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सूक्ष्मवित्त (माइक्रोफाइनेंस) ऋणों के लिए विनियामकीय ढांचे

उत्तर. हां, कम आय वाले परिवार (जोकि निदेशों के तहत परिभाषित किए गए है) को गैर-सूक्ष्मवित्त ऋण प्रदान करने के लिए यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि मासिक घरेलू आय के प्रतिशत के रूप में परिवार के मासिक ऋण चुकौती दायित्वों पर 50 प्रतिशत की सीमा का उल्लंघन नहीं हो। दूसरे शब्दों में, 50 प्रतिशत की सीमा में सूक्ष्मवित्त के साथ-साथ गैर-सूक्ष्मवित्त ऋण भी शामिल होंगे।
उत्तर: यह अनिवार्य रूप से एक बैंक-से-बैंक स्तर की व्यवस्था है जो कॉरिस्पॉण्डेंट बैंकिंग व्यवस्था के समान ही है।
  • पीएसओ द्वारा वांछित होने पर भारत के बाहर भुगतान लेनदेन के प्रसंस्करण पर कोई रोक नहीं है। तथापि, प्रसंस्करण के बाद डेटा केवल भारत में संग्रहीत किया जाएगा। संपूर्ण एंड -टू – एंड लेनदेन संबंधी विवरण, डेटा का हिस्सा होना चाहिए।

  • यदि प्रसंस्करण विदेश में किया जाता है तो डेटा को विदेश में सिस्टम से हटा दिया जाना चाहिए और भुगतान के प्रसंस्करण से 24 घंटे अथवा एक कारोबारी दिवस, जो भी पहले हो, के भीतर भारत में वापस लाया जाना चाहिए। वह केवल भारत में संग्रहीत किया जाएगा।

  • तथापि, बाद में की जाने वाली किसी गतिविधि जैसे कि भुगतान प्रसंस्करण के बाद निपटान प्रसंस्करण, यदि भारत के बाहर किया जाता है, तो इसे लगभग वास्तविक समय के आधार पर किया जाएगा। डेटा केवल भारत में संग्रहीत किया जाएगा।

  • किसी भी अन्य संबंधित प्रसंस्करण गतिविधि, जैसे चार्जबैक आदि के मामले में, डेटा को किसी भी समय, भारत से, जहां इसे संग्रहीत किया गया है, वहाँ से यह प्राप्त किया जा सकता है।

जी हां, मूल एनबीएफसी/एचएफसी के पास पहले इनकार (फर्स्ट रेफ़्यूसल) आधार पर पुनर्खरीद लेनदेन के रूप में 12 महीने की एक निर्दिष्ट अवधि के बाद अपनी संपत्ति वापस खरीदने का विकल्प है।

उत्तर: बैंक, एनबीएफसी – फ़ैक्टर्स और अन्य वित्तीय संस्थाएं जिन्हें भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा अनुमति दी गई है, वे ट्रेड्स में फाइनेंसर के रूप में भाग ले सकते हैं।

जिन जनसाधारण के पास 2000/- के बैंकनोट उपलब्ध हैं वे उसे जमा करने/अथवा बदलने के लिए बैंक शाखा से संपर्क कर सकते हैं। खातों में जमा करने की सुविधा और 2000/- के बैंकनोटों को बदलने की सुविधा 30 सितंबर, 2023 तक सभी बैंकों में उपलब्ध रहेगी। इन बैंकनोटों को बदलने की सुविधा भारतीय रिज़र्व बैंक के उन 19 क्षेत्रीय कार्यालयों में भी 30 सितंबर, 2023 तक उपलब्ध रहेगी जहां निर्गम विभाग स्थित हैं1

कि‍सी भी परिस्थि‍ति‍ में चालान की दूसरी प्रति(डुप्लि‍केट) जारी नहीं की जाएगी। इसके बजाए, अपेक्षित विवरणों के साथ वि‍शेष अनुरोध करने और नि‍र्धारि‍त शुल्क का भुगतान करने पर ‘सर्टि‍फि‍केट ऑफ क्रेडि‍ट’ जारी कि‍या जाता है।
बोली लगाने के लिए न्यूनतम राशि ₹ 10,000 (अंकित मूल्य) होगी और ₹ 10,000 के गुणकों में होगी। केवल भारत सरकार के दिनांकित प्रतिभूतियों की नीलामी के संदर्भ में एकल गैर-प्रतिस्पर्धी बोली के लिए अधिकतम राशि प्रत्येक नीलामी में प्रत्येक प्रतिभूति के लिए ₹ 2,00,00,000 (अंकित मूल्य) से अधिक नहीं होनी चाहिए।

