FAQs on Overseas Direct Investment
उत्तर: हाँ, इंटरनेशनल क्रेडिट कार्ड के जरिये प्राप्त विदेशी मुद्रा अर्जन, जिसके लिए विदेशी मुद्रा में प्रतिपूर्ति की गयी है, सामान्य बैंकिंग चैनल के जरिये विप्रेषण के रूप में माना जा सकता है तथा उसे विदेशी मुद्रा अर्जक विदेशी मुद्रा (ईईएफसी) खाते में जमा किया जा सकता है।
उत्तर. आरटीजीएस प्रेषण शुरू करने के लिए विप्रेषक ग्राहक को बैंक को निम्नलिखित जानकारी प्रस्तुत करनी होगी:
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प्रेषित की जाने वाली राशि
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डेबिट करने के लिए खाता संख्या
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लाभार्थी बैंक और शाखा का नाम
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प्राप्तकर्ता शाखा की आईएफएससी संख्या
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लाभार्थी ग्राहक का नाम
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लाभार्थी ग्राहक की खाता संख्या
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प्रेषक से प्राप्तकर्ता की जानकारी, यदि कोई हो
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प्रेषक और लाभार्थी कानूनी इकाई पहचानकर्ता (पात्र लेनदेन के लिए)
उत्तर. पीपीआई जिन्हें जारी करने से पहले आरबीआई के अनुमोदन / प्राधिकरण की आवश्यकता होती है, उन्हें दो प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है:
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ए. लघु पीपीआई (अथवा न्यूनतम-विवरण पीपीआई) : ये पीपीआई बैंकों और गैर-बैंकों द्वारा पीपीआई धारक के न्यूनतम विवरण प्राप्त करने के बाद जारी किए जाते हैं। इन पीपीआई का उपयोग स्पष्ट रूप से पहचाने गए व्यापारी स्थानों / प्रतिष्ठानों के समूह में वस्तुओं और सेवाओं की खरीद के लिए किया जा सकता है, जिनका जारीकर्ता (अथवा भुगतान एग्रीगेटर / भुगतान गेटवे के माध्यम से अनुबंध) के साथ पीपीआई को भुगतान लिखतों के रूप में स्वीकार करने के लिए एक विशिष्ट अनुबंध है। ऐसे पीपीआई से निधियों के अंतरण अथवा नकद आहरण की अनुमति नहीं है।
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बी. पूर्ण-केवाईसी पीपीआई : पीपीआई धारक के संबंध में अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) पूरा करने के बाद बैंकों और गैर-बैंकों द्वारा ये पीपीआई जारी किए जाते हैं। इन पीपीआई का उपयोग वस्तुओं और सेवाओं की खरीद, निधियों के अंतरण अथवा नकद आहरण के लिए किया जा सकता है।
जिन एनबीएफसी को भारतीय लेखा मानक (इंडएएस) का पालन करने की आवश्यकता है, वे पहले की तरह, ऋण जोखिम में महत्वपूर्ण बढ़त की पहचान और प्रत्याशित ऋण हानि की गणना के लिए अपने बोर्ड द्वारा विधिवत अनुमोदित दिशानिर्देश और आईसीएआई के परामर्श से निर्देशित होंगी। तथापि दिनांक 6 अगस्त 2020 के परिपत्र में बताए गए अतिरिक्त प्रावधान, भारतीय लेखा मानक के कार्यान्वयन पर दिनांक 13 मार्च 2020 के परिपत्र विवि(एनबीएफसी).सीसी.पीडी.सं. 109/22.10.106/2019-20 के अनुबंध के पैरा 2 के प्रयोजन के लिए विवेकपूर्ण आधार होंगे।
उत्तर: ट्रेड्स में, एफ़यू को या तो एमएसएमई विक्रेता या खरीदार द्वारा बनाया जा सकता है। यदि एमएसएमई विक्रेता इसे बनाता है, तो इस प्रक्रिया को फैक्टरिंग कहा जाता है; यदि इसे कॉर्पोरेट्स या अन्य खरीदारों द्वारा बनाया जाता है, तो इसे रिवर्स फैक्टरिंग कहा जाता है।
प्रतिक्रिया: इस योजना में निम्नलिखित प्रकार की जमाराशियों की परिकल्पना की गई है: –
