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बाजार तंत्र के माध्यम से बड़े उधारकर्ताओं के लिए ऋण आपूर्ति बढ़ाना

उत्तर : ऐसे सभी मामलों में, 1 अप्रैल, 2016 से उधारकर्ता को 'निर्दिष्ट उधारकर्ता' माना जाएगा और यदि उधारकर्ता एनपीएलएल से परे बैंकिंग प्रणाली से उधार लेता है तो 1 अप्रैल, 2017 से हतोत्साहन तंत्र लागू होगा।
प्रधान मंत्री गरीब कल्याण जमा योजना (पीएमजीकेडीएस) 2016 भारत सरकार द्वारा 16 दिसंबर 2016 को अधिसूचित एक योजना है जो प्रधान मंत्री गरीब कल्याण जमा योजना 2016 हेतु कराधान एवं निवेश व्यवस्था के तहत घोषणा करने वाले सभी व्यक्तियों पर लागू है।

6 सितंबर 2013 के बाद किसी भी अनुमत मुद्राओं में प्राप्त, न्यूनतम तीन वर्ष की परिपक्वता वाली तथा एक वर्ष की लॉक-इन अवधि वाली केवल नई एफ़सीएनआर (बी) जमाराशियाँ स्वैप-विंडो के अंतर्गत अनुमत जमाराशियाँ हैं। बैंक 14 अगस्त 2013 के परिपत्र डीबीओडी.डीआईआर.बीसी.38/13.03.00/2013-14 के साथ पठित एफ़सीएनआर(बी) जमाराशियों पर ब्याज दर से संबंधित 1 जुलाई 2013 के आरबीआई मास्टर परिपत्र में विनिर्दिष्ट किए गए अनुसार अनुमत अन्य प्रकार की एफ़सीएनआर (बी) जमाराशियाँ प्राप्त करने के लिए स्वतंत्र हैं।

The Reserve Bank of India has introduced an Ombudsman Scheme for Digital Transactions, 2019 (the Scheme). It is an expeditious and cost-free apex level mechanism for resolution of complaints regarding digital transactions undertaken by customers of the System Participants as defined in the Scheme. The Scheme is being introduced under Section 18 Payment and Settlement Systems Act, 2007, with effect from January 31, 2019.

The Ombudsman for Digital Transactions is a senior official appointed by the Reserve Bank of India to redress customer complaints against System Participants as defined in the Scheme for deficiency in certain services covered under the grounds of complaint specified under Clause 8 of the Scheme.

1 Semi-closed System PPIs: These PPIs are issued by banks (approved by RBI) and non-banks (authorized by RBI) for purchase of goods and services, including financial services, remittance facilities, etc., at a group of clearly identified merchant locations / establishments which have a specific contract with the issuer (or contract through a payment aggregator / payment gateway) to accept the PPIs as payment instruments. These instruments do not permit cash withdrawal, irrespective of whether they are issued by banks or non-banks.
उत्तर: पीओएस टर्मिनलों पर नकद निकासी की सुविधा के तहत, कार्डधारक भारत में बैंकों और गैर-बैंकों द्वारा जारी किए गए अपने डेबिट कार्ड और पूर्ण केवाईसी प्रीपेड कार्ड का उपयोग करके नकदी निकाल सकते हैं।हालाँकि, इस सुविधा के तहत क्रेडिट कार्ड का उपयोग नहीं किया जा सकता है। पीओएस टर्मिनलों पर यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) के साथ-साथ प्रधान मंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) खातों के साथ प्रदान की गई ओवरड्राफ्ट सुविधा से जुड़े इलेक्ट्रॉनिक कार्ड के उपयोग के माध्यम से भी नकद निकासी की जा सकती है।

