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आस्तियों का विप्रेषण

यह “अक्सर पूछे जानेवाले प्रश्न’ इस विषय पर उपयोगकर्ताओं द्वारा समान्यतः पूछे जानेवाले प्रश्नों के उत्तर सरल भाषा में देने का प्रयास है। तथापि कोई लेनदेन करने के लिए विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (फेमा) तथा उसके अंतर्गत बनाए गए विनियमों/ नियमों अथवा निदेशों का संदर्भ लें। इससे संबंधित मूल विनियम हैं -1 अप्रैल 2016 की अधिसूचना सं. फेमा 13 (आर)/2016- आरबी द्वारा जारी किए विदेशी मुद्रा प्रबंध (आस्तियों का विप्रेषण) विनियमावली, 2016। जारी किए गए दिशानिर्देश आस्तियों के विप्रेषण पर मास्टर निदेश सं. 13 में समेकित किए गए हैं।

'आस्तियों के विप्रेषण’ का तात्पर्य भारत से बाहर ऐसी निधियों के विप्रेषण से है जो किसी बैंक / किसी फर्म / किसी कंपनी में जमा धनराशि का प्रतिनिधित्व करती है, जैसे:

1. भविष्य निधि शेष
2. अधिवर्षिता लाभ
3. बीमा पॉलिसी के दावे की अथवा परिपक्वता राशि
4. शेयरों, प्रतिभूतियों, अचल सम्पत्ति अथवा भारत में धारित अन्य आस्ति की बिक्रीगत राशि

भारतीय रि‍ज़र्व बैंक अधि‍नि‍यम, 1934 की धारा 20 के अंतर्गत केंद्र सरकार की प्राप्तियों और भुगतानों तथा सरकार के लोक ऋण का प्रबंध करने सहित वि‍नि‍मय, विप्रेषण और अन्य बैंकिंग परिचालनों का उत्तरदायि‍त्व भारतीय रि‍ज़र्व बैंक का है। साथही, उक्त अधि‍नि‍यम की धारा 21 के अनुसार भारतीय रि‍ज़र्व बैंक को भारत सरकार का कारोबार करने का अधि‍कार है।

उक्त अधि‍नि‍यम की धारा 21ए के अनुसार राज्य सरकारों के साथ करार कर भारतीय रि‍ज़र्व बैंक राज्य सरकार के लेनदेन करता है। भारतीय रि‍ज़र्व बैंक ने अब तक यह करार सि‍क्कि‍म सरकार को छोड़कर सभी राज्य सरकारों के साथ कि‍या है। अत: भारतीय रिज़र्व बैंक के पास सरकार के बैंकर के रूप में कार्य करने का अधिकार तथा उत्तरदायित्व दोनों के लिए विधिक प्रावधान हैं।

Ans RBI EFT is a Scheme introduced by Reserve Bank of India (RBI) to help banks offering their customers money transfer service from account to account of any bank branch to any other bank branch in places where EFT services are offered.

वाणिज्य बैंक: भारत में कार्यरत विदेशी बैंकों की शाखाओं, स्थानीय क्षेत्र बैंक और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक सहित सभी वाणिज्य बैंक का बीमा डीआईसीजीसी द्वारा किया जाता है।

सहकारी बैंक: राज्यों /संघ शासित क्षेत्रों में कार्य कर रहे सभी राज्य, मध्यवर्ती और प्राथमिक सहकारी बैंक, जिन्हें शहरी सहकारी बैंक भी कहा जाता है, के संबंधित राज्य/संघशासित क्षेत्र की सरकारों द्वारा रिज़र्व बैंक को यह अधिकार देने के लिए अपने सहकारी समिति अधिनियम को संशोधित किया गया है कि वह राज्यों /संघ शासित क्षेत्रों की समितियों के रजिस्ट्रार को आदेश दे सके कि किसी सहकारी बैंक का समापन कर दे अथवा इसकी प्रबंध समिति को अधिक्रमित करे और रजिस्ट्रार से अपेक्षित है कि वह रिज़र्व बैंक से लिखित पूर्व स्वीकृति के बिना किसी सहकारी बैंक के समापन, समामेलन या पुनर्निमाण के लिए कोई कार्रवाई न करें, जमा बीमा स्कीम के अंतर्गत आते हैं । वर्तमान में सभी सहकारी बैंक डीआईसीजीसी द्वारा बीमित किए जाते हैं।