क्र.सं. | जमा का प्रकार | अवधि | न्यूनतम लॉक-इन अवधि | लागू ब्याज दर | ब्याज भुगतान की आवधिकता |
i. | अल्पकालिक बैंक जमा (एसटीबीडी) | 1-3 वर्ष | बैंकों द्वारा निर्धारित अनुसार | बैंकों द्वारा निर्धारित अनुसार | बैंकों द्वारा निर्धारित अनुसार |
ii. | मध्यम अवधि सरकारी जमा (एमटीजीडी) | 5-7 वर्ष | 3 वर्ष | 2.25% p.a. | साधारण ब्याज वार्षिक या परिपक्वता के समय संचयी ब्याज वार्षिक रूप से संयोजित। |
iii. | दीर्घकालिक सरकारी जमा (एलटीजीडी) | 12-15 वर्ष | 5 वर्ष | 2.50% p.a. | साधारण ब्याज वार्षिक या परिपक्वता के समय संचयी ब्याज वार्षिक रूप से संयोजित। |
12 मई 2017 को भारत सरकार द्वारा अधिसूचित किए गए विनिर्दिष्ट बैंक नोट (अधिहरण किए गए नोटों को जमा किया जाना) नियम, 2017 के अनुसार, जहां विनिर्दिष्ट बैंक नोटों का विधि प्रवर्तन अभिकरणों द्वारा अधिहरण किया गया है या अभिग्रहण किया गया है या 30 दिसंबर, 2016 को या इससे पूर्व किसी न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया है, तो ऐसे विनिर्दिष्ट नोटों को अधिनियम की धारा 4 की उपधारा (1) के अधीन किसी बैंक खाते में जमा करने के लिए या वैध मुद्रा में उनके मूल्य में विनिमय के लिए निम्नलिखित शर्तों के अधीन रहते हुए दिया जा सकेगा, अर्थात :
(a) अधिहरण किए गए विनिर्दिष्ट बैंक नोटों को किसी व्यक्ति को लौटाया जाता है जो उस न्यायालय के समक्ष लंबित मामले में एक पक्षकार है, तब व्यक्ति न्यायालय के निर्देश को प्रस्तुत करने पर ऐसे विनिर्दिष्ट नोटों को जमा करने या विनिमय करने का पात्र होगा, जिनकी क्रम संख्या –
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को उस विधि प्रवर्तन अभिकरण द्वारा, जिसने उनका अधिहरण किया था या न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया है, नोट कर लिया गया है; और
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का न्यायालय के निदेश पर वर्णन किया गया है;
(b) विनिर्दिष्ट बैंक नोटों का केंद्रीय सरकार या राज्य सरकार के पक्ष में न्यायालय के किसी आदेश द्वारा समपहरण किए जाने की दशा में वह सरकार न्यायालय के निदेश को प्रस्तुत करने पर ऐसे विनिर्दिष्ट बैंक नोटों को जमा करने या उनका विनिमय करने की हकदार होगी; या
(c) विनिर्दिष्ट बैंक नोटों को 30 दिसंबर 2016 को या उससे पूर्व न्यायालय के आदेश द्वारा किसी अन्य व्याकति की अभिरक्षा में रखे जाने की दशा में वह व्यक्ति न्यायालय के निदेश को प्रस्तुत करने पर ऐसे विनिर्दिष्ट बैंक नोटों को जमा करने या विनिमय करने का हकदार होगा, जिनकी क्रम संख्या–
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को उस विधि प्रवर्तन अधिकरण द्वारा, जिसने उनका अधिहरण किया था या न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया था, नोट कर लिया गया है; और
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का न्यायालय के निदेश पर वर्णन किया गया है ।
ये नियम 30 दिसंबर 2016 के पश्चात अधिहरण किए गए या अभिग्रहण किए गए विनिर्दिष्ट बैंक नोटों पर लागू नहीं होंगे ।
विनिर्दिष्ट बैंक नोट (अधिहरण किए गए नोटों का जमा किया जाना) नियम 2017 के अनुसार अधिहरण किए गए विनिर्दिष्ट बैंक नोट स्वीकार करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक के विनिर्दिष्ट कार्यालय निम्न हैं-
अहमदाबाद, बैंगलुरू, बेलापुर, भोपाल, भुवनेश्वर, चण्डीगढ़, चेन्ने, गुवाहाटी, हैदराबाद, जयपुर, जम्मू, कानपुर, कोलकाता, लखनऊ, मुंबई, नागपुर, नई दिल्ली, पटना तथा तिरूवन्नतपुरम
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डबल्यूपीआई शृंखला प्रत्येक 10 वर्ष या अधिक वर्षों (उदा.1981-82, 1993-94 और 2004-05 में डबल्यूपीआई शृंखला के आधार वर्ष में परिवर्तन किया गया)
