बाजार तंत्र के माध्यम से बड़े उधारकर्ताओं के लिए ऋण आपूर्ति बढ़ाना
6 सितंबर 2013 के बाद किसी भी अनुमत मुद्राओं में प्राप्त, न्यूनतम तीन वर्ष की परिपक्वता वाली तथा एक वर्ष की लॉक-इन अवधि वाली केवल नई एफ़सीएनआर (बी) जमाराशियाँ स्वैप-विंडो के अंतर्गत अनुमत जमाराशियाँ हैं। बैंक 14 अगस्त 2013 के परिपत्र डीबीओडी.डीआईआर.बीसी.38/13.03.00/2013-14 के साथ पठित एफ़सीएनआर(बी) जमाराशियों पर ब्याज दर से संबंधित 1 जुलाई 2013 के आरबीआई मास्टर परिपत्र में विनिर्दिष्ट किए गए अनुसार अनुमत अन्य प्रकार की एफ़सीएनआर (बी) जमाराशियाँ प्राप्त करने के लिए स्वतंत्र हैं।
The Reserve Bank of India has introduced an Ombudsman Scheme for Digital Transactions, 2019 (the Scheme). It is an expeditious and cost-free apex level mechanism for resolution of complaints regarding digital transactions undertaken by customers of the System Participants as defined in the Scheme. The Scheme is being introduced under Section 18 Payment and Settlement Systems Act, 2007, with effect from January 31, 2019.
वाणिज्यिक बैंकों (आरआरबी को छोड़कर), यूसीबी और एनबीएफसी (एचएफसी सहित) के 'सांविधिक केंद्रीय लेखा परीक्षकों (एससीए) / सांविधिक लेखा परीक्षकों (एसए) की नियुक्ति के लिए दिशानिर्देशों पर आरबीआई द्वारा दिनांक 27 अप्रैल, 2021 का परिपत्र जारी किया गया जिसका मूल उद्देश्य स्वामित्व-तटस्थ विनियमों को स्थापित करना, लेखा परीक्षकों की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना, लेखा परीक्षकों की नियुक्तियों में हितों के टकराव से बचना और आरबीआई विनियमित संस्थाओं में लेखा परीक्षा की गुणवत्ता और मानकों में सुधार करना है। ये दिशानिर्देश सभी विनियमित संस्थाओं में सांविधिक लेखा परीक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने में मदद करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि नियुक्तियां समय पर, पारदर्शी और प्रभावी तरीके से की जाती हैं।
मामले में कुछ स्पष्टीकरण मांगे जाने के मद्देनजर निम्नानुसार अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (एफएक्यू) और आवश्यक स्पष्टीकरण प्रकाशित करने का निर्णय लिया गया है
भारतीय रिजर्व बैंक ने 'भुगतान प्रणाली डाटा का संग्रहण' पर दिनांक 06 अप्रैल 2018 के परिपत्र डीपीएसएस.सीओ.ओडी.सं.2785/06.08.005/2017-18 के अंतर्गत एक निर्देश जारी किया था जिसमें सभी प्रणाली प्रदाताओं को यह सूचित किया गया था कि वे इस बात को सुनिश्चित करें कि छ: महीने की अवधि के भीतर स्वयं के द्वारा परिचालित भुगतान प्रणालियों से संबंधित संपूर्ण डेटा केवल भारत में ही एक प्रणाली में संग्रहीत किया जाए।
भुगतान प्रणाली प्रदाताओं (पीएसओ) ने भारतीय रिजर्व बैंक से समय-समय पर कतिपय कार्यान्वयन संबंधी मामलों पर स्पष्टीकरण मांगा है। इस अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न का उद्देश्य उन मुद्दों पर स्पष्टता प्रदान करना और सभी पीएसओ द्वारा त्वरित अनुपालन सुनिश्चित करना है।
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ये निर्देश उन भुगतान प्रणाली प्रदाताओं पर लागू होंगे जिन्हें भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 के अंतर्गत भारत में भुगतान प्रणाली स्थापित और परिचालित करने के लिए भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा प्राधिकृत / अनुमोदित किया गया है।
