भारत सरकार के दिनांकित प्रतिभूतियों और ट्रेज़री बिलों के लिए गैर-प्रतिस्पर्धी बोली सुविधा
सरकारी प्रतिभूतियों के लिए प्राथमिक बाजार में खुदरा भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए, दिनांकित सरकारी प्रतिभूतियों और ट्रेज़री बिलों की नीलामी में गैर-प्रतिस्पर्धी बोली लगाने की सुविधा शुरू की गई है। इससे निवेशक स्वीकृत प्रतिस्पर्धी बोलियों के भारित औसत दर पर एक निश्चित संख्या में प्रतिभूतियों की खरीद करने में सक्षम होगा।
भारत सरकार (जीओआई) द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) को वित्तीय रूप से मजबूत गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) / हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों (एचएफसी) से उच्च-रेटेड पूलित संपत्ति खरीदने के लिए प्रदान की गई आंशिक ऋण गारंटी पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न – दिनांक 10 अगस्त 2019 के उसकी अधिसूचना के तहत
उत्तर: सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को कई वित्त पोषकों के माध्यम से व्यापार प्राप्तियों के वित्तपोषण / छूट की सुविधा प्रदान करने के लिए ट्रेड्स एक इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफ़ॉर्म है। ये प्राप्तियाँ कॉर्पोरेट और अन्य खरीदारों द्वारा देय हो सकती हैं, जिनमें सरकारी विभाग और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम शामिल हैं।
प्रतिक्रिया: नहीं। हालांकि, बैंकों को संग्रहण और शुद्धता परीक्षण केन्द्रों (सीपीटीसी) के नाम और रिफाइनरीज़ जिनके साथ उन्होंने त्रिपक्षीय करार किया है और इस योजना का संचालन करनेवाली शाखाएँ सहित कार्यान्वयन संबंधी ब्योरा आरबीआई को प्रस्तुत करना चाहिए। बैंकों को इस योजना के तहत सभी शाखाओं द्वारा समाहरित स्वर्ण की मात्रा संबंधी समेकित आंकड़ा मासिक आधार पर निर्धारित प्रारूप में रिपोर्ट करनी चाहिए।
नोट: (ए) चूंकि एस.एन.आर.आर. खाते को भारत के बाहर के निवासी व्यक्ति द्वारा व्यापार, विदेशी निवेश, बाह्य वाणिज्यिक उधार, आदि में निर्दिष्ट लेनदेन हेतु परिवर्तनीय विदेशी मुद्रा में आवक/ जावक विप्रेषण के बदले उपयोग करने की अनुमति दी गई है, अतः निवासी या अनिवासी के साथ किए जाने वाले प्रत्येक लेनदेन के लिए प्राधिकृत व्यापारी (एडी) बैंकों द्वारा प्रतिपक्ष की पहचान सुनिश्चित करने हेतु उचित सावधानी बरती जाने की आवश्यकता है। एडी बैंकों द्वारा बरती जाने वाली ऐसी कुछ सावधानियों को नीचे ‘अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों’ में सूचीबद्ध किया गया है। दिशानिर्देशों के अनुसार एस.एन.आर.आर. लेनदेन के उपयोग और ऐसे लेनदेन की पहचान सुनिश्चित करना एडी बैंकों का दायित्व है।
(बी) इस ‘एफएक्यू’ के प्रावधान एफपीआई, एफवीसीआई और डिपॉजिटरी रसीद / एफसीसीबी परिवर्तन खातों के एसएनआरआर खातों पर लागू नहीं होंगे, जो किसी अभिरक्षक संस्था द्वारा संचालित होते हैं तथा ‘जमा और खातों पर मास्टर निदेश’ के भाग-II के पैरा 7.1 (i) के अंतर्गत आते हैं।
उत्तर:
ए. एसएनआरआर खातों से डेबिट कर के किए जाने वाले भुगतान: भारत में निवासी व्यक्ति के पक्ष में एसएनआरआर खाते से डेबिट करते हुए आईएनआर में भुगतान करने संबंधी मामलों में एडी बैंक यह सुनिश्चित करे कि लेनदेन को एसएनआरआर लेनदेन (उद्देश्य कोड और देश के ब्योरे सहित, यदि लागू हो) के रूप में चिन्हित किया गया है और उसे प्रापक बैंक को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से अथवा मैन्युअल तरीके से सूचित किया गया है।