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आधार वर्ष में किसी भी संशोधन को आधार वर्षों को जोड़कर निपटाया जाएगा ताकि बॉन्ड जारी करने की तारीख के बाद से अनुक्रमण उद्देश्य के लिए उसी आधार वर्ष के साथ एक सुसंगत डब्ल्यूपीआई श्रृंखला उपलब्ध हो।
ऋण देने के लिए क्लस्टर आधारित दृष्टिकोण का उद्देश्य एमएसई क्षेत्र की विविध आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक पूर्ण-सेवा दृष्टिकोण प्रदान करना है जिसे मान्यता प्राप्त एमएसई समूहों को बैंकिंग सेवाओं के विस्तार के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है। क्लस्टर-आधारित दृष्टिकोण, (ए) स्पष्ट परिभाषित और मान्यता प्राप्त समूहों के साथ कारोबार करने में (बी) जोखिम मूल्यांकन के लिए उपयुक्त जानकारी की उपलब्धता (ग) ऋणदाता संस्थानों द्वारा निगरानी और (घ) लागत कम करने में, अधिक फायदेमंद हो सकता है।
अतः बैंकों को सूचित किया गया है कि वे इसे एक प्रमुख क्षेत्र के रूप में मानें और एसएमई वित्तपोषण के लिए इसे तेज गति से अपनाएं। बैंकों को यह भी सूचित किया गया है कि वे विभिन्न एमएसई समूहों में अधिक एमएसई केंद्रित शाखा कार्यालय खोलें जो एमएसई के लिए परामर्श केंद्र के रूप में भी कार्य कर सकते हैं। जिले का प्रत्येक अग्रणी बैंक कम से कम एक क्लस्टर को अपनाए (दिनांक 29 जून 2010 के परिपत्र ग्राआऋवि.एसएमई और एनएफएस.सं.बीसी.90/06.02.31/2009-10 को देखें)।
उत्तर: निवासी किसी सीमा के बिना विदेशी सिक्के धारित कर सकते हैं।
उत्तर: इस संबंध में परिचालन संबंधी विस्तृत दिशानिर्देश दिनांक 17 मार्च 2020 के ए.पी.(डीआईआर शृंखला) परिपत्र सं.22 तथा समय-समय पर यथासंशोधित माल तथा सेवाओं के निर्यात पर 1 जनवरी 2016 के मास्टर निदेश सं.16/2015-16 में उपलब्ध हैं।
उत्तर: नेपाल और भूटान के निवासी व्यक्ति भारत में प्राधिकृत व्यापारी के पास भारतीय रुपया (आईएनआर) खाता खोल सकते हैं।
A.(8 to 13) The requirement is that the companies in the Promoter Group in which the public hold not less than 51 per cent of the voting equity shares shall hold not less than 51 per cent of the total voting equity shares of the NOFHC.[ para 2 (C) (ii) (b) of the guidelines]
A company in which public holds 51 per cent need not necessarily be listed. For the purpose of these guidelines, ‘public shareholding’ implies that no person along with his relatives (as defined in Section 6 of the Companies Act, 1956) and entities in which he and / or his relatives hold not less than 50 per cent of the voting equity shares, by virtue of his shareholding or otherwise, exercises ‘significant influence’ or ‘control’ (as defined in Accounting Standard 23) over the company.
उत्तर. आरटीजीएस में सदस्यता के प्रकारों का विवरण आरटीजीएस प्रणाली से संबंधित विनियमावली के अध्याय 4 में वर्णित है। गैर-बैंक पीएसपी के द्वारा किए जा रहे लेनदेनों के प्रकार के आधार पर उनके लिए आरटीजीएस में सदस्यता के प्रकार को रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित किया जाएगा।
उत्तर: कार्डधारक अपने कार्ड जारीकर्ता के पास शिकायत दर्ज करा सकता है। यदि कार्ड जारीकर्ता निर्धारित समय के भीतर जवाब नहीं देता है, या इस प्रकार प्राप्त उत्तर संतोषजनक नहीं है, निवारण के लिए कार्डधारक के पास रिज़र्व बैंक - एकीकृत लोकपाल योजना, 2021 (समय-समय पर संशोधित) का सहारा होगा।
उत्तर
