बिक्री केंद्र (पीओएस) टर्मिनलों पर नकद निकासी की सुविधा
आरबीआई विनियमित संस्था के एससीए/एसए के रूप में एक लेखापरीक्षा फर्म की नियुक्ति से पहले, इस नियुक्ति और आरबीआई द्वारा विनियमित उसी लेखापरीक्षा फर्म को दिए गए किसी भी गैर-लेखापरीक्षा संबंधी कार्यों को पूरा करने या समूह में आरबीआई विनियमित अन्य संस्थाओं में किसी भी लेखापरीक्षा/ गैर-लेखापरीक्षा कार्यों को पूरा करने के बीच न्यूनतम एक वर्ष का समय अंतराल होना चाहिए। यह शर्त भविष्यलक्षी प्रभाव से यानी वित्त वर्ष 2022-23 से लागू होगी। इसलिए, यदि कोई लेखा परीक्षा फर्म संस्था के साथ कुछ गैर-लेखापरीक्षा कार्य में शामिल है और/या समूह में आरबीआई विनियमित अन्य संस्थाओं में किसी भी लेखापरीक्षा/गैर-लेखा परीक्षा कार्य में शामिल है और वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए संस्था के एससीए/एसए के रूप में नियुक्ति की तारीख से पहले उक्त कार्य को पूरा करती है या छोड़ देती है तो उक्त लेखापरीक्षा फर्म वित्त वर्ष 2021-22 के लिए संस्था के एससीए / एसए के रूप में नियुक्ति के लिए पात्र होगी।
यह दोहराया जाता है कि संस्थाओं के लिए एससीए/एसए द्वारा किसी भी गैर-लेखापरीक्षा कार्य या उसकी समूह संस्थाओं के लिए किसी लेखापरीक्षा/गैर-लेखापरीक्षा कार्यों के बीच का समय अंतराल एससीए/एसए के रूप में लेखापरीक्षा कार्य पूरा करने के बाद कम से कम एक वर्ष का होना चाहिए।
डब्ींर् िंींम्म्दल्हू इदीाiुह ण्ल्ीीाहम्ब् (ब्दह-ींोi्ाहू) र् ींम्म्दल्हू र्(ँीहव्े) एम्पस डइण्ब्ीं (ँ)र् ींम्म्दल्हू ब्दह-ींोi्ाहू ध्ी्iर्हीीब् ींल्जार् ींम्म्दल्हू एम्पस डब्ींर्ध् ींम्म्दल्हू (1) (2) (3) (4) ेंप्दर् म्ीह दजहर् ीहर् ीम्म्दल्हू
ब्ींIेर् ीह् जध्े
Iह्iर्vi्ल्ीत्/ाहूiूiो दर् िझ्ीर्व्iेूीहर् ीर्ह् ँीर्हुत्ी्ोप् र् ेप्ीत्त् ीाल्iिीो ज्ीiदीर् ीज्ज्ीदर्vीत् द िूप ींोाीvार् ँीहव् द िIर्ह्iी
र्ींहब् जीेदह ीोi्ाहू दल्ूेi्ा Iर्ह्iी दिी ज्ल्ूiहु ूप्ीदल्ुप् ंदर्हीi्ार् िूीीर्हेीम्ूiदहे iह ील्जो.
Iह्iर्vi्ल्ीत्े/ ाहूiूiो दर् िझ्ीर्व्iेूीह र्हीूiदर्हीत्iूब्/ दीiुiहर् ीह् ाहूiूiो दर् िँीर्हुत्ी्ोप् दीiुiह ीाल्iिीा ूप ज्ीiदी र् ीज्ज्ीदर्vीत् द िूप ींोाीvार् ँीहव् द िIर्ह्iी.
