राष्ट्रिक स्वर्ण बॉण्ड योजना
• बॉण्ड की मीयाद समाप्त होने से एक महीना पहले निवेशक को बॉण्ड की मीयाद पूरी होने की सूचना दे दी जाएगी।
• मीयाद पूरी होने की तारीख पर बॉण्ड की परिपक्वता राशि रिकार्ड में दर्ज बैंक खाते में जमा कर दी जाएगी।
• यदि बैंक खाते, ई-मेल पते आदि में कोई परिवर्तन है तो निवेशक को चाहिए कि वह उसकी सूचना बैंक/ एसएचसीआईएल/ डाकघर को तुरंत दे।
उत्तर
बीएसबीडीए में, बैंकों को एटीएम और अन्य मोड के माध्यम से न्यूनतम चार निकासी नि: शुल्क प्रदान करने की आवश्यकता है। चार आहरणों के अलावा, यह बैंकों के विवेक पर छोड़ दिया जाता है कि वे या तो नि:शुल्क पेशकश करें या अतिरिक्त निकासी के लिए शुल्क लें। हालांकि, बैंकों द्वारा उचित, गैर-विवेकाधीन, गैर-भेदभावपूर्ण और पारदर्शी तरीके से बैंकों द्वारा मूल्य निर्धारण संरचना की जानी चाहिए।
- नियत दर जी-सेक की तरह, आईआईबी प्राइमरी डीलरों द्वारा हस्ताक्षरित होंगे।
टीआरईडीएस का उद्देश्य इलेक्ट्रॉनिक बिल फैक्टरिंग एक्सचेंज निर्मित करना है जो इलेक्ट्रॉनिक रूप से बिलों को स्वीकार और भुगतान करें ताकि एमएसएमई बिना देरी के अपनी प्राप्तियों को भुना सकें। यह न केवल उन्हें वित्त तक अधिक पहुंच प्रदान करेगा बल्कि कॉरपोरेट्स को उनके बकाए का समय पर भुगतान करने के लिए उन्हें और अधिक अनुशासित भी बनाएगा। अधिक जानकारी के लिए आप /en/web/rbi/-/guidelines-for-the-trade-receivables-discounting-system-treds-3504 पर टीआरईडीएस की स्थापना और संचालन के लिए रिज़र्व बैंक के दिशानिर्देशों को देख सकते हैं।
उत्तर: शिकायतें https://cms.rbi.org.in पर ऑनलाइन या समर्पित ई-मेल के माध्यम से दर्ज की जा सकती हैं या आरबीआई, चौथी मंजिल, सेक्टर 17, चंडीगढ़ - 160 017 में स्थापित 'केंद्रीकृत रसीद और प्रसंस्करण केंद्र' को भौतिक मोड में निम्नलिखित पथ /documents/87730/38689832/RBIOS2021_12112021_A.pdf. पर दिए गए प्रारूप में भेजी जा सकती है। एक टोल-फ्री नंबर - 14448 (सुबह 9:30 बजे से शाम 5:15 बजे तक) - बहुभाषी समर्थन के साथ शिकायत दर्ज करने और शिकायत निवारण पर जानकारी दर्ज करने में सहायता लेने के लिए ग्राहकों के लिए भी उपलब्ध है।
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चूंकि बैंक के अधीन ग्राहक होंगे, अतः केवाईसी बैंकों द्वारा की जाएगी।
Ans : Yes. It is left to the choice of the individual customer and the ECS user to decide these aspects. The mandate can contain a ceiling on the maximum amount of debit, specify the purpose of debit and validity period of the mandate.
Persons resident in India are permitted to maintain foreign currency accounts in India under following two Schemes:
- EEFC Accounts –
To avoid exchange loss on conversion of foreign exchange into Indian Rupee & Rupee into foreign exchange, residents can retain upto 50% of foreign currency remittances received from abroad in a foreign currency account, viz., EEFC account, with an authorised dealer in India . Funds held in EEFC account can be utilised for current account transactions and also for approved capital account transactions as specified by the extant Rules/Regulations/Notifications/Directives issued by the Government/RBI from time to time.