'आधारभूत बचत बैंक जमा खाता' प्रारम्भ करने का उद्देश्य वित्तीय समावेशन उद्देश्यों को आगे बढ़ाने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक के प्रयासों का हिस्सा है। 13 दिसंबर 2005 के आरपीसीडी परिपत्र आरपीसीडी.आरएफ.बीसी.54/07.38.01/2005-06 और दिनांक 27 दिसंबर 2005 के परिपत्र सं आरपीसीडी.सीओ.सं.आरआरबी.बीसी.58/03.05.33(एफ)/2005-06 के तहत 'नो-फ्रिल्स' खाते के रूप में पहले खोले गए सभी खातों का नाम 22 अगस्त 2012 के हमारे परिपत्र ग्राआऋवि.सीओ.आरआरबी.आरसीबी.बीसी.सं.24/07.38.01/2012-13 के पैराग्राफ 2 में निहित निर्देशों के अनुसार बदलकर बीएसबीडीए कर दिया जाना चाहिए। और 22 अगस्त 2012 के हमारे परिपत्र आरपीसीडी.सीओ.आरआरबी.आरसीबी.बीसी.सं.24 के जारी होने के बाद से खोले गए सभी नए खातों को बैंकों द्वारा आरपीसीडी, केंद्रीय कार्यालय को प्रस्तुत वित्तीय समावेशन योजनाओं की प्रगति की मासिक रिपोर्ट के तहत सूचित किया जाना चाहिए।
उत्तर: एसीयू प्रणाली में शामिल देशों के साथ किए जाने वाले व्यापार लेनदेन समय-समय पर यथासंशोधित अधिसूचना सं. फेमा 14 (आर) के विनियम 3(1)(ए) और विनियम 5(1)(ए) द्वारा शासित होते हैं और वे एसीयू प्रणाली के तहत या उक्त व्यवस्था में परिभाषित प्रक्रिया के अनुसार समाशोधित किए जाते हैं। अतः, एसीयू व्यवस्था में शामिल देशों के बीच के लेनदेन को एसएनआरआर व्यवस्था से इतर मौजूदा निर्देशों के अनुसार अलग-अलग और सुस्पष्ट रखा जाएगा।
One may lodge his/ her complaint with the office of the NBFC Ombudsman under whose jurisdiction, the alleged NBFC branch is situated. (Click here for address and area of operation of the NBFC Ombudsman).
For complaints relating to types of services with centralized operations, complaints may be filed before the NBFC Ombudsman within whose territorial jurisdiction the billing address of the customer is located.
बैंकों को अपने संग्रह काउंटरों पर चेक ड्रॉप बॉक्स सुविधा और पावती सुविधा दोनों प्रदान करने की आवश्यकता है। यदि ग्राहक बैंक शाखा के काउंटर पर चेक प्रस्तुत करते समय इसकी मांग करता है तो कोई भी बैंक शाखा ग्राहक को पावती देने से इंकार नहीं कर सकती है।
उत्तर: हां, तथापि बीओ के लेनदेन को अपने नामित आईएनआर खाते तक सीमित होना चाहिए और उसे एजेंट के विदेशी मुद्रा खाते के माध्यम से कोई लेनदेन नहीं करना चाहिए।
उत्तर: हां, जिस व्यक्ति के पास बैंक खाता नहीं है, वह एनईएफटी के माध्यम से किसी अन्य एनईएफटी सदस्य बैंक के साथ लाभार्थी के बैंक खाते में धन भेज सकता है। यह किसी भी बैंक की निकटतम एनईएफटी सक्षम शाखा में अतिरिक्त विवरण जैसे कि पूरा पता, टेलीफोन नंबर आदि प्रस्तुत कर, नकद जमा करके किया जा सकता है। इस तरह के नकद प्रेषण, हालांकि, प्रति लेनदेन अधिकतम ₹50,000 तक सीमित रहेंगे।
उत्तर. फैक्टशीट में शामिल बीमा शुल्क केवल क्रेडिट लिंक्ड बीमा उत्पाद के लिए हैं क्योंकि ये शुल्क सूक्ष्मवित्त ऋण से संबंधित हैं। यदि किसी उधारकर्ता ने ऋण नहीं लिया होता तो उसे इन शुल्कों को वहन नहीं करना पड़ता। फैक्टशीट में केवल सूक्ष्मवित्त ऋणों के मूल्य निर्धारण से संबंधित जानकारी होनी चाहिए ताकि इसे सुव्यवस्थित रखा जा सके। अन्य गैर-क्रेडिट उत्पादों से संबंधित प्रकटीकरण निदेश के पैरा 7.1.51 के तहत उल्लिखित फैक्टशीट से पृथक प्रदान किए जाने चाहिए। सभी गैर-ऋण उत्पाद (वित्तीय उत्पाद जैसे निवेश उत्पाद, बीमा उत्पाद आदि के साथ-साथ गैर-वित्तीय उत्पाद जैसे सौर लालटेन, सिलाई मशीन आदि) केवल उधारकर्ता की स्पष्ट सहमति के साथ प्रदान किए जाने चाहिए और आरई