बी. एसएनआरआर खातों में क्रेडिट हेतु प्राप्त भुगतान: एसएनआरआर खाता रखने वाला एडी बैंक यह सुनिश्चित करे कि एसएनआरआर खाते में क्रेडिट हेतु प्राप्त किसी भी घरेलू आवक विप्रेषण की उपर्युक्त पैराग्राफ (ए) के अनुसार एसएनआरआर लेनदेन के रूप में पुष्टि की गई हो।
सी. एडी बैंक एसएनआरआर खातों से जुड़े ऐसे सभी लेनदेन के संबंध में फेमा अथवा उसके तहत बनाए गए नियमों या विनियमों या उसके अंतर्गत जारी निदेशों में निहित विभिन्न फेमा प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित करें।
“अक्सर पूछे जानेवाले प्रश्नों’ का यह खण्ड इस विषय पर उपयोगकर्ताओं द्वारा आम तौर पर पूछे जानेवाले प्रश्नों के उत्तर सरल भाषा में देने का एक प्रयास है। तथापि किसी प्रकार का लेनदेन करने के लिए विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (फेमा) तथा उसके अंतर्गत बनाए गए विनियमों/ नियमों अथवा निदेशों का संदर्भ लिया जाए। इससे संबंधित मूल विनियमावली 31 मार्च 2016 की अधिसूचना सं.फेमा 22(आर)/2016-आरबी के तहत जारी की गई विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत में शाखा कार्यालय/ संपर्क कार्यालय/ परियोजना कार्यालय या अन्य कोई कारोबारी स्थान स्थापित करना) विनियमावली, 2016 है। उक्त दिशानिर्देश विदेशी संस्थाओं द्वारा भारत में शाखा कार्यालय (बीओ)/ संपर्क कार्यालय (एलओ)/ परियोजना कार्यालय (पीओ) या अन्य कोई कारोबारी स्थान स्थापित करने से संबन्धित हैं।
उत्तर: यदि नामित प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक द्वारा एलओ/बीओ के संबंध में लेखापरीक्षक द्वारा कोई प्रतिकूल निष्कर्ष नोटिस किए जाते हैं अथवा एलओ/ बीओ एएसी की प्रस्तुति में कोई चूक कर रहा हो, तो रिज़र्व बैंक को तत्काल इस बात की सूचना दी जानी चाहिए।
उ : फैक्टरिंग अधिनियम, 2011 'फैक्टरिंग बिजनेस' को इसप्रकार परिभाषित करता है, "ऐसी प्राप्तियों या वित्तपोषण के असाइनमेंट को स्वीकार करके असाइनर के प्राप्तियों के अधिग्रहण का व्यवसाय, चाहे ऋण या अग्रिम करने के माध्यम से या किसी भी प्राप्य पर प्रतिभूति ब्याज के बदले किसी अन्य तरीके से किया गया हो"
हालांकि, बैंकों द्वारा व्यवसाय के सामान्य क्रम में प्राप्य की प्रतिभूति और कमीशन एजेंट के रूप में या अन्यथा कृषि उत्पाद या किसी भी प्रकार के सामान की बिक्री के लिए की गई किसी भी गतिविधि और संबंधित गतिविधियों के लिए प्रदान की जाने वाली क्रेडिट सुविधाएं स्पष्ट रूप से फैक्टरिंग व्यवसाय की परिभाषा से बाहर हैं। फैक्टरिंग अधिनियम ने भारत में फैक्टरिंग के लिए बुनियादी कानूनी ढांचा तैयार किया है।
मान लें कि किसी बैंक के पास उधार संबंधी निम्नलिखित परिपक्वता प्रोफ़ाइल है:
क्र.सं. | मूल परिपक्वता | कुल निधि के प्रतिशत के रूप में बकाया शेषराशि (ईक्विटी के अलावा) | संचयी भारिता |
1 | 5 साल और उससे अधिक | 15.1% | 15.1% |
2 | 3 साल और उससे अधिक लेकिन 5 साल से कम | 11.8% | 26.9% |
3 | 2 साल और उससे अधिक लेकिन 3 साल से कम | 9.3% | 36.2% |
4 | 1 साल और उससे अधिक लेकिन 2 साल से कम | 16.9% | 53.1% |
5 | 6 माह और उससे अधिक लेकिन 1 साल से कम | 24.3% | 77.4% |
6 | 91 दिन और उससे अधिक लेकिन 6 महीने से कम | 10.5% | 87.9% |
7 | 90 दिनों तक | 12.1% | 100% |
कुल | 100% |
इस मामले में, एमसीएलआर पहले तीन टाइम बकेट की अवधि के भारित औसत के अनुरूप होगा।
उत्तर: नेपाल में रहने वाले लाभार्थी को प्रति लेनदेन 2 लाख रुपये तक विप्रेषित किया जा सकता है; बशर्ते प्रेषक का खाता भारत में किसी भी एनईएफटी सक्षम बैंक शाखा में हो।
वॉक-इन / गैर-ग्राहक, नेपाल में रहने वाले लाभार्थी को, प्रति लेनदेन ₹50,000 तक भेजे जा सकते हैं।
पृष्ठ अंतिम बार अपडेट किया गया: दिसंबर 11, 2022