र्ीं ण्iूर्iैाह दर् िँीर्हुत्ी्ोर्प्/झ्ीर्व्iेूीह ांत्दहुiहु ूद स्iहदीiूब् म्दस्स्ल्हiूiो iह ूप्देा म्दल्हूीiो i.ा. प्iह्ल्े, एiव्प्े,्प्iेूे,र् व्ीiहे,र् झ्ीीेiेर् ीह् ण्प्ीiेूर्iीहे ीोi्iहु iह Iर्ह्iीर् ीह् ैप्दर् प्ीे ाांहर् ुीीहूा् थ्ऊV दी ैप्देार् ीर्ज्ज्त्iम्ीूiदह दिी थ्ऊV iे ल्ह्ाी म्दर्हेi्ाीीूiदह,र् म्ीह दजह दहत्ब् दहा ब्ींर्ध् ीम्म्दल्हू ैiूर्प् ीहर् ींर्अ् ंीहव् ेल्ंराम्ू ूद ूप म्दह्iूiदहे सहूiदहा् iह ब्दूiर्iिम्ीूiदह ब्द. र्इश्ीं िं5(ीं)/2016र्र्-ींँ ्ीूा् ींज्ीiत् 01, 2016,र्र् ीे ्ीूा् ीदिस् ूiस ूद ूiस.
झ्देू ध्iिमे iह Iर्ह्iीर् स्ीर्ब् स्ीiर्हूीiह र् ेीviहुेर् ंीहर्व् ीम्म्दल्हूे iह ूप र्हीसे द िजीेदहे ीोi्ाहू दल्ूेi्ा Iर्ह्iीर् ीह् र् ीत्त्दै दर्जीीूiदहे दह ूपेार् ीम्म्दल्हूे ेल्ंराम्ू ूद ूपर् ेीस ूाीस्ेर् ीह् म्दह्iूiदहे र् ीेर् ीीार् ीर्ज्ज्त्iम्ींत ूद ब्ींर्ध् ीम्म्दल्हूेर् स्ीiर्हूीiहा् ैiूर्प् ीहर् ील्ूर्प्दीiेा् ्ाीती/ र् ील्ूप्दीर्iेा् ंीहव्.
व्दiहूर् ीम्म्दल्हूर्श्ीब् ां प् रदiहूत्ब् iह ूप र्हीसे द ि ूैद दी स्दीा ब्ींIे/ जध्े.
ब्ींIे/ जध्ेर् म्ीह प्द् रदiहूत्ब् ैiूर्प् ी ीोi्ाहूर् ीात्ीूivा दह ‘दिीसी दी ेल्ीvivदी“र् ंीेiे र्(ीात्ीूivार् ीे ्ाiिहा् iह र्ण्दस्ज्ीहiोर् ींम्ू, 2013). ऊप ीोi्ाहूर् ीात्ीूivार् म्ीह दर्जीीूा ूपर् ीम्म्दल्हूर् ीेर् ी झ्दैाी दर् िींूदीहाब् प्द्ाी ्ल्ीiहु ूप त्iा िूiस द िूप ब्ींI/ जर्ध् ीम्म्दल्हू प्द्ाी.
र्श्ीब् ां प् रदiहूत्ब् iह ूप र्हीसे द ि ूैद दी स्दीा ब्ींIे/ जध्े.
र्श्ीब् ां प् रदiहूत्ब् ैiूप् ीोi्ाहूे दह ‘दिीसी दी ेल्ीvivदी“र् ंीेiे.
ण्ल्ीीाहम्ब् Iर्ह्iीह ींल्जो र्ींहब् जीस्iूा् म्ल्ीीाहम्ब् i.ा.र् ी दिीाiुह म्ल्ीीाहम्ब् ैप्iम्प् iे ीाात्ब् िम्दहvाीूiंत Iर्ह्iीह ींल्जो ऊब्ज दर् िींम्म्दल्हू र्एीviहुे, ण्ल्ीीाहू, ींाम्ल्ीीiहु, इixा् अज्देiू ऊाीस् अज्देiू दहत्ब् र्एीviहुे, ण्ल्ीीाहू, ींाम्ल्ीीiहु, इixा् अज्देiू झीiद् दिी iिxा् ्ाज्देiूे इीदस् दहा ूद ूप्ीाा र्बीीे, प्दैाvाी, र् ंीहव्ेर् ीीार् ीत्त्दैा् ूदर् ीम्मज्ू ब्ीं ्ाज्दिंेiूेर् ींदvा ूप्ीाा र्बीीे ीदिस् ूपiी र् ींेाू-र्थ्iींiत्iूब् ज्दiहू द िviौ इदी ूाीस्े हदू तेर् ूप्ीह 1 र्बीीर् ीह् हदू स्दीार् ूप्ीह 5 र्बीीे र्ींेर् ीर्ज्ज्त्iम्ींत ूद ीोi्ाहूर् ीम्म्दल्हूे. झीस्iेiंत ण्ीा्iूेण्ीा्iूे जीस्iूा् ूद ूप्iेर् ीम्म्दल्हू र् ीीा iर्हैीी् ीार्स्iूीहम ीदिस् दल्ूेi्ा Iर्ह्iी, iहूाीोूर् ीम्म्ील्iहु दह ूपर् ीम्म्दल्हू, iहूाीोू दह iहvोूसहू,र् ूीीहेाी िीदिस् दूपी ब्ीं/िं इण्ब्ीं(ँ)र् ीम्म्दल्हूे,र् स्ीूल्ीiूब् ज्ीदमाे द िiहvोूसहूे (i िेल्म्प् iहvोूसहूे ैाीार् स्ी्ा ीदिस् ूप्iेर् ीम्म्दल्हू दी ूप्ीदल्ुप् iर्हैीी् ीार्स्iूीहम).