को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उधारकर्ता को दिए गए ऋण और अन्य गैर-क्रेडिट उत्पादों के बीच कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संबंध नहीं है। कोई भी ऋण उत्पाद के लिए पूर्व शर्त के रूप में किसी भी गैर-ऋण उत्पाद की बिक्री नहीं की जाएगी। आरई को प्रमुखता से प्रदर्शित2 करना चाहिए कि सूक्ष्मवित्त उधारकर्ताओं द्वारा किसी भी गैर-क्रेडिट उत्पाद की खरीद विशुद्ध रूप से स्वैच्छिक आधार पर है। आरई के बोर्ड द्वारा अनुमोदित उचित व्यवहार संहिता, जैसा कि निर्देशों के पैरा 7.1.13 के तहत उल्लेख किया गया है, में भी इस पहलू को शामिल करना चाहिए।
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निवेशक प्राधिकृत बैंकों और स्टॉक होल्डिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एसएचसीआईएल) के माध्यम से निवेश कर सकते हैं।
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वे एक आवेदन फॉर्म भरेंगे और उक्त अन्य दस्तावेज़ के साथ प्रस्तुत करेंगे और बैंक कॉ भुगतान करेंगे।
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धन की प्राप्ति पर, बैंक निवेशक को आरबीआई के वेब आधारित प्लेटफॉर्म (ई-कुबेर) पर पंजीकृत करेंगे और और सत्यापन पर, धारिता प्रमाणपत्र जनरेट करेंगे।
उत्तर: हाँ, तथापि, आईडीएफ की इक्विटी और ऋण के लिए प्रायोजक एनबीएफसी / आईएफसी और गैर-प्रायोजक एनबीएफसी / आईएफसी का एक्सपोजर गैर-बैंकिंग वित्तीय (जमाराशि स्वीकार या होल्डिंग नहीं करने) कंपनी विवेकपूर्ण मानदंड (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2007 के पैरा 18 में दिए गए मौजूदा ऋण एकाग्रता मानदंडों द्वारा शासित होगा।
उत्तर: ₹50,000 तक के लेनदेन के लिए, शुल्क इस प्रकार हैं:
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प्रेषण प्रारंभ करने वाला बैंक - अधिकतम ₹5/- प्रति लेनदेन।
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भारतीय स्टेट बैंक - ₹20/- प्रति लेनदेन। एसबीआई इस ₹20/- को एनएसबीएल के साथ ₹10 प्रत्येक पर साझा करेगा। लाभार्थी को क्रेडिट करने के लिए एनएसबीएल कोई अतिरिक्त राशि नहीं लेगा। यदि वह इसके साथ खाता रखता है।
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यदि लाभार्थी एनएसबीएल के साथ खाता नहीं रखता है, तो अतिरिक्त राशि का शुल्क लिया जाएगा- ₹5,000/- तक के प्रेषण के लिए ₹50/- और ₹5,000/- से ऊपर के प्रेषण के लिए ₹75/-
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₹50,000/- से अधिक के लेनदेन के लिए, एसबीआई द्वारा निर्धारित शुल्क लागू होंगे।
सीटीएस के लिए सकारात्मक भुगतान प्रणाली (पीपीएस) एक अतिरिक्त संकेतक है जो एनपीसीआई द्वारा सभी बैंकों को समाशोधन प्रक्रिया और चेक से संबंधित धोखाधड़ी को रोकने के लिए प्रदान की जाती है और पीपीएस भुगतान प्रक्रिया के लिए बैंकों द्वारा अपनाई जाने वाली विवेकपूर्ण प्रथाओं का हिस्सा होगा। इसे चेक भुगतान में ग्राहकों की सुरक्षा बढ़ाने और चेक के पन्नों में छेड़छाड़ के कारण होने वाली धोखाधड़ी की घटनाओं को कम करने के लिए पेश किया गया है।
बैंकों को सलाह दी गई है कि वे 50,000 रुपये और उससे अधिक की राशि के चेक जारी करने वाले सभी खाताधारकों के लिए पीपीएस सुविधा शुरू करें। हालांकि इस सुविधा का लाभ खाताधारक के विवेकाधिकार पर है, बैंक ₹5,00,000 और उससे अधिक की राशि के चेक के मामले में इसे अनिवार्य बनाने पर विचार कर सकते हैं।
One may lodge his/ her complaint at the office of the Banking Ombudsman under whose jurisdiction, the bank branch complained against is situated.
