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निर्यात आंकड़ा संसाधन और निगरानी प्रणाली (ईडीपीएमएस) की शुरूआत

28 फरवरी 2014

निर्यात आंकड़ा संसाधन और निगरानी प्रणाली (ईडीपीएमएस) की शुरूआत

भारतीय रिज़र्व बैंक ने प्रभावी निगरानी और निर्यात लेनदेनों की अनुवर्ती कार्रवाई के लिए आज नई व्यापक एकीकृत कंप्यूटरीकृत निर्यात आंकड़ा संसाधन और निगरानी प्रणाली (ईडीपीएमएस) की शुरूआत की है। डॉ. रघुराम राजन, गवर्नर, भारतीय रिज़र्व बैंक ने प्रणाली का उद्घाटन किया। निगरानी और निर्यात लेनदेनों के लिए विनियामक और पर्यवेक्षी प्रक्रिया को प्रभावी बनाने के लिए यह एक प्रमुख हरित प्रयास है क्योंकि पेपर रिपोर्टिंग आवश्यकता काफी हद तक समाप्त हो जाएगी। नई प्रणाली के कार्यान्वयन से होने वाले तत्काल लाभ निम्नानुसार होंगेः

  1. विदेशी विनिमय दृष्टिकोण और अन्य सांविधिक विनियमों से संबंधित अपेक्षाओं के साथ प्रभावी अनुपालन।

  2. निर्यात लेनदेनों की आसान ट्रैकिंग/सृजन।

  3. पेपर आधारित दस्तावेजों के लिए एक विकल्प जिससे प्राधिकृत व्यापारी बैंक एकल मंच से विभिन्न संबंधित विवरणियों की सूचना दे सकेंगे।

  4. विभिन्न स्तरों पर हाथ से आंकड़ों के प्रविष्टि कार्य को समाप्त/कम करना।

  5. प्राधिकृत व्यापारी बैंकों द्वारा रिपोर्टिंग भार में उल्लेखनीय कमी।

ईडीपीएमएस आज पूरी तरह से परिचालनरत हो गया है और प्राधिकृत व्यापारी बैंकों द्वारा अपनी आंतरिक प्रणालियों का इसके साथ संरेखण करने से सभी निर्यात लेनदेनों की निगरानी और अनुवर्ती कार्रवाई अधिक प्रभावी हो जाएगी।

इस केन्द्रीकृत स्वचालित निर्यात लेनदेन प्रणाली को सभी निर्यातों के लिए एकल मास्टर आंकड़ा आधार के साथ विकसित किया गया है। सीमा शुल्क विभाग से पोत परिवहन आंकड़ें बाद के निर्यात की सभी अनुवर्ती प्रक्रियाओं के लिए आधार होंगे। सीमा शुल्क प्राधिकारियों के स्तर पर वैध आंकड़े समर्पित आरबीआई सर्वर में देखे जाएंगे और प्राधिकृत व्यापारियों सहित इसमें शामिल स्टेकधारकों/एजेंसियों के बीच साझे किए जाएंगे जिससे कि बैंकिंग चैनलों का उपयोग करते हुए निर्यात दस्तावेजों की प्राप्ति और निर्यात आय के प्रत्यावर्तन दोनों की निगरानी की जा सके। प्राधिकृत व्यापारी उचित प्रयोक्ता/पहुंच अधिकारों के तहत मास्टर डेटाबेस में वृद्धिशील आंकड़ों/सूचना का संकेत देंगे तथा अद्यतन स्थिति तत्काल आधार पर आय की वास्तविक प्राप्ति होने तक उपलब्ध/सुलभ होगी।

विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा), 1999 के अंतर्गत निर्यातकों की तरफ से निर्यात के पूरे मूल्य को प्राप्त करना और प्रत्यावर्तित करना अनिवार्य है। निर्यात की अनुवर्ती प्रक्रिया यह सुनिश्चित करे कि निर्यात दस्तावेजों की भारतीय बैंकिंग प्रणाली (प्रभावी रिपोर्टिंग के लिए) में प्रविष्टि की जाती है और आय को प्राप्त करके निर्धारित समयसीमा के अंदर भारत में बैंकिंग चैनल के माध्यम से भारत में प्रत्यावर्तित किया जाता है।

सीमा शुल्क विभाग के आंकड़ों (माल के पोत परिवहन के बाद सीमा शुल्क विभाग से प्राप्त) को बैंकिंग आंकड़ों से मिलाने के अब तक का कार्य भारतीय रिज़र्व बैंक के विदेशी मुद्रा विभाग (एफईडी) के क्षेत्रीय कार्यालयों द्वारा किया जा रहा था। तथापि ईडीएफ फार्म में बढ़त और कमी की सूचना देने और तोल-मोल/संग्रह के लिए दस्तावेजों की लोजिंग के अलावा कुल निर्यात लेनदेन के प्रमुख भाग का दो स्तरों अर्थात सीमा शुल्क विभाग और प्राधिकृत व्यापारी (एडी बैंक) स्तर पर समान आंकड़ों की हाथ से प्रविष्टि करने के कारण मिलान नहीं हो पाता था।

सुचेता वाझकर
प्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2013-2014/1722

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