- RFC Accounts :-
Returning Indians, i.e., those Indians, who were non-residents earlier, and are returning now for permanent stay, are permitted to open, hold and maintain with an authorised dealer in India a Resident Foreign Currency (RFC) Account to keep their foreign currency assets. Assets held outside India at the time of return can be credited to such accounts. The funds in RFC account are free from all restrictions regarding utilisation of foreign currency balances including any restriction on investment outside India. The facility is also available to residents provided foreign exchange to be credited to such account is received out of certain specified type of funds/accounts.
उत्तर: सुरक्षित और सुरक्षित डिजिटल भुगतान सुनिश्चित करने के तरीकों के बारे में जानकारी के लिए आरबीआई का वेबपेज "आरबीआई कहता है" /hi/web/rbi/rbi-kehta-hai पर देखा जा सकता है। इसके अलावा, आरबीआई ने डिजिटल लेनदेन के उपयोगकर्ताओं के लिए बीई (अ) वेयर नामक एक पत्रिका भी लॉन्च की है, जिसे /documents/87730/39016390/BEAWARE07032022.pdf पर देखा जा सकता है।
उत्तर: ग्राहक को एटीएम/डबल्यूएलए में अपने लेनदेन सुरक्षित और प्रतिरक्षित रखने के लिए निम्नलिखित क्या करें और क्या न करें का अनुपालन करना चाहिए:
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ग्राहकों को अपने किसी भी एटीएम/डबल्यूएलए लेनदेन को पूरी गोपनीयता में करना चाहिए।
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एक समय में एटीएम/डबल्यूएलए किओस्क में केवल एक ही कार्ड धारक का प्रवेश/पहुँच होनी चाहिए।
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कार्ड धारक को अपना कार्ड कभी भी किसी को नहीं देना चाहिए।
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कार्ड के ऊपर पिन संख्या न लिखें।
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कार्ड धारक को अपना पिन किसी को भी नहीं बताना चाहिए।
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एटीएम में पिन संख्या दर्ज करते समय कभी भी किसी को अपना पिन नंबर नहीं देखने देना चाहिए ।
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कभी भी ऐसे पिन का प्रयोग न करें जिसका अनुमान आसानी से लगाया जा सके।
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एटीएम/डबल्यूएलए में कभी भी कार्ड न छोड़ें।
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कार्ड धारक को एटीएम/डबल्यूएलए लेनदेन संबंधी चेतावनी प्राप्त करने के लिए कार्ड जारी करने वाले बैंक में अपना मोबाइल नंबर पंजीकृत करवाना चाहिए। यदि खाते में कोई भी अनधिकृत कार्ड लेनदेन पाया जाता है तो इसकी सूचना तुरंत कार्ड जारी करने वाले बैंक को दी जानी चाहिए।
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कार्ड धारक एटीएम/डबल्यूएलए से जुड़े हुए किसी अतिरिक्त उपकरण से सावधान रहें। इनका उपयोग ग्राहक के आंकड़ों को धोखे से चुराने के लिए होता है। यदि इस प्रकार का कोई उपकरण पाया जाता है तो तुरंत सुरक्षा गार्ड/बैंक/इसे चलाने वाली व्हाइट लेबल कंपनी को इसके बारे में सूचित करें।