For complaints relating to credit cards and other types of services with centralized operations, complaints may be filed before the Banking Ombudsman within whose territorial jurisdiction the billing address of the customer is located. (Click here for address and area of operation of the Banking Ombudsman)
त्रिपक्षीय करार तीन पक्षों के बीच एक करार है, अर्थात्, रियायती (जैसे कि परियोजना जो बुनियादी ढांचे का विकास कर रही है), परियोजना प्राधिकरण (जैसे एनएचएआई या बुनियादी ढांचा विकसित करने के लिए स्थापित एक सांविधिक निकाय) और आईडीएफ-एनबीएफसी जो सभी पार्टियों को सामूहिक रूप से बाध्य करता है और निम्नलिखित के लिए प्रदान करती हैं:
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वरिष्ठ ऋणदाताओं से प्राप्त रियायतग्राही के ऋण के एक हिस्से का अधिग्रहण;
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रियायतग्राही द्वारा एक चूक, परियोजना प्राधिकरण और रियायतग्राही के बीच समझौते को समाप्त करने की प्रक्रिया को गति देगा;
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परियोजना प्राधिकरण, रियायतग्राही द्वारा जारी बांडों को जिन्हें आईडीएफ-एनबीएफसी द्वारा त्रिपक्षीय करार और उसमें संदर्भित अन्य करारों (अनिवार्य खरीद) के अनुसार समाप्ति भुगतान से खरीदा गया है का मोचन करेगा।
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आईडीएफ-एनबीएफसी द्वारा परियोजना प्राधिकरण को दोनों के बीच परस्पर सहमति के अनुसार देय शुल्क।
Yes. ATS is also available for all applications / letters, etc. submitted physically at the counters of RBI or received through post/courier, provided a valid email id is given in the document. Receipt of all such applications as also its disposal will be advised to the applicant through email.
Additionally, the status of such applications can also be tracked through the ATS number and the password sent to the valid email id of the applicant.
जीएएच (https://www.ndsind.com) यूआरएल के माध्यम से ट्रेडिंग प्लेटफार्म का एक्सेस प्राप्त करता है। यह वेब पर आधारित एनडीएस-ओएम तथा वेब पर आधारित नीलामियों का एक सांझा यूआरएल है। यूआरएल में लाग-इन के बाद जीएएच उपयोगकर्ताओं को विकल्प में एनडीएस-ओएम सिलेक्ट करना होता है। जीएएच की ओर से, प्राथमिक सदस्य सीसीआइएल से लाग-इन/पासवर्ड और आइडीआरबीटी से डिजिटल प्रमाणपत्र की व्यवस्था करेगा।
उत्तर : i) अनुमत चालू खातेगत लेनदेन [विदेशी मुद्रा प्रबंध (चालू खाता लेनदेन) नियमावली, 2000 के उपबंधों के अनुसार)] तथा अनुमत पूँजी खातेगत लेनदेन [विदेशी मुद्रा प्रबंध (अनुमत पूँजी खाता लेनदेन) नियमावली, 2000 के उपबंधों के अनुसार)] के लिए भारत से बाहर किए गए भुगतान।
ii) 100 प्रतिशत निर्यातोन्मुख इकाई अथवा (ए) निर्यात प्रसंस्करण क्षेत्र अथवा (बी) सॉफ्टवेयर टेक्नॉलॉजी पार्क अथवा (सी) इलेक्ट्रॉनिक हार्डवेअर टेक्नॉलॉजी पार्क की ईकाई से खरीदी गयी वस्तुओं की लागत के लिए विदेशी मुद्रा में किये गये भुगतान।
iii) भारत सरकार की उस समय प्रचलित विदेश व्यापार नीति के उपबंधों के अनुसार सीमा शुल्क का भुगतान ।
iv) विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा में उधार लेना और उधार देना) नियमावली, 2000 के अनुपालन की शर्त पर इस प्रकार का खाता धारित करने वाले निर्यातक द्वारा भारत से बाहर के उसके आयातक ग्राहक को प्रदान किए गए व्यापार संबद्ध ऋण/अग्रिम।
v) भारत के निवासी व्यक्ति को माल/ सेवाओं की आपूर्ति, जिसमें हवाई शुल्क और होटल व्यय का भुगतान शामिल है, के लिए विदेशी मुद्रा में किए गए भुगतान ।
उत्तर. लघु पीपीआई दो प्रकार के हो सकते हैं:
ए. ₹10,000/- तक के पीपीआई (नकद लोडिंग की सुविधा के साथ)। इन पीपीआई को 24 महीने के भीतर पूर्ण-केवाईसी पीपीआई में परिवर्तित करना होगा।
बी. ₹10,000/- तक के पीपीआई (नकद लोडिंग सुविधा के बिना)।
उत्तर. आईएफएससी नंबर प्रेषक (ग्राहक) द्वारा अपनी बैंक शाखा से प्राप्त किया जा सकता है। वैकल्पिक रूप से, यह लाभार्थी के चेक पत्र पर उपलब्ध है। यह कोड संख्या / बैंक शाखा की जानकारी लाभार्थी द्वारा प्रेषित ग्राहक को भेजी जा सकती है। आईएफएससी की सूची आरबीआई की वेबसाइट https://rbi.org.in/Scripts/Bs_viewRTGS.aspx?Category=5 पर भी उपलब्ध है। सूची को पाक्षिक आधार पर अद्यतन किया जाता है।
Ans : Yes. In case the information / account particulars contained in the mandate undergo any change, the beneficiary has to notify the changes to the User Institution so that the correct information can be incorporated in its records. This will ensure that transactions do not get rejected at the beneficiary’s bank branch due to inconsistencies/ mismatch in the data sent by the user institution.