वाणिज्यिक बैंकों (आरआरबी को छोड़कर), यूसीबी और एनबीएफसी (एचएफसी सहित) के 'सांविधिक केंद्रीय लेखा परीक्षकों (एससीए) / सांविधिक लेखा परीक्षकों (एसए) की नियुक्ति के लिए दिशानिर्देशों पर आरबीआई द्वारा दिनांक 27 अप्रैल, 2021 का परिपत्र जारी किया गया जिसका मूल उद्देश्य स्वामित्व-तटस्थ विनियमों को स्थापित करना, लेखा परीक्षकों की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना, लेखा परीक्षकों की नियुक्तियों में हितों के टकराव से बचना और आरबीआई विनियमित संस्थाओं में लेखा परीक्षा की गुणवत्ता और मानकों में सुधार करना है। ये दिशानिर्देश सभी विनियमित संस्थाओं में सांविधिक लेखा परीक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने में मदद करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि नियुक्तियां समय पर, पारदर्शी और प्रभावी तरीके से की जाती हैं।

मामले में कुछ स्पष्टीकरण मांगे जाने के मद्देनजर निम्नानुसार अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (एफएक्यू) और आवश्यक स्पष्टीकरण प्रकाशित करने का निर्णय लिया गया है

समूह संस्थाएं समूह में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित उन संस्थाओं को संदर्भित करती हैं, जो परिपत्र1 में उल्लिखित समूह संस्था की परिभाषा को पूरा करती हैं। हालांकि, यदि समूह संस्थाओं (जो कि आरबीआई द्वारा विनियमित नहीं हैं) के लिए लेखापरीक्षा/गैर-लेखापरीक्षा कार्य में लगी एक लेखापरीक्षा फर्म को एससीए/एसए के रूप में नियुक्ति के लिए समूह में आरबीआई द्वारा विनियमित संस्थाओं में से किसी द्वारा विचार किया जा रहा है, तो आरबीआई विनियमित संस्था के बोर्ड/एसीबी/एलएमसी की यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी होगी कि हितों का कोई टकराव न हो और लेखा परीक्षकों की स्वतंत्रता सुनिश्चित हो, और इसे बोर्ड/एसीबी/एलएमसी की बैठकों के कार्यवृत्त में उपयुक्त रूप से दर्ज किया जाए।

भारतीय रिजर्व बैंक ने 'भुगतान प्रणाली डाटा का संग्रहण' पर दिनांक 06 अप्रैल 2018 के परिपत्र डीपीएसएस.सीओ.ओडी.सं.2785/06.08.005/2017-18 के अंतर्गत एक निर्देश जारी किया था जिसमें सभी प्रणाली प्रदाताओं को यह सूचित किया गया था कि वे इस बात को सुनिश्चित करें कि छ: महीने की अवधि के भीतर स्वयं के द्वारा परिचालित भुगतान प्रणालियों से संबंधित संपूर्ण डेटा केवल भारत में ही एक प्रणाली में संग्रहीत किया जाए।

भुगतान प्रणाली प्रदाताओं (पीएसओ) ने भारतीय रिजर्व बैंक से समय-समय पर कतिपय कार्यान्वयन संबंधी मामलों पर स्पष्टीकरण मांगा है। इस अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न का उद्देश्य उन मुद्दों पर स्पष्टता प्रदान करना और सभी पीएसओ द्वारा त्वरित अनुपालन सुनिश्चित करना है।

  • ये निर्देश उन भुगतान प्रणाली प्रदाताओं पर लागू होंगे जिन्हें भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 के अंतर्गत भारत में भुगतान प्रणाली स्थापित और परिचालित करने के लिए भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा प्राधिकृत / अनुमोदित किया गया है।

  • बैंक जो भुगतान प्रणाली के परिचालक के रूप में या भुगतान प्रणाली में सहभागी के रूप में कार्य करते हैं। वे निम्नलिखित में सहभागी होते हैं (i) भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा परिचालित भुगतान प्रणालियों जैसे कि आरटीजीएस और एनईएफटी, (ii) सीसीआईएल और एनपीसीआई द्वारा परिचालित प्रणालियों में, और (iii) कार्ड योजनाओं में। अत: यह निर्देश भारत में परिचालित सभी बैंकों पर लागू हैं।