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बैंक जो भुगतान प्रणाली के परिचालक के रूप में या भुगतान प्रणाली में सहभागी के रूप में कार्य करते हैं। वे निम्नलिखित में सहभागी होते हैं (i) भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा परिचालित भुगतान प्रणालियों जैसे कि आरटीजीएस और एनईएफटी, (ii) सीसीआईएल और एनपीसीआई द्वारा परिचालित प्रणालियों में, और (iii) कार्ड योजनाओं में। अत: यह निर्देश भारत में परिचालित सभी बैंकों पर लागू हैं।
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यह निर्देश भुगतान ईकोसिस्टम में प्रणाली प्रतिभागियों, सेवा प्रदाताओं, मध्यवर्ती संस्थाओं, भुगतान गेटवे, तीसरे पक्ष के विक्रेताओं और अन्य संस्थाओं (जिस किसी भी नाम से निर्दिष्ट किया गया है) जिन्हें प्राधिकृत /अनुमोदित संस्थाओं द्वारा भुगतान सेवाओं को प्रदान करने के लिए यथावत अथवा संलिप्त रखा गया है, के माध्यम से किए गए लेनदेन के संबंध में भी लागू होते हैं।
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इन निर्देशों के प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित करने का उत्तरदायित्व प्राधिकृत /अनुमोदित पीएसओ पर होगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इस तरह के आंकड़े केवल उपर्युक्त निर्देशों के अंतर्गत भारत में ही संग्रहीत किए जाएँ।
In providing the clarifications, an attempt has been made to assist potential applicants in understanding the terms of the guidelines. The clarifications are specific to the queries and must be read in the overall context of the guidelines.
अमेरिकी डॉलर चेक वसूली के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
बैंको द्वारा अपने सामान्य बैंकिंग परिचालन के एक भाग के रूप में दी जाने वाली सेवाओं में से एक है उनके ग्राहकों द्वारा जमा किए गए चेकों की वसूली, इनमें से कुछ चेक ऐसे बैंकों पर आहरित या देय हो सकते हैं जो देश से बाहर स्थित हों ऐसे चेक विदेशी मुद्रा चेक (फारेन करेन्सी चेक ) कहलाते हैं और वर्तमान में ऐसे अधिकांश चेक अमेरिकी डॉलर में मूल्यांकित होते हैं जो संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थित बैंकों द्वारा देय होते हैं। जनता को बेहतर जानकारी देने के प्रयोजन से अमेरिकी डॉलर में मूल्यांकित चेकों पर अक्सर पूछे जाने वाले ये प्रश्न तैयार किये गये हैं।
उत्तर
सभी मौजूदा 'नो-फ्रिल्स' खाते 13 दिसंबर 2005 के परिपत्र ग्राआऋवि. आरएफ. बीसी. 54/07.38.01/2005-06 और दिनांक 27 दिसंबर 2005 के परिपत्र सं आरपीसीडी. सीओ.सं. आरआरबी. बीसी. 58/03.05.33(एफ)/2005-06 द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार खोले गए तथा 22 अगस्त 2012 के परिपत्र ग्राआऋवि.सीओ.आरआरबी.आरसीबी.बीसी.सं.24/07.38.01/2012-13 में जारी दिशा-निर्देशों के अनुपालन में बीएसबीडीए में परिवर्तित किए गए। साथ ही उक्त परिपत्र के तहत खोले गए नए खातों को बीएसबीडीए माना जाना चाहिए। विशेष रूप से बीएसबीडीए ग्राहकों के लिए मूल्य वर्धित सेवाओं के लिए उचित मूल्य संरचना के तहत अतिरिक्त सुविधाओं का लाभ लेने वाले खातों को बीएसबीडीए के रूप में नहीं माना जाना चाहिए।
पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: दिसंबर 11, 2022