उत्तर: एनईएफटी प्रणाली के माध्यम से आउटबाउंड प्रेषण केवल भारत-नेपाल प्रेषण सुविधा (आईएनआरएफ) योजना के तहत नेपाल को ही अनुमति है। इस योजना के तहत, प्रेषक भारत में किसी भी एनईएफटी-सक्षम बैंक शाखाओं से नेपाल में धनराशि स्थानांतरित कर सकता है, भले ही नेपाल में लाभार्थी का नेपाल में बैंक शाखा में खाता हो या नहीं। लाभार्थी को नेपाली रुपये में धन प्राप्त होगा। आईएनआरएफ योजना का विवरण आरबीआई की वेबसाइट /hi/web/rbi/faq-page-2?ddm__keyword__26256231__FaqDetailPage2Title_en_US=Indo-Nepal Remittance Facility scheme पर उपलब्ध है।
उत्तर: टीएलटीआरओ योजना के तहत अधिग्रहीत निर्दिष्ट प्रतिभूतियों के संबंध में जारीकर्ताओं द्वारा पुनर्खरीद के कारण एचटीएम से बिक्री को आरबीआई मास्टर परिपत्र डीबीआर सं.बीपी.बीसी.6/21.04.141/2015-16, दिनांक 1 जुलाई, 2015 के पैरा 2 में निर्धारित प्रकटीकरण सीमा से छूट दी गई है।
टीएलटीआरओ 2.0 से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
7 सितंबर, 2020 के परिपत्र में दिए गए अनुदेश उन सभी उधारकर्ताओं के मामले में लागू होते हैं, जिनके संबंध में समाधान ढ़ांचे पर दिनांक 6 अगस्त, 2020 के परिपत्र के अनुबंध के भाग बी के अनुसार समाधान किया जा रहा है।
उत्तर: नहीं।
यदि किसी ग्राहक को किसी बैंक के खिलाफ भुगतान न करने या भुगतान या चेक की वसूली में अत्यधिक देरी के कारण शिकायत है, तो संबंधित बैंक में शिकायत दर्ज कराई जा सकती है। यदि बैंक 30 दिनों के भीतर जवाब देने में विफल रहता है, तो आप "रिज़र्व बैंक-एकीकृत लोकपाल योजना (आरबी-आईओएस 2021)" के तहत शिकायत कर सकते हैं। शिकायतें https://cms.rbi.org.in पर ऑनलाइन दर्ज की जा सकती हैं, या समर्पित ई-मेल के माध्यम से, या भौतिक मोड में आरबीआई, चौथी मंजिल, सेक्टर 17 में स्थापित 'केंद्रीकृत रसीद और प्रसंस्करण केंद्र' को भेजी जा सकती हैं। चंडीगढ़ - 160 017 निम्नलिखित पथ पर दिए गए प्रारूप में - /documents/87730/38689832/RBIOS2021_12112021_A.pdf। एक टोल-फ्री नंबर - 14448 (सुबह 9:30 बजे से शाम 5:15 बजे तक), बहुभाषी समर्थन के साथ शिकायत दर्ज करने और शिकायत निवारण पर जानकारी दर्ज करने में सहायता लेने के लिए ग्राहकों के लिए उपलब्ध है।
प्रतिक्रिया: ब्याज दर केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित किया जाता है और भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंकों को सूचित किया जाता है।
उत्तर
'आधारभित बचत बैंक जमा खाता' पीएमएल अधिनियम और नियमों के प्रावधानों और समय-समय पर जारी किए गए बैंक खाते खोलने के लिए अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) / धन शोधन निवारण (एएमएल) पर भारतीय रिज़र्व बैंक के निर्देशों के अधीन होगा। बीएसबीडीए को सरलीकृत केवाईसी मानदंडों के साथ भी खोला जा सकता है। हालांकि, यदि सरलीकृत केवाईसी के आधार पर बीएसबीडीए खोला जाता है, तो खातों को अतिरिक्त रूप से "बीएसबीडीए-लघु खाता" के रूप में माना जाएगा और हमारे दिनांक 26 अप्रैल, 2011 के परिपत्र आरपीसीडी.सीओ.आरसीबी.एएमएल बीसी.सं.63/07.40.00/2010-11 और दिनांक 8 अगस्त 2011 के परिपत्र संख्या ग्राआऋवि. सीओ. आरआरबी. एएमएल.बीसी.सं.15/03.05.33(ई)/2011-12 में दर्शाए गए अनुसार ऐसे खातों के लिए निर्धारित शर्तों के अधीन होगा।