ण्ल्ीीाहू iहम्दस त्iव ीाहू, ्ivi्ाह्, जहेiदह, iहूाीोू ाूम्. ैiत्त् ां म्दहेूीर्ल् ीेर् ी जीस्iेiंत म्ीा्iू ूद ूप ब्ीं िं र् ीम्म्दल्हू.
र्ण्ीीा: ध्हत्ब् ूप्देा म्ीा्iूे ैप्iर्म्प् प्ीvा हदू त्देूर् ीाज्ीूीर्iींतर्र् म्प्ीीीम्ूाी
Iर्हैीी् ीार्स्iूीहमे ीदिस् दल्ूेi्ा Iर्ह्iी, तुiूर्iस्ीूा ्ले iह Iर्ह्iीर् ीर्ह् ूीीहेाीे िीदिस् दूपी ब्ींर्ध् ीम्म्दल्हूेर् ीीा जीस्iेiंत म्ीा्iूे ूद ब्ींर्ध् ीम्म्दल्हू.
ींल्जा ुiू/ि र्त्दीहर् स्ी्ा ंर्ब् ी ीोi्ाहू ूदर् ी ब्ींI/ जर्ध् ीात्ीूivा ैiूप्iह ूप त्iस्iूे ज्ीोम्ीiां् ल्ह्ाी ूप र्थ्iाींीत्iेा् ींार्स्iूीहम एम्पसर् स्ीब् ां म्ीा्iूा् ूद ूपर् त्ीूाी“े ब्ींर्ध् ीम्म्दल्हू.
झीस्iेiंत अंiूे झीस्iेiंत ्ांiूेर् ीीा र्त्दम्ीत् ्iेंल्ीेासहूे, ीार्स्iूीहम दल्ूेi्ा Iर्ह्iी,र् ूीीहेाी िूद दूपी ब्ीं/िं इण्ब्ीं(ँ) र् ीम्म्दल्हूेर् ीह् iहvोूसहूे iह Iर्ह्iी.ऊपर् ीम्म्दल्हूर् म्ीह ां ्ांiूा् दिी ूप ज्ल्ीज्देा द िर्त्दम्ीर्त् ज्ीब्सहूे,र् ूीीहेाीे ि ूद दूपी ब्ींर्ध् ीम्म्दल्हूे दी ीार्स्iूीहम द िम्ल्ीीाहू iहम्दसर् ीींर्दी्.
र्र्ींज्ीीू ीदिस् ूपेा,र्र् ंीत्ीहमे iह ूप ब्ींर्ध् ीम्म्दल्हूर् म्ीहहदू ांर् ीाज्ीूीर्र्iीूा् ीींर्दी् ाxमज्ू ंब् ब्ींIेर् ीह् जध्े ल्ज् ूद ळएअ् 1 स्iत्त्iदह, ेल्ंराम्ू ूद म्दह्iूiदहे ेजम्iiिा् iह इदीाiुह र्xिंम्प्ीहुार् श्ीर्हीुासहू (ींार्स्iूीहम दर् िींेाूे)र् ींाुल्त्ीूiदहे, 2016.
इल्हेर् म्ीह ांर् ूीीहेाीीा् ूद ब्ींर् िंीम्म्दल्हू ैiूप्iह ूप्iे ळएअ् 1 श्iत्त्iदहर् ीम्iित्iूब्.
र्ींाज्ीूीर्iींत्iूब् र्ींाज्ीूीर्iींतब्दूर् ीाज्ीूीर्iींत ाxमज्ू दिीर् ीत्त् म्ल्ीीाहू iहम्दस.
