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विदेशी मुद्रा अर्जक विदेशी मुद्रा (ईईएफसी) खाता

उत्तर: प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक अर्थात आर.बी.आई. द्वारा विदेशी मुद्रा का व्यापार करने के लिए प्राधिकृत किए गए बैंक के पास विदेशी मुद्रा में विदेशी मुद्रा अर्जक विदेशी मुद्रा (EEFC) खाता रखा जाता है। यह सुविधा विदेशी मुद्रा में अर्जित की गयी 100 प्रतिशत राशि को निर्यातकों सहित विदेशी मुद्रा अर्जकों को उनके उक्त खाते में जमा करने के लिए दी जाती है ताकि खाता धारकों को विदेशी मुद्रा को रुपये में और रुपये को विदेशी मुद्रा में परिवर्तित न करना पड़े जिससे उनके लेनदेनों की लागत कम हो सके।

उत्तर: राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक निधि अंतरण (एनईएफटी) एक राष्ट्रव्यापी केंद्रीकृत भुगतान प्रणाली है जिसका स्वामित्व और संचालन भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा किया जाता है। सिस्टम में भाग लेने वाले विभिन्न हितधारकों द्वारा पालन की जाने वाली प्रक्रियाओं संबंधी सूची निम्नलिखित लिंक के तहत आरबीआई की वेबसाइट पर उपलब्ध है: /hi/web/rbi/-/national-electronic-funds-transfer-system-procedural-guidelines-2346

अक्सर पूछे जानेवाले प्रश्नो (FAQ’s) के इस समूह में उक्त विषय पर प्रयोगकर्ताओं के सामान्य प्रश्नों के उत्तर आसानी से समझ में आनेवाली भाषा में दिए गए हैं। तथापि, कम्पाउण्डिंग के प्रयोजन से विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा), 1999, विदेशी मुद्रा [कम्पाउण्डिंग (क्रियाविधि)] नियमावली तथा मास्टर निदेश- फेमा, 1999 के अंतर्गत उल्लंघनों की कम्पाउण्डिंग (1 जनवरी 2016 का विमुवि के मास्टर निदेश सं.4/2015-16 तथा जिसे 04 जनवरी 2021 की स्थिति के अनुसार अद्यतन किया गया है) का संदर्भ लें।

उत्तर: इस संदर्भ में ‘उल्लंघन’ का आशय विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा), 1999 और उसके तहत जारी किसी नियम/ विनियम/ अधिसूचना/ आदेश/ निर्देश/ परिपत्र, आदि के प्रावधानों का उल्लंघन करना करना है। कंपाउंडिंग का अर्थ उल्लंघन को स्वैच्छिक रूप से स्वीकार करना, दोष स्वीकार करना और उसके निवारण के लिए अनुरोध करना है। रिज़र्व बैंक को फेमा, 1999 की धारा 13 में यथा-परिभाषित उल्लंघनों के अंतर्गत, उक्त अधिनियम की धारा 3(ए)1 के तहत हुए उल्लंघनों को छोड़कर, उक्त अधिनियम के संबंध में उल्लंघनकर्ता को व्यक्तिगत सुनवाई का अवसर देने के बाद विनिर्दिष्ट राशि के लिए उल्लंघनों की कंपाउंडिंग करने का अधिकार है। यह एक स्वैच्छिक प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत कोई व्यक्ति अथवा कंपनी स्वयं द्वारा स्वीकार किए गए उल्लंघन की कंपाउंडिंग के लिए अनुरोध करता/करती है। फेमा,1999 के किसी उपबंध के उल्लंघन के संबंध में कंपाउंडिंग प्रणाली उस व्यक्ति को एक तरह से सहूलियत प्रदान करती है, क्योंकि इसमें लेनदेन की प्रक्रियागत लागत अपेक्षाकृत कम होती है। तथापि, जान-बूझकर अथवा गलत इरादे से किए गए उल्लंघन और कपटपूर्ण लेनदेन आदि को गंभीरता से लिया जाता है, जिनकी कंपाउंडिंग रिज़र्व बैंक द्वारा नहीं की जाती है। इसके अलावा, भारत सरकार की दिनांक 20 फरवरी 2017 की अधिसूचना द्वारा विनिर्दिष्ट विदेशी मुद्रा (कंपाउंडिंग क्रियाविधि) नियमावली, 2000 के नियम 8(2) के परंतुक के अनुसार यदि प्रवर्तन निदेशालय की यह राय है कि कम्पाउण्डिंग क्रियाविधि धन-शोधन निवारण, आतंकवाद का वित्तपोषण अथवा राष्ट्र की सार्वभौमिकता एवं अखंडता को प्रभावित करने की आशंका वाले गंभीर उल्लंघनों से संबंधित है, तो रिज़र्व बैंक द्वारा ऐसे मामलों की कम्पाउण्डिंग नहीं की जाएगी।