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एटीएम/डबल्यूएलए के आस-पास किसी संदिग्ध व्यक्ति के आने – जाने पर नज़र रखें। ग्राहक को ऐसे अपरिचित लोगों से सावधान रहना चाहिए जो कि उसे बातों में लगाना चाहते हैं अथवा एटीएम के संचालन में सहायता /मदद देने का प्रस्ताव करते हैं।
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कार्ड धारक इस बात को याद रखें कि बैंक अधिकारी फोन पर कभी भी आपके कार्ड का विवरण अथवा पिन नंबर नहीं पूछेंगे। अत: यदि कोई व्यक्ति यह दर्शाते हुए कि वह आपके बैंक से है और आपसे संपर्क करता है तो आप उसका प्रतिउत्तर न दें।
उत्तर. आरबीआई की वेबसाइट https://www.rbi.org.in/Scripts/FAQView.aspx?Id=140 पर "केंद्रीकृत भुगतान प्रणालियों में बड़े मूल्य के लेनदेन के लिए विधिक संस्था पहचानकर्ता (एलईआई)" पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न देखे जा सकते हैं।
उत्तर. उपर्युक्त पीपीआई के अलावा, पीपीआई की निम्नलिखित दो श्रेणियां हैं:
ए. उपहार पीपीआई; तथा
बी. मास ट्रांजिट सिस्टम के लिए पीपीआई (पीपीआई-एमटीएस)।
भारत सरकार ने यह निर्णय लिया है कि 30.12.16 तक पीएमजीकेवाई के अधीन कर, जुर्माना, अधिभार हेतु भुगतान और जमा भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी पुराने 500 और 1000 के बैंक नोटों के माध्यम से किया जा सकता है। घोषणा करने वालों के लिए प्रधान मंत्री गरीब कल्याण जमा योजना 2016 हेतु कराधान एवं निवेश व्यवस्था 17 दिसंबर 2016 से 31 मार्च 2017 तक उपलब्ध है। योजना के अधीन कर, जुर्माना, अधिभार हेतु भुगतान और जमा आईटीएनएस – 287 चालान के माध्यम से किया जाना है। पीएमजीकेवाई के संदर्भ में अधिसूचना www.incometaxindia.gov.in पर उपलब्ध है।
उत्तर
बचत बैंक जमा ब्याज दर के विविनियमन पर हमारे 30 जनवरी 2012 के परिपत्र ग्राआऋवि.केंका.आरआरबी.बीसी.सं.57/03.05.33/2011-12 में निहित निर्देश 'आधारभूत बचत बैंक जमा खाता' में रखी जमाराशियों पर लागू होते हैं।
- 15 मई 2013 के हमारे प्रेस विज्ञप्ति में निर्दिष्ट, प्रत्येक अंश का आकार रु. 1,000 करोड़ से 2,000 करोड़ होंगे।
प्रथम द्वि-मासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य, 2016-17 के पैरा 48 में की गई घोषणा के अनुसार, रिज़र्व बैंक ने ऋण सलाहकारों के आधिकारिक मान्यता के लिए एक रूपरेखा निर्धारित की जिसे परिचालन संबंधी दिशानिर्देश निर्धारित करने के लिए सिडबी के साथ साझा किया गया। तदनुसार, सिडबी द्वारा यह योजना जुलाई 2017 में शुरू की गई थी। योजना के अनुसार, प्रमाणित ऋण सलाहकार सिडबी के साथ पंजीकृत संस्थान या व्यक्ति होते हैं जो पेशेवर तरीके से परियोजना रिपोर्ट तैयार करने में एमएसएमई की सहायता करते हैं, जो बैंकों को और अधिक प्रामाणिक ऋण निर्णय लेने में मदद करते हैं।
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उपभोक्ताओं को प्रतिभूतियाँ धन प्राप्ति के बाद जारी आर दें चाहिए। धन प्राप्ति के बाद, बैंक को सीबीएस पर उपभोक्ता को पंजीकृत करना चाहिए और धारिता प्रमाणपत्र जनरेट करना चाहिए।
Ans : No. There is no value limit on the amount of individual transactions that can be collected by ECS Debit.