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आईआईबी पर ब्याज भुगतान और पूंजीगत लाभों पर वर्तमान कर प्रावधान लागू होंगे।
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इन बॉन्डों के लिए कोई विशेष कर-उपाय नहीं होंगे।
वित्तीय क्षेत्र के उदारीकरण के अंतर्गत, ब्याज वसूलने सहित बैंकों के सभी ऋण संबंधी मामलों को आरबीआई द्वारा अविनियमित किया गया है और यह बैंकों द्वारा उनकी अपनी उधार नीतियों द्वारा नियंत्रित किया जाता है।
मौद्रिक नीति संचारण में सुधार की दृष्टि से, बैंकों को सूचित किया गया है कि वे सूक्ष्म और लघु उद्यमों के ऋणों को 01 अक्टूबर 2019 से एक बाहरी बेंचमार्क से लिंक करें (दिनांक 04 सितंबर 2019 के परिपत्र बैंविवि.डीआईआर.बीसी.सं.14/13.03.00/2019 को देखें)। मौद्रिक नीति दरों के संचारण में और सुधार करने के लिए, यह निर्णय लिया गया है कि 01 अप्रैल 2020 से मध्यम उद्यमों को ऋण बाहरी बेंचमार्क से जोड़ा जाएगा। (दिनांक 26 फरवरी 2020 के परिपत्र विवि.डीआईआर.बीसी.सं.39/13.03.00/2019-20 को देखें)
उत्तर: कोई भी बहुपक्षीय संगठन, जिसका भारत एक सदस्य देश है अथवा उसकी सहायक संस्थाएं/ सम्बद्ध निकाय और उनके भारत में पदस्थ अधिकारी भारत में किसी प्राधिकृत व्यापारी के पास अपना खाता खोल सकते हैं।
उत्तर: डांस ट्रौप्स , कलाकार आई, जो विदेश में सांस्कृतिक यात्रा करना चाहते हैं, को मानव संसाधन विकास मंत्रालय(संस्कृति एवं शिक्षा विभाग) , भारत सरकार, नई दिल्ली से पूर्वानुमोदन प्राप्त करना चाहिए।
स्वैप की कीमत का पुनः निर्धारण एफ़एक्यू के अंत में दिए गए उदाहरण में दिए गए अनुसार किया जाएगा।
उत्तर: हाँ। ट्रेड्स, रिसीवेबल फैक्टरिंग और साथ ही साथ रिवर्स फैक्टरिंग से निपट सकता है।
उत्तर: हां, कृपया रिपोर्टिंग पर जारी मास्टर निदेश /en/web/rbi/-/notifications/master-direction-reporting-under-foreign-exchange-management-act-1999-updated-as-on-may-12-2023-lt-span-gt-10202 लिंक पर देखें। कार्यालय स्थापित करने के लिए पंजीकरण एडी बैंक का अनुमोदन जारी होने के बाद किया जाना है।
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इन प्रतिभूतियों को बॉन्ड लेजर खाता के रूप में जारी किया जाएगा।
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बीएलए के रूप में प्रतिभूतियाँ जारी की जाएगी और आरबीआई के पास व्यवस्थित होगी और इस प्रकार, आरबीआई केंद्रीय डिपॉज़टरी के रूप में कार्य करेगा।
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धारिता प्रमाणपत्र बीएलए में प्रतिभूतियों के धारक को जारी किए जाएंगे।
उत्तर: निम्नलिखित भुगतान एशियाई समाशोधन संघ (एसीयू) के जरिये किये जाने के लिए पात्र हैं -
i) आस्थगित भुगतान शर्त पर एसीयू के सदस्य देशो के बीच निर्यात/ आयात लेनदेनों के लिए; तथा
ii) वे निम्नलिखित प्रश्न सं.10 के अंतर्गत अपात्र नहीं घोषित किए हों।
टिप्पणी: म्यांमार के साथ किए जाने वाले व्यापार लेनदेन का एसीयू व्यवस्था के अतिरिक्त किसी भी मुक्त रूप से परिवर्तनीय मुद्रा में निपटान किया जाए।
पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: दिसंबर 11, 2022