र्र्ँीत्ीहमे iहर् ीह ब्ींर्ध् ीम्म्दल्हू द िब्ींIे/ जध्ेर् ीीा ीार्स्iूींत ल्ज् ूद ळएअ् 1 (दहा) स्iत्त्iदह जी iिर्हीहर्म्iीत् र्बीी र्(ींज्ीiर्त्-श्ीीम्प्)र् ीत्दहु ैiूप् ूपiी दूपी ात्iुiंतर् ीेाूे.
र्ऊीर्xींiत्ूब् Iहम्दसर् ाीीहा् iह ूपर् ीम्म्दल्हूे iे ाxास्ज्ू ीदिस् iहम्दसर् ूीxर् ीर्र्ह् ंीत्ीहमे ाxास्ज्ू ीदिर्स् ैाीत्ूर्प् ूीx र्ऊीर्xींत र्थ्दीहे iह Iर्ह्iीर्ींर्अ् म्ीहर् ेीहम्ूiदह र्त्दीहे iह Iर्ह्iी ूद ूप र् ीम्म्दल्हू प्द्ाी/ ूर्प्iी् ज्ीीूiो ैiूप्दल्ूर् ीहब् त्iस्iू, ेल्ंराम्ू ूदर् ल्ेल्ीर्त् स्ीीुiह ीाल्iिीासहूे. ऊपेा र्त्दीहेर् म्ीहहदू ांर् ीाज्ीूीर्iीूा् दल्ूेi्ा Iर्ह्iीर् ीर्ह् म्ीह ां ल्ेा् iह Iर्ह्iी दहत्ब् दिी ूप ज्ल्ीज्देो ेजम्iiिा् iह ूपर् ीाुल्त्ीूiदहे.
Iहर् म्ीेा द िर्त्दीहेर् ेीहम्ूiदहा् ूदर् ी ूर्प्iी् ज्ीीूब्, ूपीा ेप्द् ां हद ्iीाम्ू दी iह्iीाम्ू दिीाiुह ार्xम्प्ीहुा म्दर्हेi्ाीीूiदह दिी ूप हदह-ीोi्ाहू ्ाज्देiूदीर् ीुीााiहु ूद ज्तुा प्iे ्ाज्देiूे ूद ार्हींत ूप ीोi्ाहू iह्iर्vi्ल्ीत्/ iिीस्/ र्म्दस्ज्ीहब् ूद र्दूंीiह ेर्ल्म्प् ीम्iित्iूiो.
Iहर् म्ीेा द िूप र्त्दीहर् ेीहम्ूiदहा् ूद ूपर् ीम्म्दल्हू प्द्ाी, iूर् म्ीह ांर् ीाज्ीi् ाiूपी ंर्ब् ी्रल्ेूiहु ूप ्ाज्देiूे दी ूप्ीदल्ुप् iर्हैीी् ीार्स्iूीहमे ीदिस् दल्ूेi्ा Iर्ह्iी ूप्ीदल्ुर्प् ंीहव्iहुर् म्प्ीहहात्े दी दल्ू दर्र् िंीत्ीहमे प् iह ूप ब्ींर्ध् ीम्म्दल्हू द िूपर् ीम्म्दल्हू प्द्ाी.
ऊपर् ीम्iित्iूब् दिीर् ज्ीास्ीूल्ीा र्र् ैiू्ीीैीत् द ्ाज्दिेiूे ैiत्त् हदू ांर् ीर्vीर्iत्ींत ैपीा र्त्दीहेर्र् ीुीiहेू ेल्म्प् ्ाज्देiूेर् ीीार् ीर्vीiत् द.ि
ऊप ूाीस् ”र्त्दीहह्णर् ेप्ीत्त् iह्ार् ीत्त् ूब्जे द िर्ल्ह् िंीेा्/ हदह-र्र्ल्ह् िंीेा् ीम्iित्iूiो.
र्थ्दीहेर्र् ीुीiहेू ूप ्ाज्देiूेर् म्ीह ां र् ुीीहूा् iह Iर्ह्iी ूद ूपर् ीम्म्दल्हू प्द्ाी दी ूर्प्iी् ज्ीीूब् ेल्ंराम्ू ूदर् ल्ेल्ीत् हदीस्े र् ीर्ह् स्ीीुiह ीाल्iिीासहू. ऊप र्त्दीहर् ीस्दल्हूर् म्ीहहदू ां ल्ेा् दिी ीातह्iहु, र् म्ीीीब्iहु दहर् ीुीर्iम्ल्त्ूल्ीीत्/र् ज्त्ीर्हूीूiदहर् ीम्ूiviूiो दी iहvोूसहू iहर् ीाीर्त् ोूीूा.
