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विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा की वसूली, प्रत्यावर्तन और सुपुर्दगी) विनियमावली, 2000

आरबीआइ/2006-07/401
ए पी(डीआइआर सिरीज़)परिपत्र सं.58

मई 18, 2007

सेवा में

विदेशी मुद्रा में कारोबार करने के लिए प्राधिकृत सभी व्यक्तियां

महोदया/महोदय,

विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा की वसूली, प्रत्यावर्तन और सुपुर्दगी) विनियमावली, 2000

विदेशी मुद्रा में कारोबार करनेवाले प्राधिकृत व्यक्तियों का ध्यान समय-समय पर यथा संशोधित मई 3, 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 9/2000-आरबी (अधिसूचना) की विनियम 5 और 6 की ओर आकर्षित किया जाता है जिसके अनुसार प्राप्त की गई/ वसूली गई/ खर्च नहीं की गई/ उपयोग में नहीं लाए गए विदेशी मुद्रा को किसी प्राधिकृत व्यक्ति को सौंपने के लिए प्राप्ति/ वसूली/ खरीदी/अधिग्रहण/ यात्री चेक लौटाने की तारीख से नीचे दिए गए विभिन्न अवधि अनुबंधित किए गए हैं

• दी गई सेवाओं के पारिश्रमिक, कानूनी बाध्यताओं के भुगतान, भारत से बाहर धारित परिसंपत्तियों पर आय, विरासत, भुगतान अथवा उपहार के रूप में प्राप्य/ उपचित विदेशी मुद्रा को उसकी प्राप्ति की तारीख से सात दिनों के अंदर और अन्य मामलों में उसकी प्राप्ति की तारीख से नब्बे दिनों के अंदर।

• किसी प्रयोजन के लिए अधिगृहीत अथवा खरीदी गई किन्तु उस प्रयोजन अथवा किसी अन्य प्रयोजन, जिसके लिए विदेशी मुद्रा का अधिग्रहण अनुमत है, उपयोग नहीं की गई विदेशी मुद्रा का अधिग्रहण अथवा प्रयोजन की तारीख से साठ दिनों की अवधि के अंदर।

• यात्रा के प्रयोजन से आहरित विदेशी मुद्रा की खर्च न की गई शेष राशि यदि वह करेंसी नोट अथवा सिक्के के रूप में हो तो, भारत में यात्री के लौटने की तारीख से नब्बे दिनों के अंदर, और यदि खर्च न की गई विदेशी मुद्रा यात्री चेक के रूप में हो तो, भारत लौटने की तारीख से एक सौ अस्सी दिनों के अंदर।

2. वर्ष 2007-08 के वार्षिक नीति वक्तव्य डपैरा 146(i)(viii) में की गई घोषणा के अनुसार यह निर्णय लिया गया है कि निवासी व्यक्तियों द्वारा प्राप्त/ वसूले गए/ खर्च नहीं किए गए/ उपयोग में नहीं लाए गए विदेशी मुद्रा की सुपुर्दगी के लिए एकसमान अवधि निर्धारित की जाए। तदनुसार किसी निवासी व्यक्ति के लिए यह उचित होगा कि वह विदेशी मुद्रा की प्राप्ति/ वसूली/खरीद/ अधिग्रहण/यात्री के लौटने की तारीख, जैसा मामला हो, से एक सौ अस्सी दिनों के अंदर प्राप्ति/ वसूले गए/ खर्च न किए गए/ उपयोग में न लाए गए विदेशी मुद्रा की सुपुर्दगी किसी प्राधिकृत व्यक्ति को करे। अन्य सभी मामलों में सुपुर्दगी अपेक्षाओं के संबंध में विनियम/ निदेश अपरिवर्तित रहेंगे।

3. मई 3, 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 9/2000-आरबी डविदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा की वसूली, प्रत्यावर्तन और सुपुर्दगी) विनियमावली, 2000 में आवश्यक संशोधन अलग से जारी किए जा रहे हैं।

4. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक तथा प्राधिकृत बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत करा दें।

5. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है।

भवदीय

(सलीम गंगाधरन)
मुख्य महाप्रबंधक

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