उत्तर: भारत से नेपाल धन हस्तांतरण की योजना के तहत प्रेषण भारत में एनईएफटी-सक्षम बैंक शाखाओं में से किसी भी शाखा से किया जा सकता है। एनईएफटी प्रणाली में भाग लेने वाली बैंक-वार शाखाओं की सूची आरबीआई की वेबसाइट http://www.rbi.org.in/Scripts/bs_viewcontent.aspx?Id=2009 पर उपलब्ध है।

एनईएफटी के तहत भारत-नेपाल प्रेषण लेनदेन शुरू करने वाली बैंक शाखाएं इसे किसी भी अन्य एनईएफटी लेनदेन की तरह संसाधित करेंगी, केवल अंतर यह है कि ये लेनदेन बाद में भारत में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) की नामित शाखा में जमा/एकत्रित किए जाएंगे। दिन के अंत में, प्रेषण जानकारी एसबीआई द्वारा एनएसबीएल को एक सुरक्षित मोड में इलेक्ट्रॉनिक रूप से दी जाती है। यदि लाभार्थी एनएसबीएल का खाता धारक है तो एनएसबीएल लाभार्थी के बैंक खाते में क्रेडिट की व्यवस्था करता है। अन्यथा, एनएसबीएल प्राधिकृत मनी ट्रांसफर कंपनी (प्रभु मनी ट्रांसफर) के माध्यम से लाभार्थी को नकद में धनराशि वितरित करता है। लाभार्थी को मनी ट्रांसफर कंपनी की स्थानीय शाखा से संपर्क करना होगा, यूटीआर नंबर प्रस्तुत करना होगा (इसे विशिष्ट लेनदेन संदर्भ संख्या भी कहा जाता है जो विशिष्ट रूप से एनईएफटी प्रणाली में लेनदेन की पहचान करता है जिसे प्रेषक से प्राप्त किया जा सकता है), और उसकी पहचान साबित करने के लिए एक फोटो पहचान दस्तावेज़ प्रस्तुत करना होगा (आमतौर पर नेपाल नागरिकता प्रमाणपत्र)।

यदि लाभार्थी लेन-देन की तारीख से एक सप्ताह के भीतर मनी ट्रांसफर कंपनी से संपर्क नहीं करता है, तो मनी ट्रांसफर कंपनी प्रवर्तक को प्रेषण की वापसी की व्यवस्था करेगी।

सीटीएस को क्रमशः 1 फरवरी, 2008, 24 सितंबर, 2011 और 27 अप्रैल, 2013 से नई दिल्ली, चेन्नई और मुंबई में लागू किया गया है। सम्पूर्ण चेकों को सीटीएस में स्थानांतरित करने के बाद, चेक समाशोधन के पारंपरिक तंत्र को देश भर में बंद कर दिया गया है। इसके अलावा, बैंकों को यह सुनिश्चित करने की सलाह दी गई है कि सभी शाखाएं सीटीएस से जुड़ी हों।

सीटीएस के तहत, भारत में चेक प्रसंस्करण स्थानों को चेन्नई, मुंबई और नई दिल्ली में तीन ग्रिडों में समेकित किया गया है।

प्रत्येक ग्रिड अपने संबंधित क्षेत्राधिकार के तहत सभी बैंकों को प्रसंस्करण और समाशोधन सेवाएं प्रदान करता है। इस बात पर ध्यान दिए बिना कि वर्तमान में चेक समाशोधन या अन्यथा के लिए कोई औपचारिक व्यवस्था मौजूद है या नहीं, ग्रिड के अधिकार क्षेत्र में आने वाले छोटे / दूरस्थ स्थानों पर स्थित बैंक, शाखाएं और ग्राहक लाभान्वित होंगे। तीन ग्रिडों का निदर्शी अधिकार क्षेत्र नीचे दर्शाया गया है:

  • चेन्नई ग्रिड : आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, असम और केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी।

  • मुंबई ग्रिड : महाराष्ट्र, गोवा, गुजरात, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़।

  • नई दिल्ली ग्रिड : राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र नई दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, राजस्थान और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़।

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पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: दिसंबर 11, 2022

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