ये अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा केवल सूचना और सामान्य मार्गदर्शन उद्देश्यों के लिए जारी किए जाते हैं। उसके आधार पर की गई कार्रवाई और / या लिए गए निर्णयों के लिए बैंक को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाएगा। स्पष्टीकरण या व्याख्या के लिए, यदि कोई हो, तो बैंक द्वारा समय-समय पर जारी प्रासंगिक परिपत्रों और अधिसूचनाओं द्वारा निर्देशित हो सकते है।
उत्तर. उपहार पीपीआई की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:
ए. ऐसे प्रत्येक पूर्वदत्त उपहार लिखत का अधिकतम मूल्य ₹10,000/- से अधिक नहीं होगा;
बी. ये पुनः लोड करने योग्य नहीं होंगे;
सी. कैश-आउट अथवा निधि अंतरण की अनुमति नहीं होगी। तथापि, पीपीआई धारक की सहमति प्राप्त करने के बाद निधि को 'स्रोत खाते को वापस' (वह खाता जहां से उपहार पीपीआई लोड किया गया था) अंतरित किया जा सकता है;
डी. पीपीआई धारक द्वारा अनुरोध किए जाने पर पुन: सत्यापित किया जाएगा (जिसमें नए लिखत जारी किए जाने के माध्यम से, शामिल है); तथा
ई. उपहार पीपीआई का उपयोग करने वाले लेनदेन के लिए प्रमाणीकरण का अतिरिक्त कारक (एएफए) / दो कारक प्रमाणीकरण (2एफए) अनिवार्य नहीं है।
उत्तर
बीएसबीडीए ग्राहकों को प्रदान की जाने वाली न्यूनतम सुविधाओं में चेक बुक सुविधा की परिकल्पना नहीं की जाती है। वे चेक बुक सुविधा सहित कोई भी अतिरिक्त सुविधा निःशुल्क प्रदान करने के लिए स्वतंत्र हैं (जिस स्थिति में खाता बीएसबीडीए रहता है) या अतिरिक्त सुविधाओं के लिए शुल्क (जिस स्थिति में खाता बीएसबीडीए नहीं है)।
विभिन्न उपलब्ध मात्रात्मक शर्तें निम्नानुसार हैं:-
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नार्मल (सामान्य): बाई डिफाल्ट राशि की प्रकृति नार्मल होगी। किसी नार्मल आर्डर की आंशिक रूप से ट्रेडिंग की जा सकेगी।
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डिस्क्लोज्ड: डिस्क्लोज्ड राशि आर्डर राशि का वह अंश है जिसे उपयोगकर्ता मार्केट को बताना चाहता है। यह एक वैकल्पिक फील्ड है।
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ऑल या एनओएन (एओएन): इस विकल्प को चुनने से कोई प्रयोगकर्ता यह स्पष्ट करता है कि वह आर्डर को संपूर्ण रूप में ट्रेड करना चाहता है अर्थात् किसी प्रकार की आंशिक ट्रेडिंग की अनुमति नहीं होगी। यह एक वैकल्पिक फील्ड है।
विभिन्न उपलब्ध समय शर्तें निम्नानुसार है:-
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डे (दैनिक): इस शर्त के तहत आर्डर, ट्रेडिंग सेशन की वैधता के दौरान पूरे समय वैध रहेगा। यह सेशन के बंद होने के समय तक उपलब्ध रहेगा। बाई डिफाल्ट समय शर्त में दैनिक का विकल्प सेलेक्ट (चुना हुआ) रहता है।
