संदर्भ में, अपने कॉर्पोरेट उधारकर्ताओं से समय-समय पर पता लगाकर, एमएसई इकाइयों को उनके कॉर्पोरेट उधारकर्ताओं द्वारा देय राशि, की बारीकी से निगरानी करें तथा यह सुनिश्चित करें कि कार्पोरेट इस प्रयोजन हेतु सृजित उप-सीमा में उपलब्ध शेष राशि का उपयोग करके 'नियत दिन'/सहमत तिथि से पहले इस तरह के बकाया का भुगतान करें। (दिनांक 16 अक्तूबर 2000 के परिपत्र आईईसीडी/5/08.12.01/2000-01 तथा दिनांक 30 मई 2003 को पुनः दोहराए गए परिपत्र आईईसीडी.सं.20/08.12.01/2002-03 को देखें)।
उत्तर: हाँ।
प्रतिक्रिया:
क्र सं | जमा का प्रकार | परिपक्वता पर मूलधन का पुनर्भुगतान | परिपक्वता पर ब्याज का पुनर्भुगतान |
i. | अल्पावधि बैंक जमा (एसटीबीडी)* | मोचन के समय जमा किए गए सोने के मूल्य के बराबर सोने या आईएनआर में | जमा के समय भारतीय रुपये के संदर्भ में सोने के मूल्य के संदर्भ में भारतीय रुपये (आईएनआर) में। |
ii. | मध्यम अवधि सरकारी जमा (एमटीजीडी) | मोचन के समय जमा किए गए सोने के मूल्य के बराबर सोने या आईएनआर में | जमा के समय भारतीय रुपये के संदर्भ में सोने के मूल्य के संदर्भ में आईएनआर में। |
iii. | दीर्घकालिक सरकारी जमा (एलटीजीडी) | मोचन के समय जमा किए गए सोने के मूल्य के बराबर सोने या आईएनआर में | जमा के समय भारतीय रुपये के संदर्भ में सोने के मूल्य के संदर्भ में आईएनआर में। |
* 05 अप्रैल 2021 से प्रभावी |
सभी प्रकार की जमाराशियों के मामले में, जमा करने के समय मूलधन को सोने या उसके समकक्ष रुपये के मोचन का विकल्प प्राप्त किया जाएगा। इसके अलावा, एमएलटीजीडी का कोई भी समय से पहले मोचन केवल भारतीय रुपये में होगा, जबकि एसटीबीडी के मामले में यह बैंकों द्वारा निर्धारित किया जाएगा।
The complainant is required to give details such as, his/her name and address, the name and address of the branch or office of the NBFC against which the complaint is made, facts giving rise to the complaint supported by documents, if any, the nature and extent of the loss caused to the complainant, the relief sought from the NBFC Ombudsman and a declaration that the complaint is maintainable under Clause 9A of the Scheme.
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जिन बैंकों के माध्यम से प्रतिभूतियाँ खरीदी गई वे इन ग्राहकों को अन्य उपभोक्ता सेवा उपलब्ध कराएंगे।
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निवेशक अन्य सेवाओं जैसे पता में परिवर्तन, शीघ्र मोचन, नामांकन, ग्रहणाधिकार इत्यादि के लिए बैंक से संपर्क कर सकते हैं।
उत्तर. आवेदन की विस्तृत प्रक्रिया भुगतान प्रणाली के लिए पहुँच मानदंड पर दिनांक 17 जनवरी 2017 के मास्टर निदेश डीपीएसएस.सीओ.ओडी.सं.1846/04.04.009/2016-17 में दी गई है।
सीपीएस की सदस्यता के लिए सभी आवेदन मुख्य महाप्रबंधक, भुगतान और निपटान प्रणाली विभाग (डीपीएसएस), भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई), केंद्रीय कार्यालय, 14वीं मंजिल, केंद्रीय कार्यालय भवन, शहीद भगत सिंह मार्ग, फोर्ट, मुंबई - 400 001, को प्रस्तुत किए जाएंगे।
आवेदन अनुलग्नकों सहित भुगतान प्रणाली के लिए पहुँच मानदंड पर मास्टर निदेश के परिशिष्ट - 1 "केंद्रीकृत भुगतान प्रणाली की सदस्यता के लिए आवरण पत्र" में निर्धारित प्रारूप में होना चाहिए।
उत्तर: ट्रेड्स सहित सभी प्राधिकृत भुगतान प्रणाली ऑपरेटरों (पीएसओ) की सूची निम्नलिखित लिंक पर उपलब्ध है www.rbi.org.in → "भुगतान और निपटान प्रणाली" ड्रॉप डाउन → " ग्राहकों के लिए उपयोगी सूचना" → "प्राधिकृत संस्थाओं की सूची - भुगतान प्रणाली परिचालक”। यह निम्नलिखित वेब लिंक पर उपलब्ध है: /en/web/rbi/-/publications/certificates-of-authorisation-issued-by-the-reserve-bank-of-india-under-the-payment-and-settlement-systems-act-2007-for-setting-up-and-operating-payment-system-in-india-12043
Ans : User institutions enjoy many advantages as well. For instance,
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Savings on administrative machinery and costs of printing, dispatch and reconciliation of paper instruments that would have been used had beneficiaries not opted for ECS Credit.
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Avoid chances of loss / theft of instruments in transit, likelihood of fraudulent encashment of paper instruments, etc. and subsequent correspondence / litigation.
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Efficient payment mode ensuring that the beneficiaries get credit on a designated date.
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Cost effective.
क. दिवंगत व्यक्ति जमाकर्ता के नाम अथवा दो या अधिक संयुक्त जमाकर्ताओं के नाम रखी गयी मीयादी जमाराशि जिनमें एक जमाकर्ता की मृत्यु हो गई हो, के मामले में परिपक्व हो चुकी जमाराशियों पर ब्याज का भुगतान करने के लिए अलग-अलग बैंकों को अपने विविक से नियम निर्धारित करने की छूट है बशर्ते इस संबंध में उनके निदेशक मंडल द्वारा पारदर्शी नीति बनाई गई हो।
ख. दिवंगत व्यक्ति जमाकर्ता / एकमात्र स्वामित्व प्रतिष्ठान के नाम में रखे गये चालू खाते के शेष के मामले में ब्याज 1 मई 1983 से या जमाकर्ता की मृत्यु की तारीख से, इनमें से जो भी बाद में हो, से लेकर दावेदार / दावेदारों को चुकौती की तारीख तक, भुगतान की तारीख को बचत खातों पर लागू ब्याज दर पर देय होगा। फिर भी, एनआरई जमाराशियों के मामलों में, यदि दावेदार निवासी हैं, परिपक्वता पर जमाराशि को घरेलू रुपये के तौर पर माना जाएगा तथा बाद की अवधि के लिए, समान परिपक्वता वाली घरेलू जमाराशि पर लागू दर पर ब्याज का भुगतान किया जाएगा।
Residents are permitted to hold foreign currency up to US$2,000 or its equivalent provided the foreign exchange was -
- acquired by him while on a visit to any place outside India by way of payment for services not arising from any business in or anything done in India;
or
- acquired by him, from any person not resident in India and who is on a visit to India, as honorarium or gift or for services rendered or in settlement of any lawful obligation,
or
- acquired by him by way of honorarium or gift while on a visit to any place outside India;
or
- acquired by him from an authorised person for travel abroad and represents the unspent amount thereof.
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