Ans: It is clarified that ‘time of transfer’ would mean when the associated risks and rewards, to the extent of economic interest transferred and as documented in the loan participation, assignment or novation contract, becomes binding on the transferor and transferee.
उत्‍तर: ऑटोमेटेड टेलर मशीन एक कंप्‍यूटरीकृत मशीन है जो कि बैंक के ग्राहकों को बैंक शाखा जाने की जरूरत के बिना ही नकदी निकालने एवं अन्य वित्तीय और गैर वित्तीय लेनदेन के लिए अपने खाते तक पहुँचने (accessing) की सुविधा प्रदान करती है।
उत्तर. परिवर्णी शब्द 'आरटीजीएस' का अर्थ रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट है, जिसे एक ऐसी प्रणाली के रूप में समझाया जा सकता है जहां प्रत्येक लेनदेनसे संबंधित धन अंतरण का (नेटिंग के बिना) भुगतान निरंतर और वास्तविक समय में होता है। 'रीयल टाइम' का अर्थ है निर्देशों के प्राप्त होने के समय ही प्रसंस्करण होना; ' ग्रॉस सेटलमेंट' का अर्थ है कि निधि अंतरण निर्देशों का निपटान अलग-अलग होता है।

उत्तर. भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 (पीएसएस अधिनियम) की धारा 10(2) के साथ पठित धारा 18 के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए आरबीआई ने यह मास्टर निदेश जारी किया है।

वर्तमान के उन सभी 'नो फ्रील' खातों को बीएसबीडीए के रूप में माना जाना चाहिए जो 24 नवंबर 2005 के परिपत्र शबैवि.बीपीडी.परि. सं. 19/13.01.000/2005-06 द्वारा जारी दिशानिर्देशों के अनुसरण में खोले गए हैं और जिन्‍हें 17 अगस्त 2012 के परिपत्र शबैवि.बीपीडी.परि. सं.5/13.01.000/2012-13 के अनुपालन में बीएसबीडीए में परिवर्तित कर दिया गया है तथा जो उक्‍त परिपत्र के अंतर्गत नए खोले गए हैं।

उत्तर: हाँ। बैंकों को अपनी एचटीएम पुस्तक में टीएलटीआरओ में प्राप्त राशि के लिए निर्दिष्ट प्रतिभूतियों की मात्रा को टीएलटीआरओ की परिपक्वता तक हर समय बनाए रखना होगा।

समाधान ढांचे के अनुबंध के पैराग्राफ 4 में उल्लिखित शर्त उस तारीख के संबंध में एक सामान्य खंड है, जिसके आधार पर समाधान ढांचे के तहत समाधान के लिए पात्रता मानदंडों का मूल्यांकन किया जा सकता है। समाधान ढांचे के अनुबंध के भाग ए और भाग बी के तहत समाधान के लिए खातों की पात्रता तय करने के संबंध में संदर्भ तिथि का विशेष रूप से लागू होना क्रमशः पैराग्राफ 6 और 13 में अलग से निर्दिष्ट किया गया है, यानी, यह आवश्यकता है कि उधारकर्ताओं को मानक के रूप में वर्गीकृत किया जाना चाहिए, लेकिन 1 मार्च 2020 तक किसी भी उधार देने वाली संस्था के साथ वे 30 दिनों से अधिक समय तक चूक में नहीं हो। समाधान के लिए विचार किया जाने वाला वास्तविक ऋण वह होगा, जो समाधान को सक्रिय किए जाने की तारीख (प्रारम्भ तिथि) में बकाया है।

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पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: दिसंबर 11, 2022

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