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आईओसी( तत्काल या रद्द): यदि कोई उपयोगकर्ता चाहता है कि उसका आर्डर तत्काल ट्रेड हो जाय तो उसे आईओसी विकल्प चुनना होगा। इस शर्त के तहत आईओसी आर्डर दिए जाने पर आर्डर की तुरंत मैचिंग प्राप्त की जाती है और इसके मिलने पर ट्रेडिंग पूरी हो जाती है अन्यथा आईओसी आर्डर रद्द हो जाता है।
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जीटीटी (गूड टिल टाइम): यहाँ आर्डर देते समय यूज़र यह समय-सीमा बता सकेगा कि कब तक वह आर्डर वैध रहेगा और ट्रेड करने के लिए वह कब तक उपलब्ध होगा। ज्यों ही यूज़र द्वारा तय की गई आर्डर की समय-सीमा समाप्त हो जाती है त्यों ही वह आर्डर रद्द हो जाएगा।
- वर्तमान वित्तीय वर्ष के द्वितीय छमाही में रिटेल निवेशकों के लिए विशिष्ट शृंखला शुरू की गई थी (लगभग अक्तूबर 2013 के पास)
उत्तर: आरबीआई की वेबसाइट /hi/web/rbi/faq-page-2?ddm__keyword__26256231__FaqDetailPage2Title_en_US=Legal Entity Identifier (LEI) for Large Value Transactions in Centralised Payment Systems पर "केंद्रीकृत भुगतान प्रणालियों में बड़े मूल्य के लेनदेन के लिए कानूनी इकाई पहचानकर्ता (एलईआई)" पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न देखे जा सकते हैं।
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आवेदन आरबीआई की वेबसाइट से डाउनलोड किया जा सकता है। हालांकि, बैंक भी फॉर्म को प्रिंट करके और ग्राहकों को उपलब्ध करा सकता है।
उत्तर. पीपीआई-एमटीएस की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:
ए. ये पीपीआई एमटीएस परिचालकों द्वारा जारी किए जाते हैं;
बी. एमटीएस के अलावा, इन पीपीआई का उपयोग केवल उन व्यापारियों के पास किया सकता है जिनकी गतिविधियां ट्रांजिट सिस्टम के परिसर में की जाती हो अथवा उससे संबद्ध/संबंधित हो;
सी. इनकी प्रकृति पुनः लोड करने योग्य होती है;
डी. अधिकतम बकाया राशि किसी भी समय ₹3,000/- से अधिक नहीं हो सकती;
ई. कैश-आउट अथवा रिफंड अथवा निधि अंतरण की अनुमति नहीं है;
एफ. पीपीआई धारक द्वारा कभी भी अनुरोध किए जाने पर पुन: सत्यापित किया जाएगा (जिसमें नए लिखत जारी करने के माध्यम से, शामिल है); तथा
जी. ऐसे पीपीआई के उपयोग से होने वाले लेनदेनों के लिए एएफए / 2एफए अनिवार्य नहीं है।
Ans : The Reserve Bank of India has deregulated the charges to be levied by sponsor banks from user institutions. The sponsor banks are, however, required to disclose the charges in a transparent manner. With effect from 1st July 2011, originating banks are required to pay a nominal charge of 25 paise and 50 paise per transaction to the Clearing house and destination bank respectively. Bank branches do not generally levy processing / service charges for debiting the accounts of customers maintained with them.