ऊप ूाीस् ”र्त्दीहह्णर् ेप्ीत्त् iह्ार् ीत्त् ूब्जे द िर्ल्ह् िंीेा्/ हदह-र्र्ल्ह् िंीेा् ीम्iित्iूiो.
र्थ्दीहे दल्ूेi्ा Iर्ह्iीर्ींल्ूप्दीiेा् र्अीतीेर् स्ीर्ब् ीत्त्दै ूपiी र् ींीहम्पे/ म्दीीोज्दह्ाहूे दल्ूेi्ा Iर्ह्iी ूदर् ुीीहू र्त्दीहे ूद दी iहर् ीvिदल्ी द ि हदह-ीोi्ाहू ्ाज्देiूदी दी ूद ूर्प्iी् ज्ीीूiोर् ीू ूप ीालिेू द ्ाज्दिेiूदी दिी ंदर्ही i्ा िज्ल्ीज्देार्र् ीुीiहेू ूप ेाम्ल्ीiूब् द िल्हिे प् iह ूप ब्ीं/िं इण्ब्ीं (ँ) र् ीम्म्दल्हूे iह Iर्ह्iी, ेल्ंराम्ू ूदर् ल्ेल्ीर्त् स्ीीुiह ीाल्iिीासहूे.
ऊप ूाीस् ”र्त्दीहह्णर् ेप्ीत्त् iह्ार् ीत्त् ूब्जे द िर्ल्ह् िंीेा्/ हदह-र्र्ल्ह् िंीेा् ीम्iित्iूiो
ब्दू जीस्iूा् र्ींीूा द िIहूाीोू र्ींे जी ुल्i्ात्iहो iेल् ंब् ूप र्अज्ीीूसहू दर् िींाुल्त्ीूiदह र्ध्जीीूiदहे ंब् झ्दैाी दर् िींूदीहाब् iहर् ीvिदल्ी दर् िी ीोi्ाहू र्ध्जीीूiदहे iह ूपर् ीम्म्दल्हू iह ूाीस्े द िझ्दैाी दर् िींूदीहाब् iे ीोूीiम्ूा् ूदर्र् ैiू्ीीैीत्े दिी जीस्iेiंत र्त्दम्ीत् र् ज्ीब्सहूे दी ीार्स्iूीहम ूद ूपर् ीम्म्दल्हू प्द्ाी प्iस्ेात् िूप्ीदल्ुप् हर्दीस्ीर्त् ंीहव्iहु र् म्प्ीहहात्े. र्ध्जीीूiदहे iह ूपर् ीम्म्दल्हू iह ूाीस्े द िझ्दैाी दर् िींूदीहाब् iे ीोूीiम्ूा् ूदर्र् ैiू्ीीैीत्े दिी जीस्iेiंत र्त्दम्ीत् र् ज्ीब्सहूे iह ील्जो, ीार्स्iूीहम द िम्ल्ीीाहू iहम्दस ूद ूपर् ीम्म्दल्हू प्द्ाी दल्ूेi्ा Iर्ह्iी दी ीार्स्iूीहम ूद ूपर् ीम्म्दल्हू प्द्ाी प्iस्ेात् िूप्ीदल्ुप् हर्दीस्ीत् र् ंीहव्iहुर् म्प्ीहहात्े. ेंप्iतर् स्ीव्iहु ीार्स्iूीहमे, ूप त्iस्iूेर् ीह् म्दह्iूiदहे द ि र् ीाज्ीूीर्iींiत्iूब् ैiर्त्त् ीज्ज्त्ब्. र्ण्प्ीहुा iह ीोi्ाहूर्iीर्त् ेूीूल्े ीदिस् ब्दह-ीोi्ाहू ूद ीोi्ाहू ब्ींर् िंीम्म्दल्हूे ेप्द् ां ्ोiुर्र्हीूा् ीे ीोi्ाहूर् ीम्म्दल्हूे दी ूप ल्हिे प् iह ूपेार् ीम्म्दल्हूेर् स्ीब् ांर् ूीीहेाीीा् ूद ूप ींइर्ण् ीम्म्दल्हूे,र् ीू ूप दज्ूiदह द िूपर् ीम्म्दल्हू प्द्ाी, iर्स्स्iीूात्ब् ल्ज्दह ूप ीाूल्ीह द िूपर् ीम्म्दल्हू प्द्ाी ूद Iर्ह्iी दिीर् ूीव्iहु ल्ज् ास्ज्त्दब्सहू दी दहर् म्प्ीहुा iह ूप ीोi्ाहूर्iीर्त् ेूीूल्े.ध्हर् म्प्ीहुा iह ीोi्ाहूर्iीर्त् ेूीूल्े, इण्ब्ीं (ँ) ्ाज्देiूेर् स्ीब् ांर् ीत्त्दैा् ूद म्दहूiहल ूiर्त्त् स्ीूल्ीiूर्ब् ीू ूप म्दर्हूीीम्ूा् र् ीीूा द िiहूाीोू, i िेद ्ोiीा् ंब् ूपर् ीम्म्दल्हू प्द्ाी.