  • यह निर्देश भुगतान ईकोसिस्टम में प्रणाली प्रतिभागियों, सेवा प्रदाताओं, मध्यवर्ती संस्थाओं, भुगतान गेटवे, तीसरे पक्ष के विक्रेताओं और अन्य संस्थाओं (जिस किसी भी नाम से निर्दिष्ट किया गया है) जिन्हें प्राधिकृत /अनुमोदित संस्थाओं द्वारा भुगतान सेवाओं को प्रदान करने के लिए यथावत अथवा संलिप्त रखा गया है, के माध्यम से किए गए लेनदेन के संबंध में भी लागू होते हैं।

  • इन निर्देशों के प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित करने का उत्तरदायित्व प्राधिकृत /अनुमोदित पीएसओ पर होगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इस तरह के आंकड़े केवल उपर्युक्त निर्देशों के अंतर्गत भारत में ही संग्रहीत किए जाएँ।

In providing the clarifications, an attempt has been made to assist potential applicants in understanding the terms of the guidelines. The clarifications are specific to the queries and must be read in the overall context of the guidelines.

It is not necessary that individual alongwith his related parties have shareholding in the NOFHC. However, if any individual belonging to the Promoter Group chooses to become a promoter of the NOFHC, he along with his relatives (as defined in Section 6 of the Companies Act 1956) and along with entities in which he and / or his relatives hold not less than 50 per cent of the voting equity shares can hold voting equity shares not exceeding 10 per cent of the total voting equity shares of the NOFHC. [para 2 ( C ) (ii) (a) of the guidelines]
अमेरिकी डॉलर चेक वसूली के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

बैंको द्वारा अपने सामान्य बैंकिंग परिचालन के एक भाग के रूप में दी जाने वाली सेवाओं में से एक है उनके ग्राहकों द्वारा जमा किए गए चेकों की वसूली, इनमें से कुछ चेक ऐसे बैंकों पर आहरित या देय हो सकते हैं जो देश से बाहर स्थित हों ऐसे चेक विदेशी मुद्रा चेक (फारेन करेन्सी चेक ) कहलाते हैं और वर्तमान में ऐसे अधिकांश चेक अमेरिकी डॉलर में मूल्यांकित होते हैं जो संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थित बैंकों द्वारा देय होते हैं। जनता को बेहतर जानकारी देने के प्रयोजन से अमेरिकी डॉलर में मूल्यांकित चेकों पर अक्सर पूछे जाने वाले ये प्रश्न तैयार किये गये हैं।

भारतीय रुपए के अलावा अन्य मुद्राओं जैसे यूरो, पाउंड स्टर्लिंग, अमेरिकी डॉलर, येन आदि में मूल्यांकित चेक विदेशी मुद्रा चेक कहलाते हैं। विदेशी मुद्रा चेक में डिमांड ड्राफ्ट, वैयक्तिक चेक, बैंकर्स चेक, कैशियर चेक, ट्रेवलर चेक आदि शामिल होते हैं। चूंकि ऐसे चेक भारत में देय नहीं होते, इसलिए उगाही प्रक्रिया के लिए इन्हें संबंधित देश में भेजने की ज़रुरत होती है।

उत्तर

सभी मौजूदा 'नो-फ्रिल्स' खाते 13 दिसंबर 2005 के परिपत्र ग्राआऋवि. आरएफ. बीसी. 54/07.38.01/2005-06 और दिनांक 27 दिसंबर 2005 के परिपत्र सं आरपीसीडी. सीओ.सं. आरआरबी. बीसी. 58/03.05.33(एफ)/2005-06 द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार खोले गए तथा 22 अगस्त 2012 के परिपत्र ग्राआऋवि.सीओ.आरआरबी.आरसीबी.बीसी.सं.24/07.38.01/2012-13 में जारी दिशा-निर्देशों के अनुपालन में बीएसबीडीए में परिवर्तित किए गए। साथ ही उक्त परिपत्र के तहत खोले गए नए खातों को बीएसबीडीए माना जाना चाहिए। विशेष रूप से बीएसबीडीए ग्राहकों के लिए मूल्य वर्धित सेवाओं के लिए उचित मूल्य संरचना के तहत अतिरिक्त सुविधाओं का लाभ लेने वाले खातों को बीएसबीडीए के रूप में नहीं माना जाना चाहिए।

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पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: दिसंबर 11, 2022

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