यह बॉण्ड रिश्तेदार/ मित्र/ किसी भी व्यक्ति को उपहार स्वरूप या उसके नाम अंतरित किया जा सकता है बशर्ते वे (प्रश्न क्रमांक 4 में दी गई) पात्रता शर्तों को पूरा करते हों। बॉण्ड का अंतरण सरकारी प्रतिभूति अधिनियम 2006 और सरकारी प्रतिभूति विनियम 2007 के अनुसार मीयाद समाप्त होने से पहले किया जा सकेगा। यह कार्य एक अंतरण लिखत के माध्यम से होगा जो जारीकर्ता एजेंट के पास उपलब्ध रहता है।
उत्तर
सभी मौजूदा 'नो-फ्रिल' खातों को परिपत्र के जारी होने की तारीख से अर्थात 22 अगस्त 2012 से बीएसबीडीए खातों के रूप में माना जा सकता है। और जब ग्राहक बैंक से संपर्क करता है तो बैंक मौजूदा 'नो-फ्रिल' खाताधारकों को परिपत्र के अनुसार निर्धारित सुविधाएं जैसे एटीएम कार्ड आदि जारी कर सकते हैं। हालांकि, हमारे परिपत्र के जारी होने के बाद नए खाते खोलने वाले ग्राहकों के लिए खाता खोलते ही तुरंत निर्धारित सुविधाएं प्रदान की जानी चाहिए।
- रिटेल निवेशकों के लिए आईआईबी की शृंखला के उत्पाद ढांचा को अभी अंतिम रूप देना बाकी है। यह नियत समय पर तय किया जाएगा और उक्त को सर्वजनिल डोमेन में रखा जाएगा।
ये अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा केवल सूचना और सामान्य मार्गदर्शन उद्देश्यों के लिए जारी किए जाते हैं। उसके आधार पर की गई कार्रवाई और/या लिए गए निर्णयों के लिए बैंक को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाएगा। स्पष्टीकरण या व्याख्या के लिए, यदि कोई हो, तो बैंक द्वारा समय-समय पर जारी प्रासंगिक परिपत्रों और अधिसूचनाओं द्वारा निर्देशित हो सकते है।
मध्यवर्ती एजेंसियों की निदर्शी सूची निम्नानुसार है ;
1. कमजोर वर्गों@ को आगे उधार देने के लिए सरकार द्वारा प्रायोजित संगठन
2. कृषि निविष्टियां/उपकरणों के वितरक
3. कमजोर वर्गों को ऋण प्रदान करने का कार्य करने की सीमा तक राज्य वित्तीय निगम (एसएफसी)/राज्य औद्योगिक विकास निगम (एसआइडीसी)
4. राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम (एनएसआइसी)
5. खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआइसी)
6. विकेंद्रित क्षेत्र को सहायता देने में लगी एजेंसियां
7. आवास और शहरी विकास निगम लि. (हुडको)
8. पुनर्वित्त के लिए राष्ट्रीय आवास बैंक (एनएचबी) द्वारा अनुमोदित आवास वित्त कंपनियां
9. अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लिए सरकार द्वारा प्रायोजित संगठन (इन संगठनों के लाभार्थियों की निविष्टियों की खरीद तथा आपूर्ति और उत्पाद के विपणन के लिए)
10. स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) को उधार देने के लिए माइक्रो वित्त संस्थाएं/गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ)
@प्राथमिकता क्षेत्र में ‘कमजोर वर्ग’ में निम्नलिखित शामिल हैं :
i. 5 एक? तथा उससे कम जोत वाले छोटे तथा सीमांत किसान, भूमिहीन मजदूर, काश्तकार और बंटाईदार
ii. कारीगर, ग्राम और कुटीर उद्योग जहां व्यक्तिगत ऋण आवश्यकता रु. 25000/- से अधिक न हो ;
iii. छोटे और सीमांत किसान, बंटाईदार, कृषि तथा गैर-कृषि मजदूर, ग्रामीण कारीगर और गरीबी रेखा के नीचे रहनेवाले परिवार लाभार्थी हैं ? पारिवारिक आय वार्षिक रु. 11,000/- से अधिक नहीं होनी चाहिए ।
iv. अनुसूचित जातियां और अनुसूचित जनजातियां