डीआईसीजीसी द्वारा प्राथमिक सहकारी समितियों का बीमा नहीं किया जाता है।

उत्तर: एशियाई समाशोधन संघ (एसीयू) की स्थापना क्षेत्रीय सहयोग प्राप्त करने की दिशा में उठाये गए कदम के रुप में संयुक्त राष्ट्र संघ के एशिया-प्रशांत क्षेत्रीय आर्थिक और सामाजिक आयोग (ईएससीएपी) के प्रयास में 9 दिसंबर 1974 में की गई। इसका मुख्यालय तेहरान, ईरान में है। समाशोधन संघ का मुख्य उद्देश्य है- सदस्य देशों के बीच पात्र लेनदेन के लिए बहुदेशीय आधार पर सुविधा प्रदान करना ताकि विदेशी मुद्रा आरक्षित निधियों तथा अंतरण लागतों को किफ़ायती बनाया जा सके एवं सहभागी देशों के बीच व्यापार संवर्धन हो सके।

उत्तर: ‘अनिवासी भारतीय’ (एनआरआई) भारत से बाहर निवास करने वाला व्यक्ति है, जो भारत का नागरिक है।

उत्तर. रिज़र्व बैंक निम्नलिखित सीपीएस का स्वामित्व और परिचालन करता है:

i. तत्काल सकल निपटान (आरटीजीएस) प्रणाली - यह देश की बड़ी राशि की भुगतान प्रणाली है और इसे मार्च 2004 में आरंभ किया गया था। इसे बाद में उन्नत सुविधाओं जैसे हाइब्रिड कार्यक्षमता, चलनिधि प्रबंधन कार्यों, भविष्य की तारीख की कार्यक्षमता, मापक्रमणीयता, आदि के साथ आईएसओ 20022 मानक पर निर्मित अगली पीढ़ी के आरटीजीएस (एनजी-आरटीजीएस) के रूप में परिवर्तित किया गया था। लेनदेनों का निपटान आरबीआई की बहियों में सकल आधार पर वास्तविक समय में होता है और इसकी न्यूनतम सीमा रु.2 लाख है। आरटीजीएस, सीसीआईएल और एनपीसीआई जैसी सहायक भुगतान प्रणालियों से आने वाली बहुपक्षीय निवल निपटान बैच (एमएनएसबी) फाइलों का भी निपटान करता है। यह 14 दिसंबर 2020 से वर्ष के सभी दिन चौबीसों घंटे उपलब्ध रहता है।

ii. राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक निधि अंतरण (एनईएफटी) प्रणाली – यह एक खुदरा भुगतान प्रणाली है और इसे नवंबर 2005 में शुरू किया गया था। एनईएफटी एक स्ट्रेट थ्रू प्रोसेस है जो 16 दिसंबर 2019 से 24x7x365 आधार पर आधे-घंटे के 48 बैचों में परिचालित होता है । इसके अंतर्गत किसी एक लेनदेन में अंतरित की जा सकने वाली राशि के लिए कोई न्यूनतम सीमा अथवा अधिकतम सीमा नहीं है, जिसके कारण एनईएफटी एक लोकप्रिय हाइब्रिड भुगतान प्रणाली के रूप में उभरा है।

उत्तर. इन निर्देशों की प्रभावी तिथि 1 अप्रैल 2022 है। हालांकि, कुछ विनियमित संस्थाओं (आरई) द्वारा व्यक्त कार्यान्वयन संबंधी कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए, आरई को सूचित किया जाता है कि वे इन निर्देशों को पूरी तरह से जल्द से जल्द (अधिकतम 1 अक्टूबर 2022 तक) सर्वोत्तम प्रयास के आधार पर लागू करें।
  • मुद्रास्फीति दर संयुक्त उपभोक्ता मूल्य सूचकांक [(सीपीआई) आधार : 2010 =100)]

  • अंतिम संयुक्त CPI को तीन महीने के अंतराल के साथ संदर्भ CPI के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा। उदाहरण के लिए, सितंबर 2013 के लिए अंतिम संयुक्त सीपीआई को सम्पूर्ण दिसंबर 2013 के लिए संदर्भित सीपीआई के रूप में प्रयोग किया जाएगा।

अस्वीकरण: अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों का यह संकलन केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से उपलब्ध कराया गया है। इस एफएक्यू और फेमा, 1999 और उसके तहत जारी किए गए नियमों/ विनियमों/ निदेशों / अनुमतियों के बीच यदि किसी प्रकार की विसंगति का मामला सामने आता है, तो जो भी अनुदेश बाद में जारी हुए हैं, वे मान्य होंगे।

उत्तर: अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक लेनदेनों के भारतीय रुपए (आईएनआर) के माध्यम से निपटान की व्यवस्था मौजूदा प्रणाली में की गई एक अतिरिक्त व्यवस्था है। एसआरवीए खाता खोलने के लिए पूर्व अनुमोदन की आवश्यकता होती है, जोकि रुपया वोस्ट्रो खाते के बिलकुल विपरीत है।

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पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: दिसंबर 11, 2022

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