भारत में विदेशी मुद्रा भंडारों में राशियां जुड़ने के स्रोत : 2003-04 (अप्रैल मार्च)
30 जून 2004
भारत में विदेशी मुद्रा भंडारों में राशियां जुड़ने के स्रोत : 2003-04 (अप्रैल मार्च)
पफ्ष्ठभूमि
भारतीय रिज़र्व बैंक ने 31 जनवरी 2003 को अप्रैल-नवंबर 2002 के दौरान विदेशी मुद्रा भंडारों में राशियां जुड़ने के स्रोतों पर अपने आर्थिक विश्लेषण और नीति विभाग द्वारा किये गये अध्ययन के निष्कर्षों पर एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की थी। उसके बाद रिज़र्व बैंक नियमित रूप से विदेशी मुद्रा भंडारों में राशियां जुड़ने के स्रोतों पर अपनी प्रेस विज्ञप्ति के ज़रिए आंकड़ों को अद्यतन और जारी करता रहा है। ये प्रेस विज्ञप्तियां रिज़र्व बैंक वेबसाइट (ैैै.ींव.दीु.वह) पर उपलब्ध हैं।
पूरे वित्तीय वर्ष 2003-04 की तिमाही के लिए भुगतान संतुलन आंकड़े अब उपलब्ध हैं। ये आंकड़े रिज़र्व बैंक वेबसाइट पर 30 जून 2004 को प्रकाशित किये गये हैं।
2003-2004 (अप्रैल-मार्च) में विदेशी मुद्रा भंडारों में राशियां जुड़ने के स्रोत
नीचे दर्शायी गयी तालिका 2003-04 के लिए विदेशी मुद्रा भंडारों में जुड़ी राशियों के मुख्य घटकों को दर्शाती है।
तालिका 1: विदेशी मुद्रा भंडारों में राशियां जुड़ने के स्रोत
(आंकड़े बिलियन अमेरिकी डॉलरों में हैं)
मदें |
2003-04 |
2002-03 |
||
घ्. |
चालू खाता शेष राशियां |
8.7 |
4.1 |
|
घ्घ्. |
पूंजी लेखा (निवल)(क से ङ) |
22.7 |
12.8 |
|
क |
विदेशी निवेश |
14.5 |
4.6 |
|
ख |
बैंकिंग पूंजी जिसमें से : |
6.2 |
8.4 |
|
अनिवासी जमाराशियां |
3.6 |
3.0 |
||
ग |
अल्पकालिक ऋण |
1.6 |
1.0 |
|
बाहरी सहायता |
- 2.7 |
- 2.5 |
||
घ |
बाह्य वाणिज्यिक उधार |
- 1.9 |
- 2.3 |
|
ङ |
पूंजी लेखे में अन्य मदें |
5.0 |
3.6 |
|
घ्घ्घ् |
मूल्यन परिवर्तन |
5.4 |
4.4 |
|
जोड़ (घ्+घ्घ्+घ्घ्घ्) |
36.8 |
21.3 |
2003-04 के दौरान विदेशी मुद्रा भंडारों में राशियां जुड़ने के प्रमुख स्रोत
- विदेशी निवेश (39.4 प्रतिशत); इसके अंतर्गत एफडीआई (8.5 प्रतिशत) तथा पोर्टफोलियो निवेश (30.8 प्रतिशत) रहे;
- बैंकिंग पूंजी, जिसके अंतर्गत अनिवासी जमाराशियां (9.8 प्रतिशत) तथा वाणिज्यिक बैंकों की विदेशी आस्तियां तथा अन्य देयताओं में परिवर्तन (7.1 प्रतिशत) आते हैं;
- अल्पकालिक ऋण (4.4 प्रतिशत);
- पूंजी लेखे के अंतर्गत अन्य मदें जो मुख्य रूप से आयातों/निर्यातों पर सीमा-शुल्क आंकड़ों और बैंकिंग चैनल आंकड़ों के बीच अंतर (4.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर), बाहरी सहायता (-2.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर), रुपया ऋण सर्विस (- 0.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर) तथा अन्य लेन-देन (13.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर) हैं।
- भंडारों में 5.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर (14.7 प्रतिशत) का मूल्यन लाभ;
यह नोट किया जाए कि 2003-04 के दौरान 2002-03 के दौरान पाये गये ढांचे से खास बदलाव नज़र आते हैं :
- चालू खाता अधिशेष 2002-03 के 4.1 बिलियन अमेरिकी डालर से बढ़ कर 8.7 बिलियन अमेरिकी डालर हो गया।
- निवल ऋण प्रवाहों में पूंजीं लेखा शीर्षों के माध्यम से 2002-03 के 12.8 बिलियन अमेरिकी डालर की तुलना में 22.7 बिलियन अमेरिकी डालर की उल्लेखनीय वफ्द्धि हुई है।
- 2003-04 के दौरान पोर्ट पोलियो निवेश, अनिवासी जमाराशियाँ तथा अल्पावधि ऋणों की वजह से पूंजी प्रवाहों में खासी वफ्द्धि हुई।
- मूल्यन परिवर्तन जो डॉलर की तुलना में यूरो, ग्रेट ब्रिटेन पाउंड तथा येन में मूल्य वफ्द्धि दर्शाते हैं, का योगदान 2002-03 में 4.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर के मूल्यन लाभ की तुलना में 2003-04 में कुल आरक्षित निधियों के उपचय के 5.4 बिलियन अमेरिकी डालर का रहा। हालांकि रिज़र्व बैंक अपनी विदेशी मुद्रा आरक्षित निधियां अमेरिकी डालर के मूल्यवर्ग में दर्शाता है, इसमें प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय करेंसी - विशेषत: अमेरिकी डॉलर, यूरो और पाउंड स्टर्लिंग शामिल थे। तदनुसार, जब गैर-अमेरिकी डॉलर मुद्राएं अमेरिकी डॉलर के रूप में मूल्यवफ्द्धि दर्शाती हैं तो मूल्यन लाभ के रूप में भंडारों में और राशियां जुड़ जाती हैं। इसके विपरीत स्थिति तब आती है जब ये मुद्राएं अमेरिकी डॉलर की तुलना में गिरावट दर्शाती हैं। समीक्षाधीन वर्ष के दौरान यूरो येन और ग्रेट ब्रिटेन पाउंड में अमेरिकी डॉलर की तुलना में बहुत अधिक सुधार हुआ।
अजीत प्रसाद
प्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी : 2003-2004/1522
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