v. लाभार्थी वे व्यक्ति हैं जिनकी सभी स्रोतों से पारिवारिक आय शहरी और अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों में वार्षिक रु.7200/- अथवा ग्रामीण क्षेत्रों में वार्षिक रु.6400/- से अधिक नहीं है। उनके पास भू-स्वामित्व नहीं होना चाहिए अथवा उनके भूखंड का आकार सिंचित भूमि के मामले में एक एक? से अधिक नहीं होना चाहिए और असिंचित भूमि के मामले में 2.5 एक? से अधिक नहीं होना चाहिए (अनुसूचित जाति / जनजाति के लिए भूमि धारिता संबंधी मानदंड लागू नहीं होंगे)।
vi. सफाई कर्मचारी मुक्ति और पुनर्वास योजना (एसएलआरएस) के तहत लाभार्थी
vii. ग्रामीण गरीबों तक पहुंचने के लिए स्व-सहायता समूहों को मंजूर अग्रिम।
उत्तर. केवाईसी का अर्थ एमडी-पीपीआई के पैरा 6 में दी गई परिभाषा के अनुसार है। आरबीआई के विनियमन विभाग (डीओआर) द्वारा "मास्टर निदेश - अपने ग्राहक को जानिए निदेश, 2016" में जारी केवाईसी/धन-शोधन निवारण (एएमएल)/आतंकवाद के लिए वित्तपोषण का मुकाबला (सीएफटी) करने संबंधी दिशानिर्देश अन्य बातों के साथ साथ पीपीआई जारी करने वाली सभी संस्थाओं पर लागू होंगे।
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नियत आय मनी मार्केट और डिरेटिव एसोसियेशन ऑफ इंडिया (फिमडा) शीघ्र ही मूल्यांकन दिशानिर्देश जारी करेंगे।
उत्तर
हाँ। ऐसे ग्राहकों को अपनी सहमति लिखित रूप में देनी होगी और उन्हें बीएसबीडीए में उपलब्ध सुविधाओं और सेवाओं की सीमा के बारे में सूचित किया जाना चाहिए।
हां : बैंक निम्नलिखित ऋणों के मामले में आधारभूत मूल उधार दर के संदर्भ के बगैर ब्याज दर का निर्धारण कर सकते हैं चाहे ऋण की राशि कितनी भी क्यों न हों :
(i) क. टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं की खरीद के लिए ऋण
ख. शेयरों और डिबेंचरों / बांडों की जमानत पर व्यक्तियों को ऋण
ग. प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र से इतर अन्य वैयक्तिक ऋण
घ. बैंक के पास रखी देशी / अनिवासी /विदेशी मुद्रा अनिवासी रुपया (बैंक) जमाराशियों की जमानत पर अग्रिम / ओवर ड्राफ्ट, बशर्ते उक्त जमाराशि (याँ) या तो उधारकर्ता / उधारकर्ताओं के अपने नाम (मों) पर हो /हों अथवा अन्य व्यक्ति के साथ संयुक्त रूप से उधारकर्ता के नामों पर हो /हों।
? मध्यवर्ती एजेन्सियों (आवास संबंधी एजेन्सियों को छो?कर)को दिया गया वित्त जो आगे अंतिम लाभार्थियों तथा निविष्टि आधार प्रदान करने वाली एजेन्सियों को उधार देती हैं।
च. अंतिम लाभार्थी को उधार देने के लिए आवास वित्त मध्यवर्ती एजेन्सियों को दिया गया वित्त
?. बिलों की बट्टे पर भुनाई
ज. चयनात्मक ऋण नियंत्रण के अधीन पण्यों की जमानत पर ऋण /अग्रिम /नकदी ऋण/ ओवर ड्राफ्ट
(ii) |
मीयादी उधार देनेवाली संस्थाओं की ब्याज पुनर्वित्त पोषण योजनाओं में सहभागिता के अंतर्गत आनेवाले ऋण |
बैंक आधारभूत मूल उधार दर के संदर्भ के बगैर पुनर्वित्त पोषण करनेवाली एजेन्सियों की शर्तों के अनुसार दरें लगाने के लिए स्वंतत्र हैं। |
These FAQs are issued by the Reserve Bank of India (hereinafter referred to as “Bank”) for information and general guidance purposes only. The Bank will not be held responsible for actions taken and / or decisions made on the basis of the same. For clarifications or interpretations, if any, one may be guided by the relevant circulars, guidelines and notifications issued from time to time by the Bank.
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