र्ींल्ूर्प्दीiेा् ्ाीतीे ेप्द् म्दहvाीू ूप इण्ब्ीं(ँ) ्ाज्देiूे दहर् स्ीूल्ीiूब् iहूद ीोi्ाहू ील्जा ्ाज्देiूर् ीम्म्दल्हूे दी ींइण् र् ीम्म्दल्हू (i िूप ्ाज्देiूदी iे ात्iुiंत ूद दजह ींइर्ण् ीम्म्दल्हू),र् ीू ूप दज्ूiदह द ि ूपर् ीम्म्दल्हू प्द्ाी.
ब्ींर्ध् ीम्म्दल्हूेर् स्ीब् ां ्ोiुर्र्हीूा् ीे ीोi्ाहूर् ीम्म्दल्हूे दह ूप ीाूल्ीह द िूपर् ीम्म्दल्हू प्द्ाी ूद Iर्ह्iी दिीर् ीहब् ज्ल्ीज्देा iर्ह्iम्ीूiहु प्iे iहूाहूiदह ूदर् ेूीब् iह Iर्ह्iी दिीर् ीह ल्हर्मीूीiह जीiद्.
थ्iवैiेा, ैपहर् ी ीोi्ाहू Iर्ह्iीह ांम्दसेर् ी जीेदह ीोi्ाहू दल्ूेi्ा Iर्ह्iी, प्iे ाxiेूiहु ीोi्ाहूर् ीम्म्दल्हू ेप्द् ां ्ोiुर्र्हीूा् ीे ब्ींर्ध् ीम्म्दल्हू.
भारत सरकार ने 27 फरवरी, 2017 को विनिर्दिष्ट बैंक नोट (देयताओं की समाप्ति) अधिनियम 2017 को अधिसूचित किया । इस अधिनियम द्वारा विनिर्दिष्ट बैंक नोट (देयताओं की समाप्ति) अध्यादेश 2016, जो 31 दिसम्बर, 2016 से प्रभावी था और जिसमें विनिर्दिष्ट बैंक नोट (एसबीएन) की देयताओं की समाप्ति तथा इससे सम्बंधित तथा प्रासंगिक मामलों के लिए प्रावधान किया गया था, को निरस्त किया गया । भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम की धारा 34 के तहत विनिर्दिष्ट बैंक नोट के संबंध में भारतीय रिज़र्व बैंक की देयताएं समाप्त हो जाएगी और इस संबंध में, केंद्र सरकार की गारंटी भी समाप्त हो जाएगी।
इस संबंध में रियायत अवधि प्रदान की गई है जिसके दौरान भारतीय नागरिक जो इस बात की घोषणा करते हैं कि वे 9 नवंबर 2016 से 30 दिसंबर 2016 तक भारत के बाहर थे, वे विनिर्दिष्ट बैंक नोट रिज़र्व बैंक के पाँच कार्यालयों (मुबंई, नई दिल्ली, चेन्नै, कोलकाता और नागपुर) में जमा कर सकते हैं, बशर्ते केंद्र सरकार की अधिसूचना द्वारा विनिर्दिष्ट किसी भी श्रेणी के व्यक्ति हेतु कारणों अथवा शर्तों को पूरा करते हों। रिज़र्व बैंक, आवश्यक सत्यापन करने के बाद यदि इस बात से संतुष्ट है कि 30 दिसंबर 2016 तक नोट न जमा कर पाने के कारण सही है, तो वह जमाकर्ता के केवाईसी (अपने ग्राहक को जानें) अनुपालित खाते में नोटों की मूल्य-राशि जमा कर देगा।
निवासी भारतीयों के लिए छूट अवधि 31 मार्च, 2017 को समाप्त हो गई है । अनिवासी भारतीयों के लिए (भारतीय पासपोर्ट धारक) छूट अवधि 30 जून, 2017 है ।
भारतीय रिजर्व बैंक के उक्त पाँच क्षेत्रीय कार्यालयों में विनिमय काउंटर के समय सारणी के विवरण के लिए यहाँ क्लिक करें ।
उपर्युक्त उल्लेखानुसार नोट की मूल्य–राशि जमा करने में रिज़र्व बैंक द्वारा मना करने से प्रभावित कोई भी व्यक्ति उसे इस प्रकार की मनाही प्राप्त होने के 14 दिनों के भीतर रिज़र्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड को अभ्यावेदन दे सकता है।
अध्यादेश की धारा 6 के अनुसार, जो कोई भी व्यक्ति जानबूझकर अथवा अनजाने में गलत घोषणा करता है तो उसे दंडित किया जाएगा, दंड की राशि ₹ 50,000/- तक अथवा जमा की गई निर्दिष्ट बैंक नोट के अंकित मूल्य राशि का पाँच गुना जो भी अधिक हो, हो सकती है।
31 दिसंबर 2016 से प्रभावी, अध्यादेश की धारा 5 के अनुसार कोई भी व्यक्ति किसी विनिर्दिष्ट बैंक नोट को जानबूझकर अथवा स्वेच्छा से रख, अंतरण अथवा प्राप्त नहीं कर सकेगा। रियायत अवधि समाप्त होने के पश्चात किसी भी मूल्यवर्ग के अधिकतम कुल 10 नोट अथवा अध्ययन / अनुसंधान / मुद्राशास्त्र के उद्देश्य से अधिकतम 25 नोट रखने की अनुमति होगी। इस धारा में ऐसा कुछ भी निहित नहीं है जो अदालत में लंबित किसी भी मामले के संबंध में न्यायालय के निर्देश पर किसी भी व्यक्ति को विनिर्दिष्ट बैंक नोटों को धारित करने के लिए प्रतिबंधित करेगा। अधिहरण किए गए विनिर्दिष्ट बैंक नोटों को जमा करने के लिए, भारत सरकार ने दिनांक 12 मई, 2017 को विनिर्दिष्ट बैंक नोट (अधिहरण किए गए नोटों को जमा किया जाना) नियम, 2017 अधिसूचित किया है ।
धारा 7 के अनुसार, धारा 5 का उल्लंघन दंडनीय है जिसमें ₹ 10,000/- तक की राशि अथवा उल्लंघन में शामिल निर्दिष्ट बैंक नोट के अंकित मूल्य राशि का पाँच गुना जो भी अधिक हो, का दंड लगाया जा सकता है।
धारा 6 और 7 के अनुसार उल्लंघन/चूक यदि किसी कंपनी द्वारा किया गया है तो प्रत्येक वह व्यक्ति जो उल्लंघन/चूक के समय कंपनी का प्रभारी और उत्तरदायी था, दोषी माना जाएगा और उसी के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी और दंडित किया जाएगा। यदि अपराध कंपनी के किसी निदेशक/प्रबंधक/सचिव/अधिकारी/कर्मचारी द्वारा किया जाना साबित होता है तो उस व्यक्ति को भी इस अपराध के लिए दोषी माना जाएगा और उसके विरुद्ध कार्यवाही की जाएगी और तदनुसार दंडित किया जाएगा।
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय ने दिनांक 2 जुलाई 2021 के अपने कार्यालय ज्ञापन (ओएम) सं.5/2(2)/2021-ई/पी एंड जी/पॉलिसी के माध्यम से खुदरा और थोक व्यापार के लिए उद्यम रजिस्ट्रेशन की अनुमति दी है। विस्तृत दिशानिर्देश दिनांक 07 जुलाई 2021 के हमारे परिपत्र विसविवि.एमएसएमई और एनएफएस.बीसी.सं.13/06.02.31/2021-22 में उपलब्ध हैं।
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